hotaks444
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"सच्ची माँ ?" हवा में उड़ती स्नेहा ने सवाल किया.
"हां और नही तो क्या !! नालयक चूस चूस कर निचोड़ देता है, लाल हो कर इनकी दुर्गति हो जाती है" जवाब के साथ ही नीमा ने उसका टॉप उतार फेंका, जीवन में प्रथम बार वह अपनी बेटी के विकसित मम्मो को नगन देख रही थी "उफ़फ्फ़ स्नेहा !! कितने टाइट और रसीले हैं ये" वह झुकी और उसकी तनी हुवी निप्प्लो पर चुंबनो की बारिश सी कर देती है.
"ओह्ह्ह सीईइ" स्नेहा सिसकी तो उसकी माँ ने उसके बाएँ निपल को अपने होंठो के मध्य दबा लिया और मूँह के भीतर अपनी लंबी जीभ अपनी बेटी की तनी घुंडी पर ठीक वैसे ही नचाने लगी जैसे दिन में कयि बार अपने पुत्र के गुलाबी सुपाडे पर फुदकाती थी. अपनी मर्ज़ी से पहली बार अपनी बेटी के साथ, उसके नज़रिए से यह बड़ा ही मज़ेदार अनुभव था. खुद एक स्त्री होने के नाते वह बखूबी जानती थी कि उसकी बेटी अपनी कुँवारी अवस्था में सबसे ज़्यादा किस चीज़ के लिए तड़पति होगी. विक्की और स्नेहा में उसे काफ़ी समानताएँ नज़र आती हैं, उसके बेटे की तरह बेटी के बदन में भी अलग ही आकर्षण था. स्नेहा के शरीर में वही जोश और उत्तेजना थी जो वह हमेशा विक्की में महसूस करती थी और सोचते-सोचते जाने कैसे नीमा अपनी पुत्री के निपल को बलपूर्वक चबाने लगती है.
"औच !! माँ क्या वह आप के नीचे भी चाट ता है ?" सवाल के साथ स्नेहा के मूँह से दबी चीख भी निकल पड़ी, आख़िर उसकी माँ के नुकीले दांतो के पीड़ादायक प्रहार लगातार उसके नाज़ुक चुचक पर कहेर जो ढा रहे थे.
"नीचे कहाँ ?" नीमा जान कर अंजान बनते हुवे उल्टे उससे प्रश्न कर देती है, सेक्स के खेल में खुलेपन की वह आदि हो चुकी थी.
"टाँगो के बीच में" कह कर स्नेहा ने अपने दूसरे स्तन को अपने स्वयं के हाथ के बीच दबोच लिया, वो अभागा तो उसकी माँ के प्यार की चाह में अंदर से तड़प-तड़प कर खुद ब खुद सख़्त हो गया था.
"टाँगो के बीच में ?" फॉरन नीमा ने अपनी पुत्री का थूक से सना निपल छोड़ा और अविश्वास से उसके चेहरे को घूर्ने का नाटक करती हुवी बोली तथा फिर से उसके निपल को अपने मूँह के भीतर सडॅक लेती है, वह पहले से कहीं अधिक तीव्रता से उसकी चुसाई में जुट गयी मानो निपल नही लंड हो जो थोड़ी ही देर में अपना पानी छोड़ देगा.
"उफफफ्फ़ माँ !! प्लीज़ ज़ोर से चूसो. हां .. हां" स्नेहा अपनी माँ को उकसाते हुवे चिल्लाई, यक़ीनन उसकी कुँवारी चूत के भीतर बिजली सा करेंट दौड़ने लगा था. "मैने कयि बार देखा है, वह आप की चूत को घंटो तक चाट ता रहता है" अपना हाथ आगे बढ़ा कर उसने अपनी माँ की भभक्ति चूत को अपनी मुट्ठी में भींच कर कहा जो उस वक़्त स्पष्टरूप से उसकी माँ के जिस्म में लगी आग की चुगली कर रही थी.
"हॅट बेशरम" इधर नीमा ने उसकी चूचियों को जकड़ा तो
"हां और नही तो क्या !! नालयक चूस चूस कर निचोड़ देता है, लाल हो कर इनकी दुर्गति हो जाती है" जवाब के साथ ही नीमा ने उसका टॉप उतार फेंका, जीवन में प्रथम बार वह अपनी बेटी के विकसित मम्मो को नगन देख रही थी "उफ़फ्फ़ स्नेहा !! कितने टाइट और रसीले हैं ये" वह झुकी और उसकी तनी हुवी निप्प्लो पर चुंबनो की बारिश सी कर देती है.
"ओह्ह्ह सीईइ" स्नेहा सिसकी तो उसकी माँ ने उसके बाएँ निपल को अपने होंठो के मध्य दबा लिया और मूँह के भीतर अपनी लंबी जीभ अपनी बेटी की तनी घुंडी पर ठीक वैसे ही नचाने लगी जैसे दिन में कयि बार अपने पुत्र के गुलाबी सुपाडे पर फुदकाती थी. अपनी मर्ज़ी से पहली बार अपनी बेटी के साथ, उसके नज़रिए से यह बड़ा ही मज़ेदार अनुभव था. खुद एक स्त्री होने के नाते वह बखूबी जानती थी कि उसकी बेटी अपनी कुँवारी अवस्था में सबसे ज़्यादा किस चीज़ के लिए तड़पति होगी. विक्की और स्नेहा में उसे काफ़ी समानताएँ नज़र आती हैं, उसके बेटे की तरह बेटी के बदन में भी अलग ही आकर्षण था. स्नेहा के शरीर में वही जोश और उत्तेजना थी जो वह हमेशा विक्की में महसूस करती थी और सोचते-सोचते जाने कैसे नीमा अपनी पुत्री के निपल को बलपूर्वक चबाने लगती है.
"औच !! माँ क्या वह आप के नीचे भी चाट ता है ?" सवाल के साथ स्नेहा के मूँह से दबी चीख भी निकल पड़ी, आख़िर उसकी माँ के नुकीले दांतो के पीड़ादायक प्रहार लगातार उसके नाज़ुक चुचक पर कहेर जो ढा रहे थे.
"नीचे कहाँ ?" नीमा जान कर अंजान बनते हुवे उल्टे उससे प्रश्न कर देती है, सेक्स के खेल में खुलेपन की वह आदि हो चुकी थी.
"टाँगो के बीच में" कह कर स्नेहा ने अपने दूसरे स्तन को अपने स्वयं के हाथ के बीच दबोच लिया, वो अभागा तो उसकी माँ के प्यार की चाह में अंदर से तड़प-तड़प कर खुद ब खुद सख़्त हो गया था.
"टाँगो के बीच में ?" फॉरन नीमा ने अपनी पुत्री का थूक से सना निपल छोड़ा और अविश्वास से उसके चेहरे को घूर्ने का नाटक करती हुवी बोली तथा फिर से उसके निपल को अपने मूँह के भीतर सडॅक लेती है, वह पहले से कहीं अधिक तीव्रता से उसकी चुसाई में जुट गयी मानो निपल नही लंड हो जो थोड़ी ही देर में अपना पानी छोड़ देगा.
"उफफफ्फ़ माँ !! प्लीज़ ज़ोर से चूसो. हां .. हां" स्नेहा अपनी माँ को उकसाते हुवे चिल्लाई, यक़ीनन उसकी कुँवारी चूत के भीतर बिजली सा करेंट दौड़ने लगा था. "मैने कयि बार देखा है, वह आप की चूत को घंटो तक चाट ता रहता है" अपना हाथ आगे बढ़ा कर उसने अपनी माँ की भभक्ति चूत को अपनी मुट्ठी में भींच कर कहा जो उस वक़्त स्पष्टरूप से उसकी माँ के जिस्म में लगी आग की चुगली कर रही थी.
"हॅट बेशरम" इधर नीमा ने उसकी चूचियों को जकड़ा तो