vasna kahani बेनाम सी जिंदगी - Page 6 - SexBaba
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vasna kahani बेनाम सी जिंदगी

साइड मे उसका कपबोर्ड था और वॉल को लग के ही ड्रेसर और लेफ्ट साइड मे बेड. मैं रूम मे टहलने लगा ज़रा सा और ऐसे ही सोचा कि अगर कपबोर्ड खुला रख के जाती तो मज़ा आ जाता. मगर लॉक करके ही गयी होगी डेफनेट्ली. सूपर सीक्रेट एजेंट जो ठहरी. ऐसा सोचते सोचते यूही मैने कपबोर्ड का नॉब घुमाया..

मे: ओह्ह्ह भेन्चोद! 

कपबोर्ड खुला था. मैं तो सर्प्राइज़ हो गया था खुला पाकर कपबोर्ड. हमेशा रूम लॉक करने वाली आज कपबोर्ड भी नही लॉक करके गयी? चमत्कार! मैने कपबोर्ड खोला और आकांक्षा का जैसे पूरा संसार मेरे सामने खुल गया. उसके कपड़े, हर एक चीज़ जो वो यूज़ करती हैं. मैं चीज़े टटोलने लगा. ड्रॉयर खोला और 
'अहहा!'

आकांक्षा की पैंटी और ब्रा'ज से भरा पड़ा था. अलग अलग कलर की,टाइप की पैंटी. मैने सोचा आज तो लॉटरी लग गयी. मैने एक पैंटी उठाई और लंड पे रगड़ी.. 

मे: वाह! क्या फील हैं!!

पैंटी का सॉफ्ट फॅब्रिक मेरे लंड को इतना सुकून दे रहा था कि क्या कहूँ दोस्तो! मैं धीरे धीरे लंड को रगड़ रहा था तभी आवाज़ आई..
'सम्राट!! मिला नही होगा तो रहने दे.'

मैं ज़रा हड़बड़ा गया. मैं तो भूल ही गया था कि मैं पायल के लिए माय्स्चुरिज़र लेने आया हूँ. मैने तुरंत पैंटी को ड्रॉयर मे रख दिया और कपबोर्ड बंद ही करने वाला था कि मेरी नज़र एक डाइयरी पर पड़ी जिसपे '2013' लिखा था डिज़ाइनर फ़ॉन्ट मे. मैने डाइयरी उठाई और देखा तो आकाँशा की डेली डाइयरी थी. 

मे: वाह झूलेलाल!!

मगर मैने डाइयरी को अभी पढ़ना सही नही समझा क्योकि एक खूबसूरत नंगी लड़की मेरा रूम मे वेट कर रही थी और मैं लंड महाराज को दुखी नही करना चाहता था. मैने कपबोर्ड बंद किया और माय्स्चुरिज़र की बॉटल लेकर रूम से निकल गया. जाते जाते इस बात का ख्याल रखा कि सेंट्रल लॉक ना लग जाए कहीं. मैने गाते गुनगुनाते रूम मे पहुँचा तो..
मे: आए हाअए! मैं मर जावां.

पायल बेड पर पेट के बल लेटी थी और अपने सेल मे कुछ कर रही थी. मेरी आवाज़ अचानक आ गयी तो वो ज़रा सी हड़बड़ा गयी.

पायल: ऊवू..व्हाट दा हेल सम्राट. डर गयी ना मैं.
इतना कह कर पायल पलटने लगी तो मैने झट्से उसके पैरो को पकड़ लिया ताकि वो पलट ना सके. पायल के मुलायम पैरो को चूमते हुए मैने उसे कहा;

मे: इतनी भी पत्थर दिल ना बनो अब. जन्नत दिखा कर फिर से ना छुपाओ तुम.

पायल खिलखिला उठी और बोली;
पायल: तू पागल हैं. पता हैं तुझे? किसी को भी जन्नत कहता हैं!

मे: खामोश!! किसी को भी नही....

धीरे धीरे मैं पायल के टाँगो को चूमते हुए उसकी जाँघो तक आया और कहा;

मे: जो सच मे जन्नत हैं उसी को कह रहा हूँ. जन्नत वो होती हैं जहाँ एक बार कोई चला जाए तो कभी वापिस ना आना चाहे.

अब पायल ने अपनी टांगे मोड़ ली थी और सिर के नीचे अपना हाथ रख कर मेरी ओर देख कर मुस्कुराते हुए बोली;
पायल: बात तो सही हैं आपकी.. 

मे: जानता हूँ. और ये...
मैने फाइनली पायल की गान्ड को तहे दिल से चूमते हुए कहा;
मे: ....ऐसी जगह हैं जहा मैं सारी ज़िंदगी बिता सकता हूँ..
इतना कहते हुए मेरा एक हाथ अपना कमाल पायल की चूत के आस पास दिखा रहा था.. उसकी चूत की गर्मी मैं सॉफ महसूस कर रहा था. मैं अब तक पायल की टाँगो पर बैठ गया था. मेरी दोनो टांगे उसकी जाँघो के ठीक इर्द-गिर्द थी. मैने माय्स्चुरिज़र की बॉटल ली और पायल की पीठ से लेकर तो उसकी गान्ड तक मैं माय्स्चुरिज़र डालता गया.

पायल: अरे? क्या कर रहा? हाथ पे ही लगाना हैं..

मैने जैसे कुछ सुना ही ना हो.
मे: तू सिर्फ़ मज़े ले एक्सक्विसिट मसाज के.
मैने बॉटल साइड मे रख दी और पायल की सॉफ्ट स्किन को मैं मसल्ने लगा. उसकी पीठ के हर इंच की मैं मालिश कर रहा था और उसका असर भी पायल पे सॉफ दिख रहा था क्योकि अब पायल गहरी साँसे लेने लगी थी. उसकी पीठ उपर नीचे हो रही थी. मैं मसाज बहुत अच्छी करता हूँ. स्पेशली नेहा के लिए सीखी मैने क्योकि उसे मसाज बहुत पसंद थी. आइ मीन हैं! टेक्निकॅलिटी मे तो मैं जाना नही चाहता,बॅस इतना समझ लो कि सेनुयल मसाज जिसे कहते हैं, बॅस वोही मैं पायल को दे रहा था. पायल की साँस अब तेज़ होने लगी थी, मगर अब भी गहरी साँस ले रही थी वो. मैं नीचे आता गया, उसकी कमर पे मैने थोड़ा और क्रीम डाला और स्लो सर्क्युलर मोशन मे मैं मसाज करने लगा और जैसा मैने एक्सपेक्ट किया था कुछ ही देर मे पायल की कमर भी मेरे हाथ के साथ साथ हिलने लगी थी. मैं समझ गया कि अब सही वक़्त आ गया हैं. मैने थोड़ा सा माय्स्चुरिज़र अपने राइट हॅंड पे लिया और पायल की गान्ड की क्रॅक पर धीमे धीमे मलने लगा, जैसे कि वो सुहानी वादी को मैं क्रीम से भरने की कोशिश कर रहा था.

कुछ ही देर मे पायल की आहे शुरू हो गयी. ना जानते हुए भी पायल; 'उूउउम्म्म्ममममममममम......आआहह...;'कर रही थी. मैं अब अपने हाथ को पायल की गान्ड के बिल्कुल बीच मे चला रहा था. पायल ने अपनी टांगे थोड़ी और फैला दी और मैं अब तक ये समझ चुका था कि पायल की आखे बंद हो चुकी हैं और मसाज का पूरा आनंद ले रही हैं. मैं यही चाहता था. उसकी गान्ड के छेद के आस पास मैं उंगलिया चला रहा था. क्रॅक मे मैं दोनो हाथ डालता और धीमे से उसकी टाँगो की ओर ले जाता, उसकी जाँघो को मसल्ते हुए उसकी चूत के पास रुक जाता. फिर से सेम प्रोसेस.. ऐसा मैं करता गया और पायल की टांगे खुलती गयी. मसाज का नशा ही ऐसा है दोस्तो. बॅस सही करनी आनी चाहिए वरना बनता काम बिगड़ जाता हैं. मैने कयि बार काम बिगाड़ा हैं इसलिए अब प्रॅक्टीस हो चुकी थी.
 
पायल अपनी गान्ड मटकाने लगी थी मेरे स्ट्रोक्स के साथ. उसकी टांगे इतनी खुल चुकी थी कि मैं उसकी रसीली गान्ड का छेद सॉफ देख पा रहा था. टाइट, छोटा सा, लाइट पिंक. वाह! मगर मैं जल्दबाज़ी नही करना चाहता था. मैं उसके अशोल के आसपास अपनी उंगलिया नचा रहा था. फाइनली अब वक़्त आ गया था कि मैं उसकी भीगति हुई चूत को और भी परेशान करूँ और दूसरे हाथ से उसकी गान्ड के छेद को छेड़ने लगूँ. मैने लेफ्ट हॅंड की फिंगर्स को पायल की मधुर चूत की पंखुड़ियो पे चलाना शुरू किया.

पायल: ऊऊऊहह...माआआआआअ....उम्म्म्ममममममममममम.....
पायल की आह निकल गयी. मुझे इसी सिग्नल का वेट था क्योकि अब तक मैं अपने राइट हॅंड से उसकी गान्ड के छेद को छेड़ रहा था और पायल की आह सॉफ कह रही थी कि वो अब रेडी थी कि मैं उसके दूसरे होल को भी अपने लंड से खोल दूं.


पायल की चूत अब बुरी तरह से बह रही थी. मैं पिछले 10 मिनट से उसे टॉर्चर कर रहा था. पायल की आहें अब गहरी और लंबी सिसकियो मे तब्दील हो गयी थी. मेरा हर पैतरा सही पड़ रहा था. अब से एक घंटे पहले जब मैने पायल की गान्ड के छेद को छुआ था तो वो भड़क गयी थी. मगर अब वोही पायल अपनी गान्ड को मेरी उंगली के साथ साथ आगे पीछे कर रही थी. माय्स्चुरिज़र की चिकनाई की वजह से मेरी उंगली अब अच्छी तरह से उसकी गान्ड के छेद पर नाच रही थी और पायल का जिस्म मेरा साथ दे रहा था. उसकी अब तक मैं पूरी तरह से पायल के उपर हावी हो गया था. मैने अपना लंड उसकी चूत पे टिका दिया;

पायल: उूुउउफफफफफफफ्फ़.......म्म्म्मपमममममममम

बस लंड की दस्तक भर से पायल की चूत ने पानी निकालना शुरू कर दिया. मैने अपनी कमर हिलाते हुए पायल की चूत की लंबाई पर अपना लंड रगड़ा ताकि मेरा लंड उसके पानी मे भीग जाए और चिकना हो जाए. पायल अब किसी ट्रॅन्स मे थी जैसे. मसाज ने उसके जिस्म की हर हिचक को खोल दी थी और अब वो सिर्फ़ मज़ा लूटना चाहती थी. मेरे लंड का अगला हिस्सा पूरी तरह से उसके रस से भीग गया था और चमकने लगा था. टांगे तो उसकी पहले से ही फैली थी मेरे लिए. मैं थोड़ा सा उपर की ऑर उठा और पायल की गान्ड के बीच मे मैने अपना लंड टिका दिया. जैसे ही पायल को एहसास हुआ वो अपनी दुनिया से बाहर निकली और बोली;

पायल : क्या कर रहा हैं तू सम्राट??!
कुछ झिझक के साथ ही वो बोली क्योकि अब तक वो जान गयी थी कि मैं क्या चाहता हूँ. उसने तुरंत अपनी टांगे समेटनी चाही मगर मैने अपना भार उसके उपर देते हुए उसे रोक दिया और कहा;

मे: क्या हुआ?
वो मेरी ऑर थोड़ा मुड़ते हुए बोली;

पायल: मैं जानती हूँ कि तू क्या करने की कोशिश कर रहा हैं. 

मे: तुझे अच्छा नही लगा हम ने अब तक जो किया?

पायल: लगा मुझे अच्छा सम्राट. बहुत अच्छा लगा. मगर ये नही. प्लीज़..
 
मुझे लगा कि जल्दबाज़ी कर दी मैने और बना बनाया खेल बिगड़ गया. मैं अपने आप को कोसने लगा कि शायद कुछ देर और रुक जाता तो अच्छा होता. मैं चुप था. अब मेरे दिमाग़ मे ये चल रहा था कि इतनी करीब आके मैं अपने आप को रोक नही पाउन्गा और पायल गान्ड मारने देगी नही. मैं हमेशा से चाहता था कि किसी लड़की की गान्ड मारु. मगर पता नही चूत का ये लड़कियो के दिमाग़ मे कौन भर देता हैं कि इट्स नोट हेल्ती या ग़लत तरीका हैं. जबकि आगे से चोदने से ज़्यादा सेफ हैं वो. मैं अपनी नैया को डूबता देख रहा था तो मैं मायूस हो गया. अब पता नही पायल को इस सब पे से क्या महसूस हुआ. वो उठ के मेरे ठीक सामने बैठ गयी घुटने मोड़ कर और बोली;

पायल : अर्रे!? तू तो बुरा मान गया. देख मैं जानती हूँ कि तू...

मैने पायल की ऑर देखा..

पायल: उम्म्म..तू... तू.. वो..मुझे ....मुझे पीछे से..

मैं पायल को सवालिया नज़रों से देखने लगा.

पायल: पीछे से....पीछे से..डालना चाहता हैं...
तभी मेरे दिमाग़ मे कुछ लाइट लगा.

मे: क्या??? 
मैने ऐसा दिखाया कि जैसे मैं चौक गया हूँ और मैं कुछ जानता ही नही कि पायल क्या कहना चाहती हैं तो. मेरे सर्प्राइज़ को देख कर पायल अब पूरी तरह कन्फ्यूज़ हो गयी. मैने इसका फ़ायदा उठाना सही समझा और कहा;
मे: क्या कह रही हैं तू??

अब तक पायल समझ चुकी थी कि मेरा उसकी गान्ड मारने का कोई इरादा नही था. मैं बस मसाज कर रहा था और कुछ नही. मैं ऐसा ही चाहता था. वो थोड़ी शर्मिंदा हो गयी.
पायल: क..क.कुछ नही.. कुछ नही.. मुझे लगा कि तू.. 
और वो मेरे लंड की ओर इशारा करके उसकी गान्ड को छूने लगी. 

मे: ओह्ह्ह... नही नही! ऐसा कुछ नही.. तेरे दिमाग़ मे आया भी कैसे?
मैं उल्टा उसिपे सवाल डाल दिया. मैं आक्च्युयली पायल को महसूस कराना चाहता था कि अंदर ही अंदर वो खुद भी ट्राइ करना चाहती हैं अनल सेक्स.

पायल: वो... आक्च्युयली मैने देखा हैं पॉर्न मे .. तो... शा..शायद मेरे दिमाग़ मे आया कि तू ऐसा करेगा..

मे: ना! तूने ऐसा सोच भी कैसे ली पायल??

अब पायल के दिमाग़ मे ये बात आ गयी थी कि उसके दिल की उपज हैं और मैं यही चाहता था. वो कुछ नही बोली. पर्फेक्ट!

मे: मैने भी देखा हैं. मगर मुझे लगता हैं कि अगर पार्ट्नर रेडी नही हो तो ऐसा नही करना चाहिए. हाँ! उसमे मज़ा बोहोत आता हैं ये भी मैने सुना हैं. मगर....
मेरे उस 'मगर' पे पायल जैसे थम गयी हो. मैं रियेक्शन देखते हुए कहा;
मे: मगर अब तू प्रिपेर्ड ही नही तो चाहे मैं कितना भी क्यू ना चाहूं...

इतना कह के मैं चुप हो गया. अब मैं चाहता था कि पायल के दिमाग़ की चकरी घूमने लगे और वो इस नतीजे पे पहुँच जाए कि वो भी कही ना कही ट्राइ करना चाहती हैं गान्ड मे लेना. मुझे बॅस इंतेज़ार करना था. रूम मे एक चुप्पी सी फैल गयी थी. अब या तो वो चुप्पी मेरे काम आ सकती थी या बात बिगाड़ सकती थी. मैने पायल की ओर एक नज़र डाली. वो कुछ सोच रही थी. 

मे: खैर! जाने दो.. क्या कर सकते...जस्ट फॉर दा रेकॉर्ड, मैं ऐसा कुछ करने नही वाला था बिना तेरी पर्मिशन के..
इतना कह के मैं उठने लगा तो वो मेरी बाह पकड़ कर बोली;

पायल: अर्रे रुक ना! कहाँ जा रहा हैं?

मैं दिल ही दिल खुश हुआ. 
मे: कही नही!

पायल मेरी आखो मे देखते हुए बोली;
पायल: देख! तुझसे मैं झूठ नही कहना चाहती. काफ़ी सोचने के बाद मुझे ऐसा एहसास हुआ हैं कि कही ना कही म...मैं..

मैं अंजान बनते हुए कहा;
मे: क्या? 

पायल : उम्म्म्म... मैं... मैं ट्राइ करना चाहती हूँ..

मे: क्या ट्राइ करना चाहती हैं?

पायल : ओो!! वोही....

मैं भोला बनते हुए बोला;
मे: क्या वोही पायल? सॉफ सॉफ बोल..
मैं चाहता था कि पायल खुद कहे कि मैं उसकी गान्ड मारु.

पायल: पतचह!! अनल सेक्स..और क्या ईडियट??

और वन्स अगेन अपनी ऑस्कर विन्निंग आक्टिंग दिखाते हुए मैने कहा;
मे: साची??? तू पागल तो नही हो गयी?
मैं पायल को अच्छी तरह से जानता था. अगर उसे लगे कि कोई उसे चॅलेंज कर रहा हैं तो वो जी जान लगा देगी चेलेंज पूरा करने मे. और वोही हुआ.

पायल : इसमे क्या पागल? इतने लोग करते हैं. इट्स आ सेक्षुयल पोज़िशन. कुछ भी!!

मे: हाँ. मगर तू ही तो...

पायल : क्या?

मे: वो तब बाथरूम मे एक उंगली डाली तो तू भड़क गयी. तो इतना बड़ा लंड कहाँ से लेगी?

पायल : तब मैं भड़की नही.. तूने अचानक से वो हरकत कर दी तो मैं चौंक गयी. और कुछ नही..
 
सॉफ झूठ था वो! मैं जानता था. मगर खेल जैसा मैं चाहता था वैसा ही चल रहा था. 
मे: नही नही..! तेरा क्या हैं? तू भड़क जाएगी और बाद मे मुझे ही ब्लेम करेगी. ना!

अब पायल का पारा चढ़ने लगा;
पायल : सम्राट! ज़्यादा नौटंकी ना कर. तू ही मेरी गान्ड का दीवाना हैं. और अब तू ना कह रहा है.

पायल के मूह से गान्ड सुन कर मैं बड़ा टर्न ऑन हुआ.
मे: हाँ! हूँ दीवाना! सच हैं. मगर बाद मे तू मुझसे ही चढ़ेगी.

पायल : क्यू चढ़ुगी? मैने कहा ना मैं ट्राइ करना चाहती हूँ अनल.

मैं तो जैसे जन्नत पहुँच गया था ये सुन कर पायल के मूह से. मन मे लड्डू फूटा..मगर मैं चाहता था कि पायल को ये एहसास हो कि उसके कहने पर मैं ये कर रहा था.

मे: तो तू चाहती है कि मैं तेरी गान्ड मारु?

पायल : हाँ हाँ! कितनी बार कन्फर्म करेगा..

बिंगो!! मेडम का ईगो ले आया मेरे जाल मे.
मे: ठीक हैं. आजा पोज़िशन मे.. 

पायल पलटने ही वाली थी कि मैं फिर से बोला;
मे: अर्रे रुक! उम्म्म.. कोई ल्यूब्रिकेशन नही होता पीछे से.. सूओ..

पायल मुस्कुराते हुए नीचे झुक गयी और उल्टी डॉगी स्टाइल मे आ गयी. मेरा लंड ठीक उसके होंठो के आगे था. रेडी टू बी सक्ड! और पायल के उन जुवैसी होंठो ने मेरे लंड को अपने अंदर समा लिया. मैं पायल की पीठ पर एक हाथ रखते हुए उसे आगे पीछे करने लगा जैसे उसे आगे से चोद रहा हूँ. पायल जानती थी कि लंड बिल्कुल चिकना चाहिए इसलिए वो अच्छी तरह से मेरा लंड अपने मूह मे ले रही थी. हर इंच को चिकना बना रही थी अपनी गरम थूक से. मैं 7वे आसमान पे था. मेरा लंड अब पूरी तरह उसकी थूक मे भीग गया था..

मे: आआहह....आ.रररी...ई..बसस्स...ऊऊओह...बसस्स...निकल जाएगा यही पे वरनाा....

पायल की हँसी छूट गयी इस बात पे और वो रुक गयी. 

मे: अबाउट टर्न!!
अया!! फाइनली वो पल आ गया था जब पायल ने मेरी ओर गान्ड की ऑर वो चाहती थी कि मैं उसको चोदु. मैं 1 2 बार लंड हिलाया और पायल की गान्ड के छेद पर टिका दिया और कहा;

मे: स्टार्टिंग मे थोड़ा दर्द होगा.. ओके?

पायल : उउम्ममम्म..
और पायल ने पिल्लो को जाकड़ लिया जैसे रेडी हो रही हो. 

मैने झुक कर उसकी गान्ड को चूमते हुए कहा;
मे: जितना कम हो सके उतना कम दर्द दूँगा तुझे.
और पायल ने अपनी गान्ड मटकाते हुए मुझे पर्मिशन दे दी. मैने थोड़ा सा थूक लंड पे लगाया और धक्का मार दिया;

पायल : आआआआआआआआआअ.....आआआआआआआआआआवउुुुुुुुुुुुउउ....ऊऊऊऊऊहह....फफफफफुऊऊुुऊउक्कककककककक...
गान्ड मे डालने पे दर्द होता ही हैं. उसकी चीखे एक्सपेक्टेड थी. अभी तक तो लंड का सिर्फ़ हेड ही अंदर घुसा था और अभी पूरा बाकी था. इतना टाइट छेद की लंड तो क्या उंगली भी मुश्किल से जाए. वर्जिन चूत से भी ज़्यादा टाइट थी उसकी गान्ड. मेरे मज़े का ठिकाना नही था. एक ही दिन मे मुझे एक सुंदर लड़की की चूत और गान्ड,दोनो मिल गये. मैने पायल की गान्ड को थोड़ा सहलाया और कुछ वक़्त उसी पोज़िशन मे था ताकि लंड अड्जस्ट हो सके पायल की गान्ड मे. कुछ देर तक चीखने के बाद पायल शांत हुई और मैने थोड़ा और थूकते हुए अपना लंड उसकी गान्ड मे घुसा दिया.. इस बार कुछ ज़्यादा ज़ोर से और ज़्यादा अंदर तक. मगर इस बार पायल को उतना दर्द नही हुआ. मतलब पायल की गान्ड अब धीरे धीरे अड्जस्ट हो रही थी..मैने लंड पीछे की ओर खीचते हुए कुछ देर वैसे ही रखा और पायल की गान्ड को मसल्ते हुए एक ही झट्के मे आधे से ज़्यादा लंड अंदर घुसा दिया.

पायल : आऐईयइ...ऊऊओफफफ्फ़...द्धीईरीए...सीए...ज़ाराआ...

मैं जानता था कि दर्द होगा. मैं अब छोटे छोटे धक्के मारने लगा ताकि पायल को लंड महसूस हो उसकी गान्ड मे. साथ ही साथ मैं उसकी चूत से भी खेल रहा था और बात बन गयी. क्योकि कुछ देर बाद पायल भी अपनी गान्ड आगे पीछे करने लगी. हम दोनो के धक्के एक दूसरे से मिल रहे थे. जिस्म एक दूसरे पे 'थप!! थप्प' करके टकरा रहे थे. अब मैं धक्के तेज़ी से मारने लगा.

पायल : अया..आ..अया...फास्ट...र्र्र्ररर......

तभी पता नही क्यू और कैसे मेरे ज़हन मे आकांक्षा का चेहरा आ गया. उसकी वो गोरी टांगे, मिल्की मम्मे..उसकी खुश्बुदार पैंटी उसकी मादक गान्ड.. और जैसे मुझे किसी ने वियाग्रा का डोज दे दिया हो. मुझमे एक शैतान जाग गया था और मैं बेहद ज़ोर्के झट्के मार रहा था पायल की गान्ड चोद रहा था.
 
पायल : आआहह..उउउइम्म्म्ममाआआअ..अया.. आआईयईईईईईईईईईईईईईईईई....उउउंम..उँमूँमूँमूम्म...ऊघह..आ.आअरर्र्र्र्र्र्र्र्ररर... आाऐययईईईईईईईईईईईईईईईउउुुुुुुुुुुुुुुउउ..
कुछ ही देर मे पायल की चूत ने पानी छोड़ दिया और साथ मे मैने अपना सारा कम पायल की गान्ड मे छोड़ दिया. हम पसीने से तरबतर हो चुके थे और साँसे धीमी होने का नाम नही ले रही थी. मेरा लंड उसकी गान्ड से निकल गया और हम दोनो नींद की आगोश मे समा गये.

मैं बेड पर सोया था. पायल मेरे राइट साइड मे पेट के बल पड़ी सो रही थी. मैने अपनी आखे मली और एक मुस्कान मेरे होंठो पे आ गयी. क्या नसीब था! कौन कहेगा कि अभी कुछ महीनो पहले मेरे साथ इतना बड़ा धोका हुआ था और मेरा दिल टूट के बिखर चुका था. और आज पायल जैसी कामुक लड़की मेरे बेड पर मेरे पास नंगी सोई थी और मैं उसके हर छेद को चोद चुका था. मैं बेड पर से उठ गया और पायल की नशीली गान्ड की ओर एक नज़र डाली और सोचा मूत कर आया जाए तो मैं बाथरूम जाने के लिए उठा और सामने कुछ देख कर मेरे मूह से चीख निकल गयी जिसपे मैं शर्मिंदा हुआ क्योकि चीख बिल्कुल लड़की जैसी थी. मगर नज़ारा भी ऐसा था. मैने देखा कि आगे 2 चेर्स रखी हैं और उन चेर्स पे मेरे लीस्ट फॅवुरेट लोग बैठे हुए हैं. नेहा और वरुण.

मे: व्हाट दा फक!!?
मेरे मूह से निकल गया. उन दोनो को अपने सामने बैठ कर मैं भौचक्का रह गया था.क्यू? कैसे? कब? ये सब सवालो का मेला लग गया मेरे दिमाग़ मे. मैं कुछ कहता इससे पहले ही वरुण बोला;
वरुण: देख लिया नेहा? इस जैसे लड़के से तू कभी प्यार किया करती थी. देख अब इसे.

मेरा पारा उपर चढ़ गया. पहली बात तो ये दोनो मेरे घर मे आए कैसे और क्या करने आए थे. कोई अधिकार नही इनको यहाँ आने का इस तरह. मैने सोचा कि अभी सालो की गान्ड मारता हूँ मगर मैं उन्हे सबक सिखाने के लिए उठने ही वाला था कि नेहा बोली;

नेहा: छी! शर्म आती हैं मुझे अपने आप पे जो तुम्हे प्यार किया कभी मैने सम्राट. मिल गया जो तुम चाहते थे? हो गयी शांति? बोर हो गये थे ना मुझसे!!? 

नेहा ने एक के बाद एक सवालो की झडी लगा दी मेरे सामने. इस बार भी मुझे जवाब देना का मौका नही मिला;

वरुण: अब तुमने भी इसका असली चेहरा देख लिया नेहा. जब तुम दोनो साथ थे तब भी इसकी नियत ऐसी ही थी. प्यासे दरिंदे जैसा घूरता था पायल की गान्ड को ये.

मैं चौंक गया कि एक तो वरुण ये क्या बक रहा हैं और नेहा के सामने ऐसी भाषा कैसे यूज़ कर रहा वो. इस बदतमीज़ को सबक सिखाना पड़ेगा. मैने कुछ कहने के लिए मूह खोला मगर अब तो हद्द हो गयी थी. जैसे मैं कोई नाटक देख रहा था जहाँ मुझे कोई कुछ बोलने ही नही दे रहा था. सब अपने अपने डाइयलॉग्स बोल रहे थे.

नेहा: जान गयी मैं. ये उपरवाले की ही कृपा हैं मुझ पर जो इस कॅरक्टरलेस इंसान से मेरा पीछा छूट गया. दिखावा किया तुमने मुझे प्यार करने का सम्राट.. झूठ था वो रिश्ता. मेरी ज़िंदगी के 4 साल जो मुझे कभी नही मिलने वाले अब.कभी नही!

मे: ये सब क.......
वरुण मेरी बात काट कर बोला;
वरुण: मगर मैं प्यार करता हूँ तुमने नेहा. सच्चा प्यार. जो ये तुम्हे कभी दे नही सका. 
और इतना कह के वो दोनो एक दूसरे को किस करने लगे. वरुण का एक हाथ नेहा की कमर पे साप जैसे घूम रहे थे और उसका दूसरा हाथ नेहा के मम्मो को दबा रहा था. मुझे अजीब सी घुटन महसूस हो रही थी वो सब देख कर. वो एक दूसरे के मूह मे जैसे पता नही क्या चाट रहे थे कि अलग ही नही हो रहे थे. वरुण का हाथ नीचे की ओर नेहा की गान्ड पे जा टिका और वो उसे दबाने लगा और मेरी ओर देख कर बोला;
वरुण: सो सॉफ्ट!!
और उस बात पर नेहा ने वरुण की ज़िप पर हाथ फेरते हुए कहा;

नेहा: उम्म्म....सूओ हार्ड! तुझसे भी ज़्यादा..
और ज़ोर ज़ोर से हँसने लगे वो दोनो मगर मैं चाह कर भी कुछ कर ना सका.. मेरे हाथ पैर जैसे काम ना कर रहे हो. मैं सिर्फ़ 'नहियिइ.. रुक जाओ..' इतना ही कह रहा था जिसका उनपे कोई असर नही हो रहा था. मैं उठने का ट्राइ कर रहा था मगर नही कर पाया. दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था. साँसे उखड़ रही थी. पसीना महसूस कर रहा था मैं. मैं बोहोत कोशिश करने लगा कि उठकर ये नंगा नाच रोक दूं. अब तक वरुण का हाथ नेहा के टॉप मे चला गया था और नेहा किसी बेहद ही हवासी लड़की की तरह सिसकिया भर रही थी. मैं किसी अपाहिज की तरह बेड पर छटपटा रहा था..
मे: नहियीई.......... हुफ़फ्फ़..हुफफफ्फ़....हुफफफफफफ्फ़...हुउफफफफफफफफफफ्फ़....

मैं झट्के से उठ गया. पसीने से बुरी तारह भीगा हुआ, दिल सीने से बाहर आ रहा था जैसे. सामने देखा.. कोई नही था. पायल अब भी सोई थी. मैं बेड के एज पे आ कर बैठ गया.


मे: चूत का तो! सपना था.
 
मेरी साँसे अब भी तेज़ थी मगर मैं उन्हे काबू करने की कोशिश कर रहा था. अपने माथे को अपने हाथो मे लेकर मैं कुछ देर बेड पर वैसे ही बैठा रहा ये समझने की कोशिश करते हुए की भेन्चोद हो क्या रहा हैं अभी. मगर मैं ज़्यादा ना सोचना ही ठीक समझा. सोच कर भी क्या झाट उखाड़ लेता? मैं बेड पर से उठा और बाथरूम की ओर जाने लगा मूह धोने के लिए और अपने आप से ही कहा;
मे: ऐसे सपने आने लगे तो हार्ट अटॅक से मर जाउन्गा मैं किसी दिन. 
बाथरूम मे गया. चेहरे पर पानी मारा 3-4 बार. जैसे वो सपना धोने की कोशिश कर रहा था मैं. मगर ऐसा होता नही हैं. किचन मे गया, पानी पिया और सोफे पर बैठ गया. ये सब क्या चल रहा हैं मेरे दिमाग़ मे? नेहा? वरुण? उनकी चोदम्पत्ति?? व्हाट दा हेल! सवालों का तूफान आ गया था जैसे दिमाग़ मे. और हर सवाल मेरे जेहन को चोट पहुँचा रहा था. सपने मे ही सही क्या सच कह रहा था वरुण? क्या सच्मे......

मैने अपने सिर को एक झट्क देते हुए ये सब ख़याल दिमाग़ से निकालने की कोशिश किया... 
मे: आइ नीड आ डाइवर्षन..

मैने टीवी ऑन किया और कुछ इंट्रेस्टिंग देखने लगा कहीं चालू हो तो. और तभी मुझे याद आया कुछ और मैं भागते हुए उपर गया.. रूम मे से अपना चश्मा लिया. टाइम देखा.. 3:50 एएम. पायल गहरी नींद सो रही थी. मैने धीरे से रूम का डोर लॉक किया और सीधा आकांक्षा के रूम मे गया. कपबोर्ड खोला और वहाँ डाइयरी पड़ी थी वो उठा कर दबे पाव से नीचे चला गया. सोफे पर बैठा और डाइयरी ओपन की..पहला पेज..1/01/13 डेट थी.. नीचे देखा.. ब्लॅंक..

मे: हुहह?? ये क्या हैं?

दूसरा पेज देखा.. वो भी ब्लॅंक.. मैं एक एक पेज पलट रहा था.. पूरी डाइयरी ब्लॅंक थी. हर पेज पर सिर्फ़ डेट डाल रखी थी मगर लिखा कुछ नही था.

मे: क्या चूतिया बेहन हैं मेरी! 

मैने अपने आपसे ही निराश होते हुए कहा. मैने सोचा डाइयरी रख देता हूँ वापिस उसी जगह पे तो मैं उपर गया आकांक्षा की रूम मे. कपबोर्ड खोला और जहाँ डाइयरी रखी थी उसी जगह पर रख दी. मैं कपबोर्ड बंद करूँ उससे पहले मुझे एक दूं नीचे के खाने मे कुछ दिखा. मैने झुक कर देखा तो एक पाउच था..मैने उठाकर देखा..
'टाटा डोकोमो सिम'
मे: वाह! मेडम के पास मे 2-2 सिम्स हैं!
मैने ज़्यादा जाच पड़ताल ना करते हुए खड़े खड़े ही वापिस वो पॅकेट जहाँ था उसी कॅप मे फेक दिया और मुड़ने ही वाला था कि;
'तन्ंणणन्'

ऐसी आवाज़ आई मुझे. वैसी आवाज़ जो किसी 2 मेटल के टकराने पर आती हैं. मैने सोचा यहाँ तो सब कपड़े रखे हैं और कपबोर्ड तो वुडन है. ये मेटल की आवाज़ कहाँ से आई? मैं नीचे झुक गया और वो पॅकेट को बाहर निकाला. पॅकेट खुला ही था . मैने पॅकेट उल्टा किया ये देखने के लिए की आख़िर हैं क्या इसमे और मेरे हाथ मे एक के का सेट गिर गया जिसमे 4-5 कीस थी.

मे: वूओआह!!
मैं चौक गया. हलाकी मुझे पता नही था कि वो की हैं किस लॉक की मगर मुझे खुशी इतनी हुई जैसे 40 चोरो का खजाना हाथ लग गया. मैं ज़मीन पर ही बैठ गया और कीस को ध्यान से देखने लगा. 1 तो रूम के लॉक की थी सॉफ पता चल रहा था. घर मे सबके रूम की अलग की हैं. मेरे पास भी हैं ऐसी. मैं उठ गया और बाकी कीस कहाँ की हैं वो देखने के लिए जहाँ जहाँ कीहोल्स दिख रहे थे कीस डालके देखने लगा.एक कपबोर्ड की थी, एक ड्रेसर की थी.अब 3 कीस का ठिकाना तो पता चल गया मगर एक के ज़रा अजीब थी. देखने पर ही पता चल रहा था कि ये किसी लॉक की नही. आटीस्ट किसी डोर लॉक की तो नही हैं क्योकि वो स्टॅंडर्ड टाइप की नही थी. वो ऐसे थी जो लॉक्स हार्डवेर शॉप मे मिलते हैं, उस टाइप की. अब मेरे दिमाग़ मे ये घूमने लगा कि आख़िर ये किस लॉक की चाबी हैं. जब तक पता नही चलता मुझे चैन ना आता.

मैं सोचा कि कुछ तो करना पड़ेगा.. मैं फिर एक बार रूम मे गया,अपना मोबाइल लेकर दवे पाँव बाहर आया और इस बार मैं मेरी रूम का डोर सेंट्रल लॉक किया ताकि पायल मुझे रंगे हाथ ना पकड़ सके और वापिस आकांक्षा के रूम मे आ गया. मैं डोर के पास खड़ा हो गया और उसकी रूम की 5-6 पिक्स ले ली, कपबोर्ड खोला और 2-3 पिक्स ले लिया. अब आप सोच रहे होगे कि मैं ऐसा चूतियापा क्यू कर रहा हूँ? वो इसलिए कि अब वो की किस लॉक की हैं मैं नही जानता, और जैसा कि मैने कहा कि वो एक्सटर्नल लॉक की लग रही थी जो कहीं भी हो सकता हैं और उसे ढूँढने के लिए मुझे आकांक्षा के रूम का चप्पा चप्पा छान मारना होगा. अगर वो लॉक मुझे मिला या नही मिला.. किसी भी कंडीशन मे मुझे दोबारा से सब वैसा का वैसा ही रखना पड़ेगा. सो.. पिक्स.. 

फोटुसेशन के बाद मैने मोबाइल साइड मे रख दिया और सोचा कि पहले कपबोर्ड से ही स्टार्ट करता हूँ.
 
अब आकांक्षा का कपबोर्ड और ड्रेसर तो मैं पहले ही चेक कर चुका था. इंट्रेस्टिंग चीज़ तो उसमे सिर्फ़ उसकी पैंटी और ब्रा ही थी. नतिंग एल्स. मगर फिर भी मैने एक बार फिर से दोनो को अच्छी तरह से चेक किया. नीचे से लेकर तो उपर तक. तिजोरी भी चेक की. डॉक्युमेंट्स के अलावा कुछ नही था और. ड्रेसर भी चेक किया. जस्ट टू बी श्योर बाथरूम का भी चप्पा चप्पा चेक किया...
मे: भैनचोद!!
कुछ नही मिल रहा था. मैं निराश होके बेड पर बैठ गया. सॉफ्ट मॅट्रेस मेरी गान्ड पे बड़ी अच्छी लग रही थी. मैं ज़रा लेट गया. आकांक्षा का बेड भी सबकी तरह से कंटेनर बेड हैं. मतलब आप उसमे सामान भी रख सकते हो. जैसे ही मुझे ये रीयलाइज़ हुआ मैं झट्के से उठ गया और मॅट्रेस को उठा के फोल्ड कर दिया. 
मे: आआहाआ! 
मॅट्रेस के नीचे एक वुडन प्लांक था. मैने हॅंडल को पकड़ कर वुडन प्लांक को उठाया. अंदर ढेर सारा कबाड़ था. ट्रडीशनल डे का सामान, बॅग्स,सूटकेसस,पता नही क्या क्या और! मैने पूरा बेड छान मारा. मैं हार मानने ही वाला था कि उपरवाले ने मेरी सुन ली और मुझे बेड के एकदम लोवर लेफ्ट कॉर्नर मे एक बॉक्स दिखा. सिंपल ऑफ-वाइट कलर का 1फ्ट बाइ 1फ्ट का प्लैइन वुडन बॉक्स था. जिसमे कोई भी कुछ भी रख सकता हैं. नतिंग स्पेशल. और उसी वजह से मेरा ध्यान बॉक्स पे गया कि जब बॉक्स इतना सिंपल हैं तो उसपे इतना अच्छा लॉक क्यू लगाया हैं. मैने ड्रेसर पर से की उठाई और एक गहरी साँस लेकर लॉक मे घुसा दी और घुमा दिया.
'क्लिक'
मेरी आखे बड़ी हो गयी...
मे: याहूऊओ!!!
लॉक खुल गया. सो ये चाबी इस लॉक की थी जो इतना सेक्रेटेली छुपा कर रखा गया था. मैने बॉक्स को बाहर निकाला. साइड मे रखा ड्रेसर पे और सबसे पहले सारी चीज़े जहाँ थी वहाँ रख दी. अब मुझे बॉक्स का लोकेशन पता चल गया था तो सब कुछ ठीक से रखने के बाद मैं इतमीनान से बेड पर बैठा और उस जादू के पिटारे को खोला..और सच मे दोस्तो.. जादू ही था उस बॉक्स मे.

बॉक्स खुलते ही मेरे सामने तो जैसे आकांक्षा की सीक्रेट दुनिया ही खुल गयी. आज मुझे पता चलने वाला था कि मेरी बेहन असल मे कैसी हैं. उस बॉक्स मे कुछ मेक अप का समान था. इतना छुपा कर रखा क्यूँ था मुझे नही समझ आया. लगता हैं आकांक्षा ऐसा सोचती हैं कि अगर हमारे घर पे चोरी हुई तो चोर उसका मेक अप का समान ही चुराने आएगा इसलिए इतना छुपा कर रखी उसने. मेक अप का समान एक पाउच मे था लाकमे के. उसके बाद कुछ एक एन्वॉलप था,प्लेन वाइट कलर का. मैने एन्वॉलप खोला...

मे: फक!!!!

मैं तो चौंक गया. एन्वॉलप मे 100-100 के नोटो का बंड्ल रखा था जो आराम से 10,000 के आस पास होगे. इतने पैसे मेरी बेहन के पास? चूतका मेरे पास इतने पैसे नही हैं अब तक. मेरा दिल तो बोहोत कर रहा था कि सॉफ कर दूं सब, मगर फिर आकांक्षा को पता चल जाता कि मैने उसकी सीक्रेट दुनिया देख ली हैं.इसलिए बड़े ही मायूस दिल से मैने पैसे वापिस रख दिया. और भी कुछ फालतू चीज़े थी. एक पूरानी बार्बी डॉल थी जो मेरे ख़याल से जब **** की थी तब पापा ने लेकर दी थी. उसने वो अब तक संभाल कर रखी थी. वो आक्च्युयली क्यूट लगा मुझे. ये सब बॉक्स के एक सेक्षन मे था और एक साइड मे ढेर सारी नोटबुक्स रखी थी. मैने एक उठाकर देखी जो सबसे उपर रखी थी. कुछ 8-10 नोट-बुक्स थी एक के उपर एक. सब एक ही साइज़ और टाइप की. कवर की क्वालिटी से तो पता चलता था कि काफ़ी पहले खरीदी हुई हैं. मैं नोटबुक खोला. फ्रंट पेज पे डिज़ाइनर फ़ॉन्ट मे लिखा था 'डेली डाइयरी'. 

मे: अया! तो ये बात हैं. वाह!!
मैं सच मे इंप्रेस हो गया आकांक्षा के इस स्मार्टनेस से. जो डाइयरी कपबोर्ड मे रखी हुई थी वो सिर्फ़ दिखावे के लिए थी. असली माल तो इस बॉक्स मे था. मैने सब नोटबुक्स बॉक्स से बाहर निकाला और एक एक को देखने लगा. नीचे की कुछ नोटबुक्स अब भी कोरी थी. इसका मतलब की आकांक्षा पीछले कुछ साल से ही डाइयरी लिख रही हैं और बाकी की नोटबुक्स एक्सट्रा हैं. जो नोटबुक सबसे उपर थी वो लेटेस्ट थी. मैने सोचा कि क्यू ना एक दम स्टार्टिंग से पढ़ा जाए. वैसे तो मैं स्ट्रॉंग्ली बिलीव करता हूँ कि किसी की प्राइवेट लाइफ मे इंटर्फियर नही करना चाहिए. इट्स रॉंग! मगर जहाँ खुदकी बेहन को देख कर लंड खड़ा हो जाता वहाँ मैं इतनी मोरल बाते कैसे फॉलो कर सकता था? मैने सारी नोटबुक्स जिनमे कुछ लिखा हुआ था साइड मे रख दी. बॉक्स को एक बार फिर से चेक किया. कुछ इंट्रेस्टिंग नही था सिवाय 1-2 नेकलेस और 1 ब्रेस्लेट के. मैने बॉक्स दोबारा से सही जगह पर रख दिया,बेड के अंदर. जो नोटबुक सबसे नीचे रखी थी मैने उठाया और बाकी की नोटबुक्स को अच्छे से बेड के साइड मे छुपा दिया और नीचे चला गया. 

मे:अब तो मैं एक एक पन्ना पढ़ुगा इसकी हर एक डाइयरी का. ज़रा मैं भी तो देखु कि आख़िर तू लिखती क्या हैं तो.
एक बार फिरसे टाइम देखा मैने. 4 एएम. पायल अभी और 2-3 घंटे तो उठने वाली थी ही नही. इसलिए मैं सीधा नीचे चला गया. सोफे पर आराम से बैठा और 'लेट्स स्टार्ट!' कहके मैने आकांक्षा की डाइयरी ओपन किया. डेट देख कर पता चला कि ये डाइयरी 2 साल पूरानी हैं. मतलब रफ्ली जब वो 18 साल की थी तबसे लिख रही हैं. अब आगे की कहानी आकांक्षा की डाइयरी की ज़ुबानी हैं. बीच बीच मे मैं अपनी कहानी भी कंटिन्यू रखुगा सो कन्फ्यूज़ मत होना दोस्तो;
 
आकांक्षा' की डाइयरी:
मेरा नाम आकांक्षा हैं. मैं एक मिड्लक्लास फॅमिली से बिलॉंग करती हूँ. (मिड्ल क्लास?? 10,000 मत भूलना दोस्तो). मैं कल ही 14 साल की हुई हूँ और मैं आज से डाइयरी लिखना स्टार्ट कर रही हूँ. डाइयरी लिखने का आइडिया मुझे हमारे स्कूल के टीचर ने दिया हैं जब एक लेसन मे जो आज हमे पढ़ाया उसमे एक लड़की की स्टोरी बताई गयी थी जो बिल्कुल मेरी तरह ही थी. उसकी लाइफ की स्टोरी भी मुझे अपनी जैसी लग रही हैं और लेसन मे बताया कि कैसे वो रोज़ डाइयरी लिखती हैं जिस वजह से उसे फ्यूचर मे ये एहसास रहे कि उसने क्या ग़लतिया की हैं पास्ट मे. टीचर ने हमे समझाया कि ये बोहोत इंपॉर्टेंट हैं इसलिए मैं आज से प्रॉमिस करती हूँ अपने आप से कि मैं हमेशा डाइयरी लिखुगी. और जो भी होगा सब कुछ सच सच लिखुगी. सर ने ये भी कहा कि अपनी डाइयरी मैं किसी को ना दिखाऊ क्योकि ये सबकी पर्सनल चीज़ होती हैं. इसलिए मैं किसी को नही बताउन्गी कि मैं डाइयरी लिखती हूँ और जो भी होगा सब सच सच लिखुगी. प्रॉमिस!

कल ब'डे था तो मैने सबको चॉक्लेट्स दिए. और उसे 2 चॉक्लेट्स दिए. मैं बोहोत खुश हो गयी कि उसने मुझसे 2 चॉक्लेट्स लिए. और मेरा हाथ को शेकहॅंड करके थॅंक यू भी कहा उसने और हॅपी बर्थ'डे भी विश किया मुझे.. मैं बोहोत खुश हुई. मैं अब राजीव को बोहोत पसंद करने लगी हूँ और आज तो कन्फर्म हो गया कि वो भी मुझे पसंद करता हैं. क्योकि जब मैं सबको चॉकलेट दे रही थी तो वो मेरी तरफ ही देख रहा था. आइ आम सो हॅपी. राजीव हमारी क्लास मे नया लड़का हैं. उसके पापा किसी सरकारी. ऑफीस मे काम करते हैं और उनकी ट्रांस्फ़ेरर यहाँ हो गयी. वो आक्च्युयली हमसे बड़ा हैं थोड़ा सा. वो बोहोत क्यूट हैं,सबसे बोहोत अच्छे से बात करता हैं, कभी गालियाँ नही देता, मुझसे भी अच्छे से बिहेव करता हैं. ना कि मेरे भाई जैसा जो मुझसे हमेशा झगड़ा करते रहता हैं. आज बोहोत अच्छा दिन था.........
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मैने आगे के कुछ पेजस भी पढ़े.. इस राजीव नाम के लड़के का बोहोत बार ज़िक्र था. 
मे: कही इसका कोई बाय्फ्रेंड तो नही हैं? 

कमीना ही सही, था तो मैं उसका भाई ही ना. फ़िक्र तो रहेगी थोड़ी.. मैं आगे पढ़ते गया. कुछ दिनो तक कुछ इंट्रेस्टिंग नही लिखा. जस्ट यूषुयल. मुझसे झगड़ा, मुझे गालियाँ मारना, राजीव और इसकी वन साइडेड लव स्टोरी थी ये कैसे उसे पसंद करती थी. मगर फिर एक दिन;
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आज मुझे स्कूल के बीच मे ही घर आना पड़ा. मैं बोहोत डरी हुई हूँ. क्लास के बीच मे ही अचानक मेरे पेट मे बोहोत दर्द होने लगा था. जैसे कि अंदर से कोई मेरे पेट को दबा रहा हो. थोड़ा नीचे की तरफ. जहाँ से सूसू करती हूँ उसके उपर. दर्द बढ़ता ही जा रहा था. मैने निशा को बताई और वो मुझे टीचर के पास ले गयी. टीचर ने मुझे समझाया कि कोई बात नही और उन्होने मम्मी को कॉल की. मुझे बोहोत डर लग रहा था तो मैं रोने लग गयी. दर्द भी बोहोत हो रहा था. खड़े भी नही रहते आ रहा था ठीक से. पैर दुखने लगे. निशा और मैं रेस्टरूम मे ही बैठे थे. जैसे ही मैने मम्मी को देखी मैं मम्मी को पकड़ के रोने लगी. पता नही मम्मी क्यू स्माइल कर रही थी तो? मगर मुझे बोहोत दर्द हो रहा था. मैं मम्मी के साथ घर आ गयी और मम्मी ने मुझे पेनकिलर दी और मैं सो गयी. अभी ठीक लग रहा हैं. 
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नेक्स्ट डे:
सुबह सुबह ही मम्मी मेरे रूम मे आई और मुझे अपने पास बिठा कर कहने लगी;
मम्मी: बेटा, आज से तुम बड़ी होने लगी हो. कल जो पेट मे दर्द हुआ अब वो हर मंत होगा. इसे हम पीरियड्स कहते हैं. डरने की कोई बात नही. हर लड़की को आते हैं. मुझे भी. ये लो..
इतना कह कर मम्मी ने मेरे हाथ मे कुछ विस्पर नाम का पॅकेट दे दिया और मुझसे कहने लगी कि;
मम्मी: बाथरूम मे जाओ और इन्स्ट्रक्षन्स पढ़के यूज़ करो.. अगर नही समझी तो मुझे बुलाओ..ओके?

इतना कह कर मम्मी ने मुझे माथे पे किस की और चली गयी. मैं समझ नही पा रही थी कि बाथरूम मे क्यू जाउ? ना मुझे नहाना हैं, ना टाय्लेट जाना हैं. इसलिए मैने सोची कि रूम मे ही करती हूँ. थोड़ा थोड़ा दर्द अब भी था मगर कल जितना नही. मैने पॅकेट के साइड के इन्स्ट्रक्षन्स पढ़े. उसमे कहा था कि पॅड को पैंटी की अंदर की साइड से लगाना हैं.मुझे कुछ समझ नही आ रहा था. मगर मैने अपनी शॉर्ट्स और पैंटी निकाली और बेड पर बैठ कर इन्स्ट्रक्षन्स पढ़ने लगी. वाइट कलर का सॉफ्ट पॅड था जो दोनो साइड से खुलता था. पॅकेट पे लिखा था कि उन्हे विंग्स कहते हैं. इन्स्ट्रक्षन वाइज़ पढ़ कर मैने पॅड पैंटी पर लगा दिया और वापिस पैंटी पहन ली. सॉफ्ट सॉफ्ट लग रहा था मुझे. मैं अब भी नही समझ पा रही थी कि आख़िर ये सब क्या हैं और क्यू हैं तो मगर मैने मम्मी को आवाज़ दी. मम्मी ने आने के बाद मुझे सब कुछ समझाई. मैं एक बार फिर रोई कि हर मंत मुझे दर्द होगा इस डर से. मगर मम्मी ने मुझे पकड़ कर समझाया और बोली कि इट्स आ गुड थिंग! जब भी दर्द होने लगे तब मम्मी ने ये यूज़ करने को कहा हैं. इसलिए मैने बाद मे पॅड निकाल ली. जब पॅड निकली तो देखा कि कुछ बाल अटक गये थे उसमे. कुछ हफ़्तो पहले ही मुझे वहाँ बाल आने लगे हैं. और अंडरआर्म्स मे भी. ये सब क्या हो रहा हैं? और मैं बात करूँ भी तो किससे बात करूँ? बेहन नही. मम्मी से इतनी बात नही कर सकती मैं. और भाई की तो शक्ल भी ना देखु मैं. मुझे फिर से रोना आ गया. 
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आकांक्षा की डायरी पढ़ कर तो ऐसा लग रहा था कि एक लड़की होना कितना मुश्किल हैं. अपने तो क्या खाली लंड ही संभालना पड़ता है. खून तो नही निकलता ना?

मैं जैसे जैसे आगे पढ़ते गया मुझे ऐसा एहसास होने लगा कि मैं किसी बिल्कुल अंजानी लड़की के बारे मे पढ़ रहा हूँ नाकी अपनी सग़ी,छोटी बेहन के बारे मे. वो क्या सोचती हैं? क्यू सोचती हैं? क्या चाहती हैं? हां! सिर्फ़ मेरे और उसके रिश्ते के बारे मे मैं सही था कि वो मुझे हेट करती हैं. उतना ही जितना मैं उसे हेट करता हूँ. या करता था?? मैं अपने आपसे ही पूछने लगा. उसके सपने, उसके दिल मे किसके लिए क्या चलता हैं, वो किसके बारे मे क्या सोचती हैं ये पढ़ कर मुझे एक अजीब सी फीलिंग आने लगी. जैसा की आप जानते हैं कि मैं और वो कभी भी आपस मे बात नही करते थे. क्या इसलिए मैं वो, असली मे कुछ बिल्कुल भी नही जानता? मुझे थोड़ा बुरा लग रहा था मगर एक दिलासा था कि सिर्फ़ मैं नही, आकांक्षा भी मुझसे बात नही करती. दोनो सगे भाई बेहन होकर भी एक दूसरे से इतना अंजान थे हम.
मे: आगे पढ़ा जाए..
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आज मेरा पीरियड स्टार्ट हुआ. मम्मी ने जो ट्रैनिंग दी थी अब समझ आई कि क्यू दी थी? पॅड खून के लिए लगाया जाता हैं. सुबह बाथरूम मे टाँगो के बीच खून देख कर मैं डर गयी. मगर मैं ये एक्सपेक्ट ही कर रही थी. मुझे फिर भी थोड़ा सा रोना आ गया. मगर अब मैं बड़ी हो गयी हूँ. बात बात पे रो नही सकती. आटीस्ट सबके सामने तो नही. इन कुछ दिनो मे मुझे कयि सारी बाते पता चली. मुझमे कैसे कैसे चेंजस आएगे और अब क्या क्या झेलना होगा. तक़लीफ़ से कम नही लग रहा मुझे ये कुछ. कल ही निशा से बात की इस बारे मे. निशा मुझसे कुछ मंत्स बड़ी हैं तो वो जानती हैं काफ़ी चीज़े. सर्प्राइज़िंग्ली! निशा को कोई तक़लीफ़ महसूस नही होती इस बारे मे. उल्टा वो तो काफ़ी खुश लगती हैं. हम कल रिसेस मे बैठे थे कॅंटीन के बाहर.
निशा: अर्रे यार, अककु..! तू भी ना! फालतू मे टेन्षन ले रही. बेस्ट टाइम हैं ये अपनी लाइफ का बेबी.. एंजाय कर.

आकांक्षा : क्या खाक एंजाय करू निशा?? परेशान हो गयी हूँ मैं इस सब से. मुझे नही होना बड़ा. तुझे पता भी हैं कि कितना दर्द होता हैं उस टाइम?

निशा: किस टाइम?

आकांक्षा : अर्रे वोही.. जो मुझे हुआ था कुछ दिनो पहले.

निशा: अया...पीरियड? ऐसा बोल ना बुद्धू..

आकांक्षा : हां वोही..
मैने याद करते हुए कहा कि मम्मी ने भी कही थी इन्हे पीरियड्स कहते हैं. मैं ज़मीन पर बैठ कर अपने घुटने पे सिर रख कर बैठ गयी. निशा मेरे साइड मे मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए बोली;
निशा: अर्रे मेरी रानी.. ऐसा कुछ नही.. अच्छा चल! एक सीक्रेट बताऊ?

आकांक्षा : ह्म्म्म्म ??
निशा मेरे एक दम करीब आकर बोली;
निशा: मेरा अभी पीरियड चल रहा हैं.

मैं उसकी बात सुनके चौंक सी गयी.

आकांक्षा : म..एम्म..मगर कैसे? और.. ब्लड?? पेन?? तू ठीक तो हैं ना?

निशा मुझे शांत करते हुए बोली;
निशा: अर्रे शांत होज़ा!! शांत होज़ा.. चल मेरे साथ.. दिखाती हूँ तुझे कुछ.

मैं कुछ कहती उससे पहले ही निशा मुझे खीचते हुए टाय्लेट मे लेकर आई. 
आकांक्षा: क्या??

निशा: शूऊ!!! कीप क्वाइट. 
हम कुछ देर ऐसी ही टाय्लेट मे खड़े रहे. निशा अपने बाल ठीक कर रही थी, हाथ धो रही थी. इन शॉर्ट टीपी कर रहे थे. लोल! कुछ देर बाद टाय्लेट मे की सारी लड़किया एक एक करके जाने लगी. हम ऐसे दिखा रहे थे कि कुछ बात कर रहे हैं..... जब टाय्लेट मे से सब गर्ल्स चली गयी, निशा ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे एक टाय्लेट स्टॉल मे ले गयी और डोर लॉक कर दिया..

मे: अर्रे क्या कर रही हैं तू? पागल हो गयी क्या? जाने दे मुझे.. सरक! 
निशा ने जैसी मेरी बात सुनी ही नही और मेरे कंधो पे हाथ रख कर मुझे ज़बरदस्ती कॉमोड पर बैठा दी. मुझे कुछ समझ नही आ रहा था मगर निशा को देख कर सॉफ पता चल रहा था कि उसके दिमाग़ मे कुछ चल रहा हैं. मैने सोचा कि चलो देख ही लेते हैं क्या हैं तो और तभी निशा ने झट्से अपनी स्कर्ट उपर उठा दी..

आकांक्षा : सस्शीई!! पागल.. नीचे कर..

निशा: शट अप! देख चुप चाप.

मैने अपनी गर्दन मोड़ ली तो निशा ने एक हाथ से मेरी नज़र फिर से उसकी स्कर्ट की तरफ ज़बरदस्ती घुमा दी. मैं देखने लगी. ऑफ-वाइट कलर की पैंटी पहनी थी उसने जिसपे फ्लवर्स का डिज़ाइन था. मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि क्या हो रहा हैं ये सब? मैं बस निशा की पैंटी को देखे जा रही थी. उसकी गोरी गोरी थाइस पर बोहोत जच रही थी पैंटी. उतने मे ही;

निशा: अबे पैंटी देखने नही बोली मैने तुझे.. पहली बार देख रही क्या? अंदर देख..

आकांक्षा : हुहह?

निशा: ओफफफूओ!!

इतना कह कर निशा ने मेरा हाथ पकड़ कर उसकी पैंटी के ठीक बीच मे ले गयी. मेरा हाथ काँप रहा था. पता नही क्यूँ? पसीना आएगा ऐसा लग रहा था मगर आ नही रहा था, दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था. चेस्ट मे कुछ अजीब ही खिचावट महसूस हो रही थी. मैं बोहोत डर रही थी. ये सब क्या हो रहा हैं मुझे?? मैं अपने ही ख़यालो मे थी तो निशा बोली;
निशा: देखी??

मैने अपने हाथ से निशा की पैंटी चेक की..बहुत ही सॉफ्ट लग रही थी. इतनी सॉफ्ट तो नही होती पैंटी. मेरी तो नही थी. मैं कुछ समझी नही ये बात देख कर निशा ने मेरा हाथ छोड़ दिया. मैं तुरंत हाथ निकाल ली. निशा ने अपनी स्कर्ट भी नीचे करली और बाहर चली गयी. मैं पुतले जैसी वही बैठी रही और कुछ वक़्त मे निकल कर;
आकांक्षा: क्या दिखा रही थी तू? मुझे कुछ समझ नही आ रहा.

निशा: उल्लू!! पॅड पहनी हूँ मैं..

आकांक्षा : स्कूल मे??

निशा: हाँ तो यही तो फ़ायदा हैं. कही भी पहन सकते हो.. पता भी नही चलता कि पहना हैं कुछ. सिंपल.. देख बेबी, पहली बार मैं भी डर गयी थी ब्लड देख कर.मगर तू मत डर. मुझे दीदी ने समझाया और मैं तुझे समझा रही हूँ. पेन के लिए पिल्स भी मिलती है. तेरी मम्मी से बोल, ला देगी वो.कुछ नही होता. ओके?

आकांक्षा : ह्म्म्मा...ओके..

निशा: अरे अब क्या चल रहा दिमाग़ मे तेरे? कुछ पूछना हैं और?

आकांक्षा : हां.. वो... वो...

निशा: हां पूछ ना!
 
इतना कह कर निशा मेरे एक दम करीब आ गयी. इतने करीब कि उसके साँसे महसूस कर पा रही थी मैं. मुझे कुछ अजीब लग रहा था. मगर मैने ध्यान नही दी.

आकांक्षा : वो.. उधर... वहाँ.. ब...ब्ब..बाल भी आते हैं?

मेरी बात पे निशा ज़ोर्से हँस पड़ी. मुझे तो कुछ समझा नही. मैने कुछ फन्नी तो कहा नही थी. जब उसका हँसना हो गया तो वो मेरे गले मे अपने दोनो बाहे डाल कर बोली;
निशा: हां बेबी! आते हैं ना. और सिर्फ़ वहाँ नही.. यहा भी आते हैं..

निशा ने उसकी बगलो की ऑर इशारा करते हुए कहा. और उसे ऐसा लगा कि जैसे मुझे समझा नही तो उसने झट से अपना हाथ उपर किया,उसकी शर्ट की बाह को एक दम पीछे ली, कंधो तक और बोली;
निशा: सी? 

मैं घूर रही थी निशा की बाँह को. मुझसे कही ज़्यादा बाल थे उसके. उसकी गोरी बाहो मे काले काले बाल आ गये थे. मुझे तो भी उसके 10% भी नही थे. 

निशा: दोनो जगह पर बाल आते हैं. इतना ही नही, हम अब जैसे जैसे बड़ी होगी वैसे वैसे हमारे टॉप छोटे होने लगेगे हमें..
मैं निशा की बात समझ गयी और शरमा के नीचे देखने लगी..
निशा: आहे हाए मेरी शर्मीली.. 
निशा मुझे छेड़ने लगी..
निशा: तुझे कुछ भी बात करनी हो तो मुझसे बोल. अगर तेरे काम नही आई तो क्या खाक बेस्ट फरन्ड मैं तेरी? 

आकांक्षा : थॅंक्स यार!

हम दोनो ने एक दूसरे को हग किए.. मुझे बोहोत अच्छा लग रहा था कि निशा जैसी दोस्त हैं मेरी जो समझती हैं मुझे और हेल्प भी करना चाहती हैं. कुछ देर बाद हम एक दूसरे से अलग हुए तो वो बोली;
निशा: उम्म्म.. तू कुछ जल्दी ही बड़ी हो रही हैं लगता.

और वो मेरी चेस्ट की ओर घूर्ने लगी. इससे पहले मैं कुछ कहती या करती निशा का हाथ मेरी चेस्ट पे आ गया और थोड़ा सा प्रेशर देते हुए वो मुझसे बोली;
आकांक्षा : जल्दी ही खर्चा करना पड़ेगा तेरे कपड़ो पे..

निशा का हाथ मेरे चेस्ट पर आते ही जैसे मुझे कुछ चुभा अंदर.. करेंट लगा ऐसा. आखे ज़रा धुंधली हो गयी कुछ सेकेंड्स के लिए. और वोही फीलिंग आने लगी जो कुछ देर पहले टाय्लेट स्टॉल मे आ रही थी. मगर पहले से स्ट्रॉंग. लेग्स भी अजीब से फील होने लगे, जैसे की कोई गुड़गुली कर रहा हैं टाँगो मे.. सच कहूँ तो टाँगो के बीच मे. मैं ज़ोर ज़ोर से साँस लेने लगी. कुछ देर मे मूह धोकर हम टाय्लेट से निकल आए. घर आते वक़्त भी मुझे अजीब लग रहा था. ऐसा लग रहा था कि थोड़ी सी हवा मे हूँ. और पैरो के बीच ख़ास कर के ऐसा लग रहा था कि जैसे....जैसे.. जैसे आज ही आक्टिव हुई हूँ मैं.

जान महसूस हो रही थी टाँगो के बीच. घर आई और सीधा रूम मे आकर मैं बेड पर लेट गयी. अब भी दिल तोड़ा तेज़ी से धड़क रहा था.पेट मे गुड़गुली हो रही थी. मेरे पैर अपने आप ही हिल रहे थे और तभी मुझे कुछ एहसास हुआ. मैं बेड पर से उठ गयी, खड़ी हो गयी और मिरर के सामने जाकर स्कर्ट को कमर तक उपर उठा कर देखी तो पता नही मगर मेरी पैंटी के बीच पानी कहाँ से आ गया? क्योकि थोड़ी सी भीग गयी थी पैंटी...

मैने डाइयरी साइड मे रखी. नॅचुरली, लंड बाबा तो उठ कर खड़े हो चुके थे. आकांक्षा की चढ़ती जवानी के बारे मे खुद उसीके शब्दो मे सुनने के बाद मेरा लंड बिल्कुल सल्यूट कर रहा था मुझे. मज़ा आ गया पढ़के उसकी डाइयरी. अब तो रोक पाना मुश्किल ही था....
'सम्राट!!??'
मे: शिट!!
मैं तो भूल ही गया कि पायल उपर सो रही हैं. मैने जल्दी से डाइयरी छुपा दी सोफे के नीचे. अगर पायल मुझे देख लेती तब तो मेरी बाट लग जाते. अच्छा हुआ एक ही डाइयरी लेकर आया था मैं.


मैं फट से उपर की ओर भागा ऑर अपनी रूम का डोर अनलॉक कर दिया. पायल दरवाजा ठोक रही थी. डोर खोलते ही वो बाहर आई;
पायल: कब से आवाज़ दे रही हूँ? मर गया था क्या? और ये डोर क्यू लॉक कर दिया.......
वो आगे बोलने से पहले ही रुक गयी और मेरे लंड की ओर देखने लगी. मेरा लंड 90 के आंगल मे खड़ा था..


पायल: हे भगवाअनन!!! क्या करू मैं तेरा? दिन रात ऐसा ही रहता है क्या?
 
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