non veg story नाना ने बनाया दिवाना - Page 5 - SexBaba
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non veg story नाना ने बनाया दिवाना

नेहा ने खुद शांत करते हुए आखे बंद करली और लेट गयी। मैं भी कुछ बोल नहीं रही थी बस आखे बंद करके लेट गयी। नींद तो हम दोनों को नहीं आ रही थी। मैंने वाच देखा 11.30 बज चुके थे। मैंने नेहा से कहा "" चल निचे टीवी देखते है"" लेकिन उसने मना कर दिया। मुझे बिलकुल भी नींद नहीं आ रही थी। मैं उठ के निचे हाल में टीवी देखने लगी। और टीवी देखते देखते कब मेरी आँख लग गयी मुझे पता ही नहीं चला। मैं वही सोफे पे सो गयी।

रात के करीब 1 बजे किसी चीज के अहसास ने मेरी आखे खुली। कोई सोफे पे मेरे पास बैठा हुआ था। और वो मेरी चुचियो पे धीरे धीरे हाथ घुमा रहा था। हाल में पूरा अँधेरा था। मुझे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। मुझे लगा शायाद नानाजी है इसलिए मैं चुप चाप लेटी रही।और घर में बहोत मेहमान थे इसलिए मैंने कुछ भी बोलना सही नहीं समझा। लेकिन डर भी बहोत लग रहा था। पर मजे भी करने थे।

मुझे उनका टच आज अजनबी लग रहा था। मैंने आखे खोली और गौर से देखा तो वो.....""मामाजी"" थे। ओह गॉड ये क्या हो रहा है। मैंने झट से उनके हाथ को पकड़ा और उठ के बैठ गयी और ""मामाजी ये आप क्या कर् रहे हो?""
मामाजी:=( वो थोडा घबरा गए) वो माधवी तुम यहाँ सोफे पे सो रही थी तो मैंने तुम्हे जगाया लेकिन तुम बहोत गहरी नींद में थी तो मैं तुम्हे ठीक से सुला रहा था।
मैं:= हा वो शायद मैं टीवी देखते देखते सो गयी। अच्छा ठीक है मैं जाती हु ऊपर।
मामाजी:=क्या हुआ माधवी। मैंने तुम्हे छुआ तो अच्छा नहीं लगा तुम्हे? उस दिन तो जब बाबूजी तुम्हे छु रहे थे तुम्हे मजा आ रहा था? मामाजी ने मेरा हाथ पकड़ के धीमी आवाज में कहा।
मैं घबरा गयी। 
मैं:= नहीं नहीं मामाजी ऐसा कुछ नहीं है अ वो अ...
मामाजी:= घबराओ मत माधवी मैं जानता हु बाबूजी कैसे है। और उस दिन वो तुम्हारे साथ क्या क्या कर रहे थे और तुम उनके साथ क्या क्या कर रही थी सब देखा मैंने। मैं तो बस तुम्हारी जवानी को एक बार छूना चाहता हु। जब से तुम यहाँ आयीं हो ये तुम्हारी बड़ी बड़ी चुचिया देख के पागल सा हो गया हु।
और आज जब तुम्हारी ये बड़ी बड़ी चुचिया तुम्हारी साँसों के साथ ऊपर निचे होते देखा तो मैं अपने आप को रोक नहीं पाया। प्लीज माधवी बस मुझे इन्हे आज जी भर के छु लेने दो मैं तुम्हे कभी दुबारा कुछ नहीं करूँगा।

मुझे खुद पे नाज होने लगा था। मेरी चुचियो को देख सिर्फ नानाजी ही नहीं मामाजी का ईमान भी डोल गया था। मैं तो थी ही प्यासी सोचा चलो आज नानाजी नहीं तो मामजी ही सही। मैंने घबराने का नाटक करते कहा...
मैं:= मामाजी वो उस दिन मैंने कुछ नहीं किया प्लीज ये बात आप किसी से कहियेगा मत।। मेरी बात सुनके उनका होसला बढ़ गया।
मामाजी:= नहीं बताऊंगा पर अगर तुम मुझे अपनी चुचियो के साथ जी भर के खेलने दोगी तो....
मैं:= मामाजी प्लीज मुझे शरम आ रही है।
मामाजी समझ गए की चिड़िया फंस गयी। पर उन्हें कोन बताये की चिड़िया ने आपको फसा लिया।
मामाजी := शरम की क्या बात है? तुम जवान हो मजे लो जवानी के खेल के।
मैं मन ही मन सोचने लगी...""इस जवानी के खेल का मजा लेने के लिए आपकी बेटी उतावली है। आज बिचारी तड़प तड़प के सो गयी और मैं यहाँ उसके बाप के साथ रंगरेलिया मनाने जा रही हु"""
मैं:=ठीक है मामाजी लेकिन सिर्फ छूना ही आगे कुछ नहीं... वादा कीजिये।
मामाजी:= हा माधवी वादा.... मामाजी खुश होते हुए बोले।
 
मामाजी ने मेरे टॉप के अंदर हाथ डाला और ब्रा के उपर से चुचिया मसलने लगे।
मामाजी:= अहह माधवी बहोत अछि है उम्म्म
मैं:= थैंक यू ... हम फुसफुसा कर ही बात कर रहे थे।मन में तो बहोत डर लग रहा था की कोई देख ना ले पर दूसरा मन ये कहता कुछ नहीं होगा।
मामाजी मेरी चुचिया अब ब्रा के अंदर से हाथ डालके बारी बारी दबा रहे थे।
मैं आखे बंद करके सोफे अपनी पीठ टिका के बैठी हुई थी।
मामाजी मेरे नजदीक आके मेरे गालो पे किस्स करते हुए बोले""" माधवी ब्रा के हुक खोल दू?"""
मैं:=उम्म्म्म आह्ह्ह मामाजी आपने तो आग भड़का दी मेरे अंदर अब आप जो चाहे वो कीजिये पर इस आग को ठंडी कीजिये।

मामाजी:= उम् ठीक है मेरी जान ....
मामाजी ने मेरे ब्रा के हुक खोल दिए और उसे निचे सरका दिया। अब मेरी चुचिया आजाद थी। वो उसे जोर जोर से भींचने लगे और मेरे गले पे गालो पे होठो पे किस करने लगे। मैं भी उनका साथ देने लगी। फिर वो मेरे निप्प्ल्स को मुह में लेके चूसने लगे। और अपना हाथ मेरी चूत की तरफ बढ़ाने लगे।
मैं:= हा मामाजी उम्म्म उफ्फ्फ बहोत अच्छा लग रहा है अह्ह्ह्ह और चूसिये ना अह्ह्ह उम्म्म 
मामाजी मेरी चूत पैंट के ऊपर से ही रगड़ रहे थे। मुझसे रहा नहीं गया मैंने उनका हाथ पकड़ा और अपने नाईट पैंट के अंदर घुसा दिया और उनका हाथ अपने चूत पे रगड़ने लगी।

मामाजी:= उफ्फ्फ्फ़ माधवी अहाह्ह्ह तुम तो बहोत उतावली हो रही हो अह्ह्ह उम्म्म उफ्फ्फ तुम्हारी चूत से गरम गरम भाप निकल रही है...

मैं:=( जोर जोरसे साँसे लेती हुई) अहह हा मामाजी उम् मेरी उफ़्फ़सीसीसी अहह चूत में सच में अह्ह्ह सीसीसी आग लगा दी है एअह्ह्ह्ह् आपने उम्म्म
मामाजी मेरी चूत को बीच वाली उंगली से रगड़ने लगे और मेरी चुचिया जी भर के मुह में लेके खाने लगे। अह्ह्ह्ह। वो मेरी चूत में उंगली डालने लगेअह्ह्ह्ह्मेरि तो चूत और भी तड़पने लगी थी मैंने पैर जमींन पे रखा और गांड को थोडा हवा में लेके गई जिससे मामाजी को मेरी चूत में उंगली घुसाने को आसानी हो गयी। वो अब तेज तेज उंगली अंदर बाहर करने लगे मैं अह्ह्ह्ह स्स्स हां और और हा बहोत अच्छा लग रहा है अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उईईईमाआआउम्म्म करते हुए अपनी गांड को और ऊपर उठा उठा के उनकी उंगली को चूत में लेने लगी।

वो भी अपनी पसंदीदा चुचियो मस्त चूसे जा रहे थे। मैं ज्यादा देर तक टिक नहीं पायी और अपनी गांड धड़ाम से सोफे पे पटक के झड़ने लगी। मामाजी को ये बात समझ आ गयी उन्होंने अपना हाथ बाहर निकाला और मुझे गालो पे किस्स करते हुए कहा....
मामाजी:= हो गयी तुम्हारी आग ठंडी? अब जरा इसे भी ठंडा कर दो ना....उन्होंने मेरा हाथ अपने लंड पे रखते हुए कहा।
 
मैंने देखा उनका लण्ड धड़ धड़ करके उड़ रहा था। नानाजी जितना बड़ा नहीं था पर छोटा भी नहीं था।
मैंने उसे पैंट के ऊपर से थोड़ी देर सहलाया। फिर मामाजी को पैंट निचे करने को कहा। मैंने उसे हाथ में पकड़ा उम्म्म्म बोहोत गरम था। मेरी मुट्ठी में समां रहा था नहीं तो नानाजी का लंड ना ही हाथ में पकड़ा जाता है और नाही मुह में ठीक से बैठता है। पूरा मुह दर्द करने लगता है। मैं उसे ऊपर निचे कर रही थी उसके प्रीकम को हाथो से पुरे लंड पे फैला रही थी। मैंने उसका प्रीकम टेस्ट करने के लिए हाथ अपने जुबान तक लाया और उसे चाटने लगी तो मामजी बोल पड़े...
मामाजी:= उम् ऐसे नहीं माधवी सीधा मुह लगा के टेस्ट करो मजा आएगा।
मैं:=(मन में) हा मामाजी ओ भी करुँगी मुझे पता है लंड का पानी कैसे टेस्ट करते है।
मैंने मामाजी का लंड निचे झुक के मुह में भर लिया। अह्ह्ह्ह्ह ऊऊऊओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़् माधवी मामाजी के मुह से आह निकल गयी।
उम्म्म्म सच में मामाजी का लंड मुझे बड़ा पसंद आया मैं उसे अपने मन मुताबिक चूस सकती थी। मैं उसके साथ जुबान से खेलने लगी। उसे चाट चाट के गिला गिला कर दिया। उम्म्म्म्म"" मामाजी अह्ह्ह्ह बहोत अच्छा है आपका लंड अह्ह्ह्ह"""
मामाजी मेरी पीठ से हाथ निचे ले जा के मेरी गांड के छेद को छेड़ने लगे अह्ह्ह उनके ऐसा करने से मुझमे एक अलग सी लहर दौड़ने लगी। 
मैं:= उम्म्म मत कीजिये ना मामाजी....मेरी चूत फिर से फड़फड़ाने लगी है अह्ह्ह्ह
मामाजी:= कोई बात नहीं...अभी उसे ठीक किये देते है।
मामाजी ने मेरी पैंट निकाल दी और मुझे सोफे पे लेटा दिया और उनका लंड मेरी मुह के पास लाके और अपना मुह मेरी चूत के पास ले जा के वो भी सोफे पे लेट गए।
मैंने गप से उनका लंड मुह में लेके चूसने लगी और उसे मुट्ठी में पकड़ के हिलाने लगी। मामाजी भी मेरी चूतको चाटने लगे । वो ऊपर मेरी चूत चाट रहे थे और निचे एक उंगली घुसा के मेरी चूत चोद रहे थे। मैंने उनको नीचे किया और मैं उनके उपर से आ गयी और उनका लंड मुह में भरके ऊपर निचे करने लगी.
 
 
मैं तेजी से उनका लंड चूस रही थी और अपनी चूत उनके मुह पे तेजी से रगड़ने लगी। फिर उन्होंने मुझे निचे किया और वो ऊपर आ गए। ऐसेही हम एक दूसरे को ऊपर निचे करते करते झड़ गए। मैंने उनका सारा पानी अपने मुह में ही लिया।वो भी मेरा सारा पानी पी गए। मुझे तो बहोत इच्छा हो रही थी की चुदवा लुँ उनसे। पर मन में कहा नहीं मेरी चूत में पहला लंड जाएगा तो वो नानाजी का। हमने कपडे पहने एक दूसरे को किस्स किया। 
मामाजी:= माधवी प्लीज चोदने दो ना। बड़ा मन कर रहा है।
मैं:= नहीं मामाजी आप कैसी बाते कर रहे है? आपने सिर्फ चुचियो को छूने की बात की थी पर आपने चूत भी चाटी और लंड भी चुसवाया। अपना वादा मत तोडिये।
मामाजी:= ठीक है ठीक है....पर कभी अपने मामा से चुदवाने का मन किया तो जरूर बताना।
मैं:= हा ठीक है।..... फिर मैं ऊपर आ गयी रूम में देखा तो नेहा नहीं थी। बाथरूम में भी नहीं थी।
मेरा माथा ठनका.... मैं नीरज के रूम में गयी और खिड़की से बाहर देखा तो मैं दंग रह गयी......
 
नेहा और मेरे पापा" दोनों रजाई में एक दुसरे से चिपक के सो रहे थे। मैं ये देख के दंग रह गयी। उनके चहरे से पता चल रहा था की अभी अभी दमदार सेक्स सेशन हुआ है और वो आराम कर रहे है। मुझे बहोत अजीब लगा। पर अगले पल दिमाग में वो बात आयी जो अभी अभी मैं नेहा के पापा के साथ करके आयीं थी। सोचा चलो अच्छा है नेहा को आखिर लंड तो मिला।

मुझे बहोत नींद आ रही थी सो मैं सोने चली गयी। सुबह नेहा ने मुझे जगाया।

नेहा:= माधवी उठ ना ..... चल जल्दी हमें महाबलेश्वर जाना है। चल उठ।

मैं:=महाबलेश्वर? ये कब तय हुआ?( मैंने आखे मसलते लेटे लेटे ही पूछा)

नेहा:= वो काका ने कहा की चलो तुम लोग भी वहा दिन भर घूमना शौपिंग करना रात को रुकेंगे और कल वो हमें यहाँ लाके छोड देन्गे।

मैं:= हा हा घूमेंगे फिरेंगे और रात कों तू उनसे मस्त चुदवायेगी नहीं?

नेहा को मेरी बात को कोई आश्चर्य नहीं हुआ उल्टा वो बेशर्मी से बोली...

नेहा:= हा वो भी कर लुंगी... तू चल जल्दी।

मैं:= साली कामिनी नानाजी नहीं मिले तो मेरे पापा को ही फसा लिया तूने।

नेहा:= हा यार बस हो गया...

मैं:= तू ना बहोत चालु है... बता जल्दी क्या क्या हुआ?

नेहा:= वो सब बाद मे बताउंगी.... तू चल जल्दी कर।

मैं:= मैं नहीं आ रही तू वहा मस्त चुदवायेगी और मैं क्या मंजीरे बजाऊ?

नेहा:= मेरी जान तूने क्या अपनी बहन को इतना मतलबी समझा है? मैंने नानाजी की तबियत का बहाना बना के उनको भी अपने साथ चलने को कह दिया।

मैं:= सच? नानाजी आ रहे है?

नेहा := हा ...। तू उनके साथ मजे करना मैं काका के साथ। अब जल्दी कर उठ।

मैं:= हा मेरी माँ....सॉरी सॉरी मेरी सौतेली माँ।
 
ये बात सुनके नेहा और मैं दोनों हँसने लगे। मैं पटापट तैयार हुई और हम सब महाबलेश्वर के लिए निकल गए। वहा दिन भर हमने बहोत मस्ती की। पापा उनकी मीटिंग में बिजी थे। शाम को जब हम होटल पहोंचे तो पापा का मेसेज था वो डिनर के बाद 9 बजे आएंगे।

फिर मैंने नेहा को पकड़ा और बोला बता अब क्या क्या हुआ रात को?

नानाजी:=रात को क्या हुआ?

मैं:= आप नहीं जानते नेहा ने क्या किया है नानाजी....इसने आपके दामाद को ही फसा लिया और रात को मस्त चुदी है उनसे।

नानाजी:= क्या??? तुम सच कह रही हो?

नेहा:= हा दादाजी ...वो आ बस हो गया।

मैं:= चल अब डिटेल में बता

नेहा:==== अरे तू जब निचे गयी तो थोड़ी देर बाद मैं भी निचे आने के लिए निकली तो मैंने देखा की काका छत पे टहल रहे थे। उन्होंने मुझे देखा तो पूछ ने लगे"" अरे नेहा क्या हुआ ? सोई नहीं अब तक? माधवी सो गयी क्या?""

मैं:=वो काका माधवी निचे है उसीको बुलाने जा रही थी। नींद नहीं आ रही। आप सोये नहीं?

काका:= नहीं बस खुली हवा का मजा ले रहा हु।

मैं फिर उनसे बात करने को चली गयी और उनके साथ टहलते हुए बात करने लगे।

काका:=और बताओ अगले साल ग्रेजुएशन हो जाएगा फिर क्या करने वाली हो पढाई करोगी आगे या शादी? अगर कोई देख रखा है तो बताना मुझे मैं हेल्प करूँगा तुम्हारी।

मैं:= नहीं काका ऐसी कोई बात नहीं।

काका:= चलो अच्छा है।
 
फिर हम एक जगह दिवार से सट के खड़े हो गए। उन्होंने मेरे कंधो पे हाथ रखा। वो तो हमेशा ही रखते है पर रात को एक तो मेरी चूत में खलबली मची हुई थी। और फिर एक मर्द का स्पर्श उफ्फ्फ मेरी आग फिर भड़कने लगी थी। लेकिन मैंने अपने आप को कण्ट्रोल किया हुआ था।

काका:=तुम चिंता मत करो मैं तुम्हारे लिए एक से एक अच्छे लडके ढूंढ के लाऊँगा।

नेहा:= ठीक है लेकिन अपने जैसा ही ढूंढना।

काका:= वो क्यू? मैं तुम्हे इतना अच्छा लगता हु?

मैं:= हा ... मैं जब भी शादी के बारे में सोचती हु तो आप जैसे लडके के बारे में ही सोचती हु।.... मैं बोल गयी।

काका ये सुनके बहोत खुश हुए। वो अब मुझे कुछ अलग नजरो से देखने लगे। मैं ये बात समझ गयी।

काका:= तो मुझसे ही कर लो शादी।

मैं:= हा ठीक है आप मौसी को मना लो मै तैयार हु।

ये सुनके हम दोनों हँसने लगे। काका ने अब मेरे कंधे और बाह सहलाना सुरु कर दिया था। शायद उनको मेरी बातो से उत्तेजना होने लगी थी। उनका पैंट में उनके खड़े होते हुए लंड का उभार दिख रहा था। अब मेरी भी हालात खराब होने लगी थी। मन में तय कर लिया की अगर काका भी यही चाहते है तो मैं मना नहीं करुँगी।


काका:= मौसी को मनाने की क्या जरुरत है हम भाग चलते है।

मैं:= ठीक है मैं कपडे लाती हु...।ऐसा बोल के मैं जाने के लिए आगे बढ़ी तो उन्होंने मुझे पकड़ना चाहा लेकिन मेरे बाह को पकड़ते पकड़ते उनका हाथ मेरी चूची को लग गया।

काका:= हा हा हा तुम तो बिलकुल तैयार हो।

नेहा:= हा मैं तो तैयार ही हु बस आप देर कर रहे हो।

मैंने कुछ ऐसे कहा की उन्हें समझ जाय की मैं किस बारे में बात कर रही हु। और उनको समझ भी गया। अब वो उन्होंने अपना हाथ मेरी कमर पे रख दिया था। मैंने कुछ नहीं कहा तो उनका हौसला बढ़ गया। वो धीरे धीरे मेरे पेट और कमर को सहलाने लगे। मैं आगे कुछ बोल पाती की कही एक चूहा मेरे पैरो पर से गया मैं घबरा के पलट के उनके सिने से चिपक गयी। उनका लंड और मेरी चूत आपस में टकरा गए। उनका लंड खड़ा था।उम्म्म्म्म मेरी चूत अब पनियाने लगी थी। मै वापस अपनी जगह आके खड़ी हो गयी।
 
काका:= अरे तुम एक चूहे से डर गयी।

मैं:= हा कितना बड़ा था वो चूहा।... मैंने उनके लंड की तरफ देखते हुए कहा। काका को अब यकींन हो गया था की मैं उनसे क्या चाहती हु।

काका:= हा बड़ा तो था... पर बेचारा इतना इधर उधर उड़ इसलिए रहा है क्यू की उसे अपने बिल की तलाश है।..... ऐसा बोल के काका ने मेरी कमर दबाई।

मैं:= तो जाए ना बिल में रोका किसने है? क्या पता बिल भी यही चाहता हो की चूहा जल्दी से अंदर आ जाय।

काका:=हा लेकिन उसे बिल दिखे तो अंदर जाय।.... काका ने अपना हाथ अब साइड से मेरी गांड को टच कर रहा था।

मैं:= पर काका इतना बड़ा चूहा इतने छोटे बिल में कैसे जाएगा? उसे दर्द नहीं होगा?

काका:= सुरु में होगा फिर तो मजे ही मजे है।

मैं:= तो आज देखते है ना चूहे को बिल में उतार के।

काका:= उसके लिए तुम्हे चूहे को पकड़ना होगा पहले।

मैं:= लेकिन मैं कैसे?

काका:=( मेरा हाथ पकड़ के अपने लंड पे रखा) ये लो पकड़ो अपने चूहे को।

मैंने शरमाते हुए अपना हाथ पीछे किया।

मैं:= उए तो आपका पर्सनल चूहा है।

काका:=हा ...तो उतार लो ना इसे अपने बिल में।

मैं:= काका आप क्या बोल रहे है?

काका:=मुझे पता है तुम ऐसे अपने बिल में लेने के लिए उतावली हो रही हो। और तुम्हारी बातो ने और तुम्हारी जवानी की खुशबु ने पागल कर दिया है।

मैं:= वो तो मैं.. मैं...

मेरी बात पूरी होने से पहले ही उन्होंने मुझे जकड लिया। अपने दोनों हाथो से मेरी गांड के दोनों फाको को पकड़ के और खुद थोडा निचे झुक के अपना लंड मेरी चूत पे रगड़ते हुए बोले""मैं मैं क्या? मुझे पता है तुम जवानी का मजा लेने के लिए उतावली हो रही हो। ओह्ह्ह्ह नेहा मैंने कभी नहीं सोचा था की मैं तुम्हारे साथ ये सब करूँगा।
 
मेरी आखे बंद हो गयी थी। मैं मदमस्त हुए जा रही थी। फिर काका मुझे बाहो में पकड़ के किस किये जा रहे थे। मैं भी उनका साथ देने लगी थी। काका ने पूछा"" नेहा माधवी आ गयी तो?"" मैंने कहा""वो अकेली नहीं आएगी इधर अँधेरे से डरती है वो"" ।थोड़ी ही देर में हमारे सारे कपडे उतर चुके थे। हम एक दूसरे के प्रत्येक अंग को चूमे जा रहे थे। फिर काका मेरी चूत चाट रहे थे और मैं उनका लंड।

मुझसे रहा नहीं जा रहा था मैंने हापते हुए कहा"" ओह्ह्ह्ह काका प्लीज अब डाल भी दीजिये ना अपना लंड अह्ह्ह बर्दाश्त नहीं होता अब।"" फिर काका ने मेरी चूत में अपना लंड डालना सुरु किया। काका का लंड नानाजी जितना बड़ा नहीं था और मेरी चूत भी काफी गीली थी इसके वजह से मुझे ज्यादा दर्द नहीं हो रहा था। पर जब उन्होंने झटके से अपना लंड मेरी चूत में घुसेड़ा तो मैं चीख पड़ी।


काका को भरपूर मजा मिल गया। फिर उन्होंने मुझे सीधा लिटा दिया। मेरी चूत में उन्होंने पूरा लंड पेल दिया और जल्दी जल्दी चोदने लगे। मेरी 36” की चूचियां बार बार उपर नीचे जाने लगी और डिस्को डांस करने लगी। काका मेरी चूत का केक अपने लंड रूपी चाक़ू से काट रहे थे। मैं चुद रही थी। काका ने मेरी कमर को दोनों हाथों से पकड़ रखा था। वो मेरे जिस्म की खूबसूरती को नीचे से उपर तक निहार रहे थे और मुझे पेल रहे थे। मैं “उ उ उ उ उ……अअअअअ आआआआ… सी सी सी सी…..
ऊँ—ऊँ…ऊँ….” की आवाज निकाल रही थी। मैं गहरी गहरी सिस्कारियां ले रही थी। मुझे अजीब सी बेचैनी हो रही थी। मेरे चूचियां उपर नीचे जल्दी जल्दी हिल रही थी और बहुत खूबसूरत लग रही थी। मैंने बिस्तर की चादर को मुठी में कस रखा था।

“….उंह उंह उंह…..अई…अई….अई काका आराम से चोदो। दर्द हो रहा है। जल्दी क्या है। पूरी रात अपनी है…आराम से” मैंने कहा। उसके बाद काका आराम आराम से मुझे चोदने लगे। कुछ देर बाद मैं अपनी कमर उठाने लगी। मुझे अजीब सी बेचैनी हो रही थी। वासना और सेक्स की आग में मैं जल रही थी। चुदाते चुदाते मेरी आँखों में जलन हो रही थी। मेरा गला भी सुख रहा था। काश मेरे मुंह में कोई १ घूंट पानी डाल देता। फिर काका ने मेरे सेक्सी पतले छरहरे पेट पर हाथ रख दिया और सहला सहला कर मुझे चोदने लगे। 

मेरे चेहरा अजीब तरह से बन गया था। मेरे गाल पिचक गये थे। मेरे दोनों भवे आपस में जुड़ गयी थी। मेरे मुंह से “आऊ…..आऊ….हमममम अहह्ह्ह्हह…सी सी सी सी..हा हा हा..” की आवाज आ रही थी। जैसे मैं कोई तेज मिर्ची खा रही थी और सी सी की आवाज निकाल रही थी। काका का लंड अब बड़ी आराम से मेरी चूत में दौड़ रहा था। अब मेरी चूत रवां हो गयी थी। उसका रास्ता बन गया था। काका का लंड मेरी चूत के आखिरी किनारे तक जा रहा था। मुझे भरपूर यौन सुख की प्रप्ति हो रही थी। कभी मैं बेचैनी से ऑंखें बंद कर लेती थी तो कभी खोल लेती थी। सिर्फ काका को ही ताड़ रही थी। मेरी चूत में उनका लौड़ा पिघल रहा था। मैं अच्छे से जानती थी आज रात काका मुझे चोद चोदकर मेरी रसीली बुर फाड़ देंगे और मुझे एक असली रंडी बना देंगे। फिर काका मेरे उपर झुक गये और जल्दी जल्दी कमर घुमाने लगे। मेरी चूत में जल्दी जल्दी उनका लंड जाने लगा। चट चट की आवाज मेरी चूत से आने लगी जैसे बच्चे ताली बजा रहे हो।

15 मिनट बाद काका ने मुझे कुतिया बना दिया और मेरे खूबसूरत पुट्ठे सहलाने और चूमने लगे। मुझे सुरसुरी सी हो रही थी। काका आज अपनी जवान बेटी की उम्र की लड़की को देखकर वासना में अंधे हो गये थे। उनको किसी तरह की कोई शर्म नही आ रही थी। वो बड़ी देर तक मेरे गोल मटोल पिछवाड़े और गांड को चूमते रहे। और फिर अपना मोटा लंड मेरी चूत में घुसाकर पेलने लगे।
 
वो धीरे धीरे अपना लंड मेरी चूत में आगा पीछे करने लगे। मेरा दर्द गायब हो चूका था। मैं उन्हें जोर से चोदने को कह रही थी।काका अब मुझे पूरी ताकत से चोदे जा रहे थे।मैं अह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उईईमआ उम्म्मएअह्ह्ह्ह् जोर से और चोदो अह्ह्ह मजा आ रहा है उम्म्म्म अह्ह्ह धीरे अह्ह्ह और और ऊऊओऊ उम्म्म ऐसे बोल।के उनका जोश बड़ा रही थी। वो लगातार आधा घंटा मिझे अलग अलग पोजीशन में चोदते रहे मैं दो बार झड़ चुकी थी। फिर वो भी अपना सारा पानी मेरी चूत में छोड़ के मुझ पर ही सो गए। थोड़ी देर बाद मैंने उनका लंड जो की उनके और मेरे चूत के पानी से लबरेज था उसे चाट के साफ़ किया उम्म्म्म्म बहोत अच्छा था वो टेस्ट।

* * * * * * * * * * * * * * * * * * थोड़ी देर आराम करके फिर से उन्होंने मुझे चोदा। इस बार की चुदाई तो और भी दमदार थी।मेरी चूत का कोना कोना उनके लंड ने चोद डाला था। करीब 4 बजे हम दोनों सो गए।

माधवी मैं क्या बताउ यार अभी तक उनके लंड का एहसास मेरी चूत को हो रहा है। कल रात को ही हमने ये आज का प्लान बना लिया था। मैं उन्हें बोलूंगी की तुम दोनों को मैंने नींद की गोली दे दी है। फिर मैं उधर मजे करुँगी और आप लोग यहाँ।

मैं:= ह्म्म्म क्या बात है यार ... मान गए तुझे तो।

नानाजी:= ओह्ह्ह मरे लंड के नशीब में ही नहीं था शायद तुम्हारी चूत में पहली बार जाना।

नेहा:=तो क्या हुआ आपकी प्यारी माधवी की चूत में तो पहला लंड आपका ही जानेवाला है आज।

नानाजी:= हा वो तो है। मैं तो आज ही इसकी जमके चुदाई करूँगा वरना क्या पता ये भी किसी और से चुदा ले और मैं सिर्फ देखता ही रहू।

ये सुनके हम सब हंस पड़े और डिनर के लीये निकल गए।
 
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