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- Dec 5, 2013
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ये कहानी है दिव्या अरोड़ा की. दिव्या जो 32 साल की एक बेहद खूबसूरत औरत है और दिल्ली के एक मशहूर पब्लिक स्कूल में बायोलॉजी की टीचर है. वो कुछ दिन पहले ही अपने पति राजेश अरोड़ा के साथ चंडीगढ़ से दिल्ली की एक पोश सोसाइटी में शिफ्ट हुई है. दिव्या की शादी को 5 साल हो गए हैं. राजेश से उसकी लव मैरिज हुई है. राजेश ३६ साल का एक खूबसूरत आदमी है और सरकारी ऑडिटर है और इसी वजह से उसको अक्सर घर से बाहर रहना होता है. चंडीगढ़ में तो वो आस पास ही कंपनी में ऑडिट के लिए जाता था तो वो हर वीकेंड पर घर पर ही रहता था लेकिन दिल्ली आने के बाद से वो अक्सर मुंबई और चेन्नई जाने लगा है इसलिए 20-22 दिन तक घर नहीं आ पाता फिर भी दिव्या और राजेश के प्यार में कोई कमी नहीं आई है.
दिव्या एक अप्सरा की तरह खूबसूरत है और जहाँ भी जाती है लोग उसको पलट कर देखे बिना नहीं रह पाते. उसके 34 डी के मम्मे जैसे ब्लाउज को फाड़ देना चाहते हो. शादी के बाद उसका बदन और गदरा गया था और किसी को भी गरम कर सकता था. राजेश के घर से बाहर रहने की वजह से वो बहुत बोर होती थी इसीलिए राजेश ने सोर्स लगाकर उसकी नौकरी लगवा दी थी वरना उनके घर में किसी चीज की कमी नहीं थी.
दिव्या ने बायोलॉजी में मास्टर्स किया था इसीलिए उसे 11 और 12 के बच्चों को बायोलॉजी पढ़ाने की जिम्मेदारी दी गयी थी. इसके साथ की उसको हफ्ते में 3 दिन छोटे बच्चों की बस में भी ड्यूटी देनी होती थी. वो काफी मेहनत से पढ़ाती थी इसीलिए स्कूल में जल्द ही सब उसको पसंद करने लगते थे. स्कूल में मेल स्टाफ के नाम पर सिर्फ 4 ही लोग थे. प्रिंसिपल, स्पोर्ट्स टीचर और 2 चौकीदार और ये सारे ही दिव्या के शैदाई हो गए थे साथ ही दिव्या का सुन्दर शरीर मेल स्टूडेंट्स को भी खूब आकर्षित करता था.
दिव्या इस सबसे अनजान अपने काम पर ध्यान दे रही थी. एक दिन राजेश को एक कंपनी का ऑडिट करने एक महीने के लिए पुणे जाना पड़ता है. राजेश को गए एक हफ्ता हो गया था और दिव्या क्लास में पढ़ा रही थी. उसकी हॉट साड़ी की वजह से 12 के स्टूडेंट मनीष का लण्ड खड़ा हो जाता है. मनीष अपने बगल में बैठी गर्लफ्रेंड पूजा की स्कर्ट के अन्दर हाथ डाल कर उसकी जांघ सहलाने लगता है इससे पूजा की चूत गीली होने लगती है.
पूजा मनीष के हाथ पर अपना हाथ मार कर उसको ऐसा करने से मना करती है लेकिन मनीष उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख देता है और पेंटी के ऊपर से उसकी चूत सहलाने लगता है. पूजा गरम हो कर मनीष का लंड सहलाने लगती है जिससे मनीष का लंड एक सांप की तरह हुंकार भरने लगता है.
तभी दिव्या के हाथ से बुक नीचे गिर जाती है जिसे उठाने के लिए वो नीचे झुकती है और उसके मम्मे ब्लाउज से बाहर झाँकने लगते है. ये नजारा देख कर मनीष का लंड पेंट से बाहर आने को मचलने लगता है. वो अपना हाथ पूजा की चूत की लाइन पर रगड़ने लगता है. पूजा की पेंटी पूरी गीली पड़ी है और उसके चेहरे के हाव भाव बदल जाते है. वो अपनी टाँगे खोल देती है ताकि मनीष अच्छे से उसकी चूत रगड़ सके. उधर पूजा के चेहरे को देख कर दिव्या को कुछ शक होता है और वो पूजा की सीट की तरफ बढ़ने लगती है. ये देख कर मनीष अपना हाथ हटा लेता है और पूजा भी नार्मल बैठ जाती है और पढने का नाटक करने लगती है.
जब दिव्या उनकी सीट पर पहुचती है तो देखती है की मनीष और पूजा पढने में मशगूल है लेकिन पूजा की स्कर्ट उसके घुटने से काफी ऊपर है. दिव्या सोचती है की ये लड़की काफी केयर लेस है. तभी बेल बज जाती है और पीरियड ओवर हो जाता है. ये लास्ट क्लास है तो सब बच्चे क्लास से निकल जाते है. आज दिव्या की बस ड्यूटी है तो वो भी अपने रूट की बस की तरफ चल देती है और जाकर बस में बैठ जाती है. बस स्कूल से निकलती है और थोड़ी दूर जाकर बंद हो जाती है और काफी कोशिश के बाद भी स्टार्ट नहीं होती.
दिव्या ड्राईवर से: क्या हुआ भैया? कितना टाइम लगेगा ठीक होने में.
ड्राईवर: कुछ समझ नहीं आ रहा मैडम. लगता है की मिस्त्री को बुला कर दिखाना पड़ेगा.
दिव्या ये सुनकर परेशान हो जाती है की तभी अचानक पीछे से स्कूल की एक दूसरी बस आ जाती है.
दिव्या: भैया देखो वो अपने स्कूल की ही बस है. उसे रोको.
ड्राईवर और कंडक्टर उस बस को रोकते है. वो 12वी के बच्चो की बस थी तो उसमे कोई टीचर नहीं थी.
दिव्या: बच्चो हमारी बस ख़राब हो गयी है. आप लोग बड़े हो तो आप लोग छोटे बच्चो के लिए सीट खाली कर दीजिये और पीछे चले जाइये.
बड़े बच्चे सीट से उठ जाते है और दिव्या ड्राईवर और कंडक्टर की मदद से बच्चो को एक बस से दूसरी बस में ट्रान्सफर करती है और ड्राईवर को ख़राब बस में रुकने को बोल कर कंडक्टर को ले कर दूसरी बस से चल देती है. इस बस में दो बस के बच्चे होने की वजह से काफी भीड़ हो गयी है. दिव्या को भी बैठने की जगह नहीं है. इत्तेफाक से मनीष भी इसी बस में था. वो दिव्या के पास आ जाता है और बोलता है.
मनीष: मैम आप किसी बच्चे को गोद में लेकर बैठ जाइये.
दिव्या: इट्स ओके मनीष. आई कैन मैनेज.
मनीष: मैम भीड़ काफी हो गयी है. कितनी देर खड़ी रहेंगीं.
दिव्या: आधे घंटे की बात है मनीष. कोई प्रॉब्लम की बात नहीं है.
मनीष चुप हो जाता है. वो एक दम दिव्या से चिपक कर खड़ा था क्योंकि बस में जगह ही नहीं थी. दिव्या के परफ्यूम और बदन की मिलीजुली खुशबु उसको मदहोश करने लगती है और न चाहते हुए भी उसके लंड में तनाव आने लगता है. वो पीछे हटने की कोशिश करता है लेकिन पीछे जगह ही नहीं है. वो खुद पर कण्ट्रोल करने की बहुत कोशिश करता है लेकिन दिव्या के बदन की गर्मी को महसूस करके उसका लंड खड़ा हो ही जाता है. अचानक बस मुडती है और मनीष का लंड दिव्या की गांड में छू जाता है.

दिव्या एक अप्सरा की तरह खूबसूरत है और जहाँ भी जाती है लोग उसको पलट कर देखे बिना नहीं रह पाते. उसके 34 डी के मम्मे जैसे ब्लाउज को फाड़ देना चाहते हो. शादी के बाद उसका बदन और गदरा गया था और किसी को भी गरम कर सकता था. राजेश के घर से बाहर रहने की वजह से वो बहुत बोर होती थी इसीलिए राजेश ने सोर्स लगाकर उसकी नौकरी लगवा दी थी वरना उनके घर में किसी चीज की कमी नहीं थी.
दिव्या ने बायोलॉजी में मास्टर्स किया था इसीलिए उसे 11 और 12 के बच्चों को बायोलॉजी पढ़ाने की जिम्मेदारी दी गयी थी. इसके साथ की उसको हफ्ते में 3 दिन छोटे बच्चों की बस में भी ड्यूटी देनी होती थी. वो काफी मेहनत से पढ़ाती थी इसीलिए स्कूल में जल्द ही सब उसको पसंद करने लगते थे. स्कूल में मेल स्टाफ के नाम पर सिर्फ 4 ही लोग थे. प्रिंसिपल, स्पोर्ट्स टीचर और 2 चौकीदार और ये सारे ही दिव्या के शैदाई हो गए थे साथ ही दिव्या का सुन्दर शरीर मेल स्टूडेंट्स को भी खूब आकर्षित करता था.
दिव्या इस सबसे अनजान अपने काम पर ध्यान दे रही थी. एक दिन राजेश को एक कंपनी का ऑडिट करने एक महीने के लिए पुणे जाना पड़ता है. राजेश को गए एक हफ्ता हो गया था और दिव्या क्लास में पढ़ा रही थी. उसकी हॉट साड़ी की वजह से 12 के स्टूडेंट मनीष का लण्ड खड़ा हो जाता है. मनीष अपने बगल में बैठी गर्लफ्रेंड पूजा की स्कर्ट के अन्दर हाथ डाल कर उसकी जांघ सहलाने लगता है इससे पूजा की चूत गीली होने लगती है.

पूजा मनीष के हाथ पर अपना हाथ मार कर उसको ऐसा करने से मना करती है लेकिन मनीष उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख देता है और पेंटी के ऊपर से उसकी चूत सहलाने लगता है. पूजा गरम हो कर मनीष का लंड सहलाने लगती है जिससे मनीष का लंड एक सांप की तरह हुंकार भरने लगता है.
तभी दिव्या के हाथ से बुक नीचे गिर जाती है जिसे उठाने के लिए वो नीचे झुकती है और उसके मम्मे ब्लाउज से बाहर झाँकने लगते है. ये नजारा देख कर मनीष का लंड पेंट से बाहर आने को मचलने लगता है. वो अपना हाथ पूजा की चूत की लाइन पर रगड़ने लगता है. पूजा की पेंटी पूरी गीली पड़ी है और उसके चेहरे के हाव भाव बदल जाते है. वो अपनी टाँगे खोल देती है ताकि मनीष अच्छे से उसकी चूत रगड़ सके. उधर पूजा के चेहरे को देख कर दिव्या को कुछ शक होता है और वो पूजा की सीट की तरफ बढ़ने लगती है. ये देख कर मनीष अपना हाथ हटा लेता है और पूजा भी नार्मल बैठ जाती है और पढने का नाटक करने लगती है.
जब दिव्या उनकी सीट पर पहुचती है तो देखती है की मनीष और पूजा पढने में मशगूल है लेकिन पूजा की स्कर्ट उसके घुटने से काफी ऊपर है. दिव्या सोचती है की ये लड़की काफी केयर लेस है. तभी बेल बज जाती है और पीरियड ओवर हो जाता है. ये लास्ट क्लास है तो सब बच्चे क्लास से निकल जाते है. आज दिव्या की बस ड्यूटी है तो वो भी अपने रूट की बस की तरफ चल देती है और जाकर बस में बैठ जाती है. बस स्कूल से निकलती है और थोड़ी दूर जाकर बंद हो जाती है और काफी कोशिश के बाद भी स्टार्ट नहीं होती.
दिव्या ड्राईवर से: क्या हुआ भैया? कितना टाइम लगेगा ठीक होने में.
ड्राईवर: कुछ समझ नहीं आ रहा मैडम. लगता है की मिस्त्री को बुला कर दिखाना पड़ेगा.
दिव्या ये सुनकर परेशान हो जाती है की तभी अचानक पीछे से स्कूल की एक दूसरी बस आ जाती है.
दिव्या: भैया देखो वो अपने स्कूल की ही बस है. उसे रोको.
ड्राईवर और कंडक्टर उस बस को रोकते है. वो 12वी के बच्चो की बस थी तो उसमे कोई टीचर नहीं थी.
दिव्या: बच्चो हमारी बस ख़राब हो गयी है. आप लोग बड़े हो तो आप लोग छोटे बच्चो के लिए सीट खाली कर दीजिये और पीछे चले जाइये.
बड़े बच्चे सीट से उठ जाते है और दिव्या ड्राईवर और कंडक्टर की मदद से बच्चो को एक बस से दूसरी बस में ट्रान्सफर करती है और ड्राईवर को ख़राब बस में रुकने को बोल कर कंडक्टर को ले कर दूसरी बस से चल देती है. इस बस में दो बस के बच्चे होने की वजह से काफी भीड़ हो गयी है. दिव्या को भी बैठने की जगह नहीं है. इत्तेफाक से मनीष भी इसी बस में था. वो दिव्या के पास आ जाता है और बोलता है.
मनीष: मैम आप किसी बच्चे को गोद में लेकर बैठ जाइये.
दिव्या: इट्स ओके मनीष. आई कैन मैनेज.
मनीष: मैम भीड़ काफी हो गयी है. कितनी देर खड़ी रहेंगीं.
दिव्या: आधे घंटे की बात है मनीष. कोई प्रॉब्लम की बात नहीं है.
मनीष चुप हो जाता है. वो एक दम दिव्या से चिपक कर खड़ा था क्योंकि बस में जगह ही नहीं थी. दिव्या के परफ्यूम और बदन की मिलीजुली खुशबु उसको मदहोश करने लगती है और न चाहते हुए भी उसके लंड में तनाव आने लगता है. वो पीछे हटने की कोशिश करता है लेकिन पीछे जगह ही नहीं है. वो खुद पर कण्ट्रोल करने की बहुत कोशिश करता है लेकिन दिव्या के बदन की गर्मी को महसूस करके उसका लंड खड़ा हो ही जाता है. अचानक बस मुडती है और मनीष का लंड दिव्या की गांड में छू जाता है.