non veg story नाना ने बनाया दिवाना - Page 7 - SexBaba
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non veg story नाना ने बनाया दिवाना

मैं पागलो की तरह ऊपर निचे बैठ रही थी आऔऊऊ ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् 7म्म्म्मम्म्म्मम्म आआआआआआआ मर गयी माआआआ मर गयी अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ऐसी आवाजे मेरे मुह से निकल रही थी। दर्द और मजा का अनोखा संगम मैं मेरे जहन में महसूस कर रही थी।आखिर वो पल आ ही गया और मैं नानाजी की जांघो को पकड़ लिया और झड़ने लगी। नानाजी का नहीं हुआ था। पर सच पूछो तो अब मुझसे उनका लंड अपनी चूत में सहन नहीं हो रहा था।

नानाजी ने मुझे निचे लिटाया और मेरी चूत में लंड दाल दिया। और वो उसे आगे पीछे करने लगे। मेरी चूत और उनका लंड बहोत गीले थे। जिससे उनका लंड अब आसानी से अंदर बाहर हो रहा था।

मैं :~ आआह्ह्ह्ह्ह्ह् नानाजी उम्म्म्म अब खत्म कीजिये ना अह्ह्ह्ह्ह सीक्वव।

नानाजी:~नहीं हो रहा है माधवी एक काम करता हु तुम्हारी गांड के छेद पे घिसता हु और मुठ मारके पानी निकालता हु। घबराओ नहीं गांड में लंड नहीं डालूँगा।

मैं लेटे लेटे ही पैरो को पकड़ा और गांड उनके लंड के सामने कर दी। वो अपना लंड गांड और चूत के छेद पे रगड़ते हुए मुठ मारने लगे। वो इस अदा से अपना लंड रगड़ रहे थे की मैं फिर इत्तेजित हो गयी। उन्होंने मेरी गांड का छेद बहोत ही गिला कर दिया था। वो अपने लंड का सुपाड़ा मेरी गांड के छेद धीरे से सरका दिया और एक हाथ से मेरी क्लिट मसलने लगे और दूसरे हाथ से मुठ मारने लगे।

नानाजी:= अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म माधवी उफ्फ्फ्फ्फ्फ क्या मस्त लग रहा है तुम्हारी गांड में अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ज्ज्ज् मेरा पानी छुटने वाला है अह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म

मैं:~ अह्ह्ह्ह हा नानाजी उम्म्म्म मुझे भी बहोत अच्छा लग रहा है उम्म्म्म्म मेरा भी होने वाला है अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह रगड़िये मेरी चूत उम्म्म्म


नानाजी ने अपना पूरा पानी मेरी गांड में छोड़ दिया।
 
मेरा भी दम निकल चूका था। हम दोनों निढाल हो के बेड पे जोर जोर की साँसे लेते हुए 10 min तक बिना बोले लेटे रहे।
जब हम दोनों नार्मल हुए तो तो एकदूसरे को गले लगा लिया। 
मैं :~ नानाजी आज की रात मैं कभी नहीं भूल पाउंगी।
नानाजी:~ मैं भी नहीं मेरी जान।
हम एकदूसरे को किस्स करने लगे। मैंने देखा रात के 2 बज गए थे।
मैं:~ नानाजी ये नेहा तो बहोत ही चुदवा रही है आपके दामाद से।
नानाजी:~ ह्म्म्म्म हा करने दो ऐश दोनों को।
मैं:~ लगता है उसकी चूत की आग पापा का लंड ठंडा नहीं कर पा रहा। उसे तो आपका ये लंड ही ठंडा कर सकता है।
नानाजी:~ देखते है कल उसे भी ठंडा कर देंगे।
मैं:~कहो तो अभी बुला लू?
नानाजी:~मेरी जान लोगी क्या अब?? नेहा को अब कल ही देखेंगे।
मैं उठने की कोशिश की तो मुझसे उठा भी नहीं जा रहा था।मैंने नानाजी को बताया तो उन्होने उनकी कमर के मालिश का तेल लिया और मेरी चूत के आस पास और पैरो में लगा दिया।जिससे मुझे काफी हद तक राहत हुई। मैं उठी और दरवाजा खोल दिया। और फिर हमने कपडे पहने और अलग अलग बिस्तर पे सो गए।

दूसरे दिन सुबह जब आँख खुली तो देखा तो सब लोग उठ चुके थे और निकलने की तैयारी करने लगे थे। नेहा पता नहीं कब आयी रात में। मैं भी तैयार होने लगी। फिर हमने रेस्टॉरेन्ट में जाके नाश्ता किया और घर की ओर निकल पड़े। हम चारो बहोत थके थके लग रहे थे। लेकिन मैं और नेहा हँसी मजाक करने लगे तो सब थोड़े नार्मल हो गए।

हम घर पहोंचे खाना खाया और फिर रूम में जाके आराम करने लगे।

जैसे हम रूम में पहोंचे नेहा ने मुझे पकड लिया और पूछने लगी"" माधवी बता ना क्या क्या हुआ रात को?""

मैं ने उसे पूरी बात बतायी और उससे पूछने लगी""अब तू बता तूने क्या क्या किया?""

नेहा:~ अरे चुदाई में होता क्या है? चूत में लंड डालो और पेलते रहो।
 
मैं:~ तूने कुछ मेरे बारे में तो नहीं बताया ना?

नेहा:~ अरे नहीं पागल है क्या? लेकिन यार एक बात बताऊ तूने जो बताया ना वो सुनके मुझे ऐसा लग रहा है की तूने मुझसे ज्यादा मजा किया।

मैं:~ हा तो क्या हुआ आज तू करले।आज तो मुझमे बिलकुल भी ताकत नहीं की मैं चुदाई सह सकु।

नेहा:~ अरे यार मेरी भी तो हालात ऐसे ही है। आज तो मुझसे भी कुछ नहीं होगा।

हमने थोड़ी देर ऐसे ही बाते की और सो गयी। शाम को उठ के फ्रेश हो निचे गयी तो देखा नानाजी भी खेतो में नहीं गए थे। वो भी बहोत थके थके लग रहे थे। उस रात को कुछ नहीं हुआ हम सब आराम से सो गए.

दूसरा दिन हमेशा की तरह गुजरा। शाम को हम खेतो में गए। नानाजी हमारा वेट कर रहे थे। हम तीनो घूमते हुए ठंडी ठंडी हवा का मजा लेने लगे।

नेहा:~ तो दादाजी आखिर आम को पका ही डाला आपने।

नानाजी:~ हा क्या करता बेटी मौसम ही कुछ ऐसा है। अब तो तरबूज खाने है रात को.... नानाजी ने नेहा के गांड पे हाथ फिराते हुए कहा। "कहीँ मेरे दामाद ने तरबूजो का मजा तो नहीं चखा ना रातको?

नेहा:~ नहीं दादाजी आप फिकर मत कीजिये आपके लिए तरबूजो को संभाल के रखा है। आप के दामाद भी पीछे पड़े थे पर मैंने मना कर दिया।

दादाजी:~ ह्म्म्म्म चलो आज तुम्हारे तरबुजो का मजा लेंगे।

मैं:~ तो अभी ले लोजिये ना नानाजी रात तक का क्यू इंतज़ार करना?

नेहा:~ नहीं नहीं अभी नहीं रात को ही ले लेना।
 
मैं:~अरे रात को क्या और अब क्या....क्या फरक पड़ता है? रात को जागने का काम नहीं। देख जरा रात को जाग जाग के मेरी आखो मे डार्क सर्किल हो गए है।

नेहा:~चुप कर कमिनी तुझे बड़ी जल्दी हो रही है मेरी गांड फड़वाने की।

मैं:~ही ही ही मुझे कहा जल्दी है? मैं तो नानाजी के खातिर बोल रही थी।

नेहा:~ हा क्या? इतना ही है तो तू देदे अपनी गाँड तेरे प्यारे नानाजी को।

मैं:~ नही रे बाबा मुझे नहीं देनी।

नेहा:~क्यू अब क्या हुआ?

नानाजी:~चुप बैठो तुम दोनों .... रात को ही करेंगे आराम से।

मैं:~ हा नानाजी वो तो हम बस ऐसे ही मजाक् कर रहे थे।

रात के खाने के बाद हम सब टीवी देख रहे थे। मामाजी मुझपे और नेहा पे किसी जासूस की तरह नजर गड़ाये हुए थे। वो हमारी हर बात नोट कर रहे थे। मैंने नेहा के कान में कहा की मामाजी को शायद शक हो गया है। वो घबरा गयी। उसने मुझे तुरंत ऊपर ले गयी। मैंने उसे मामाजी वाली बात बता दी।

नेहा:~ अरे यार ये तो बड़ी मुसीबत हो गयी...अगर उन्होंने हमें पकड़ लिया तो मुसीबत हो जायेगी।

मैं:~ कुछ नहीं होगा।अगर वो आ भी गए तो मैं सभाल लुंगी उनको।

नेहा:~ हाय रे मेरी जान बड़ी बहादुर हो गयी है तू तो।पर मेरे पापा की भी नजर तुझपे है ये मैंने कभी एक्सपेक्ट नहीं किया था।

मैं:~ मैं भी चौक गयी थी उस दिन।

उतने में रितेश का फ़ोन आया। नेहा ने फिर से उसे कटा दिया।

नेहा:~जब सच्ची वाली चुदाई होने वाली है तो ये फ़ोन वाली कौन करना चाहेगा?

मैं:~ नेहा बिचारे को क्यू तड़पा रही है ले ले उसका भी।

नेहा:~ हा यार मैं भी यही सोच रही हु। पर अभी तो कॉलेज सुरु होने में काफी दिन बाकी है।

मैं:~तो क्या हुआ बुला ले उसको खेतो में।

नेहा:~देखते है फिलहाल तो दादाजी का लेने के लिए तड़प रही हु।

मै:~हा यार मुझे भी अब रहा नहीं जा रहा।

नेहा:~ तो आ जा दादाजी नहीं आते तब तक मैं तेरी खुजली मिटा देती हु।

मैं:~चुप कर....अब क्या तू मेरे साथ भी करेगी क्या?

नेहा:~हा तो क्या हुआ....बहोत सी लडकिया करती है हम भी करेंगे।

मैं:~मुझे नहीं करना।

नेहा:~आजा ना मेरी जान दादाजी से बढ़कर मजा दूंगी।
 
मैं:~चल भाग शैतान...

उतने में दरवाजे पे टकटक हुई। नेहा ने दरवाजा खोला। वो नानाजी ही थे। नानाजी अंदर आये और दरवाजा बंद कर लिया।

नानाजी:~ह्म्म्म्म क्या चल रहा था तुम दोनों का?

नेहा:~ कुछ नहीं मैं माधवी से कह रही थी की आज मैं उसकी चुदाई करुँगी।

नानाजी:~अच्छा? तो करो मेरे सामने मैं भी तो देखु तू बिना लंड के कैसे चुदाई करती है?

नेहा मेरे पास आयी और मुझे बाहों में कस लिया और मैं कुछ समझ पाती उससे पहले उसने मुझे किस्स करना सुरु कर दिया। मैं उसे छुटने की कोशिश कर रही थी पर उसने मेरे होठो को इस तरह से अपने होठो में कैद किया हुआ था की मैं चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रही थी।


शूरु में मुझे अजीब लग रहा था पर थोड़ी देर बाद मैं भी उसका साथ देने लगी।

नानाजी:~उम्म्म्म्म क्या बात है...लगता है तुम दोनों को अब मेरी जरुरत नहीं।

नेहा ने मुझे किस्स करना बंद करते हुए कहा""अरे दादाजी आप बस अब देखते जाईये आपको भी मजा आने लगेगा।

नेहा ने उसके और मेरे सारे कपडे निकाल दिए। उसने मुझे बेड पे लिटा दिया और मेरी टांगो को फैलाके मेरी चूत पे उंगली रगड़ने लगी।

मैं:~उम्म्म्म्म नेहा पागल क्या कर रही है उफ़्फ़्फ़ग

नेहा:~ लंड का स्वाद तो देख लिया अब चूत का स्वाद देखना चाहती हु। दादाजी आप क्या देख रहे है? आपके प्यारे आम आपके सामने है टूट पड़िये।



नेहा ने मेरी चूत चाटना सुरु कर दिया और नानाजी मेरे बोबे दबाने लगे एक निप्पल मुह में लेके चूसने लगे। नेहा उधर मेरी चूत बहोत ही प्यार से चाट रही थी। दो लोग मेरे जिस्म के साथ एक साथ खेल रहे थे। मैं पागल सी हुई जा रही थी।

मैं:~औऊऊउछ्ह्ह्ह् उम्म्म्म्म आह्ह्ह्ह नेहा मेरी बहन अह्ह्ह्ह हा ऐसेही उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ नानाजी अह्ह्हब धीरे से दबाये ना अह्ह्ह काटिये मत उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ उईईईईई माँ मर गयी अह्ह्ह्ह्ह्ह।

नानाजी:~ उम्म्म्म आज क्या हुआ ? कल तो बहोत उड़ उड़ के चुदा रही थी.... नेहा कैसा है टेस्ट ? माधवी के चूत का पानी उम्म्म्म सच में बहोत टेस्टी है.

नेहा:~हा दादाजी उम्म्म्म्म सच में बहोत अच्छा है।

मैं सब कुछ ना कुछ टेस्ट कर रहे है अह्ह्ह्ह्ह मुझे भी तो दो कुछ उम्म्म्म्म।

नानाजी:~ ह्म्म्म्म तो तुम मेरा लंड चूस लो मेरी जान।

नानाजी ने अपना लंड मेरे मुह में ठूस दिया। मैं उनका लंड जुबान से ऊपर से निचे तक चाटने लगी होंठो में पकड़ के चूसने लगी। नानाजी हलके से से मेरे निप्पल चुटकियो में मसल रहे थे जिससे एक अजीब सी कामुक लहर मेरे बदन में कोहराम मचाने लगी थी।

नेहा भी अब मस्ती में आ चुकी थी। उसने नानाजी से कहा की वो उसकी चूत चाटे। हम तीनो एक circle बनाके लेट गए थे। नानाजी नेहा की चूत नेहा मेरी चूत और मैं नानाजी का लंड चूसने लगे थे। काफी देर तक हम ऐसे ही एक दूसरे को मजा देने में लगे हुए थे।



नानाजी:~उम्म्म्म्म नेहा अह्ह्ह्ह्ह तुम्हे खेत में किया वादा याद है ना? आज तो सबसे पहले मैं तुम्हारी गांड ही चोदुंगा।

नेहा:~उम्म्म्म्म हा दादाजी उफ्फ्फ्फ़ मैं भी आज गांड चुदवाने के मूड में हु।

मैं:~ उम्म्म्म नहीं नानाजी अह्ह्ह्ह मेरी चूत की आग पहले मिटाइये फिर नेहा की खुजली उफ्फ्फ्फ़।

नानाजी:~ हा ठीक है मेरी जान...पहले तुम्हारी चूत फिर नेहा की गांड।

नेहा:~उम्म्म्म्म तब तक मैं क्या करू?

मैं:~तू आजा मुझे भी तेरी चूत का स्वाद चखा दे । मैं भी तू देखु मेरी बहन की चूत का स्वाद कैसा है जिसने मेरे पापा और नाना को दीवाना बना दिया है।

नेहा उठ के मेरे बगल मे आ गयी नानाजी उधर अपना लंड मेरे चूत पे सेट कर चुके थे।नानाजी धीरे धीरे करके अपना लंड मेरी चूत में डालने लगे।

नेहा:~ह्म्म्म्म दादाजी आपने तो एक रात में ही माधवी की चूत खोल दी। कितनी आसानी से अंदर जा रहा है।

मै:~उम्म्म्म अह्ह्ह्ह्ह धीरे नानाजी अह्ह्ह्ह्ह उम्म्म... कहा यार आज भी दर्द हो रहा है।

नानाजी:~अरे एक बार में कहा खुलती है चूत इसे कम से कम 15 दिन लगातार चोदेंगे तभी खुलेगी।
 
नानाजी लंड पूरा डाल दिया था वो अब अपना लंड अंदर बाहर कर रहे थे।मैंने नेहा को अपने मुह पे बिठा लिया और उसकी चूत में जुबान घुसा दी।

मैं:~उम्म्म्म्म अह्ह्ह्ह चूत चाटने में भी मजा है अह्ह्ह्ह्ह उम्म्म नानाजी अह्ह्ह्ह और जोर से अह्ह्ह बहोत मजा आ रहा है।

नेहा:~अह्ह्ह्ह माधवी उम्म्म मेरी बहन अह्ह्ह्ह और डाल अंदर अपनी जुबान उम्म्म्म्म्म।

नेहा अपनी गांड हिला हिला के अपनी चूत रगड़े जा रही थी। उधर नानाजी खचा खच लंड मेरी चूत में पेले जा रहे थे।

मैं:~अह्ह्ह्ह्ह नानाजी उम्म्म्म्म चोदिये ना और हा हा हा ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़् मर गयी।

नेहा:~उम्म्म माधवी क्या कर रही है चाट ना उम्म्म्म्म।

थोड़ी देर हम ऐसे ही शूरु था। हम तीनो उत्तेजना में पागल से ही चुके थे।

नानाजी :~ नेहा यहाँ आओ तुम्हे एक नया स्वाद चखाता हु।

नानाजी ने मेरी चूत में से लंड निकाल के नेहा के मुह में दे दिया। वो मेरी चूत में लंड डाल के उनका और मेरा प्रीकम मिक्स नेहा को चटवा रहे थे।

नेहा:~अह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म बहोत ही अच्छा है उम्म्म्म।



मैं:~मुझे भी तो चखा जरा...

नेहा ने नानाजी के लंडपे लगा प्रीकम होठो पे लिया और मेरे पास आयीं और मेरे मुह में अपने होठ दे दिए। उम्म्म्म सच में वो बहोत ही अच्छा था।
 
मैं :~अह्ह्ह्ह नानाजी उम्म्म अब बर्दास्त नहीं हो रहा है प्लीज चोदिये मुझे निकाल दीजिये मेरा पानी।

नानाजी मेरे पैरो को पकड़ के जोर जोर से अपना लंड मेरी चूत में डालने लगे। मेरा बस् होने ही वाला था। मैं अह्ह्ह्ह अह्ह्ह करके झड़ गयी।

नेहा ने जब देखा की मैं पस्त हो गयी हु तो उसने मेरी जगह लेली । नानाजी का भी शायद होने ही वाला था। वो नेहा को घोड़ी बना के सट सट उसकी चूत मारे जा रहे थे।

नेहा:~ वाओ अह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म दादाजी अह्ह्ह आप तो काका से भी अच्छा चोदते हो अह्ह्ह्ह चोदिये और जोर से अह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म।

नानाजी का स्पीड बहोत बढ़ गया था। नेहा भी उस लंड के घर्षण को सह नहीं पायी और झड़ गयी। नानाजी का स्टैमिना सच में लाजवाब था। उन्होंने दो जवान लड़कियो को पानी पिला दिया था। हम भी कुछ कम नहीं थे। हम दोनों नानाजी के लंड पे टूट पड़े। उसे ऐसी ऐसी जगहों पे चाटा और ऐसे चूसा की नानाजी का पानी भी निकाल ही दिया।



नानाजी हम दोनों के चहरे पे पिचकारी उड़ा के धड़ाम से बेड पे सो गए।



नेहा:~उम्म्म्म माधवी क्या मस्त लग रही है तू। तू नानाजी की फेवरेट है इसलिए उन्होंने तेरे मुह पे ज्यादा पानी छोड़ा।

मैं:~ उम्म्म लेकिन तू तो पार्टनर इन क्राइम है। आजा बराबर बाट लेते है।

हम एक दूसरे के चहरे को पागलो की तरह चाटने लगे। नानाजी हमें बड़े प्यार से ये सब करते देख रहे थे।


थोड़ी देर हम ऐसेही लेटे रहे। फिर से हमारी छेड़ छाड़ सुरु हो गयी। एकदूसरे के अंगों को चूमते हुए हम फिर से उत्तेजित हो चुके थे।

नेहा:~ दादाजी उम्म्म्म्म आईये और अपनी इच्छा पूरी कीजिये।मारिये मेरी गांड।

मैं:~ उम्म्म्म्म्म अह्ह्ह्ह नानाजी मुझे भी खुजली होने लगी है न यहाँ। मैंने अपनी चूत मसलते हुए कहा।

नानाजी:~फिकर मत कर माधवी उसका इलाज है मेरे पास।

नानाजीने हम दोनों को घुटनो पे आने को कहा। उन्होंने पहले मेरी चूत में लंड डाल के मुझे चोदने लगे। उसी वक़्त वो नेहा की चूत और गांड दोनों उंगली से सहलाने लगे। अपने सलइवा से नेहा के गांड का छेद वेट भी कर रहे थे। फिर वो अपना लंड मेरी चूत से निकाल के नेहा की गांड में डालने लगे।


नेहा:~अह्ह्ह्ह्ह्ह उईईईईई माँ मर गयी अह्ह्ह्ह दादाजी बहोत दर्द हो रहा है अह्ह्ह्ह।

नानाजी:~ बस हो ही गया नेहा अह्ह्ह्ह्ह बहोत टाइट है ना तो थोडा दर्द होगा अह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म पूरा गया अह्ह्ह्ह्ह कैसा लग रहा है ?

नेहा:~ओह्ह्ह्ह्ह दादाजी उम्म्म्म बहोत दर्द हो रहा है अह्ह्ह्ह्ह्ह

नानाजी:~ऐसेही रहने दो अह्ह्ह उम्म्म बड़ी मांसल है अह्ह्ह और होल बहोत ही टाइट उम्म्म्म्म मजा आ गया ओफ्फ्फ्फ़।

मैं:~ अह्ह्ह्ह नानाजी कैसा फिट जा के बैठा है आपका उम्म्म्म।

नेहा:~हा उम्म्म जब तेरे गांड में जाएगा तब मैं भी देखूंगी उम्म्म्म दादाजी अह्ह्ह्ह अब अच्छा लग रहा है उम्म्म्म्म

नानाजी अब धीरे धीरे नेहा की गांड में अपना लंड अंदर बाहर करने लगे। और मेरी चूत में उंगली डाल के हिलाने लगे। मैं और नेहा पागलो की तरह अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ सीसीसीसीसी करने लगे थे। हम दोनों को मजा आने लगा था। नानाजी लंड निकाल के मेरी चूत में डाल देते और खप खप मेरी चूत चोदते तो अगले पल नेहा की गांड में डालके नेहा की गांड मारते। पुरे रूम में थप थप खप खप चप छप एयर अह्ह्ह्ह्ह सीसीसीसीसी उम्म्म्म्म और तेज अह्ह्ह आवाजे आने लगी थी।

नानाजी मेरी चूत में लंड डालके चोद रहे थे।

मैं:~अह्ह्ह्हम्मम्म और चोदिये अह्ह्ह्ह ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़् सीसीसीसीसी आह मेरा होने वाला है अह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म चोदिये नानाजी और तेज जोर से अह्ह्ह्ह्ह।
 
नानाजी खच खच किसी मशीन की तरह से लंड मेरी चूत में पेल रहे थे। मैं अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ करके जोरदार तरीके से झड़ गयी। मैं बिस्तर पे निढाल हो के गिर पड़ी। नानाजी ने नेहा को अब पलटा के उसकी गांड चोद रहे थे। नेहा अपनी चूत खुद ही रगड़े जा रही थी। मैं बस उनके इस खेल को देखे जा रही थी।

नानाजी:~अह्ह्ह्ह्ह नेहा उम्म्म्म क्या गांड है तुम्हारी उफ्फ्फ्फ्फ्फ स्सस्सस्ससीसीसीसीसीसीसीसी आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।

नेहा:~ हां हां ओर हूऊऊऊऊऊऊ बहोत अच्छा लग रहा है अह्ह्ह्ह्ह्ह माधवी अह्ह्ह्ह्ह एक बार जरूर गांड मरवा के देख अह्ह्ह्ह्ह बहोत मजा आता है अह्ह्ह्ह्ह दादाजी उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ग उम्म्म्म्म मैं भी झड़ने वाली हु अह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म डाल दीजिये अपना पानी मेरी गांड में अह्ह्ह्ह्ह्ह

नानाजी:~ अह्ह्ह उम्म्म हा नेहा बस मेरा भी होने वाला है।

वो दोनों भी कुछ ही देर में झड़ गए। नानाजी ने अपना सारा पानी नेहा की गांड में छोड़ दिया। नानाजी भी बेड पे लेटके जोर जोर से साँसे लेने लगे। नेहा भी इस दमदार गांड चुदाई के बाद मस्त हो चुकी थी।

5 min बाद हम नार्मल हुए। कोई कुछ बोल पाता दरवाजे पे टकटक हुई। हम सब घबरा गए। कोन हो सकता है ये सवाल हमारे ज़हन में दौड़ने लगा। हमने फटा फट कपडे पहने और नानाजी को बाथरूम में छुपा दिया और नेहा दरवाजा खोलने चली गयी। जैसे उसने दरवाजा खोला उसकी और साथ साथ मेरी भी आखे खुली की खुली रह गयी...................
 
"माँ""" नेहा लगभग चिल्लाते हुए बोली। मैं भी मामी को देख के हैरान थी। मुझे तो लगा की मामाजी होंगे। और उनको कैसे हैंडल करना है ये मैं सोच के बैठी थी पर ये तो सब अजीब ही हो रहा था।

नेहा:~आप ??? क्या हुआ???

मामी बहोत गुस्से में लग रही थी। वो किसी थानेदारनी की तरह हमें घूरे जा रही थी। वो अंदर आयीं और इधर उधर कुछ तलाशने लगी।

मामी:~क्या चल रहा है यहाँ? किस की आवाजे आ रही थी?

नेहा:~ किसी की भी नहीं। हम ही बाते कर रहे थे।लेकिन हुआ क्या ये तो बताईये?

मामी:= ज्यादा होशियार बनने की कोशिश मत कर...मैं क्या तुम्हे बेवकूफ लगती हु?

मैं:~ मामी ऐसी कोई बात नहीं है आप शांत हो जाइए पहले और बोलिये क्या हुआ?

मामी:= ज्यादा चु चपड़ मत करो तुम दोनों वरना एक खीच के दूंगी। अच्छा है मैं पढ़ी लिखी हु अनपढ़ होती तो पता नहीं क्या करते?

उन्होंने नींद की गोली का खाली रैपर हमारे मुह पे फेकते हुए कहा"" क्या है ये? किसको दी तुमने ये गोली?

नेहा:=ये आपको कहा मिली?

मामी:=तुम्हारे बैग में जो तुम लोग निचे भूल के आयीं हो। तुम को क्या लगता है लोग अंधे है इस घर में? तुम लोग कुछ भी करते रहोगे और किसी को कुछ भी पता नहीं चलेगा?

हम दोनों के पैरो के निचे से जमींन ही खिसक गयी। नेहा तो पसीने पसीने हो गयी। मैं भी थर थर काँप रही थी। मामी का प्यार भरा रूप ही मैंने देखा था ये रूप पहली बार देख रही थी।

मामी:= ये निंद की गोली का राज तुम लोग मुझे सच सच बताओगी। तुम लोगो ने महाबलेश्वर में क्या गुल खिलाये है ये तो मैं तुम लोगो की चाल देखते ही समझ् गयी थी। लड़की कुवारी है या नहीं ये तो मैं बस उसकी चाल देख के बता सकती हु। इतना तो exp है ही मुझे।

मामी ने बम फोड़ा। मेरे तो हलक से आवाज ही नहीं निकल रही थी। नेहा तो रोने भी लगी थी। फिर मैं बहोत हिम्मत करके बोली"" मामी आपको सच में गलत फहमी हो गयी है।""
 
मामी:~ देख माधवी मेरा पारा और मत चढ़ाओ...चुप चाप बताओ। और निकालो उसको बाहर जो अभी था तुम्हारे साथ यहाँ।

मैं:~य्य्यहा कककोई नहीं मामी....

मामी:~ज्यादा नाटक मत करो....और तू (नेहा) रोना बंद कर....इन का कोई असर नहीं होने वाला मुझ पे।

नानाजी सब सुन रहे थे। उनको लगा की उन्हें ही जाके संभालना होगा। वो बाहर आये।

नानाजी:~क्या हुआ सुमन? क्यू चिल्ला रही हो इन पे?

मामी नानाजी को देख के चौक गयी।

मामी:=बाबूजी आप? आप क्या कर रहे हो यहाँ?

नानाजी:~नींद नहीं आ रही थी तो बस टहलने छत पे आया था और बाथरूम इस्तेमाल करने इनके कमरे में आया था।इसमे इतना क्या हो गया?

मामी:~माफ़ कीजिये लेकिन मैं 10 min से दरवाजे से कान लगा के सुन रही हु क्या चल रहा था अंदर....तो वो आप थे जो इनके साथ रंग रैलियां मना रहे थे।मुझे आपसे ये उम्मीद नहीं थी।

अब नानाजी भी कुछ नहीं बोल पा रहे थे। हम सब अपराधी बन के उनके साथ खड़े थे। हम लोगो को जैसे सांप सूंघ गया था। फिर भी नानाजी बड़े थे वो हिम्मत करके बोले""चलो ठीक है हम मानते है की हम मस्ती कर रहे थे। और हमसे गलती हो गयी दुबारा नहीं करेंगे इस बात को यही खत्म करो और जाओ सो जाओ।""

मामी:=ऐसे कैसे खत्म करू.........आपकी बाते सुन रही हु पिछले 10 min से चाहती तो तभी अंदर आ सकती थी। लेकिन मैं चाहती थी की आप का खेल खत्म हो जाय और मैं ये भी जानती थी की अंदर आप ही हो क्यू की मैं पहले आप के कमरे में गयी थी देखने क्यू की मुझे आप पे ही शक था। आपकी रंगीन मिजाज के बारे में अनजान तो हु नहीं। मालती सब बताती है मुझे। और आप पिछले कुछ दिनों से उसके पास नहीं गए तो मुझे यकीं हो गया की आप और इनके बीच कुछ गड़बड़ है।कम से कम इनको तो छोड़ देते।

नानाजी:=तो चाहती क्या हो तुम?

मामी:=वही जो आप इन दोनों के साथ कर रहे थे.....।

आ....???????ये क्या था। मुझे मेरे कानो पे यक़ीन नहीं हो रहा था। मामी भी नानाजी से चुदवाना चाहती थी???
 
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