hotaks444
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रघू अब तक फिर मस्त हो गया था मुझे पलंग पर ओँधा लिटा कर मुझे पर चढ बैठा और मेरे सीने को बाँहों मे कस कर मुझे चोदने लगा अब वह मुझे बेरहमी से सटासट चोद रहा था करीब करीब पूरा लंड बाहर निकालता और फिर अंदर घुसेड देता मस्ती मे अब वाहा गंदी गंदी गालियाँ दे रहा था "तेरी मा को चोदू भोसड़ी वाले, तेरी बहन चोदू, तेरी अम्मा की गान्ड मारूं साले हरामी मादरचोद! मुन्ना मज़ा आ रहा है? तू भी बोल ना!"
मंजू बोली "वैसे अभी ये मादरचोद हुआ नहीं है पर जल्द ही हो जाएगा साला बदमाश"
अब मुझे मालूम हुआ कि गान्ड मराना क्या चीज़ है रघू का लोहे जैसा लंड मेरी गान्ड चौडी कर रहा था 'पच पच पचाक पच पच पचाक' ऐसी आवाज़ आ रही थी बहुत दर्द हो रहा था, ऐसे लगता था कि गान्ड अब फटी, पर अजीब मस्ती छाई हुई थी मैं भी मस्त होकर चिल्लाने लगा "चोद डाल रघू दादा, मेरी गान्ड चोद डाल, मार ले मेरी गान्ड रघू, फाड़ दे, फुकला कर दे"
मंजू इस धुआँधार चुदाई को देख कर रुक ना सकी कुछ देर उंगली से मुठ्ठ मारती रही पर फिर जल्दी से कमरे के बाहर चली गयी वापस आई तो हाथ मे एक बड़ा केला था सामने एक कुर्सी मे वो बैठ गयी और छील कर केला अपने भोसडे मे घुसेड दिया उस मोटे लंबे केले से मुठ्ठ मारते हुए वह रघू को शह देने लगी "रघू, बच्चे की फाड़ डाल आज, दो टुकडे कर दे इस हरामी के तेरी मा की कसम, भोसडा बना दे इसकी गान्ड का!"
मस्ती से चिल्ला कर आख़िर रघू झडा और मुझसे चिपटकर हाँफने लगा गरमागरम वीर्य की फुहार मेरी गान्ड की गहराई मे गिरने लगी रघू का लंड किसी साँप की तरह मेरी गान्ड मे फूफकार रहा था मुझे बहुत अच्छा लगा गर्व भी हुआ कि उस सजीले नौजवान को मैने इतना सुख दिया
मंजू भी दो बार झड गई थी बुर से केला निकालकर उसने बड़े प्यार से हम दोनों को खिलाया मीठा बुर् के रस से चिपचिपा केला सही नाश्ता था हमारी इस मेहनत के बाद
रघू ने मेरी गान्ड से लंड निकाला तो मैं पहचान ही नहीं पाया कि यह वही लौडा है मुरझाकर एकदमा मिर्ची सा हो गया था "तूने तो कमाल कर दिया राजा अब आराम कर, मैं अभी आया मूत कर आता हूँ!" कहकर रघू जाने लगा मंजू बोली "ठहर मैं भी आती हूँ"
मैं चिल्लाया "रूको रघू दादा, मुझे भी पिशाब लगी है" मंजू और रघू ने एक दूसरे की ओर देखा ओर मुस्करा दिए
मंजू बोली "चल, आ जा" पर मैं जब पलंग से नीचे उतरा तो चल नहीं पाया गान्ड बहुत दुख रही थी एक कदम मे ही नीचे बैठ गया
"उठा ले मुन्ना को आज वह चल नहीं पाएगा गान्ड खोल दी तूने उसकी कल भी लंगड़ा कर चलेगा बेचारा" मंजू मुझ पर तरस खाकर बोली फिर मुझे बोली "तू फिक्र ना कर मुन्ना, दो दिन मे आदत हो जाएगी तुझे आज पहली बार चुदा है ना, इसलिए तकलीफ़ हो रही है"
मंजू बोली "वैसे अभी ये मादरचोद हुआ नहीं है पर जल्द ही हो जाएगा साला बदमाश"
अब मुझे मालूम हुआ कि गान्ड मराना क्या चीज़ है रघू का लोहे जैसा लंड मेरी गान्ड चौडी कर रहा था 'पच पच पचाक पच पच पचाक' ऐसी आवाज़ आ रही थी बहुत दर्द हो रहा था, ऐसे लगता था कि गान्ड अब फटी, पर अजीब मस्ती छाई हुई थी मैं भी मस्त होकर चिल्लाने लगा "चोद डाल रघू दादा, मेरी गान्ड चोद डाल, मार ले मेरी गान्ड रघू, फाड़ दे, फुकला कर दे"
मंजू इस धुआँधार चुदाई को देख कर रुक ना सकी कुछ देर उंगली से मुठ्ठ मारती रही पर फिर जल्दी से कमरे के बाहर चली गयी वापस आई तो हाथ मे एक बड़ा केला था सामने एक कुर्सी मे वो बैठ गयी और छील कर केला अपने भोसडे मे घुसेड दिया उस मोटे लंबे केले से मुठ्ठ मारते हुए वह रघू को शह देने लगी "रघू, बच्चे की फाड़ डाल आज, दो टुकडे कर दे इस हरामी के तेरी मा की कसम, भोसडा बना दे इसकी गान्ड का!"
मस्ती से चिल्ला कर आख़िर रघू झडा और मुझसे चिपटकर हाँफने लगा गरमागरम वीर्य की फुहार मेरी गान्ड की गहराई मे गिरने लगी रघू का लंड किसी साँप की तरह मेरी गान्ड मे फूफकार रहा था मुझे बहुत अच्छा लगा गर्व भी हुआ कि उस सजीले नौजवान को मैने इतना सुख दिया
मंजू भी दो बार झड गई थी बुर से केला निकालकर उसने बड़े प्यार से हम दोनों को खिलाया मीठा बुर् के रस से चिपचिपा केला सही नाश्ता था हमारी इस मेहनत के बाद
रघू ने मेरी गान्ड से लंड निकाला तो मैं पहचान ही नहीं पाया कि यह वही लौडा है मुरझाकर एकदमा मिर्ची सा हो गया था "तूने तो कमाल कर दिया राजा अब आराम कर, मैं अभी आया मूत कर आता हूँ!" कहकर रघू जाने लगा मंजू बोली "ठहर मैं भी आती हूँ"
मैं चिल्लाया "रूको रघू दादा, मुझे भी पिशाब लगी है" मंजू और रघू ने एक दूसरे की ओर देखा ओर मुस्करा दिए
मंजू बोली "चल, आ जा" पर मैं जब पलंग से नीचे उतरा तो चल नहीं पाया गान्ड बहुत दुख रही थी एक कदम मे ही नीचे बैठ गया
"उठा ले मुन्ना को आज वह चल नहीं पाएगा गान्ड खोल दी तूने उसकी कल भी लंगड़ा कर चलेगा बेचारा" मंजू मुझ पर तरस खाकर बोली फिर मुझे बोली "तू फिक्र ना कर मुन्ना, दो दिन मे आदत हो जाएगी तुझे आज पहली बार चुदा है ना, इसलिए तकलीफ़ हो रही है"