non veg story रंडी खाना - Page 6 - SexBaba
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non veg story रंडी खाना

बहनों के साथ मचे हंगामे के बाद मेरी आंखे कब लगी मुझे पता ही नही चला…
जब आंखे खुली तो कमरे में कुछ हलचल हो रही थी सामने देखा तो काजल थी ,
हमारी आंखे मिली उसने मुझे थोड़े गुस्से में देखा लेकिन वो गुस्सा नकली था,,,
असल में उसके होठो में एक मुस्कान थी ,
जो मुझसे छिप नही सकी,
“तो तुमने पूर्वी को भी बिगड़ ही दिया “उसने शरारती मुसकान से कहा,वो मेरे पास ही खड़ी थी और अभी अपनी नाइटी पहनने वाली थी ,मैंने उसके हाथ को पकड़ उसे बिस्तर में गिरा दिया और उसके ऊपर आ गया…
“सब तुम्हारे कारण हुआ है “
मैं सच में थोड़ा गंभीर था,
“मुझे माफ कर दो देव मैं नही जानती थी की ऐसा कुछ हो जाएगा ,लेकिन फिर भी मुझे पूर्वी के लिए खुसी भी है और दुख भी …….”
काजल भी थोड़ी गंभीर हो गई थी 
मैंने प्रश्नवाचक निगाहों से उसे देखा…
“खुसी इसलिए की अब उसकी उम्र हो गई है और तुमने उसे बहकने से तो बचा लिया ,जैसा हमारे घर का माहौल था पता नही वो खुद को कितने दिनों तक सम्हाल पाती,मुझे पता लगा की उसके क्लास की ही लडकिया तुम्हारे होटल में उस धंधे में घुस गई है ….”
मुझे उस दिन की याद आयी जब मैंने अपने ही होटल में पूर्वी के क्लास की लड़की को देखा था..
“लेकिन दुख इसलिए भी है की तुमने जो आग उसे लगा दी ,जैसे शेर को खून का स्वाद दिला दिया है ,मैं नही चाहूंगी की पूर्वी अब ऐसा कुछ कर बैठे की ….तुम्हे अब उसका सहारा बनना होगा ,तुम्हारा ध्यान अगर उससे हटा तो समझो वो बाहर ट्राय करना शुरू कर देगी और दुनिया में उस जैसी खूबसूरत कम उम्र की लड़कियों के कद्रदान बहुत है…”
काजल की बात मुझे समझ में आ रही थी,मैं भी पूर्वी की हालत काजल और निशा की तरह होते नही देखना चाहता था…
हम दोनो ही थोड़ी देर तक चुप रहे ..
“लेकिन एक बात मुझे साफ बताओ की ठाकुर के साथ मुझे देखकर तुमने मजा आया की नही “
उसके होठो में एक कमीनी सी मुस्कान फैल रही थी ,
मैंने उसे जोरो से अपनी बांहो में भर लिया और जोरो से दबाया ..
“तू साली बहुत ही कमीनी है “
“तुमसे ज्यादा नही ,वो तो गैर मर्द था लेकिन तुम तो अपनी ही बहनों के साथ शुरू हो गए हो ,मेरी ही दोस्त के साथ भी सोते हो,साले रिस्तो को तो तुमने खत्म ही कर दिया है ,और तुम्हे नही पता क्या की मुझे भी जलन होती है ,और तुमसे ज्यादा जलन होती है ,तुम किसी और लड़की के साथ रिलेशन में रहते तो शायद मैं ठीक भी रहती लेकिन मेरी ही सहेली ,और अपनी ही बहनों के साथ “
वो मुझे घूर रही थी 
“मैं तो सीधा साधा सा इंसान था तेरे ही कारण मैं ऐसा हो गया हु “
हम दोनो ही मुस्कुरा उठे…
“चलो हमारे बीच कम से कम अब इस बात की ग्लानि नही होगी की हम में से एक ही बेवफा है ,असल में तो हम दोनो ही बेवफा हो चुके है “
काजल खिलखिलाई और उसके सफेट मोती से दांत मेरे सामने आ गए ..
“सच कहु काजल ठाकुर के साथ तुम्हे देखकर मुझे लगा जैसे मैं उसे मार ही डालू….”
मेरा शरीर उस दृश्य को यादकर गर्म हो गया था 
“फिक्र मत करो ये मौका भी मैं तुम्हे दूंगी,चाहे हो ठाकुर हो या खान …”
काजल किसी ख्वाब में खो रही थी और उसकी आंखों से एक आंसू निकल गए शायद पुराना दर्द था जो बह रहा था..
“लेकिन तुझे भी उसके साथ बहुत मजा आया क्यो??और तुझे वो गिफ्ट भी तो मिल गया “
मैंने बात को बदल दिया ,वो मुस्कुराई लेकिन इस बार उसकी मुस्कुराहट में वो ख़िलापन नही था ,कुछ ठंडा था..
“ह्म्म्म गिफ्ट तो मिल गया है ...और मजा भी आया ,लेकिन ठाकुर के कारण नही बल्कि तुम्हारे कारण “
वो मेरे आंखों में घूर रही थी 
“तुम देख रहे हो ये ही सोचकर मैं एक बार झड़ गई थी “
“कमीनी कही की “
उसकी बातो को सुनकर मेरा लिंग ही खड़ा हो गया था और मैंने देर नही करते हुए उसे काजल की योनि में डाल दिया,मैं नंगा ही था और काजल भी सिर्फ नाइटी में थी जो की पूरी तरह से पहनी नही गई थी,
उसकी योनि पहले से ही पनियाई हुई थी और मेरे लिंग को आराम से वो अपने अंदर कर गई…
ऐसे तो ये अहसास बहुत ही सुहाना था लेकिन फिर भी आज मैं कुछ सोच में गहराई से डूबा हुआ विचार कर रहा था…
सबसे बड़ा सवाल तो ये था की क्या सच में काजल चाहती है की मैं उसे उस हाल में देखु,या वो बस वक्त की मजबूरी है???
और एक सवाल मेरे मन को खाये जा रहा था ,क्या काजल मुझसे प्यार करती है ,या वो बस ये रिश्ता निभाये जा रही है???
सवाल तो कई थे और जवाब कोई भी नही था,बस कुछ धारणाएं थी,बस कुछ पुरानी याद और बात जिसके सहारे में कुछ समझ या सोच सकू…………….
सेक्स तो खत्म हो गया और हम दोनो ही एक दूसरे की तरफ पीठ करके सोए थे,लेकिन मेरी और काजल की दोनो की ही आंखे खुली हुई थी,दोनो ही कई सवलो से घिरे हुए थे….
 
[size=large]“आखिर वो रंडी तुमको देती क्या है ,जो तुम इतने पैसे को ठुकरा रहे हो ,तम्हे लड़की चाहिए मैं वो भी तुम्हें दिला सकती हु “
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रश्मि बौखलाई हुई ठाकुर से बोली ..
“जबान सम्हाल कर बात कीजिये मेडम ,आप मेरे कैरेक्टर पर ऐसे कीचड़ नही उछाल सकती “
ठाकुर की बात सुनकर रश्मि का गुस्सा और भी बढ़ गया था ,उसे समझ नही आ रहा था की आखिर ऐसा क्या हो रहा है जो ठाकुर और खान जैसे अय्यास लोग यू काजल की तरफ हो गए है वो भी पूरे दीवानों की तरह …
“तुम कितने दूध के धुले हो ये मैं जानती हु ठाकुर साहब,और काजल के साथ खान के फॉर्म हाउस में क्या क्या रंगरलियां मनाई जा रही है वो भी जानती हु ,आखिर तुम मुझे मेरे ही पति से क्यो नही मिलने देना चाहते जबकि काजल तो कभी भी उससे मिलने पहुच जाती है “
सच में रश्मि का चहरा बौखला गया था साथ ही ऐसा लग रहा था जैसे वो रो डाले लेकिन वो इतनी कमजोर नही दिखना चाहती थी …
“असल में बात ऐसी है की अजीम आपसे खुद ही नही मिलना चाहता ,वो खान से भी नही मिलता ..उसने सख्त हिदायत दे रखी है की उसे बस काजल से ही मिलाया जाए “
रश्मि खुद को रोक नही पाई और उसके आंखों से आंसू के बून्द गिर ही गए …
मैं वही उसके साथ खड़ा हुआ उसे देखता ही रहा ,पहले जब हम यंहा आये तो ठाकुर ने मुझे घूर कर देखा क्योकि वो मुझे पहले काजल के साथ देख चुका था ,पता नही उसे मेरे बारे में पता था या नही लेकिन उसने मुझे या रश्मि को कुछ भी नही कहा था ,उसने रश्मि को अजीम से मिलवाने के लिए साफ साफ माना कर दिया,जबकि रश्मि उसे मुह मांगी कीमत देने को तैयार थी ,काजल उन्हें ऐसा क्या दे रही थी की वो ऐसे ऑफर को भी ठुकरा दे रहे थे ,सिर्फ सेक्स का असर तो नही था ,सेक्स तो उन्हें रश्मि भी दिलवा सकती थी और काजल से ज्यादा खूबसूरत लड़कियों का अंबार उनके सामने लगा सकती थी ,उसने ये आफर भी दे दिया था लेकिन काजल कोई ऐसा प्रलोभन उन्हें दे रही थी जिसके आगे सभी प्रलोभन कम पड़ रहे थे …
रश्मि की हालत देख कर मुझे भी उसपर दया आनी शुरू हो गई थी ,मुझे नही पता था की मेरी बीवी इतनी बड़ी खिलाड़ी निकलेगी की जिनसे सारा शहर डरता है वो उन्हें भी हरा रही थी और रोने पर मजबूर कर दिया था…
मैंने ठाकुर से थोड़े विनम्र स्वर में कहा ..
“सर प्लीज् मेडम को मिलने ना सही लेकिन देखने तो दिया जा सकता है ,”
रश्मि के भीगी हुई आंखों से मेरी ओर देखा ,
“आपलोग समझ क्यो नही रहे हो ,मैं भी मजबूर हु ,अजीम ने साफ साफ मना किया हुआ है “
मैंने रश्मि को बाहर बैठने को कहा,आखिर मैं मैनेजर था सौदे करना मुझे भी आता था..
मैं अकेले में ठाकुर से कुछ बात करना चाहता था ..
“देखिए सर ,मेडम को बस उन्हें देखने दीजिये ,अजीम को तो पता भी नही चलेगा की वो उसे देखकर चली गई है ,और इसके बदले आप को अच्छी खासी कीमत मिल सकती है ,और कुछ चाहिए तो आप मुझसे बेझिझक कहे “
मैंने बहुत ही विनम्र होकर उस आदमी से ये कहा जिसे मैंने अपनी बीवी के साथ गंध मचाते देखा था ,लेकिन क्या करे काम भी ऐसा था मेरा ,और रश्मि के लिए एक सहनुभूति मेरे दिल में आ गई थी …
ठाकुर थोड़ी देर तक कुछ सोचता रहा …
“तुम तो डॉक्टर और काजल के साथ यंहा आये थे ना .डबल गेम तो नही खेल रहे हो ..”
मैंने अपने होठो पर उंगली रखते हुए उसे चुप रहने का इशारा किया ,और हल्की मुसकान के साथ उसकी ओर मुखतलिब हुआ ..
“बा खुदाय सर जी ,मैं तो सीधा साधा इंसान हु ,मुझे नही पता की ये सब क्या चल रहा है,लेकिन मुझे मेडम का दर्द नही देखा जाता ,बस इतना कर दीजिये ,...और मैं तो दोनो ही तरफ का हु लेकिन खेल मैं किसी भी तरफ से नही रहा “
वो थोड़ी देर तक मुझे घूरता रहा फिर उसके होठो में एक शरारती सी मुस्कान आ गई ..
“ठिक है लेकिन तेरी मेडम मुझे देगी क्या ??”
उसने अपने मुठ्ठी बांध कर सेक्स करने के इशारे से कहा ,मैं मजबूरन हंसा ,असल में मुझे तो उस समय ऐसा लगा जैसे साले का गाला ही घोट दु लेकिन क्या करू ,इसकी ट्रेनिग ली थी मैंने की कैसे गुस्सा आने पर भी मुस्कुराया जाता है ..
“वो बड़े घर की लड़की है सर उससे ऐसा पूछा तो आप भी जानते हो की क्या होगा ,लेकिन मैं आपको एक से एक लडकिय दिला सकता हु ,कालेज की ,या शादीशुदा आप जैसा बोले “
वो कमीनी मुस्कान अपने चहरे में लाया …
“ठीक है ,फिलहाल तो **** पैसे पहुचा देना ,लड़कियों का बाद में बताऊंगा ,अपना नंबर दे दो और अजीम को बस देखने ही दूंगा मिलवा नही सकता ,पता नही ये तुम्हारी मेडम क्या कर जाए ,और साथ ही तुम तो समझते ही होंगे की काजल को इसका पता नही चलना चाहिए …”
उसकी बात से मैंने एक गहरी सांस ली ,मुझे भी थोड़ा सुकून हुआ …

*****
अजीम की हालत देखकर रश्मि रो ही पड़ी थी ,वो 6 फुट 2 इंच का जवान और गबरू सा दिखने वाला मर्द अभी किसी कंकाल के ढांचे की तरह सुख गया था ,गाल चिपक गए थे और बहुत ही कमजोर दिख रहा था,उसकी दाढ़ी बढ़ गई थी और आंखे जैसे बाहर को निकल गई थी,चहरे पर कोई तेज नही था ,लग रहा था की वो बहुत ही ज्यादा नशा कर रहा है लेकिन खा कुछ भी नही रहा ,मुझे काजल की बात याद आयी की वो उसे तड़फ़ा तड़फा कर मारेगी,वो उसके पास ड्रग्स भिजवाती थी और उसे अपने काबू में ऐसे कर रखा था जिससे अजीम उसपर पूरी तरह से निर्भर हो गया था …
रश्मि उसके पास जाकर उससे बात करना चाहती थी लेकिन मैंने उसे रोक लिया ..
“नही रश्मि अगर उसे पता चला तो गड़बड़ हो जाएगी ,,,उसे सोने दो..हम बाहर जाकर कुछ सोचते है “
रश्मि और मैं बाहर आये ,मैं अभी गाड़ी चला रहा था जबकि रश्मि मेरे बाजू में बैठी हुई थी और अपना सर मेरे कंधे पर रखी कुछ गहरी सोच में डूबी हुई थी …
“कितना अंतर है तुम दोनो में …”
वो गहरी सांस लेकर बोलने लगी 
“किसमे ??”
मैं उसकी बात को समझ नही पाया था ..
“तुझमे और तुम्हारी पत्नी में …”
मैं हड़बड़ाया ,मुझे पता था की रश्मि जानती है की काजल मेरी पत्नी है लेकिन अभी तक मेरे ही सामने उसने कुछ नही कहा था लेकिन पता नही आज क्या हुआ की वो मेरे सामने ही मेरी पत्नी का जिक्र कर रही थी …
उसने मुझे देखा मेरा चहरा हैरत से भरा हुआ था …
वो हल्के से मुस्कुराई और फिर से मेरे कंधे पर अपना सर रख दिया 
“मुझे पता है देव की काजल तुम्हारी पत्नी है ,हमेशा से पता था अजीम को भी पता है ,लेकिन तुम दोनो ही अपने काम में इतने माहिर और हुनरमंद हो की हमने कभी तुम दोनो के रिलेशन को लेकर कोई बात नही की ,जबकि हम दोनो बिजनेस में एक दूसरे के कट्टर दुश्मन रहे है ,और आज मुझे लगता है की हम सही थे…..”
वो थोड़ी देर तक रुक कर फिर से बोलने लगी..
“पता नही तुम्हे पता भी है या नही की काजल क्या कर रही है लेकिन सच पुछू देव तो मैं उससे परेशान हो गई हु ,अब मुझे लगता है की मैं हार गई हु ...क्या तुम्हे नही लगता की तुम भी हार गए हो ...तुम्हारी बीवी ना जाने क्या क्या कर रही है और तुम्हे पता भी नही ...इतना सीधापन भी किस काम का देव “
मैं अब भी चुप ही था …
“देव वो तुम्हे धोखा दे रही है ,धोखा खाना क्या होता है ये मुझसे पूछो ,तुम्हारे दिल में कभी ये बात नही आती ,या तुम उसे जानबूझकर ही जानना नही चाहते …”
उसने मुझे ऐसा प्रश्न किया था जिसका जवाब मुझे समझ नही आ रहा था ..
“मेरे लिए बस मेरी बीवी नही है रश्मि मुझे मेरी बहनों को भी देखना है ...पता नही की काजल क्या कर रही है लेकिन इतना जरूर है की अगर मैं इन सबमे पड़ा तो शायद मेरी बहनों पर इसका प्रभाव गलत पड़ सकता है..”
मैंने अपनी परेशानी उसे बता दी …
वो चुप ही थी ……..
“मैं कर भी क्या सकता हु …??”
मेरी बात पर रश्मि थोड़ी सतर्क हुई …
“बहुत कुछ ...अगर तुम मेरा साथ दो तो …”
[size=large]उसने मेरे हाथो पर अपना हाथ रख दिया था ……….[/size]
 
[size=large]गहरी खामोशी और गहरे सोच में हम दोनो ही गुम थे और रश्मि के कमरे में बैठे हुए थे,
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“मैं जानता हु रश्मि की काजल क्या कर रही है “
मैंने बहुत सोच कर कहा था ,रश्मि ने सर उठाकर मुझे देखा ,उसका उदास चहरा अचानक से कोई नूर छोड़ गया था,
“लेकिन मुझे ये नही पता की वो चाहती क्या है ,मैं भी इंसान हु ,मेरी भी कुछ भावनाएं है,जैसे मैं उसके लिए मर ही गया हु ,कई दिनों से हमारे बीच कोई बातचीत ही नही रही है ,लेकिन मैं इतना तो जरूर जानता हु वो मुझे धोखा दे रही है …”
रश्मि का चहरा खिल गया,मैं झूट बोल रहा की काजल और मेरे बीच में कोई भी बातचीत नही हो रही है लेकिन मैं रश्मि पर पूरी तरह से विस्वास भी तो नही कर सकता था …..
“तुम मुझे बताओ की मुझे क्या करना चाहिए,मैं तंग आ चुका हु मैं एक आराम की जिंदगी बसर करना चाहता हु ,मुझे इन झमेलो से निकलना है …”
रश्मि ने मेरे आंखों में देखा उसमें एक चमक दिखाई दी..
“तुम क्या चाहती हो और अगर तुम्हे काजल को रोकना है तो क्यो “
मैंने रश्मि के ऊपर एक प्रश्न दागा …
“पहले तो मुझे खान साहब के प्रोपर्टी में अपने हिस्से की चिंता थी लेकिन अब ...अब तो मुझे बस अजीम की चिंता हो रही है ,अगर उसे बाहर नही निकाला तो वो मर जाएगा “
वो जोरो से रोने लगी थी 
मैं उसके पास जाकर उसके कंधे पर अपना हाथ रखा 
“जिस आदमी ने तुम्हे इतना सताया तुम उसके लिए क्यो परेशान हो रही हो “
वो सर उठाकर मुझे देखने लगी …
“क्योकि मैं उसे प्यार करती हु ,वो मेरा पति था ...देव एक लड़की के दिल की बात तुम नही समझ पाओगे,कई मजबूरियां होती है लेकिन कुछ भी हो मैंने उससे ही तो प्यार किया था …”
मैं इसी सोच में पड़ गया की हो सकता है की काजल की भी कुछ मजबूरियां हो लेकिन वो मुझसे भी प्यार करती हो …
“मेरे दिमाग में एक प्लान है क्या तुम मुझपर भरोसा कर सकती हो “
मैंने झट से कहा 
वो मानो खुस हो गई 
“मुझे तुम्हारे ऊपर पूरा भरोसा है देव तुम कहो तो सही..”
मुझे अब अपना मैनेजर वाला दिमाग लगाना था ..
“तुम्हे क्या लगता है की अजीम इतना कमजोर क्यो हो रहा है “
वो आश्चर्य से मुझे देखने लगी 
“क्या वो ड्रग्स लेता है ???”
“बहुत ज्यादा लेता था लेकिन अभी उसे ड्रग्स …”
वो कहते कहते रुक गई 
“वाओ देव कमाल है ,हा समझ गई ठाकुर और काजल मिलकर उसे ड्रग्स दे रहे है ...ओह माय गॉड इसलिए वो काजल का ऐसा दीवाना बना घूम रहा है “
रश्मि की आंखों की चमक और भी बढ़ गई ,मेरे दिमाग में कई खुरापात एक साथ चलने लगी थी ..
“अब हमे क्या करना चाहिए “
रश्मि ने बड़े ही जल्दबाजी में मुझसे पूछा..
“पहले तो पता करो क्या तूम अपने कांटेक्टस के बारे में मुझे बता सकती हो ..”
वो थोड़ी देर सोचती रही ,इतने अचानक मुझपर वो इतना विस्वास कैसे कर सकती थी ..
लेकिन फिर उसने थोड़े हिम्मत भरे स्वर में कहा 
“हा बिल्कुल “
“तो जेल में अपना आदमी कौन है “
“फिलहाल तो कोई भी नही “
“तो बिठाओ या खरीदो किसी को “
वो मुझे देखने लगी 
“हो सके तो ऐसा सिपाही जो बिल्कुल ही आम हो ,थोड़े पैसे में ही जिसे खरीदा जा सके “
उसने अपना सर हा में हिलाया 
“और खान के पास हमारा कोई आदमी “
“हा है तुम जानते हो उसे मोहनी “
मोहनी का नाम सुनकर मैं जोरो से हँस पड़ा 
“वो किसी काम की नही है ,वो बस एक ही काम के लिए ठीक है “
मैं फिर से हँस पड़ा और रश्मि ने मुझे थोड़ी नाराजगी से देखा 
“एक आदमी बैठना पड़ेगा ,मेरी नजर में है एक लड़का “
वो शांत ही रही 
“तुम्हे जो भी करना है करो तुम्हे जितना पैसा चाहिए मैं तुम्हे दूंगी लेकिन ...लेकिन अजीम को उस काजल से बचाओ मेरे पास बहुत है और मुझे अब उनकी दौलत नही चाहिए,अजीम और खान साहब को तो अपने कर्मो की सजा तो भुगतनी ही पड़ेगी लेकिन मैं अपने पत्नी धर्म का तो पालन कर ही सकती हु ,एक बार उन्हें इस दलदल से निकाल दु बस ,फिर कभी उसने नही मिलूंगी “
रश्मि के चहरे में सच में दर्द टपक रहा था ..
पता नही क्यो मेरी सहानुभूति उसकी ओर बढ़ रही थी ,जैसा मैंने अभी तक उसके बारे में सोचा था वो उससे बिल्कुल ही अलग निकली थी ,वो एक बड़े बाप की बिगड़ी हुई औलाद तो थी लेकिन वक्त ने उसे बहुत कुछ सिखाया था,उसके दिल में आज भी अजीम के लिए गुस्सा था लेकिन फिर भी वो उसे अपना पति ही मानती थी ,मैं तो उसे चालबाज समझता था लेकिन वो बस उतना ही उड़ सकती थी जितना पैसे के दम में एक इंसान उड़ता है,काजल ने उसे असहाय बना दिया था क्योकि काजल के सामने उसके पैसो की बिल्कुल भी नही चल पा रही थी …
“एक अंतिम बात ..काजल के पास ऐसा कोई है जो उसकी खबर तुम तक पहुचाये “
“हा है ना ...शबनम ..”
उसकी बात सुनकर मेरे होठो की मुस्कान गहरी हो गई ,तो शबनम भी मेरी ही तरह दोनो तरफ से खेल रही थी ,


कमरे के बड़े से बिस्तर में मैं शबनम के पहलू में लेटा हुआ था ,रश्मि ने आज मुझे शबनम से नए तरीके से मिलवाया था,
हम दोनो को ही ये पता था की हम किसका साथ दे रहे है,मैं उसे उसी कमरे में ले आया जंहा हम अधिकतर ही मिला करते थे,मैं अभी उसके गोद में सोया था और वो मेरे बालो पर अपनी उंगलियां फेर रही थी ,
उसकी गोद में मुझे एक अलग सा सुकून और शांति का अहसास होता है ,ऐसा लगता है जैसे वो ही मेरी सबसे अच्छी दोस्त है मेरा सहारा है…
“आखिर तुमने भी रश्मि के साथ हाथ मिला लिया “
वो मुस्कुराती हुई बोली 
“क्या करू कुछ तो करना ही होगा ,काजल क्या करती है मुझे तो आजतक समझ ही नही आया “
“क्या करती है या क्यो करती है क्या जानने के लिए रश्मि के साथ आये हो”
“दोनो ही चीजे आखिर वो ऐसी क्यो हो गई है…”
शबनम थोड़ी देर तक खामोश ही रही 
“उसने तुम्हे नही बतलाया ??”
“बतलाया था अपनी कहानी उसने भी बतलाई थी लेकिन …”
“लेकिन क्या ??”
“यकीन नही होता ..”
“क्यो ??”
“क्योकि मैंने किसी से एक दूसरी ही कहानी सुन रखी है “
शबनम का हाथ अचानक ही रुक गया 
“कौन सी कहानी “
“श्रुति की कहानी “
उसके चहरे में हल्की सी मुस्कान उभर कर आ गई 
“तो तुम केशरगढ़ में बहुत खोज बिन करके आ गए ...किसने सुनाई कहानी डॉ. चुतिया ने या मलीना मेडम ने “
मैं चौका ..
“तुम इन्हें कैसे जानती हो “
“क्योकि वो कहानी सच है और काजल मुझसे कुछ भी नही छुपाती “
मैं अब उठ बैठा था…
“तो काजल ने मुझे झूट कहा था “
मैं उसे घूरने लगा 
“नही काजल ने भी सच ही कहा “
मैं बड़े ही असमंजस में पड़ गया था 
“मतलब एक ही कहानी सच हो सकती है दोनो कैसे “
वो मुस्कुराई 
“इसके लिए तुम्हे अतीत में झकना होगा देव ...काजल ने मुझे मना किया था की उसके अतीत के बारे में कुछ भी तुम्हे नही बताऊँ लेकिन मुझे लगता है की अब वो समय आ चुका है जब तुम्हे ये जानने का हक है,वरना तुम उससे सिर्फ नफरत ही करते रहोगे …”
शबनम के आंखों से एक आंसू गिर गया ..
मैंने उसका हाथ थाम लिया था ..
उसने कहना शुरू कीया 
“बात तब की है जब केशरागड के करीब शहर में होटल आदित्य की मालकिन काजल हुआ करती थी ,काजल की एक और सहेली थी जिसका नाम था नेहा ,काजल के पति का नाम विकास था जो की एक आईएएस ऑफिसर थे ,विकास की एक और बीवी थी जिनसे तुम मिले थे ,मलीना ,उनसे उन्हें एक लड़की थी जिसका नाम रखा गया श्रुति ...

मैं ध्यान से उसकी बातो को सुन रहा था…
“काजल की दोस्त नेहा का पति रॉकी था जो की आदित्य इंटरनेशनल का मैनेजर हुआ करता था ,उन दोनो की एक बेटी थी जो की श्रुति की हम उम्र ही थी ,नेहा और काजल का प्यार बहनों की तरह था शायद उससे भी ज्यादा इसलिए नेहा ने अपनी बेटी का नाम भी उसके नाम पर काजल ही रखा ...वही हमारी काजल है देव ….”
उसकी आंखों से आंसू झलक आये थे ,
मैंने उसके गालो पर हाथ फेरा ..
“तो नेहा काजल की मां थी ,तो डॉ ने मुझे मलीना के सामने श्रुति का पति क्यो कहा ???”
[size=large]मैंने सवाल किया ..[/size]
 
“क्योकि भगवान को कुछ और ही मंजूर था ,काजल और श्रुति ना सिर्फ हम उम्र थे बल्कि उनमे बहुत ज्यादा प्यार भी था,जैसे नेहा और काजल में हुआ करता था ,तभी विकास का ट्रांसफर दिल्ली हो गया ,उसे केंद्र सरकार में काम करने के लिए बुला लिया गया ,काजल भी होटल के काम से तंग आकर उसे बेचने की सोच ली आधा शेयर अपनी बहन की तरह प्यारी दोस्त नेहा के नाम कर दिया और आधा खरीदा खान ने …
फिर काजल विकास के साथ दिल्ली चली गई ,
वक्त ने करवट बदली खान का दिल नेहा पर आया हुआ था ,लेकिन वो कुछ कर नही पा रहा था जबतक की उसे इन सबकी असलियत पता नही चल गई …
नेहा का पति रॉकी पहले काजल का बॉयफ्रेंड हुआ करता था और तब भी उसे काजल से मोहोब्बत थी लेकिन जब काजल और विकास के बीच सब सही हो गया उसने नेहा से शादी कर ली ,वही नेहा हमेशा ही विकास से प्यार किए करती थी पहले उनका शारीरिक संबंध भी रह चुका था ,उसने रॉकी को बतलाया नही था की असल में काजल(नई वाली ) भी विकास के बीज से ही जन्मी थी ,ये बात नेहा ने ना सिर्फ रॉकी से बल्कि काजल और विकास से भी छुपाई थी ,लेकिन खान को जब उन सब के पुराने रिलेशन के बारे में पता चला तो उसने रॉकी के कान भरने शुरू किये ,और रॉकी को ब्लड टेस्ट से ये पता चल गया की जिसे वो अपनी बेटी मानता था असल में वो विकास की बेटी थी ,खान ने उसे चुप रहने के लिया कहा और पहले उसे नेहा से होटल के आधे शेयर हासिल करने की स्किम बनाई ..
रॉकी बदले की आग में जल रहा था ,उसे हमेशा लगता था की काजल नेहा और विकास ने मिलकर उसे चुतिया ही बनाया है,वो पहलवानों की तरह ताकतवर था लेकिन खुद का दिमाग चलाने में उतना महिर नही था जितना की खान ,खान को भी दौलत और नेहा का जिस्म चाहिए था,उसने इंस्पेक्टर ठाकुर को अपने साथ मिला लिया,उसे ये भी पता था की इन सबके बीच विकास जो की एक आईएएस है उससे जितना मुश्किल होगा ,इसलिए उसने उसे भी अपने रास्ते से हटाने की सोच ली ,इन सबमे सिर्फ मलीना ही उनके लिए कोई खतरा पैदा नही कर सकती थी इसलिए उसपर हाथ लगाना उन्होंने ठीक नही समझा …
वो काली रात थी जब काजल(नई) के गले में चाकू रखकर रॉकी और खान ने नेहा से शेयर रॉकी के नाम पर करवा लिए ,उसके बाद बेटी के सामने ही ठाकुर रॉकी और खान ने नेहा का बलात्कार किया ,इन सबके बाद उसको जिंदा छोड़ना मुश्किल था ,उन्होंने दोनो मा बेटी को बांधकर घर समेत जला दिया ……..”
मैं सुन्न रह गया था ,...और शबनम की आंखों से आंसू अनवरत गिरे जा रहा था …
“रॉकी ने विकास से बदला लेने के लिए विकास की दूसरी बेटी श्रुति को भी किडनैप कर लिया ,और वँहा से भाग गया ,ये सभी बाते जब बाहर आयी तो इंस्पेक्टर ठाकुर ने खान को साफ साफ इन सबसे अलग कर दिया और पूरा दोषी रॉकी को बना दिया जो की आज तक फरार है,इन घटना सुनकर विकास और काजल दिल्ली से वापस आये लेकिन रास्ते में उनके गाड़ी का एक्सीडेंट करवा दिया गया ,आगजनी में काजल(नई) निकल गईं थी ,जिसका पता सिर्फ डॉ चुतिया को था,लेकिन उन्होंने उसे पुलिस के सामने ना ले जाने का फैसला किया ,एक्सीडेंट में विकास और काजल गंभीर हो चुके थे ,काजल जब अति गंभीर अवस्था में थी तो उसने अपने जान से प्यारी सहेली के बेटी काजल से मुलाकात की ,जिसे डॉ सबकी नजर से बचा कर उसके पास ले आया था ,उसने काजल के कानो में बस एक बात कही थी ..’अपने मा के कातिलों को तड़फ़ा तदफ़ा कर मारना,उन्हें आसान मौत नही आनी चाहिए ,तोड़ देना उनका दम, गुरुर,जिस्म सब कुछ छीन लेना उनसे जो उन्हें प्यारे हो ,ऐसी स्तिथि में ला देना की वो मौत चाहे लेकिन मर नही पाए , ‘....काजल ने वो बात सीने में बसा लीया...और आज वो अपने बदले के बहुत करीब है …”
मैं सन्न रह गया था लेकिन काजल ने मुझे थोड़ी अलग कहानी सुनाई थी ,शायद वो मुझे कुछ चीजे नही बतलाना चाहती थी ..
“डॉ चुतिया ने काजल की परवरिश की जिम्मेदारी अपने ही एक आदमी को दे दी जिनकी पत्नी का इंतकाल हो चुका था और एक बेटा भी था,जिसे आज तुम काजल के पिता और भाई के रूप में जानते हो,उसे मलीना से मा का प्यार मिला मलीना उसमे ही अपनी खोई हुई बेटी श्रुति को देखती है और उसे ही श्रुति कहा करती है ,जब काजल थोड़ी बड़ी हो गई तो सब उसे श्रुति ही कहा करते थे ,सबको यही लगता था की मलीना ने उसे गोद लिया हुआ है ,क्योकि काजल कभी पहले केशरागड में नही रही थी बल्कि उसकी परवरिश शहर में होटल आदित्य में हुई थी इसलिए केशरगढ़ के लोग उसे कम ही पहचानते थे,इसका फायदा उसे हुआ ,वो हमेशा ही डॉ और मलीना के संरक्षण में रही ,लेकिन वो अपनी उस आग को बुझा नही पाई ना ही उसने कभी काजल मेडम की बात को ही भुलाया ,उसकी बदकिस्मती की उसे कालेज के दौरान तुमसे प्यार हो गया और तुम्हारी बदकिस्मती की तुम्हे वो सब पता चल गया जो तुम्हे नही पता चलना था,काजल तुम्हे नही छोड़ सकती,
लेकिन वो इस मकसद को भी नही छोड़ सकती जिसके कारण ही वो जी रही है ...इसलिए वो ये कोशिस करती है की तुम उसके साथ आ जाओ चाहे,”
वो इतना बोल कर थोड़ी मुस्करा पड़ी मैं समझ रहा था की वो क्यो मुस्कुरा रही थी ,वो भी जानती थी की आजकल काजल मुझे क्या बनाने की कोशिस कर रही है ,लेकिन मैं अब उसकी मजबूरी को समझ सकता था …
“उसका ये सब करना जायज है शबनम लेकिन ...रॉकी का क्या हुआ क्या वो मिला ??”
शबनम ने एक गहरी सांस ली 
“वो वँहा से भागने के बाद एक अमीर विधवा को फंसा कर उससे शादी कर ली,जिसकी एक बेटी भी थी ,आजकल रॉकी को लोग कपूर साहब के नाम से जानते है “
मैं बुरी तरह से बौखला गया था ,
“कपूर साहब “मेरी मुठ्ठी बंद होने लगी मैं गुस्से में जल रहा था .,उसने मुझे शांत कराया..
“वक्त आने पर सही वार करना है हमे देव अभी से गुस्सा होने से कुछ नही होगा “
मैं शांत हुआ 
“लेकिन शबनम आखिर श्रुति का क्या हुआ ,क्या वो मिली “
शबनम हँस पड़ी 
“हा डॉ ने उसे खोज निकाला इसके लिए उनको रॉकी से फिर से दोस्ती भी करनी पड़ी ,लेकिन आजतक उन्होंने उसे सबसे छुपा कर रखा है...रॉकी ने विकास से बदला लेने के लिए उसे एक कोठे में बेच दिया ,लेकिन उसकी किस्मत अच्छी थी वो बहुत ही खूबसूरत थी तो एक पुराने नवाब ने उसे खरीद कर अपने घर में रख लिया ,वो उनकी सेविका बनकर रहने लगी ,वंही उसे नया नाम दिया गया और साथ ही नया काम भी और साथ ही उसकी शादी एक लड़के से भी करा दी गई “
मैं उसे आश्चर्य से देखा 
“तुम इतना कैसे जानती हो”
वो मुस्कुराई ,इस बार उसके होठो की मुस्कान और भी गहरी थी 
“क्योकि मैं ही श्रुति हु देव ……”
मैं बस उसके चहरे को देखता रहा उसकी आंखों में मेरे लिए बस प्यार था उसकी हर बात में सच्चाई थी ,अब मुझे समझ आ रहा था की आखिर शबनम और काजल की दोस्ती इतनी गहरी क्यो है ,वो दोनो ही बहने है और उससे भी ज्यादा है ………...


शबनम की आँखो में आंसू था और होठो में मुस्कुराहट,ये वो पल होता है जब कोई खुसी में नही आनन्द में हो ,दिल खुशी होठो में चमक रही थी और आंखो से मोती बनकर टपक रही थी,नयनो के अंदर बस प्यार ही प्यार दिखाई दे रहा था,उसका हाथ मेरे सर को सहला रहा था और मैं उसकी गोद में अपना सर टिकाए हुए किसी स्वर्ग की सैर में था,
“शबनम क्या तुम भी मुझसे प्यार करती हो ..”
मैं उसके गोद में कुछ और ही धंस गया था 
शायद उसके होठो की मुसकान और भी चौड़ी हो गई हो,
“कोई शक है क्या ???”
“लेकिन मैं तो तुम्हारी बहन का पति हु “
“तो …”
“तो क्या तुम्हे पता नही क्या की मैं क्या कहना चाहता हु ..”
“शायद ये हमारे खून में ही है देव...मेरी और काजल की माए भी तो एक ही लड़के के प्यार में थी जो की उनका पति नही था…”
वो खुलकर हँस पड़ी ,मैंने अपना चहरा ऊपर कर उसकी ओर देखा आज वो कुछ और ही छटा बिखेर रही थी ,चहरा दमक रहा था,उज्जवल काया में कोई दाग ही नही था,आज मैंने उसके त्वचा के उस रंग को गौर किया वो सच में मलीना के गुणों से भरी हुई थी लेकिन थोड़ी यूरोपियन थोड़ी भारतीय,वक्त ने उसके भारतीय गुणों को ज्यादा उजागर किया था,वो शर्माती हंसती हो लाल हो जाया करती थी ,मानो खून उतर आया हो,गोल गोल गालो और भरे हुए जिस्म के कारण वो बहुत मस्तानी लगा करती थी लेकिन आज उसकी मासूमियत भी उसके चहरे से टपक रही थी,उसके कमीज से छलकते हुए उसके दो उजोर अपने पूरे सबाब में मुझे उसका चहरा देखने से रोकते थे,और उसके जांघो में भरा हुआ मुलायम मांस आज मेरा तकिया था ..
उसके हँसने पर एक पंक्ति में जमे हुए उसके चमकदार दांत और किसी ताजा सेब से लाल चमकदार मसूड़े मेरे दिल की गहराइयों में बस गए थे…
मेरी नजर बस उसपर जम ही गई ,वो इससे शर्मा सी गई थी ,
उसके गुलाबी लेकिन भरे हुए होठ ऐसे फड़कने लगे थे जैसे जैसे किसी जाम से मदिरा छलक रही हो ..
मुझसे और सब्र नही हो पाया मैं उठा और उसके होठो के सबाब को अपने होठो में भर ही लिया ,वो दोहरी हुई लेटती गई और आखिर में उसका जिस्म मेरे बांहो में था ,वो चंचल सी शोख हसीना आज किसी समर्पण की देवी सी मेरे बांहो में कैद थी …
मेरा शरीर उसके शरीर के ऊपर था और हमारे होठो एक दूजे के होठो पर शिद्दत से छाए हुए थे,कोई बेताबी कोई बेचैनी कोई भी जल्दबाजी दिल में नही थी ,एक सुकून था उसके इन मय के प्यालों में जिसे मैं शिद्दत से पीना चाहता था ,पूरी तरह से पूरी तृप्ति होने तक ,,...
वो अपना हाथ मेरे बालो में फंसा कर मेरा साथ दे रही थी ,ऐसा लगा जैसे आज मैं किसी और ही शबनम के साथ था ,वो शबनम जो मुझे प्यार करती है ,
और ये प्यार जिस्मनी नही था ,ऐसा लगा जैसे उसके रूह से आती हुई कोई प्यार की लहरे मेरे मन के किसी कोने को भिगो रही थी ,
वो एक अजीब सा सुख दे रही थी ,हर अहसास में वो जिंदा सी लगी ,किसी भी तरह का दिखावा और मुर्दापन नही था,मैं तो बस डूब ही जाना चाहता था और मैं डूब ही गया,ना जाने कितने देर तक हम बस एक दूजे के ही होठो को पीते रहे ,
ना जाने कब हमारी आंखों ने पानी छोड़ दिया,ये भावनाओ का शैलाब सा आ गया था जिसे हम दोनो ही रोकना नही चाहते थे और रोके भी क्यो…
उसके जिस्म की गर्मी और नरमी ने मुझमें हवस की कोई आग नही जलाई थी ,मेरा हाथ उसके पुष्ट जांघो को सहला रहा था लेकिन अभी भी हम बस उसी अज्ञात दरिया में डूबे हुए थे जिसमे से बाहर निकल पाना मुश्किल हो रहा था,उसने मुझे कस रखा था और मैं उसके मखमली जिस्म में हाथ फेर रहा था,
पता नही क्यो ऐसा लगा की अब हमारे जिस्म के बीच कपड़ो की दूरियां भी नही होनी चाहिए,मैंने ही पहल की और उसने साथ दिया ,हम कब नंगे हुए हमे पता ही नही था,
दोनो का बदन तप रहा था,सांसे तेज थी और मेरे लिंग में भी कसावट थी लेकिन दुविधा ,और उतावलापन अब भी नही था ,ना ही मैंने उसके अंदर जाने के लिए कोई मेहनत की ना ही उसने मुझे अपने अंदर लेने के लिए कुछ किया ,
हमारा जिस्म बस एक दूसरे में रगड़ खा रहा था और थोड़ी भी दूरी बेहद ज्यादा लग रही थी ,यू ही उसके होठो गालो को चूमता जा रहा था,वो भी कभी मेरे ऊपर आ कर मेरे शरीर को चूमती थी ,उसके बाल फैल गए थे और वो साक्षात काम की देवी का रूप लग रही थी,मोहक इतनी की आंखे जो जम गई तो फिर नजर किनारे ही नही हो पा रही थी,फैले हुए काले लंबे बाल और गोरे जिस्म में हल्की हल्की पसीने की बूंदे,नंगा जिस्म चमक रहा था और पसीने से थोड़ा भीग कर नरमी का अहसास दे रहा था ,वो मेरे कमर में बैठी थी और उसके गद्देदार कूल्हे का नरम अहसास मैं अपने लिंग पर कर पा रहा था ,
फिर भी कोई उतावला पन नही था..
बस उसके रूप को मोहित होकर देखे जा रहा था,वो झुकी और फिर से हमारे होठ एक दूजे में मिल गए ,कहने को कोई बात नही रह गई थी था तो बस अहसास …
गीले योनि में कब मेरा लिंग फिसल गया इसकी भनक भी नही लगी ,थोड़ी रगड़ होने लगी और रगड़ से उठाने वाले सुखद अहसास ने हमे घेर लिया लेकिन फिर भी दिल में सुकून की एक गहरी छाया थी जो हट नही पाई,लिंग और योनि के संगम ने भी हमारे मन को विचलित नही किया था ,बस एक दूसरे का हो जाने के अहसास में हम डूबे हुए थे ,ना जाने कितनी देर ना जाने कितने घंटे…
बस यू ही रहे ….
 
बार बार की कोशिशें लेकिन हार नही मानने का जस्बा ,पुरानी आदतों ने कितना जकड़ रखा है की उनके चक्कर से छूटना बहुत ही मुश्किल सा हो जाता है.
मेरे हाथो में रखी उस सिगरेट को देखता हुआ मैं सोच रहा था की कैसे कुछ आदतें हमारे जीवन को बर्बाद जो कर देती है और हम उसे क्यो नही छोड़ पाते बस इसलिए क्योकि हममें वो इक्छा शक्ति नही होती,दो दिनों से मैं सिगरेट को हाथ नही लगा रहा था और उसके कारण किसी काम में मन नही जा रहा था ,लेकिन मैं सिख रहा था की आखिर उस खलिपन को कैसे भरे जो की सिगरेट ना पीने की वजह से हो गया था ,
“क्या देख रहे हो भइया पीना है तो पी भी लो हाथ में पकड़े हुए हो आधे घंटे हो गए “
पूर्वी मेरी गोद में आकर बैठ गई ,
“बस सोच रहा हु की ये एक छोटी सी चीज मुझे कितना कमजोर महसूस कराती है ,जब भी मैं सोचता हु की इसे नही पीना है तो मैं मन करता है की एक पी ले क्या होगा ,सोचो मैं अपने को कितना मजबूर पाता हु जब मेरे मन में ये उठता है की मैं इसे नही छोड़ पाऊंगा,नही पूर्वी मैं इतना कमजोर नही हो सकता की एक सिगरेट मुझे खुद को पीने में मजबूर कर दे ,अब तो बिल्कुल भी नही “
मैंने सिगरेट को तोड़कर फेक दिया ,सच में मन में एक मजबूती सी महसूस हुई 
जीवन में अगर सबसे बड़ी कामयाबी अगर कुछ है तो वो है खुद पर काबू पा लेना…
अपनी मर्जी का जीवन जीना या ये कहे की अपने सभी कामनाओं को छोड़कर वो जीवन जीना जो की आपके लिए सही हो ,क्योकि कामनाएं तो गलत और सही दोनो की ही हो सकती है ,
पूर्वी खुसी में मेरे गाले से लग गई थी ,
मैं उसके बालो को सहला रहा था,
शबनम से बात करके आने के बाद से मुझे पता नही क्यो लेकिन ये जीवन बहुत ही खूबसूरत सा लग रहा था और मैं बस इसे भरपूर जीना चाहता था और इसके लिए सबसे पहला कदम मैंने सिगरेट और शराब से दूरी बनाकर लिया …
आगर शरीर अच्छा होगा तो ही मन शांत होगा और जब मन शांत होगा तो ही मैं इस जीवन को गहराई से जी पाऊंगा उसे गहराई से समझ सकूंगा ,
मैं जीवन के सबसे अहम चीजों को समझ और जान पाऊंगा ,
यही बात मेरे मन में घूम रही थी ,मैं पूर्वी के कोमल बदन को फील करने लगा,देखने लगा की आखिर मैं इस शरीर को लेकर हवस से क्यो भर गया था ,मैं उस हवस के कारण को जानना चाहता था मैं आंखे बंद किए उस सोर्स को खोज रहा था जंहा से हवस की काम की उतपत्ति होती है ,एक धार सी शरीर में घूम रही थी जो की मेरे लिंग को कड़ा करने की कोशिस कर रही थी लेकिन मेरे जगे हुए होने के कारण वो उसे छू भी नही पा रही थी,वो मेरे लिंग के पास ही अटकी हुई थी ना ही कही और जा रही थी ना ही लिंग को अकड़ने दे रहा था,
मैं उस धार के साथ साथ ही रहा,वो मेरे पूरे शरीर में बट गया और मैं मेरा मन और शरीर उस कोमल शरीर को स्पर्श करने के बाद भी किसी भी तरह के भावना के आवेग से नही भरा,इसका मतलब ये नही की भावना से नही भरा असल में उसका आवेग नही था भावना तो थी,उसका अहसास भी था,उसकी गर्मी उसकी हल्की शुष्कता और उसका नरम त्वचा का अहसास भी हो रहा था,पसीने से भीगा होने के कारण आने वाली थोड़ी आद्रता का भी आभास था लेकिन आवेग नही था,मैं इस सत्य को समझ पा रहा था मैं इस तकनीक को समझ पा रहा था ,कैसे कोई संवेदना हमारे शरीर में उभरती है और हम बस उसके गुलाम बने हुए उसके पीछे भागने लगते है ,अगर हमे उसका मालिक होना है तो उस संवेदना को आने दो लेकिन बिना किसी प्रतिक्रिया के उसे जाने भी दो बस देखते रहो दृस्टा बने हुए ……..
और जब वो संवेदना खत्म हो जाए तो मन भर जाना है बस एक अजीब से अहसास से एक शांति से ,,,,मन बिल्कुल शांत ,,शरीर शांत ..
बस मैं ही होता हु शांत दृष्टा बना हुआ ……..
 
स्थिरता….
मन की स्थिरता के प्रयास में लगा हुआ था लेकिन जीवन की आपाधापी भी तो बहुत थी ,फिर भी कुछ सीख गया था कुछ सीख रहा था …
भावनाओ से लड़ पाना तो कठिन था लेकिन भावनाओ के साथ चल पाना बहुत ही सरल ,उसी उम्मीद में की मेरा साथ देने वाले बहुत ही मैं थोड़ा एक्टिव होना चाहता था ,
अब जबकि मुझे कजल के बारे में भी पता चल चुका था और काजल को भी मेरे कारनामो के बारे में पता चल चुका था तो कुछ भी छुपाने को नही रह गया था ,अब कुछ करने का वक्त था ,,,,
मेरे दिमाग में सबसे बड़ा सवाल ये था की आखिर काजल ठाकुर ,कपूर और खान को कैसे बर्बाद करेगी..
क्या वो उन्हें बस सड़क पर लाकर छोड़ देना चाहती है या फिर भावनात्मक तौर पर तोड़ देना चाहती है …
अभी लगभग 4 बजे थे जब मेरी नींद खुली ,मैं पूर्वी और निशा के साथ सोया था लेकिन मेरी आंख खुलने पर मैंने खुद को काजल के साथ पाया ,वो बेफिक्र किसी बच्चों की तरह सो रही थी …
उसके प्यारे से चहरे को मैं बस देखता ही रह गया,
मैं उठा और बाथरूम की ओर जाने लगा ,मेरी नजर उसके पर्स पर पड़ी ,ना जाने क्यो मुझे वो आकर्षित कर रहा था…
मैं जानता था की उसके अंदर क्या हो सकता है ,
लेकिन फिर भी आज कल मैं काजल के दूसरे के साथ सम्बन्धो की बात सुनकर थोड़ा तो उतेजित हो ही जाता हु ,
ये अजीब सा नशा मेरे अंदर होने लगा है ,मैं अब इसे किसी सही या गलत के दायरे से बाहर ही रखना चाहता हु ,
हो सकता है की लोग अब मुझे नामर्द समझे या और कुछ लेकिन ये सही था की मैं काजल को पराए मर्द के साथ देखकर उत्तेजित हो रहा था,और ये भी सही था की इस ख्याल से भी की काजल किसी पराए मर्द के साथ सोकर आयी है ,मुझे एक उत्तेजना सी महसूस होती थी …
माना की ये गतल हो सकता है सामाजिक नजरिए से लेकिन ये मेरा व्यक्तिगत मामला था और मुझे कम से कम अब तो इस बात को स्वीकारने में कोई संकोच नही रह गया था ,मैं इस बात को लेकर बहुत कुछ खो चुका था लेकिन अब नही ,मेरा मन साफ था और मेरे इरादे भी ………
मैं पर्स को लेकर उसके अंदर देखने लगा,पहली चीज जो हाथ में लगी वो महिन कपड़ा था ,वो मुलायम कपड़ा जो की शायद आज ही काजल के योनि की दीवार को सुरक्षित करने को पहना गया था ,,
उसमें कुछ गीला सा और अब थोड़ी चिपचिपाहट के कारण थोड़ा सुख सा गया पदार्थ लगा था ,जिसे लोग वीर्य कहते थे ,सच पूछो तो इसका अहसास करके की काजल की पेंटी से किसी ने अपने वीर्य की धार को पोछा है मेरे लिंग में एक गजब का तनाव आ गया ..
मैं मुस्कुरा पड़ा 
जिस चीज के लिए पहले मुझे गुस्सा और ग्लानि के भाव आते थे उसी चीज के लिए अब मुझे हँसी और उत्तेजना आ रही थी ,काजल ने मुझे वो बना ही दिया था जो वो मुझे बनाना चाहती थी ,लेकिन अब मैं इसे खुद ही कुबूल कर चुका था …
मैं पर्स के अंदर फिर से हांथ डाला तो मुझे एक कागज का अहसास हुआ ,असल में मैंने हाथ उसकी ब्रा को निकालने के लिए डाला था लेकिन ये जो मुझे मिला था वो एक लेटर था,कागज का एक टुकड़ा ..जो की उसके पर्स के अंदर एक छोटे से थैली में था जो की पर्स के अंदर बना हुआ था ,बाहर से मुझे बस उस कागज का अहसास हो रहा था ,मैं चैन खोलकर देखा तो वँहा कुछ भी नही था ,लेकिन एक छोटा खाना बना था जो की चैन से ढका हुआ था,चैन खोलकर मैं उस कागज तक पहुच गया ..
मैंने एक नजर काजल की ओर डाली वो अभी भी बेफिक्र सो रही थी ,मैंने वो कागज निकाला जो की एक लेटर की शक्ल में था ,
किसी के द्वारा उसे टाइप किया गया था …
लिखा था ..
l5 u9 m3 m9 u8 
l7 m1 m6 
u3
530

लिखा था मैं तो चक्कर में ही पड़ गया लेकिन मैंने जल्दी से उसकी फ़ोटो उतार ली और उसे वैसे ही रख दिया …
मैं फिर से लेटा हुआ बस उस फ़ोटो को देख रहा था ,और ये सोच रहा था की आखिर इसमें लिखा क्या है और इसे काजल को किसने दिया है …
मैं कितना भी सोच कर किसी नतीजे में नही आ पा रहा था ,
बस इतना ही समझ आ पाया की ये कागज बस एक सिंपल A4 साइज का पेपर है जो की कोई अभी आम ऑफस में यूज़ होता है ,,,
मैं अपना दिमाग खुजाते हुए सो गया,ये कोई कोड था इतना तो मुझे समझ में आ गया था लेकिन इसे डिकोड कैसे किया जाए ये नही समझ आ रहा था ,ऐसे मुझे बहुत से ट्रिक पता थे लेकिन फिर भी इसे किस तरह से कोड किया गया है मैं सोच में ही पड़ा रहा,,,
आखिर मेरे दिमाग में एक ही नाम आया वो था शबनम…
जो भी हो वो जरूर मुझे इस बारे में बता सकती थी …

*************************
सुबह मेरी नींद काजल के ही प्यार भरे किस से खुली,
मैं उसे प्यार से ही देखता लेकिन मेरे दिमाग में वो कोड आ गया था ,मेरा चहरा थोड़ा उतर गया,
मुझे अब शबनम से मिलने की जल्दी थी ,मैंने होटल पहुचते ही शबनम से मिला और उसे सब कुछ बताया 
उसने एक गहरी सांस ली …
“कोड का मतलब तो मुझे भी नही पता देव लेकिन काजल से मैंने कल बात की थी और वो बहुत ही खुश थी शायद उसे कुछ सबूत मिले है या हो सकता है की कोई ऐसा राज उसे पता चल गया हो जिससे उसे अपने दुश्मनों से लड़ने में आसानी हो …”
“शबनम अगर ऐसा है तब तो अच्छी बात है लेकिन ऐसी कौन सी बात है की काजल को कोई ऐसे कोड में कुछ लिखकर दे रहा है ,..”
मैं थोड़ा गंभीर हो गया था 
“देव तुम बुरा ना मानो तो एक बात पुछु “
“पूछो ..”
शबनम थोड़ी देर तक मुझे देखती रही जैसे वो ये देखना चाह रही थी मैं उसके बात के लिए तैयार हु या नही ..
“क्या काजल ने तुम्हे निशा के बारे में कुछ कहा था “
ओह तो वो इसलिए इतनी घबराई हुई थी 
“हा उसने बहुत कुछ बतलाया था “
“क्या ???”
“वही की निशा मेरे लिए पागल है और वो कुछ भी कर सकती है ,इसी लिए वो कुछ लड़को के चुंगल में भी फंस गई है लेकिन शायद अब सब कुछ ठीक है ,,,शायद नही अब सब कुछ ठीक है ...काजल ने मुझे उसके पागलपन के बारे में बतलाया था ..”
वो मुझे गंभीरता से देखने लगी 
“और काजल ने तुम्हे ये नही बतलाया था की निशा ने ही काजल को जिस्म फ़िरोसी के लिए उकसाया था “
मैं सन्न रह गया था क्योकि काजल ने मुझसे कुछ और ही कहा था उसने मुझे कहा था की काजल के बारे में निशा को पता चल गया था इसलिए वो उसे ब्लैक मेल करती थी और मुझसे दूर होने को मजबूर करती थी ,उसके जिस्म की आग थोड़ी कम हो जाए इसलिए वो कभी कभी लड़को से छेड़खानी कर लेती थी और काजल के साथ कभी होटल में भी चली जाती थी लेकिन इससे ज्यादा कुछ नही …
काजल ने मुझसे क्या छुपाया है ???
मेरी नजर को देखकर ही शबनम सब समझ गई थी की मुझे कुछ भी नही पता ..
“वो निशा ही थी जो पहले से ये काम कर रही थी …”
“लेकिन लेकिन जब मैंने उसके साथ सेक्स किया था तो तो वो कुवारी थी “
मैं हड़बड़ाकर ना जाने क्या बोल गया 
“तुम्हे कैसे पता “
उसने तीखी निगाहों से मुझे देखा 
“उसका खून आया था “
वो जोरो से हँसी 
“तुम आज भी उन दकियानूसी बातो को मानते हो देव ...दो बच्चों की मा का भी खून आ सकता है ,कई कारण हो सकते है ,इससे ये नही पता चलता की कोई वर्जिन है या नही “
मैं दंग सा रह गया ,मैं इतने दिनों से इसी कन्फ्यूज़न में था की आखिर अगर निशा के संबंध दूसरे लड़को से भी है तो मेरे द्वारा सेक्स करने पर उसका खून क्यो आया था …
शबनम मेरे चहरे को देखकर थोड़ी उदास सी हो गई 
“मुझे माफ कर दो देव की मैं उन बातो पर पहुच गई जो तुम तक नही पहुचनी चाहिए थी ,लेकिन सच यही है निशा बहुत ही खतरनाक लड़की है और …….”
उसके चहरे पर असमंजस का भाव साफ साफ दिख रहा था ,वो अब भी डर रही थी की आखिर जो बात वो कहना चाहती थी वो कहे की नही ..
लेकिन मैंने अपना दिल मजबूत कर लिया था ,चाहे सच कितना भी कड़वा हो मुझे अब सच ही जानना था 
“तुम कहो शबनम अब बहुत हो गया मैं और दुविधा में नही जी सकता मुझे सच सुनना है “
वो थोड़ी शांत हुई और गंभीर स्वर में बोलने लगी 
“असल में काजल ने तुमसे दोस्ती और शादी भी निशा के कारण ही की थी “
मैं पास पड़े हुए चेयर में धम से बैठ गया 
“काजल को लगने लगा था की तुम ही एक जरिया हो जिससे निशा उसके कंट्रोल में रह पाएगी ,लेकिन उसकी मजबूरी की उसे तुमसे प्यार हो गया ,निशा और काजल दोनो ही तुम्हे इन सबसे दूर रखना चाहते थे ,उन्होंने अपनी बहुत कोशिस भी की कई सालो तक तुमसे उनकी हर सच्चाई छुपी रही लेकिन ,,,लेकिन तुम इनसब में फंस ही गए …
देव मैं जानती हु की काजल ने निशा की वजह से तुमसे पहले तो प्यार का नाटक किया था ताकि निशा की मदद से वो अपने बदले को पूरा कर सके लेकिन वो तुमसे सच में प्यार करने लगी ,इसका सबूत ये है उसने तुमसे शादी कर ली ,निशा और काजल के बीच ये डील थी की वो तुम्हे दोनो की सच्चाई से दूर रखेंगे,और यही कारण था की जब पूर्वी के साथ वो हादसा हुआ तो निशा भड़क गई थी ,लेकिन …….वो अब भी तुमसे प्यार करती है देव …”
शबनम इतना ही बोल पाई थी 
“लेकिन जब मैं कालेज में था और मेरी मुलाकात काजल से हुई थी तब तो निशा गांव में थी “
शबनम ने एक गहरी सांस ली 
“इसका जवाब तो निशा काजल ही दे सकते है ,या फिर …”
”या फिर क्या शबनम “मैं जैसे चीख ही पड़ा 
“वो कोड जो उस कागज में है ,क्योकि वो ना सिर्फ काजल से जुड़ा हुआ है बल्कि जैसा मुझे लगा वो शबनम से भी जुड़ा हुआ है ….”
वो इतना कह कर चुप हो गई ………...
 
मैं और शबनम दोनो ही इस ख्याल में थे की आखिर इस कागज में लिखा क्या है ……
ये कोई कोड था जिसे तोड़ने की कोशिस में मेरा एक घण्टा निकल चुका था ..
आखिर थककर मैंने इसे छोड़ने की सोची और अपना लेपटॉप निकाल कर कुछ बिल का काम करने लगा,
मुझे कुछ टाइप करना था ,अचानक मेरा ध्यान फिर से उस कोड पर गया,
मैंने देखा की हर नंबर के आगे u m l लिखा हुआ है ,
u से अगर अपर हो ,m से मिडिल और l से लोवर तो अगर ये kyebord में जमे हुए अक्षरो के बारे में हो तो ..
मैं तुरंत फिर से उस कागज को खोलकर अपने सामने ले आया और उसे मिलाने लगा 
l5 u9 m3 m9 u8 
l7 m1 m6 
u3
530

l5 मतलब अगर शुरू से गिना जाए तो लोवर रो का 5वा अक्षर मतलब b 
u9 मतलब अपर रो का 9वा अक्षर मतलब o 
मैं सभी को फिर के जमाते गया और मेरे सामने नया वाक्य बन गया जिसे देखकर मेरी आंखे ही चमक गई ,
bodli mhl e 530
बोदली महल मैं इस जगह को जानता था,या ये कहो की मैं यंहा ही पला बढ़ा था ,मैंने तुरंत ही शबनम को इस बारे में बतलाया की मुझे तुरंत ही निकलना होगा,क्योकि ये मेरे गांव से कुछ दूर एक खण्डर पड़े हुए जगह का नाम है ,बोदली महल और e 530 का मतलब हो सकता था की एविनिग के 5 बजकर 30 मिनट में …
शायद इसीलिए काजल अभी निकली थी क्योकि वो 4 बजे तक वँहा पहुच जाएगी …
मेरी धरती में ही कोई उसे कुछ राज बतलाना चाहता था और मुझे इसका आभास अभी हो रहा था,जरूर ये निशा से ही जुड़ा हुआ कोई तार था जिसको जानने के लिए काजल बेताब हो रही थी ,और अब मैं और शबनम भी ……..
मुझे तुरंत ही बोदली महल के लिए निकलना था और मैंने देरी करना जरूरी थी नही समझा,शबनम भी मेरे साथ जाने की जिद करने लगी लेकिन मैं उसे अपने साथ नही ले जाना चाहता था क्या पता की वँहा कौन सा नया खतरा मेरे सामने आ जाए …
मैं अब अपने घर के रास्ते में था ,वो घर जिससे मैंने अपना नाता पूरी तरह से ही तोड़ लिया था ना जाने कौन सी सच्चाई मेरे सामने आने वाली थी मैं बेताबी से गाड़ी चला रहा था ,मैं सालो बाद उस जगह में जा रहा था जंहा मैंने अपना बचपन गुजारा था ,मैं भविष्य की कल्पनाओं में डूबा हुआ बस बोदली महल की ओर गाड़ी को तेजी से भगा रहा था

बोदली महल ,बस नाम का ही महल था ,वो किसी जमाने में रौनक हुआ करता था आजकल वँहा बस सन्नाटा पसरा रहता था ,आसपास के लोग तो वँहा जाने से भी डरा करते थे दिन के उजाले में भी लोग उधर फटकते नही थे,मैं यहां आता ही इसलिए था क्योकि मुझे यंहा शांति का आभास होता था,मैं कभी कभी अपनी बहन निशा को भी यंहा लाया करता था,यंहा एक कहानी प्रचलित थी की इसी महल में कभी राजा की बेटी को अपने एक नॉकर से प्यार हो गया था और इसलिए उस राजा ने उस नॉकर को दीवार में चुनवा दिया था,राजकुमारी ने ही यही अपनी जान दे दी,और तब से राजा साहब इस महल को छोड़कर चले गए…
कालांतर में लोगो में ये अफवाह गर्म हो गई की यंहा पर अब भी उन दोनो की आत्मा का राज है ,और इसलिए ये धीरे धीरे खण्डर में तब्दील हो गया ,
लेकिन मैं यंहा अपने पूरे बचपन आता रहा ,मेरा और निशा के लिए ये फेवरेट जगह में से एक थी क्योकि हमे यंहा कोई भी डिस्टर्ब नही करता था और ना ही कोई ढूंढने आता था,हम यंहा घंटो बैठे रहते और बाते करते रहते,मुझे लगता था की मैं ही इस पूरे महल का राजा हु,क्योकि महल भले ही खण्डर हो गया हो लेकिन यंहा के दीवारे अब भी वैभव की गाथा गया करते थे,इतनी नक्काशियां आज भी बड़ी ही मनोरम लगती थी ,
खैर बीती बातो को याद करने से क्या मिलेगा,लेकिन फिर मेरे दिमाग में अचानक से ये बात भी कौंध गई की आखिर बोदली महल ही क्यो???????????
कोई काजल को यंही क्यो बुलाना चाहता है जबकि ये जगह पहुचने में दुर्गम भी थी और साथ ही बहुत ही सुनसान भी ,वो भी शाम के 5 बजे जब की थोड़ी ही देर में सूरज भी ढल जाएगा …
मेरे जिस्म में एक सुरसुरी सी हुई ,आजतक मैं भी कभी वँहा पर देर शाम तक नही रुका था, वो निशा के बारे में जानकारी देना चाहता था,और जगह भी ऐसी ही चुनी थी जो की निशा की सबसे फेवरेट जगह में से एक थी ,मैं तो कालेज की पढ़ाई के लिए शहर आ गया था लेकिन तब भी निशा वँहा जाया करती थी ,फिर मैंने बैचलर कंप्लीट किया और फिर MBA करने लगा जंहा मेरी मुलाकात काजल से हुई ,अगर शबनम की बात सच थी तो काजल और निशा एक दूसरे को मेरे MBA में आने से पहले से ही जानते थे मलतब मेरे ग्रेजुएशन के समय से ,उस समय भी निशा बोदली महल जरूर आती रही होगी ,
मुझे याद है की जब मैं एक बार छुट्टियों में घर आया था तब निशा के साथ बोदली महल गया था और उसने मुझे ऐसे उसे घुमाया था की मुझे लगा की मैं यंहा पहली बार ही आया हु जबकि निशा यही रहती है ,तब उसने मुझे बताया था की उसे जब भी मेरी याद आती है वो वही आ जाया करती है और घंटो यही बिताया करती है ………..
मेरे दिल में वँहा जल्दी से जल्दी पहुचने की बेताबी बढ़ती जा रही थी ,मैं जानता था की आज मुझे कुछ खास सच का पता चलने वाला है ………

वही सन्नाटा पसरा हुआ था जो की हमेशा से ही मुझे बोदली महल में महसूस होता था,जो पहले इतना सुहाना सा लगता था वो आज बहुत ही मनहूस और डरावना लग रहा था,
दिन ढलने को हो रहा था और शाम के 5 बज चुके थे,मैं वँहा से करीब 2 किलोमीटर की दूरी में अपने परिचित जगह में अपनी गाड़ी पार्क करके पैदल ही महल की तरफ निकल पड़ा था,मैं बहुत ही सतर्क था...मुझे पता था की काजल जरूर उस पगडंडी से वँहा पहुची होगी जो की कभी यंहा आने का एक मात्रा मार्ग था,मेरे लिए कोई कठिनाई नही थी लेकिन काजल के लिए जरूर ये कठिनाई पैदा करने वाला रहा होगा..
कुछ ही दूर तक गाड़ी वँहा आ सकती थी काजल ने वही अपनी गाड़ी खड़ी कर इधर का रुख किया होगा,
मैं दीवारों के सहारे से बहुत ही आहिस्ता से अंदर गया,मुझे बाहर ही काजल खड़ी हुई दिखी,मैं चुप चाप ही उसे देख रहा था,उसके चहरे में भी बेचैनी और डर साफ साफ दिखाई पड़ रहे थे,वो बार बार अपनी घड़ी की ओर देखती थी ,तभी किसी मोटरसाइकिल की आवाज आनी शुरू हुई ,वो जैसे जैसे पास आ रही थी वैसे वैसे ही हमारे दिल की धड़कने बढ़ रही थी ……..
कुछ ही देर में मुझे एक बुलेट में एक लंबा चौड़ा सा आदमी आता हुआ दिखा,उसके साथ ही पीछे की सीट में एक लड़की बैठी हुई थी ,दोनो को देखकर काजल के चहरे में थोड़ी शांति दिखाई दी …
लेकिन उस लड़के और लड़की को देखकर मेरा मुह सूखने लगा था ..
मैं दोनो को ही पहचानता था ,लड़की थी मेरी प्यारी बहन निशा और लड़का ..
लड़का था काजल के भाई वरुण का दोस्त सुशांत …
सुशांत के मैं अपनी शादी के दिन ही कोर्ट में मिला था(अपडेट 1) उसके बाद मैंने उसे कभी नही देखा था ,लेकिन मैं उसे पहचान गया …
दोनो के आते ही सुशांत आकर काजल के गले से लगा काजल ने भी हल्के से उसके पीठ को थपथपाया,लेकिन निशा और काजल के बीच कोई भी इंटरेक्शन अभी तक नही हुआ था ...निशा काजल को देखे बिना ही खण्डर के अंदर चली गई ..
“तुमने मुझे यंहा क्यो बुलाया ,इतने दूर हम बात तो वँहा भी कर सकते थे ना “
काजल ने सुशांत की ओर थोड़े गुस्से में देखा 
“अरे दीदी,वो पता नही क्यो आपसे पहले से ही नाराज है और जब मैंने निशा से कहा की दीदी तुमसे बात करना चाहती है तो पहले तो वो भड़क गई फिर उसने कहा की ये लेटर उसे दे देना वो समझ जाएगी की कहा और कितने समय आना है ,मुझे भी कहा पता था की वो इतने दूर बुलाएगी …”
काजल ने एक गहरी सांस छोड़ी 
“आप दोनो तो एक ही घर में रहते हो फिर भी बात नही कर पाते “
सुशांत ने स्वाभाविक सा सवाल किया 
“नही पता ये अब क्यो मुझसे गुस्सा हुई बैठी है ,मेरी तो बात ही नही सुनती इसलिए तुझे कहने को कहा “
“अच्छा चलो ठिक है अब अंदर चलते है “
दोनो अंदर चले गए मैं भी पीछे के रास्ते से अंदर पहुचा,जैसा की मैंने पहले भी कहा था की यंहा मैं सालो से आता रहा हु इसलिए मैं इस जगह के चप्पे चप्पे से परिचित था …
मैं एक कोने में छुपकर सभी को देख पा रहा था ,निशा बड़े ही तल्लीनता से सभी नक्काशियों को देख रही थी जो की वक्त की धुंध से बोझिल हो गए थे ..
वो एक दीवार को फूक मारकर साफ करती है और वँहा पर पत्थर से उकेरा गया एक दिल का निशान साफ हो जाता है ,जिसमे निशा और देव लिखा था …
मैंने उसे पहले भी देखा था लेकिन उस समय मुझे नही पता था की मेरे बहन के दिल में मेरे लिए ऐसा प्यार पल रहा है..
निशा पलटी तो सामने काजल और सुशांत थे …
“तुम बाहर जाओ मुझे इनसे अकेले में बात करनी है “
सुशांत बिना कुछ कहे ही बाहर चला गया ..
“जानती को काजल मैंने तुम्हे यंहा क्यो बुलाया है “
निशा के मुह से काजल सुनकर मुझे अजीब लगा क्योकि मुझे इसकी आदत नही थी मैंने अभी तक निशा के मुह से काजल के लिए बस भाभी ही सुना था ..
“बताओ “काजल ने एक सपाट जवाब दिया 
“क्योकि यंहा से मेरी बहुत ही यादे जुड़ी हुई है जो मैं आज तुमसे शेयर करना चाहती हु,माना की तुम मुझसे बात करना चाहती थी लेकिन पहले मेरी बात सुन लो तो बेहतर होगा “
निशा शांत थी और साथ ही काजल भी 
“ह्म्म्म “काजल बस इतना ही बोल पाई 
“इतना तो तुम्हे पता ही होगा की मैं और भइया यंहा अक्सर आया करते थे ,यही मेरे दिल में भाई के लिए ऐसा प्यार पनपा जो भाई बहन के प्यार से अलग ही कुछ था “
“हम्म्म्म”
“मुझे ये जगह बहुत ही पसंद थी ,क्योकि भइया को ये जगह बहुत पसंद थी ,और इसलिए भी क्योकि यही तो जगह थी जंहा मैं उनके साथ बिल्कुल ही अकेले होती थी,हमारे बीच कोई भी नही आता था,काश मैं उस समय ही भाई से अपने प्यार का इजहार कर लेती तो शायद हमे ये दिन नही देखना पड़ता...शायद मैं कभी बहकी ही ना होती ,शायद मैं उस रास्ते जाती ही नही जिसने भाई के नजरो में मुझे गिरा दिया …”
निशा ने एक गहरी सांस ली 
“वो आज भी तुमसे बहुत प्यार करते है निशा “
निशा के चहरे में एक फीकी सी मुस्कान आ गई 
“हा मेरी हर गलतियों के बावजूद वो मुझसे बहुत प्यार करते है ,जैसे तुमसे करते है ,जबकि वो जानते है की हम दोनो ही रंडिया है …”
निशा के मुख से निकली बात ने काजल को चुप करा दिया था…….वो कुछ भी नही बोल पाई 
“जब भइया कालेज की पढ़ाई के लिए शहर गए तब मैं बिल्कुल ही अकेली हो गई थी काजल,और यंहा मैं घंटो बैठी रहती थी ,उस समय पूर्वी बिल्कुल ही बच्ची थी की मैं उससे अपने दिल की बात शेयर कर सकू ,उसी समय मेरे स्कूल के कुछ लड़के जो की स्कूल से भाग कर यंहा आकर सिगरेट दारू या गंजा पिया करते थे ,उनसे मेरी दोस्ती हो गई ,वो यंहा आया करते थे लेकिन मैंने कभी किसी से नही कहा की वो यंहा आकर क्या करते है ,वो लोग मेरे अकेलेपन के साथी बने ,लेकिन मुझे इसकी एक बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ गई ...अपने जिस्म की ..
 
जवानी के जोश में मैं उन लड़को के साथ इन्वाल्व हो गई लेकिन मुझे नही पता था की ये मेरी आदत बन जाएगी ,मैं नई नई जवान हुई थी और इस शराब गंजे के नशे में गिरफ्त होने लगी थी ,लड़के भी बेचारे आखिर कब तक एक जवान लड़की के साथ रह कर भी चुप रह पाते ,लेकिन फिर भी कोई भी मुझे हाथ लगाने से पहले सोचता जरूर था ,वक्त ने उनकी झिझक खत्म कर दी और मैंने भी अपनी जवानी के मजे उठाने की सोची ..
फिर भी मैं एक रांड नही बनी थी ,जबतक की मैं अजीम से नही मिली जो की उन लड़को में से एक को जानता था ,लड़के उसे अजीम भाईजान कहा करते थे ,वो एक डॉन की तरह था और सभी उससे डरते थे ,उसे भी नई जवानी चखने का शौक था और जब उसने मेरे दोस्तो के साथ मुझे देखा तो बस देखता ही रह गया,मुझे अब नया नशा लगा पॉवर का और मैं अजीम की गर्लफ्रैंड बन गई ,मुझमें इतनी समझ नही थी की मैं क्या कर रही हु ,असल में मुझे मजा आता था जब सभी लड़के जो की मेरे साथ बैठा करते थे अब मुझसे डरकर बात करते थे ,जब तक मैं नही कहती कोई मुझे छूने की हिम्मत भी नही करता था ,मेरे दिन अच्छे चल रहे थे जबतक की मेरी जिंदगी में तुम नही आयी …”
काजल उसके बातो को सुन रही थी ,जैसे उसे सब कुछ पहले से ही पता हो 
“याद है तुम उस समय नई नई कालेज खत्म करके भइया के साथ MBA आयी थी और पूरे कालेज तुम अजीम के पास आने की कोशिस करती रही थी लेकिन डरते हुए ,मैं तुम्हे देखा करती थी की तुम उसके आसपास ही उसपर नजर रखे हुए हो लेकिन उससे मिलकर बात नही कर पाती हो “
“हा मुझे याद है मैंने तुम्हारे दोस्तो के गैंग में सुशांत को भी शामिल करवा दिया था ताकि वो अजीम के आसपास ही रहे ,लेकिन तुम्हे पता चल गया था की कुछ गड़बड़ है “
“हा मुझे पता चल गया था और साथ ही लेकिन 3 सालो तक तुम बस वैट ही करती रही किसी सही मौके का,तुम्हे तो ये भी नही पता था काजल की तुम्हे करना क्या है ...लेकिन जब तुम्हे पता चला की मैं देव की बहन हु वो देव जो तुम्हारे साथ पढ़ता है तब तुमने मेरे पास जाने के लिए मेरे भाई से ही दोस्ती कर ली ...वाह “
काजल की नजर नीची हो गई थी मानो वो इस बात से ग्लानि महसूस कर रही हो 
“जब मुझे लगा की भइया भी तुम्हारे साथ खुस है और वो तुम्हे पसंद करने लगे है तो मुझे बहुत धक्का लगा ,लेकिन फिर मेरे दिल में भी आया की क्यो ना तुमसे एक डील की जाय ,और मैंने तुमसे बात की ,तुमने क्या कहा था काजल की देव से मुझे प्यार नही है ..ऐसा ही कुछ क्या था वो ..”
निशा के चहरे में एक जहरीली सी मुस्कान खिल गई थी ,और काजल जैसे जल रही हो ,पसीने से भीगी हुई सर नीचे किये बस खड़ी रही थी 
“मेरे दिमाग में उस समय बस खान से बदला लेने की बात ही थी निशा ,और जब तुमने कहा की तुम्हे तुम्हारे भइया चाहिए बदले में तुम मेरी मदद करोगी अजीम के गढ़ में घुसने में और मेरा बदला पूरा करने में तो इससे अच्छी डील मेरे लिए कुछ नही हो सकती ही ,उस समय मैं देव से प्यार नही करती थी लेकिन …”
“लेकिन क्या ……”
निशा चिल्ला उठी 
“मैंने तो सोचा था की ये करने से अजीम को एक नया खिलौना मिल जाएगा और वो मुझे भूल जाएगा,अजीम से पीछा भी छूट जाएगा और मेरे भइया भी मुझे मिल जाएंगे लेकिन तुमने क्या किया ….भइया तुम्हारे प्यार में गिरफ्तार होने लगे और तुमसे शादी भी करने की सोच ली और तुमने मुझे धोखा दे दिया ..”
“नही निशा मैं सच में देव से प्यार करने लगी थी ,मैं उससे अलग नही रह सकती थी ,”
“अजीम की रंडी बनने के बाद भी भाई से तुम कैसे प्यार कर सकती थी काजल “
निशा की आवाज में बौखलाहट थी 
“जैसे तुमने किया है ,तूम भी तो कई मर्दों के साथ सोई हो निशा लेकिन सच बताओ की क्या तुमने देव के अलावा किसी और से प्यार किया है “
दोनो ही चुप थे जैसे कुछ सोच रहे हो…
“तुम्हे अजीम की जिंदगी में मेरी जगह ले ली और साथ ही भइया से भी शादी कर लिया ,तुमने अजीम के जीवन से रश्मि को भी निकाल फेका जो की मैं भी नही कर पाई ,मैं मानती हु की तुम मुझसे कही ज्यादा खूबसूरत हो लेकिन तुम्हे ये सब मैंने ही तो सिखाया था ,मैंने ही तो बतलाया था की तुम्हे क्या करना चाहिए कैसे करना चाहिए …”
काजल चुप थी 
“तुम्हे तो सब मिल गया काजल लेकिन मुझे क्या मिला ??”
निशा रो पड़ी थी 
“नही निशा मेरी बात सुनो “काजल उसके पास जाने को हुई लेकिन निशा ने तुरंत ही अपने जेब से एक पिस्तौल निकाल ली 
“रुक जाओ काजल बहुत हुआ अब और नही अब या तो तुम रहोगी या मैं “
काजल के साथ साथ मेरे भी प्राण मानो उड़ गए थे 
“माना मैं थोड़ी बहक गई थी ,माना की मैंने गलतियां की है लेकिन मेरा भाई आज भी मुझे प्यार करता है ,मैंने तो उसके सामने अपनी प्यारी बहन पूर्वी को भी कुछ नही समझा तू क्या चीज है ,तुझे तो पहले ही मार देना था लेकिन ये जगह सबसे सही है ,यही से मेरा प्यार शुरू हुआ था “
निशा के चहरे में आने वाला बदलाव मुझे डरा गया था ,हम दोनो ही जम चुके थे ,उसके चहरे में वो पागलपन फिर से आने लगा था जिसे मैं पहले भी देख चुका था ,,
“अब और नही काजल “
“निशा रुको “
मैं और सुशांत दोनो ही एक साथ काजल को बचने के लिए भागे लेकिन 
‘धाय धाय ‘ दो गोलियां निशा की पिस्तौल से चल चुकी थी और सीधे जाकर सुशांत के कंधे में छेद कर गई …
जो की काजल को बचने के लिए कूदा था ,निशा और भी कुछ करती उससे पहले उसने मुझे देख लिया था जो की एक टूटे हुए दीवार से कूदकर वँहा आ गया था ,निशा का मुह बस खुला का खुला रह गया और वो पिस्तौल को वही छोड़ते हुए भागने लगी,
“निशा रुको ...निशा रुको तो सही “
वो भागते हुए झड़ियो में ना जाने कहा गुम हो गई मैं उसके पीछे भागता रहा लेकिन मैं उसे ढूंढ ही नही पाया …
मैं जब वापस आया तो सुशांत की हालत बहुत ही खराब लग रही थी मैं जल्दी से उसे उसकी ही गाड़ी में बैठकर काजल की गाड़ी की तरफ भागा,काजल ने मुझसे एक भी शब्द नही कहा ना ही मैंने उसे कुछ कहा …
हम दोनो ही चुप थे शांत थे …..काजल ने सुशांत को गाड़ी में बिठाया और पास के ही हॉस्पिटल की तरफ निकल गई …

हॉस्पिटल में मैं और काजल दोनो ही शांत बैठे हुए थे ,ना ही मेरे पास कुछ कहने को था ना ही काजल के पास ,सुशांत ठीक था और उसे वही के एम्बुलेंस में बैठा कर शहर भेज दिया गया था ,मेरे और काजल के बीच कोई भी बातचीत नही हुई थी जबकि निशा के ऊपर केस नही किया गया,लेकिन पुलिस से उसे ढूंढने की बात जरूर कह दी गई थी,काजल ने इसके लिए कुछ बड़े अधिकारियों से बात की थी,और मामला वही दब गया था,साथ ही सुशांत ने भी इस मामले में निशा के पक्ष में ही बयान दिया था,
लेकिन काजल और मेरे बीच की बातचीत पूरी तरह से बंद हो चूकी थी ,निशा की तलास जारी थी लेकिन उसका कही कोई आता पता नही चल पा रहा था,काजल भी अब घर नही आती थी ,और मैं भी अब उसे घर आने को नही कहता ,...
सब कुछ अचानक से ही बहुत शांत हो चला था ,ना जाने निशा कहा थी,पोलिस के अलावा मैं भी उसे ढूंढने की भरपूर कोशिस में जुटा हुआ था ,लेकिन दो महीने खत्म हो चुके थे और मैं और पुलिस दोनो ही शांत हो चुके थे …
इन सब में पूर्वी अकेली हो गई थी ,मैं अपने काम में चला जाता और काजल तो घर में थी ही नही ,शाम जब आता तो काम से और जीवन में आये हुए इन झमेलों से परेशान हो चुका होता,पूर्वी बेचारी करती भी क्या,लेकिन फिर भी हम दोनो ही एक दूसरे का सहारा थे..
पूर्वी ने एक दो बार काजल से मिलकर उसे समझने की भी कोशिस की और उसे घर लाने की कोशिस की लेकिन वो अपने को मेरा गुनहगार मानती थी और मेरे सामने नही आना चाहती थी मैं भी उसे वापस लाना नही चाहता था जबकि निशा के साथ ये हादसा हो गया था ,सच कहु तो सबसे दूर होकर ही मैं खुस था और इस जॉब को छोड़कर पूर्वी के साथ दूसरे शहर जाने का प्लान बना लिया था ,मैं चैन का जीवन बिताना चाहता था उससे भी ज्यादा अपनी बहन को एक सुरक्षित जिंदगी देना चाहता था,मैंने शबनम और रश्मि के लाख मना करने के बाद भी अपने जॉब से रिजाइन कर दिया और वँहा से 80 किलो मीटर दूर दूसरे शहर में एक छोटे से होटल में मैनेजर की नॉकरी जॉइन कर ली ,साथ ही अपने घर में ताला लगा कर मैं चुपचाप ही इन सबसे दूर दूसरे शहर में चला गया ………………..
मैंने अपना नंबर भी बदल दिया था ,साथ ही किसी से ये भी नही कहा था की मैं कहा जा रहा हु ...
पूर्वी और मैं बस एक दूसरे के लिए ही रह गए थे ,जीवन में हमारा एक दूसरे के सिवा और कोई नही बचा था,कभी कभी वो रोती तो मैं उसे सहारा दे देता कभी मैं रोता तो वो मुझे सहारा दे देती ,लेकिन फिर भी हम अच्छे थे ,15 दिन और बीत गए ,और सब कुछ बहुत हद तक ठीक होने लगा था लेकिन ……
उस दिन के अखबार में मुझे चौका दिया जब सुबह की न्यूज थी ,...
‘मशहूर कपूर होटल के मालिक मिस्टर कपूर की हत्या ,हत्या का शक उसकी बेटी रश्मि पर ,रश्मि अभी फरार है और पुलिस को उसकी तलास है ,हत्या की वजह ये बताई जा रही है की रश्मि को शक था की मिस्टर कपूर ने ही उनकी माँ की हत्या जायदाद के लालच में आकर की है …
बता दे की रश्मि कपूर साहब की सौतेली बेटी थी ,इसके साथ ही उन्हें लेकर और भी खुलासे हो रहे है,कहा जा रहा है की कपूर साहब का असली नाम रॉकी है जो कभी होटल आदित्य में मैंनेजर हुआ करता था और सालो से अपनी पत्नी नेहा के मर्डर के आरोप में फरार था ,उसने कपूर होटल के मालिक को फंसा कर उनकी बेटी से शादी की थी जिनकी पहले से एक बेटी रश्मि भी थी ……’
खबर पढ़ते ही मैं चौक कर उठा ,पूर्वी मेरे चहरे का भाव समझ चुकी थी,
“पूर्वी तुम्हारा फोन जो की हमने बंद करके रख दिया था जरा देना तो “
पूर्वी के चहरे में थोड़े आश्चर्य के बाद थोड़ी मुस्कान भी आ गई 
“क्या हम फिर से वापस जा रहे है “
“पता नही लेकिन मुझे कुछ फोन करने है “
पूर्वी खुसी खुशी अपना फोन लेने चली गई …..

“हैल्लो मैं बोल रहा हु “
“कहा हो तुम इतने दिनों के बाद याद आयी पता है की सब कितना परेशान थे “
“क्या हो रहा है वँहा ये क्या पढ़ने को मिल रहा है “
“सब निधि का किया कराया है “
निधि का नाम सुनकर ही मैं बेचैन हो गया ,तो वो रश्मि से मिली थी ..
“या किया निधि ने “
मेरी बात पर शबनम थोड़ी देर तक चुप ही रही 
“पता नही शायद उसे सच्चाई बता दी ,बस इतना ही काफी था बाकी का काम तो खुद रश्मि ने अपने हाथो से कर दिया “
शबनम की बात सुनकर मैं चौक गया मुझे भी तक यकीन नही हो रहा था की रश्मि ने ही कपूर को मारा है ..
“क्या सच में रश्मि ने ही …”
“हा रश्मि ने ही,अपनी माँ की मौत का बदला उसे अपने हाथो से लेना था लेकिन फिक्र मत करो ,कोर्ट में कुछ भी साबित नही हो पायेगा,वो आसानी से छूट जाएगी “
हा हमारी अदालतों में गवाहों और सबूतों को तोडना मरोड़ना कोई बड़ा काम तो नही था ,रश्मि भी बच ही जाएगी ऐसे भी उसने कौन से मासूम इंसान की हत्या की थी,जिसकी हत्या की गई वो भी एक गुनहगार ही था ,
“लेकिन उसे इतनी आसान मौत मिली शायद काजल को ये पसंद नही आया होगा”
शबनम ने मेरे मुह से काजल का नाम सुनकर थोड़ी हँसी बिखेर दी
“काजल का नशा अब भी तुम्हारे सर चढ़ा हुआ है देव “
“हम्म अब ये नशा है या आदत मुझे नही पता लेकिन हा रोज ही काजल और निशा की याद आया करती है “
थोड़ी देर तक कोई भी कुछ नही कह पाया 
“कहा हो तुम “
“सोच रहा हु की वापस आ जाऊ ,निशा सही सलामत है ये सुनकर थोड़ी तसल्ली हुई लेकिन उससे मिलना चाहता हु “
“वो अभी रश्मि के साथ ही गायब है,दोनो का ही कोई अता पता नही चल रहा …”
“ह्म्म्म और काजल कैसी है “
ना चाहते हुए भी मेरे मुह से काजल का नाम निकल ही गया था 
“ओह ये प्यार ,इतना ठोकर खाकर भी फिर से सर उसके पैरो में रखना चाहते हो ताकि फिर से तुम्हे ठोकर मार दे “
थोड़ा व्यंग थोड़ा अपनापन और थोड़ी खुसी सभी कुछ तो था शबनम की बात में 
“यही समझ लो ,जब सर ओखली में दे ही दिया है तो फिर अंजाम से क्या डरना ,”
मैं थोड़े हल्के मूड में बोला 
“ह्म्म्म बात तो सही है ,लेकिन काजल मेडम तो आजकल पूरी तरह से बस अपने काम में ही लगी हुई है ,ना जाने कौन सी रात अजीम ठाकुर और खान की आखिरी रात साबित होगी ,खासकर कपूर के मरने के बाद तो वो और भी देर नही करना चाहती ,क्योकि राज खुलने लगे है और पुलिस कपूर उर्फ रॉकी की हिस्ट्री खोजने में लगी हुई है ,काजल भी अपना काम जल्दी से खत्म कर तुम्हारे तरह ही चैन की जिंदगी बिताना चाहती है “
“चैन की जिंदगी ..??????
अपनो के बिना कही कोई जिंदगी चैन की होती है शबनम ?/
मेरी बहन मेरे पास नही है ,मेरा प्यार मेरे पास नही है तो ये जिंदगी चैन की कैसे हो गई,मैं अपने दोस्तो से अपने शहर से अलग होकर रह रहा हु ,मैं ये बोलना तो नही चाहता था लकिन हा जबसे आया हु लगता है की पल पल भारी है ,पता नही वो दोनो किस तकलीफ से गुजर रहे होंगे और मैं सब छोड़कर भाग आया हु …”
“ये लड़ाई तुम्हारी थी ही नही देव तुम आखिर कर भी क्या सकते हो ,इस हालात को बनाने वालो को ही इसे भुगतना होगा ,तुम या मैं चाहकर भी कुछ नही कर सकते “
कुछ देर तक हम दोनो में से किसी ने कुछ नही कहा …
“हा शबनम लेकिन मैं अब यंहा नही रहना चाहता “
“तो आ जाओ ,होटल में रहो ,मैं भी तो अकेली हो गई हु ,मुझे और इस होटल को तुम्हारी जरूरत है …”
कहते है ना की नशेड़ी को नशे का बहाना चाहिए…
मुझे भी काजल और निशा के नाम का नशा लगा हुआ था और मुझे बहाना मिल गया था ………

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होटल का माहौल बिल्कुल ही बदला हुआ था यंहा कस्टमर कम और पोलिश वाले ज्यादा दिखाई दे रहे थे,मेरे आने के बाद मेरा भी बयान लिया गया ,और मेरे ही कहने पर होटल की निगरानी पर बस कुछ सादे कपड़े में पोलिश वाले नियुक्त किये गए ,ताकि होतल में आने वाले कस्टमर को कोई परेशानी ना हो और पोलिस की तहकीकात में भी कोई बाधा ना पड़े …
शबनम बहुत ही खुश थी और पूर्वी भी लेकिन मेरे मन में कई संशय उमड़ रहे थे …

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मुझे आये एक ही दिन हुआ था और मैं अभी अपने होटल में ही था की मुझे कुछ पोलिश वालो के साथ इंस्पेक्टर ठाकुर भी आता हुआ दिखाई दिया ,मुझे देखकर उसके चहरे की चमक बढ़ गई ,वो मेरे पास आया …
“ओह देव तुम आखिर आ ही गए “
मैंने हल्के से सर हिलाया 
“ऐसे काजल कह ही रही थी की तुम ज्यादा दिनों तक यंहा से देर नही रह पाओगे “
उसकी बात से मेरा खून ही जल गया ,उसके होठो में एक चिढ़ाने वाली मुस्कान थी 
“चौक क्यो गए मुझे पता चल गया है की तुम काजल के पति देव हो ..वाह देखो ना पति देव जी देव जी ..हा हा हा “
वो इतनी गंदी हँसी हंसा की लगा की उसका जबड़ा ही निकाल लू ,मेरी मुठ्ठियां भिच गई थी ,जिसे देखकर वो फिर से एक कमीनी मुस्कान में मुस्काया 
“देव बाबू जब पत्नी ही बेवफाई कर दे तो मुठ्ठी भिच कर क्या करोगे ..”
वो मेरे कानो के पास आय और फुसफुसाया 
“ऐसे सच बताऊँ मखमल है तुम्हारी बीवी ,साली को जितना भी रगड़ो कम ही लगता है “
उसकी बाते जैसे मेरे कानो में पिघले हुए लोहे की तरह उतर रही थी 
“मादरचोद “
मैं पलटा और उसके कॉलर को पकड़ कर खड़ा हो गया ,लेकिन तुरंत ही कुछ पोलिश वाले मेरे हरकत को देख वहां आकर हमे घेर कर खड़े हो गए 
ठाकुर फिर से कमीनेपन से मुकुराय 
“अपना गुस्सा सम्हाल कर रखो देव और मेरे रिश्ते में आने की सोचना ही मत वरना जो दो पैरो पर सही सलामत खड़े हो वो भी नही रह पाओगे “
वो मेरा हाथ अपने कॉलर से झटक कर हटा दिया और वँहा से चले गया ,मैं ठगा सा बस उसे देख रहा था ,गुस्से की आग ने मुझे जला रखा था पर इतनी हिम्मत भी नही रह गई थी की मैं उसका मुह तोड़ दु ………
 
“हैल्लो साहब कहा हो आप दिखाई ही नही देते “
हरिया की आवाज में एक अजीब सी बात थी जो मैंने कभी नही देखी थी पता नही क्यो मुझे उसे काल करने का मन हुआ था …
“बस शहर में नही था “
“उस दिन तो आप इतने नशे में थे की आप अनब सनब बोले जा रहे थे ,क्या सच में काजल मेडम आपकी बीवी है “
काजल मेडम ,साला जो अभी तक काजल को बस रंडी कहा करता था आज वो काजल मेडम कह रहा था ..
“क्यो पूछ रहे हो “
“अपने ही नशे में बतलाया था ऐसे एक बात बता दु की वो आजकल ठाकुर के साथ यही रहती है ,इसी फॉर्महाउस में “
मैं कुछ भी नही बोला 
“कोई हुक्म हो तो बताइए सरकार “
वो फिर से बोल पड़ा 
“कुछ नही “
“तो कभी आइए अगर आप कहे तो इंतजाम करदु कुछ अंदर की चीज देखने या सुनने का “
“नही जरूरत नही है “
मैं थोड़ा चिढ़ गया था 
“हजूर ये अजीब सा नशा है एक बार लग गया तो फिर जाता नही है ,आ जाइये आप मैं बंदोबस्त कर दूंगा “
इतना बोल कर उसने फोन रख दिया मैं अपने ही सोच में पड़ा हुआ था ,क्या सच में ये नशा ही अपनी बीवी को किसी और के साथ देखने का नशा …………

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शाम रात की शक्ल ले रही थी और मैं गार्डन में हेडफोन लगाए हुए इंतजार कर रहा था,मेरी निगाहे उसी बेडरूम में टिकी हुई थी जंहा उस दिन थी ,काजल अभी अभी अपने काम से आकर कपड़े चेंजे करने बाथरूम में घुसी थी और ठाकुर हाल में शराब की चुस्कियां भर रहा था ,थोड़ी देर में वो भी लड़खड़ाता हुआ अंदर आया ,दोनो किसी पति पत्नी की तरह यंहा रहे थे ,मैं रोना चाहता था लेकिन अपने को अपनी ही नजर में गिरने नही देना चाहता था ,वो अलग बात थी की मैं पहले से ही अपनी नामर्दी के कारण अपनी नजर में गिर चुका था ,
काजल जैसे ही बाहर आयी ठाकुर ने उसे जकड़ लिया और उसके गले को चूमने लगा ,वो हँस रही थी ,और अपने को छुड़ाने की हल्की कोशिस कर रही थी जिसका कोई भी मतलब नही होता ..
उसके बदन में सिर्फ वो टॉवेल थी जो की अब पता नही कब उसके बदन से सरक जाए ,उसका दूध सा गोरा जिस्म उस दूधिया प्रकाश में चमक रहा था ,और शायद ठाकुर को काजल के बदन से वो खुशबू भी आ रही होगी जो की काजल के बदन से नहाने के बाद आया करती है ,उसके बाल फैले हुए थे और टॉवेल के छोरो से उसकी जांघ झांकने लगी थी ,ठाकुर का हाथ उसके जांघो को सहलाता हुआ उसके जांघो के बीच चला गया था और काजल किसी वैश्या की तरह हँस पड़ी थी ,उसके योनि के बाल साफ नजर आ रहे थे जो की छोटे छोटे तराशे गए थे और अभी ठाकुर की उंगलियों में नाच रहे थे ,
कुछ पानी की बूंदे भी योनि के उन बालो में चमक रही थी ,मैं देख रहा की कैसे ठाकुर ने मेरी बीवी के योनि में अपनी एक उंगली घुसा दी और काजल फिर से उचकी उसके मुह से मजे से लिपटी हुई सिसकारी निकली थी …
ठाकुर ,जो की काजल की मा की हत्या का दोषी था ,कैसे काजल उसके साथ भी ऐसे मजे ले सकती थी ,हा अब ये कहते हुए मुझे जरा भी संकोच नही की वो एक रंडी है ,उसने ऐसे ही मजे अजीम और खान के साथ भी लिया होगा..
मेरे लिए इतना ही देखना दिल को तोड़ने के लिए काफी था मैं पलटा और बाहर आने लगा मैंने देखा की हरिया अपना मोबाइल निकाल कर किसी के काल कर रहा है उसकी निगाहे मेरी ओर ही थी ,
वो मुझे देखकर मुस्कुराया था ,
मैं जल्दी से बाहर आने वाला था लेकिन कुछ गार्ड आकर मुझे पकड़ लिए ,
मैं हरिया को आश्चर्य से दिखने लगा उसके होठो की मुस्कान और भी फैल गई थी ..
“आज तो आपको जाने नही दे सकता साहब “
“क्या हुआ हरिया “
“थोड़ी देर में पता चल जाएगा “
तभी बंगले से ठाकुर बाहर आया उसे देखकर मानो मेरा ख़ून ही सुख गया था 
उसके चहरे में वही कमीने वाली चमक थी 
“तो अपनी बीवी को चुदवाते हुए देखने आया है ,भाग क्यो रहा है पूरा देख ले और हिला ले जैसे उस दिन हिलाया था ,सॉरी आज तेरे लिए तेरी बहन नही है जिसे तू चोद सके “
ठाकुर बोलकर जोरो से हंसा और मैं कांप गया था…
मैंने हरिया की ओर देखा 
“साहब बोलो तो अपनी बीवी को भेज दु ,तुम्हारी बहन की जगह उसे चोद लेना “
वँहा खड़े गार्ड के साथ साथ ठाकुर भी हँसने लगा ..
मेरे सामने पूरा मजरा साफ था बस ये पता नही था की इन सबका पता काजल को है की नही …
“तेरी बीवी बहुत कामल की चीज है देव सोचती है की मुझे और खान को तुड़वा देगी ,इतने दिनों की दोस्ती को तुड़वा देगी ,लेकिन उसका प्लान सच में बहुत अच्छा है ,खान की दोस्ती में मुझे ऐसे भी कुछ नही मिला था ,इसलिए मैं उसके साथ हु ,लेकिन उस बेचारी को ये नही पता की मैं उसपर कितनी नजर रखे हुए हु ...और उसकी मखमल चुद को चोदने का नशा भी ऐसा है की छूटता नही …”
वो जोरो से हँसा मैं गुस्से से भर कर उसे मारने को हुआ ही था की मेरे सर पर एक जोर की चोट लगी और मैं बेहोश होता गया …………...

मेरी आंख खुली तो मैं एक काल कोठारी की तरह के कमरे में था ,सामने एक बड़ा सा कांच लगा हुआ था जिसके पार वही बेडरूम था जिसे देखने के लिए मैं उस छोटे से झरोखे का इस्तेमाल किया करता था,वो दीवाल नुमा कांच था शायद एक तरफा कांच रहा हो जिससे मैं तो उधर देख पाऊ लेकिन मुझे और इस कमरे को कोई देख नही पाए ,कमरे की छोटी छोटी आवाज भी मेरे कानो में पड़ रही थी लगा की कोई स्पीकर फिट कर दिया गया हो ,मेरे कमरे में बहुत ही अंधेरा था इतना की मुझे मेरा हाथ भी नही दिखाई दे रहा था ,उधर से आने वाला प्रकाश भी छन कर ही आ रहा था जिससे थोड़ी रोशनी समय के साथ मेरे आंखों ने अनुभव की थी ,
मैं जब थोड़ा हिलने को हुआ तब मुझे मालूम हुआ की मेरे हाथ बंधे हुए है और साथ ही मेरा मुह भी मुझे एक कुर्सी में बांध दिया गया था ,मैं इतना बेसहारा था की ठिक से हिल भी नही पा रहा था,
ना जाने मैं कब तक बेहोश रहा था ,जब मैंने आगे देखा तो मुझे बिस्तर में काजल और ठाकुर नंगे लेटे हुए दिखाई दिए थे ,मैं टूट गया और रोने लगा लेकिन यंहा मेरी आवाज सुनने वाला कौन था ,मुह में कपड़ा घुसा दिया गया था मैं ठीक से रो भी तो नही पा रहा था ,
काजल के नंगे जिस्म को ठाकुर जकड़े हुए सो रहा था ,और काजल का हाथ भी ठाकुर के कंधे में थी ,स्वाभाविक है की मेरी बेहोशी में ही उन्होंने हवस का खेल खेल लिया था,
ठाकुर को काजल की मुलायम मखमली चुद पसंद थी …
वो उसके नशे में है …
ये सोचकर ही मुझे काजल और ठाकुर से घृणा आने लगी थी..
ना जाने वो कब तक ऐसे ही सोते रहे ,मेरा जागना और सोना दोनो ही बेमतलब था,
फिर भी मेरे लिए सो जाना ही आराम का एक मात्रा रास्ता बचा था …

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मेरी नींद खुली काजल के गुनगुनाने की आवाज काजल मेरे ठीक सामने खड़ी होकर अपने बालो से खेल रही थी,असल में वो उस आदमकद कांच के सामने थी जिसके पीछे मैं था ,उसके चहरे से तो यही लग रहा था की वो इस बात से बेखबर है ,लेकिन मैं उसके नंगे जिस्म को देख पा रहा था ,वो अपने पेट में पड़े हुए उस दांत के निशान को देखती है जिसे शायद आज के हवस के खेल में ठाकुर ने उसे दिया था ,वो अब भी लाल और ताजा था ,वो थोड़ी डर होकर पास ड्रेसिंग से एक क्रीम ले आयी और फिर से उसे मेरे सामने ही लगाने लगी ,
तभी ठाकुर भी आ चुका था ,उसका काला लिंग किसी सांप की तरह उसके जांघो के बीच लटक रहा था और वो आकर काजल को पीछे से पकड़ कर उसकी योनि को सहलाने लगा ,
“रात भर तो इसे रगड़ लिए हो फिर से खेल रहे हो इससे “
काजल ने हल्के से हंसते हुए कहा,
ठाकुर दर्पण से ऐसे देखा जैसे मेरी आंखों में ही देख रहा हो,उसके होठो में एक बहुत ही कमीनी सी मुस्कान थी ,उसने अपनी उंगली उसकी योनि में घुसा दी …
“अरे जानेमन ये तो मख्खन है जितना भी घुसाओ साला फिर से टाइट हो जाता है,इतना नरम और गर्म तो मैंने आजतक किसी का नही देखा “
वो बड़े ही अदा से उसकी योनि को सहला रहा था ,काजल के होठो ने भी सिसकियां छोड़ दी ,उसकी आंखे बंद हो गई थी ,लेकिन ठाकुर मेरे आंखों में देखने लगा और उसके होठो की मुस्कान बहुत ही गहरी थी ..
“पता नही तेरा पति कैसा चुतिया है जो इस मखमली चुद को छोड़कर दुसरो के पीछे पड़ा हुआ है ..”
मैं शर्म से पानी पानी हो रहा था 
लेकिन उसकी इस बात से काजल में तुरतं ही फर्क आया 
वो उससे अलग हो गई 
“कितनी बार कहा की उस चूतिए का नाम लेकर मेरा मूड खराब मत किया करो साले तो अपनी बहन चोदनी है उसे साथ लेकर भाग गया साला नामर्द ,हरिया ने बताया था ना की कैसे मुझे तुम्हारे साथ देखकर साला अपनी बहन के साथ छि ऐसे नामर्द का नाम मेरे सामने फिर कभी मत लेना “
काजल की बात सुनकर मैं बिल्कुल ही स्तब्ध रह गया ,शायद मेरे किसी पुराने कर्मो की ही सजा था ,या शायद उस बेवफा से इतना प्यार करने की सजा …
काजल मेरे बारे में ऐसा सोचती है ये सोच कर ही मैं टूट गया ,रही सही थोड़ी हिम्मत भी टूट ही गई ,अब बस यंहा पड़े हुए मुझे मौत का ही इंतजार था ना जाने वो किस रूप में आएगी …
ठाकुर ने उसका मूड ठीक करने के लिए उसे पुचकारने लगा और फिर मेरे ही सामने फिर से वो दो जिस्म मिल गए ,लेकिन इस बार ठाकुर ने काजल को उसी कांच में टिकाया था ,काजल का हाथ उस कांच को थामे हुए था और ठाकुर उसे पीछे से ही भरे जा रहा था ….
ठाकुर की आंखे मुझपर ही टिकी थी और काजल की आहो से पूरा कमरा गूंज रहा था ,लेकिन मुझे ना ही उनके इस कृत्य में कोई मजा आ रहा था ना ही मैं उसे दिखना चाहता था,मैं तो बस भगवान से अब अपनी मौत की ही दुवा कर रहा था …

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ठाकुर और काजल का खेल खत्म हो चुका था और दोनो एक साथ ही बाथरूम में घुस चुके थे ,...
ठाकुर जाने को तैयार हो चुका था ,मैंने कमरे की दीवार में लगी हुई घड़ी देखी,8 बज चुका था अभी तक किसी ने मेरी कोई सुध भी नही ली थी ,काजल अब भी एक नाइटी में ही थी ,ठाकुरर जाने लगा तभी काजल ने उसे रोका और अपने पर्स से एक पुड़िया निकाली 
“अजीम को दे देना “
“कितना ख्याल रखती हो तुम उसका ,साले को मर जाने दो नशे के बिना “
काजल खिलखिला पड़ी 
“इतना जल्दी मर जाएगा तो जायजाद हमारे नाम कैसे होगा “
काजल की कमीनी मुस्कान के साथ ही ठाकुर भी मुस्कुरा उठा और वो पुड़िया अपने जेब में डाल ली,दोनो एक दूसरे के होठो को किसी प्रेमी की तरह चूसते रहे और वो निकल गया …
उसके जाने के बाद काजल उस कांच तक आयी और अपने को निहारने लगी ,उसने अपनी नाइटी निकाल फेंकी थी और अपने जिस्म को ध्यान से देखने लगी फिर उसने अपनी ही आंखों को देखा ,उसके होठो में एक मुस्कान थी ……..
भयानक डरा देने वाली मुस्कान ……...

काजल की आंखे भयावह थी ,लाल आंखे जैसे शैतान हँस रहा हो ,लेकिन फिर कुछ बूंदे पानी की भी उनमे आ गई थी ,
मैं स्तब्ध सा उसे देख रहा था ,उसके चहरे में मुस्कान खिल गई थी लेकिन ये मुस्कान भी बहुत ही डरावनी थी लगा जैसे किसी शैतान का कोई शैतानी मकसद पूरा हो गया हो …
वो जाकर अपने कपड़े पहन रही थी की दरवाजे में दस्तक हुई,जब दरवाजा खोला गया तो सामने अंजू (हरिया की बीवी) थी …
अंजू पसीने से सनी हुई थी ,उसकी सांसे उखड़ी हुई थी ,चहरा पिला था जैसे बहुत डरी हुई हो और हाथ में चाय की प्याली थी..
काजल उसकी हालत देखते ही समझ चुकी थी की डाल में कुछ काला है ..
“क्या बात है अंजू”
उसने बहुत धीरे से कहा था लेकिन मुझे उसकी आवाज सुनाई दी ,
“मेडम वो ..वो “
वो इधर उधर देखने लगी 
“अंदर आओ “
उसके अंदर आते ही काजल ने दरवाजा बंद कर लिया..
अंदर आते ही अंजू ने तुरत ही चाय की ट्रे रखी और बोल पड़ी 
“मेडम देव साहब कल आये थे,मैंने देखा था ..ठाकुर और हरिया उसे बांध के इस कमरे में बंद कर दिए थे ..”
उसने कांच की तरफ इशारा किया ,काजल अजीब सी निगाहों से कांच की ओर देखने लगी 
“पहले क्यो नही बताया “
काजल चीखी
“वो हरिया…”
अंजू कुछ बोल पाती इससे पहले ही काजल कमरे से बाहर जा चुकी थी ,
थोड़ी ही देर में मेरे कमरे का दरवाजा खुला और काजल और अंजू ने मिलकर मुझे खोल दिया ..
रात के मार और मानसिक शारीरिक मानसिक पीड़ा से मैं टूट चुका था ,और बहुत ही थक चुका था,जैसे ही मैं खड़ा हो पाया था मेरे गालो से एक जोर का हाथ पड़ा …
“क्या जरूरत थी तुम्हे यंहा आने की ,हमारे बीच अब बचा ही क्या है जो तुम यंहा आये थे ..”
काजल की चीख से मैं बुरी तरह से झेंपा 
“ये क्या कर रही है मेडम साहब को पता चला तो “
हरिया की आवाज आयी ,अबतक सभी कमरे से बाहर आ चुके थे ,
हरिया अंजू को लाल लाल आंखों से देख रहा था 
“मैं उसे सम्हाल लुंगी इसे जाने दो “
“मैं इसे नही जाने दे सकता “इस बार हरिया की आवाज में दृढ़ता थी 
“जाने दीजिये ना “अंजू ने थोड़ा सहमे आवाज में कहा 
“चुप कर रांड साली तुझे तो मैं बाद में देखता हु “
हरिया चिल्लाया और अंजू बिल्कुल ही सहम सी गई ..
लेकिन काजल की आंखों में जैसे आग उतर आया था…
“जब मैंने कह दिया की ये जा रहा है तो तेरे बात समझ में नही आती “
“चुप कर साली ,”
हरिया भी तमतमाया 
“दो कौड़ी की रांड मुझे सिखाएगी,जब तक ठाकुर साहब नही कह देते ये कही नही जाएगा “
काजल की आंखों में खून उतर आया था और उसने हरिया को मारने के लिए अपना हाथ उठाया लेकिन हरिया मजबूत आदमी था ,उसने उसका हाथ पकड़ लिया साथ ही उसे एक ओर धक्का देकर मुझे फिर से कमरे के अंदर ले जाने लगा ,
काजल ने पास से एक कुल्हाड़ी उठायी और ……
“नही …..”अंजू की चीख फिजा में गूंज गई ,काजल का चहरा खून से सना हुआ था ,और हरिया के सर के कई टुकड़े बिखर गए थे ,खून से जमीन लाल हो चुकी थी…
काजल ने कुल्हाड़ी एक ओर फेक दी ...और अंजू की ओर देखा जो अभी बिल्कुल किसी मूर्ति सी जमी खड़ी थी …
मैं भी कुछ सोचने समझने की हालत में नही था …
“तू क्यो रो रही है ,यही तो है जो तुझे खान और ठाकुर के सामने नंगी करके नचवाता था,तेरी जैसी गांव की भोली भाली लड़की को साले ने रांड बना दिया,उसके लिए आंसू बहा रही है ……
काजल ने फिर से वो कुल्हाड़ी उठा ली 
“ये ले जा अपने उस ससुर की भी लीला आज खत्म कर दे जो ये सब होंते हुए देखने के बाद भी चुप रहा ,और इन सबमे साथ देता रहा,और अपने कपड़े बांध ले ,बच्चों को स्कूल से ही उठा लेंगे ...ये काम तो पहले ही कर देना था,थोड़ी देर हो गई …”
अंजू थोड़ा सम्हल गई थी और कुल्हाड़ी को अपने हाथो में पकड़ लिया ..लेकिन उसके होठ कुछ कहने को फड़फड़ा रहे थे…
“ठाकुर साहब …”
काजल के खून से सजे चहरे पर वो मुस्कान शैतान का भी दिल दहला देती ..
“उसका इंतजाम मैंने कर दिया है ,आज खान और ठाकुर खून के आंसू रोयेंगे ,”

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थोड़ी ही देर में हम फॉर्महाउस से बाहर थे,मुझे मेरी कार तक छोड़कर काजल अंजू को लेकर चली गई थी ,मेरे दिमाग में बार बार काजल के वो शब्द गूंज रहे थे …...

‘क्या जरूरत थी तुम्हे यंहा आने की ,हमारे बीच अब बचा ही क्या है जो तुम यंहा आये थे ..’

‘उसका इंतजाम मैंने कर दिया है ,आज खान और ठाकुर खून के आंसू रोयेंगे’

हमारे बीच में अब बचा ही क्या है ?????????
ये सवाल मुझे खाये जा रहा था ……

आज खान और ठाकुर खून के आंसू रोयेंगे…..ऐसा क्या कर दिया था काजल ने ???
 
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