hotaks444
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वो जिसे प्यार कहते हैं
भाइयो मेरी पहली कहानी समाप्त हो चुकी है इसीलिए एक और कहानी शुरू करने जा रहा हूँ आशा करता हूँ आप इसे ज़रूर पसंद करेंगे
मंडे का दिन, केवल 10 किमी का रास्ता घर से अंधेरी में ऑफीस तक, राजेश को हमेशा 25 मिनट ही लगते थे. आज ऐसा लग रहा था कि ये रास्ता कभी ख़तम ही नही होगा.
आज कुछ ऐसा ज़रूर था, कुछ मिस्सिंग सा लग रहा था. इतना अशांत वो कभी नही हुआ. कुछ ना कुछ अड़चने आती जा रही थी अभी आधा रास्ता भी तय नही हुआ था और उसे लग रहा था जैसे जन्मों से बाइक चला रहा हो.
उमसदार वातावरण उसके गुस्से को चार चाँद लगाने लगा. हर सिग्नल पे रुकना पड़ता और वो ‘टाइमिंग’ को गाली देता. हां ये ग़लत टाइमिंग की ही बात है, वरना इतने सारे झंझट एक साथ कैसे और वो भी अचानक.
राजेश दरअसल एक हफ्ते बाद ऑफीस जा रहा था. उसकी सगाई पंजाब की एक खूबसूरत लड़की सिमिरन के साथ पिछले हफ्ते हुई थी.
उसे मालूम था जिस मॅट्रिमोनियल वेबसाइट कंपनी में वो एड.-सेल्स मॅनेजर है वहाँ सब उसकी बाल की खाल निकाल निकाल कर सवाल करेंगे. और यही वो बिल्कुल नही चाहता था.
शादी नाम सोच कर ही लोग नयी आने वाली जिंदगी के बारे में कल्पनाएं करने लग जाते हैं, एक नयी उमंग, एक नया उत्साह उनमे भर जाता है, लेकिन राजेश के लिए ऐसा नही था. ये सगाई उसने ज़बरदस्ती अपने माँ बाप के कहने पे करी थी जो अमृतसर रहते हैं. सगाई के बाद ही खुश होने की जगह एक एक कर के सारी उलझने सामने आने लगी जो उसकी जिंदगी की किताब में दबी पड़ी थी.
क्या वो शादी करने के लिए मानसिक रूप से तयार है? क्या सिमिरन उसके लिए सही लड़की साबित होगी .क्या उसका ताल मेल उसके साथ बैठ जायगा, क्या वो उसके साथ अड्जस्ट कर पाएगी, या वो खुद उसके साथ अड्जस्ट कर पाएगा. क्या आज की दुनिया में अरेंज्ड मॅरेज कामयाब होगी?
पता नही क्या क्या सवाल उसके दिमाग़ में उठने लगे जिस की वजह से कभी कभी वो कहीं और खो जाता और उसकी एकाग्रता पर फरक पड़ने लगा. इस कारण वो रेड लाइट क्रॉस कर गया, शुक्र है कोई आक्सिडेंट नही हुआ, लेकिन कॉन्स्टेबल ने बहुत खुश हो कर,उसकी बाइक का नंबर. नोट कर लिया. और राजेश बाइक दौड़ाता चला गया, कॉन्स्टेबल की हरकत को नज़र-अंदाज करते हुए,जो होगा देखा जाएगा.
पोलीस कहीं रोक ना ले इस लिए उसने अपनी स्पीड बढ़ा दी. अभी मुश्किल से 1किमी ही आगे गया था कि बाइक रोकनी पड़ी, सामने लोकल एंपी का जलूस जा रहा था जो उसके 15 मिनट खा गया. मज़े की बात ये वो एंपी उसी सरकार के खिलाफ जलूस निकल रहा था जिसका वो खुद मेंबर था.
इस रुकावट की वजह से उसके दिमाग़ में फिर कई सवाल खड़े हो गये अपनी फियान्से सिमरन के बारे में और अपने बॉस मूर्ति के बारे में. आगे बढ़ने पे एक एक कर हर सिग्नल पर उसे रुकना पड़ा हो, रोज उसे हरी झंडी दिखाया करते थे. ऐसा लग रहा था जैसे उसके खिलाफ कोई कॉन्स्पिरेसी करी जा रही हो – ‘बॅड टाइमिंग’.
हर सिग्नल पर जब बाइक रुकती तो वो अपनी शक्ल बॅक व्यू मिरर में ज़रुस देखता . अपनी लुक्स के लिए बहुत ही कॉन्षियस था.
कुछ देर बाद उसे बहुत ही कष्ट सा महसूस होने लगा. एक डर दिमाग़ में घर कर गया. सोचने पर महसूस किया कि डीहाइड्रेशन हो रही है. पर ऐसे क्यूँ हो रहा है, शायद आज बहुत पसीना आ रहा है इसलिए. दोपहर से पहले ही तापमान 39 को छू रहा था और उमस भी बहुत ज़यादा थी.उसकी दिमागी हालत और बिगड़ने लगी जैसे जैसे उसे और पसीना आता गया.
अपनी बाइक पे चलाते हुए , वो उम्मीद कर रहा था कि इस जानलेवा गर्मी से कब छुटकारा मिलेगा, कब मुंबई का मान्सून शुरू होगा.ये उसका पहला मान्सून होगा मुंबई में. उसने मुंबई की बारिश के बारे में बहुत सुना था और हिन्दी मूवीस में बहुत बहुत देखा था. अब मई के आखरी हफ्ते में, मुंबई की जादुई बारिश ज़यादा दूर नही थी, कुछ ही हफ्तों में शुरू हो जाएगी.
कुछ पल के लिए उसने सिमरन और खुद को इस बारिश का मज़ा लेते हुए सोचा.फिर इस ख़याल को दिमाग़ से झटक दिया, क्या वो दोनो सच में रोमॅंटिक लगेंगे मुंबई की बारिश में भीगते हुए – जैसे शाह रुख़ और काजोल लगते हैं डीडीएलजी में.
कोई भी अगर उसके दिमाग़ में घूमती हुई इन बातो को जानता तो निसंदेह उसे पागल करार कर देता.
ऐसा ही हाल था उसके दिमाग़ का जब वो ऑफीस से कुछ ही दूरी पे था.
जब राजेश ऑफीस में घुसा तो उसने ऑफीस काफ़ी खाली पाया. कम से कम एक तिहाई स्टाफ गायब था. अपनी चिरपरिचित मुस्कान के साथ पायल – रिसेप्षनिस्ट- ने उसका स्वागत किया.
राजेश को कुछ गड़बड़ लग रही थी और पायल की बत्तीसी से कुछ पता नही चलने वाला था. वो आर्यन के ऑफीस की तरफ लपका तो ऑफीस खाली था.
‘आर्यन साहिब, बड़े बॉस के कॅबिन में हैं’ पीयान ने बताया.
आर्यन के ऑफीस में बैठ कर वेट करना ही उसे उत्तम लगा, ताकि बड़े बॉस का सामना करने से पहले करेंट स्थिती का पता चल जाए. एर कंडीशंड ऑफीस में वेट करते हुए भी वो पसीने से सराबोर हो रहा था, और बाहर की गर्मी से ज़यादा पसीना तो एसी में आ रहा था. आस पास के लोगो को घूरते हुए वो तनावग्रस्त होते हुए अपने नाख़ून चबाने लगा.
******* का दावा था कि कम से कम 10000 शादियाँ दुनिया भर में इस पोर्टल के द्वारा हुई हैं और 2 मिलियन से ज़यादा रिजिस्टर्ड लोग हैं .
एक कमर्षियल कॉंप्लेक्स के तीसरे फ्लोर पे इनका ऑफीस है, छोटा ऑफीस लेकिन प्लॅनिंग अच्छी है.
ऑफीस का दरवाजा खुलते ही सामने पायल बैठ ती है अपनी जादुई मुस्कान लिए जो हर आनेवाले का दिल मोह लेती है.
ऑफीस का एक पार्ट मार्केटिंग और फाइनान्स की लिए है जहाँ 4 कॅबिन बने हुए हैं उनमे से एक राजेश का है एक आर्यन का जो सीए है और राजेश का दोस्त भी. दूसरे हिस्से में जमघट है लड़कियों का जो वेब डिज़ाइनिंग, मेंटेनेन्स, सबस्क्रिपशन लेना वगेरा वगेरा करती हैं. रिसेप्षन के पीछे आ छोटा कॅबिन है जहाँ दो लोग बैठ सकते हैं एडिटोरियल टीम के पर अभी सिर्फ़ एक ही है समीर.
मेज़. फ्लोर पे सीईओ का ऑफीस है एक कान्फरेन्स हाल है जो मीटिंग वगेरा के लिए इस्तेमाल होता है, लोग वहाँ लंच भी कर लिया करते हैं.
किसी के आने की आवाज़ से राजेश यथार्थ में वापस आता है. गर्दन घुमा कर देखा तो आर्यन था. ‘अरे कब आया भाई, बहुत खुशी हुई तुझे देख के’ खुशी प्रकट करते हुए आर्यन राजेश के गले लगता है.
‘बस अभी थोड़ी देर पहले, क्या पंगा है मूर्ति का, सुबह तो तुम्हारी कभी उसके साथ मीटिंग नही हुआ करती थी, सब ठीक तो है’राजेश के आवाज़ में चिंता और उत्सुकता दोनो ही थे.
‘तुम्हें तो पता ही है उसके बारे में, हर वक़्त टेन्षन – छोड़ उसे – ये बता तेरे साथ क्या हुआ’
अपने ही ख़यालों में राजेश ने पूछा – ‘यार ये ऑफीस आधे से ज़यादा खाली लग रहा है’
भाइयो मेरी पहली कहानी समाप्त हो चुकी है इसीलिए एक और कहानी शुरू करने जा रहा हूँ आशा करता हूँ आप इसे ज़रूर पसंद करेंगे
मंडे का दिन, केवल 10 किमी का रास्ता घर से अंधेरी में ऑफीस तक, राजेश को हमेशा 25 मिनट ही लगते थे. आज ऐसा लग रहा था कि ये रास्ता कभी ख़तम ही नही होगा.
आज कुछ ऐसा ज़रूर था, कुछ मिस्सिंग सा लग रहा था. इतना अशांत वो कभी नही हुआ. कुछ ना कुछ अड़चने आती जा रही थी अभी आधा रास्ता भी तय नही हुआ था और उसे लग रहा था जैसे जन्मों से बाइक चला रहा हो.
उमसदार वातावरण उसके गुस्से को चार चाँद लगाने लगा. हर सिग्नल पे रुकना पड़ता और वो ‘टाइमिंग’ को गाली देता. हां ये ग़लत टाइमिंग की ही बात है, वरना इतने सारे झंझट एक साथ कैसे और वो भी अचानक.
राजेश दरअसल एक हफ्ते बाद ऑफीस जा रहा था. उसकी सगाई पंजाब की एक खूबसूरत लड़की सिमिरन के साथ पिछले हफ्ते हुई थी.
उसे मालूम था जिस मॅट्रिमोनियल वेबसाइट कंपनी में वो एड.-सेल्स मॅनेजर है वहाँ सब उसकी बाल की खाल निकाल निकाल कर सवाल करेंगे. और यही वो बिल्कुल नही चाहता था.
शादी नाम सोच कर ही लोग नयी आने वाली जिंदगी के बारे में कल्पनाएं करने लग जाते हैं, एक नयी उमंग, एक नया उत्साह उनमे भर जाता है, लेकिन राजेश के लिए ऐसा नही था. ये सगाई उसने ज़बरदस्ती अपने माँ बाप के कहने पे करी थी जो अमृतसर रहते हैं. सगाई के बाद ही खुश होने की जगह एक एक कर के सारी उलझने सामने आने लगी जो उसकी जिंदगी की किताब में दबी पड़ी थी.
क्या वो शादी करने के लिए मानसिक रूप से तयार है? क्या सिमिरन उसके लिए सही लड़की साबित होगी .क्या उसका ताल मेल उसके साथ बैठ जायगा, क्या वो उसके साथ अड्जस्ट कर पाएगी, या वो खुद उसके साथ अड्जस्ट कर पाएगा. क्या आज की दुनिया में अरेंज्ड मॅरेज कामयाब होगी?
पता नही क्या क्या सवाल उसके दिमाग़ में उठने लगे जिस की वजह से कभी कभी वो कहीं और खो जाता और उसकी एकाग्रता पर फरक पड़ने लगा. इस कारण वो रेड लाइट क्रॉस कर गया, शुक्र है कोई आक्सिडेंट नही हुआ, लेकिन कॉन्स्टेबल ने बहुत खुश हो कर,उसकी बाइक का नंबर. नोट कर लिया. और राजेश बाइक दौड़ाता चला गया, कॉन्स्टेबल की हरकत को नज़र-अंदाज करते हुए,जो होगा देखा जाएगा.
पोलीस कहीं रोक ना ले इस लिए उसने अपनी स्पीड बढ़ा दी. अभी मुश्किल से 1किमी ही आगे गया था कि बाइक रोकनी पड़ी, सामने लोकल एंपी का जलूस जा रहा था जो उसके 15 मिनट खा गया. मज़े की बात ये वो एंपी उसी सरकार के खिलाफ जलूस निकल रहा था जिसका वो खुद मेंबर था.
इस रुकावट की वजह से उसके दिमाग़ में फिर कई सवाल खड़े हो गये अपनी फियान्से सिमरन के बारे में और अपने बॉस मूर्ति के बारे में. आगे बढ़ने पे एक एक कर हर सिग्नल पर उसे रुकना पड़ा हो, रोज उसे हरी झंडी दिखाया करते थे. ऐसा लग रहा था जैसे उसके खिलाफ कोई कॉन्स्पिरेसी करी जा रही हो – ‘बॅड टाइमिंग’.
हर सिग्नल पर जब बाइक रुकती तो वो अपनी शक्ल बॅक व्यू मिरर में ज़रुस देखता . अपनी लुक्स के लिए बहुत ही कॉन्षियस था.
कुछ देर बाद उसे बहुत ही कष्ट सा महसूस होने लगा. एक डर दिमाग़ में घर कर गया. सोचने पर महसूस किया कि डीहाइड्रेशन हो रही है. पर ऐसे क्यूँ हो रहा है, शायद आज बहुत पसीना आ रहा है इसलिए. दोपहर से पहले ही तापमान 39 को छू रहा था और उमस भी बहुत ज़यादा थी.उसकी दिमागी हालत और बिगड़ने लगी जैसे जैसे उसे और पसीना आता गया.
अपनी बाइक पे चलाते हुए , वो उम्मीद कर रहा था कि इस जानलेवा गर्मी से कब छुटकारा मिलेगा, कब मुंबई का मान्सून शुरू होगा.ये उसका पहला मान्सून होगा मुंबई में. उसने मुंबई की बारिश के बारे में बहुत सुना था और हिन्दी मूवीस में बहुत बहुत देखा था. अब मई के आखरी हफ्ते में, मुंबई की जादुई बारिश ज़यादा दूर नही थी, कुछ ही हफ्तों में शुरू हो जाएगी.
कुछ पल के लिए उसने सिमरन और खुद को इस बारिश का मज़ा लेते हुए सोचा.फिर इस ख़याल को दिमाग़ से झटक दिया, क्या वो दोनो सच में रोमॅंटिक लगेंगे मुंबई की बारिश में भीगते हुए – जैसे शाह रुख़ और काजोल लगते हैं डीडीएलजी में.
कोई भी अगर उसके दिमाग़ में घूमती हुई इन बातो को जानता तो निसंदेह उसे पागल करार कर देता.
ऐसा ही हाल था उसके दिमाग़ का जब वो ऑफीस से कुछ ही दूरी पे था.
जब राजेश ऑफीस में घुसा तो उसने ऑफीस काफ़ी खाली पाया. कम से कम एक तिहाई स्टाफ गायब था. अपनी चिरपरिचित मुस्कान के साथ पायल – रिसेप्षनिस्ट- ने उसका स्वागत किया.
राजेश को कुछ गड़बड़ लग रही थी और पायल की बत्तीसी से कुछ पता नही चलने वाला था. वो आर्यन के ऑफीस की तरफ लपका तो ऑफीस खाली था.
‘आर्यन साहिब, बड़े बॉस के कॅबिन में हैं’ पीयान ने बताया.
आर्यन के ऑफीस में बैठ कर वेट करना ही उसे उत्तम लगा, ताकि बड़े बॉस का सामना करने से पहले करेंट स्थिती का पता चल जाए. एर कंडीशंड ऑफीस में वेट करते हुए भी वो पसीने से सराबोर हो रहा था, और बाहर की गर्मी से ज़यादा पसीना तो एसी में आ रहा था. आस पास के लोगो को घूरते हुए वो तनावग्रस्त होते हुए अपने नाख़ून चबाने लगा.
******* का दावा था कि कम से कम 10000 शादियाँ दुनिया भर में इस पोर्टल के द्वारा हुई हैं और 2 मिलियन से ज़यादा रिजिस्टर्ड लोग हैं .
एक कमर्षियल कॉंप्लेक्स के तीसरे फ्लोर पे इनका ऑफीस है, छोटा ऑफीस लेकिन प्लॅनिंग अच्छी है.
ऑफीस का दरवाजा खुलते ही सामने पायल बैठ ती है अपनी जादुई मुस्कान लिए जो हर आनेवाले का दिल मोह लेती है.
ऑफीस का एक पार्ट मार्केटिंग और फाइनान्स की लिए है जहाँ 4 कॅबिन बने हुए हैं उनमे से एक राजेश का है एक आर्यन का जो सीए है और राजेश का दोस्त भी. दूसरे हिस्से में जमघट है लड़कियों का जो वेब डिज़ाइनिंग, मेंटेनेन्स, सबस्क्रिपशन लेना वगेरा वगेरा करती हैं. रिसेप्षन के पीछे आ छोटा कॅबिन है जहाँ दो लोग बैठ सकते हैं एडिटोरियल टीम के पर अभी सिर्फ़ एक ही है समीर.
मेज़. फ्लोर पे सीईओ का ऑफीस है एक कान्फरेन्स हाल है जो मीटिंग वगेरा के लिए इस्तेमाल होता है, लोग वहाँ लंच भी कर लिया करते हैं.
किसी के आने की आवाज़ से राजेश यथार्थ में वापस आता है. गर्दन घुमा कर देखा तो आर्यन था. ‘अरे कब आया भाई, बहुत खुशी हुई तुझे देख के’ खुशी प्रकट करते हुए आर्यन राजेश के गले लगता है.
‘बस अभी थोड़ी देर पहले, क्या पंगा है मूर्ति का, सुबह तो तुम्हारी कभी उसके साथ मीटिंग नही हुआ करती थी, सब ठीक तो है’राजेश के आवाज़ में चिंता और उत्सुकता दोनो ही थे.
‘तुम्हें तो पता ही है उसके बारे में, हर वक़्त टेन्षन – छोड़ उसे – ये बता तेरे साथ क्या हुआ’
अपने ही ख़यालों में राजेश ने पूछा – ‘यार ये ऑफीस आधे से ज़यादा खाली लग रहा है’