hotaks444
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इन सब से दूर पूजा खड़ी मेरी तरफ ही उपर देख रही थी... मैने उसे उपर आने का इशारा किया, पर उसने ना में इशारा करके मना कर दिया... मैं तुरंत अपने रूम में गया और डॅड के मोबाइल पे कॉल किया
"डॅड.. आप प्लीज़ पूजा को मेरे रूम में आने की पर्मिशन दीजिए, कल की लिस्ट बनानी पड़ेगी ना शॉपिंग करनी है तो"
"अरे बेटे, पर्मिशन क्या, अभी 5 मिनट में शी विल बी देअर ओके.." डॅड ने फोन कट करने से पहले कहा..
10 मिनट बाद पूजा मेरे रूम में आई.. आते ही
"ये आपने ग़लत किया ... आपको ऐसा नहीं करना चाहिए" पूजा ने बहुत चिंता जताते हुए कहा
"पूजा, तुम मुझे नहीं बता रही कुछ, और मैं ठीक हूँ इससे, अब मैं इसे अपने तरीके से सुल्झाउन्गा... मुझे यकीन है तुमपे.. उम्मीद करता हूँ तुम अच्छी जीवन साथी होने के साथ साथ एक अच्छी राज़दार भी बनी रहोगी.." मैने पूजा से आँखें मिलाते हुए कहा..
"मैं कुछ समझी नहीं .. आप प्लीज़ इतनी जल्दबाज़ी ना करें" पूजा चिंतित होती जा रही थी...
"पूजा प्लीज़... " मैने सिर्फ़ इतना ही कहा...
"ठीक है .. आप कहते हैं तो. अच्छा, आप मोबाइल लाए मेरे लिए" पूजा ने मेरी बात को मानते हुए कहा
"हां.. ये लो, पर मुझे समझ नही आया, इससे क्या होगा" मैने पूजा के हाथ में मोबाइल देते हुए कहा..
". अभी जो नंबर मैं यूज़ कर रही हूँ, उसका डीटेल्ड बिल उसी के पास जाता है.. मैं आप के घर पे हूँ तो आपसे फोन पे या एसएमस्स पे बात करूँगी तो उसे पता चल जाएगा कि मैं आपका साथ दे रही हूँ" पूजा ने न्यू फोन लेते हुए कहा और जो सिम कार्ड था उसके साथ वो अन्दर इनसर्ट कर दिया..
"पर ये फोन भी तो..." मैं सिर्फ़ इतना कह पाया तभी पूजा ने कहा
"ये मैं संभाल लूँगी.. इतना तो कर ही सकती हूँ ना "ये कहके पूजा फिर नीचे चली गयी
रात के करीब 8.30 मैं नीचे खाने पहुँचा जहाँ सब बैठे हुए थे पहले से ही
"अरे डॅड, अंकल... क्या बात है, आज कल आप जल्दी आ जाते हैं फॅक्टरी से" मैने टेबल पे बैठते हुए कहा
"बस बेटा.. अब फॅक्टरी तुम संभालोगे, तो विजय और मैं रिटाइर्ड लाइफ जीने की प्रॅक्टीस कर रहे हैं.. क्यूँ विजय" पापा ने विजय अंकल को देखते हुए कहा....
"जी बिल्कुल भाई सहाब... बेटे, मैं तो सोच रहा हूँ कल से ऑफीस जाऊं ही नहीं... अहहहहहहहहहा" विजय अपनी कुत्तों वाली हँसी हंसते हुए बोला
(हां भोसड़ी के... घर पे बैठ के अपनी पत्नी और साली की गान्ड में घुसा जो रहेगा.. साले चोदु नंदन कहीं के) मैं सोच रहा था
"डॅड.. आप प्लीज़ पूजा को मेरे रूम में आने की पर्मिशन दीजिए, कल की लिस्ट बनानी पड़ेगी ना शॉपिंग करनी है तो"
"अरे बेटे, पर्मिशन क्या, अभी 5 मिनट में शी विल बी देअर ओके.." डॅड ने फोन कट करने से पहले कहा..
10 मिनट बाद पूजा मेरे रूम में आई.. आते ही
"ये आपने ग़लत किया ... आपको ऐसा नहीं करना चाहिए" पूजा ने बहुत चिंता जताते हुए कहा
"पूजा, तुम मुझे नहीं बता रही कुछ, और मैं ठीक हूँ इससे, अब मैं इसे अपने तरीके से सुल्झाउन्गा... मुझे यकीन है तुमपे.. उम्मीद करता हूँ तुम अच्छी जीवन साथी होने के साथ साथ एक अच्छी राज़दार भी बनी रहोगी.." मैने पूजा से आँखें मिलाते हुए कहा..
"मैं कुछ समझी नहीं .. आप प्लीज़ इतनी जल्दबाज़ी ना करें" पूजा चिंतित होती जा रही थी...
"पूजा प्लीज़... " मैने सिर्फ़ इतना ही कहा...
"ठीक है .. आप कहते हैं तो. अच्छा, आप मोबाइल लाए मेरे लिए" पूजा ने मेरी बात को मानते हुए कहा
"हां.. ये लो, पर मुझे समझ नही आया, इससे क्या होगा" मैने पूजा के हाथ में मोबाइल देते हुए कहा..
". अभी जो नंबर मैं यूज़ कर रही हूँ, उसका डीटेल्ड बिल उसी के पास जाता है.. मैं आप के घर पे हूँ तो आपसे फोन पे या एसएमस्स पे बात करूँगी तो उसे पता चल जाएगा कि मैं आपका साथ दे रही हूँ" पूजा ने न्यू फोन लेते हुए कहा और जो सिम कार्ड था उसके साथ वो अन्दर इनसर्ट कर दिया..
"पर ये फोन भी तो..." मैं सिर्फ़ इतना कह पाया तभी पूजा ने कहा
"ये मैं संभाल लूँगी.. इतना तो कर ही सकती हूँ ना "ये कहके पूजा फिर नीचे चली गयी
रात के करीब 8.30 मैं नीचे खाने पहुँचा जहाँ सब बैठे हुए थे पहले से ही
"अरे डॅड, अंकल... क्या बात है, आज कल आप जल्दी आ जाते हैं फॅक्टरी से" मैने टेबल पे बैठते हुए कहा
"बस बेटा.. अब फॅक्टरी तुम संभालोगे, तो विजय और मैं रिटाइर्ड लाइफ जीने की प्रॅक्टीस कर रहे हैं.. क्यूँ विजय" पापा ने विजय अंकल को देखते हुए कहा....
"जी बिल्कुल भाई सहाब... बेटे, मैं तो सोच रहा हूँ कल से ऑफीस जाऊं ही नहीं... अहहहहहहहहहा" विजय अपनी कुत्तों वाली हँसी हंसते हुए बोला
(हां भोसड़ी के... घर पे बैठ के अपनी पत्नी और साली की गान्ड में घुसा जो रहेगा.. साले चोदु नंदन कहीं के) मैं सोच रहा था