hotaks444
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मेरी पैंट उतार कर उसने मेरे चूतडो पर हाथ फेरा और उन्हें ऐसे दबाया जैसे गेंदे हों "आहा क्या गान्ड हे रे तेरी अनिल राजा! एकदम मख्खन साली छोकरियों की भी इतनी प्यारी नहीं होती" कहकर वह झुककर मेरे नितंब चूमने लगा फिर आवेश मे आकर वह उन्हें बेतहाशा चाटने लगा और सीधे मेरी गान्ड के छेद मे नाक डालकर सूंघने लगा जैसे उसमे इत्र भरा हो सूंघ कर फिर मेरी गान्ड मे उसने जीभ डाल दी
मुझे गुदगुदी हुई तो मैं हँसने लगा "छोड़ रघू, गुदगुदी होती है" मैंने उसका सिर हटाने की कोशिश की पर उसकी ताक़त के आगे मेरी क्या चलने वाली थी ज़ोर ज़ोर से वह मेरी गान्ड चूसता रहा मुझे मज़ा आ रहा था इसलिए ज़रा सा नखरा करके छूटने की दिखाऊ कोशिश करके मैं गान्ड चुसवाता रहा आख़िर अपने आप पर उसने किसी तरह काबू किया और उठ बैठा
"क्या माल है राजा तू मैं तो कच्चा चबा जाऊ तुझे! तेरा गुलाम हो कर रहूं पर चल बहुत हो गया स्कूल भी जाना है" कहकर वह टाँग लंबी करके बैठ गया और मुझे खींच कर मेरा सिर अपनी जाँघ पर लेकर अपना तन्नाया लौडा मेरे होंठों और गालों पर फेरता हुआ बोला "अब चूस ले मुन्ना और देख, मैं झड़ूँगा तो मुँह से गिराना नहीं सब निगल लेना वीर्य मे बड़ी ताक़त होती है तू खा के देख स्वाद भी झकास लगेगा तुझे, फिर मेरे आगे पीछे घुमा करेगा हमेशा- रघू दादा लौडा चुसाओ कहकर"
मैंने मुँह खोल कर फिर उसका सुपाडा निगला और चूसने लगा रघूने एक हाथ से मेरे सिर को थामा और दूसरे हाथ से लंड का डंडा मुठ्ठी मे पकडकर सडका लगाने लगा उसकी साँसें अब तेज चल रही थीं मैं साँस रोके चूस रहा था और वीर्य के फवारे का इंतजार कर रहा था डर लग रहा था कि जाने कैसा लगे? अगर अच्छा नहीं लगा और थूक दिया तो रघू बुरा मान जाएगा
सुपाडा अचानक मेरे मुँह मे ऐसे फूल गया जैसे गुब्बारा हो "देख मुन्ना, अब झडता हूँ, मेरी बात याद रखना आहह हाईईईई " कहकर रघू झड गया गरमा गरमा चिपचिपे वीर्य की पिचकारी सी मेरे मुँह मे छूट पडी उसकी धार इतनी तेज थी कि कुछ बूँदें तो सीधे फवारे जैसी मेरे गले मे चली गयीं
उस चिपचिपे द्रव्य की मुझे पहले थोड़ी उबकाई आई पर मन कड़ा करके मैंने रघू का वीर्य निगलाना शुरू किया जब स्वाद लिया तो मज़ा आ गया; खारी कसैली मलाई जैसा स्वाद था खुशबू तेज और सिर घुमा देने वाली थी मेरा लंड खड़ा हो गया मैंने आँखें बंद की और चूस चूस कर रघू का वीर्य पीने लगा बहुत अच्छा लग रहा था अब मैं समझा कि उन गंदी कहानियों मे औरतें कैसे लंड चूसने को बेताब रहती थीं मैंने अब उसका लंड ऐसे चूसा जैसे गंडरी हो एक भी बूँद मैं छोड़ना नहीं चाहता था
जब उसका लंड ठंडा हो गया तो उसने मेरे मुँह से उसे निकाला लंड बिलकुल सॉफ था, एक भी बूँद वीर्य की नहीं बची थी रघू खुश हो गया "शाबास मुन्ना, सही चूसा तूने मज़ा आया? स्वाद मिला?" मैंने सिर हिलाया तो मेरी आँखों मे झलकती तृप्ति देख कर वह मस्त हो गया "अब देख तेरे साथ क्या मज़ा करता हूँ चल कपड़े पहन ले और स्कूल चल"
मेरा लंड खड़ा था मज़ा आ रहा था मैंने मचल कर कहा "रघू, तू भी फिर एक बार चूस ले ना मेरा लंड "
मुझे गुदगुदी हुई तो मैं हँसने लगा "छोड़ रघू, गुदगुदी होती है" मैंने उसका सिर हटाने की कोशिश की पर उसकी ताक़त के आगे मेरी क्या चलने वाली थी ज़ोर ज़ोर से वह मेरी गान्ड चूसता रहा मुझे मज़ा आ रहा था इसलिए ज़रा सा नखरा करके छूटने की दिखाऊ कोशिश करके मैं गान्ड चुसवाता रहा आख़िर अपने आप पर उसने किसी तरह काबू किया और उठ बैठा
"क्या माल है राजा तू मैं तो कच्चा चबा जाऊ तुझे! तेरा गुलाम हो कर रहूं पर चल बहुत हो गया स्कूल भी जाना है" कहकर वह टाँग लंबी करके बैठ गया और मुझे खींच कर मेरा सिर अपनी जाँघ पर लेकर अपना तन्नाया लौडा मेरे होंठों और गालों पर फेरता हुआ बोला "अब चूस ले मुन्ना और देख, मैं झड़ूँगा तो मुँह से गिराना नहीं सब निगल लेना वीर्य मे बड़ी ताक़त होती है तू खा के देख स्वाद भी झकास लगेगा तुझे, फिर मेरे आगे पीछे घुमा करेगा हमेशा- रघू दादा लौडा चुसाओ कहकर"
मैंने मुँह खोल कर फिर उसका सुपाडा निगला और चूसने लगा रघूने एक हाथ से मेरे सिर को थामा और दूसरे हाथ से लंड का डंडा मुठ्ठी मे पकडकर सडका लगाने लगा उसकी साँसें अब तेज चल रही थीं मैं साँस रोके चूस रहा था और वीर्य के फवारे का इंतजार कर रहा था डर लग रहा था कि जाने कैसा लगे? अगर अच्छा नहीं लगा और थूक दिया तो रघू बुरा मान जाएगा
सुपाडा अचानक मेरे मुँह मे ऐसे फूल गया जैसे गुब्बारा हो "देख मुन्ना, अब झडता हूँ, मेरी बात याद रखना आहह हाईईईई " कहकर रघू झड गया गरमा गरमा चिपचिपे वीर्य की पिचकारी सी मेरे मुँह मे छूट पडी उसकी धार इतनी तेज थी कि कुछ बूँदें तो सीधे फवारे जैसी मेरे गले मे चली गयीं
उस चिपचिपे द्रव्य की मुझे पहले थोड़ी उबकाई आई पर मन कड़ा करके मैंने रघू का वीर्य निगलाना शुरू किया जब स्वाद लिया तो मज़ा आ गया; खारी कसैली मलाई जैसा स्वाद था खुशबू तेज और सिर घुमा देने वाली थी मेरा लंड खड़ा हो गया मैंने आँखें बंद की और चूस चूस कर रघू का वीर्य पीने लगा बहुत अच्छा लग रहा था अब मैं समझा कि उन गंदी कहानियों मे औरतें कैसे लंड चूसने को बेताब रहती थीं मैंने अब उसका लंड ऐसे चूसा जैसे गंडरी हो एक भी बूँद मैं छोड़ना नहीं चाहता था
जब उसका लंड ठंडा हो गया तो उसने मेरे मुँह से उसे निकाला लंड बिलकुल सॉफ था, एक भी बूँद वीर्य की नहीं बची थी रघू खुश हो गया "शाबास मुन्ना, सही चूसा तूने मज़ा आया? स्वाद मिला?" मैंने सिर हिलाया तो मेरी आँखों मे झलकती तृप्ति देख कर वह मस्त हो गया "अब देख तेरे साथ क्या मज़ा करता हूँ चल कपड़े पहन ले और स्कूल चल"
मेरा लंड खड़ा था मज़ा आ रहा था मैंने मचल कर कहा "रघू, तू भी फिर एक बार चूस ले ना मेरा लंड "