hotaks444
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इस बीच मा झारियों की पिच्चे जा चुकी थी, झारिॉयन के इस तरफ
से जो भी झलक मुझे मिल रही वो देख कर मुझे इतना तो पाता चल
ही गया था की मा अब बैठ चुकी है और सयद पेशाब भी कर रही
है. मैने फिर थोरी हिम्मत दिखाई और उठ कर झारियों की तरफ
चल दिया. झारियों के पास पहुच कर नज़ारा कुच्छ साफ दिखने लगा
था. मा आराम से अपनी सारी उठा कर बैठी हुई थी और मूट रही
थी. उसके इस अंदाज़ से बैठने के कारण पिच्चे से उसकी गोरी गोरी
झंघे और तो साफ दिख ही रही थी साथ साथ उसके मक्खन जैसे
चूटरो का निचला भाग भी लग-भाग साफ-साफ दिखाई दे रहा था. ये
देख कर तो मेरा लंड और भी बुरी तरह से अकरने लगा था. हलकी
उसके झाघॉ और चूटरो की झलक देखने का ये पहला मौका नही था,
पर आज और दीनो कुच्छ ज़यादा ही उतेज्ना हो रही थी. उसके पेशाब
करने की आवाज़ तो आग में गीयी का काम कर रही थी. सू सू सुउुुुुउउ
करते हुए किसी औरत के मूतने की आवाज़ में पाता नही क्या आकर्षण
होता है, किशोरे उमर के सारे लरको को अपनी ऊवार खींच लेता है.
मेरा तो बुरा हाल हो रखा था. तभी मैने देखा की मा उठ कर
खरी हो गई. जब वो पलटी तो मुझे देख कर मुस्कुराते हुए
बोली "अर्रे तू भी चला आया, मैने तो तुझे पहले ही कहा था की तू
भी हल्का हो ले", फिर आराम से अपने हाथो को सारी के उपर बर के
रख कर इस तरह से दबाते हुए खुजने लगी जैसे, बर पर लगी
पेशाब को पोच्च रही हो और, मुस्कुराते हुए चल दी जैसे की कुच्छ
हुआ ही नही. मैं एक पल को तो हैरान परेशन सा वही पर खरा
रहा फिर मैं भी झारिॉयन के पिच्चे चला गया और पेशाब करने
लगा. बरी देर तक तो मेरे लंड से पेशाब ही नही निकला, फिर जब
लंड कुच्छ ढीला परा तब जा के पेशाब निकलना शुरू हुआ. मैं
पहशाब करने के बाद वापस, पेर के नीचे चल परा.
पेर के पास पहुच कर मैने देखा मा बैठी हुई थी. मेरे पास
आने पर बोली " आ बैठ, हल्का हो आया " कह कर मुस्कुराने लगी.
मैं भी हल्के हल्के मुस्कुराते कुच्छ सर्माते हुए बोला "हा हल्का हो
आया" और बैठ गया. मेरे बैठने पर मा ने मेरी तोड़ी पकर कर
मेरा सिर उठा दिया और सीधा मेरी आँखो में झँकते हुए बोली "क्यों
रे, उस समय जब मैं च्छू रही थी तब तो बरा भोला बन रहा था,
और जब मैं पेशाब करने गई थी तो वाहा पिच्चे खरा हो के क्या कर
रहा था, शैतान" मैने अपनी तोड़ी पर से मा का हाथ हटते हुए
फिर अपने सिर को नीचे झुका लिया और हकलाते हुए बोला " ओह मा, तुम
भी ना.
"मैने क्या किया" मा ने हल्की सी छपत मेरे गाल प्र लगाई और
पुचछा,
" मा, तुमने खुद ही तो कहा था, हल्का होना है तो आ जाओ," इस पर
मा ने मेरी गालो को हल्के से खिचते हुए कहा, "अच्छा बेटा, मैने
हल्का होने के लिए कहा था, पर तू तो वाहा हल्का होने की जगह
भारी हो रहा था, मुझे पेशाब करते हुए घूर-घूर कर देखने के
लिए तो मैने नही कहा था तुम्हे, फिर तुम क्यों घहोर-घूर कर मज़े
लूट रहे थे.
"ही, मैं कहा मज़ा लूट रहा था, कैसी बाते कर रही हो मा"
"ओह, हो, शैतान अब तो बरा भोला बन रहा है" कह कर हल्के से
मेरे जेंघो को दबा दिया,
"ही, क्या कर र्ही हो"
से जो भी झलक मुझे मिल रही वो देख कर मुझे इतना तो पाता चल
ही गया था की मा अब बैठ चुकी है और सयद पेशाब भी कर रही
है. मैने फिर थोरी हिम्मत दिखाई और उठ कर झारियों की तरफ
चल दिया. झारियों के पास पहुच कर नज़ारा कुच्छ साफ दिखने लगा
था. मा आराम से अपनी सारी उठा कर बैठी हुई थी और मूट रही
थी. उसके इस अंदाज़ से बैठने के कारण पिच्चे से उसकी गोरी गोरी
झंघे और तो साफ दिख ही रही थी साथ साथ उसके मक्खन जैसे
चूटरो का निचला भाग भी लग-भाग साफ-साफ दिखाई दे रहा था. ये
देख कर तो मेरा लंड और भी बुरी तरह से अकरने लगा था. हलकी
उसके झाघॉ और चूटरो की झलक देखने का ये पहला मौका नही था,
पर आज और दीनो कुच्छ ज़यादा ही उतेज्ना हो रही थी. उसके पेशाब
करने की आवाज़ तो आग में गीयी का काम कर रही थी. सू सू सुउुुुुउउ
करते हुए किसी औरत के मूतने की आवाज़ में पाता नही क्या आकर्षण
होता है, किशोरे उमर के सारे लरको को अपनी ऊवार खींच लेता है.
मेरा तो बुरा हाल हो रखा था. तभी मैने देखा की मा उठ कर
खरी हो गई. जब वो पलटी तो मुझे देख कर मुस्कुराते हुए
बोली "अर्रे तू भी चला आया, मैने तो तुझे पहले ही कहा था की तू
भी हल्का हो ले", फिर आराम से अपने हाथो को सारी के उपर बर के
रख कर इस तरह से दबाते हुए खुजने लगी जैसे, बर पर लगी
पेशाब को पोच्च रही हो और, मुस्कुराते हुए चल दी जैसे की कुच्छ
हुआ ही नही. मैं एक पल को तो हैरान परेशन सा वही पर खरा
रहा फिर मैं भी झारिॉयन के पिच्चे चला गया और पेशाब करने
लगा. बरी देर तक तो मेरे लंड से पेशाब ही नही निकला, फिर जब
लंड कुच्छ ढीला परा तब जा के पेशाब निकलना शुरू हुआ. मैं
पहशाब करने के बाद वापस, पेर के नीचे चल परा.
पेर के पास पहुच कर मैने देखा मा बैठी हुई थी. मेरे पास
आने पर बोली " आ बैठ, हल्का हो आया " कह कर मुस्कुराने लगी.
मैं भी हल्के हल्के मुस्कुराते कुच्छ सर्माते हुए बोला "हा हल्का हो
आया" और बैठ गया. मेरे बैठने पर मा ने मेरी तोड़ी पकर कर
मेरा सिर उठा दिया और सीधा मेरी आँखो में झँकते हुए बोली "क्यों
रे, उस समय जब मैं च्छू रही थी तब तो बरा भोला बन रहा था,
और जब मैं पेशाब करने गई थी तो वाहा पिच्चे खरा हो के क्या कर
रहा था, शैतान" मैने अपनी तोड़ी पर से मा का हाथ हटते हुए
फिर अपने सिर को नीचे झुका लिया और हकलाते हुए बोला " ओह मा, तुम
भी ना.
"मैने क्या किया" मा ने हल्की सी छपत मेरे गाल प्र लगाई और
पुचछा,
" मा, तुमने खुद ही तो कहा था, हल्का होना है तो आ जाओ," इस पर
मा ने मेरी गालो को हल्के से खिचते हुए कहा, "अच्छा बेटा, मैने
हल्का होने के लिए कहा था, पर तू तो वाहा हल्का होने की जगह
भारी हो रहा था, मुझे पेशाब करते हुए घूर-घूर कर देखने के
लिए तो मैने नही कहा था तुम्हे, फिर तुम क्यों घहोर-घूर कर मज़े
लूट रहे थे.
"ही, मैं कहा मज़ा लूट रहा था, कैसी बाते कर रही हो मा"
"ओह, हो, शैतान अब तो बरा भोला बन रहा है" कह कर हल्के से
मेरे जेंघो को दबा दिया,
"ही, क्या कर र्ही हो"