hotaks444
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गतान्क से आगे...................... जब प्रेम हवेली पहुँचता है तो रुद्र प्रताप गुस्से से तिलमिला उठता है. “तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई यहा आने की” – रुद्र प्रताप ने गुस्से में पूछा “ठाकुर मेरे मन में कुछ सवाल हैं जो मुझे यहा खींच लाए हैं” – प्रेम ने कहा “कैसे सवाल और तुम्हारे सवालो से मेरा क्या लेना देना” – रुद्र ने पूछा “लेना है ठाकुर, तभी तो मैं यहा आया हूँ” – प्रेम ने गंभीरता से कहा “भैया ये क्या बकवास कर रहा है, मुझे लगता है हमें इसकी खाल खींच कर गाँव के किसी पेड़ पर टाँग देनी चाहिए ताकि लोगो को सबक मिले कि हमारे खिलाफ बोलने का अंजाम क्या होता है” – जीवन जो अब तक चुपचाप खड़ा था अचानक बोला. “अबबे ओये स्वामी जी तुम सबकी खाल खिंचवा देंगे, ज़्यादा बकवास मत करो” – धीरज ने कहा “धीरज तुम शांत रहो और मुझे बात करने दो” प्रेम ने कहा “ठीक है स्वामी जी.” “हवेली में आकर इस तरह बकवास करने की किसी की हिम्मत नही हुई, कौन है ये लंडा.” ऱुद्र ने प्रेम से पूछा. “ये सब छोड़ो ठाकुर और मेरे कुछ सवालो का जवाब दो.” प्रेम ने कहा “तुम्हारे किसी भी सवाल का जवाब देना हम ज़रूरी नही समझते, इस से पहले की हम तुम्हारी खाल खीँचवा दें दफ़ा हो जाओ यहा से.” ठाकुर के आदमी हरकत में आ जाते हैं. बलवंत बोलता है, “मालिक आप बस होकम कीजिए, इसका मैं वो हाल करूँगा की दुनिया देखेगी.” लेकिन अगले ही पल प्रेम फुर्ती से आगे बढ़ कर रुद्र प्रताप को दबोच लेता है. उसका बायां हाथ उसकी गर्देन को जाकड़ लेता है और दायें हाथ से वो एक नुकीली सुई जैसी चीज़ को उसकी गर्देन से सटा देता है. “किसी ने भी कोई बेहूदा हरकत की तो ठाकुर की खैर नही. ये छोटी सी सुई इसे पल में मौत की नींद सुला देगी.” प्रेम ने सभी को चेतावनी दी. “हां ये मामूली सुई नही है…जंगल के कुछ कबीले इसे शिकार के लिए इस्तेमाल करते हैं.” धीरज ने कहा “तुम चाहते क्या हो?” जीवन ने पूछा. “वर्षा और मदन कहा है?” प्रेम ने सवाल किया. “हमे पता होता तो अब तक मदन की लाश तुम्हारे सामने होती.” ऱुद्र ने हन्फ्ते हुवे कहा. वो प्रेम की जाकड़ में छटपटा रहा था. रुद्रा बहुत शक्ति शालि था. उसको प्रेम की जाकड़ में इस हालत में देख कर सब हैरान-परेशान थे. “रघु कहा हैं, ठाकुर?” प्रेम ने फिर पूछा “कौन रघु, हम किसी रघु को नही जानते.” ऱुद्र ने छटपटाते हुवे कहा. “अजीब बात है, खेतो में काम करता था वो तुम्हारे.” “अछा वो रघु, वो तो कब से गायब है, किसी को नही पता वो कहा गया, शायद वो ये गाँव छोड़ कर कहीं चला गया.” जीवन ने जवाब दिया. “तुम लोग झूठ बोल रहे हो.” प्रेम ने गुस्से में कहा. और रुद्र की गर्देन पर प्रेम का शीकांजा कसता चला गया. ऱुद्र की आँखे बाहर निकलने को हो गयी. “छोड़ दीजिए सवमी जी ये बेचारा मर जाएगा.” धीरज ने रुद्र की हालत देखते हुवे कहा. “मर जाने दो, वैसे भी अंग्रेज़ो के पालतू कुत्तो को जिंदा रहने का अधिकार नही है.” धीरज ने पहली बार प्रेम को इतने क्रोध में देखा था. वो समझ नही पा रहा था कि क्या कहे क्या ना कहे. “पिता जी…पिता जी.” रेणुका दौड़ते हुवे वाहा आती है. वो अब तक वाहा के द्रिश्य से अंजान थी. सभी उसकी और देखने लगते हैं. प्रेम की जाकड़, रुद्र के गले पर ढीली पड़ जाती है. “क्या हुवा चिल्ला क्यों रही हो?” जीवन ने पूछा. रेणुका रुद्र को प्रेम के शीकन्जे में देख कर हैरान रह जाती है. वो प्रेम को देख कर उसके पैरो में गिर जाती है, “स्वामी जी मेरे पति को बचा लीजिए.” “तुम इसे कैसे जानती हो” जीवन ने पूछा. “पिछले साल जब में मायके गयी थी तो ये हमारे गाँव में पधारे थे” रेणुका ने एक साँस में जवाब दिया. “क्या हुवा तुम्हारे पति को.” “वो कमरे में बंद हैं और दरवाजा नही खोल रहे. अंदर से अजीब अजीब आवाज़े आ रही हैं. हमारे घर पर किसी भूत का साया है स्वामी जी.. हमें बचा लीजिए..शायद वर्षा को भी ये भूत ही कहीं ले गये हैं…मुझे बहुत डर लग रहा है.” प्रेम एक झटके से रुद्र को एक तरफ धकेल देता है. ऱुद्र दूर ज़मीन पर जा कर गिरता है. “तुम्हारी इतनी जुर्रत..” रुद्र ने चिल्ला कर कहा. ……………………………………………..