hotaks444
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नेहा ने खुद शांत करते हुए आखे बंद करली और लेट गयी। मैं भी कुछ बोल नहीं रही थी बस आखे बंद करके लेट गयी। नींद तो हम दोनों को नहीं आ रही थी। मैंने वाच देखा 11.30 बज चुके थे। मैंने नेहा से कहा "" चल निचे टीवी देखते है"" लेकिन उसने मना कर दिया। मुझे बिलकुल भी नींद नहीं आ रही थी। मैं उठ के निचे हाल में टीवी देखने लगी। और टीवी देखते देखते कब मेरी आँख लग गयी मुझे पता ही नहीं चला। मैं वही सोफे पे सो गयी।
रात के करीब 1 बजे किसी चीज के अहसास ने मेरी आखे खुली। कोई सोफे पे मेरे पास बैठा हुआ था। और वो मेरी चुचियो पे धीरे धीरे हाथ घुमा रहा था। हाल में पूरा अँधेरा था। मुझे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। मुझे लगा शायाद नानाजी है इसलिए मैं चुप चाप लेटी रही।और घर में बहोत मेहमान थे इसलिए मैंने कुछ भी बोलना सही नहीं समझा। लेकिन डर भी बहोत लग रहा था। पर मजे भी करने थे।
मुझे उनका टच आज अजनबी लग रहा था। मैंने आखे खोली और गौर से देखा तो वो.....""मामाजी"" थे। ओह गॉड ये क्या हो रहा है। मैंने झट से उनके हाथ को पकड़ा और उठ के बैठ गयी और ""मामाजी ये आप क्या कर् रहे हो?""
मामाजी:=( वो थोडा घबरा गए) वो माधवी तुम यहाँ सोफे पे सो रही थी तो मैंने तुम्हे जगाया लेकिन तुम बहोत गहरी नींद में थी तो मैं तुम्हे ठीक से सुला रहा था।
मैं:= हा वो शायद मैं टीवी देखते देखते सो गयी। अच्छा ठीक है मैं जाती हु ऊपर।
मामाजी:=क्या हुआ माधवी। मैंने तुम्हे छुआ तो अच्छा नहीं लगा तुम्हे? उस दिन तो जब बाबूजी तुम्हे छु रहे थे तुम्हे मजा आ रहा था? मामाजी ने मेरा हाथ पकड़ के धीमी आवाज में कहा।
मैं घबरा गयी।
मैं:= नहीं नहीं मामाजी ऐसा कुछ नहीं है अ वो अ...
मामाजी:= घबराओ मत माधवी मैं जानता हु बाबूजी कैसे है। और उस दिन वो तुम्हारे साथ क्या क्या कर रहे थे और तुम उनके साथ क्या क्या कर रही थी सब देखा मैंने। मैं तो बस तुम्हारी जवानी को एक बार छूना चाहता हु। जब से तुम यहाँ आयीं हो ये तुम्हारी बड़ी बड़ी चुचिया देख के पागल सा हो गया हु।
और आज जब तुम्हारी ये बड़ी बड़ी चुचिया तुम्हारी साँसों के साथ ऊपर निचे होते देखा तो मैं अपने आप को रोक नहीं पाया। प्लीज माधवी बस मुझे इन्हे आज जी भर के छु लेने दो मैं तुम्हे कभी दुबारा कुछ नहीं करूँगा।
मुझे खुद पे नाज होने लगा था। मेरी चुचियो को देख सिर्फ नानाजी ही नहीं मामाजी का ईमान भी डोल गया था। मैं तो थी ही प्यासी सोचा चलो आज नानाजी नहीं तो मामजी ही सही। मैंने घबराने का नाटक करते कहा...
मैं:= मामाजी वो उस दिन मैंने कुछ नहीं किया प्लीज ये बात आप किसी से कहियेगा मत।। मेरी बात सुनके उनका होसला बढ़ गया।
मामाजी:= नहीं बताऊंगा पर अगर तुम मुझे अपनी चुचियो के साथ जी भर के खेलने दोगी तो....
मैं:= मामाजी प्लीज मुझे शरम आ रही है।
मामाजी समझ गए की चिड़िया फंस गयी। पर उन्हें कोन बताये की चिड़िया ने आपको फसा लिया।
मामाजी := शरम की क्या बात है? तुम जवान हो मजे लो जवानी के खेल के।
मैं मन ही मन सोचने लगी...""इस जवानी के खेल का मजा लेने के लिए आपकी बेटी उतावली है। आज बिचारी तड़प तड़प के सो गयी और मैं यहाँ उसके बाप के साथ रंगरेलिया मनाने जा रही हु"""
मैं:=ठीक है मामाजी लेकिन सिर्फ छूना ही आगे कुछ नहीं... वादा कीजिये।
मामाजी:= हा माधवी वादा.... मामाजी खुश होते हुए बोले।
रात के करीब 1 बजे किसी चीज के अहसास ने मेरी आखे खुली। कोई सोफे पे मेरे पास बैठा हुआ था। और वो मेरी चुचियो पे धीरे धीरे हाथ घुमा रहा था। हाल में पूरा अँधेरा था। मुझे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। मुझे लगा शायाद नानाजी है इसलिए मैं चुप चाप लेटी रही।और घर में बहोत मेहमान थे इसलिए मैंने कुछ भी बोलना सही नहीं समझा। लेकिन डर भी बहोत लग रहा था। पर मजे भी करने थे।
मुझे उनका टच आज अजनबी लग रहा था। मैंने आखे खोली और गौर से देखा तो वो.....""मामाजी"" थे। ओह गॉड ये क्या हो रहा है। मैंने झट से उनके हाथ को पकड़ा और उठ के बैठ गयी और ""मामाजी ये आप क्या कर् रहे हो?""
मामाजी:=( वो थोडा घबरा गए) वो माधवी तुम यहाँ सोफे पे सो रही थी तो मैंने तुम्हे जगाया लेकिन तुम बहोत गहरी नींद में थी तो मैं तुम्हे ठीक से सुला रहा था।
मैं:= हा वो शायद मैं टीवी देखते देखते सो गयी। अच्छा ठीक है मैं जाती हु ऊपर।
मामाजी:=क्या हुआ माधवी। मैंने तुम्हे छुआ तो अच्छा नहीं लगा तुम्हे? उस दिन तो जब बाबूजी तुम्हे छु रहे थे तुम्हे मजा आ रहा था? मामाजी ने मेरा हाथ पकड़ के धीमी आवाज में कहा।
मैं घबरा गयी।
मैं:= नहीं नहीं मामाजी ऐसा कुछ नहीं है अ वो अ...
मामाजी:= घबराओ मत माधवी मैं जानता हु बाबूजी कैसे है। और उस दिन वो तुम्हारे साथ क्या क्या कर रहे थे और तुम उनके साथ क्या क्या कर रही थी सब देखा मैंने। मैं तो बस तुम्हारी जवानी को एक बार छूना चाहता हु। जब से तुम यहाँ आयीं हो ये तुम्हारी बड़ी बड़ी चुचिया देख के पागल सा हो गया हु।
और आज जब तुम्हारी ये बड़ी बड़ी चुचिया तुम्हारी साँसों के साथ ऊपर निचे होते देखा तो मैं अपने आप को रोक नहीं पाया। प्लीज माधवी बस मुझे इन्हे आज जी भर के छु लेने दो मैं तुम्हे कभी दुबारा कुछ नहीं करूँगा।
मुझे खुद पे नाज होने लगा था। मेरी चुचियो को देख सिर्फ नानाजी ही नहीं मामाजी का ईमान भी डोल गया था। मैं तो थी ही प्यासी सोचा चलो आज नानाजी नहीं तो मामजी ही सही। मैंने घबराने का नाटक करते कहा...
मैं:= मामाजी वो उस दिन मैंने कुछ नहीं किया प्लीज ये बात आप किसी से कहियेगा मत।। मेरी बात सुनके उनका होसला बढ़ गया।
मामाजी:= नहीं बताऊंगा पर अगर तुम मुझे अपनी चुचियो के साथ जी भर के खेलने दोगी तो....
मैं:= मामाजी प्लीज मुझे शरम आ रही है।
मामाजी समझ गए की चिड़िया फंस गयी। पर उन्हें कोन बताये की चिड़िया ने आपको फसा लिया।
मामाजी := शरम की क्या बात है? तुम जवान हो मजे लो जवानी के खेल के।
मैं मन ही मन सोचने लगी...""इस जवानी के खेल का मजा लेने के लिए आपकी बेटी उतावली है। आज बिचारी तड़प तड़प के सो गयी और मैं यहाँ उसके बाप के साथ रंगरेलिया मनाने जा रही हु"""
मैं:=ठीक है मामाजी लेकिन सिर्फ छूना ही आगे कुछ नहीं... वादा कीजिये।
मामाजी:= हा माधवी वादा.... मामाजी खुश होते हुए बोले।