Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती - Page 3 - SexBaba
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Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती

रघू अब तक फिर मस्त हो गया था मुझे पलंग पर ओँधा लिटा कर मुझे पर चढ बैठा और मेरे सीने को बाँहों मे कस कर मुझे चोदने लगा अब वह मुझे बेरहमी से सटासट चोद रहा था करीब करीब पूरा लंड बाहर निकालता और फिर अंदर घुसेड देता मस्ती मे अब वाहा गंदी गंदी गालियाँ दे रहा था "तेरी मा को चोदू भोसड़ी वाले, तेरी बहन चोदू, तेरी अम्मा की गान्ड मारूं साले हरामी मादरचोद! मुन्ना मज़ा आ रहा है? तू भी बोल ना!"
मंजू बोली "वैसे अभी ये मादरचोद हुआ नहीं है पर जल्द ही हो जाएगा साला बदमाश"

अब मुझे मालूम हुआ कि गान्ड मराना क्या चीज़ है रघू का लोहे जैसा लंड मेरी गान्ड चौडी कर रहा था 'पच पच पचाक पच पच पचाक' ऐसी आवाज़ आ रही थी बहुत दर्द हो रहा था, ऐसे लगता था कि गान्ड अब फटी, पर अजीब मस्ती छाई हुई थी मैं भी मस्त होकर चिल्लाने लगा "चोद डाल रघू दादा, मेरी गान्ड चोद डाल, मार ले मेरी गान्ड रघू, फाड़ दे, फुकला कर दे"

मंजू इस धुआँधार चुदाई को देख कर रुक ना सकी कुछ देर उंगली से मुठ्ठ मारती रही पर फिर जल्दी से कमरे के बाहर चली गयी वापस आई तो हाथ मे एक बड़ा केला था सामने एक कुर्सी मे वो बैठ गयी और छील कर केला अपने भोसडे मे घुसेड दिया उस मोटे लंबे केले से मुठ्ठ मारते हुए वह रघू को शह देने लगी "रघू, बच्चे की फाड़ डाल आज, दो टुकडे कर दे इस हरामी के तेरी मा की कसम, भोसडा बना दे इसकी गान्ड का!"

मस्ती से चिल्ला कर आख़िर रघू झडा और मुझसे चिपटकर हाँफने लगा गरमागरम वीर्य की फुहार मेरी गान्ड की गहराई मे गिरने लगी रघू का लंड किसी साँप की तरह मेरी गान्ड मे फूफकार रहा था मुझे बहुत अच्छा लगा गर्व भी हुआ कि उस सजीले नौजवान को मैने इतना सुख दिया

मंजू भी दो बार झड गई थी बुर से केला निकालकर उसने बड़े प्यार से हम दोनों को खिलाया मीठा बुर् के रस से चिपचिपा केला सही नाश्ता था हमारी इस मेहनत के बाद

रघू ने मेरी गान्ड से लंड निकाला तो मैं पहचान ही नहीं पाया कि यह वही लौडा है मुरझाकर एकदमा मिर्ची सा हो गया था "तूने तो कमाल कर दिया राजा अब आराम कर, मैं अभी आया मूत कर आता हूँ!" कहकर रघू जाने लगा मंजू बोली "ठहर मैं भी आती हूँ"

मैं चिल्लाया "रूको रघू दादा, मुझे भी पिशाब लगी है" मंजू और रघू ने एक दूसरे की ओर देखा ओर मुस्करा दिए 

मंजू बोली "चल, आ जा" पर मैं जब पलंग से नीचे उतरा तो चल नहीं पाया गान्ड बहुत दुख रही थी एक कदम मे ही नीचे बैठ गया

"उठा ले मुन्ना को आज वह चल नहीं पाएगा गान्ड खोल दी तूने उसकी कल भी लंगड़ा कर चलेगा बेचारा" मंजू मुझ पर तरस खाकर बोली फिर मुझे बोली "तू फिक्र ना कर मुन्ना, दो दिन मे आदत हो जाएगी तुझे आज पहली बार चुदा है ना, इसलिए तकलीफ़ हो रही है"
 
रघू ने मुझे उठा लिया और बाथरूम ले गया "मुन्ना, तेरे लंड पर तो मेरा ध्यान ही नहीं गया देख कितना वीर्य और अम्मा का रस लगा है" और झुक कर उसने मेरा लंड मुँह मे ले लिया बाथरूम मे मुझे उतारकर मेरे सामने बैठ कर मेरा लंड चूसकर उसने मुझे झडा डाला 

झडाकर भी जब वह लंड चूसता ही रहा तो मैं चिल्लाया "रघू दादा, अब छोडो, बहुत ज़ोर से पिशाब लगी है वह फिर भी मुझे छोड़ने को तैयार नहीं था आख़िर मंजू ने डांटकर उसके बाल पकडकर उसका सिर मेरे पेट से अलग किया फिर मुझे बोली "मूत ले मुन्ना, ये तो पगला है!"

मैने पिशाब की बड़े ज़ोर से लगी थी तेज धार थी मंजू और रघू खड़े खड़े देख रहे थे बड़े अजीब भाव थे दोनों की आँखों मे रघू ने मंजू से आँखों आँखों मे कुछ पूछा मंजू ने सिर हिलाकर मना कर दिया मेरा मूतना खतम होते होते रघू ने अचानक धार मे हाथ डाला और बोला "मस्त तेज धार है तेरी मुन्ना आख़िर जवान बच्चा है" मुझे अजीब लगा और मैने मूतना बंद कर दिया

मजू बोली "अरे मूत ना, ये तो दीवाना है तेरा ऐसे ही खेलता है" मेरा मूतना खतम होने पर मंजू बोली "अब जा और आराम कर हम अभी आते हैं" मुझे बाथरूम से निकालकर उसने दरवाजा बंद कर लिया रघू अभी भी अंदर था मुझे अटपटा लगा पर अचानक याद आया कि एक बार मैने मंजू और रघू को एक साथ बाथरूम मे से निकलते हुए देखा था जाने दोनों अंदर क्या करते थे क्योंकि खुले आम चोदने मे वैसे उन्हें कोई रोकने वाला नहीं था

मैं किसी तरह चल कर वापस आया और पलंग पर लेट गया मेरा लंड फिर खड़ा होने लगा था मंजू और रघू दस मिनिट बाद आए दोनों बहुत खुश लग रहे थे "कल से तुझे मूतने बाथरूम नहीं जाना पड़ेगा मुन्ना" रघू हँसते हुए मुझे बोला 

मंजू ने उसे आँखें दिखाकर चुप कर दिया कनखियों से मेरी ओर देखकर बोली "ये तो कुछ भी कहता है मुन्ना, तू फिकर मत कर गान्ड मराकर चलने मे तुझे तकलीफ़ होती है ना? इसका मतलब है कि हम यहीं कमरे मे कुछ इंतज़ाम कर देंगे कल से तेरे मूतने का"

हमारी चुदाई फिर आगे शुरू हुई रघू का फिर खड़ा होने लगा था मंजू को लिटाकर उसने उसे आधे घंटे चोदा अपनी मा की मन भर कर सेवा करके फिर उसने मेरी ओर ध्यान दिया बाथरूम से आते समय वह और मख्खन ले आया था मेरी गान्ड फिर से चिकनी करके उसने मेरी गान्ड मे लंड घुसेडा और शुरू हो गया इस बार भी मुझे दुखा पर पहले से कम मैं सहन कर गया क्योंकि मंजू मुझे बुर चटा रही थी

मेरी रात भर रघू ने मारी मुझे ओँधा लिटाकर मेरे उपर सोया रहा चार बार वह मेरी गान्ड मे झडा बीच मे घंटे दो घंटे भर मुझे सोने मिला रघू का वजन मेरे शरीर पर था इसलिए ठीक से नींद नहीं आ रही थी पर वह हटाने को तैयार नहीं था मुझे दबोच कर मेरे उपर चढा रहा 

रघू ने मेरी गान्ड से रात भर लंड निकाला ही नहीं, झडने पर भी अंदर ही रहने देता जब खड़ा हो जाता तो उसकी नींद खुल जाती और वह मेरी मारने लगता आखरी बार सुबह होने पर उसने एक बार मेरी और मारी और फिर उठ कर चला गया झड झड कर वह थक गया था, पर बहुत तृप्त दिख रहा था जाते जाते प्यार से मेरा चुम्मा लेते गया
मरा मरा कर मेरी गान्ड बहुत दुख रही थी इसलिए मैं उस दिन स्कूल नहीं गया मंजू भी बोली "आज आराम करो मुन्ना मैं क्रीम लगा देती हूँ तेरी गान्ड मे ठंडक पहुँचेगी बेरहम रघू ने बहुत मारी है तेरी पर वह भी क्या करे? है ही तू इतना प्यारा वैसे अब मुझे ज़रा आराम मिलेगा क्योंकि वो गान्ड मारेगा तो सिर्फ़ तेरी 

तेरी कमसिन गान्ड के आगे मेरी फुकला गान्ड उसे क्या अच्छी लगेगी? हाँ तेरी मा की ज़रूर मारेगा अब कब का दीदी की मोटी ताजी गान्ड पर आँखें लगाए बैठा है मेरा लाल लगता है आज ही तेरी मा ठीक हो जाएगी, अपने बेटे से चुदाने की जल्दी पडी होगी उस ममता की मूरत को इसीलिए आज मैने रघू को भी दिन भर आराम करने को कहा है रात को उसके लौडे को फिर ओवरटाइम करना है!"
 
मैं दोपहर भर सोया उठा तो रात होने को आई थी बाहर आया तो देखा की मा भी नहा धोकर इधर उधर घूम रही थी एकदम फ्रेश लग रही थी मेरी आँखों मे अचरज देखकर हँस कर बोली "आ बेटे, मेरे पास आ अरे मैं दो दिन मे ही ठीक हो गयी तू कैसा है? मंजू और रघू ने ख़याल रखा ना तेरा?"

उसने मुझे सीने से लगा लिया और मेरा माथा चूम लिया मा की भरी पूरी छाती मे सिर छुपाकर मैं उससे चिपट गया माँ के बदन से बड़ी भीनी खुशबू आ रही थी मेरा तुरंत खड़ा हो गया माँ ने मेरे लंड के दबाव को महसूस किया और मेरे गाल पर प्यार से चपत मार कर बोली "शैतान कहीं का! अपनी मा पर नज़र है तेरी अब? लगता है दो दिन मे मंजू ने बहुत कुछ सिखा दिया"

मैने उपर देखा मा की आँखों मे दुलार के साथ साथ एक बड़े तीखी चाहत थी मेरे चेहरे पर की आस देखकर वह कुछ क्षण मुझे देखती रही और फिर झुककर मेरे होंठों पर अपने होंठ रखकर मेरा चुंबन लेने लगी मैं उससे ऐसे चिपका जैसे कभी छूटना नहीं चाहता होऊ और उसके होंठ चूसने लगा

हमारा यह चुंबन शायद आगे और कुछ रूप धारण करता पर एकाएक मंजू आ गयी मुझे ज़बरदस्ती अलग करते हुए खिलखिलाकर बोली "चालू हो गये मा बेटे! कैसी छिनाल हो री? चलो मालकिन, अलग हो मा बेटे का प्यार ऐसे थोड़े चालू होने दूँगी! मुझे दक्षिणा देनी पडेगी"

मा थोड़ी लजाई और बोली "ले ले मंजू बाई, कितनी चाहिए?"
मंजू नखरे दिखाती हुई बोली "पैसे नहीं लूँगी आज रात मैं और मेरा बेटा आप के और मुन्ना के साथ आपके कमरे मे सोएँगे मज़ा करेंगे और मा बेटे का असली प्यार साथ साथ देखेंगे दो जोड़ी मा बेटे एक साथ! तब आएगा मज़ा"

मा शरमा कर बोली "चल पगली, कुछ भी कहती है हाँ मुन्ना को आज से मैं अपने साथ सुलाऊन्गि! बेचारा अलग अकेला सोता है" और मेरी ओर देखकर मुस्कराने लगी उसकी आँखों मे अजब चाहत थी

"आज से तो आप को असली प्यार मिलेगा बेटे का और वह भी ऐसे खूबसूरत कमसिन बेटे का भाग्यवान हो मालकिन मुझे मालूम है कैसा लगता है रघू तो और छोटा था जब से मेरे साथ सो रहा है पर आज तो हम सब ज़रूर साथ मे सोएँगे कल से फिर जैसा मौका मिले या आप का मन हो मुन्ना गजब की चीज़ है बाई रघू तो एक रात मे दीवाना हो गया है इसका" मंजू मेरे नितंबों पर हाथ फेरते हुए बोली
 
मा ने मुझे पूछा "रघू ने कैसा प्यार किया तुझे बेटे? तकलीफ़ तो नहीं दी?" उसकी आँखों मे चिंता के साथ साथ एक उत्तेजना भी थी

मैं क्या कहता? रघू के लंड ने मेरी गान्ड को जैसा दुखाया था उसके कारण कहने वाला था कि मा बहुत दुखा, रघू ने तो मेरी गान्ड करीब करीब फाड़ ही दी पर यह भी याद आया कि क्या मज़ा आया था रघू से मरवा कर और उसका लंड चूस कर रघू की गान्ड मार कर जो आनंद मिला था वह भी मेरे दिमाग़ मे ताज़ा था और रघू मुझे कितना प्यार करता था यह भी मैं जानता था
मैं बोला "बहुत मज़ा आया अम्मा, रघू और मंजू बाई ने मिलकर बहुत मस्त प्यार किया मुझे थोड़ा बदन दुख रहा था और थक गया था इसलिए स्कूल नहीं गया आज इन्हें भी सोने दो मा अपने साथ, मज़ा आएगा"

मा आश्वस्त हुई पर उसकी आँखों मे एक प्रशंसा की भावना थी उसे मालूम था कि रघू ने मेरे साथ क्या किया होगा! सोच रही होगी कि उसके बित्ते भर के बच्चे ने आख़िर कैसे रघू का लंड झेला होगा?

रात का खाना जल्दी खतम कर के हम सब मा के कमरे मे आने की तैयारी करने लगे रघू के कुरते मे से बड़ा तम्बू दिख रहा था मा और मंजू उसे देख कर हँस रही थीं दिन भर के आराम से रघू का लंड मस्ता गया था उधर मा और मंजू भी बार बार एक दूसरे को चिपट लेती थीं उनसे भी रहा नहीं जा रहा था दो दिन के आराम से लगता है, मा भी एकदम गरमा गयी थी

रघू मुझे गोदी मे उठाकर चूमता हुआ मा के कमरे मे लाया अंदर आते ही उसने मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए उधर मंजू भी फटाफट नंगी हो गयी मेरे तने लंड को रघू ने चूमा और अपनी धोती कुरता उतारकर नंगा हो गया उसका महाकाय लंड एकदम तन कर खड़ा था

मा हम सब को देख रही थी वह भी इतनी गरमा गयी थी कि पलंग पर बैठी बैठी अपनी जांघें रगडते हुए हमे देख रही थी मेरे लंड को वह बड़ी भूखी नज़रों से देख रही थी मेरा लंड रघू के लंड का तिहाई होगा पर मेरी मा को अपने प्यारे बच्चे का लंड मिठाई जैसा लग रहा होगा

"अम्मा, तुम भी कपड़े निकालो ना!" मैने मचल कर कहा
"क्यों नालायक, अपनी मा की चुचियाँ और बुर देखने को मरा जा रहा है? अरे मैं तेरी मा को नंगा करूँगी तेरे सामने रघू बेटे, मुन्ना को गोद मे ले ले और पकड़ कर रख, नहीं तो अम्मा की जवानी देख कर मुठ्ठ मारने लगेगा शैतान" मंजू मा को पकड़ कर उसकी साड़ी खींचती हुई बोली 
 
अम्मा इतरा कर नहीं नहीं करती रह गयी पर मंजू ने उसकी साड़ी और चोली खोल डाली अंदर मा ने आज सफेद ब्रा और पैंटी पहनी थी टाइट ब्रा मे से उसके ये मोटे मम्मे छलक आए थे मोटी मोटी गोरी जांघें और पैंटी मे से दिखाते बुर के उभार को देखकर मैं मचल उठा अपने आप मेरा हाथ अपने लंड पर गया रघू ने हँसते हुए मेरे दोनों हाथ पकड़ लिए और मुझे गोद मे लेकर कुर्सी पर बैठ गया उसका लंड मेरी पीठ पर सटा था उसे मेरी पीठ पर रगडते हुए वह मेरे गाल चूमने लगा

उधर मंजू अब मा की ब्रा उतार रही थी मा के भारी भरकम स्तन ब्रेसियार से छूटकर लटकने लगे लगता था जैसे सफेद पके पपीते हों और मा के निपल! मैं देख कर कसमसा उठा इतने बड़े निपल किसीके हो सकते हैं ये मैने कभी सोचा भी नहीं था बड़े जामुनों के आकार के गहरे भूरे रंग के निपल और उनके चारों और छोटी तश्तरी जितने बड़े बड़े गोल चकते! 

"देख मुन्ना, क्या मस्त माल है, और बहुत मीठा भी है" मुझे मा के मम्मों को घुरता देखकर मंजू ने मुझसे कहा और मा की एक चूची चूसने लगी साथ ही उसने मा की पैंटी खींचकर उतार दी काले बालों से भरी उसकी गोरी बर देखकर मैं पागल सा हो गया 

मंजू मुँह अलग करके चटखारे लेते हुए बोली "बहुत मीठा दूध है मुन्ना तेरी मा का, एकदम दुधारू गाय है साली इसके निपल देखे ना? गाय है गाय!"

मैं तडप कर बोला "मा, मुझे दूध पिला ना"

अब तक मा भी चुदासी से सिसकने लगी थी "ज़रूर पिलाऊन्गि मेरे लाल, मेरे पास ला मंजू मेरे बच्चे को"

"हाँ हाँ क्यों नहीं, पर पहले बेटे से मा की पूजा कराऊन्गि ख़ास कर चूत की पूजा रघू, मुन्ना को इधर ला आख़िर उसे पास से देखने दे कि उसकी मा की चूत कैसी है, जहाँ से वह जन्मा है, उस छेद को ज़रा चूमे और चूसे, फिर दूध भी पिला देंगे" मंजू मा के मम्मे दबाती हुई बोली

रघू मुझे उठा कर पलंग पर ले गया मुझे उतारकर मा के पास खड़ा होकर बोला "पहले मेरा लौडा चूसो माजी आपके बेटे के सामने आपके मुँह मे लंड दूँगा इसने मेरी मा को तो देखा कि कैसे मेरा पूरा लंड मुँह मे ले लेती है अब ज़रा यह भी देखे कि इसकी चुदैल मा लंड चूसने मे कितनी माहिर है फिर इसे भी सिखा दूँगा" कहके वह अपना लंड मा की चुचियों पर रगडने लगा

मंजू ने मा के कंधे पकडकर उसे ज़मीन पर बिठा दिया उसके पीछे बैठकर उसकी चुचियाँ मसलती हुई पीछे से मा की ज़ूलफें उठाकर मा की गर्दन चूमने लगी मा एकदम मस्त थी सिहर कर बोली "कितना अच्छा चूमती है तू मंजू, ज़रा मेरी बुर खोद ना"

उधर रघू को जल्दी हो रही थी उसने मा के गाल दबाकर उसका मुँह खोला और दूसरे हाथ से लौडा पकडकर मा के मुँह मे पेल दिया मुझे लगा मा का दम घुट जाएगा उस हलब्बी लंड को लेने मे पर उसने तो दोनों हाथ रघू की कमर मे डालकर उसे अपने पास खींच लिया और एक ही दम मे पूरा लंड निगलाकर अपना चेहरा रघू के पेट मे दबाकर लौडा चूसने लगी
मैं पास से देख रहा था मा का मुँह भरा हुआ था और उसके लाल लाल होंठ रघू के लंड की जड के चारों ओर सिमटे हुए थे आँखों मे गजब के कामुकता थी रघू ने मा का सिर कस कर पकड़ा और खड़ा खड़ा आगे पीछे होकर मा के गले को चोदने लगा
 
यह नज़ारा ऐसा था कि मैं सह ना सका और पास जाकर बाजू से मा को चिपटकर उसके गाल चूमते हुए अपना लंड मा की कमर पर घिसने लगा मंजू ने मुझे दूर किया और हँसने लगी "अरे झड जाओगे मुन्ना, ये क्या करते हो देखा अपनी छिनाल रंडी मा को? कैसी मरती है मेरे बेटे के लंड पर? कैसे गॅप से निगल लिया दस इंची लंड देखा ना तूने?"

मैं मचल कर बोला "मन्जुबाई मैं भी ऐसे ही लूँगा रघू का लंड अपने मुँह मे रघू मुझे सिखा ना"

रघू मा के मुँह को चोदते हुए बोला "अगली बार सिखा दूँगा मुन्ना, टाइमा लगेगा ऐसा सिखाने मे पर अभी तो तेरी मा का मुँह चोद लूँ, साली बहुत मस्त चूसती है मालकिन ऐसे निगलती है जैसे जन्म जन्म की प्यासी हो"


मंजू रघू को बोली "अब रुक जा बेटे, झड मत आगे का काम करने की तैयारी कर ज़रा इस नन्हे गान्डू को अपनी मा की बुर की सेवा करने दे और लंड भी आज ही चुसवा दे, बेचारे को ऐसे तडपा मत तू भी तो बार बार कहता था मुझसे कि मा, मुन्ना के कोमल कमसिन गले मे पूरा लंड उसके पेट तक ना उतार दूं तब तक चैन नहीं मिलेगा मुझे"

रघू ने गहरी साँस ली और मंजू की बात मानकर अपना लंड मा के मुँह से निकाल लिया अब वह और सूजकर लाल हो गया था "हाँ मा, आज ही सिखा देता हूँ, पर एकाध बार झड कर थोड़ा छोटा हो जाए, ये मूसल तो इससे नहीं निगला जाएगा"

मा मुँह पोंछती हुई खडी हो गयी मंजू ने मा को पलंग पर बिठाया और उसकी टाँगें फैलाकर मुझे बोली "बैठ नीचे और घुस जा मा की चूत मे, चाट ले, एकदम गाढा घी जैसा माल है तेरी मामी का" 

अम्मा की जांघों के बीच बैठकर मैने पहली बार पास से मा की बुर देखी मोटी फूली, काले काले घुंघराले बालों से भरी बुर मे से मस्त महक आ रही थी मंजुने दो उंगलियों से मा की बुर खोली और लाल लाल छेद मुझे दिखाया उसमे से घी जैसा चिपचिपा पानी बह रहा था उपर लाल लाल अंगूर जैसा दाना था

"देखा राजा, तू कहाँ से जन्मा था? और ये शहद देखा जो तेरी मा बहा रही है? प्रसाद है अनिल बेटे, चाट ले मुझ अधेड औरत की चूत का पानी तुझे इतना अच्छा लगा, तेरी मा की जवान चूत मे से तो अमृत बहता है राजा" मंजू मेरा सिर पकडकर अम्मा की बुर पर दबाते हुए बोली
 
मैने जीभ निकाली और मा की चूत चाटने लगा क्या स्वादिष्ट महकता शहद था! मैं भाव विभोर होकर लपालप उसे चाटने लगा अम्माने सिहरकर मेरा सिर पकड़ लिया और प्यार से बालों मे उंगली चलाते हुए बोली "मेरे बेटे, मेरे लाल, सच बता कैसा लगा तुझे मेरी चूत का रस?"

मैं चाटना बंद करके बोला "अम्मा, बहुत अच्छा है मा, बेजोड है रोज चाटने दोगी ना प्लीज़? अकेले मे भी?"

"जब जी चाहे चाट लेना अनिल बेटे, तुझे तो मैं दिन भर चुसवाऊ अपनी बुर मेरे बच्चे, मेरे लाल" मा भाव विभोर होकर बोली
मैने अब मा की बुर के पपोटे मुँह मे लिए और आम की तरह चूसने लगा फिर जीभ अंदर डाल दी मा ने कसमसा कर मेरा सिर अपनी बुर मे दबा लिया और अपनी जांघें मेरे सिर के इर्द गिर्द जकडकर आगे पीछे होती हुई मुठ्ठ मारने लगी "मंजू, तूने तो जादू कर दिया क्या मस्त ट्रेनिंग दी है मेरे बच्चे को! कैसा चूसता है देख!"

मंजू भी खडी खडी रघू को अपनी बुर चुसवाने लगी रघू के सिर को टाँगों मे जकडकर धक्के मारते हुए बोली "मालकिन क्या मज़ा आता है अपने बच्चोंको अपना रस पिला कर, है ना? लगता है एक बड़ी ज़िम्मेदारी पूरी कर रहे हैं देखो बदमाश कैसे चूस रहे हैं जैसे मिठाई हो! मा की चूत के दीवाने हैं दोनों"

जब मैने मा के अंगूर से लाल लाल सूजे दाने को जीभ से रगडना शुरू किया तो मा दो तीन धक्के देकर एक चीख के साथ झड गयी चूत मे से रस का झरना उबल कर बाहर आ गया मन भर कर मैने उसकी चूत चुसी मैं शायद उठता ही नहीं पर मंजू ने मुझे पकडकर उठा लिया 

रघूने मा की कमर पकडकर उसे पलंग पर ओँधा पटक दिया और गिडगिडाकर बोला "अब आज गान्ड मरवा ही लो मालकिन अपने गुलाम पर मेहरबान हो जाओ" और मा के चूतडो पर झुक कर उन्हें दबाता हुआ बेतहाशा चूमने लगा उसका तन्नाया लौडा मा की जांघों को रगड रहा था
मेरी मा के गोल मटोल गोरे नितंब देखकर मैं और मस्ती मे आ गया लग रहा था कि अभी चढ जाऊ और मा की गान्ड मार लूँ मैं सोच ही रहा था कि क्या करूँ इतने मे मन्जुबाई ने मुझे पकडकर मेरा सिर अपनी बुर मे डाल लिया "आ मुन्ना, तू मेरी चूत चूस ले तेरी मा तो अब नखरे करेगी साली डरती है गान्ड मरवाने से"

मा हँसते हुए रघू को दूर करते हुए पलटी और उसका सिर अपनी बुर मे डालती हुई बोली "तू मेरी चूत चूस और फिर बाजू हट मैं मुन्ना से चुदवाऊन्गि आज, फिर तू मुझे चोद डालना बड़ा आया गान्ड मारने वाला!"

"फालतू डरती हो आप मालकिन इत्ता सा ये नाज़ुक बेटा आपका, उसने भी रघू से मरवा ली, और तो और कल रात भर मरवाता रहा देखो ज़रा भी डरता है क्या रघू से, कैसे मस्त है देखो ज़रा" मंजू ने मा को समझाया

मा फिर भी नहीं मानी नखरे करती रही आख़िर मैने भी मा से प्रार्थना की "अम्मा, मरवा लो ना, रघू बहुत प्यार से लेता है, बिलकुल धीरे धीरे, ज़्यादा नहीं दुखेगा"
 
"वाह रे बड़ा आया सिफारिश करने वाला तू मरवा कर दिखा एक बार ज़रा मैं भी देखूं कितना दम है तुझमे?" मुझे उलाहना देते हुए मा बोली रघू अब मा की चूत चूस रहा था तुरंत उठकर मुझसे बोला "मुन्ना आ जा मेरे राजा, मैं तेरी गान्ड मार लूँ अरे तेरी गान्ड तो सोना है रे मेरे प्यारे फिर मालकिन भी मरवा लेगी तेरी मा की ये गोरी पहाड सी गान्ड मारने को मैं मरा जा रहा हूँ"
मुझे उसका यह वर्णन बहुत अच्छा लगा सच मे मा वैसे भी खाए पिए मासल बदन की थी पर उसके कूल्हे अच्छे चौड़े थे और चूतड भी तरबूज जैसे थे पहाड सी गान्ड! रघू के ये शब्द सुनकर मुझे मज़ा आ गया

मैने मंजू की ओर देखा वैसे मैं मरवाने को तैयार था रघू के उस मतवाले लंड के फिर से अपनी गुदा मे घुसने की कल्पना से ही मैं सिहर उठा था, रोमाच से और कुछ डर से बहुत दुखा था मुझे रघू का लेते हुए

मंजू मेरे मन की बात समझ गयी मुझे पुचकार कर बोली "मरवा ले मुन्ना आज नहीं दुखेगा दिखा दे तेरी छिनाल मा को, मरवाना क्या होता है और तू इतना बहादुर है, चल मैं तेरी अम्मा तुझसे चुदवा देती हूँ तू अपनी मा चोद और मेरा बेटा तुझे चोदेगा क्यों मालकिन, है मंजूर?"

मा बड़े नखरे से मुस्कराई और हाँ कर दी शायद उसने सोचा हो कि मैं घबरा जाऊ और मना कर डू पर यह भी हो सकता है कि अम्मा सच मे गान्ड मराने को तैयार थी, बस मेरी गान्ड चुदते देखना चाहती थी इसलिए बहाना कर रही थी

जो भी हो, मैं तैयार हो गया अपनी मा को चोदने के लिए मैं मरा जा रहा था जहाँ से मैं निकला था वहीं अपना लंड घुसेडना चाहता था

मंजू बहुत खुश हुई मुझे उठाकर मा तक ले गयी अम्मा के चूतडो के नीचे तकिया रख कर उसकी कमर उठाई और मुझे बोली "चढ जा बेटे अपने मा पर चोद डाल हरामन को रघू, मख्खन ले आ बेटे"
मैं काँपता हुआ मा की टाँगों के बीच बैठा और झुक कर अपना लंड मा की चूत पर रख कर पेलने लगा उस गीली चिपचिपी बुर मे मेरा लंड सट से समा गया अम्मा ने हल्की सिसकारी भरी और मुझे खींच कर अपने उपर सुला लिया "हाय बेटे, कितना कड़ा है रे तेरा लंड, और कैसा उछल रहा है मछली जैसा" फिर मुझे चूमते हुए उसने अपनी टाँगें मेरी कमर के दोनों ओर जकडी और चूतड उछाल कर खुद ही चुदवाने लगे

मैं मा को चोदने लगा ढीली बुर थी फिर भी मज़ा आ रहा था आख़िर मेरी मा की चूत थी! मैने कस कर मा को बाँहों मे भींचा और हचक हचक कर चोदने लगा
 
"अब बना है मादरचोद! चोद डाल अपनी अम्मा को, साली महा रंडी कुतिया है दस दस लन्डो से चुदवा कर ही मन नहीं भरेगा इसका धंधा करे तो बहुत पैसा कमाएगी ये रंडी! तू क्या कर रहा है मूरख? जल्दी मख्खन ला!" मंजू रघू पर झल्लाई रघू मख्खन लेकर वापस आया और बिस्तर पर हमारे पास बैठकर मेरी गान्ड मे चुपडने लगा

मंजू भी आकर बैठ गयी और रघू के लौडे मे मख्खन लगाने लगी रघू का लंड अब बुरी तरह उछल रहा था आदमी नहीं, घोड़े के लंड जैसा लग रहा था देखकर मा सिहर कर बोली "ये डालोगे मेरे फूल जैसे बच्चे की गान्ड मे? मर जाएगा बेचारा! अनिल बेटे, तूने सच मे मराई थी कल? ले लेगा तू ये अपनी गान्ड मे?"

मैं हुमक कर बोला "हाँ अम्मा, ले लूँगा दुखता ज़रूर है मा पर बहुत मज़ा आता है मुझे"
रघू ने अपनी उंगलियाँ चाटी और मेरे नितंब एक बार चूम कर मेरे उपर चढ गया लंड मेरी गुदा पर जमा कर पेलने लगा मंजू ने मेरे चूतड फैलाए और सट से उसका सुपाडा मेरी गुदा मे उतर गया गान्ड मे भयानक टीस उठी और मेरे मुँहे से एक हल्की सी चीख निकल गयी मा ने चिंतित स्वर मे पूछा "ठीक है ना तू बेटे?" मैने मूंडी हिलाकर हामी भरी

"मालकिन, यही मौका है, अपनी चूची इसके मुँह मे दे दो इसका मुँह भी बंद रहेगा और अपनी मा का दूध भी पी लेगा घबराओ मत, इसे अगर सच मे तकलीफ़ होती तो यह भागने की कोशिश करता पर देखो कैसे आराम से पड़ा है तुम्हारी चूत मे लंड डाले" मंजू ने मा को समझाया

मा ने मेरा सिर अपनी छाती पर दबाकर एक निपल मेरे मुँह मे दे दिया धडकते दिल से मैं उसे चूसने लगा मा का दूध? मैं कितना भाग्यवान था! जब मीठे गरम दूध की फुहार मेरे मुँह मे छूटी तो मा के प्रति प्यार और वासना से मैं रोने को आ गया आँखें बंद करके चूची हाथों मे पकडकर नन्हे बच्चे जैसा चूसने लगा

मा भी हुमक पडी "हाय, मेरा बेटा आज मेरा दूध पी रहा है मुझे चोदते चोदते मेरी छाती का रस पी रहा है मंजू मैं तो धन्य हो गयी" कहकर वह नीचे से मुझे चोदने लगी

सुपाडा मेरी गान्ड मे उतारकर रघू अब तक शांत बैठा था अब उसने फिर लंड पेलना शुरू किया बहुत प्यार से इंच इंच करके उसने अपना दस इंची लौडा आख़िर जड तक मेरे चूतडो के बीच उतार दिया आज मुझे थोड़ा कम दुखा बीच बीच मे टीस उठने से जब मैं कसमसा उठता तो रघू पेलना बंद कर देता मा मेरे सिर को और ज़ोर से छाती पर भींच लेती और अपनी चूची मेरे मुँह मे अंदर तक ठूंस देती
मा बार बार सिर उपर करके मेरी गोरी नाज़ुक गान्ड मे रघू का मूसल घुसता देख रही थी ये नज़ारा देख कर उससे ना रहा गया और बोली "क्या कमाल है, इतनी नाज़ुक गान्ड मे कैसे जा रहा है यह घोड़े जैसा लंड? और मुन्ना भी मस्त है इसका और खड़ा हो गया है! गान्ड फटी कैसे नहीं इसकी बड़ा आश्चर्य है मंजू बाई"

रघू जड तक लंड उतारकर शांत बैठ गया "अंमाजी गान्ड बनी ही है मारने के लिए, फटेगी कैसे? अब तो आपको विश्वास हो गया? चलिए अब मैं मारता हूँ रहा नहीं जाता इस मुन्ना की गान्ड यानी स्वर्ग की सैर है"

मुझपर लेट कर रघू मेरी मारने लगा मुझे बोला "तू चुपचाप पड़ा रह राजा, और मा का दूध पी तुझे मेहनत करने की ज़रूरत नहीं है मैं करता हूँ जो करना है" उसके धक्कों से मेरा लंड अपने आप मा की चूत मे अंदर बाहर हो रहा था

हमने मन भर कर चुदाई की रघू के धक्के धीरे धीरे तेज हो गये अंत मे वह पूरे ज़ोर से अपना लंड करीब करीब पूरा मेरे चूतडो के बीच अंदर बाहर कर रहा था फ़चाफ़च आवाज़ आ रही थी हांफता हुआ रघू बोला "देखिए मालकिन, ऐसे मारी जाती है गान्ड, मुन्ना के चेहरे पर के आनंद को देखिए, उसे मैने स्वर्ग मे पहुँचा दिया है अब आप भी आज रात मरवा लीजिए और मुझ पर दया कीजिए"

अम्मा अचानक झड गयी और सिसकारी भरने लगी "मेरे बेटे ने मुझे चोद डाला मंजू, साले मादरचोद ने क्या झड़ाया है री अपनी अम्मा को रघू बेटे, मार ले मेरी गान्ड पर बहुत दुखेगा रे राजा"
मंजू बोली "अनिल बेटे और रघू, ज़रा चोदना बंद करो और मेरी बात सुनो" फिर मुड कर मा को बोली "मालकिन, ऐसा करो, अब मुन्ना से अपनी गान्ड मरवा लो, वो अभी झडा नहीं है उसका लंड छोटा है, आप आराम से मरवा लोगी उसके झडने के बाद तुरंत रघू से मरवा लेना"

अम्मा और रघू दोनों को बात जच गयी रघू ने उठकर मुझे अम्मा के उपर से उठाया उसका लंड अभी भी मेरी गान्ड मे गढ़ा था मंजू बोली "अरे लंड बाहर निकाल मूरख, मुन्ना को आराम से अपनी मा की मारने दे"

रघू बिचक कर बोला "बहुत अच्छा लग रहा है अम्मा, निकाला नहीं जा रहा है पूरा चोद दूं मुन्ना को?"

"अरे कल रात भर मारी उसकी, अभी भी आधे घंटे से मार रहा है, बाद मे भी रोज मारना है, आज निकाल ले, तेरा लंड मस्त मोटा है अभी, झड कर दूसरी बार खड़ा होगा तो इतना मोटा नहीं होगा मैं चाहती हूँ तू इस रंडी की गान्ड अपने सनसनाते लंड से मारे, तब तो मज़ा आएगा हरामन को, नहीं तो सस्ते मे छूट जाएगी अब ये हलब्बी सांड़ सा लौडा चूतडो के बीच गढ़ेगा तो देखना कैसे बिलबिलाएगी साली" मंजू ने समझाया
 
मा ना नुकुर करने लगी "मेरी फडवायेगी क्या? झड ले रे रघू मेरे बच्चे की गान्ड मे, फिर घंटे भर बाद मेरी मारना"

अब रघू भी तैश मे आ गया मुझे नीचे पटककर उसने सटाक से अपना लंड मेरी गान्ड से खींच कर निकाला इतना मोटा लंड निकलते समय मुझे फिर बहुत दर्द हुआ ख़ास कर जब सुपाडा बाहर आया पर मा की गान्ड मारने मिलेगी इस बात से मैं बहुत खुश था इसलिए बस ज़रा सा तिलमिला कर रहा गया, चिल्लाया नहीं

"अब तो ज़बरदस्ती करनी पडेगी अम्मा मालकिन के साथ" रघू मा को पकडता हुआ बोला मंजू ने भी उसकी हाँ मे हाँ मिलाई "हाँ बेटे, ये छिनाल औरत बहुत नखरा कर रही है चल मैं इसे पकडती हूँ, मुन्ना चल चढ जा अपनी अम्मा पर"

अम्मा हँसकर बोली "अरे मेरे दुलारे से तो मैं मरवा लूँगी, तुझसे नहीं मराऊन्गि रघू" उसकी आवाज़ मे अजब खुमार था मालूम नहीं वह रघू को उत्तेजित करने को ऐसा बोल रही थी या सच मे उससे गान्ड नहीं मराना चाहती थी
मंजू ने उसे ओँधा सुला दिया और मुझे चढ जाने को कहा मैं मा के मोटे विशाल नितंबों को चूमना चाहता था पर अब मंजू और रघू को जल्दी हो रही थी "बाद मे खेल लेना अपनी अम्मा के चूतडो से, अभी मार फटाफट" मंजू मुझ पर चिल्लाई

"ठहर मुन्ना, मैं गीला कर देता हूँ" कहकर रघू मा के चूतडो पर झुक कर उसकी गुदा मे मुँह डाल कर चूसने लगा 

मा गुदगुदी होने से हँसने लगी "अरे छोड़ कैसे जीभ डालता है रे? ऐसे चूस रहा है जैसे वहाँ तुझे कुछ माल मिलेगा? अरे यह चूत थोड़े ही है कि उसमे से रस निकले!"

रघू उठ कर बोला "माजी आपके बदन मे तो हर जगह माल मिलेगा चल मुन्ना, मार अपनी मा की गान्ड"

मैने मा के गोरे गोरे चूतडो के बीच अपना लंड गाढ दिया दो धक्कों मे लौडा पूरा मा की गान्ड के अंदर हो गया वह थोडा कराहा उठी "इतना सा बच्चा है मेरा फिर भी देख लंड कैसा सख्त है, मुझे इस नन्हे लंड से ही दुखता है रघू, तेरा मैं कैसे लूँगी?"

"प्यार से लेंगी माजी, बहुत आराम से दूँगा अब मार मुन्ना" रघू बोला पर मुझे कहने की ज़रूरत नहीं थी, मैं अपनी मा की गुदाज गान्ड की लंड पर की मतवाली जकड से इतना मस्त था कि पहले ही शुरू हो गया था अम्मा के स्तन पकडकर पूरे ज़ोर से मैं उसकी गान्ड मारने लगा "अम्मा, मेरी प्यारी अम्मा, बहुत अच्छा लग रहा है मा, तुम्हारी गान्ड मारकर बहुत मज़ा आ रहा है मामी" कहकर मैं जोरों से लंड पेलने लगा

'मार बेटे, मज़ा कर ले मंजू तू सच कहती थी, ये बच्चे मा की गान्ड मारकर कितना खुश होते हैं! और तेरा बेटा मेरी गान्ड के पीछे पड़ा है तू कह तो मरवा लूँ?" मा ने मंजू को खींचकर उसका चुंबन लेते हुए बोला
मंजू मा के बाजू मे लेट गयी "मरा लो मालकिन, थोड़ा दर्द होगा पर फिर मज़ा आएगा और असल मज़ा तब आएगा जब आगे पीछे से एक साथ चुदोगी, एक लंड गान्ड मे और एक बुर मे अपन दोनों अब बारी बारी से इन दोनों बच्चों से एक साथ मराया करेंगे"

मैं पहले ही उत्तेजित था मा और मंजू की ये बातें सुनकर अचानक झड गया मा हसने लगी "अरे इत्तेमे हो गया तेरा? अभी अभी तो शुरू किया था"

मंजू बोली "पहली बार अपनी मा की गान्ड मार रहा था मुन्ना, जल्दी झडेगा ही तू फिक्र मत कर मुन्ना, अगली बार अकेले मे रात भर गान्ड मारना तेरी छिनाल मा की, तब इसे शांति मिलेगी अब रघू बेटे, तू शुरू हो जा बच्चे से मरवा कर ये चुदैल खुश हो रही है ज़रा तेरे मूसल से मरवाए, फिर जानूँ"

"हाँ हाँ, डाल दे रघू, मैं डरती हूँ क्या, चल आ जा मैदान मे" मा अब तैश मे थी अपनी बुर मे उंगली कर रही थी मुझे हटाकर रघू ने पहले उसकी गान्ड चुसी "अब तो माल है मालकिन आपकी गान्ड मे, मुन्ने की मलाई है, उसे तो चख ही सकता हूँ" कहकर मा के गुदा को चाटने के बाद उसने मख्खन से मा की गान्ड चिकनी की दो तीन लोन्दे गान्ड मे डाल दिए मंजू ने अपने बेटे के लंड पर भी खूब मख्खन लगा दिया और फिर सिरहाने अपनी टाँगें पसार कर बैठ गयी
 
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