hotaks444
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कुछ देर लेटा रहा फिर धीरे धीरे उसकी स्कर्ट को ऊपर खिसकाने लगा. वह चुप रही और थोड़ी ही देर मे उसका स्कर्ट ऊपर कर दिया और उसकी पैंटी दिखने लगी. कुछ देर बाद जब उसकी पैंटी को खिसकाना चाहा तो उसने मेरे हाथो को पकड़ लिया और टीवी देखती रही. मैं समझ गया कि वह शरमा रही है. मैंने सोचा ठीक है रात मे देखूँगा नीचे वाली, अभी मम्मों का ही मज़ा लिया जाए.
फिर हाथ को उसकी टी-शर्ट के पास लाया और आगे कर उसके एक मम्मे को पकड़ा. वह चुप रही तो फिर मैं धीरे धीरे दबाने लगा. दोनो मम्मों को 4-5 मिनट तक दबाया फिर उसकी टी-शर्ट को ऊपर करने लगा तो उसने मेरी हेल्प की. दोनो मम्मों को टी-शर्ट से बाहर कर दिया था. वह ब्रा पहले ही उतार चुकी थी. मम्मों को नंगा करने के बाद उसका कंधा पकड़ अपनी तरफ किया तो वह चुप चाप सीधी होकर लेट गयी. उसकी आँखें बंद थी और मैं उसकी ताने हुए मम्मों को देखता ना रह सका और झुककर एक को मुँह मे ले लिया. अब मैं दोनो मम्मों पर जीभ चला चला चाट रहा था. मैं अपनी बहन के दोनो मम्मों को चूस नही रहा था बल्कि चाट रहा था. जब 6-7 मिनट तक चाट्ता रहा तब वह भी मस्ती से भर गयी और अपने एक मम्मे को अपने हाथ से पकड़ मेरे मुँह मे घुसेड़ती फुसफुसाकर बोली, “भैया.”
“क्या है सिमरन?”
“ववव आह इनको….”
“क्या बताओ ना तुम तो बहुत शरमाती हो.”
“भैया इनको मुँह से चूस कर पियो जैसे खाने से पहले कर रहे थे.” वह शरमाते हुए बोली.
“तुमको अच्छा लगा था अपने मम्मों को अपने भाई को चूसाने मे?”
“हां भैया बहुत मज़ा आया था, और पियो इनको.”
“पगली, शरमाया मत कर. अगर तुझे अपनी इस मस्त जवानी का मज़ा लेना हो तो शरमाना नही. चलो खुलकर इनका नाम लेका कहो जो कहना है.”
“भैया हाये पियो हाये पियो अपनी बहन के मम्मों को.” और शरमाते हुए बोली, “ठीक है ना भैया?”
“बहुत अच्छे चलो एक काम करो यह सब कपड़े अलग करो अड़चन होती है.”
“नही भैया पूरी नंगी नही.”
“अरे देख तेरी मस्त मम्मे मेरे सामने है ही फिर क्या?”
“नही भाई नीचे नही उतारूंगी.”
“अच्छा चलो पैंटी पहने रहो और सब उतार दो.”
“मम्मी ना आ जाएँ दरवाज़ा बंद कर लो.”
“अरे अगर दरवाज़ा बंद कर लिया तो मौसी कुछ ग़लत समझेंगी. डरो नही मौसी कम से कम 2 घंटे बाद ही उठेंगी.”
तब उसने अपनी टी-शर्ट और स्कर्ट अलग कर दिया और केवल पैंटी मे ही लेट गयी. फिर मैं उसका एक चुची मसलते हुए दूसरे को चूसने लगा. 20-25 मिनट मे ही वह एकदम मस्त हो चुकी थी तब मैंने कुछ आगे ट्राइ करने की सोचा.
“सिमरन.”
“जी भैया.”
“मज़ा आया ना.”
“जी बहुत आहह, आप कितने अच्छे हैं.”
“और चूसू कि बस?”
“अब बस भैया अब कल फिर.”
“क्यों रात मे नही पिलाओगी अपने मम्मों को?”
“रात मे कैसे?”
“मे चुपके से तुम्हारे रूम मे आ जाउन्गा.”
“ओह्ह भैया फिर तो मज़ा आ जाएगा, हाये मे तो रात भर आपको पिलाऊँगी.”
“पर मेरा भी तो एक काम करो.”
“क्या भैया?”
“देखो मैंने तुमको इतना मज़ा दिया है ना इससे मेरा यह बहुत परेशान हो गया है. तुम अपने हाथ से इसे थोड़ा प्यार करो तो इसे भी क़रार आ जाए.” और अपने लंड पर हाथ लगाया.
वह यह देख शरमाने लगी तो मैंने उसके हाथ को पकड़ अपने लंड पर रखते कहा, “अरे यार तू शरमाती क्यों है.”
“नही भैया नही मैं इसे नही पकडूँगी.” और उसने अपना हाथ हटा लिया.
“क्या हुआ जान?”
“भैया आपको जो करना हो कर लो मैं इसे नही पाकडूँगी मुझे डर लगता है.”
“अच्छ ठीक है चल तू ज़रा अपने मम्मों को मेरे मुँह मे दे.”
फिर हाथ को उसकी टी-शर्ट के पास लाया और आगे कर उसके एक मम्मे को पकड़ा. वह चुप रही तो फिर मैं धीरे धीरे दबाने लगा. दोनो मम्मों को 4-5 मिनट तक दबाया फिर उसकी टी-शर्ट को ऊपर करने लगा तो उसने मेरी हेल्प की. दोनो मम्मों को टी-शर्ट से बाहर कर दिया था. वह ब्रा पहले ही उतार चुकी थी. मम्मों को नंगा करने के बाद उसका कंधा पकड़ अपनी तरफ किया तो वह चुप चाप सीधी होकर लेट गयी. उसकी आँखें बंद थी और मैं उसकी ताने हुए मम्मों को देखता ना रह सका और झुककर एक को मुँह मे ले लिया. अब मैं दोनो मम्मों पर जीभ चला चला चाट रहा था. मैं अपनी बहन के दोनो मम्मों को चूस नही रहा था बल्कि चाट रहा था. जब 6-7 मिनट तक चाट्ता रहा तब वह भी मस्ती से भर गयी और अपने एक मम्मे को अपने हाथ से पकड़ मेरे मुँह मे घुसेड़ती फुसफुसाकर बोली, “भैया.”
“क्या है सिमरन?”
“ववव आह इनको….”
“क्या बताओ ना तुम तो बहुत शरमाती हो.”
“भैया इनको मुँह से चूस कर पियो जैसे खाने से पहले कर रहे थे.” वह शरमाते हुए बोली.
“तुमको अच्छा लगा था अपने मम्मों को अपने भाई को चूसाने मे?”
“हां भैया बहुत मज़ा आया था, और पियो इनको.”
“पगली, शरमाया मत कर. अगर तुझे अपनी इस मस्त जवानी का मज़ा लेना हो तो शरमाना नही. चलो खुलकर इनका नाम लेका कहो जो कहना है.”
“भैया हाये पियो हाये पियो अपनी बहन के मम्मों को.” और शरमाते हुए बोली, “ठीक है ना भैया?”
“बहुत अच्छे चलो एक काम करो यह सब कपड़े अलग करो अड़चन होती है.”
“नही भैया पूरी नंगी नही.”
“अरे देख तेरी मस्त मम्मे मेरे सामने है ही फिर क्या?”
“नही भाई नीचे नही उतारूंगी.”
“अच्छा चलो पैंटी पहने रहो और सब उतार दो.”
“मम्मी ना आ जाएँ दरवाज़ा बंद कर लो.”
“अरे अगर दरवाज़ा बंद कर लिया तो मौसी कुछ ग़लत समझेंगी. डरो नही मौसी कम से कम 2 घंटे बाद ही उठेंगी.”
तब उसने अपनी टी-शर्ट और स्कर्ट अलग कर दिया और केवल पैंटी मे ही लेट गयी. फिर मैं उसका एक चुची मसलते हुए दूसरे को चूसने लगा. 20-25 मिनट मे ही वह एकदम मस्त हो चुकी थी तब मैंने कुछ आगे ट्राइ करने की सोचा.
“सिमरन.”
“जी भैया.”
“मज़ा आया ना.”
“जी बहुत आहह, आप कितने अच्छे हैं.”
“और चूसू कि बस?”
“अब बस भैया अब कल फिर.”
“क्यों रात मे नही पिलाओगी अपने मम्मों को?”
“रात मे कैसे?”
“मे चुपके से तुम्हारे रूम मे आ जाउन्गा.”
“ओह्ह भैया फिर तो मज़ा आ जाएगा, हाये मे तो रात भर आपको पिलाऊँगी.”
“पर मेरा भी तो एक काम करो.”
“क्या भैया?”
“देखो मैंने तुमको इतना मज़ा दिया है ना इससे मेरा यह बहुत परेशान हो गया है. तुम अपने हाथ से इसे थोड़ा प्यार करो तो इसे भी क़रार आ जाए.” और अपने लंड पर हाथ लगाया.
वह यह देख शरमाने लगी तो मैंने उसके हाथ को पकड़ अपने लंड पर रखते कहा, “अरे यार तू शरमाती क्यों है.”
“नही भैया नही मैं इसे नही पकडूँगी.” और उसने अपना हाथ हटा लिया.
“क्या हुआ जान?”
“भैया आपको जो करना हो कर लो मैं इसे नही पाकडूँगी मुझे डर लगता है.”
“अच्छ ठीक है चल तू ज़रा अपने मम्मों को मेरे मुँह मे दे.”