hotaks444
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“मैं कहुँगी तो तुम्हें चोदेगा....” मैंने जवाब दिया।
“तो फिर कहो ना, उसे आज ही मुझे चोदने को कहो.....” वो खुश होते हुए बोली।
“इतनी जल्दी क्या है चुदवाने की, अभी तुम छोटी हो?”
“छोटी कहाँ दीदी!!!!! थोड़े महीनों में मैं इक्कीस साल की हो जाऊँगी....” उसने जवाब दिया।
“इक्कीस का होने तक इंतज़ार करो”, मैंने उसे समझाया।
“प्रॉमिस?” उसने मुझे बाँहों में भरते हुए कहा। “प्रॉमिस! मेरी जान, राज का लंड तुम्हारी कुँवारी चूत को चोदे........ ये मेरा तुम्हारे जन्मदिन पर तोहफ़ा होगा.......” मैंने उसे चूमते हुए कहा।
रजनी अभी तक आयी नहीं थी और ना ही रीना आयी थी, “टीना! चलो रजनी और रीना को देखते हैं कि वो क्या कर रहे हैं.....” कहकर हम दोनों वापस उनके कमरे में आ गये।
“रजनी! अब तुम राज को बताओ क्या हुआ”, प्रीती ने कहा।
रजनी ने कहना शुरू किया, “राज!!! जब मैं रीना के कमरे में पहुँची तो देखा कि वो वैसे ही बैठी हुई है जैसे हम उसे छोड़ कर गये थे।”
“रीना हम लोग तेरा इंतज़ार कर रहे थे, तुम आयी क्यों नहीं??? तुम नहीं जानती कि तुमने क्या देखने से मिस कर दिया?” मैंने उससे कहा।
“क्या मिस कर दिया?” उसने कहा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“यही कि किस तरह तुम्हारे पापा और राज हमारी मम्मियों को चोद रहे थे.....” मैंने हँसते हुए कहा।
“दीदी मुझे चुदाई में कोई इंटरस्ट नहीं है!!!” उसके इस जवाब ने मुझे चौंका दिया।
“चुदाई में इंटरस्ट नहीं है???? तुझे पता है एक मर्द किसी औरत को क्या सुख दे सकता है?” मैंने कहा।
“मुझे मर्द जात से नफ़रत है, सब के सब मतलबी होते हैं”, वो गुस्से में बोली। मैं मन ही मन डर गयी कि किसी ने इसके साथ रेप तो नहीं कर दिया।
“तुझे किसी ने चोद तो नहीं दिया?” मैंने पूछा।
“नहीं दीदी! मुझे किसी ने नहीं चोदा..... मैं अभी तक कुँवारी हूँ!” उसने जवाब दिया।
“तो फिर किसने तुम्हें मर्दों के बारे में ऐसा सब बताया है?”
“मेरी इंगलिश टीचर ने!!!” उसने जवाब दिया।
“तुझे नहीं पता कि मर्द का शानदार लंड औरत को कितने मज़े दे सकता है?” मैंने कहा।
“उससे ज्यादा मज़ा औरत के स्पर्श से मिलता है..... मुझे मालूम है”, उसने जवाब दिया।
“तुम्हारी इंगलिश टीचर तुम्हें छूती है क्या? कहाँ?” मैंने पूछा।
उसने शर्माते हुए अपने मम्मों की तरफ देखा। मैंने उसके मम्मे ब्लाऊज़ के ऊपर से ही दबाना शुरू किये। उसने ब्रा नहीं पहन रखी थी। मेरे हाथ के स्पर्श से ही उसके निप्पल खड़े हो गये। जैसे ही मैंने उसके निप्पल को भींचा, उसके मुँह से सिसकरी निकल पड़ी, “हाँ ऐसे ही!”
“क्या वो सिर्फ़ यही करती है या और कुछ भी?” मैंने फिर पूछा।
“नहीं वो मेरी.....” कहते हुए रीना रुक गयी।
“चलो बोलो क्या वो तुम्हारी चूत भी छूती है?” मैंने उसे दोबारा पूछा।
“हाँ दीदी!!! वो मेरी चूत भी छूती है!!!” रीना थोड़ा से मुस्कुराते हुए बोली। मैंने उसके स्कर्ट में हाथ डाल कर उसकी चूत को रगड़ दिया।
“क्या ऐसे?” मैंने पूछा।
“ओह दीदी हाँ, आपका हाथ कितना अच्छा लग रहा है!!!” वो कामुक होकर बोली।
“वो और क्या करती है?” मैंने फिर पूछा।
“कभी वो मुझे चूमती है और कभी....” इतना कह कर वो फिर शर्मा गयी, मैंने उसके ब्लाऊज़ के बटन खोल दिये और उसकी चूचियों को मुँह में लेकर चूसने लगी। मैं अपने दाँत उसके निप्पल पर गड़ा रही थी।
“ओहहहह दीदीईईई!!!!” उसके मुँह से सिसकरियाँ फ़ूट रही थीं, मैंने उसकी स्कर्ट और पैंटी उतार कर उसकी चूत को चाटना शुरू किया। मैं उसकी चूत में अपनी जीभ डाल कर घुमाने लगी। मैं तब तक उसकी चूत चाटती रही जब तक वो दो बार झड़ नहीं गयी इतनी देर में ही प्रीती और टीना रूम में आ गये।
“क्या तुमने उससे पूछा नहीं कि उसने ये सब कैसे सिखा?” मैंने रजनी से पूछा।
“आज यहाँ आने से पहले मेरे बहुत जोर देने पर उसने बताया कि उसकी फ्रैंड सलमा ने एक दिन उसे बाथरूम में पकड़ कर चूमा था। उसे मज़ा आया था। सलमा की हरकत बढ़ती गयी और अब वो रीना की चूचियों को भी चुसती थी और रीना को भी मज़ा आता था और रीना भी उसकी चीचियों को चूसती थी। एक दिन सलमा उसे उनकी इंगलिश टीचर के यहाँ ले गयी जिसने उसे औरत के स्पर्श का खूब मज़ा दिया और मर्दों के बारे मैं भड़काया। मेरे बहुत कहने पर भी वो मानने को तैयार नहीं हुई। राज!! टीना तो तैयार है पर रीना नहीं मानेगी लगता है।”
“अभी उसे इक्कीस साल का होने में बहुत टाईम है..... तब तक तुम सिर्फ़ उस पर नज़र रखो, कोई रास्ता निकल आयेगा, अगर नहीं निकला तो स्पेशल दवाई तो है ही। उसकी चूत हर हाल में फटेगी”, प्रीती ने कहा।
समय गुज़रता गया.............
!!! क्रमशः !!!
“तो फिर कहो ना, उसे आज ही मुझे चोदने को कहो.....” वो खुश होते हुए बोली।
“इतनी जल्दी क्या है चुदवाने की, अभी तुम छोटी हो?”
“छोटी कहाँ दीदी!!!!! थोड़े महीनों में मैं इक्कीस साल की हो जाऊँगी....” उसने जवाब दिया।
“इक्कीस का होने तक इंतज़ार करो”, मैंने उसे समझाया।
“प्रॉमिस?” उसने मुझे बाँहों में भरते हुए कहा। “प्रॉमिस! मेरी जान, राज का लंड तुम्हारी कुँवारी चूत को चोदे........ ये मेरा तुम्हारे जन्मदिन पर तोहफ़ा होगा.......” मैंने उसे चूमते हुए कहा।
रजनी अभी तक आयी नहीं थी और ना ही रीना आयी थी, “टीना! चलो रजनी और रीना को देखते हैं कि वो क्या कर रहे हैं.....” कहकर हम दोनों वापस उनके कमरे में आ गये।
“रजनी! अब तुम राज को बताओ क्या हुआ”, प्रीती ने कहा।
रजनी ने कहना शुरू किया, “राज!!! जब मैं रीना के कमरे में पहुँची तो देखा कि वो वैसे ही बैठी हुई है जैसे हम उसे छोड़ कर गये थे।”
“रीना हम लोग तेरा इंतज़ार कर रहे थे, तुम आयी क्यों नहीं??? तुम नहीं जानती कि तुमने क्या देखने से मिस कर दिया?” मैंने उससे कहा।
“क्या मिस कर दिया?” उसने कहा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“यही कि किस तरह तुम्हारे पापा और राज हमारी मम्मियों को चोद रहे थे.....” मैंने हँसते हुए कहा।
“दीदी मुझे चुदाई में कोई इंटरस्ट नहीं है!!!” उसके इस जवाब ने मुझे चौंका दिया।
“चुदाई में इंटरस्ट नहीं है???? तुझे पता है एक मर्द किसी औरत को क्या सुख दे सकता है?” मैंने कहा।
“मुझे मर्द जात से नफ़रत है, सब के सब मतलबी होते हैं”, वो गुस्से में बोली। मैं मन ही मन डर गयी कि किसी ने इसके साथ रेप तो नहीं कर दिया।
“तुझे किसी ने चोद तो नहीं दिया?” मैंने पूछा।
“नहीं दीदी! मुझे किसी ने नहीं चोदा..... मैं अभी तक कुँवारी हूँ!” उसने जवाब दिया।
“तो फिर किसने तुम्हें मर्दों के बारे में ऐसा सब बताया है?”
“मेरी इंगलिश टीचर ने!!!” उसने जवाब दिया।
“तुझे नहीं पता कि मर्द का शानदार लंड औरत को कितने मज़े दे सकता है?” मैंने कहा।
“उससे ज्यादा मज़ा औरत के स्पर्श से मिलता है..... मुझे मालूम है”, उसने जवाब दिया।
“तुम्हारी इंगलिश टीचर तुम्हें छूती है क्या? कहाँ?” मैंने पूछा।
उसने शर्माते हुए अपने मम्मों की तरफ देखा। मैंने उसके मम्मे ब्लाऊज़ के ऊपर से ही दबाना शुरू किये। उसने ब्रा नहीं पहन रखी थी। मेरे हाथ के स्पर्श से ही उसके निप्पल खड़े हो गये। जैसे ही मैंने उसके निप्पल को भींचा, उसके मुँह से सिसकरी निकल पड़ी, “हाँ ऐसे ही!”
“क्या वो सिर्फ़ यही करती है या और कुछ भी?” मैंने फिर पूछा।
“नहीं वो मेरी.....” कहते हुए रीना रुक गयी।
“चलो बोलो क्या वो तुम्हारी चूत भी छूती है?” मैंने उसे दोबारा पूछा।
“हाँ दीदी!!! वो मेरी चूत भी छूती है!!!” रीना थोड़ा से मुस्कुराते हुए बोली। मैंने उसके स्कर्ट में हाथ डाल कर उसकी चूत को रगड़ दिया।
“क्या ऐसे?” मैंने पूछा।
“ओह दीदी हाँ, आपका हाथ कितना अच्छा लग रहा है!!!” वो कामुक होकर बोली।
“वो और क्या करती है?” मैंने फिर पूछा।
“कभी वो मुझे चूमती है और कभी....” इतना कह कर वो फिर शर्मा गयी, मैंने उसके ब्लाऊज़ के बटन खोल दिये और उसकी चूचियों को मुँह में लेकर चूसने लगी। मैं अपने दाँत उसके निप्पल पर गड़ा रही थी।
“ओहहहह दीदीईईई!!!!” उसके मुँह से सिसकरियाँ फ़ूट रही थीं, मैंने उसकी स्कर्ट और पैंटी उतार कर उसकी चूत को चाटना शुरू किया। मैं उसकी चूत में अपनी जीभ डाल कर घुमाने लगी। मैं तब तक उसकी चूत चाटती रही जब तक वो दो बार झड़ नहीं गयी इतनी देर में ही प्रीती और टीना रूम में आ गये।
“क्या तुमने उससे पूछा नहीं कि उसने ये सब कैसे सिखा?” मैंने रजनी से पूछा।
“आज यहाँ आने से पहले मेरे बहुत जोर देने पर उसने बताया कि उसकी फ्रैंड सलमा ने एक दिन उसे बाथरूम में पकड़ कर चूमा था। उसे मज़ा आया था। सलमा की हरकत बढ़ती गयी और अब वो रीना की चूचियों को भी चुसती थी और रीना को भी मज़ा आता था और रीना भी उसकी चीचियों को चूसती थी। एक दिन सलमा उसे उनकी इंगलिश टीचर के यहाँ ले गयी जिसने उसे औरत के स्पर्श का खूब मज़ा दिया और मर्दों के बारे मैं भड़काया। मेरे बहुत कहने पर भी वो मानने को तैयार नहीं हुई। राज!! टीना तो तैयार है पर रीना नहीं मानेगी लगता है।”
“अभी उसे इक्कीस साल का होने में बहुत टाईम है..... तब तक तुम सिर्फ़ उस पर नज़र रखो, कोई रास्ता निकल आयेगा, अगर नहीं निकला तो स्पेशल दवाई तो है ही। उसकी चूत हर हाल में फटेगी”, प्रीती ने कहा।
समय गुज़रता गया.............
!!! क्रमशः !!!