hotaks444
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[font=Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]"मम्मी !! चाइ ठंडी हो रही है" पुत्र विक्की के लफ्ज़ कानो में सुनाई पढ़ते ही नीमा वर्तमान में वापस लौट आई "हां बस 5 मिनिट में आती हूँ" वैसे तो वह दोबारा हॉल में नही जाना चाहती थी मगर स्नेहा अन्य कोई हड़कंप ना मचा दे, मजबूरी-वश नीमा को व्यवस्थित हो कर हॉल में आना ही पड़ता है.
.
"स्नेहा !! आज से तेरी क्लासस री-स्टार्ट हो रही हैं ना, तो जा फटाफट तैयार हो जा. जब तक मैं तेरे लिए नाश्ता बना देती हूँ" नीमा ने चाइ के कप समेट-ते हुए कहा. वह अपनी बेटी की आँखों में झाँकने की हिम्मत नही जुटा पा रही थी और जल्द ही उसे अपनी नज़रो से दूर कर देने की अभिलाषी थी.
.
"मा !! मैं नामिता से पुच्छ कर बताती हूँ क्यों कि मुझे एक पेंडिंग असाइनमेंट को पूरा करने में उसकी मदद चाहिए" नीमा के कथन के जवाब में ऐसा बोल कर स्नेहा अपने कमरे की ओर चली गयी मगर अपनी दोस्त के ज़िक्र से वह दोबारा अपनी मा का ध्यान अपनी उसी दोस्त के भाई निकुंज की तरफ मोड़ देने में कामयाब रही और अंत-तह नाश्ता करने के पश्चात वह अपने इन्स्टिट्यूट जाने के लिए निकल पड़ी.
--------------
निम्मी को इन्स्टिट्यूट की पार्किंग में खड़ा देख स्नेहा भी अपनी अक्तिवा ठीक उसके बलग में पार्क कर देती है.
.
"अरे वाह !! तू तो मुझसे पहले यहाँ पहुँच गयी" गले मिलने के उपरांत स्नेहा बोली.
.
"कामिनी !! तेरे कॉल ने आज मेरी नींद खराब कर दी" मुस्कुराते हुए निम्मी शिक़ायत करती है.
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- 007
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007Super memberPosts: 4786Joined: 14 Oct 2014 17:28
Re: पापी परिवार
[font=Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]Post by 007 » 10 Jul 2015 22:25[/font]
"क्यों !! सपने में क्या अपनी चूत चुदवा रही थी जो तेरी नींद खराब हो गयी" हंस कर स्नेहा ने भी चुटकी ली.
"अरे अपनी किस्मत में लंड कहाँ !! तू जानती तो है मेरा कोई बाय्फ्रेंड नही" निम्मी ने उदासी भरे लफ़ज़ो में कहा जब कि अपने पिता के विशाल लंड से थूकने के बाद अब तक उसकी चूत के भीतर मीठा-मीठा दर्द बना हुआ था.
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"हां पता है मुझे !! अशोक भी अब तेरी लाइफ में नही है" स्नेहा ने दुख जताया.
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"उस गान्डू का तो नाम ही मत ले !! बीसी ने पहले शिवानी को धोखा दिया और फिर मुझे भी उल्लू बना रहा था" निम्मी भड़कते हुए बोलती है "चल छोड़ !! ये बता आंटी और छोटू कैसे हैं ?" उसने बात को बदल कर पुछा.
.
"सब मज़े में हैं !! अच्छा सुन, कल रात मैने निकुंज भैया को देखा" जिस मक़सद से स्नेहा ने निम्मी को वहाँ मिलने बुलाया था आख़िर-कार वह उससे जानकारी हासिल करने की कोशिश में जुट जाती है.
.
निम्मी :- "कल रात में !! कितने बजे की बात है और तूने उन्हें कहाँ देखा ?"
.
"वो क्या है !! कल रात 10 बजे के लगभग मैने निकुंज भैया को हमारी मल्टी की मेन रोड के सामने से गुज़रते देखा. मैं उस वक़्त रोड पर ही टेहल रही थी" स्नेहा बेहद नॉर्मल टोन में बोली.
.
निम्मी :- "10 बजे !! फिर तो ज़रूर तुझे कोई ग़लत फहमी हुई है. उस वक़्त तो हम तीनो भाई-बहेन साथ में डिन्नर कर रहे थे"
.
"तुझे पक्का यकीन है कि उस समय निकुंज भैया घर पर ही मौजूद थे ?" स्नेहा ने दोबारा पुछा.
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"अब क्या स्टंप पेपर पर लिख कर दूं !! भैया की ऑफीस टाइमिंग है 11:00 से 7:00 और उसके बाद अगर बहुत अर्जेंट हुआ तभी घर से बाहर निकलते हैं वरना नही" निम्मी ने अपने भाई की दिनचर्या से स्नेहा को रूबरू करवाया.
.
"ओह्ह्ह !! फिर तो सच में मुझे ग़लत फ़ेमही हो गयी होगी" स्नेहा का मन तो नही माना लेकिन ज़्यादा पुच्छ-ताच्छ स्वयं उसका ही का नुकसान कर सकती थी "तो फिर और कौन हो सकता जिसने रात भर मा के साथ चुदाई की" वह सोचने पर मजबूर हो उठी और सबसे बड़ी बात कि उसे अपनी मा के इस छिनाल्पन पर क्रोध आना चाहिए था जब की स्नेहा अपने जिस्म में अजीब सा रोमांच भरता महसूस कर रही थी.
.
"अब जब यहाँ तक आ ही गये हैं तो क्यों ना इन्स्टिट्यूट का माहॉल भी देख लिया जाए ?" निम्मी ने अपनी अक्तिवा से नीचे उतर कर कहा.
.
"हां क्यों नही" अपनी सोच को वहीं विराम देने के पश्चात मायूस स्नेहा उसके साथ चल पड़ती है.
--------------
अपनी बहेन के घर से बाहर जाते ही विक्की ने अपनी मम्मी को अपनी मजबूत बाहों में दबोच लिया.
.
"छोड़ विक्की !! मेरा मन नही है" नीमा झुंझला कर कहती है.
.
"मगर मेरा तो है ना मम्मी" बोल कर विक्की अपना लोवर अपनी अंडरवेर समेट एक ही झटके में उतार कर दूर फेंक देता है और अपना सोया लंड बल-पूर्वक अपनी मम्मी के कोमल हाथ की मुट्ठी में पड़कवाने का प्रयत्न करता है.
(¨`·.·´¨) Always[/font]
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"स्नेहा !! आज से तेरी क्लासस री-स्टार्ट हो रही हैं ना, तो जा फटाफट तैयार हो जा. जब तक मैं तेरे लिए नाश्ता बना देती हूँ" नीमा ने चाइ के कप समेट-ते हुए कहा. वह अपनी बेटी की आँखों में झाँकने की हिम्मत नही जुटा पा रही थी और जल्द ही उसे अपनी नज़रो से दूर कर देने की अभिलाषी थी.
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"मा !! मैं नामिता से पुच्छ कर बताती हूँ क्यों कि मुझे एक पेंडिंग असाइनमेंट को पूरा करने में उसकी मदद चाहिए" नीमा के कथन के जवाब में ऐसा बोल कर स्नेहा अपने कमरे की ओर चली गयी मगर अपनी दोस्त के ज़िक्र से वह दोबारा अपनी मा का ध्यान अपनी उसी दोस्त के भाई निकुंज की तरफ मोड़ देने में कामयाब रही और अंत-तह नाश्ता करने के पश्चात वह अपने इन्स्टिट्यूट जाने के लिए निकल पड़ी.
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निम्मी को इन्स्टिट्यूट की पार्किंग में खड़ा देख स्नेहा भी अपनी अक्तिवा ठीक उसके बलग में पार्क कर देती है.
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"अरे वाह !! तू तो मुझसे पहले यहाँ पहुँच गयी" गले मिलने के उपरांत स्नेहा बोली.
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"कामिनी !! तेरे कॉल ने आज मेरी नींद खराब कर दी" मुस्कुराते हुए निम्मी शिक़ायत करती है.
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007Super memberPosts: 4786Joined: 14 Oct 2014 17:28
Re: पापी परिवार
[font=Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]Post by 007 » 10 Jul 2015 22:25[/font]
"क्यों !! सपने में क्या अपनी चूत चुदवा रही थी जो तेरी नींद खराब हो गयी" हंस कर स्नेहा ने भी चुटकी ली.
"अरे अपनी किस्मत में लंड कहाँ !! तू जानती तो है मेरा कोई बाय्फ्रेंड नही" निम्मी ने उदासी भरे लफ़ज़ो में कहा जब कि अपने पिता के विशाल लंड से थूकने के बाद अब तक उसकी चूत के भीतर मीठा-मीठा दर्द बना हुआ था.
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"हां पता है मुझे !! अशोक भी अब तेरी लाइफ में नही है" स्नेहा ने दुख जताया.
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"उस गान्डू का तो नाम ही मत ले !! बीसी ने पहले शिवानी को धोखा दिया और फिर मुझे भी उल्लू बना रहा था" निम्मी भड़कते हुए बोलती है "चल छोड़ !! ये बता आंटी और छोटू कैसे हैं ?" उसने बात को बदल कर पुछा.
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"सब मज़े में हैं !! अच्छा सुन, कल रात मैने निकुंज भैया को देखा" जिस मक़सद से स्नेहा ने निम्मी को वहाँ मिलने बुलाया था आख़िर-कार वह उससे जानकारी हासिल करने की कोशिश में जुट जाती है.
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निम्मी :- "कल रात में !! कितने बजे की बात है और तूने उन्हें कहाँ देखा ?"
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"वो क्या है !! कल रात 10 बजे के लगभग मैने निकुंज भैया को हमारी मल्टी की मेन रोड के सामने से गुज़रते देखा. मैं उस वक़्त रोड पर ही टेहल रही थी" स्नेहा बेहद नॉर्मल टोन में बोली.
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निम्मी :- "10 बजे !! फिर तो ज़रूर तुझे कोई ग़लत फहमी हुई है. उस वक़्त तो हम तीनो भाई-बहेन साथ में डिन्नर कर रहे थे"
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"तुझे पक्का यकीन है कि उस समय निकुंज भैया घर पर ही मौजूद थे ?" स्नेहा ने दोबारा पुछा.
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"अब क्या स्टंप पेपर पर लिख कर दूं !! भैया की ऑफीस टाइमिंग है 11:00 से 7:00 और उसके बाद अगर बहुत अर्जेंट हुआ तभी घर से बाहर निकलते हैं वरना नही" निम्मी ने अपने भाई की दिनचर्या से स्नेहा को रूबरू करवाया.
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"ओह्ह्ह !! फिर तो सच में मुझे ग़लत फ़ेमही हो गयी होगी" स्नेहा का मन तो नही माना लेकिन ज़्यादा पुच्छ-ताच्छ स्वयं उसका ही का नुकसान कर सकती थी "तो फिर और कौन हो सकता जिसने रात भर मा के साथ चुदाई की" वह सोचने पर मजबूर हो उठी और सबसे बड़ी बात कि उसे अपनी मा के इस छिनाल्पन पर क्रोध आना चाहिए था जब की स्नेहा अपने जिस्म में अजीब सा रोमांच भरता महसूस कर रही थी.
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"अब जब यहाँ तक आ ही गये हैं तो क्यों ना इन्स्टिट्यूट का माहॉल भी देख लिया जाए ?" निम्मी ने अपनी अक्तिवा से नीचे उतर कर कहा.
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"हां क्यों नही" अपनी सोच को वहीं विराम देने के पश्चात मायूस स्नेहा उसके साथ चल पड़ती है.
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अपनी बहेन के घर से बाहर जाते ही विक्की ने अपनी मम्मी को अपनी मजबूत बाहों में दबोच लिया.
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"छोड़ विक्की !! मेरा मन नही है" नीमा झुंझला कर कहती है.
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"मगर मेरा तो है ना मम्मी" बोल कर विक्की अपना लोवर अपनी अंडरवेर समेट एक ही झटके में उतार कर दूर फेंक देता है और अपना सोया लंड बल-पूर्वक अपनी मम्मी के कोमल हाथ की मुट्ठी में पड़कवाने का प्रयत्न करता है.
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