Sex Kahani मेरी सेक्सी बहनें - Page 16 - SexBaba
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Sex Kahani मेरी सेक्सी बहनें

इन सब से दूर पूजा खड़ी मेरी तरफ ही उपर देख रही थी... मैने उसे उपर आने का इशारा किया, पर उसने ना में इशारा करके मना कर दिया... मैं तुरंत अपने रूम में गया और डॅड के मोबाइल पे कॉल किया

"डॅड.. आप प्लीज़ पूजा को मेरे रूम में आने की पर्मिशन दीजिए, कल की लिस्ट बनानी पड़ेगी ना शॉपिंग करनी है तो"

"अरे बेटे, पर्मिशन क्या, अभी 5 मिनट में शी विल बी देअर ओके.." डॅड ने फोन कट करने से पहले कहा..

10 मिनट बाद पूजा मेरे रूम में आई.. आते ही 

"ये आपने ग़लत किया ... आपको ऐसा नहीं करना चाहिए" पूजा ने बहुत चिंता जताते हुए कहा

"पूजा, तुम मुझे नहीं बता रही कुछ, और मैं ठीक हूँ इससे, अब मैं इसे अपने तरीके से सुल्झाउन्गा... मुझे यकीन है तुमपे.. उम्मीद करता हूँ तुम अच्छी जीवन साथी होने के साथ साथ एक अच्छी राज़दार भी बनी रहोगी.." मैने पूजा से आँखें मिलाते हुए कहा..

"मैं कुछ समझी नहीं .. आप प्लीज़ इतनी जल्दबाज़ी ना करें" पूजा चिंतित होती जा रही थी...

"पूजा प्लीज़... " मैने सिर्फ़ इतना ही कहा...

"ठीक है .. आप कहते हैं तो. अच्छा, आप मोबाइल लाए मेरे लिए" पूजा ने मेरी बात को मानते हुए कहा

"हां.. ये लो, पर मुझे समझ नही आया, इससे क्या होगा" मैने पूजा के हाथ में मोबाइल देते हुए कहा..

". अभी जो नंबर मैं यूज़ कर रही हूँ, उसका डीटेल्ड बिल उसी के पास जाता है.. मैं आप के घर पे हूँ तो आपसे फोन पे या एसएमस्स पे बात करूँगी तो उसे पता चल जाएगा कि मैं आपका साथ दे रही हूँ" पूजा ने न्यू फोन लेते हुए कहा और जो सिम कार्ड था उसके साथ वो अन्दर इनसर्ट कर दिया..

"पर ये फोन भी तो..." मैं सिर्फ़ इतना कह पाया तभी पूजा ने कहा

"ये मैं संभाल लूँगी.. इतना तो कर ही सकती हूँ ना "ये कहके पूजा फिर नीचे चली गयी

रात के करीब 8.30 मैं नीचे खाने पहुँचा जहाँ सब बैठे हुए थे पहले से ही

"अरे डॅड, अंकल... क्या बात है, आज कल आप जल्दी आ जाते हैं फॅक्टरी से" मैने टेबल पे बैठते हुए कहा

"बस बेटा.. अब फॅक्टरी तुम संभालोगे, तो विजय और मैं रिटाइर्ड लाइफ जीने की प्रॅक्टीस कर रहे हैं.. क्यूँ विजय" पापा ने विजय अंकल को देखते हुए कहा....

"जी बिल्कुल भाई सहाब... बेटे, मैं तो सोच रहा हूँ कल से ऑफीस जाऊं ही नहीं... अहहहहहहहहहा" विजय अपनी कुत्तों वाली हँसी हंसते हुए बोला

(हां भोसड़ी के... घर पे बैठ के अपनी पत्नी और साली की गान्ड में घुसा जो रहेगा.. साले चोदु नंदन कहीं के) मैं सोच रहा था
 
इतने में खाना आ गया और हम सब खाने बैठे.. मेरे सामने आज पूजा बैठी थी.... खाना खाते खाते मैं उसे देख रहा था और उसकी खूबसूरती को निहार रहा था.. काफ़ी टाइम बाद मुझे अच्छा लग रहा था खाना.. खाना ख़तम करते ही हम सब बातें करने लगा


"अरे ये ज़य कहाँ है भाई.. किधर गायब हो गया है" विजय ने पूछा

"अंकल वो आज फ्रेंड्स के साथ ही रहेगा. कल सुबह को आएगा डाइरेक्ट अब" मैने सब को जवाब दिया..

"बोलो.. एक तो दो दिन आया, और उसमे से एक दिन दोस्तों के साथ, ये लड़का क्यूँ करता है ऐसा" मोम ने नाराज़गी जताते हुए कहा


इस अनाउन्स्मेंट से मोम डॅड तो नाराज़ हुए... पर विजय और शन्नो की आँखों में चमक आ गयी, शायद वो चुदाई करेंगे इधर ही.. ये सोच के मैं वहाँ से अपने कमरे में चला गया... कमरे में जाके नेट पे लॉगिन किया ताकि बॅंक बॅलेन्स देख लूँ... बॅंक बॅलेन्स देख के भी निराशा हुई,बॅलेन्स बहुत कम था, उतने में कल की शॉपिंग तो हो जाती, पर इंडोनेषिया ले जाने को कुछ नहीं बचता.. 


मैं ये सब कॅल्क्युलेशन्स ही कर रहा था तभी पीछे से आवाज़ आई

"एयेम एयेम... मिस्टर अकाउंटेंट... क्या काउंट कर रहे हैं"

पीछे मूड कर देखा तो पूजा खड़ी थी दरवाज़े पे..

"अरे पूजा आओ ना अंदर., बाहर क्यूँ खड़ी हो" मैने चेअर से उठ के कहा

"क्या हिसाब कर रहे हैं.. पैसे नहीं है शॉपिंग के लिए" पूजा ने मानो मेरे दिल की बात जान ली

"ऊह.. पैसे कम हैं थोड़े, बट मैं मॅनेज कर लूँगा, पापा से ले लूँगा" मैने बात को हवा में उड़ाना चाहा

"नहीं .. उनसे क्यूँ लेंगे आप, अगर आपको बुरा ना लगे तो मैं दे देती हूँ आपको, बाद में आप मुझे लौटा देना" पूजा ने मेरे साथ वाली चेअर पे बैठ के कहा

मैं:- नहीं पूजा... चलो तुम्हारी बात मानता हूँ, पापा से नहीं लूँगा, बट तुम्हारी हेल्प नहीं प्लीज़... मैं मॅनेज कर दूँगा, पक्का

पूजा:- श्योर हैं आप.. क्यूँ कि आपको ड्युयल सिम फोन कहा तो 3000 वाले के बदले आप 20000 वाला लेके आए..

मैं:- तो क्या हुआ, बेस्ट डिज़र्व्स दा बेस्ट डियर..

पूजा:- मिस्टर वीरानी... युवर फ्लॅशी लाइफस्टाइल ईज़ युवर बिग्गेस्ट एनिमी... प्लीज़ टेक केर ऑलराइट...


ये कहके पूजा रूम से निकल गयी और मैं समझ गया उसकी बात को.... मैं फिर अपने हिसाब में लग गया और कुछ शेअर्स लिस्ट डाउन कर लिए, जिनको बेच के मैं टेंपोररी एक्सपेन्सस मॅनेज कर सकता था.. शेअर्स बेचना ग़लत था, पर अब खुद्दार बीवी होने का कोई नुकसान भी होता है....

ये सब हिसाब करने में 3 घंटे लग गये, और इसी बीच मैने पूजा के साथ मिलके शॉपिंग की लिस्ट भी फाइनल की... मैने शॉपिंग लिस्ट बनाई थी जिसकी वॅल्यू थी करीब 30 या 32 हज़ार रुपीज़.... खुद्दार बीवी ने उसे कम करवा करवा के 20,000 पर ला दिया..
 
रात के करीब 12 बजे पूजा और मैं अपने अपने कमरे में निकल गये... जैसे ही मैं रूम में पहुँचा मुझे पूजा ने अपने नये नंबर से एसएमएस किया

"आज गेम नही खेलना पीज़... और अगर नींद नहीं आए तो गेम खेलने से ज़्यादा मज़ा आपको गेम देखने में आएगा... लव.. पूजा "

पूजा का एसएमएस पढ़के मुझे खुशी हुई कि पूजा इस कचरे से बाहर निकलने में मेरी पूरी मदद कर रही है... मेरे दिल में पूजा के लिए जो नफ़रत थी, वो अब कहीं ना कहीं मोहब्बत में तब्दील हो रही थी... मेरी हालत पिछली कुछ रातों जैसी ही थी.. नींद मेरी आँखों से कोसों दूर थी.. मैं चाहते हुए भी सो नहीं पा रहा था..


पूजा कौन्से गेम की बात कर रही थी ये मैं समझ गया था.. पर ये खेल कौन और कहाँ खेलने वाला था मुझे उसका कोई अंदाज़ा ही नहीं था.. घड़ी में मैने वक़्त देखा तो रात के 1 बजने में अभी 15 मिनट बाकी थे... मैं बेड से उठके अपने रूम की बाल्कनी में गया, रात धीरे धीरे गहरी हो रही थी... खड़े खड़े मैं यहाँ पायल के संग बिताए उन हसीन लम्हो के बारे में सोचने लगा.. पायल के साथ बिताया हुआ हर पल मुझे अब दर्द देने लगा था... मेरा दिल कमज़ोर पड़ने लगा था, मेरी आँखों से आँसू बहने लगे थे.. मैं इस मकाम पे आके पीछे नहीं हटना चाहता था... मैने अपने दिल को कमज़ोर नहीं पड़ने दिया, मैं मेरे रूम से निकल के नीचे जाने के लिए बढ़ने लगा... मैं जैसे ही सीडीयों की तरफ पहुँचा, मुझे डॉली और ललिता के रूम से वास गिरने की आवाज़ आई.. पूजा जिस खेल की बात कर रही थी कहीं ये उसी की वजह से तो नही था...


मैं नीचे जाने के बदले झट से उपर डॉली और ललिता के कमरे की तरफ बढ़ने लगा.. जैसे जैसे मैं उनके रूम के करीब पहुँच रहा था, मुझे अंदाज़ा आने लगा कि उनके रूम में 2 से ज़्यादा लोग मौजूद हैं.. मैं जैसे ही रूम के पास पहुँचा, मुझे अंदर की आवाज़ आने लगी, पर वो आवाज़ इतनी सॉफ नहीं थी, लोग खुस्पुसा रहे थे.. मैं वहीं खड़े खड़े सोचने लगा कि काश मैं अंदर की आवाज़ सुन पाऊँ, तभी मुझे पूजा का एसएमएस आया

"मिस्टर वीरानी... हल्के से खिड़की को पुश करो, सुनो, देखो...पर किसी को दिखाने की सोचना भी मत"


मैने पूजा का एसएमएस पढ़के आँखें उपर की तो पूजा वहीं सीडीयों पे खड़ी थी... मैं उसके पास जाने लगा तब उसने मुझे इशारे से वहीं खड़े रहने का संकेत दिया, और खुद नीचे चली गयी... पूजा के जाते ही मैने खिड़की को हल्का सा धक्का दिया, जिससे मुझे अंदर का दृश्य दिखाई देने लगा...



मेरा अंदाज़ा एक दम सही था, अंदर दो नहीं, तीन नहीं बल्कि 4 लोग थे.. अब मुझे उनकी आवाज़ एक दम सॉफ सुनाई दे रही थी... अंदर कोने के सोफे पे अंशु और शन्नो बैठे थे, और डॉली और विजय बेड पे ही थे... विजय अंकल अपने हाथ से डॉली की कमर को सहला रहे थे, और डॉली भी उनका साथ देते हुए उनके बालों में अपने हाथ फेर रही थी.. बाप बेटी को बिल्कुल भी फिकर नहीं थी कि सामने कौन बैठा है... देखते देखते विजय और डॉली एक दूसरे के होंठ चूसने लगे.. एक हाथ से विजय डॉली के चुचों को मसले जा रहा था वहीं डॉली भी धीरे धीरे विजय के लंड को उसके पॅंट के उपर से ही मसल्ने लगी...दोनो बेसूध होकर अपनी वासना में खो चुके थे.. ये देख कोने से अंशु बोली


"दीदी...वो देखो, आपकी बेटी, अपने बाप को ही जाल में फँसा रही है.. कुछ देर का इंतेज़ार भी नही कर सकती, फोन कभी भी आ सकता है"


(फोन...? किसका फोन, कहीं मुझे यहाँ भेजने का इरादा पूजा का यही तो नहीं, ताकि मुझे पता लगे कि ये सब इनसे कौन करवा रहा है... मैं अंदर देखते देखते सोचने भी लगा )
 
शन्नो:- क्या छोटी, तू भी ना, अभी फोन आने में टाइम है, तब तक एंजाय करने दे ना मेरी रांड़ बेटी को... और इसमे उसकी क्या ग़लती, वो माल ही ऐसा है कि उसे देखके दूसरों का तो छोड़, उसके बाप का लंड भी हिचकोले खाने लगता है..


उनकी बातें सुनके

विजय:- अरे मेरी रंडियों, मेरी बेटी को मज़ा नहीं, सज़ा दे रहा हूँ, इससे जो काम कहा था वो कर ही नहीं रही..इसकी सज़ा तो मिलनी चाहिए ना इसे..

ये कहके विजय ने डॉली का टॉप उतार फेंका जिससे उसके नंगे चुचे उछल कर बाहर आ गये.. अंदर डॉली ने ब्रा भी नही पहनी थी... 


डॉली एक दम मस्ती में आके बोली...

"उम्म्म.....पापा, अच्छा हुआ ना काम नहीं कर रही, आपके लंड के दर्शन हो रहे हैं इसी बहाने... नहीं तो मासी के आने के बाद तो मुझे भूल ही गये थे... आहह ससिईईईईई...."

अब विजय भी डॉली के पहाड़ जैसे चुचों को मूह में लेके चूसने लगा था...

"ह्म्म्मड....पापा दूध पियो ना अपनी बेटी का आहहामम्म्ममम....यआः आहह पापा, बाइट मी हार्ड आहह....अपनी रंडी बेटी के चुचों को और ज़ोर से चूसो आहहसिईईईई,....." डॉली वासना की मस्ती में ढलने लगी थी

"आहह हां मेरी रांड़ बेटी...तेरे बाप का लंड आज की रात तेरा ही ख़याल रखेगा..." विजय भी डॉली का एक चुचा मसल्ने लगा था और एक को मूह में लेके चूसने लगा था..


इन दोनो को ऐसे देख, कोने में बैठी दोनो बहने भी मस्ती में आ गयी... शन्नो और अंशु एक दूसरे के होंठ चूसने लगी... जीभ से जीभ मिलाके शन्नो और अंशु एक दूसरे की बाहों में आ गये थे...


एक तरफ बाप बेटी को चोदने के लिए गरम कर रहा था, वहीं दूसरी तरफ दो गदराए बदन की औरतें मस्त हो रही थी.. अंशु और शन्नो के निपल्स कड़क होने लगे थे, उनके चुचे एक दूसरे के अंदर धन्से जा रहे थे.. 

अंशु और शन्नो एक दूसरे के कपड़े उतारने लगे... अंशु जैसे ही अपनी ब्रा में आई, मैं उसे देखता ही रह गया, 36 के उसके चुचे उसकी ब्लॅक लेसी ब्रा में समा नहीं रहे थे, उपर से उसकी एक दम गोरी चमडी, लंबे काले बाल, मुझे उसकी तरफ आकर्षित कर रहे थे... अंशु ने देरी ना करते शन्नो के चुचों को भी उसके कपड़ो से आज़ाद कर दिया... शन्नो के चुचे भी देख के मेरा लंड तन गया... उसके चुचे 38 के होंगे, उसकी स्किन कलर की ब्रा बिल्कुल उसकी चमडी के रंग सी थी..

शन्नो और अंशु एक दूसरे को किस करते करते उपर से बिल्कुल नंगे हो गये.. सोफे से उठके वो बेड के पास चले गये जहाँ बाप बेटी के चुचों को मसल मसल के लाल सुर्ख कर चुका था...

"उम्म्म्म...अब इसके चुचों को छोड़ के इसकी चूत का भी ख़याल रखिए...नही तो आपकी लाडली रंडी को ये सज़ा कम, मज़ा ज़्यादा लगेगा" शन्नो अंशु का साथ छोड़ते हुए बेड के किनारे के पास गयी और विजय का पॅंट उतारने लगी..

जैसे ही शन्नो ने विजय का पॅंट उतारा, उसका सख़्त काला लोहे सा लंड बाहर आ गया...किसी साँप की तरह उसका लंड फनफना रहा था... विजय का लंड देख के शन्नो की आँखों में रंडीपना उतर आया, उसके मूह में पानी आने लगा... उसने तुरंत विजय के लंड का सुपाडा अपनी जीभ पे रखके उसको चूसने लगी...विजय तो मानो जैसे जन्नत में पहुँच गया हो.

बेड के एक कोने पे अंशु खड़ी डॉली के चुचों को चूस रही थी और साथ ही उसके होंठों का रस पीने में मस्त थी...डॉली भी उछल उछल के उसका साथ दे रही थी... वहीं बेड के दूसरे कोने पे शन्नो अपनी पति का लंड लेके चूसे जा रही थी,जब कि उसका पति अपनी बेटी की चूत में अपनी उंगली अंदर बाहर किए जा रहा था..


"उम्म्म...आअहह सस्सिईईईई.....पापा धीरे ना आअहह....उम्म्म्म मासी...और चूसो ना इन होंठों को...आहह आपकी ज़बान आपकी चूत से भी ज़्यादा मीठी है आअहह मैं मर ना जाउ आहह...." डॉली मदहोशी में बोले जा रही थी


"उम्म्म्म...अहह मेरी रंडी बहेन की रांड़ बेटी आहह......तेरा बाप तुझे आज ऐसा चोदेगा कि ज़िंदगी भर नहीं चल पाएगी, साली मादरजात कहीं की..." अंशु डॉली के होंठों को चूसने के बदले काटने लगी थी...

"अब छोड़ो भी अपने पति को मेरी भाडवी बहेन, चल अपनी बेटी का ध्यान रख अब आ इधर.." अंशु डॉली को छोड़के दूसरे कोने में शन्नो के पास जाती हुई बोली...


जैसे ही अंशु, शन्नो के पास पहुँची, उसने विजय का लंड शन्नो के मूह से निकल के उसके होंठों पे एक बार फिर प्रहार करने लगी...
 
"उम्म्म...आहह यूम्मम्म गुणन्ञनगुणन्ञन् चाप्प्प्प्प्प्फुपूऊऊओ" ऐसी आवाज़ों से रूम में एक माहॉल सा बन रहा था.... अंशु ने शन्नो को छोड़के डॉली को बेड पे एक नज़र देखा... डॉली बेड पे एक दम नंगी लेटी हुई थी, उसके 34 के चुचों पे उसके निपल्स एक दम लाल हो चुके थे, उसकी चूत पे बहुत ही कम बाल थे, उसका पेट एक दम अंदर सटा हुआ, उसकी चूत के होंठ एक दम लाल हो चुके थे, उसकी चूत का दाना काफ़ी बाहर आ चुका था...डॉली मदहोशी से भरी बेड पे लेटे लेटे इन सब का मज़ा उठा रही थी...

अंशु ने शन्नो को बेड से नीचे उतरने का इशारा किया जिसे डॉली ने किसी बच्ची की तरह स्वीकारा...बेड से नीचे उतरते ही डॉली ने बेड के दो कॉर्नर्स को पकड़ा और पैर के बल बैठके कुतिया की पोज़िशन में आ गयी... 


(साला, अपनी बेटी को भी कुतिया की पोज़िशन में चोदेगा...मैं सोच रहा था साले मेरे अंकल की क्या किस्मत है, बीवी और साली के साथ बेटी को चोद रहा है)

सोचते सोचते मैने चेक किया वीडियो रेकॉर्डिंग चालू थी मेरे मोबाइल से... सालों, तुम्हारी एक ये गोटी मेरे पास आ जाए, खेलूँगा तुम्हारे साथ....


डॉली को कुतिया की पोज़िशन में लाके अंशु भी नीचे झुक गयी और उसकी चूत को चाटने लगी..


"उम्म्म अहह स्लूरप्प्प्प स्लूरप्प्प्प्प आहहसिईईईई.....उम्म्म्ममम अहब.... क्या चूत है तेरी मेरी भांजी आअहह..... उम्म्म्मममम.....मसलूरप्प्प्प्प्प स्लूरप्प्प्प्प....." अंशु कहते कहते डॉली की चूत की चुस्कियाँ लेने लगी....


जहाँ एक तरफ अंशु डॉली की चूत चाटने में लगी हुई थी, वहीं दूसरी तरफ शन्नो और विजय खड़े खड़े एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे , शन्नो विजय के लंड को मूठ मार रही थी वहीं विजय भी शन्नो की चूत के अंदर उंगली किए जा रहा था....


"उम्म्म्ममाहह....मसईईईईईईई और चोदो ना मेरे भडवे पति आहह सीईईईईईई.....म्हममम्ममाहह.....एम्म.......म........उहह.... हाआंन्णंणन् मेरी रांड़ बीवी तेरी बेटी के बाद तुझे ही छोड़ूँगा मेरी मदरजात बीवी आहहसिईईई....उम्म्म्मममममम" शन्नो और विजय वासना में आके बके जा रहे थे...


"आहह.....ह्म्म्म्म , चलो जीजू, अभी अपनी रांड़ पत्नी को चोद के, उम्म्माहह स्लूरप्प्प्प स्लूरप्प्प्प्प्प आअहह सीईईईई...., अपनी इस कुतिया बेटी को चोदो ना आहह......" अंशु डॉली की चूत को एक दम गीला कर चुकी थी चाट चाट के.... ये सुनके, शन्नो ने विजय के लंड और होंठ को छोड़ दिया... विजय देरी ना करते हुए, डॉली की तरफ मुड़ा, जहाँ वो पहले से ही कुतिया बनके सेक्स की आग में जल रही थी..


"उम्म्म्माहह...पापा अब चोदो ना अपनी कुतिया को...अब रुका नहीं जा रहा आहह सीईईईई उम्म्म्ममम....." 


डॉली की बिनती सुनके विजय ने अपने कड़क मूसल साँप जैसे लंड को उसकी गीली चूत पे सेट ही किया था, तभी शन्नो बीच में आई, उसने विजय के लंड को चूत से हटा के डॉली की गान्ड के छेद पे सेट किया, और विजय को आँख मारी 


डॉली को बिल्कुल होश नहीं था कि उसके साथ क्या होनेवाला है आगे...वो तो बस मदहोशी में सिर्फ़ इतना ही बोल पा रही थी "उम्म्म....पापा पेल दो ना अब, सही नहीं जाती ये आग अब मुझसे आहह"

विजय ने तुरंत अपना मूसल एक ही झटके में डॉली की गान्ड में घुसा दिया, और फिर उतनी ही तेज़ी से बाहर भी निकाला... डॉली की तो मानो हलक में लंड उतार गया हो...उससे रहा नहीं गया, वो चीख पड़ी


"आहह उईईईईईई ओह....मेरे भडवे पिता आअहभह साले बेटी चोद कहीं के....मर गाइिईईईईईईईईईईईईई मैं माआ.....आहह"

"चिल्ला मत रंडी कहीं की...तेरी सज़ा है ये साली...और ले, और चिल्लाएगी ना तो..." विजय को बीच मे काट कर शन्नो बोली... "क्यूँ री साली छिनाल...एक काम तुझे तेरे बाप ने दिया वो भी ठीक तरह से नही कर पाई...दौलत चाहिए तो उसके लिए काफ़ी भोग देने पड़ते हैं..समझी"


मैं एक टक विजय के लंड को डॉली की गान्ड के अंदर जाते देख रहा था... डॉली की गान्ड से खून बहे जा रहा था, उसके खून में लथपथ विजय का लंड डॉली की गान्ड के अंदर बाहर किसी पिस्टन की तरह चल रहा था.. उस वक़्त ऐसा लग रहा था कि विजय अपनी बेटी को नहीं बल्कि किसी बाज़ारू औरत को चोद रहा हो....


"और चोदो जीजू, साली रांड़ हमारा खेल खराब करने वाली थी..इस कुतिया का यही हश्र होना चाहिए..." अंशु कहते कहते एक बार फिर शन्नो के चुचों को चूसने लगी..... 


दृश्य ऐसा था, विजय लगातार अपना लंड डॉली की गान्ड के अंदर बाहर पेले जा रहा था, डॉली बेड के कोने को पकड़ के चुदवाने के साथ चिल्लाए जा रही थी... शन्नो और अंशु एक दूसरे के होंठ चूसने में लगे हुए थे और नीचे से एक दूसरे की चूत में धड़ा धड़ उंगली किए जा रहे थे.. मेरा लंड भी अकड़ने लगा था.... मैने एक बार फिर चेक किया रेकॉर्डिंग चालू है.... अचानक मेरे पीछे किसीने हाथ रखा, मैं चोंक के पीछे मुड़ा तो पूजा खड़ी थी पीछे..


मैं:- फ्यू!!!! थैंक गॉड, तुम हो

पूजा:- क्यूँ, किसी और को एक्सपेक्ट कर रहे हैं आप... और ये क्या, आपको मना किया था, रेकॉर्डिंग कोई हेल्प नही करेगी आपको

मैं:- आइ विल टेक केअर, तुम बताओ, क्यूँ आई..

पूजा:- मैं आपसे सिर्फ़ ये कहने आई थी कि इनकी हरकतें देख के आधे में चले मत जाना... आज शायद आपको पता लगेगा इन सब कि पीछे कौन है..

मैं:- तुम क्यूँ नही बताती मुझे, मैं तुम्हे संभालूँगा, डॉन'ट वरी

पूजा:- मिस्टर वीरानी...आप आज की रात पहले अपना मोबाइल संभालिएगा, फिर देखेंगे..


ये कहके पूजा वहाँ से चली गयी, और मैं वापस से अंदर देखने लग गया...
 
अंदर का नज़ारा अब थोड़ा सा बदल चुका था.. विजय तो डॉली की गान्ड में लंड पेले जा रहा था, पर अब शन्नो और अंशु भी ज़मीन पे नीचे लेट गये थे और एक दूसरे की चूत में अपनी जीभ घुसाए हुए थे


शन्नो के उपर अंशु थी, उसके चुचे हवा में लटक रहे थे, जी कर रहा था जाके अभी इन्हे नोच दूं...


"उम्म्म....दीदी अहह...और चाटो ना ज़ोर से..सीयी अहाहाहहा......"


"स्लर्प स्लर्प आहहहहहः... चाट तो रही हूँ छोटी अहहहहा..तेरा भोसड़ा भी इतना बड़ा है अहहहहहहा...कि अब एक जान का काम नहीं है अहहहहहः स्लूरप्पप्पो स्लूरप्प्प्प्प"

इन लोगों की ज़बरदस्त चुदाई चल रही थी, तभी विजय का फोन बजा.... फोन का रिंगटोन सुनके सब लोग खड़े हो गये, कुछ मिनट एक दूसरे को देख के, विजय ने फाइनली कॉल को आन्सर किया..


"हेलो" विजय ने सहमते हुए कहा...

"हां...वोई बात कर रहे थे हम, अब इसका" विजय बस इतना ही बोल पाया तब सामने वाले ने उसे फिर खामोश कर दिया...

"जी...ऐसे कैसे कर सकते हैं हम..." बोलते हुए विजय के चेहरे पे शिकन छा गयी..."

फिर कुछ देर की खामोशी के बाद, 

"जी, वो यहीं है, " विजय ने अंशु को देखते हुए कहा...

कुछ देर तक सिर्फ़ विजय सामने वाले इंसान की बातें सुनता रहा, फिर अंशु को फोन पकड़ा दिया


"ह..हे....हेल्लूओ" अंशु घबरा के बोल रही थी..

"नहीं...प्लीज़ ऐसा ना करें... जी वो कामयाबी से आगे बढ़ रही है..." अंशु शायद पूजा के बारे में बोल रही थी...


"जी.... प्लीज़ आप किसी से ना कहें कि... जी , मैं आपसे भीख माँग रही हूँ प्लीज़....." अंशु की आँखों में कहते कहते आँसू आ गये..


"हेल्ल्लूऊ.. हेल्लू......" अंशु चिल्लाने लगी... शायद सामने से फोन कट हो चुका था...


अंशु को इस हालत में देख, शन्नो उसके पास गयी, संभालती हुई बोली

"क्या हुआ छोटी..." शन्नो चिंतित थी


"गान्ड फट गयी है हमारी..तुम्हारी इस रांड़ बेटी की वजह से हमे भुगतना पड़ेगा" विजय पागल बनके चिल्लाने लगा...

"हुआ क्या, प्लीज़ बताइए तो" शन्नो का दिल बैठा जा रहा था...

"दीदी...आप तुरंत बॅग निकालिए कपड़े पॅक करने के लिए..." अंशु ने ऑर्डर करते हुए कहा, जिससे डॉली और विजय तुरंत अपने कपड़े पहनने लगे... मैं थोड़ा छुप कर फिर अंदर देखने लगा, तभी अंशु बोली

"दीदी..खिड़की किसने खोली, कहीं किसी ने देख लिया तो..." ये कहते वो आगे बढ़ी, और खिड़की बंद कर दी...


मैं तुरंत वहाँ से नीचे की तरफ अपने कमरे में भागा, रूम में जाते ही मैने सोचा, आज तो बच गये.... कितनी देर की प्यास अब तक नही बुझी थी मेरी, मैं कुछ सेकेंड्स के बाद नीचे पानी लेने चला गया, जहाँ पूजा लिविंग रूम में ही बैठी थी..उसकी आँखें बंद थी, शायद वो कुछ सोच रही थी.. मैं उसके पास गया..

"पूजा, यहाँ क्यूँ बैठी हो, अंधेरे में"

", आप प्लीज़ जाइए, ये लीजिए पानी की बॉटल, और ध्यान से सोना आज रात को" पूजा वहाँ से खड़ी होके अपने कमरे में जाने लगी..

"मैं वहीं खड़े खड़े कुछ सोचता रहा, फिर वहाँ से निकल गया अपने रूम में जाने के लिए


मैं जैसे ही उपर बढ़ा, तो अंशु नीचे आती दिखाई दी... 

"आंटी..आप इतनी रात को, और इतना थकि हुई, भाग के कहाँ जा रहे हैं"

अंशु:- बेटा, मैं तो बस, ऐसे ही नींद नहीं आ रही थी, सोचा दीदी के पास जाऊं..अभी नींद आ रही है, चलो, कल सुबह बात करते हैं, ओके, बाइ बेटे...


ये कहके अंशु वहाँ से अपने रूम में तेज़ी से भाग गयी.. मैं अपने रूम में चल दिया... जाके मेरी किस्मत को कोसने लगा, कि आज फोन किसका था ये तो पता ही नही चला, पर ये सॉफ हो गया कि इस खेल में कोई तीसरा ही मास्टर माइंड है... शन्नो और विजय तो बस उसके इशारे पे चल रहे हैं...
 
घड़ी में वक़्त देखा तो रात के 3 बजने वाले थे.. मैने अपना मोबाइल एक बार फिर चेक कर लिया और क्लिप को सीक्रेट फोल्डर में सेव कर लिया. पूजा ने वॉर्निंग दी थी, उसे ध्यान में रखते हुए मैने फोन लॉक कर दिया... कुछ देर के बाद मुझे लेटे लेटे नींद आने लगी, मैं नींद में डूब गया....


सुबह करीब 10 बजे मेरी नींद खुली, तो देखा पूजा मेरे लिए कपड़े निकाल रही थी... मैं उसे देखके सर्प्राइज़ हुआ, 
"अरे पूजा, इतनी सुबह सुबह , मुझे उठाया भी नहीं आज" मैं बेड से उठते हुए बोला...रात को देरी से सोने की वजह से नींद अब तक पूरी नही हुई थी, इसलिए खड़े खड़े अंगड़ाई लेने लगा..


मेरी तरफ मूह करती पूजा बोली....आपका मोबाइल कहाँ है, चेक कीजिए... उसकी ये बात सुनके मैने तुरंत अपने साइड टेबल पे देखा तो मोबाइल वहाँ नही था, मैं आस पास हर जगह देखने लगा, लेकिन कहीं नहीं था मोबाइल... मैं जाके अपने कपबोर्ड और ड्रॉयर में भी देखने लगा, पर मुझे नाकामी ही हाथ लगी...


"मैने आपसे पहले ही कहा था कि ये कुछ काम नही आएगा..आप मान जाते तो आपका 40,000 का फोन आज चोरी नहीं होता..." पूजा बहुत रिलॅक्स्ड टोन में थी...


मेरा दिमाग़ एक दम गरम था, मैने भी आव देखा ना ताव, जाके पूजा का गला दबा लिया


"तुम ने ही चुराया है ना फोन मेरा, बोलूऊऊऊऊओ, तुम रात से ही बोल रही थी ना, बताओ कहाँ है मेरा फोन...... बताऊऊऊओ" मैं आग बाबूला हो चुका था... मैं इतनी ज़ोर से चिल्ला रहा था कि आवाज़ नीचे तक जा रही होगी


मेरे गला दबाने की वजह से पूजा का दम घुटने लगा था

"आरर्ग्घह...उऊहुभूऊ...छोड़िए आर्र्घह...प्लीज़ हुहुहुहुहुहह हुहह" पूजा छुड़ाने की कोशिश कर रही थी.... कुछ सेकेंड्स में मैने उसे छोड़ा, और जाके बेड पे बैठ गया... पूजा खाँसती हुई मेरे बेड के पास से बॉटल उठा के पानी पीने लगी, ...कुछ देर के बाद वो अपनी साँसें संभालती हुई बोली..

"अगर मुझे आपका फोन चुराना होता तो मैं आपको वॉर्निंग भी नहीं देती कल रात को.." 

पूजा इतना बोलके वहाँ से निकल गयी...


मैं वहीं खड़े सोचता रहा आख़िर फोन कहाँ गया.....


कुछ सेकेंड्स बाद मुझे एहसास हुआ कि मुझे पूजा के साथ ऐसा नहीं करना चाहिए था... जैसे ही मैं नीचे जाने लगा 
उससे माफी माँगने के लिए, मेरे सामने .........

पूजा के जाने के बाद मैं कुछ देर वहीं खड़े खड़े सोच रहा था कि आख़िर मेरा फोने कहाँ गया..बात पैसों की नहीं थी, पर उसमे गुज़री रात का कांड रेकॉर्डेड था जिससे इस खेल के सभी प्यादे एक साथ भी मार सकता था मैं... कुछ देर बाद पूजा का ख़याल आते ही मेरे कदम नीचे की तरफ बढ़ने लगे, जैसे ही मैं नीचे जाने के लिए निकला, सामने ज़य खड़ा था..

ज़य:- भाई, क्या हुआ, सुबह सुबह इतने स्ट्रेस्ड क्यूँ लग रहे हो


मैं:- कुछ नही छोटे, तू बोल, एंजाय किया कल तूने ? 


ज़य:- भाई, वो सब छोड़ो, आप क्या छुपा रहे हो, अभी पूजा भाभी नीचे दिखी, वो भी रो रही थी


मैं:- क्य्ाआआ...... पूजा रो रही थी !!!!


ज़य:- हां भाई, अब बताओगे क्या हुआ


कुछ देर सोचने के बाद मैने ज़य को सब बातें बताई.....


ज़य:- भाई, आप कहीं नींद में तो नहीं हो, कोई बाप अपनी बेटी के साथ ऐसा कर सकता है क्या..


मैं:- हां यार, ऐसा ही हुआ है, अब कुछ नहीं कर सकते, किस्मत भैन्चोद...


ज़य:- किस्मत तो आपको अच्छी ही है, पूजा भाभी ने आपको इतना हिंट भी दिया, पर आप तो आप हो ना...कहाँ सुनते हो किसी की....


मैं:- अब छोड़ यार, तू बता, कल तूने कोई प्लान बनाया था ना, क्या है वो


ज़य:- वो अब एक्सेक्यूट नही होगा...


"क्यूँ !!????" मैने चोन्क्ते हुए ज़य से पूछा....


ज़य:- नीचे चल के तो देखो पहले आप यार


जे की बात सुनके मैं नीचे की तरफ भागा , नीचे जाके देखा तो मुझे घर में हलचल बहुत कम दिख रही थी... 


"गुड मॉर्निंग डॅड.... मैने पापा के पास जाते हुए कहा...


डॅड:- गुड मॉर्निंग बॉय... 


मैं :- क्या बात है डॅड, कोई दिख क्यूँ नहीं रहा, सब कहाँ हैं..


डॅड:- बेटे तुम्हारी मोम तो अपने रूम में कुछ काम में लगी हुई है, अंशु , शन्नो , विजय और डॉली, डॉली के मामा के घर गये हैं, अचानक उनकी कुछ तबीयत बिगड़ गयी है...
 
मैं:- पूजा नही गयी, आइ मीन उसके भी तो मामा हैं ना...


बेटे वो तो बोल रही थी, पर अंशु ने उसे यहीं रहने को कहा, तुम्हारी मोम अकेली है ये सोचके... पापा ने इतनी बड़ी बात को सरलता से कह दिया.... 
मैं सोच रहा था अचानक इन्हे क्या हुआ, सब अचानक एक साथ गायब...


मैं:- और डॅड ललिता... वो नही गयी ?


दाद:- नही बेटे, वो अपनी फ्रेंड के घर गयी है...समझ नही आ रहा इस लड़की को अपनी नानी के घर से लगाव नहीं है.... खैर, तुम शॉपिंग करने कब जाओगे, परसो निकलना है तुम्हे


मैने सोचा यही अच्छा मौका है, पूजा भी नहीं है आस पास... मैने डॅड से झिझकते हुए पूछा


मैं:- डॅड, ज़रा आपका कार्ड देंगे प्लीज़.. मेरा बॅलेन्स थोड़ा कम है, सो...


डॅड:- ओके ... इसमे इतना झिझकना क्यूँ.. तुम फ्रेश हो जाओ, मैं तब तक कार्ड्स निकालता हूँ....


डॅड ने इतना कहा ही था कि ज़य सीडीयों से नीचे आया...


"पापा... हाइ लिमिट वाला क्रेडिट कार्ड देना भैया को, उनका फोन मुझसे कल खो गया है कहीं...प्लीज़ उसके लिए भी पैसे दीजिए ना" 


"हां.. बेटे मैं तो इसलिए ही बैठा हूँ ना इधर... मेरा छोटा बेटा कहीं बाहर जाके पूरी रात रहे और सुबह मुझसे उसका हर्ज़ाना माँगे" डॅड ने ताना मारते हुए कहा...


"यस डॅड...अब आप प्लीज़ देना इनको, नही तो आगे से मुझे ये अपनी चीज़ को हाथ लगाने ही नही देंगे... और भैया, तब तक मेरे पास ये एक्सट्रा फोन पड़ा है, वो उसे कीजिए" ज़य ने मुझे फोन देते हुए कहा...


मैने देखा तो ये वोई फोन था जो मैने पूजा के लिए लिया था... मैं ज़य से फोन लेके पूजा को इधर उधर ढूँढने लगा... लेकिन वो कहीं नहीं दिखी, ये देख मैं सीधा मोम,के पास चला गया...


मैं:- पूजा कहाँ है मोम... आपने देखा उसको, मैने मा के पास जाते हुए कहा


मोम:- वाह बेटे, अभी तो वो तेरी पत्नी नहीं बनी, उसके लिए इतनी बेताबी...क्या बात है


मैं:- ऐसा कुछ नही है मोम..क्या आप भी सुबह सुबह इस बात को लेके बैठ गयी...


मोम:- रहने दे , सब देख रही हूँ मैं..वो शायद अपने रूम में होगी बेटा, 


"ओके मोम..." बस इतना कहके मैं वहाँ से तुरंत किसी तूफान की तरह पूजा के कमरे याने गेस्ट रूम की तरफ बढ़ने लगा..


गेस्ट रूम के पास जाके दरवाज़ा नॉक करने से पहले मैने सोचा, क्या कहूँगा पूजा को.. मेरा गुस्सा उसपे क्यूँ निकाला मैने, आख़िर उसने तो मुझे हिंट भी दिया था, मैं ही चूतिया निकला, अब कैसे फेस करूँ इसको.... मैं इन्ही सब ख़यालों में लगा हुआ था, तभी गेस्ट रूम का दरवाज़ा खुला जिससे मैं चोंक गया..
 
"अरे आप.. बाहर क्यूँ खड़े हैं, और इतना चोंक क्यूँ गये..." पूजा ने अपनी किल्लर स्माइल फ्लश करते हुए पूछा..


मैं:- कौन मैं.. मैं कहाँ चोंका... वो तो बस यूँ ही... मुझे शब्द ही नहीं मिल रहे थे


पूजा:- आप शायद अंदर आना चाहते हैं, अंदर आइए प्लीज़..


ये कहके पूजा ने मेरे अंदर आने का रास्ता किया, जैसे ही मैं अंदर गया, मैने सबसे पहले गेस्ट रूम को अंदर से लॉक कर दिया..


"ये क्या कर रहे हैं आप.. इसे लॉक क्यूँ...." पूजा बस इतना ही कह पाई मैने आगे जाके उसके होंठों पे उंगली रख दी..


"श्ष्ह्ह्ह्ह्ह..... पूजा, प्लीज़ बैठ जाओ.." मैने बेड की तरफ इशारा करते हुए कहा..


पूजा बेड पे बैठ गयी... मैं वहीं ज़मीन पे उसके पास बैठ गया... मुझे उस वक़्त कुछ समझ नहीं आ रहा था , मैं क्या कहूँ, क्या नहीं, मैने उसके साथ ऐसा क्यूँ बर्ताव किया... मैं बस उसे एक टक देखे जा रहा था...


"बोलिए, क्या हुआ" पूजा ने मासूमियत से कहा


"आइ आम सॉरी पूजा.. प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो आज सुबह के लिए.." मेरे पहले शब्द पूजा को


पूजा:- सॉरी क्यूँ डियर.... आइ अंडरस्टॅंड... आप जिस कंडीशन में हैं, वो भी अकेले, मैं समझ सकती हूँ...


मैने पूजा का हाथ पकड़ा.. धीरे से उसके नाज़ुक हाथ को चूम कर उसकी आँखों में देख के कहा


"अकेला कहाँ... तुम हो ना मेरे साथ"


ये सुनके पूजा ने फिर से एक बार अपनी प्यारी मुस्कान देते हुए कहा..


"मैं तो हूँ.. पर कब तक.. अगर मुझे कुछ हो गया तो इन सब में" पूजा ने चिंतित होते हुए कहा


मैं भावुक सा होने लगा था.. इस डर की वजह से पहले भी किसी ने मेरा साथ छोड़ा है, अब मैं नहीं चाहता कि पूजा भी मुझे छोड़ दे..


"हेलो.... मिस्टर वीरानी.. कहाँ खो गये" पूजा ने चुटकी बजा के कहा...


"कहीं नहीं.." मैने अपनी नाम आँखों को पोछ के कहा


पूजा:- मैं जानती हूँ कि आप क्या सोच रहे हैं , और किसके बारे में सोच रहे हैं... चिंता मत कीजिए, मैं बीच में नहीं छोड़ूँगी आपको...


मैं पूजा के पास गया और उसके माथे को चूमते हुए कहा


"तुम्हे कुछ नहीं होने दूँगा मैं... ये मेरा तुमसे नहीं, खुदसे एक वादा है"


हम कुछ देर एक दूसरे को देखते रहे.. मैं धीरे धीरे पूजा के पास बढ़ने लगा... उसके पास जाके, जैसे ही उसके होंठों के करीब अपने होंठों को ले गया... पूजा ने अपने होंठों पे अपना हाथ रख दिया...


"उम्म्म उम्म..... कंट्रोल मिस्टर वीरानी..." पूजा ने अपनी दबी हुई हँसी के साथ कहा.. और वहाँ से बाहर की तरफ चली गयी...


कुछ सेकेंड्स में मैं भी वहाँ से बाहर गया और जाके पापा से बातें करने लगा...


"डॅड... इंडोनेषिया के लिए प्लॅनिंग तो पायल ने की थी, पर अब जब वो ही नहीं चल रही, तो क्या हमारा जाना सही रहेगा" मैने पापा से सवाल पूछा


"हां बेटा, ये सवाल मैने भी अंशु से कहा, पर उसे कोई दिक्कत नहीं है, और सही है, तुम लोग ज़रा घूम के आओ, एक दूसरे को अच्छी तरह से जानो.. यहाँ तुम्हे कहाँ वक़्त मिलता है"


"ठीक है डॅड.. जैसे आप कहें" ये कहके डॅड और मैं चाइ पीने लगे...
 
काफ़ी दिनो बाद घर पे अलग सा सुकून था.. आस पास कोई मनहूस शकल नहीं थी, टेंपोररी ही सही, पर मेरे दिमाग़ में कोई चिंता नहीं थी,


इतने में मोम और पूजा भी आ गये... उनके पीछे पीछे विजय भी फ्रेश होके नाश्ता खाने आया


"वाह भाई... जलसे हैं आपके तो हाँ... और पूजा जी, क्या प्लॅनिंग है वाकेशन की हन्णन्न्" जय ने हरामी वाली स्माइल देते कहा 


मैं:- क्या छोटे, कुछ भी बोलता है, चुपचाप नाश्ता कर...


जय:- बस क्या भाई.. पर एक बात ध्यान रखना आप, और पूजा जी आप भी सुनिए


पूजा:- बोलिए भैया, किस चीज़ का ध्यान रखें हम


" आईए हआइई... क्या स्माइल है आपकी वाह... आप मेरे कॉलेज में होती ना, कसम से, बाकी की लड़कियों को कोई पानी भी नहीं पूछता...." जय अपनी मस्ती पे उतर आया था...


"बस कर अब, रहने दे, बेचारी को नाश्ता तो करने दे, सुबह सुबह इन दोनो की टाँग मत खींच" मोम ने भी इस बात में भाग लेते हुए कहा


"और क्या जय, कौनसी बात का ध्यान रखें ये दोनो, वो भी तो ज़रा बता हमे" डॅड ने दिलचस्पी लेते हुए कहा...


जय:- बताता हूँ.. बताता हूँ.... सुनिए, आप लोग इस बात का ध्यान रखना, कि आप वहाँ एक दूसरे को सिर्फ़ और सिर्फ़ जानने के लिए ही जा रहे हैं. ऐसी एग्ज़ोटिक लोकेशन देख के बहक मत जाना.... अहहहहहहहहहहा


जे की इस बात से पूजा की शरम के मारे नज़र झुक गयी, और मोम डॅड भी अपनी हँसी को रोक नहीं पाए....


हम सब ऐसे ही बैठे बैठे नाश्ता कर रहे थे, तभी जय ने कहा


"डॅड, एक काम करते हैं, आज सब काम भूल जाइए, कहीं बाहर चलते हैं, सिर्फ़ हम लोग... और कोई नहीं"


"और है कौन भाई इधर, सिर्फ़ हम ही तो हैं" मैने जय की मस्ती लेते हुए कहा


"हां भाई... आप समझ गये ना, तो चलें, तैयार होके करीब 1 घंटे में मिलते हैं.. ओके ना सब को, कोई प्राब्लम तो नहीं... किसी को प्राब्लम हो तो बोलो, " जय ने टेबल पे खड़े होके अनाउन्स्मेंट कर दी..


हम सब ने हामी भर दी, और नाश्ता फिनिश करके तैयार होने चले गये.... करीब 40 मिनट में नहा के और तैयार होके मैं नीचे आ गया, जहाँ जय सब से पहले तैयार खड़ा था...


"अरे छोटे, तेरा प्लान क्या था वो तो बताया नही तूने ....." मैं जय के पास जाने लगा


"भाई.. कुछ नहीं, मैने सोचा था ललिता को बेंगालुरू ले जाउन्गा ये कहके के वहाँ एक पार्ट टाइम फॅशन डिज़ाइनिंग का कोर्स स्टार्ट हुआ है, इससे आपका थोड़ा लोड तो कम होता.. पर यहाँ तो सब उल्टा ही हो गया.." जय ने अपनी जॅकेट पहनते हुए कहा


हम कुछ देर खड़े यूही बातें कर रहे थे तभी सामने से डॅड आए...
 
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