hotaks444
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तो तुम क्या करी मम्मी,,,
मैं क्या करती,,,, भला मर्दों के आगे औरतों का जोर चलता है वह तो अपनी मनमानी करने में लगे हुए थे मेरी चूचियों को चूसते चूसते वह काट भी ले रहे थे,,,,
क्या ऐसा करने में उन्हें मजा आ रहा था,,,
मजा तो आता ही होगा तभी तो एकदम पागलों की तरह मेरे साथ ऐसा व्यवहार कर रहे थे,,
और तुम्हें मम्मी,,, (उत्तेजना के मारे अपनी सूखे गले को अपने थुक से गीला करता हुआ बोला,,,।)
मुझे तो शुरु-शुरु में दर्द हो रहा था,,,, लेकिन तेरे पापा बिल्कुल बच्चे की तरह मेरी चूचियों को पी रहे थे,,, धीरे-धीरे मुझे मज़ा आने लगा,,,,, और मेरी भी इच्छा यह कह रहे थे कि वह मेरी चूची को और जोर-जोर से पिए,,,, तू भी तो जब छोटा था तो मेरी चूची को बिल्कुल तेरे पापा की तरह पीता था।,,,
( निर्मला ने यह बात शुभम को उकसाने के लिए बोली थी अब उसे देखना था कि यह तीर ठीक निशाने पर बैठा है या नहीं इसलिए वह शुभम के चेहरे की तरफ देखने लगी जो कि अपनी मां की यह बात सुनकर एकदम से खुश होता हुआ बोला,,,,।)
सच मम्मी क्या मैं भी तुम्हारी चूची को पीता था,,,
( शुभम आश्चर्य और उत्तेजना के साथ बोला निर्मला उसकी उत्सुकता देखकर मन ही मन प्रसन्न होने लगी और हल्के से मुस्कुराते हुए बोली,,,।)
तो क्या तुझे क्या लग रहा है कि मैं झूठ बोल रही हूं,,( इतना कहने के साथ ही निर्मला अपने दोनों हाथों को अपनी चुचियों पर जोकि ब्लाउज के अंदर कैद थे उस पर रखकर जोर से दबाते हुए ) तेरे पापा ने जो मेरी चुचियों का हाल दबा दबा कर किए थे कि पूछ मत,मेरी गोरी गोरी दूध सी गोरी चुचीयां एकदम लाल टमाटर की तरह हो गई थी।,,,
( निर्मला अपनी बातों की गर्माहट का असर अपने बेटे के चेहरे के बदलते हावभ़ाव को देखकर अच्छी तरह से समझ रही थी। वह समझ चुकी थी कि उसकी अश्लील बातें सुनकर शुभम पूरी तरह से गर्म आ चुका है और उसके मन में उन बातों को लेकर के उत्सुकता भी बढ़ती जा रही है और ऐसा सच में था शुभम को भी चूची पीने का मजा लेना था वह भी देखना चाहता था कि चूची को मुंह में ले कर पीने से और दबाने से क्या वास्तव में बेहद आनंद की प्राप्ति होती है। निर्मला बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,,।) और देखने और सोचने वाली बात यह है कि तेरे पापा के इस तरह की हरकत की वजह से मेरी चूचियों का आकार थोड़ा सा बढ़ गया था और मेरी नरम नरम चुचीयॉ एकदम कड़क हो चुकीे थी।
फिर क्या हुआ मम्मी,,,,, (शुभम उसी तरह से अपनी मां की जांघों को अपनी हथेली में दबोचने हुए और सहलाते हुए बोला अपनी मां की बातों को सुनकर उसके बदन में उत्तेजना की झाड़ियां फूट रही थी पजामे के अंदर उसका पेंट पूरी तरह से गदर मचाई हुए था वह बाहर आने के लिए तड़प रहा था जिसे वह बार-बार हाथ लगा कर दबा देने की कोशिश कर रहा था लेकिन यह कोशिश बिल्कुल नाकाम साबित हो रही थी और अपने बेटे की इस हरकत को देखकर निर्मला मन ही मन मुस्कुराते हुए उत्तेजना का भी अनुभव कर रही थी।)
फिर क्या था तेरे पापा ने तो मेरे पूरे बदन पर चुंबनों की झड़ी बरसाने लगे जैसे जैसे वह मेरे बदन को चूमते जा रहे थे वैसे वैसे उधर का वस्त्र अपने आप हट़ते जा रहा था। उन्होंने मेरे बदन से धीरे-धीरे करके साड़ी को उतार फेंका,,,,,( निर्मला की बात सुनकर शुभम की उत्तेजना बढ़ने लगी थी और उसकी सांसे तेज गति से चल रही थी। ) उसके बाद तो वह मेरे पेटीकोट की डोरी को एक झटके से खोल दिए,,,,( निर्मला बताते-बताते अपनी चूचियों को भी अपने ही हाथ से दबाए जा रही थी।)
इसके बाद क्या हुआ मम्मी,,,,( शुभम फिर से उतसुक्ता बस पूछा)
उसके बाद तो बेटा उन्होंने कब मेरे बदन से मेरी पेटीकोट भी निकाल कर बाहर फेंक दिया मुझे पता ही नहीं चला उनकी आंखों के सामने में बस एक छोटी सी पैंटी पहने बिस्तर पर कसमसा रही थी और अपने हाथों से अपनी पैंटी में छिपे खजाने को छुपाने की कोशिश कर रही थी। ( यह बोलते हुए निर्मला जानबूझकर शुभम की आंखों के सामने अपनी पैंटी पर हाथ रखकर बुर को छुपाने की कोशिश करने लगी अपनी मां की हरकत पर शुभम एकदम से कामोत्तेजीत हो गया,,, वह आंख भाड़े अपनी मां को हाथों से बुर छुपाते देख रहा था।)
फिर,,,,( इस बार उसके मुंह से उत्तेजना के मारे बस इतना ही निकल पाया)
फिर वह धीरे-धीरे मेरी पैंटी को पकड़कर नीचे की तरफ सरकारी लगे मैं अपना हाथ आगे बढ़ा कर उनके हाथ को पकड़ कर उन्हें रोकने की कोशिश करने लगी लेकिन वह कहां मानने वाले थे वह एक झटके में खींचकर मेरी पेंटी को मेरे पैरों से बाहर निकाल दिए,,,,
अब बिस्तर पर मैं तेरे पापा की आंखों के सामने बिल्कुल नंगी लेटी हुई थी मेरे बदन पर कपड़े के नाम पर एक रेशा भी नहीं था,,,, मेरा दूधिया गोरा बदन ट्यूबलाइट की रोशनी में और भी ज्यादा चमक रहा था। तेरे पापा मेरे रूप यौवन को देखकर एकदम उत्तेजित हो गए वह भी झट से अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगे हो गए,,,, उनका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,,,( अपने पापा के लंड के नाम पर शुभम आश्चर्य से अपनी मां की तरफ देखने लगा तो शायद निर्मला को अपने बेटे के हाव भाव से उसके मन में क्या चल रहा है यह पता चल गया और वह बात को आगे बढ़ाते हुए बोली।)
हां उस समय पहली बार में तेरे पापा के लंड को देख रही थी और अपनी जिंदगी में पहली ही बार किसी मर्द के लंड को देख रही थी इसलिए मुझे तेरे पापा का लंड बेहद बड़ा लग रहा था। लेकिन जब से मुझे तेरे लंड का दीदार हुआ है तब से तेरे पापा कर लंड तो तेरे लंड के सामने एकदम बच्चों के लंड की तरह नुन्नु की तरह लगता है,,,,।
( अपनी मां की बात सुनकर शुभम के चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट आ गई और वह बोला,,,।)
फिर क्या हुआ,,,,
फिर तो तेरे पापा ने वह काम किया जो मैं कभी सपने में भी सोच नहीं सकती थी और ना ही मुझे कभी भी इस बात का ज्ञान था कि ऐसा भी होता है,,,
( अपनी मां की बात सुनकर शुभम के मन में एकदम से उत्सुकता बढ़ने लगी है और वहां आगे की बात जानने के उद्देश्य से बोला,,,।)
ऐसा क्या हो गया मम्मी जो तुमने कभी सपने में भी नहीं सोची थी,,,,
बताते हुए मुझे तो शर्म आ रही है लेकिन तेरे और मेरे बीच में कोई भी अब बात छुपी नहीं रहना चाहीए इसलिए मैं तुझे बता रही हूं,,, तेरे पापा ने अपने हाथों से मेरी टांगों को खोलते हुए,,, मेरी बुर पर नजरें गड़ाते हुए,,, मेरी बुर की तरफ झुकने लगे जिसमें से मेरा रसीला नमकीन रस बह रहा था।,,, और मैं कुछ समझ पाती इससे पहले ही देखते ही देखते उन्होंने अपने होंठ को मेरी बुर पर रख दिए,,,, और मेरी बुर पर जीभ लगा कर चाटना शुरू कर दीए,,,,( अपनी मां कि इस तरह की बातें सुनकर शुभम का मुंह आश्चर्य से खुला का खुला रह गया क्योंकि उसे भी अपनी मां की यह बात सुनकर बेहद आश्चर्य हुआ और उसके मुंह से अचानक ही निकल गया।)
पर,,,,
हां मैं जानती हूं तू क्या कहना चाहता है,,, उधर से तो पेशाब की जाती है यही ना,,,( और शुभम भी हां में सिर हिला दिया)
मेरी तेरे पापा से यही कहती रही लेकिन वह मेरी एक नहीं माने और अपनी मनमानी करते रहे लेकिन धीरे-धीरे जिस तरह से वह अपनी जीभ लगा लगा कर मेरी बुर चाट रहे थे मेरे बदन में उत्तेजना की चीटियां रेंगने लगी थी,,,, मुझे भी बहुत मज़ा आने लगा और इस तरह से करते हुए उन्होंने तो अपनी जीभ से ही मेरी बुर से पानी निकाल दिया,,,,, ओर शुभम उस दिन जो मुझे सुख मिला था वैसा सुख तो मुझे आज तक नहीं मिल पाया क्योंकि तेरे पापा कुछ महीनों बाद मेरी बुर को चाटना ही बंद कर दिए,,, ( निर्मला के चेहरे पर बनावट उदासी के भाव तैरने लगे जिसे देख कर शुभम समझ गया कि उसकी मां उदास है इसलिए वह कुछ देर शांत रहने के बाद बोला,,,।)
मम्मी तो,,,, तुम,,,,,,,( शुभम रुक रुक कर बोला,,, कुरवाई से आगे कुछ बोल पाता इसके पहले ही निर्मला बोल पड़ी,,,।)
हां शुभम मैं यही चाहती हूं कि तू भी उसी तरह से मुझे प्यार करें जिस तरह से मेरी पहली रात को तेरे पापा ने प्यार किया था,,,, आज तुम मुझे इतना प्यार कर कि मुझे एकदम से मस्त कर दे,,
( शुभम के लिए अपनी मां द्वारा यह खुला आमंत्रण था अपनी मां की बात सुनकर जिस तरह से वह बता रही थी कि उसके पापा को बुर चाटने मैं और उन्हें चटवाने में आनंद की प्राप्ति हो रही थी इस बात से शुभम के मन में भी उत्सुकता पूरी तरह से बढ़ चुकी थी।,,, वह भी अपनी मां की पूरी चाट कर देखना चाहता था कि उसमे कितना मजा मिलता है,,, दोनों के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी दोनों तरफ आग बराबर लगी हुई थी दोनों एक दूसरे के प्रति आकर्षित और उत्तेजित लग रहे थे और दोनों के मन में उत्सुकता पूरी तरह से बढ़ चुकी थी ,,, निर्मला अपने मन की बात कह कर एकदम खामोश हो चुकी थी और अपनी प्यासी आंखों से अपने बेटे की तरफ देख रही थी कि वह क्या बोलता है,,,, शुभम भी उत्तेजना के मारे अपनी मां की नशीली आंखों में डूबता चला जा रहा था वह मन ही मन तय कर लिया था कि जिस तरह से वह चाहती है उसी तरह का सुख उसे पूरी तरह से वह देगा,,,, इसलिए वह अपनी मां की आंखों में आंखें डाल कर बोला,,,।
मैं भी तुमसे उसी तरह से प्यार करना चाहता हूं,,,
( अपने बेटे की यह बात सुनकर निर्मला के गुलाबी होठों पर मादक मुस्कान फैल गई,,, शुभम धीरे-धीरे अपनी मां के चेहरे की तरफ झुकता चला गया और अगले ही पल अपने प्यासे होठों को अपनी मां के गुलाबी होठों पर रखकर चूसने लगा,,,)
मैं क्या करती,,,, भला मर्दों के आगे औरतों का जोर चलता है वह तो अपनी मनमानी करने में लगे हुए थे मेरी चूचियों को चूसते चूसते वह काट भी ले रहे थे,,,,
क्या ऐसा करने में उन्हें मजा आ रहा था,,,
मजा तो आता ही होगा तभी तो एकदम पागलों की तरह मेरे साथ ऐसा व्यवहार कर रहे थे,,
और तुम्हें मम्मी,,, (उत्तेजना के मारे अपनी सूखे गले को अपने थुक से गीला करता हुआ बोला,,,।)
मुझे तो शुरु-शुरु में दर्द हो रहा था,,,, लेकिन तेरे पापा बिल्कुल बच्चे की तरह मेरी चूचियों को पी रहे थे,,, धीरे-धीरे मुझे मज़ा आने लगा,,,,, और मेरी भी इच्छा यह कह रहे थे कि वह मेरी चूची को और जोर-जोर से पिए,,,, तू भी तो जब छोटा था तो मेरी चूची को बिल्कुल तेरे पापा की तरह पीता था।,,,
( निर्मला ने यह बात शुभम को उकसाने के लिए बोली थी अब उसे देखना था कि यह तीर ठीक निशाने पर बैठा है या नहीं इसलिए वह शुभम के चेहरे की तरफ देखने लगी जो कि अपनी मां की यह बात सुनकर एकदम से खुश होता हुआ बोला,,,,।)
सच मम्मी क्या मैं भी तुम्हारी चूची को पीता था,,,
( शुभम आश्चर्य और उत्तेजना के साथ बोला निर्मला उसकी उत्सुकता देखकर मन ही मन प्रसन्न होने लगी और हल्के से मुस्कुराते हुए बोली,,,।)
तो क्या तुझे क्या लग रहा है कि मैं झूठ बोल रही हूं,,( इतना कहने के साथ ही निर्मला अपने दोनों हाथों को अपनी चुचियों पर जोकि ब्लाउज के अंदर कैद थे उस पर रखकर जोर से दबाते हुए ) तेरे पापा ने जो मेरी चुचियों का हाल दबा दबा कर किए थे कि पूछ मत,मेरी गोरी गोरी दूध सी गोरी चुचीयां एकदम लाल टमाटर की तरह हो गई थी।,,,
( निर्मला अपनी बातों की गर्माहट का असर अपने बेटे के चेहरे के बदलते हावभ़ाव को देखकर अच्छी तरह से समझ रही थी। वह समझ चुकी थी कि उसकी अश्लील बातें सुनकर शुभम पूरी तरह से गर्म आ चुका है और उसके मन में उन बातों को लेकर के उत्सुकता भी बढ़ती जा रही है और ऐसा सच में था शुभम को भी चूची पीने का मजा लेना था वह भी देखना चाहता था कि चूची को मुंह में ले कर पीने से और दबाने से क्या वास्तव में बेहद आनंद की प्राप्ति होती है। निर्मला बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,,।) और देखने और सोचने वाली बात यह है कि तेरे पापा के इस तरह की हरकत की वजह से मेरी चूचियों का आकार थोड़ा सा बढ़ गया था और मेरी नरम नरम चुचीयॉ एकदम कड़क हो चुकीे थी।
फिर क्या हुआ मम्मी,,,,, (शुभम उसी तरह से अपनी मां की जांघों को अपनी हथेली में दबोचने हुए और सहलाते हुए बोला अपनी मां की बातों को सुनकर उसके बदन में उत्तेजना की झाड़ियां फूट रही थी पजामे के अंदर उसका पेंट पूरी तरह से गदर मचाई हुए था वह बाहर आने के लिए तड़प रहा था जिसे वह बार-बार हाथ लगा कर दबा देने की कोशिश कर रहा था लेकिन यह कोशिश बिल्कुल नाकाम साबित हो रही थी और अपने बेटे की इस हरकत को देखकर निर्मला मन ही मन मुस्कुराते हुए उत्तेजना का भी अनुभव कर रही थी।)
फिर क्या था तेरे पापा ने तो मेरे पूरे बदन पर चुंबनों की झड़ी बरसाने लगे जैसे जैसे वह मेरे बदन को चूमते जा रहे थे वैसे वैसे उधर का वस्त्र अपने आप हट़ते जा रहा था। उन्होंने मेरे बदन से धीरे-धीरे करके साड़ी को उतार फेंका,,,,,( निर्मला की बात सुनकर शुभम की उत्तेजना बढ़ने लगी थी और उसकी सांसे तेज गति से चल रही थी। ) उसके बाद तो वह मेरे पेटीकोट की डोरी को एक झटके से खोल दिए,,,,( निर्मला बताते-बताते अपनी चूचियों को भी अपने ही हाथ से दबाए जा रही थी।)
इसके बाद क्या हुआ मम्मी,,,,( शुभम फिर से उतसुक्ता बस पूछा)
उसके बाद तो बेटा उन्होंने कब मेरे बदन से मेरी पेटीकोट भी निकाल कर बाहर फेंक दिया मुझे पता ही नहीं चला उनकी आंखों के सामने में बस एक छोटी सी पैंटी पहने बिस्तर पर कसमसा रही थी और अपने हाथों से अपनी पैंटी में छिपे खजाने को छुपाने की कोशिश कर रही थी। ( यह बोलते हुए निर्मला जानबूझकर शुभम की आंखों के सामने अपनी पैंटी पर हाथ रखकर बुर को छुपाने की कोशिश करने लगी अपनी मां की हरकत पर शुभम एकदम से कामोत्तेजीत हो गया,,, वह आंख भाड़े अपनी मां को हाथों से बुर छुपाते देख रहा था।)
फिर,,,,( इस बार उसके मुंह से उत्तेजना के मारे बस इतना ही निकल पाया)
फिर वह धीरे-धीरे मेरी पैंटी को पकड़कर नीचे की तरफ सरकारी लगे मैं अपना हाथ आगे बढ़ा कर उनके हाथ को पकड़ कर उन्हें रोकने की कोशिश करने लगी लेकिन वह कहां मानने वाले थे वह एक झटके में खींचकर मेरी पेंटी को मेरे पैरों से बाहर निकाल दिए,,,,
अब बिस्तर पर मैं तेरे पापा की आंखों के सामने बिल्कुल नंगी लेटी हुई थी मेरे बदन पर कपड़े के नाम पर एक रेशा भी नहीं था,,,, मेरा दूधिया गोरा बदन ट्यूबलाइट की रोशनी में और भी ज्यादा चमक रहा था। तेरे पापा मेरे रूप यौवन को देखकर एकदम उत्तेजित हो गए वह भी झट से अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगे हो गए,,,, उनका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,,,( अपने पापा के लंड के नाम पर शुभम आश्चर्य से अपनी मां की तरफ देखने लगा तो शायद निर्मला को अपने बेटे के हाव भाव से उसके मन में क्या चल रहा है यह पता चल गया और वह बात को आगे बढ़ाते हुए बोली।)
हां उस समय पहली बार में तेरे पापा के लंड को देख रही थी और अपनी जिंदगी में पहली ही बार किसी मर्द के लंड को देख रही थी इसलिए मुझे तेरे पापा का लंड बेहद बड़ा लग रहा था। लेकिन जब से मुझे तेरे लंड का दीदार हुआ है तब से तेरे पापा कर लंड तो तेरे लंड के सामने एकदम बच्चों के लंड की तरह नुन्नु की तरह लगता है,,,,।
( अपनी मां की बात सुनकर शुभम के चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट आ गई और वह बोला,,,।)
फिर क्या हुआ,,,,
फिर तो तेरे पापा ने वह काम किया जो मैं कभी सपने में भी सोच नहीं सकती थी और ना ही मुझे कभी भी इस बात का ज्ञान था कि ऐसा भी होता है,,,
( अपनी मां की बात सुनकर शुभम के मन में एकदम से उत्सुकता बढ़ने लगी है और वहां आगे की बात जानने के उद्देश्य से बोला,,,।)
ऐसा क्या हो गया मम्मी जो तुमने कभी सपने में भी नहीं सोची थी,,,,
बताते हुए मुझे तो शर्म आ रही है लेकिन तेरे और मेरे बीच में कोई भी अब बात छुपी नहीं रहना चाहीए इसलिए मैं तुझे बता रही हूं,,, तेरे पापा ने अपने हाथों से मेरी टांगों को खोलते हुए,,, मेरी बुर पर नजरें गड़ाते हुए,,, मेरी बुर की तरफ झुकने लगे जिसमें से मेरा रसीला नमकीन रस बह रहा था।,,, और मैं कुछ समझ पाती इससे पहले ही देखते ही देखते उन्होंने अपने होंठ को मेरी बुर पर रख दिए,,,, और मेरी बुर पर जीभ लगा कर चाटना शुरू कर दीए,,,,( अपनी मां कि इस तरह की बातें सुनकर शुभम का मुंह आश्चर्य से खुला का खुला रह गया क्योंकि उसे भी अपनी मां की यह बात सुनकर बेहद आश्चर्य हुआ और उसके मुंह से अचानक ही निकल गया।)
पर,,,,
हां मैं जानती हूं तू क्या कहना चाहता है,,, उधर से तो पेशाब की जाती है यही ना,,,( और शुभम भी हां में सिर हिला दिया)
मेरी तेरे पापा से यही कहती रही लेकिन वह मेरी एक नहीं माने और अपनी मनमानी करते रहे लेकिन धीरे-धीरे जिस तरह से वह अपनी जीभ लगा लगा कर मेरी बुर चाट रहे थे मेरे बदन में उत्तेजना की चीटियां रेंगने लगी थी,,,, मुझे भी बहुत मज़ा आने लगा और इस तरह से करते हुए उन्होंने तो अपनी जीभ से ही मेरी बुर से पानी निकाल दिया,,,,, ओर शुभम उस दिन जो मुझे सुख मिला था वैसा सुख तो मुझे आज तक नहीं मिल पाया क्योंकि तेरे पापा कुछ महीनों बाद मेरी बुर को चाटना ही बंद कर दिए,,, ( निर्मला के चेहरे पर बनावट उदासी के भाव तैरने लगे जिसे देख कर शुभम समझ गया कि उसकी मां उदास है इसलिए वह कुछ देर शांत रहने के बाद बोला,,,।)
मम्मी तो,,,, तुम,,,,,,,( शुभम रुक रुक कर बोला,,, कुरवाई से आगे कुछ बोल पाता इसके पहले ही निर्मला बोल पड़ी,,,।)
हां शुभम मैं यही चाहती हूं कि तू भी उसी तरह से मुझे प्यार करें जिस तरह से मेरी पहली रात को तेरे पापा ने प्यार किया था,,,, आज तुम मुझे इतना प्यार कर कि मुझे एकदम से मस्त कर दे,,
( शुभम के लिए अपनी मां द्वारा यह खुला आमंत्रण था अपनी मां की बात सुनकर जिस तरह से वह बता रही थी कि उसके पापा को बुर चाटने मैं और उन्हें चटवाने में आनंद की प्राप्ति हो रही थी इस बात से शुभम के मन में भी उत्सुकता पूरी तरह से बढ़ चुकी थी।,,, वह भी अपनी मां की पूरी चाट कर देखना चाहता था कि उसमे कितना मजा मिलता है,,, दोनों के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी दोनों तरफ आग बराबर लगी हुई थी दोनों एक दूसरे के प्रति आकर्षित और उत्तेजित लग रहे थे और दोनों के मन में उत्सुकता पूरी तरह से बढ़ चुकी थी ,,, निर्मला अपने मन की बात कह कर एकदम खामोश हो चुकी थी और अपनी प्यासी आंखों से अपने बेटे की तरफ देख रही थी कि वह क्या बोलता है,,,, शुभम भी उत्तेजना के मारे अपनी मां की नशीली आंखों में डूबता चला जा रहा था वह मन ही मन तय कर लिया था कि जिस तरह से वह चाहती है उसी तरह का सुख उसे पूरी तरह से वह देगा,,,, इसलिए वह अपनी मां की आंखों में आंखें डाल कर बोला,,,।
मैं भी तुमसे उसी तरह से प्यार करना चाहता हूं,,,
( अपने बेटे की यह बात सुनकर निर्मला के गुलाबी होठों पर मादक मुस्कान फैल गई,,, शुभम धीरे-धीरे अपनी मां के चेहरे की तरफ झुकता चला गया और अगले ही पल अपने प्यासे होठों को अपनी मां के गुलाबी होठों पर रखकर चूसने लगा,,,)