Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती - Page 2 - SexBaba
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Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती

मेरी पैंट उतार कर उसने मेरे चूतडो पर हाथ फेरा और उन्हें ऐसे दबाया जैसे गेंदे हों "आहा क्या गान्ड हे रे तेरी अनिल राजा! एकदम मख्खन साली छोकरियों की भी इतनी प्यारी नहीं होती" कहकर वह झुककर मेरे नितंब चूमने लगा फिर आवेश मे आकर वह उन्हें बेतहाशा चाटने लगा और सीधे मेरी गान्ड के छेद मे नाक डालकर सूंघने लगा जैसे उसमे इत्र भरा हो सूंघ कर फिर मेरी गान्ड मे उसने जीभ डाल दी

मुझे गुदगुदी हुई तो मैं हँसने लगा "छोड़ रघू, गुदगुदी होती है" मैंने उसका सिर हटाने की कोशिश की पर उसकी ताक़त के आगे मेरी क्या चलने वाली थी ज़ोर ज़ोर से वह मेरी गान्ड चूसता रहा मुझे मज़ा आ रहा था इसलिए ज़रा सा नखरा करके छूटने की दिखाऊ कोशिश करके मैं गान्ड चुसवाता रहा आख़िर अपने आप पर उसने किसी तरह काबू किया और उठ बैठा

"क्या माल है राजा तू मैं तो कच्चा चबा जाऊ तुझे! तेरा गुलाम हो कर रहूं पर चल बहुत हो गया स्कूल भी जाना है" कहकर वह टाँग लंबी करके बैठ गया और मुझे खींच कर मेरा सिर अपनी जाँघ पर लेकर अपना तन्नाया लौडा मेरे होंठों और गालों पर फेरता हुआ बोला "अब चूस ले मुन्ना और देख, मैं झड़ूँगा तो मुँह से गिराना नहीं सब निगल लेना वीर्य मे बड़ी ताक़त होती है तू खा के देख स्वाद भी झकास लगेगा तुझे, फिर मेरे आगे पीछे घुमा करेगा हमेशा- रघू दादा लौडा चुसाओ कहकर"

मैंने मुँह खोल कर फिर उसका सुपाडा निगला और चूसने लगा रघूने एक हाथ से मेरे सिर को थामा और दूसरे हाथ से लंड का डंडा मुठ्ठी मे पकडकर सडका लगाने लगा उसकी साँसें अब तेज चल रही थीं मैं साँस रोके चूस रहा था और वीर्य के फवारे का इंतजार कर रहा था डर लग रहा था कि जाने कैसा लगे? अगर अच्छा नहीं लगा और थूक दिया तो रघू बुरा मान जाएगा 

सुपाडा अचानक मेरे मुँह मे ऐसे फूल गया जैसे गुब्बारा हो "देख मुन्ना, अब झडता हूँ, मेरी बात याद रखना आहह हाईईईई " कहकर रघू झड गया गरमा गरमा चिपचिपे वीर्य की पिचकारी सी मेरे मुँह मे छूट पडी उसकी धार इतनी तेज थी कि कुछ बूँदें तो सीधे फवारे जैसी मेरे गले मे चली गयीं

उस चिपचिपे द्रव्य की मुझे पहले थोड़ी उबकाई आई पर मन कड़ा करके मैंने रघू का वीर्य निगलाना शुरू किया जब स्वाद लिया तो मज़ा आ गया; खारी कसैली मलाई जैसा स्वाद था खुशबू तेज और सिर घुमा देने वाली थी मेरा लंड खड़ा हो गया मैंने आँखें बंद की और चूस चूस कर रघू का वीर्य पीने लगा बहुत अच्छा लग रहा था अब मैं समझा कि उन गंदी कहानियों मे औरतें कैसे लंड चूसने को बेताब रहती थीं मैंने अब उसका लंड ऐसे चूसा जैसे गंडरी हो एक भी बूँद मैं छोड़ना नहीं चाहता था
जब उसका लंड ठंडा हो गया तो उसने मेरे मुँह से उसे निकाला लंड बिलकुल सॉफ था, एक भी बूँद वीर्य की नहीं बची थी रघू खुश हो गया "शाबास मुन्ना, सही चूसा तूने मज़ा आया? स्वाद मिला?" मैंने सिर हिलाया तो मेरी आँखों मे झलकती तृप्ति देख कर वह मस्त हो गया "अब देख तेरे साथ क्या मज़ा करता हूँ चल कपड़े पहन ले और स्कूल चल"

मेरा लंड खड़ा था मज़ा आ रहा था मैंने मचल कर कहा "रघू, तू भी फिर एक बार चूस ले ना मेरा लंड "
 
उसने अपनी धोती ठीक की और मुझे पैंट पहनाते हुए बोला "अब नहीं मेरे मुन्ना राजा अब ज़रा सबर कर अब शाम को स्कूल छूटने के बाद मज़ा करेंगे मेरी अम्मा के लिए भी तो कुछ माल रख और देख, स्कूल मे मुठ्ठ नहीं मारना"

मुझे स्कूल छोड़कर रघू चला गया मैं बहुत खुश था मुँह मे अब भी रघू के वीर्य का स्वाद था उसके लंड को याद कर कर के मेरा और खड़ा हो रहा था एक दो बार लगा कि बाथरूम जाकर मुठ्ठ मार आऊ पर रघू को दिए वायदे को याद करके मैं चुप रहा

आख़िर स्कूल छूटा और मैं बस्ता उठा कर भागा रघू मुझे लेने आया था मैं साइकिल पर बैठा और हम चल दिए बीच मे अकेले मे साइकिल रोक कर रघू ने मुझे चूम लिया सॉफ था कि उसे मेरे चुंबन लेने मे बहुत मज़ा आता था अपने मुँह मे मेरे होंठ लेकर वह मन लगा कर चूस रहा था उसका लंड खड़ा होकर मेरी पीठ पर धक्के दे रहा था
"रघू, लंड चूसने दे ना" चुंबन ख़टमा होने पर मैंने ज़िद की एक गहरी साँस लेकर वह फिर साइकिल चलाते हुए बोला "अब घर जाकर अम्मा इंतजार कर रही होगी"

हम घर आए तो माँ अपने कमरे मे सिर पर पट्टी बाँध कर लेटी थी मंजू उसका सिर दबा रही थी "क्या हुआ माँ" मैंने पूछा

"अरे कुछ नहीं बेटा, तेरी माँ की माहवारी शुरू हो गई है, उसे बड़ी तकलीफ़ होती है इन दिनों मे तू बता, मेरे बेटे ने ठीक से स्कूल छोड़ा या नहीं तुझे?" मंजू बाई बोली उसकी आँखों मे शैतानी की चमक थी माँ ने भी उसकी हाँ मे हाँ मिलाई "हाँ अनिल बेटे अच्छा लगा तुझे? तेरा ख़याल रखा ना रघू ने?"

मैं क्या कहता, शरमा गया चुपचाप रघू की ओर देखने लगा मेरे चेहरे की खुशी और लज्जा से दोनों औरतें समझ गयीं और हँसने लगीं रघू भी बोला "मालकिन, मुन्ना को मस्त मलाई खिलाई मैंने मैंने भी खाई बड़ा मज़ा आया बहुत प्यारा बच्चा है अम्मा, एकदमा सही!" कहकर उसने उंगली और अंगूठा मिलाकर मेरी दाद दी

"चलो, अच्छा हुआ अब मैं तो बीमार हूँ, ऐसा करो मंजू बाई, तुम और रघू दो तीन दिन यहीं मुन्ना के कमरे मे सो जाओ उसका मन बहलाओ अनिल बेटे, जा अपने कमरे मे मंजू बाई को अभी भेजती हूँ और देख, उनकी सब बातें सुनना जो कहें वह करना कुछ गडबड की तो हाथ पैर बाँध कर चाबुक से मारूँगी" माँ ने मुझे धमकी दी

"नहीं अम्मा, रघू दादा मुझे बहुत प्यार करता है मैं कुछ नहीं करूँगा" मैंने खुशी खुशी कहा और वहाँ से भाग लिया मंजू बाई ने रसोई मे नाश्ता बना कर रखा था मैंने खाया और कमरे मे आकर अपने पलंग पर लेट गया मन मे खुशी की लहर दौड रही थी लंड कस कर खड़ा था लग रहा था कि मुठ्ठ मार लूँ पर अपने आप पर कम्ट्रोल करके पड़ा रहा

थोड़ी देर मे मंजुबाई कमरे के अंदर आई दरवाजा लगाकर मेरे पास आकर बैठ गयी "तो मज़ा आया मेरे बेटे का लंड चूस कर मुन्ना?" आँख मारकर मुस्कराते हुए उसने पूछा

मैं शरमा कर बोला "हाँ बाई, बहुत स्वाद आया"

अपनी चोली उतारते हुए मंजू बोली "रघू कहा रहा था कि तू जनमजात गान्डू और चुदक्कड है, इतना मस्त चूसा तूने उसका लौडा पहली बार मे कि तुझ पर मर मिटा है वह कह रहा था कि साधी हुई रंडियाँ भी इतना मस्त नहीं चुसतीं" अपनी प्रशंसा सुनकर मैं और शरमा गया पर अब मेरी आँखें मंजू बाई पर लगी हुई थीं
 
अब तक उसके मम्मे नंगे होकर मेरे सामने आ गये थे मस्त मांसल चोटी पर एकदम कडक चुचियाँ थीं उसकी, नासपाती जैसी निपल छोटे छोटे भूरे रंग के बेरों जैसे थे बड़ी सहजता से उसने मुझे पास खींचा और एक चूची मुँह मे दे दी "चूस ले, वैसे इसमे अब दूध नहीं आता पर तुझे अपनी बुर का पानी ज़रूर चखा सकती हूँ दूध पीना तू अपनी अम्मा का, एक अच्छे बेटे जैसे"

मंजू के कड़े निपल मैं मन लगा कर चूस रहा था बहुत मज़ा आ रहा था पर माँ के दूध की बात सुनकर मैं चकरा गया अम्मा के स्तनों मे दूध आता है? लंड उछलने लगा मंजू मेरी परेशानी देखकर बोली "अरे अचरज की क्या बात है दो साल पहले रघू ने चोद कर उसे फिर माँ बना दिया था बच्चा जानने वह मेरे गाँव मे चली गयी थी वहीं के ज़मीनदार को बच्चा नहीं था उसने गोद मे ले लिया अब मालकिन को ऐसा दूध छूटता है जैसे दुधारू गाय हो"

मैंने पूछा "किसे पिलाती है अम्मा?"

"हम दोनों को पिलाती है अब तुझे पिलाएगी उस रात तू जल्दी चला गया लगता है चुदाई के बाद उसका दूध पीते हैं दूध हमे ताज़ा कर देता है उसका गरमा मीठा दूध फिर चुदाई शुरू करने की ताक़त आ जाती है दिन मे भी दो तीन बार मिल जाता है" कहकर मंजू ने अपनी साड़ी भी उतार दी वह अंदर कुछ और नहीं पहनती थी इसलिए अब मादरजात नंगी मेरे सामने बैठी थी रघू ने ठीक कहा था, एकदमा घनी झान्टे थीं उसकी उनके बीच बुर की लाल लकीर दिख रही थी अपनी बुर मे उंगली करते हुए बोली "मुन्ना, चूत देखी है कभी?"

मैंने कहा नहीं देखी मेरी साँसें अब ज़ोर से चल रही थीं मंजू की चिकनी साँवली पुष्ट टाँगें मुझे बहुत अच्छी लग रही थीं लगता नहीं था कि चालीस साल की होगी तीस साल की जवान औरत सी लगती थी मेरी आँखों मे उभर आए कामना के भाव से वह बहुत खुश हुई "पसंद आई मंजू बाई लगता है मुन्ना! याने अभी मेरी इतनी उमर नहीं हुई कि तुझ जैसे बच्चे को ना रिझा सकूँ अरे चूत चाट कर देख, निहाल हो जाएगा रघू तो चूसता ही है, तेरी माँ भी इस बुर की दीवानी है ले स्वाद देख" कहकर उसने बुर से निकाल कर मेरे मुँह मे उंगली डाल दी

उंगली पर चिपचिपा सफेद शहद जैसा लगा था भीनी मादक खुशबू आ रही थी मैंने उंगली मुँह मे लेकर चुसी तो बहुत अच्छा लगा मेरे चेहरे के भाव देखकर मंजू ने मुस्काराकर मेरा सिर अपनी जांघों के बीच खींच लिया "मैं जानती थी तुझे पसंद आएगा ले चाट ले बेटे, मुँह मार ले मेरी बुर मे"

मुँह लगाने के पहले उस लाल रिसती बुर से खेलने का मेरा मन हो रहा था मैंने मंजू की बुर मे उंगली डाल दी तपती गीली बुर मे उंगली सट से चली गयी मैंने दो उंगली डालीं मंजू बोली " अरे बेटे, चल सब उंगली डाल दे, हाथ भी चला जाएगा तेरा"
मैंने चार उंगलियाँ मंजू की चूत मे डाल दीं सच मे बुर क्या थी, भोसडा था! "हाथ डाल ना पगले खेल ले मन भर कर, फिर चूसने लग जा" मंजू को बुर चुसवाने की जल्दी हो रही थी

मैंने उंगलियाँ आपस मे सटाकर धीरे से अपने हथेली अंदर डालना शुरू की उसकी चूत रबर की थैली जैसे फैल गयी और सट से मेरा हाथ अंदर चला गया लग रहा था जैसे मखमल की गीली तपती थैली मे हाथ डाला है "मंजू बाई, बहुत अच्छा लग रहा है गरमा गरमा है तुम्हारी चूत"

"और अंदर डाल! देख मंजुबाई की चूत की गहराई अरे मैं तो तुझे पूरा अंदर ले लूँ, तेरा हाथ क्या चीज़ है!" मंजू मस्ती मे आकर बोली मैंने हाथ और अंदर घुसेडा आधी कोहनी तक मेरा हाथ घुस गया हाथ मे अंदर कुछ गोल गोल गेंद जैसा आया उसे पकड़ा तो मज़ा आ गया "ये क्या है मंजू बाई?" मैंने पूछा

सिसकारियाँ लेते हुए मंजु बोली "मेरी बच्चेदानी का मुँह है राजा हाय मुन्ना, आज मज़ा आ गया बहुत दिन बाद किसीने हाथ डाला अंदर बचपन मे रघू डालता था अब लंड डालता है पर ऐसे पकड़ने से बहुत मज़ा आता है अंदर बाहर कर ना अपना हाथ! ज़रा दबा मेरी बच्चेदानी का मुँह" मैं हाथ अंदर बाहर करके मंजू की मुठ्ठ मारने लगा बीच मे उंगलियों से उस गेंद को मसल देता था मंजू को इतना मज़ा आया कि वह कसमसा कर झड गयी हान्फते हुए दो मिनट रुकी और फिर बोली "निहाल कर दिया रे लडके तूने, मज़ा आ गया अगली बार कंधे तक तेरा हाथ बुर मे लूँगी मेरा बस चले तो तुझे पूरा अपनी बुर मे घुसेडकर छुपा लूँ! पर अब चूस ले रे मेरे राजा आज तो इतना शहद निकाला है तूने, तेरा हक है उस पर"
मैंने हाथ मंजू की बुर से बाहर निकाला उसपर गाढा सफेद घी जैसा लगा था मंजू मेरी ओर देख रही थी कि मैं क्या करता हूँ मैंने जब अपना हाथ चाटकर सॉफ किया तो आनंद से उसकी आँखें चमकाने लगीं हाथ पूरा चाट कर फिर मैं झुक कर मंजू की बुर चाटने लगा मंजू ने मेरा सिर अपनी बुर पर दबा लिया और कमर हिला हिला कर बुर चुसवाने लगी

मंजू ने खूब देर अपनी चूत मुझसे चटवायी अलग अलग तारीक़ सिखाए कुत्ते जैसे पूरी जीभ निकालकर बुर को उपर से नीचे तक चाटना, छेद के अंदर जीभ डालना, मुँह मे भगोष्ठ लेकर आम जैसा चूसना, दाने को जीभ से रगडना, सब मैंने उसी दिन सीख लिया
 
वह बहुत खुश थी "मस्त चूसता है तू मुन्ना एक दिन मे एक्सपर्ट हो गया बदमाश! मालकिन बहुत खुश होगी दिन रात अपने बेटे से बुर चुसवाएगी वह हरामन" प्यार से गाली देते हुए वह बोली

"अब मुझे चोदने दो ना बाई" मैंने आग्रह किया लंड कस कर तन्नाया था और मुझसे रहा नहीं जा रहा था

"आज नहीं बेटे, अभी मैं चूस लेती हूँ चुदवाउन्गि कल रघू के सामने पर आज रात मैं तेरे साथ सोऊन्गि रात भर मज़ा करेंगे"

"रघू आज नहीं आएगा बाई?" मैंने पूछा मुझे निराशा भी हुई थी कि रघू का लंड चूसने का मौका अब कल ही मिलेगा खुशी भी थी कि मंजू के साथ अकेले मज़े करूँगा रघू का लंड आज लेने से बच गया इससे भी एक राहत सी लग रही थी
"आज उसे काम है मुन्ना कल से वह भी हमारे साथ सोएगा जब तक तेरी माँ ठीक नहीं हो जाती अब आ, मुझे लंड दे अपना" मंजू बोली मुझे पास खींचकर उसने मेरा लंड मुँह मे लिया और दो मिनिट मे चूस कर झडा दिया मुझे बहुत मज़ा आया मंजू के चूसने का ढंग अलग था पर रघू के चूसने का जादू कुछ और ही था

झड कर मैं सुसताने लगा होंठो पर जीभ फिराती हुई मंजू बोली "अब आराम कर मैं खाना बनाती हूँ पर पहले जाकर मालकिन का दूध पी आऊ उनकी चूचिया भर कर सनसना रही होंगीं"

"मैं भी आऊ अम्मा का दूध पीने?" मैंने उत्साह से पूछा

"नहीं, इन माहवारी के दिनों मे वह चिडचिडी हो जाती है मुझे छोड़ कर किसी को पास नहीं आने देती, रघू को भी नहीं" कहकर मंजू चली गयी मैं पड़ा पड़ा रात के बारे मे सोचने लगा

रात को सब सॉफ सफाई करके मंजू मेरे कमरे मे आई तो मैं नंगा पड़ा पड़ा लंड मुठिया रहा था "मुठ्ठ मार रहा है शैतान? अब इस घर मे कभी मुठ्ठ मारी तो बहुत मारूँगी जब भी लंड खड़ा हो, मेरे पास चले आना"

मंजू ने कपड़े उतारे और मुझे लेकर पलंग पर लेट गयी मेरा सिर अपनी बुर मे खींचते हुए बोली "अब पहले चूस ले मेरी बुर, तू बहुत अच्छा चूसता है आज मन भर कर चुसवाउन्गि"
दो घंटे कैसे बीत गये पता ही नहीं चला मंजू ने लगातार मुझसे चूत चुसवाई, मम्मे दबवाए और मुझसे अपने निपल चुसवाए उस रात उसने कटोरी भर चूत का रस मुझे पिलाया होगा आख़िर मैं तडपने लगा लंड अब ऐसा उछल रहा था कि मैं पागल हुआ जा रहा था

मेरी हालत देख कर वाहा बोली "चल अब तुझे इनाम देती हूँ गान्ड मारेगा मेरी?"

मैं खुशी से उछल पड़ा "बाई, मख्खन लाऊ? तुम्हारी गान्ड चिकनी करने को?"

मम्जू झल्लाई "तू इधर आ, बड़ा आया है मख्खन वाला मख्खन लगेगा कल जब रघू आएगा मैं रघू का लेती हूँ गान्ड मे, तेरी प्यारी मिर्ची तो ऐसे ही चली जाएगी अब आ और मैं कहती हूँ वैसे कर मुझपर चढ और मेरी बुर मे लंड डाल चोद दो मिनिट झडना नहीं नहीं तो हग्गू मार मारूंगी"

मैं खुशी खुशी मंजू पर चढा और उसकी बुर मे लंड डाल दिया तपते गीले उस कुएँ मे वह ऐसा समाया कि पता ही नहीं चला मंजू ने मुझे छाती से चिपटा लिया और मेरे मुँह मे चूची ठूंस दी मैं मंजू की चूची चूसता हुआ चोदने लगा बुर ढीली थी फिर भी मज़ा आ रहा था मंजू ने एक उंगली अपनी बुर के पानी से गीली की और मेरी गान्ड मे डाल दी
 
मैं चिंहूक उठा "क्या कर रही हो बाई? दुखता है!"

"अरे एक उंगली मे तू कसमसा गया? फिर कल तेरा क्या हाल होगा लल्ला? इस गान्ड मे तो अभी क्या क्या घुसने वाला है तुझे मालूम नहीं" मंजू ने उलाहना दिया मैं डर से सकपका गया

दो मिनिट बाद मंजू ने मुझे उठने को कहा मैं उठ कर बैठ गया मंजू पलट कर ओंधी लेट गयी अपनी उंगली पर अपनी चूत का पानी लेकर वह अपनी ही गान्ड मे चुपडते हुए बोली "देख क्या रहा है? मेरी गान्ड गीली कर ऐसे ही" मैने अपनी उंगलियों मे मंजू की बुर का रस लेकर उसकी गान्ड मे चुपडना चालू कर दिया मंजू की गान्ड मस्त थी, बहुत टाइट नहीं थी फिर भी उसकी गान्ड का छल्ला मेरी उंगली को पक पक करके पकड़ रहा था

"अब चढ जा इसके पहले कि रस सुख जाए" मंजू के कहने पर मैं उसपर चढ कर अपना लंड उसकी गान्ड मे पेलने लगा सट से एक बार मे पूरा लंड अंदर हो गया मंजू ने मेरे लंड को गान्ड मे जकड लिया और मुझे बोली "अब मार राजा, जितना मन चाहे मार"

मंजू पर लेट कर मैं उसकी गान्ड मारने लगा "हाथ मेरे नीचे डाल और मेरी चूचिया दबा" मंजू बोली उसकी चूचिया दबाते दबाते मैं कस कर उसकी गान्ड चोदने लगा आराम से मेरा लंड उसकी गान्ड मे अंदर बाहर हो रहा था मंजू बीच बीच मे उसे जकड लेती थी जिससे मेरा सुख दूना हो जाता था मैं सुख से सिसक उठा 

मंजू बोली "मज़ा आया ना मुन्ना? अरे अब मरवा मरवा कर ढीली हो गयी है मेरी गान्ड नहीं तो ऐसी टाइट थी कि लंड घुसता नहीं था अब तुझे असली मज़ा आएगा अपनी मा की कुँवारी गान्ड मारने मे बस तीन चार दिन रुक जा, फिर तुझे तेरी अम्मा पर चढवा देती हूँ मैं"

आख़िर मैं झडा और सुसताने लगा मंजू ने मुझे हटाकर नीचे लिटाया और मेरे उपर चढ कर अपनी चूत मेरे मुँह पर देकर बैठ गयी "अब चूस राजा तुझसे मरा कर फिर बुर पासीज रही है मेरी रात भर चूस मुझे खुश किया तो फिर एक बार और मारने दूँगी अपनी गान्ड"

रात भर हमारी रति चलती रही मंजू ने मुझसे खूब चूत पूजा करवाई बीच मे थक कर मैं सो गया पर मंजू ने रात मे कई बार मुझे जगाया और बर चुसवाई आखरी बार सुबह सुबह मुझे उठा कर उसने चूत चुसवा ली और फिर इनाम मे मुझे अपनी गान्ड एक बार मारने दी उसकी गान्ड मार कर मैं जो सोया वो स्कूल जाने के समय ही उठा

जल्दी जल्दी तैयार होकर मैं रघू के साथ निकला स्कूल का समय हो गया था आज रघू बीच मे जंगल मे नहीं रुका, सीधा मुझे स्कूल ले जाने लगा उसका लंड वैसे ज़ोर से खड़ा था मुझे साइकिल के डंडे पर बैठकर अपनी पीठ पर उसका आभास हो रहा था उसे चूसने को मैं लालायित हो उठा था मैं ज़रा निराश होकर रघू से बोला "रघू दादा, आज नहीं रुकोगे जंगल मे?"

रघू मुझे छू कर बोला "नहीं मुन्ना, देर हो जाएगी, और वैसे भी आज मैं अब सीधा रात को मिलूँगा तुझसे, अपनी अम्मा के साथ तब मज़ा करेंगे मालूम है, मैं सुबह से नहीं झडा हूँ मा को भी नहीं चोदा तेरे लिए अपना लंड बचा कर रखा है"

शामा को जब मैं घर पहुँचा तो मंजू मा के कमरे से मुँह पोंछते हुए निकल रही थी शायद मा का दूध पी कर आई थी मुझे बोली "मुन्ना, बहुत दूध देती है तेरी मा, अब तीन चार दिन सिर्फ़ मैं ही पीती हूँ, मेरा पेट भर जाता है, खाना खाने की भी ज़रूरत नहीं लगती जब तू चोदने लगेगा तो मैं शर्तिया कहती हूँ, हम तीनों के लायक दूध देगी ये दुधारू गैया बेच भी सकते हैं, इतना दूध निकलेगा देखना" और हँसने लगी

सुबह से मैं झडा नहीं था मंजू को चिपट कर उसके पेट पर लंड रगडते हुए बोला "बाई, चलो, चोदेन्गे"

मंजू हँसने लगी "आज अब रात को मेरे राजा जल्दी खाना बनाती हूँ आज रघू भी रहेगा तब तक सबर कर"

बड़ी मुश्किल से ये तीन चार घंटे कटे मैं मुठ्ठ ना मारूं इसलिए मंजू ने मुझे अपने सामने ही रसोई मे बिठा कर रखा
आख़िर रात का खाना पीना समाप्त हुआ और हम मेरे कमरे मे गये रघू साथ मे मखखां का डिब्बा लेकर आया था मैं फटाफट नंगा हो गया मंजू कपड़े उतारते हुए हँस कर बोली "देखा बेटे, मुन्ना कैसा मस्त है! दो दिन मे कैसा चोदू हो गया है देख"

रघू ने भी अब तक अपने कपड़े उतार दिए थे मुझे गोद मे लेता हुआ बोला "आज इसे चोदू के साथ गान्डू भी बना देंगे अम्मा" उसके सजीले गठीले शरीर ने मेरे उपर जादू सा कर दिया मैं खुशी खुशी उसकी गोद मे बैठ गया
 
मा बेटे मिलकर मुझे बारी बारी से चूमते हुए प्यार करने लगे कभी मंजू मेरा चुम्मा लेती कभी रघू बीच मे वी आपस मे चूमा चाटी करने लगते रघू मंजू के मम्मे भी मसल रहा था मैं मंजू की चूत और रघू के लंड के पीछे लगा था मौका मिलते ही मंजू की बुर मे उंगली करता और फिर रघू का लंड पकडकर हिलाने लगता आज वह ज़्यादा ही मोटा और कड़ा लग रहा था 

मैने जब रघू से कहा तो वह हँसने लगा "हाँ मुन्ना, एक दिन से ज़्यादा हो गया झडकर कल तुझे चुसवाने के बाद से मैं झडा नहीं हूँ बहुत मज़ा आ रहा है, मस्त खड़ा है साला जान बुझ कर ऐसा किया है मैने, आज के ख़ास मौके का पूरा मज़ा तभी आएगा जब लंड कस कर तन्नाया हुआ हो"

मेरा लंड अब तक इतना सनसनाने लगा था कि मैं और ना सह सका यह भी नहीं पूछा कि वह किस ख़ास मौके की बात कर रहा है "मंजू बाई, गान्ड मारने दो ना कल की तरह"

मा बेटे की नज़रें मिलीं और आपस मे कुछ इशारे हुए फिर मंजू बोली "मेरी गान्ड तो तूने दो बार मारी कल और भी मार लेना आज एक और गान्ड मार ले, मस्त मोटी ताजी और जानदार है टाइट भी है"

"किसकी अम्मा?" मैने उत्सुकता से पूछा "मा की?"

"नहीं रे राजा, तेरी मा अभी हाथ भी नहीं लगाने देगी मैं बात कर रही हूँ मेरे इस जवान बेटे की, रघू की इसे भी चुदने की इच्छा होती है पर और कोई मर्द तो है ही नहीं मैं उंगली से या गाजर से कभी कभी इसकी गान्ड चोद देती हूँ पर अब तेरा मस्त लंड है, मार ले इसकी"

रघू बिस्तर पर ओँधा लेटते हुए बोला "हाँ मुन्ना, मार ले मेरी आज तुझे भी मज़ा आएगा" और अपने चूतड इधर उधर हिलाने लगा जैसे रंडियाँ करती हैं

मैं चुप था पर लंड रघू के वह मासल पुष्ट चूतड देखकर उछलने लगा था बड़े बड़े तरबूज जैसे चूतड एकदम चिकने थे मैने उनपर हाथ फिराना शुरू किया एकदमा ठोस नितंब थे

मेरे चेहरे पर के भाव देखकर मंजू बोली "मुझे मालूम था तुझे पसंद आएगी मेरे बेटे की गान्ड ले मख्खन लगा ले इसकी गान्ड के छेद मे मैं तेरे लंड पर चुपड देती हूँ"

मैने उंगली पर मख्खन लेकर रघू की गान्ड के छेद मे चुपडा उंगली अंदर डाली तो पता चला क्या मस्त कसा छेद है मेरी उंगली को उसका छल्ला कस कर पकड़े हुए था

"आहह हाइईईईईईईईईईईईईईईईईई मज़ा आ गया मुन्ना, दो उंगली डाल दे मेरी जान" रघू मस्ती मे बोला मैने दो उंगली से खूब देर मख्खन चुपडा फिर मुझसे ना रहा गया और मैने मुँह मे लेकर उंगलियाँ चाट डालीं इतना ही नहीं झुक कर रघू के चूतड चूम लिए
मंजू खिलखिला पडी "यह हुई बात, असली चोदू है मेरा मुन्ना गान्ड का स्वाद लेने से घबराता नहीं है पर शैतान, कल तूने मेरी गान्ड नहीं चुसी अबकी बार मारने के पहले मेरी गान्ड चूसना पडेगी तभी मरवाउंगी"

रघू उतावला हो रहा था "अब चढ जा मुन्ना डाल ले जल्दी से"

मैने रघू पर चढकर अपना लंड उसकी गान्ड मे पेल दिया सटाक से सुपाडा अंदर हो गया बहुत टाइट छेद था सिसक कर मैने पूरा ज़ोर लगाया और पक्क से जड तक लंड रघू के चूतडो के बीच उतार दिया
 
"वाह मुन्ना, मेरे शेर, मज़ा आ गया राजा! मस्त कडक है तेरा लौडा अब लेट जा और मार अम्मा, तू क्यों बैठे बैठे मुठ्ठ मार रही है? मुझे चूत चुसा दे" रघू के आग्रह पर मंजू पैर फैलाकर उसके सिरहाने बैठ गयी और अपने बेटे को चूत चुसाने लगी उधर मैं रघू पर लेट कर उचक उचक कर उसकी मारने लगा

"रघू दादा, बहुत मज़ा आ रहा है झड जाऊन्गा" तिलमिला कर मैने कहा रघू अपनी गान्ड का छल्ला बार बार सिकोड रहा था, मेरे लंड मे इससे जो मस्ती भरी सनसनाहट दौड जाती थी, वह मुझे सहन नहीं हो रही थी

"ऐसा जुल्म ना कर मुन्ना, और देरी तक मार राजा मुझे भी मज़ा लेने दे पहली बार तेरे जैसा खूबसूरत लंड गान्ड मे लिया है रे मैने" रघू मंजू की चूत मे से मुँह उठा कर बोला

मैने किसी तरह अपने आप पर काबू किया दस पंद्रहा मिनिट हमारा संभोग चला मंजू मेरे सामने बैठी थी इसलिए बार बार मुझे चूम लेती थी और कभी अपनी चूची मेरे मुँह मे ठूंस देती थी

"मज़ा आ गया अम्मा, बहुत मस्त गान्ड मारी मेरी मुन्ना ने" मेरे झडने पर रघू बोला मैं झड कर लस्त पड़ा था रघू उठ कर बैठ गया उसका लंड अब ये तन कर झंडे की तरह खड़ा था "ले मुन्ना, चूसेगा?" कहकर उसने मेरे मुँह मे लौडा दे दिया मैं सुपाडा चूसने लगा

"अरे मुन्ना को पूरा लौडा नहीं चुसवाया तूने? सीखा दे बेटा पूरा मुँह मे लेकर चूसने का मज़ा ही और है" मंजू मेरे लंड को हथेलियों से मसलते हुए बोली 

"सीखा दूँगा अम्मा, आज कल मे ही सिखा दूँगा अब गान्ड मारने दे आज का इंतजार मैं कब से कर रहा हूँ" रघू मेरे बाल सहलाता हुआ बोला

मैं मचल गया "मन्जुबाई, तुम रघू का लंड चूस कर दिखाओ ना! तुम मुँह मे ले लेती हो पूरा?"

मंजू बोली "बिलकुल ले लेती हूँ मेरे लाल रघू आ बेटे, मैं चूस लूँ, दो तीन दिन हुए तेरा लंड चूसे" और रघू को पलंग के किनारे बिठाकर खुद उसके सामने नीचे बैठ गयी
"चूस ले अम्मा, पर झडाना नहीं आज मैं सीधे गान्ड मारूँगा" रघू अपनी मा के सिर को पकडकर अपने पेट पर दबाता हुआ बोला

मंजू ने मुँह खोला और रघू का सुपाडा मुँह मे लिया फिर बड़ी आसानी से वह उसका लंड निगलने लगी जैसे गन्ना चूस रही हो एक मिनिट के अंदर उसके होंठ रघू के पेट से जा लगे मंजू के गाल फूल गये थे और गले का आकार भी बढ़ गया था मंजू के सिर को रघू ने कस कर अपने पेट पर भींच लिया और धीरे धीरे उपर नीचे होकर मंजुका गला चोदने का मज़ा लेने लगा "देख मुन्ना, कैसा पूरा निगला है मेरी अम्मा ने तेरी मा भी मस्त करती है अब तू भी सीख लेना"

मैं मंजू की ओर देख रहा था कि उसे तकलीफ़ तो नहीं हो रही है पर वह चुदैल औरत आँखें बंद करके मज़ा लूट रही थी चेहरे पर ऐसे भाव थे जैसे मीठा गन्ना चूस रही हो
 
दो मिनिट मे रघू ने लंड बाहर खींच लिया "अम्मा, अब छोड़ नहीं तो झडा देगी मुझे अब तो मैं गान्ड मारूँगा सहन नहीं होती ये चुदासी अब" वह तडप कर बोला

"ठीक है, तू लंड मे मख्खन लगा ले मैं भी ज़रा मुन्ना को चूत चुसवा दूं" मंजू मेरे मुँह पर अपनी बुर जमाती हुई बोली

दस मिनिट मे मेरा मस्त खड़ा हो गया मंजू की बुर की सुंगंध और रस के स्वाद का जादू ही ऐसा था "आ बेटे, अब चोद ले मुझे, पर आराम से झडना नहीं"

मेरा लंड चूत मे लेकर मंजू ने मुझे अपने उपर लिटा लिया मुझे चिपटाकर वह मुझे चूमने लगी मैने दो चार धक्के उसकी गीली चूत मे लगाए तो मज़ा आ गया "अब रुक मुन्ना, ऐसा ही पड़ा रहा रघू बेटे, चल अपना काम शुरू कर गान्ड मे मख्खन लगा"

मैं यही समझ रहा था कि मंजू एक साथ चुदना और गान्ड मराना चाहती है इसलिए शायद अब पलट कर मुझे नीचे लेकर ओंधी सोएगी इसलिए जब वह वैसे ही मुझे छाती से लगाकर चित पडी रही तो मैं सोचने लगा कि रघू कैसे मंजू की गान्ड मे मख्खन लगाएगा जबकि वह मेरे नीचे दबी पडी है! 

पर जब अगले ही क्षण रघू की उंगली मेरी गान्ड मे घुस कर मख्खन चुपडने लगी तो मैं बिचक गया ये मेरी गान्ड मारने की तैयारी हो रही थी! डर से मैं चिल्ला उठा "बाई, रघू को देख क्या कर रहा है!"

"ठीक ही तो कर रहा है मुन्ना, बिना मख्खन के तेरी मारेगा तो तेरी नन्ही नरम गान्ड फट जाएगी" मंजू ने मुझे समझाया मैं सकते मे था कल से कई बार मुझे अपना लंड देने की बात रघूने ज़रूर की थी पर इतनी जल्दी वह मेरी गान्ड मारने पर तूल जाएगा यहा मैने नहीं सोचा था

उधर रघू मख्खन के लौदे पर लौंदे मेरी गान्ड मे भर रहा था उस चिकने ठंडे स्पर्ष से मुझे मज़ा भी आ रहा था पर इतना मख्खन गान्ड मे भरे जाने पर रघू के लंड की मेरे छेद मे कल्पना करके मैं रुआंसा होकर शिकायत करने लगा "रघू, रुक जाओ ना! कितना मख्खन भरोगे मेरी गान्ड मे बाई, रघू से कहो ना आज मेरी गान्ड ना मारे बाद मे मार ले! मुझे डर लग रहा है"

"नहीं मुन्ना, कभी ना कभी तो तुझे मराना ही है रघू से आज ही मरा ले रघू तो कल से बेचैन है मालूम है इसने कल से मुझे भी नहीं चोदा? तूने ठीक किया रघू बेटा, पूरी कटोरी मख्खन भर दे मुन्ना की गान्ड मे तेरा लौडा गहरा पेट तक जाएगा इस कुँवारी गान्ड मे इसलिए अंदर तक मख्खन लगाना ज़रूरी है"

रघू उंगली से मख्खन चुपडता हुआ बोला "घबरा मत मुन्ना, प्यार से मारूँगा, धीरे धीरे आराम से तेरी गान्ड मे लंड दूँगा आख़िर अब रोज मारनी है तेरी, फाड़ दूँगा तो मुझे ही बाद मे मुश्किल होगी, मज़ा थोड़े ही आएगा फटी गान्ड मारने मे चल अब तैयार हो जा अम्मा मुन्ना को ठीक से पकड़ लो"

मंजू ने मुझे बाँहों मे जकड़ा और मेरा सिर अपनी छातियों पर दबा दिया मुँह मे चूची देते हुए बोली "चूची चूसो बेटे, चिल्लाना नहीं दुखेगा पर बाद मे मज़ा आएगा और तेरी मा ने भी कहा है मंजू बाई और रघू की बात मानना नखरा करेगा तो शिकायत कर दूँगी फिर मार पड़े तो बोलना नहीं"

मैं मंजू की चूची चूसता धडकते दिल से गान्ड मे रघू का लौडा घुसने का इंतजार करने लगा ऐसा डर लग रहा था जैसे बिना बेहोश किए कोई मेरा ओपरेशन कर रहा हो! मेरा डर कम करने को मंजू बड़ी चतुराईसे मेरा लंड अपनी चूत मे पकडकर दूहा रही थी जिससे मुझे मज़ा आ रहा था

मुझे अपनी गुदा पर रघू का गेंद जैसा सुपाडा महसूस हुआ "अम्मा, मुन्ना के चूतड फैला ज़रा मुन्ना तू टट्टी करते समय करता है वैसे कर, गान्ड खोल" मंजू ने मेरे चूतड कस कर फैलाए और मैने भी साँस रोककर ज़ोर से अपना गुदा खोला रघू ने पक्क से एक ही धक्के मे पूरा सुपाडा मेरी गान्ड मे उतार दिया

मैं दर्द के लिए तैयार था फिर भी बिलबिला उठा मेरा पूरा शरीर थरथराने लगा जैसे बुखार चढ आया हो लग रहा था जैसे किसीने घूँसा बनाकर हाथ ही गान्ड मे डाल कर चीर दिया हो! मंजू की चूची मुँह मे होने से मेरी चीख दबी रहा गयी मंजू ने तुरंत मुझे चूमना और प्यार करना शुरू कर दिया रघू भी मेरे नितंब सहलाने लगा "बस बस मुन्ना, हो गया राजा, सुपाडा ले लिया अब लंड मे तकलीफ़ नहीं होगी"
 
रघू उंगली से मख्खन चुपडता हुआ बोला "घबरा मत मुन्ना, प्यार से मारूँगा, धीरे धीरे आराम से तेरी गान्ड मे लंड दूँगा आख़िर अब रोज मारनी है तेरी, फाड़ दूँगा तो मुझे ही बाद मे मुश्किल होगी, मज़ा थोड़े ही आएगा फटी गान्ड मारने मे चल अब तैयार हो जा अम्मा मुन्ना को ठीक से पकड़ लो"

मंजू ने मुझे बाँहों मे जकड़ा और मेरा सिर अपनी छातियों पर दबा दिया मुँह मे चूची देते हुए बोली "चूची चूसो बेटे, चिल्लाना नहीं दुखेगा पर बाद मे मज़ा आएगा और तेरी मा ने भी कहा है मंजू बाई और रघू की बात मानना नखरा करेगा तो शिकायत करा दूँगी फिर मार पड़े तो बोलना नहीं"

मैं छटपटा रहा था आँख से आँसू बहा रहे थे पर एक अजीब खुशी थी मन मे कि आख़िर मैं रघू के खूबसूरत लौडे को गान्ड मे लेने मे कामयाब हो गया था! धीरे धीरे मेरा दर्द कम हुआ जब मेरा छटपटाना बंद हो गया तो रघू मेरी पीठ चूम कर बोला "अब धीरे धीरे लंड उतारता हूँ मुन्ना आरामा से पड़ा रहा बस गान्ड ढीली छोड़"

इंच इंच करके रघू ने लंड मेरी गान्ड मे डाला जब बहुत दर्द होने लगता तो मैं हुमक उठता और छटपटाने लगता तब रघू लंड पेलना बंद कर देता आख़िर दस मिनिट बाद रघू का पेट मेरे चूतडो पर लगा और वह मेरे उपर लेट गया "हो गया अम्मा बहुत प्यारा गान्डू बच्चा है कितने आसानी से मेरा लंड ले लिया! तू भी नखरे करती थी, इसने ज़रा भी नखरा नहीं किया"

मुझे ऐसा लग रहा था जैसे किसीने पूरा हाथ अंदर डाल दिया हो पेट तक रघू का लौडा घुस गया था बड़ी पीडा हो रही थी मैं सिसकता हुआ पड़ा रहा रघू प्यार से मेरे बदन को सहला रहा था 

पाँच मिनिट बाद दर्द कुछ कम हुआ और मुझे कुछ कुछ मज़ा आने लगा कसी हुई गान्ड मे उस लोहे जैसे लंड का दबाव बहुत मादक लग रहा था मैं अब तक चुपचाप रोता हुआ पड़ा था, अब मस्ती मे आकर मंजू की चूची चूसने लगा और उसकी बुर मे लंड मुठियाने लगा

"तवा गरम हो गया बेटे, अब पराठा सेको मुन्ना तैयार है मराने को, है ना राजा?" मंजू हँस कर बोली मैं अब सुख मे डूबा हुआ था दर्द अब भी हो रहा था पर लंड मे इतनी मीठी कसक हो रही थी कि रहा नहीं जा रहा था

"मैं कहता था ना मुन्ना मज़ा आएगा! अरे गान्ड मराने मे जो मज़ा है वो किसी मे नहीं इसलिए तो साले इतने चोदू मर्द मराते भी हैं अब तू आरामा से लेटा रहा और अम्मा की चूची चूस मैं तेरे गान्ड मारता हूँ अम्मा अपने आप चुदेगी तुझसे" कहकर रघू धीरे धीरे अपना लंड मेरी गान्ड मे अंदर बाहर करने लगा दर्द से मैं फिर बिलबिला उठा पर किसी तरह चीख मुँह मे दबाए रखी सच बात तो यह थी कि अब मैं भी मराना चाहता था, कितना भी दर्द क्यों ना हो
 
रघू धीरे धीरे लौडा पेलता रहा जल्द ही वह अपने धक्कों का ज़ोर बढ़ाने लगा अब वह पाँच छह इंच लंड मेरी गान्ड से निकालता और फिर अंदर घुसेड देता मख्खन से चिकनी गान्ड मे आसानी से उसका लंड फिसल रहा था पूचुक पूचुक ऐसी मस्त आवाज़ भी आ रही थी

"हाय मज़ा आ गया मुन्ना! तेरे पे कुर्बान जाऊ मेरी जान क्या गान्ड है तेरी! मखमली कसी चूत समझ लो बच्चाचूत है, हाय हाय राजा, मैं तो तेरा गुलाम हो गया" कहता हुआ रघू हचक हचक कर मेरी गान्ड मारने लगा उसके और मंजू के बीच मे मे पिसा जा रहा था पर बहुत मज़ा आ रहा था रघू के धक्कों से अपने आप मेरा लंड मंजू की चूत मे अंदर बाहर हो रहा था

कुछ देर बाद मैं एक हिचकी के साथ कस कर झड गया लंड मे होते अती तीव्र सुख से मुझे गश सा आ गया "मुन्ना झड गया रघू बेटे अब तू भी मार ले उसकी"

रघू मुझे चोदते हुए बोला "नहीं अम्मा, अभी नहीं, ये अनमोल चीज़ मिली है तो अभी घंटे भर और मारूँगा आज रात भर मुन्ना की गान्ड मे लंड रहेगा मेरा तू पडी रह मुन्ना पूरा झड जाए तो बताना उसकी मलाई खाऊन्गा तेरी चूत से"

पाँच मिनिट बाद मंजू हमारे नीचे से निकली और सामने बैठ गयी उसकी चुदी बुर मे से मेरा वीर्य बह रहा था रघू ने जीभ निकालकर उसे चाटा और फिर मुझे गोद मे लेकर पलंग के सिरहाने से टिककर बैठ गया मेरे गाल और कान बड़े लाड से चूमते हुए बोला "थोड़ी देर रुकता हूँ, फिर तेरी मारूँगा मुन्ना अब एकदमा मस्त मारूँगा तुझे खुश कर दूँगा तू भी कहेगा कि क्या मारी है रघू दादा ने मेरी कुँवारी गान्ड! चल मीठा चुम्मा दे अब मुझे"

और मेरा सिर अपनी ओर मोडकर रघू मुझे चूमने लगा उसका लोहे जैसा लंड अब भी मेरे चूतडो के बीच गढ़ा था और मेरे पेट तक घुसा हुआ था मेरे पेट के उपर से उसके सुपाडे का आकर दिख रहा था मंजू उसपर प्यार से हाथ फेरकर बोली "बहुत नाज़ुक लौंडा है, देख तेरा लंड भी दिखता है इसके पेट की गोरी चमडी के नीचे"
अब झडने के बाद मस्ती उतरने के कारण मुझे ज़्यादा दर्द हो रहा था पर मैं उसे सहता हुआ रघू के चुम्मो का जवाब दे रहा था मुझे आज समझ मे आया था कि लड़कियों को चुदाने मे क्या मज़ा आता होगा! मैं इसी मूड मे था कि जैसे मैं रघू की चुदैल रंडी बना कर रहूं

रघू ने मेरी जीभ चुसी और अपनी चुसवाई मेरी गान्ड मे अपना लौडा मुठियाते हुए उसने हौले हौले मेरे निपल मसलने शुरू किए मैं सुख से सिसक उठा मुझे बिलकुल अंदाज़ा नहीं था कि मेरे निपालों मे इतनी मीठी अनुभूति हो सकती है मेरे आनंद को देखकर रघू मेरे निपलो को उंगली और अंगूठे मे पकडकर खींचखींचकर उन्हें मस्त करने लगा "अम्मा देख, लड़कियों जैसे खड़े हैं मुन्ना के बेर!" 

मंजू ने बड़ी उत्सुकता से पास आकर उन्हें देखा और फिर झुककर मेरे निपल चूसने लगी बीच मे ही उसने दाँतों से हल्के से उन्हें काट खाया मैं दर्द और मीठी कसक से कराह उठा

"इसकी मा के भी मस्त निप्पल हैं मा पर गया है लड़की होता तो चुचियाँ भी मा जैसी बड़ी बड़ी होतीं इसकी" मंजू मज़ाक करते हुए बोली फिर झुक कर मेरा लंड अपनी चूची से रगडने लगी कुछ ही देर मे मैं फिर तन्ना गया और रघू की गोदी मे हिल डुलकर उसके लंड से अपनी गान्ड चुदवाने की कोशिश करने लगा
 
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