ये दो एसएमएस करके मैं अपने रूम में सो गया... नींद आनी नहीं थी, पर फिर भी आँखे बंद करके लेट गया था... हर घंटे में मोबाइल देख के टाइम चेक कर लेता.. 7.45 बजे नींद खुली तो फिर सोया ही नहीं...
"अवेक डियर.. प्लीज़ कम नाउ, सेंडिंग दा ड्राइवर.. नीड टू डिसकस सम्तिंग विद यू" मैं ललिता को एसएमएस करके अपने लप्पी पे बैठ गया और पेन ड्राइव में एक वीडियो क्लिप स्टोर कर ली और उसे अपने वॉलेट में रख दिया.... सुबह 8 बजे से ही ढोल नगाड़े वाले आए हुए थे और आके सब को तंग कर रहे थे... मैने दरवाज़ा खिड़की सब बंद कर लिया... ललिता का जवाब आया
"अट होम यार... आइ केम अट 6 ओन्ली... कमिंग इन युवर रूम" जैसे ही मैने ललिता का एसएमएस पढ़ा, दरवाज़े पे नॉक हुई, मैने दौड़ के दरवाज़ा खोला तो सामने ललिता खड़ी थी... मैने दरवाज़ा बंद किया और उसे गले लगा लिया..
"क्या हुआ भाई... क्या हुआ बताइए" ललिता मेरे बालों में हाथ फेरने लगी...
"ललिता.. थॅंक यू वेरी मच.. तेरी वजह से ये सब मुमकिन हुआ है, नहीं तो आज हम इस घर की आखरी खुशी मना रहे होते" मैं उसे फिर गले लग गया
"व्हाट भाई.. ये मेरा घर नही है क्या... आंड व्हाट दा हेक, अंकल आपसे ज़्यादा मुझे प्यार करते हैं समझे, तो मैने जो भी किया वो अपने लिए था, आपके लिए नहीं.." ललिता ने मुझे बेड पे बिठाते हुए कहा
"आंड हां, एक बात कहूँ.... आप इतनी लड़कियों से घिरे रहे पूरे किस्से में, डॉली से लेके अंशु तक, हर एज की... इतना उनके साथ आपने रंगरलियाँ मनाई, मेरे साथ आपने बिल्कुल कुछ नहीं किया. यूआर ट्रू जेंटलमेन बॉस... बट मैं बात ये है, के आपको संजय का ख़याल कैसे आया.. आइ मीन वो तो हमारे दिमाग़ में कभी आया ही नहीं था..." ललिता ने आँखें मिला के पूछा
"वो इसलिए डियर, जिस दिन हम इंडोनेषिया से आए थे डॉली की डेथ के कारण, मुझे तब भी संजय नहीं दिखा था, पर याद है, कुछ महीने पहले हमारे एक रिलेटिव की शादी थी... संजय वहाँ आया था.. जो बंदा एक शादी में आ सकता है, पर बहेन की डेथ पे नहीं, तो उसपे शक तो जाएगा.. बस नज़र चाहिए, मुझे उस दिन भी कुछ फिशी लगा था, बट दिमाग़ से निकल गया था.. क्यूँ कि, मैं पूजा से घिरा हुआ था ना स्वीट हार्ट" मैने ललिता को आँख मार कर कहा
"चलो भाई, पेन ड्राइव ली आपने... और रात वाली डीवीडी कब आएगी" ललिता ने पूछा
"ये ले पेन ड्राइव, और मैं डीवीडी अभी 10 बजे आएगी, तब तक तू तैयार हो जा.. मैं भी नहा लेता हूँ.. और हां प्लीज़ कार में मेरे साथ बैठना, कुछ बातें करनी हैं" मैं ललिता को बोलके बाथरूम में घुस गया... आज मुझे फ्रेश होने की कोई जल्दी नहीं थी.. आराम से मैं नहा रहा था, आराम से अपनी मॉर्निंग आक्टिविटीस ख़तम की... 8.30 बजे से लेकर 9.45 तक मैं बाथरूम में था... जब लगा कि चलो अब ख़तम कर लेते हैं, टवल लपेट के मैं बाहर आ गया.... जैसे ही मैं बाहर आया, मेरे मोबाइल में एसएमएस आया
"भाई, बंदा तुम्हारे घर के नीचे है डीवीडी ले लो"
मैं तुरंत ललिता के रूम में गया, वो अभी भी नहा रही थी.. मैं टवल में ही नीचे चला गया और नीचे जाके देखा तो एक बंदा टोपी पहने हुए खड़ा था घर के सामने.. मैने इशारे से उसे बुलाया
"डीवीडी ?"
"हां, पर आप कौन.."
"मुझे ही देनी है भाई" कहके मैने उस बंदे से डीवीडी ले ली
"ये लो 500 रुपये.. जलसे करो" कहके मैं वहाँ से उपर भाग आया..
जैसे ही मैं दरवाज़े पे पहुँचा, पीछे से आवाज़ आई
"भाई ,इतनी जल्दी क्या है.. कपड़े पहन के आते नीचे" पीछे ज़य ने आवाज़ दी..
"छोटू, एक काम कर, जब तक मैं रेडी होता हूँ, तू लप्पी ऑन कर और ये डीवीडी स्टोर कर..
"ओके भाई.. चलो" कहके ज़य और मैं मेरे रूम में आ गये
मैं कपड़े पहनने लगा और ज़य लॅपटॉप पे बैठ गया. जब तक मैने अपना पर्फ्यूम लगाया, . पहनी, तब तक छोटू ने लप्पी में डिस्क डाल के उसे कॉपी करने लगा..
"10 मिनट्स भाई.. कौनसी डीवीडी है ये... ओह माइ गॉड.. ये वोई है क्या.. भाई, लेट मी सी इट" ज़य ने कहा
"टाइम नहीं है भाई, जब तक ये कॉपी हो तू ललिता के पास जा और उससे मेरी पेन ड्राइव लेके आ" कहके मैने उसे धक्का देके ललिता के पास भेजा और अपने कपड़े पहन के लॅपटॉप पे नज़रें गढ़ाने लगा..... जैसे जैसे डिस्क कॉपी होती जाती, मेरी बेचेनी बढ़ने लगती... 60 सेकेंड्स.... 50 सेकेंड्स.... 30 सेकेंड्स..... 10 सेकेंड्स.... 5 सेकेंड्स....." जैसे ही ये मसेज बंद हुआ,
"छोटू, जल्दी आ यार,. किधर है" मैं अपने रूम से ही चिल्लाने लगा
"आ गये, वाइ शाउटिंग सो मच... ये लो पेन ड्राइव.." ललिता और ज़य मेरे रूम में एक साथ आ गये
"जल्दी दो.. लेट मी कॉपी दिस" कहके मैने पेन ड्राइव लप्पी में डाली और उस फाइल को लॅपटॉप से पेन ड्राइव में कॉपी कर डाला
"छोटू, एक काम कर, तू और ललिता होटेल में जाओ, मैने वहाँ बोला हुआ है कि प्रोजेक्टर तैयार रखें... वहाँ जाके चेक करो इसमे जो 2 फाइल्स हैं वो प्ले हो रही है.. आइ डोंट वान्ट टू टेक एनी चान्स ऑलराइट..." मैने जल्दी में ज़य और ललिता से कहा
"कॉपी दट ब्रदर..." कहके ज़य और ललिता जल्दी से भाग के होटेल में निकल गये
मैं तैयार होके नीचे आया, मोम डॅड रेडी थे, और बस बारात निकलने का वेट कर रहे थे..
"आओ भाई.. दा मॅन ऑफ दा डे... ये लो सेहरा तो पहन लो.." डॅड ने सेहरा आगे करते हुए कहा
"डॅड, कार में मेरे साथ ललिता बैठेगी.. नो वन एल्स हाँ" मैने सेहरे को हाथ में लिया और उसे देखने लगा
"अरे ऐसे नही, इसे मैं बांधता हूँ दो, और ठीक है ललिता ही जाएगी तुम्हारे साथ, पर अभी वो और ज़य कहाँ गये" डॅड ने सेहरा बाँधते पूछा
"डॅड, वो मैने पूजा के लिए फर्स्ट नाइट गिफ्ट लिया है, बस वोई कलेक्ट करने गये हैं..." मैने बात बनाते हुए कहा
"गुड वन सन... यू नो दा वे टू फीमेल'स हार्ट हाँ.. व्हाट ईज़ इट ?" डॅड ने गिफ्ट के बारे में पूछा
"नतिंग मच डॅड.. जस्ट दा प्लॅटिनम लव बॅंड्स" मैने होशयारी करके महेंगी गिफ्ट बताई
"ओह... आंड दट ईज़ नतिंग.. दट इस नतिंग... सोन, थ्ट्स दा बेस्ट एनी मॅन कॅन गिफ्ट टू हिज़ लव... आइ आम इंप्रेस्ड" डॅड मेरी पीठ ठोकते हुए बोले
"क्या हुआ भाई, सुबह सुबह बाप बेटे.. आप इसे कुछ गंदी बात मत सीखाना समझे. " मोम ने डॅड से मस्ती में कहा
"अरे, मैं इसे नहीं, ये मुझे सीखने वालो में से है.. मैं आज तक जो गिफ्ट तुम्हे नहीं दे पाया वो इसने अपनी बीवी के लिए खरीद भी ली" डॅड ने मोम से शरारत करके कहा
"हटिए, आपने आज तक मुझे कहाँ कुछ दिया है.. और राज अच्छे से जानता है किसका दिल कैसे जीतना है" मोम और डॅड मेरे साथ बातें करने लग गये..