hotaks444
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उसके बाद राजेश बातों के बहाव के साथ ही बढ़ता रहा और मिनी को बीच बीच में प्रतिक्रिया करना और आगे बात बढ़ाने के क्लू देता रहा. वो अपने अनुभव से जानता था कि क्लाइंट के साथ घनिष्टता बनाना बहुत ज़रूरी है.
‘तुम जानते हो, तुम बाकी मार्केटिंग लोगों से बहुत अलग हो. जो सेल्स के लिए पागल होते हैं वो शहर और वेदर के बारे में बात नही करते. मेरा मतलब है अगर ट्राइ भी करते हैं तो उनका खोखलापन सामने आ जाता है. तुम एक बहुत ही संवेदनशील आदमी हो.’
राजेश इस कॉंप्लिमेंट से बहुत हैरान हुआ. लेकिन उसकी बात का मतलब क्या था ये वो समझ नही पाया. क्या वो उस से इंप्रेस हो गई थी? या फिर वो हिंट दे रही थी कि वो एक सक्षम मार्केटिंग का आदमी नही है?
ये जानते हुए कि मिनी रोज कितने ही लोगो से मिलती है , वो आदमी की पहचान रखती है कौन अच्छा है और कौन बुरा. राजेश खुद ये बात मानता था कि अच्छे आदमी मार्केटिंग के लिए अच्छे नही होते.
या फिर ये एक स्वाभाविक टिप्पणी है? फिर भी उसकी बात से ये झलक रहा था कि उसे मार्केटिंग के लोग पसंद नही हैं, जबकि वो खुद एक मार्केटिंग की प्रोफेशनल है.
‘ मेडम, आप भी बहुत अलग हो दूसरे ब्रांड मॅनेजर्स के मुक़ाबले में जिनसे मैं अब तक मिला हूँ. आप बहुत ही शांत और स्नेही हो. मेरा मतलब कोई किसी ब्रांड मॅनेजर को मीडीया के सेल्स वालों के साथ इतने मित्रभाव से बात करते हुए नही देखेगा.’
‘शायद इसका मेरा मनोविज्ञान के प्रति लगाव होने से कुछ नाता हो. मुझे अलग अलग लोगों से मिलना और ये पता करना कि कौन कब और किन हालत में कैसे बिहेव करता है, अच्छा लगता है.’
‘आह तब तो मुझे सावधान रहना चाहिए, ज़रूर आप मेरे बारे में भी कुछ अनुमान लगा रही होंगी जैसे जैसे हम बात कर रहे हैं?’
‘नोट रियली, लेकिन एक बात मुझे तुम्हारे अंदर अच्छी लगती है, और वो है अराख़शीतता एक जवान महत्वाकांक्षी की जो मुंबई अपनी अभिलाशाओं को पूरा करने आया है और बहुत मेहनत कर रहा है. क्या तुम जानते हो मुंबई की खास बात ये है कि जो तुम अभिलाषा रखते हो , उसकी जगह वो तुम्हे कुछ और देता है.’
राजेश को आश्चर्य हुआ कि ये मिनी अपने मनोविज्ञान के ज्ञान की वजह से इतनी परिशुधता के साथ बोल रही है या फिर उसे वाकई में वो उसे एक दिलचस्प इंसान लगा है.
‘मेडम आप अड्वर्टाइज़िंग में कैसे आ गये मनोविज्ञान छोड़ कर?’
‘शायद अगर आज मुझे फ़ैसला लेना होता तो मैं मास्टर्स मनोविज्ञान में ही करती. पर हमारे दिनो में हमे वो करना पड़ता था जो हमारे माँ बाप चाहते थे ना कि जो हम चाहते थे. मेरी मोम ने मुझे इन्स्टिट्यूट के फॉर्म ला कर दे दिए. जो मैने भरे और बाकी उसके बाद चलता रहा.’
‘क्या कोई खास इंसान है जिसके गुण आपको अच्छे लगते हैं? या फिर आप अन्य लोगो के गुनो के बारे में भी जानना चाहती हैं?’
‘औरतों में मेरी ज़यादा रूचि है. अगर मेरे लिए संभव हो तो मैं उनके दिमाग़ में घुस कर उनके मनोविज्ञान को खोल के रखना चाहूँगी’
‘और ये औरतें कौन होंगी?’
‘कुछ पक्का नही सोचा. पर ये औरतें वो होंगी जो असाधारण परिस्थिति से गुज़री हैं, जिनकी जिंदगी में इतना कुछ होता है जो शायद मेरी और तुम्हारी जिंदगी झेल भी ना पाए’
‘औरतें जैसे ……’
‘ जैसे सोनिया गाँधी पक्का, शायद रबरी देवी . और अगर में लिस्ट में नीचे जाउ तो शायद फूलन देवी अगर वो जिंदा होती, और शायद मल्लिका शेरावत भी’
‘मगर ये औरतें ही क्यूँ अगर मुझे पूछने की इज़ाज़त हो तो?’
‘क्यूंकी ये सब उत्तर्जीवी हैं. कमजोर स्तिथि में होते हुए भी ये उस उँचान पे पहुँची जहाँ से इन्हे हिलना आसान नही था’
‘तुम जानते हो, तुम बाकी मार्केटिंग लोगों से बहुत अलग हो. जो सेल्स के लिए पागल होते हैं वो शहर और वेदर के बारे में बात नही करते. मेरा मतलब है अगर ट्राइ भी करते हैं तो उनका खोखलापन सामने आ जाता है. तुम एक बहुत ही संवेदनशील आदमी हो.’
राजेश इस कॉंप्लिमेंट से बहुत हैरान हुआ. लेकिन उसकी बात का मतलब क्या था ये वो समझ नही पाया. क्या वो उस से इंप्रेस हो गई थी? या फिर वो हिंट दे रही थी कि वो एक सक्षम मार्केटिंग का आदमी नही है?
ये जानते हुए कि मिनी रोज कितने ही लोगो से मिलती है , वो आदमी की पहचान रखती है कौन अच्छा है और कौन बुरा. राजेश खुद ये बात मानता था कि अच्छे आदमी मार्केटिंग के लिए अच्छे नही होते.
या फिर ये एक स्वाभाविक टिप्पणी है? फिर भी उसकी बात से ये झलक रहा था कि उसे मार्केटिंग के लोग पसंद नही हैं, जबकि वो खुद एक मार्केटिंग की प्रोफेशनल है.
‘ मेडम, आप भी बहुत अलग हो दूसरे ब्रांड मॅनेजर्स के मुक़ाबले में जिनसे मैं अब तक मिला हूँ. आप बहुत ही शांत और स्नेही हो. मेरा मतलब कोई किसी ब्रांड मॅनेजर को मीडीया के सेल्स वालों के साथ इतने मित्रभाव से बात करते हुए नही देखेगा.’
‘शायद इसका मेरा मनोविज्ञान के प्रति लगाव होने से कुछ नाता हो. मुझे अलग अलग लोगों से मिलना और ये पता करना कि कौन कब और किन हालत में कैसे बिहेव करता है, अच्छा लगता है.’
‘आह तब तो मुझे सावधान रहना चाहिए, ज़रूर आप मेरे बारे में भी कुछ अनुमान लगा रही होंगी जैसे जैसे हम बात कर रहे हैं?’
‘नोट रियली, लेकिन एक बात मुझे तुम्हारे अंदर अच्छी लगती है, और वो है अराख़शीतता एक जवान महत्वाकांक्षी की जो मुंबई अपनी अभिलाशाओं को पूरा करने आया है और बहुत मेहनत कर रहा है. क्या तुम जानते हो मुंबई की खास बात ये है कि जो तुम अभिलाषा रखते हो , उसकी जगह वो तुम्हे कुछ और देता है.’
राजेश को आश्चर्य हुआ कि ये मिनी अपने मनोविज्ञान के ज्ञान की वजह से इतनी परिशुधता के साथ बोल रही है या फिर उसे वाकई में वो उसे एक दिलचस्प इंसान लगा है.
‘मेडम आप अड्वर्टाइज़िंग में कैसे आ गये मनोविज्ञान छोड़ कर?’
‘शायद अगर आज मुझे फ़ैसला लेना होता तो मैं मास्टर्स मनोविज्ञान में ही करती. पर हमारे दिनो में हमे वो करना पड़ता था जो हमारे माँ बाप चाहते थे ना कि जो हम चाहते थे. मेरी मोम ने मुझे इन्स्टिट्यूट के फॉर्म ला कर दे दिए. जो मैने भरे और बाकी उसके बाद चलता रहा.’
‘क्या कोई खास इंसान है जिसके गुण आपको अच्छे लगते हैं? या फिर आप अन्य लोगो के गुनो के बारे में भी जानना चाहती हैं?’
‘औरतों में मेरी ज़यादा रूचि है. अगर मेरे लिए संभव हो तो मैं उनके दिमाग़ में घुस कर उनके मनोविज्ञान को खोल के रखना चाहूँगी’
‘और ये औरतें कौन होंगी?’
‘कुछ पक्का नही सोचा. पर ये औरतें वो होंगी जो असाधारण परिस्थिति से गुज़री हैं, जिनकी जिंदगी में इतना कुछ होता है जो शायद मेरी और तुम्हारी जिंदगी झेल भी ना पाए’
‘औरतें जैसे ……’
‘ जैसे सोनिया गाँधी पक्का, शायद रबरी देवी . और अगर में लिस्ट में नीचे जाउ तो शायद फूलन देवी अगर वो जिंदा होती, और शायद मल्लिका शेरावत भी’
‘मगर ये औरतें ही क्यूँ अगर मुझे पूछने की इज़ाज़त हो तो?’
‘क्यूंकी ये सब उत्तर्जीवी हैं. कमजोर स्तिथि में होते हुए भी ये उस उँचान पे पहुँची जहाँ से इन्हे हिलना आसान नही था’