XXX Hindi Kahani पिकनिक का प्रोग्राम - Page 2 - SexBaba
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XXX Hindi Kahani पिकनिक का प्रोग्राम

जेबा ने कहा- “आज अगर सोनम और कोमल भी होती तो कितना मजा आता…”

जीनत बोली- “मैं तैयार हूँ… तू पिरी से पूछ, अगर वो चाहेगी तो फिर कल भी यह खेल खेला जा सकता है। कल भी मेरे अम्मी पापा नहीं रहेंगे…”
पिरी बोली- मुझे भी आज का यह खेल बड़ा अच्छा लगा। लेकिन रोज इमरान को अकेले चार पाँच लड़कियों को चोदना, क्या उसे तकलीफ नहीं होगी…”

जीनत- “तो ठीक है किसी और लड़के को बुला लेंगे। लड़कों की कमी है क्या…”

पिरी बोली- “खबरदार… जो किसी दूसरे लड़के को बताया भी। मैं तेरा खून कर दूँगी। सब लड़के इमरान के जैसे नहीं होते। जरा सा अगर कंधे से धक्का लगेगा तो बढ़ा चढ़ाकर दोस्तों को बताते फिरते हैं की मैंने धक्का मारा। मुझे किसी पर बिल्कुल भरोसा नहीं। कितनी बदनामी होगी जानती भी है…”

जीनत बैठकर चूत में लण्ड अंदर-बाहर करती रही।

तो पिरी ने कहा- “चोदती ही रहेगी क्या…”

जीनत ने कहा- तुम दोनों ने तो चुदवा लिया दिल भरके अब मेरी बारी है।

पिरी बोली- तू तो कहती थी की अपना हिस्सा जेबा को देगी।
 
जीनत हँसते हुए बोली- “कहने और करने में फर्क़ होता है…” फिर जीनत ने मेरे गले में बाहें डालकर मुझे ऊपर उठाया। मैं बैठ गया। वो मेरी गोद में बैठी थी, मेरा लण्ड उसकी बुर में घुसा हुआ था। यह एक नया अंदाज था। मैंने उसे पीठ से बाहें डालकर पकड़ लिया था। मेरा मुँह उसके एक चूचुक पर था, और मैं उसे चूस रहा था। वो मेरे सर को सहला रही थी।

पिरी बोली- “जेबा जरा देख कैसे माँ अपने बच्चे को दूध पिला रही है…”

जीनत बोली- “हाँ बेटा, तू दूध पी, इधर का भी पी…”

मुझे भी मजाक सूझी- “मुम्मी तुम उछल क्यों रही हो…”

जीनत बोली- क्या करूँ बेटा, तुम्हारे पापा नीचे से मेरे पेशाब-खाने में डंडा घुसा रहे है ना।

मैं बोला- मुम्मी, पापा बड़े गंदे हैं ना।

जीनत- नहीं बेटा, पापा को गंदा नहीं कहते। पापा ने डंडा-घुसा घुसाके रास्ता बड़ा किया, तभी तो तुम उधर से निकले ना।

मैं बोला- “अच्छा मुम्मी, मैं उधर से निकला हूँ…”

जीनत- हाँ बेटा, और जो तू अमृत पी रहा है ना। यह भी तेरे पापा की मेहनतों का नतीजा है। मैं 18 साल तक लटकाए घूमती रही, एक बूँद भी नहीं निकला। और तेरे पापा ने चूस-चूसकर 9 महीने में इस पत्थर से अमृत की धारा बहा दी। तू पी जी भरके।

पिरी बोली- वाह जीनत, तेरी हाजिर जवाबी का जवाब नहीं। कितनी गहरी बातें कितने गंदे अंदाज से समझा दी। मुझे चोद ना… जरा मुझे भी आक्टिंग करनी है।

मैं समझ गया की एक नया खेल शुरू हो गया है।

जीनत ने दो मिनट माँगा और पानी छोड़कर उतर गयी।

फिर मेरी गोद में पिरी बैठी। लण्ड को बुर में डालकर ऊपर-नीचे होने लगी। मुझे तो उसे गोद में बिठाते ही दिल खुशी से झूम उठा। उसके बड़े-बड़े दूध मेरे मुँह से रगड़ रहे थे। मैंने चूचुकों को चूसना चाहा। तो उसने कहा- “पहले मेरी होंठ को चूसो।

जीनत ने कहा- “तू दूसरी बीवी का रोल कर…”

पिरी बोली- “क्यों… पहली क्यों नहीं…”

जीनत बोली- “पहली में मजा नहीं आएगा। लोग दूसरी पर ज्यादा मरते हैं…”

पिरी बोली- “ठीक है…”

जीनत मन ही मन खुश हुई।

लेकिन पिरी के दिल में कुछ और ही था। वो बोली- “जानू मेरे होंठ कैसे है…”

मैंने कहा- “बहुत मीठे, रसीले…”

पिरी- मैं किस कैसा करती हूँ।

मैंने कहा- गरम बहुत खूब।

पिरी ने पूछा- जानू मैं लण्ड कैसा चूसती हूँ।

मैंने कहा- लाजवाब।

पिरी- “मेरे दूध कैसे दिखते हैं…”

मैंने कहा- गुंबद की तरह बहुत ही खूबसूरत।

पिरी- “तुम इन्हें दबाते हो तो तुम्हें कैसा लगता है…”

मैंने कहा- “बता नहीं सकता कितना मजा आता है।

पिरी- “मैंने तुम्हें जोर-जोर से दबाने से कभी रोका, कहीं लगता है या कुछ कहा…”

मैंने कहा- “नहीं तो…”

पिरी- “तुम इन्हें चूसो फिर बताओ चूसने में कैसे लगते हैं…”

मैंने चूसना शुरू किया वो सिसकारी भरने लगी।

पिरी बोली- “कुछ ज्यादा ही मस्ती में चुटकी में लेकर मसलो, दाँत लगाकर काटो, मैं कुछ नहीं कहूँगी…” उधर लण्ड बुर में अंदर-बाहर होता ही रहा। फिर कहा- “तुमने मुझे कितनी बार चोदा, तुम्हें कैसा लगा…”
 
मैंने कहा- “बहुत बहुत अच्छा… जितना सोचा था उससे भी अच्छा…”

पिरी बोली- “फिर तुमने आज मेरी गाण्ड भी मारी कैसा लगा…”

मैंने कहा- “बे-इंतेहा मजा आया। मेरे पास अल्फ़ाज नहीं हैं…”

पिरी- “तो फिर उस चुड़ैल के पास क्यों जाते हो, मुँह काला करने…”

अब जीनत की हालत देखने जैसी थी।
मैंने कहा- “तुम जानती हो वो चुड़ैल है। अगर मैं उसके पास ना जाऊँ तो वो हमें बदनाम कर देगी। मैं फँस गया हूँ। बचने का कोई रास्ता नहीं मिल रहा…”

मेरी बात पिरी समझ रही थी। उसने कहा- “तुम फिक्र ना करो मैं तुम्हें चुड़ैल से बचा लूँगी…” फिर उसने भी पानी छोड़ दिया और उतर गयी।

फिर जेबा बैठी, लण्ड उसकी बुर में घुसा। वो पूछी- “जीनत मैं क्या रोल करूँ…”
जीनत ने कहा- तू बहन का रोल कर।
जेबा ने कहा- सुरुआत कैसे…
जीनत- “तुम दोनों को एक साथ स्कूल जाना है। इमरान तुम बोलो जेबा जल्दी आ। स्कूल बस चली जाएगी…”
मैंने कह दिया।
जीनत- जेबा तू बोल कि भैया मेरी शर्ट का बटन नहीं लग रहा।
मैंने कहा- आ इधर आ देखूं
जेबा- यह देखो भैया, इस तरह मैं स्कूल कैसे जा सकती हूँ।
मैंने कहा- ला मैं लगा देता हूँ। अरे यह तो नहीं लग रहा दूसरी पहन ले।
जेबा- सब धो दिए थे गीली हैं।
मैंने कहा- जेबा तू अपने दूध को दबा मैं कोशिश करता हूँ।
जेबा- भैया मेरी दूध को दबाओ मैं कोशिश करती हूँ।
मैंने कहा- ठीक है।
जेबा- “भैया जोर से दबाओ ना डरते हो क्या…”
मैंने कहा- जोर से दबाऊँ तुझे लगेगा नहीं। मैं उसकी दूध को दबाने लगा।
जेबा बोली- बटन लग गया।
मैंने कहा- तो मैं छोड़ दूँ।
जेबा- भैया दबाओ ना अच्छा लगता है।
मैंने कहा- “तू लड़कों से दबवाती है क्या… मैंने सुना है लड़कों के हाथ लगने से दूध जल्दी बड़े होते हैं…”
जेबा- छीः भैया, तुमने पहली बार छुआ है।
मैंने कहा- अब पता चला की लड़कों के दबाने से कितना अच्छा लगता है।
जेबा- भैया देखो बटन टूट गया। अब मैं स्कूल नहीं जा पाऊँगी।
मैंने कहा- मेरा भी दिल नहीं करता स्कूल जाने का।
जेबा बोली- “तो क्या करने का दिल करता है…”
मैंने कहा- “तेरा दूध दबने का…” और मैंने उसके दूध दबाने शुरू कर दिए। फिर कहा- “शर्ट निकाल ना…”
जेबा- तुम निकाल दो।
मैंने बटन खोले और शर्ट निकाल दिए, और कहा- “बाप रे बाप… जेबा तेरा इतना बड़ा हो गया… मैंने गौर ही नहीं किया। घर में तरबूज का पेड़, और मैं दूसरों के खेत में ताँक-झाँक करता रहा…” और मैं दूध दबाते-दबाते उसके चूचुकों को पीसने लगा।
जेबा सिसकारी भरने लगी- “भैया जल रही है चूसो…”
मैंने झट से चूचुकों में मुँह लगा दिया और बारी-बारी से दोनों चूचियों को चूसने लगा। वो मेरे पैंट के ऊपर से मेरे लण्ड को सहलाने लगी।
जेबा- भैया तुम्हारा केला भी तो बहुत बड़ा हो गया है।
मैंने कहा- “खाएगी क्या…”
जेबा- हाँ खाऊँगी। जानते हो भैया मेरी सभी सहेलियां अपने-अपने भाइयों का केला खा चुकी हैं।
मैंने कहा- मम्मी आ जाएंगी तो।
जेबा- भैया भूल जाओ मुम्मी को, मुम्मी खालू से चुदवाये बिना नहीं आती।
मैं- छीः मुम्मी के बारे में ऐसा बोलती है तुझे शरम नहीं आती।
जेबा- भैया तुम मुम्मी के बारे में नहीं जानते वो खालू, फूफा और दोनों चाचा से और कई बार मेरे ट्यूशन मास्टर से भी चुदवा चुकी हैं।
मैं- “क्या बकती है…”
जेबा- बकती नहीं मैंने देखा है। जब मैं 6 साल की थी, मुझे लेकर एक दिन खाला के घर गयी थी। रात में हम सोए थे पलंग अजीब तरह से हिलने लगा, तो मेरी आँख खुल गयी। मैंने पहले सोए-सोए देखा तो खालू मुम्मी के ऊपर चढ़े हुए थे और मुम्मी का दूध चूस रहे थे, कमर ऊपर-नीचे कर रहे थे। मैं उठकर बैठ गयी और खालू को धकेलने लगी।

तो मुम्मी बोली- जेबा तुम सो जाओ।
मैंने कहा- मुम्मी, खालू तुम पर क्यों चढ़े हैं।
मुम्मी बोली- चढ़े नहीं हैं, मेरा बदन दर्द कर रहा था ना। इसलिए दबा रहे है।
जेबा- “दूध क्यों पी रहे हैं…”
मुम्मी- देख मेरे दुधू कितने बड़े-बड़े हैं। जब मैं चलती हूँ, काम करती हूँ तो हिल-हिल कर दर्द कर जाते हैं। इसलिए उसे दबाकर चूसने से दर्द भी चूस लेते हैं।
खालू बोले- जब तेरा दुधू बड़ा हो जायेगा तो तेरा दूल्हा भी इसी तरह दुधू दबाकर चूसेगा। तुझे बड़ा मजा आएगा। और जानती हो खाला को सब पता है।
मैंने कहा- मुझे पेशाब जाना है।
तो खाला दूसरे पलंग से उठकर आ गयी, बोली- “चल मैं ले जाती हूँ…” पेशाब करके आने के बाद उन्होंने मुझे अपने पास सुला लिया, और खालू के ऊपर चादर डाल लिया।
मैं- फिर फूफा से किस तरह चोदाया मुम्मी ने। वो तो दाढ़ी वाले पक्के मुसलमान हैं।
जेबा- तो क्या हुआ… मुम्मी के हुश्न के सामने वो भी बोल्ड हो गये। हाँ उन्हें मनाने के लिए मुम्मी को काफी मेहनत करनी पड़ी। एक बार फूफा दिन के दस बजे घर आए। मुम्मी देखते ही चहक उठी। उन्हें अंदर लाकर बिठाया।
फूफा बोले- “बेबी ने कुछ दिया है, आप लोगों के लिए। मैं एक काम के सिलसिले में आया था। काम हो गया बस दूसरी बस पकड़कर निकलूंगा…”
मुम्मी बोली- ऐसे कैसे निकल जाएंगे। इतनी गर्मी में बेबी क्या बोलेगी की हमने रोका नहीं… आप नहा लीजिए फिर आराम करिए खाना खाकर फिर चले जाइएगा।
फूफा नहीं नहीं कहते रहे।
पर मुम्मी तौलिया लेकर उनके पास खड़ी हो गयी- “आप कपड़े बदलिए, मुझे कुछ नहीं सुनना। आप खाना खाए बगैर नहीं जा सकते…”
फूफा मजबूरन कपड़े बदलकर तौलिया लपेट लिए। तौलिया भी बहुत छोटा था। जिससे उनके घुटनों के ऊपर तक ही छुपता था।
फिर मुम्मी एक क्रीम लेकर आईं और बोली- “आप स्टूल पर बैठिए। मैं क्रीम लगा देती हूँ। जब आप नहाकर आइएगा तो देखिएगा कितना आराम मिलता है। और क्रीम हथेलियों में मलकर फूफा को लगाने बढ़ीं।
तो फूफा बोले- मुझे दीजिए ना, मैं लगा लूँगा।
मुम्मी बोली- “आपका हाथ सारे बदन में नहीं पहुँचेगा। हम औरतों का काम है सेवा करना, करने दीजिए ना…” फिर मुम्मी ने उनकी पीठ पर क्रीम लगाई। उनके कंधों को मसाज करने लगीं और कमर तक आ गईं, और कहा भाई साहब कितने ऊपर से तौलिया बाँधे हो जरा ढीला तो करो।
फूफा को मजबूरन ढीला करना पड़ा। मुम्मी उनकी कमर और फिर उससे नीचे तक क्रीम लगाने लगीं। जिससे फूफा अब गरम होने लगे थे, फिर खड़ी होकर उनकी एक बाजू को अपने कंधे पर रखकर बाजू पर क्रीम लगाई। जब बाजू नीचे उतारा तो फूफा का हाथ उनकी चूचियां को छू गया। फिर दूसरा बाजू उठाया तो चूचियों को रगड़कर उठाया। फिर उसे भी क्रीम लगाकर चूचियां से रगड़कर उतारा।
 
फूफा मस्ती में आ चुके थे। मुम्मी अंजान बनी हुई थी। वो बैठी और फूफा की जांघों में इस तरह क्रीम लगाने लगी, की चूचियां को फूफा के घुटनों में सटा दिया था। और खुद दबा रही थी। दूसरी जाँघ में क्रीम लगाया, तौलिया हटाया तो मुम्मी को फूफा का लण्ड दिख गया। जो अब खड़ा हो ही रहा था।
फूफा ने झट तौलिया ठीक किया।
तो मुम्मी अदा के साथ शर्माते हुए बोली- “भाई साहब, हमसे शरम कैसा हम तो शादीशुदा हैं। यह सब देख चुके हैं। हमें भी तो देखने दीजिए की हमारी ननद का शौहर कैसा है…”
अब फूफा भी बेशरम हो गये और कहा- “सिर्फ़ देखने से काम नहीं चलेगा। इस पर भी क्रीम लगाइए…”
मुम्मी ने कहा- “भाई साहब, मुझे चैलेंज मत दीजिए। मैंने छः महीने से अपने शौहर को नहीं देखा है…”।
फूफा बोले- अच्छा तो यह बात है। ठीक है क्रीम लगाइए।
मुम्मी अब जान गयीं की अब फूफा उन्हें चोदे बिना नहीं छोड़ेंगे। मुम्मी ने क्रीम लिया और फूफा के लण्ड पर लगाने लगीं। फूफा आँखें बंद करके अयाया… अया… करने लगे।
मुम्मी बोली- भाई सब आपका तो बहुत बड़ा है जी।
फूफा बोले- क्यों डर गयीं।
मुम्मी ने कहा- नहीं मैं सोच रही थी की बेबी तो बड़ी नाजुक है, इतना बड़ा कैसे झेलती होगी।
फूफा बोले- छोड़िए ना उसे। अब तक आधा भी नहीं लिया है।
मुम्मी बोली- “क्या आपने अभी तक उसे छोड़ रखा है। वाकई आप बहुत नेक इंसान हैं। कोई और होता तो कब का फाड़ डालता…”
“आप लोगी…” फूफा मुम्मी के चेहरे को अपने हाथों में लेकर बोले।
मुम्मी आँखें बंद करके बोली- बहुत बड़ा अहसान होगा।
फूफा को ऐसे जवाब की उम्मीद नहीं थी। वो बोले- “इसमें अहसान की क्या बात है। हम रिश्तेदार हैं एक दूसरे के काम आ तो सकते ही हैं…” और उन्होंने तौलिया फेंका और मुम्मी को कंधों से पकड़कर गले लगा लिया। और उनकी गालों को चूमने लगे। पीछे हाथ लेजाकर मुम्मी के कुर्ते की जीप खोली, कुर्ता उतार दिया और मुम्मी की चूचियों को देखने लगे और दोनों हाथों में भर लिया, दबाते हुए चूसने लगे। इतनी जल्दी-जल्दी एक को छोड़ते दूसरे को चूसते की लगता था वो पागल हो गये थे। मुम्मी की चूचियां को देखकर फिर फूफा ने मुम्मी की सलवार का नाड़ा खोलकर मुम्मी को गोद में उठा लिया, और पलंग पर लिटा दिया और चढ़ गये। और मुम्मी की चूचियों को मसलते हुए चूसने लगे।
उनका 9” इंच का लण्ड मुम्मी की बुर से टकरा रहा था। मुम्मी को चुभ भी रहा था। फूफा उठे और मुम्मी की बुर में लण्ड घुसाने लगे।
मुम्मी ने कहा- “अरे अरे क्या कर रहे हैं…”
फूफा घबरा गये- “क्यों… नहीं करना…”
मुम्मी- “जी, करना तो है लेकिन आप तो बिल्कुल अनाड़ी हैं। पहले मुझे अपना लण्ड चुसवाइए तो सही। सूखा लण्ड कैसे जाएगा…”
वो सामने आए और लण्ड का सुपाड़ा मुम्मी के मुँह में डाल दिया और मुम्मी के मुँह को चोदने लगे। मुम्मी की साँस उखड़ने लगी लण्ड हलाक तक जा रहा था।
फूफा अनाड़ी थे उन्हें पता नहीं था की लण्ड कितना मुँह में डाला जाए। मुम्मी ने उन्हें रोका और इशारा किया। फूफा लण्ड निकालकर बुर के पास गये।
तो मुम्मी ने कहा- “बुर को उंगली से फाड़कर थूकिए…”
फूफा ने वैसा ही किया। बुर को फाड़कर थूका जैसे किसी थूकदान में थूक रहे हों। फिर अपने लण्ड को मुम्मी की बुर पे रखकर पेलने लगे। लण्ड घुसता चला गया। मुम्मी एक हाथ फूफा के पेट पर रखकर रोक रही थी। फूफा रुके और पूछा- “और पेलूँ…”
मुम्मी पूछी- “और भी है क्या…”
फूफा बोले- और थोड़ा सा है।
मुम्मी बोली- पेलिए आहिस्ता से।
फूफा ने पूरा लण्ड पेल दिया। मैं पहली बार मुम्मी को डरते हुए देख रही थी। फूफा बिल्कुल अनाड़ी थे मुम्मी ने ही कहा- “मेरी टाँगों को अपने कंधे पर रखिए। और चोदिए मुझे…”
फूफा ने मुम्मी के टाँगों को अपने कंधे पर रखा, और एक बार लण्ड को बाहर निकलकर धक्का दिया। मुम्मी चीख पड़ी अया… फूफा घबरा गये बोले- “क्या हुआ…”
मुम्मी बोली- “बाप रे बाप… आपका लण्ड तो छाती तक आ गया है। आप परवाह मत करिए मारिए धक्का…”
फिर फूफा धक्के मारने लगे। मुम्मी हर धक्के में अयाया… अया… कर रही थी। हर धक्के के साथ उनका पूरा बदन दहल उठता था। पलंग हिल रहा था, लेकिन फूफा जब जोश में आ गये तो फिर नहीं रुके। मुम्मी की आँखों से आँसू के धारा बह रही थी। फूफा चोदते रहे। फिर वो मुम्मी पर गिर गये। और दोनों ने एक दूसरे को चूमना शुरू किया।
मुम्मी बोली- “भाई सब आप तो मस्त चुदाई करते हैं…”
फूफा बोले- “भाभीजान आपकी बुर भी जबरदस्त है। आपकी ननद तो रोना शुरू कर देती है…”
जीनत ताली बजाती हुई बोली- “जेबा यह सच्ची घटना है क्या…”
जेबा बोली- “छीः नहीं…”
और हम सब एक ही बेड पर सटकर सो गये।
 
एक दिन पिरी ने मुझे ट्यूशन में एक खत सबकी नजरों से बचाकर दिया। मैंने सबकी नजरें बचाकर पढ़ लिया। लिखा था की कल घर के सब लोग मेरे लिए लड़का देखने कोलकाता जा रहे हैं। तुम कल रात मेरे घर रहोगे, अपने घर में कोई बहाना करके आना। मैं परेशान हो गया। इतनी जल्दी पिरी की शादी हो जायेगी। मैंने अपने जज़्बात पे काबू रखा और कल का इंतेजार करने लगा। दूसरे दिन पिरी ट्यूशन नहीं आई। मैं रात के 9:00 बजे पिरी के घर पहुँचा। दरवाजा खटखटाया तो अंदर से एक बहुत ही सेक्सी औरत ने दरवाजा खोला। मैं उन्हें पहचानता था वो पिरी की छोटी भाभी थी। साड़ी में गजब की सुंदर दिखती थी। उन्होंने मुझे अंदर बुलाया
मैंने पूछा- “पिरी है…” मैं दिल ही दिल सोच रहा था की पिरी तो बोली थी घर में कोई नहीं है पर…
उन्होंने एक कमरे की तरफ इशारा करके बताया- “उस कमरे में जाइए जनाब…”
मैं अंदर गया तो देखा एक खातून बुर्क़े में सोफे पर बैठी थी। काले बुर्क़े में उनके गोरे-गोरे हाथ ही दिख रहे थे। मुझे देखकर आदब कहा।
कहने का अंदाज अलग था मैंने जवाब दिया। और फौरन आवाज पहचान लिया यह तो पिरी है। मैंने कहा- “पिरी तुम हो…”
वो उठकर आई और मेरे गले से लिपट गयी।
मैंने कहा- तुम्हारी भाभी।
पिरी ने कहा- डरो मत सेट्टिंग है।
मैंने अब खुलकर उसे अपने सीने से चिपका लिया। उसकी बड़े-बड़े चूचियां मेरी छाती से पिसी जा रही थीं। अनोखा अहसास था बुर्क़े में। किसी को गले लगाना क्या होता है, मैं पहली बार महसूस कर रहा था। मैंने उसके नकाब को उलट दिए, उसकी होंठ चूमने, फिर चूसने लगा और हाथ उसकी पीठ पर फेरने लगा। मुझे महसूस हुआ बुर्क़े के अंदर पिरी ने कुछ नहीं पहना।
मैंने पुख़्ता करने के लिए पीछे से बुर्क़ा उठाना शुरू किया और उसकी गाण्ड के ऊपर करके नंगी गाण्ड को सहलाते हुए कहा- “पिरी तुम अंदर कुछ नहीं पहना…”
उसने शरारत भारी मुश्कुराहट के साथ कहा- “जरूरत है क्या…”
मैंने कहा- “नहीं, बिल्कुल नहीं। जब मैं आने वाला हूँ तो बिल्कुल नहीं…” और हम किस्सिंग करने लगे।
उसने कहा- तुम सोफे पे बैठो। मैं चाहती हूँ की तुम मुझे देखकर मुट्ठी मारो। देखना है मैं अपनी अदाओं से तुम्हारा पानी निकाल पाती हूँ की नहीं।
मैं सोफे पे बैठ गया। उसने म्यूजिक लगा दिया। हल्की आवाज में वो बुर्क़ा पहने हुए लहराने लगी। कभी कूल्हे मटकाती तो कभी छातियां हिलाती।
मैंने कहा- जरा कबूतरों को आजाद तो करो।
पिरी ने बुर्क़े के चार बटन खोल दिये, अपनी छातियों को बाहर निकाल दिया और हिलाने लगी, बड़ी महारत के साथ हिला रही थी। मेरा पूरा बदन थरथरा रहा था। मैं पैंट के ऊपर से लण्ड को सहलाने लगा। मैंने कहा- “जरा पीछे घूमो, और गाण्ड दिखाओ…”
पिरी घूम गयी, गाण्ड के ऊपर तक बुर्क़े के दामन को उठा दिया और हिलाने लगी। अब मेरा लौड़ा बिल्कुल खड़ा हो गया। वो सामने घूमी और बुर्क़े का आखिरी बटन भी खोल दिया। अब उसकी बुर दिखने लगी। मैं अब लौड़े को पैंट के अंदर नहीं रख सकता था। मैंने जैसे ही पैंट की जीप खोलना चाहा।
पिरी बोली- अभी नहीं… भाभी को आने दो, उनसे खुलवाएंगे। भाभी कहती हैं की सबका एक जैसा होता है। मुझे शादी के लिए मना रही थीं। मैंने कहा इमरान का स्पेशल है। तो उन्होंने कहा दिखना फिर…”
इतने में भाभी ट्रे में तीन ग्लास शरबत लेकर आ गईं और कहा- “सारी… जरा देर हो गयी। चीनी बड़े दाने की थी घुल ही नहीं रही थी…”
पिरी बोली- भाभी अब जरा आप जो देखना चाहती थीं देख लीजिए।
उन्होंने मेरे हाथ में एक ग्लास शरबत का दिया और दोनों ने एक-एक ग्लास ले लिया और पीने लगीं। पिरी खड़ी-खड़ी लहराते हुए पी रही थी। भाभी मेरे करीब सोफे पे बैठी पी रही थीं।
मैंने ही कहा- “भाभी मेरे चीज को आजाद कराईए ना अंदर उसे जगह नहीं हो रही।
भाभी- “अच्छा देखूं तो…” कहकर उन्होंने मेरे पैंट का जिप खोल दिया। और चड्डी को साइड करके लण्ड को बाहर निकाला। और मुँह पे हाथ रखकर हैरत से बोली- “पिरी यह क्या है यार… घोड़े के लण्ड से भी मोटा। इसे तू कैसे लेती है…”
पिरी- अभी लेके दिखाऊगी जरा सब्र तो करो।
भाभी बोली- सच में पिरी तेरी पसंद की दाद देती हूँ। क्या माल फाँसा है। मजा आ गया देख के।
पिरी- भाभी देख के मजा आता है तो सोचो चुदवा के कितना मजा आएगा।
भाभी बोली- मुझे भी मौका मिलेगा क्या…”
पिरी बोली- क्यों नहीं आपके लिए ही तो बुलाया है।
“सच…” कहकर भाभी लण्ड को सहलाने लगीं।
 
मैं सोफे पर सर के पीछे हाथ करके पिरी के नंगे डान्स का मजा ले रहा था। मुझे भाभी की हरकतों की कोई परवाह नहीं थी। मैं तो पिरी की खूबसूरती को पी जाना चाहता था। जितने दिन वो यहाँ है। मैं उसे हर तरह से एंजाय कर लेना चाहता था। और पिरी भी यही चाहती थी। भाभी अब मेरे पैंट के हुक खोल चुकी थीं। पैंट को मुझसे अलग कर रही थीं। मैं उनकी मदद कर रहा था। पैंट अलग हुआ फिर टी-शर्ट। मैं अब बिल्कुल नंगा था। पिरी भी बुर्क़ा बदन से अलग कर चुकी थी। और अब भी म्यूजिक की धुन में लहरा रही थी। वो अपने बदन की हर एक खूबसूरती को मुझ पर उजागर करने पे तुली थी।
अब पिरी ने मुझसे कहा- इमरान अब जरा मेरी भाभी को अपना हुनर दिख दो। ऐसा की वो ज़िंदगी भर भूल ना पाएं।
तब मैंने भाभी पर तवज्जो दिया, उन्हें अपनी बाहों में जकड़ लिया और उनकी होंठ चूमने लगा फिर चूसने लगा। मेरी बाहों की पकड़ बहुत मजबूत थी। भाभी कसमसने लगी। मैंने और कसकर पकड़ लिया। फिर उनकी छातियों को ब्लाउज़ के उपर से मसलने लगा। भाभी सोफे पर लेट गयीं। मैंने बटन खोले और ब्लाउज़ उतार दिया। फिर ब्रा बिना हुक खोले उठा दिया। छातियां बाहर आ गईं। भाभी की छातियां भी कुछ कम नहीं थीं। पिरी से बड़ी थी लेकिन पिरी की तरह गोल नहीं थी। थोड़ा ढीली और लटकी हुई थीं। मैंने सीधे चूचुक पकड़ लिए और मसल दिया। भाभी तड़प गयी। मैंने फौरन मुँह लगा दिया और दोनों छातियों को मसलता रहा, चूसता रहा।



पिरी चाहे जितनी खूबसूरत हो मुझे मानने में कोई शरम नहीं की अलग-अलग औरत का अलग ही मजा होता है। मैं अब उनकी साड़ी और पेटीकोट खोलने लगा, जो एक मिनट में बदन से अलग हो गयी। मैंने अपनी से दो उंगलियों में थूक लगाया और सीधे भाभी की बुर में घुसाकर आगे पीछे पूरी रफ़्तार में करने लगा। मुझे भाभी को चोदने में कोई इंटेरेस्ट नहीं था। सिर्फ़ जल्द से जल्द उन्हें निपटाना चाहता था।
भाभी तड़पने लगीं। मैं उनकी बुर पर आ गया।, और मुँह लगाकर चाटने लगा। दो मिनट बाद मैंने लण्ड को भाभी की बुर पर रखा और धक्का दिया। मुझे मालूम था शादीशुदा हैं। मैंने एक ही बार में पूरा लण्ड घुसा दिया। भाभी हड़बड़ा कर उठने लगी की भाग जाएंगी। लेकिन मैं उनपर चढ़ गया और चोदने लगा, जैसे किसी दुश्मन को सजा दे रहा हूँ। मैं बहुत ही जंगली अंदाज में चुदाई कर रहा था।
भाभी- “पिरी बचा मुझे… मेरी बुर फट चुकी है। लण्ड छाती तक घुस गया है। तेरी बुर को सलाम करती हूँ। कैसे सहती है तू…”
पिरी- भाभी एंजाय करो।
भाभी- एंजाय क्या करना ज़िंदा बचूँ तो बहुत है।
मैंने कुछ नर्मी बरती और आराम से चोदने लगा।
भाभी भी अब मजा लेने लगीं- “वाह पिरी, आज तूने मुझे औरत होने का शुख दिया।
पिरी- शुख तो कोई और दे रहा है। आप मेरा शुक्रिया क्यों कह रही हो।
भाभी ने मेरी तरफ मुश्कुराते हुए कहा- तेरी वजह से ही तो जनाब मिले हैं। अच्छा बता पिरी, इनका लण्ड खाने के बाद तेरे भैया की पेंसिल को मैं ज़िंदगी भर कैसे लूँगी।
पिरी- वो आप समझें। मुझे यह साबित करना था की सबका एक जैसा नहीं होता।
भाभी- पिरी कह देना कभी-कभी घर आते रहें।
मैं चोदते हुए उनकी बड़ी-बड़ी छातियों को नाचते हुए देख रहा था। सच कहता हूँ ऐसा नजारा अब तक किसी कुँवारी लड़की से नहीं मिला था। मैंने अपने दोनों हाथों में दोनों छातियों को पकड़ लिया और चूचुकों को चुटकी में लेकर मसलने लगा।
भाभी तड़पने लगीं और कहा- मत करो ना, बहुत सरसराहट होती है।
मैंने कहा- आप चुपचाप पड़ी हैं गाण्ड उछालकर चुदिए।
भाभी गाण्ड उछलने लगी। मैंने धक्के बंद कर दिए और भाभी गाण्ड उछालकर खुद ही लण्ड लेने लगीं। मैं उनके चूचुकों को चूसने लगा। फिर मैं भी धक्के मारने लगा। भाभी का बदन अकड़ने लगा, वो मुझसे लिपट गयी और उनकी बुर से पानी बहने लगा।
आअहह… आअहह… उम्म्म्मह… और वो सर्द पड़ गयी।
लेकिन मेरा लण्ड उनकी बुर को बदस्तूर चोद रहा था। पिरी जान चुकी थी भाभी पानी छोड़ चुकी हैं।
पिरी ने कहा- “क्या यार पोजिशन चेंज करो ना।
मैंने लण्ड बुर से बाहर निकाला, भाभी को घोड़ी बनने को कहा।
भाभी बोली- नहीं और नहीं फिर कभी।
पिरी बोली- ऐसा कैसे, आपने उसके लण्ड का साइज देखा, जरा टाइमिंग भी देख लो।
भाभी का भी दिल था वो फिर तैयार हो गयीं, और सोफे पे सर रखकर पैर जमीन पर रखकर गाण्ड ऊपर उठा दिया। मैं खड़ा होकर झट से उनकी बुर में लण्ड धकेल दिया। भाभी की गाण्ड बहुत खूबसूरत थी। मैंने फौरन स्पीड पकड़ लिया। मुझे पिरी पर गुस्सा आ रहा था, और मैं गुस्सा भाभी की गाण्ड पर उतार रहा था। भाभी आ आ करती रही। लेकिन मैं बेदर्दी से धक्के मार रहा था।
पिरी फिर बोली- इमरान जरा भाभी की गाण्ड भी मार ले ना।
भाभी रोने वाली आवाज में बोली- नहीं पिरी मैं मर जाऊँगी, गाण्ड में नहीं। मैंने कभी गाण्ड नहीं मरवाई।
पिरी- तो अब मरवा लो।
भाभी मना तो कर रही थीं लेकिन गाण्ड उठाई हुई थीं। मैंने बुर से लण्ड निकाला और गाण्ड के सुराख में धकेलने लगा। लण्ड बुर के रस में गीला था। फिर भी बड़ी मुश्किल से अंदर जाने लगा।
भाभी- “आह्ह… मर गयी… मर गयी…” कहती रहीं मैं गाण्ड मारने लगा।
फिर पिरी बोली- “इमरान, अपना पानी भाभी की बुर में छोड़ना। मैं चाहती हूँ की भाभी तेरे बच्चे की माँ बनें…”
भाभी चौंकते हुये- क्या… तू अपने घर में दूसरे का बच्चा पैदा करवाना चाहती है।
पिरी बोली- मैं अपने घर में इमरान की कोई निशानी चाहती हूँ।
भाभी बोली- तो तू खुद पैदा कर।
पिरी बोली- मैं भी कोशिश करूँगी। लेकिन दो जने कोशिश करें तो ज्यादा बेहतर होगा।
इतने में मुझे लगा मेरा पानी आने वाला है। मैंने गाण्ड से लण्ड निकाला और भाभी की बुर में डाला और बुर के अंदर पानी छोड़ने लगा। पानी छोड़ने का मजा ही कुछ और होता है। जैसे सारा बदन का रस निचोड़ा जा रहा हो। और उसे लण्ड के सुराख से बुर में डाला जा रहा हो। मैं सोफे पर बैठ गया।
पिरी फौरन मेरे पास आई और मेरे लण्ड को चूसने लगी। लण्ड पर लगे रस को चाट-चाट कर साफ कर दिया। उसे चोदने की खाहिश या उसके हुश्न की जादू से मेरा लण्ड फिर खड़ा होने लगा। पिरी सोफे पर मेरे अगल बगल पैर रखकर खड़ी हो गयी, जिससे उसकी बुर मेरे मुँह के सामने थी। मैं समझ गया वो क्या चाहती है। मैं फौरन उसकी बुर जबान से चाटने लगा। वो बुर को मेरे मुँह में दबाने लगी। मैं उसकी बुर में जबान घुसा-घुसाकर चाटने लगा। वो पहले से गरम थी। अब मस्त हो गयी, और मेरे लण्ड पर बैठ गयी। लण्ड पूरा बुर के अंदर चला गया। मेरे कंधे पर बाहें डालकर कमर ऊपर-नीचे करते हुए लण्ड लेने लगी।
मेरे बालों में हाथ फेरते हुए मेरे गालों को किसी बच्चे की तरह चूमते हुए बोली- “तुम थक गये होगे ना… मैंने रेस्ट भी नहीं दिया और चढ़ गयी। क्या करूँ तुम्हें देखकर सब्र करना मुमकिन ही नहीं होता। तुम आराम से बैठो। मैं तुम्हें जैसा कहोगे, वैसा मजा देने की कोशिश करूँगी…”
वो अपनी कमर को इतने आराम से ऊपर-नीचे कर रही थी, जैसे कोई मेरे लण्ड को मलमल के रुमाल से पकड़कर सहला रहा हो।


कहानी ज़ारी है… …
 
पिरी बोली- इमरान, पिछले 6 महीने में तुम्हारा लण्ड तरह-तरह की बुर का पानी पीकर अब और तगड़ा हो चुका है। मेरे खयाल से भाभी को जोड़कर 6 लड़कियां होगीं, या इसके इलावा भी कोई है…”
मैंने कहा- तुम लोगों ने मेरा करेक्टर तो बर्बाद कर ही दिया है। अब तो मुझे जो भी औरत दिखती है उसे चोदने को दिल करता है।
पिरी- “इसका मतलब हमारे इलावा भी…”
मैंने कहा- सिर्फ़ एक।
पिरी- बताओ वो कौन है।
मैं- मेरी मामी।
मामी कि दास्तान
पिरी- “कैसे किया पूरा डीटेल बताओ…” अब वो जोश में आ चुकी थी और जोर-जोर कमर हिला रही थी।
मैंने कहा- “मैं अपने मामा के घर गया था। देखा मामी अकेली हैं। उनकी पाँच साल की एक बेटी है। मामी बड़ी सेक्सी हैं। मेरी नीयत खराब हो गयी। मैंने शाम तक रुकने का फैसला कर लिया। सब जानकारी ले ली। बेटी 1:00 बजे स्कूल से आएगी फिर 3:00 बजे ट्यूशन के लिए चली जाएगी। मामा रात को 10:00 बजे घर आएंगे। हमने रूबी के स्कूल से आने के बाद खाना खाया और उनके बेडरूम में खेलने लगे।
मेरी नीयत की वजह से मेरा लण्ड फूलने लगा था। मैं मामी को दिखाकर अंजन बनते हुए लण्ड को बार-बार अड्जस्ट कर रहा था। 3:00 बजे रूबी ट्यूशन के लिए निकली और मुझसे कहा उसके आने तक रुकूं। उसके जाने के बाद बेड पर आकर लेट गया और लण्ड को जरा सा सहलाकर सख़्त किया। और जरा तिरछा करके लेट गया इस तरह की लण्ड का उभार पैंट के ऊपर से साफ दिखने लगा। मैंने आँख बंद कर लिया, मैं इंतेजार करने लगा। मामी रूबी को दरवाजे पर छोड़कर शायद बाथरूम गयीं। फिर वो कमरे में आ गयीं। मैंने सोने का आक्टिंग किया। मामी अंदर आकर मेरे पास आई, कुछ देर सन्नाटा रहा।
फिर उन्होंने हाथ मेरे माथे पर फेरते हुए कहा- इमरान, सो गये क्या।
मैंने कोई जवाब नहीं दिया। फिर उनका कांपता हुआ एक हाथ मेरे लण्ड पर गया। मैंने दम साध लिया। वो उसे कपड़े के ऊपर से सहलाने लगीं। लण्ड फौरन खड़ा हो गया। अब पैंट फाड़ने को तैयार था। मामी ने चैन खोला और लण्ड को चड्डी के अंदर से खींचना चाहा। लेकिन मेरे खड़े लण्ड को पैंट का हुक खोले बिना बाहर निकालना मुश्किल था। उन्होंने हुक खोल डाला और लण्ड को बाहर निकाल लिया। और झट से उसपर मुँह लगा दिया और चूसने लगीं। एक मिनट बाद मैंने आँखे खोल दी और देखने लगा। उन्हें होश नहीं था वो पागलों की तरह चूस रही थीं।
मैंने कहा- “मामी…”
उनकी हालत देखने वाली थी। मुँह के अंदर लण्ड था, मेरी तरफ नजरें उठी और शर्म से मुँह मेरी गोद में गाड़ दिए। फिर उठीं और भागने लगीं। मैंने दौड़कर पीछे से पकड़ लिया। मेरा लण्ड उनकी गाण्ड पर दबा हुआ था। मैंने कहा- “मामी प्लीज चूसो ना। बहुत मजा आ रहा था…” मैं लगातार प्लीज प्लीज कर रहा था।
आखिर मामी बोली- अच्छा करती हूँ। किसी को कहोगे तो नहीं।
मैंने कहा- “नहीं करोगी तो कह दूँगा अम्मी से। करोगी तो नहीं कहता…” फिर मैं आकर बेड पर चित लेट गया, लण्ड आसमान की तरफ सर उठाए खड़ा था।

मामी अब मजे ले लेकर बिना डरे चूसने लगीं। कुछ देर बाद मैंने उनकी एक छाती को छूने की कोशिश की तो उन्होंने ने डाँटा- यह क्या कर रहे हो।
मैंने कहा- “आप मेरे सामान से खेल रही हो। मैंने भी आपके सामान से खेलना है…” और उनकी एक छाती को पकड़ लिया और दबाने लगा। दूसरी छाती तक मेरा हाथ नहीं जा रहा था। मैंने उन्हें खींचकर अपनी छाती पर लिटा लिया और पलट गया। अब वो मेरे नीचे थीं। मैं ब्लाउज़ के बटन खोलने लगा।
मामी माना करने लगीं।
मैंने कहा- “मामी, मत रोको… मैं नहीं रुक सकता। मैंने दोस्तों से सुना है की लण्ड खड़ा हो जाए तो लड़की का दूध चूसते हैं…”
मामी फिर भी रोकती रहीं।
तो मुझे कहना पड़ा- “मामी आपने मेरा लण्ड चूसना शुरू किया था। यह बात मैं अम्मी से ना बताऊँ तो आप मेरे लण्ड को पहले जैसा नरम कर दीजिए। और नहीं तो मुझे जो करना है करने दीजिए…”
मामी को मेरा इरादा पता चल गया वो ढीली पड़ गयी। मैंने मौका देखा और ब्लाउज़ के बटन खोल दिए। और चूचियां चूसने लगा। मैं बोला- मामी, आपका दूध बहुत मीठा है। मामी सर एक तरफ किए नाराजगी की आक्टिंग कर रही थीं। मैं लण्ड को उनकी बुर पर रगड़ रहा था, जिससे उन्हें तकलीफ हो रही थी। उन्होंने खुद ही टाँगों को खोल दिए। ताकि लण्ड उनकी टाँगों के बीच में रहे।
 
मैं मामी की साड़ी उठाने लगा तो मामी फिर एतेराज करने लगीं।
मैंने कहा- मामी मुझे मालूम है अगर दूध चूसने पर लण्ड नरम ना हो तो बुर में घुसते ही दो मिनट में नरम हो जाएगा। बोलो, रूबी के आने से पहले खेल खतम करना है की नहीं।
मामी चुप रही।
मैंने झट उनकी टाँगों के बीच बैठकर साड़ी नाभि के ऊपर उठा दिया। वो टाँगों को जोड़ने की कोशिश करने लगीं। लेकिन मैं बीच में बैठा था फिर उन्होंने अपना एक हाथ बुर पर रख दिया, आँखें बंद थीं, मैंने उनका हाथ हटाया और मुँह लगाकर बुर को चाटने लगा।
मामी ने आँखें खोल दी और कहा- “इमरान तुम यह काम पहले कर चुके हो ना…”
मैंने कहा- नहीं मामी, दोस्तों से सुना है।
मामी- ऐसा हो ही नहीं सकता।
मैं अब उनकी बातों का जवाब ना देकर बुर के अंदर जबान घुसाने लगा और कहा- “मामी आपकी बुर लाजवाब है…” फिर मैं बैठा और लण्ड मामी की बुर के मुँह में रखा।
मामी ने फिर एतेराज किया। बोली- “इमरान, यह तो मत करो ना। बहुत गुनाह होगा…”
मैंने कहा- आप जो लण्ड चूस रही थीं वो क्या सवाब का काम था…” कहकर मैंने लण्ड पर दबाओ डाला और लण्ड घुसता चला गया। एक बच्ची की माँ होने के बावजूद उनकी बुर काफी टाइट थी। मुझे मालूम था उन्हें बड़े प्यार से चोदना है। मैंने वैसा ही किया। पूरा लण्ड अंदर ना घुसाकर अंदर-बाहर करने लगा। मामी ने आँखें बंद कर ली। मैं उनके ऊपर झुक गया और दूध चूसते हुए आहिस्ता-आहिस्ता कमर हिला रहा था।
मामी बोली- इमरान जल्दी-जल्दी मारो, जल्दी खतम करो। रूबी आ जाएगी।
मैंने कहा- आपको तकलीफ होगी। इसलिए आहिस्ता कर रहा था।
मामी बोली- मैं कोई कुँवारी बच्ची हूँ की तकलीफ होगी। बच्चा जन चुकी हूँ। मेरी परवाह मत कर, बस जल्दी खतम कर नहीं तो कोई आ जाएगा।

मैंने स्पीड बढ़ाई, दो मिनट बाद मैं पूरी ताकत से चोद रहा था। मामी तड़प रही थी, वो अब अपना असली रंग दिखा रही थी। मेरे सर को अपनी छाती पर दबा रही थी। दाँत भींच रही थीं, बोली- “राजा चोदो राजा बड़ा मजा आ रहा है…”
मैंने कहा- यह राजा कौन है…”
मामी बोली- मैं रूबी के पापा को राजा कहती हूँ।
मैं- “मामी मजा आ रहा है ना…”
मामी बोली- पूछ मत, बस चोदता रह।
मैंने पूछा- “मामी, मामा से भी इसी तरह मजा आता है…”
मामी बोली- “तोबा करो, उनका पतला छोटा सा और तेरा इतना बड़ा, इतना मोटा। बड़ा मजा आ रहा है…”
इतने में किसी ने दरवाजा खतखटाया।
मामी झट से मुझे एक तरफ धकेलकर बोली- रूबी आ गईं। बाथरूम भागो अपना लण्ड लेकर।
मैं बाथरूम भागा, वो दरवाजा की तरफ। कुछ देर में मामी बाथरूम का दरवाजा खटखटा रही थी- इमरान, दरवाजा खोलो।
मैंने दरवाजा खोल दिया। वो आकर मुझसे लिपट गयी। मेरे लण्ड को पकड़ लिया और सहलाने लगीं, एक टांग उठाकर कमोड पर रख दिया और साड़ी उठाकर बोली- लण्ड बुर में डालो।
मैंने बुर में लण्ड घुसा दिया और खड़े-खड़े चोदने लगा। इस पोजिशन में पहली बार चोद रहा था।
मामी बोली- तुम्हारे मामा के दफ़्तर का पेवन था। कहने आया था की मामा दो दिन के लिए काम से बाहर गये हैं। दो दिन बाद घर आएंगे। रूबी को आने में अभी 15 मिनट देर है, तब तक तुम चोदो मुझे। आज रात तुम ठहर जाओ। कल जाना। रात में जी भरके चोदना…”
5 मिनट बाद मामी का बदन अकड़ने लगा- “उम्म्मह… आअहह… उम्म्म्ममह… आआहह… उनकी बुर ने पानी छोड़ना शुरू किया उम्म्मह… वो मुझसे लिपट गयी, बुर मेरे लण्ड पर दबाती जा रही थीं। उम्म्म्ममह… आआहह… उनकी बदन में लहरें उठ रही थीं। उउउम्म्म्ममह… आआहह…
मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था।
“आअहह… इमरान, बाप रे बाप… कितना पानी निकला है आज। उंह…” वो मुझे चूमने लगीं। मेरे गाल होंठ चूम-चूम के भर डाला। फिर बोली- “इमरान, आज जितना पानी मेरी बुर ने कभी नहीं छोड़ा था। मुझे लग रहा था मेरे बदन का सारा पानी निचुड़कर निकल रहा है। पानी निकलने का शुख भी क्या शुख है… उंह…” फिर चूमा और बोली- “मजा आ गया। बड़ा मजा है रे तेरे लण्ड में…”
अब मैं भी क्लाइमक्स की ओर बढ़ रहा था, मेरी बाहें उनकी कमर के गिर्द जकड़ती जा रही थीं। वो समझती थीं की उन्होंने अपने आपको मेरे हवाले कर दिया था और मेरे सर के बालों पे हाथ फेर रही थीं। मैं घुटने मोड़ करके नीचे से ऊपर की ओर धक्के दे रहा था, जबरदस्त धक्के। फिर मैं भी मामी की बुर के अंदर पिचकारी मारने लगा।
मैंने भी आवाज़ें निकालकर पानी छोड़ा- “हूओंम्म… हूओंम्म… हूंम्म…” इस तरह 7-8 पिचकारी मारी होगी। फिर लड़खड़ा कर खड़ा हुआ। और उनकी कमर छोड़ दी।
मामी मेरे सर पे हाथ फेर कर फिर होंठ चूमकर बोली- मेरा बच्चा, कितना दिल लगाकर चोदता है।
तभी दरवाजा पे किसी ने दस्तक दी।
तभी दरवाजा पे किसी ने दस्तक दी।
मामी बोली- “लगता है की रूबी आ गयी।
मुझे भी लग रहा था। जैसे ही मेरी पकड़ ढीली हुई मामी भागी। दरवाजा खोला तो रूबी थी।
रूबी बोली- “कितना टाइम लगाती हो दरवाजा खोलने में।
मामी- मैं बाथरूम में थी।
 
रूबी- “भैया हैं…”
मामी बोली- “हाँ… मैं निकली वो बाथरूम में घुसा…” मामी ने रूबी से कहा- “तुम्हारे पापा दो दिन के लिए बाहर गये हैं। मैं इमरान से बोल रही हूँ की रुक जाए। वो नहीं मान रहा। तुम कहो तो शायद मान जाए…”
रूबी जिद करने लगी।
मैंने कहा- अम्मी इंतेजार करेंगी।
मामी ने कहा- हम बाजार चलेंगे पी॰सी॰ओ॰ फोन से काल कर देंगे।
फिर हमारा बाजार और पार्क जाने का प्रोग्राम बना। हम पार्क गये। वहाँ रूबी ने मेरे साथ खूब खेला। मामी को जब भी मौका मिलता, पूछती- “तुमने कहाँ से सीखा। कितनी लड़कियों को अब तक चोद चुके हो…”
मैं टालता रहा। फिर हमने बाहर ही खाना खाया और घर आते ही रूबी सोने चली गई और मुझे उसके पास सोने को जिद करने लगी। मामी ने समझाकर मुझे ड्राइंग रूम में सुलाया। कुछ ही देर में मामी नाइटी पहनकर मेरे कमरे में आ गईं। आते ही रूम का दरवाजा अंदर से बंद किया। और मेरे ऊपर चढ़ गयीं। उनपर मेरे लण्ड ने जादू कर दिया था।
मामी- “इमरान, बताओ ना इतना अच्छा चोदना कैसे सीखा…”
मैंने पिकनिक का सारा वाकिया बता दिया।
मामी बोली- “चार-चार लड़कियों को तीन तीन बार चोदे वो भी एक दिन में… मुझे आज रात कितनी बार चोद सकोगे…”
मैंने कहा- “तीन बार तो जरूर…”
मामी- “ठीक है तीन बार तुम्हारी तरफ से एक बार मेरी तरफ से 4 बार…” मामी ने अपना नाइटी उतार फेंका और कहा- “अब देख लो…”
मैंने कहा- नाइट बल्ब में कुछ दिखता है क्या।
उन्होंने कहा- ठीक है, ट्यूब जला लो।
मैं उठा और ट्यूब जला दिया। मामी चित पड़ी थीं। हाथ फैलाये टांगें फैलाये। यानी सारी खूबसूरती एक साथ दिखाती हुईं। उनके चेहरे पे मुश्कुराहट थी, यानी उन्हें अपने हुश्न पर नाज था। वो सच में खूबसूरत थीं। मैंने अपने सारे कपड़े उतारे और उनके पैर पकड़के पलंग के किनारे पे खींच लिया। ऐसा की उनकी कमर पलंग के किनारे पे थी। उनकि टाँगों को उन्हें पकड़ा दिया और खुद बैठकर बुर को चाटने लगा। बुर की गहराई तक जबान डालकर चाटने लगा। मामी की दोनों टाँगें छत की तरफ उठी हुई थी। मेरा लण्ड अब और बाहर रहने के लिए राजी नहीं था।
उधर मामी कह रही थी- इमरान, मुझे लण्ड दो जबान नहीं। लण्ड डालो इमरान तुम्हारी जबान भी अच्छी है। लेकिन लण्ड की बात कुछ और है।
मैं भी तैयार था लण्ड बुर में घुसा दिया और शुरू से ही स्पीड बढ़ा दी।
मामी किसी शायर के शेर पे दाद देने जैसा बोल रही थीं- “वाह इमरान वाह… मजा आ गया। मुझे एक शादीशुदा अच्छी तरह चुदी हुई औरत बना दो। सब मुझसे कहते हैं तू चुदती है की नहीं। एक बच्चे की माँ बन गयी लेकिन तेरा बदन तो कुँवारियों जैसा है, गाण्ड फैली नहीं, छाती टाइट की टाइट है। आज सब कुछ ढीला कर दो। जी भरके चोदो…”
मैं ठाप पे ठाप लगा रहा। मैं पलंग के नीचे खड़ा होकर मार रहा था। फिर मैंने मामी से कहा- मामी मेरी कमर पर पैर लपेटिए। और उन्हें खींच कर उठाया और उन्हें अपनी बाहें मेरे गले में डालने को कहा। मैंने उन्हें उठा लिया अब वो मेरे गले में झूल रही थी।
मेरा लण्ड उनकी बुर के अंदर था। मैं उनकी गाण्ड के नीचे हाथ देकर ऊपर-नीचे करने लगा। मामी प्यार से मेरा मुँह चूम रही थी। मामी ने कहा- “मेरा बच्चा मुझे गोद में ले रहा है। कितना प्यारा बच्चा है। इमरान, तुमने मेरा दिल खुश कर दिया।
मैंने शरारत से कहा- मैं सेवा तो आपकी बुर की कर रहा हूँ। दिल कैसे खुश हो गया।
मामी ने कहा- गलती हो गयी बाबा। तुमने मेरी बुर को खुश कर दिया। और कितने पैंतरे जानते हो।
मैंने कहा- मामी यह तो अभी-अभी दिमाग में आया।
उनके ना चाहते भी उनकी पीठ एक दीवार से टकरा गयी। मैंने उन्हें दीवार से सटा दिया। कुछ वजन हल्का लगा। मैं उन्हें उसी तरह दीवार पे सटाकर धक्के मारने लगा। अब धक्के मारना ज्यादा आसान हो गया। और जोरदार पड़ने लगा।
मामी बोली- दीवार गिराने का इरादा है क्या…
मैंने कहा- “नहीं… आपकी गाण्ड को फैलाना है, आप चाहती हैं ना…” मैंने उन्हें दीवार से अलग किया और फिर जोर से दीवार में धक्का दिया, पीछे से दीवार का धक्का सामने से मेरा धक्का।
चार पाँच धक्के के बाद मामी बोली- “आह्ह… इमरान, ऐसे नहीं। ऐसे तो तकलीफ होती है। नीचे घोड़ी बनाके पीछे से चोदते हैं। तभी गाण्ड फैलती है…” दोनों अब तक पशीने से तरबतर थे। पंखा चल तो रहा था लेकिन बदन जल रहा था।
इतने में मामी मुझसे चिपक गयीं- “उउउन्ममम्ममम… उउउम्म्मह… की आवाज के साथ बुर से पानी छोड़ने लगी। मैं भी थक गया था, उन्हें लेकर नीचे फर्श पर चित लेट गया। वो मेरे ऊपर थीं, लण्ड उनकी बुर के अंदर था। वो हाथ से मेरे पशीने पोंछने लगीं, मुझे प्यार करने लगीं।
मामी- “इमरान, मेरा बच्चा कितना खुशी देगा रे मुझे। ले दुधू पी…” कहकर मेरे होंठ में चूचुकों को सटा दिया।
मैं चूचुकों को चूसने लगा, फिर शरारत से कहा- मामी, दुधू नहीं निकल रहा।
मामी बोली- “घूंसे मार, जैसे बकरी का दूध दुहते हैं। वेसे ही दुह…”
मैं दोनों छातियों हल्के-हल्के घूंसे मारने लगा फिर दुहने लगा।
मामी बोल रही थी- “अब चूचुकों को खींच, जैसे बकरी के खींचे जाते हैं…”
मैं वेसे ही खींचने लगा। मुझे पता था ऐसे में मामी को तकलीफ होगी। उनके चेहरे से तकलीफ जाहिर भी थी। वो कमर को गोल-गोल घुमा रही थी लण्ड पर।
मामी- “इमरान, तुझे तकलीफ तो नहीं हो रही है ना। मैं अपना सब कुछ ढीला करवाना चाहती हूँ। चुदी हुई दिखना चाहती हूँ। और सुन किसी से बोलना मत। इस बेहतरीन चुदाई से मैं तेरा बच्चा इसी बुर से पैदा करना चाहती हूँ। बिल्कुल तेरे जैसा बेटा। तेरे मामा अब एक और बच्चा के लिए कह रहे हैं। हम एक साल से किसी एहतियात के बिना चुदाई कर रहे हैं लेकिन अभी तक बच्चा नही ठहरा। मेरी एक सहेली है ना शादी के वक़्त पतली थी। शादी के दो साल बाद दो बच्चों की माँ बन गयी, और चालीस इंच कमर। मैंने पूछा तो उसने बताया की उसका शौहर रोजाना दो बार कूटता है। एक बार आगे से एक बार पीछे से। ऐसे गाण्ड मटका कर चलती है जैसे अभी-अभी चुदवा कर आई है…”
मैं लगातार उनका दूध दुह रहा था। अचानक मुझे लगा मेरे गाल पर एक बूँद पानी का गिरा। मैंने गौर किया तो चूचुकों के मुँह पर सफेद पानी टपक रहा। था मैंने चूचुकों को मुँह में लिया तो वाह… क्या मीठा दूध था… मैंने मामी को बताया तो उन्हें भी ताज्जुब हुआ।
मामी- “वाह इमरान, तू तो पत्थर से भी रस निकाल सकता है रे। निचोड़ डाल सारा रस इससे, अब तेरे सिवा कोई पीने वाला नहीं। मुझे तो लगने लगा है तेरे मामा अब मुझे चोदने से डरने लगें हैं। मुझे एक बार और माँ बनना है, एक लड़के को जनम देना है…” वो अब गाण्ड उछल-उछल के मुझे चोद रही थी।
मेरा बदन अकड़ने लगा मैंने उनकी कमर को पकड़ लिया और उन्हें उठा-उठाकर अपने लण्ड पर धक्के मारने लगा। फिर मेरे लण्ड ने मामी की बुर के अंदर उल्टी करना शुरू कर दिया। फिर सब कुछ थम सा गया। मामी मेरे ऊपर लेटी हुई थी, लण्ड उनकी बुर के अंदर ही था।
मामी बोली- अबकी बार मैं गधी बनूँगी, तुम गधे की तरह चोदना।
मैंने पूछा- गधा ही क्यों…
मामी बोली- क्योंकी गधे का लण्ड दुनियां में सबसे लंबा होता है। एक हाथ से भी लंबा।
मैंने पूछा- “आपने देखा है…”
उन्होंने कहा- हाँ… उसी ने तो 15 साल की उम्र में चुदने के लिए मजबूर किया था।
मैंने कहा- “वो कैसे…”
हमारे गॉव में एक आदमी ने गधे पाले हुये थे, तीन गधी एक गधा। एक बार स्कूल से आते वक़्त एक तालाब के पास मैं और मेरी एक सहेली पेशाब करने बैठीं थीं की उस गधे ने हमारे सामने अपना लण्ड खड़ा कर लिया। पहले हम समझ नहीं पाए की यह क्या है… लेकिन जब वो हमारे बिल्कुल सामने गधी पर चढ़ गया। और उसका लण्ड गधी की चूत में घुस गया। तो हमारी समझ में सब कुछ आ गया की क्या हो रहा है। हम दम साधे देखते रहे।
गधा 4-5 मिनट तक गधी पर चढ़ा रहा। फिर उतर गया। उसका लण्ड बाहर आ गया, लण्ड से रस टपक रहा था। फिर आहिस्ता-आहिस्ता लण्ड सिकुड़ता चला गया और पूरा खोल के अंदर समा गया। तब हम दोनों की साँस चली। हम दोनों के मुँह से निकला- “इतना लंबा… पूरा अंदर चला गया था…”
हम खिलखिलाती हुई उठीं और घर चलने लगी। रास्ते भर सिर्फ़ उसी की बात होती रही।


कहानी ज़ारी है… …
 
फ्लैशबैक से वापस
पिरी ने एक दिन मुझसे कहा- “मैंने घर वालों से कह दिया है की मैं पहले तुम्हारे साथ हनीमून के लिए जाऊँगी फिर किसी से भी शादी कर लूँगी। किसी से भी जहाँ वो चाहें, वरना शादी के दिन मना कर दूँगी। घर वाले डरकर राजी हो गये हैं। हमें सटर्डे को जाना है। तुम अपने घर में कोई अच्छा सा बहाना बना लेना…”
मैं हिचकिचाते हुए राजी हो गया। गोआ में एक होटेल में हमारा कमरा बुक करवा दिया, पिरी के घर वालों ने। वो पिरी के पागलपन के सामने लाचार थे। हम दोनों गोआ पहुँच गये। रात में मस्ती की कमरे के अंदर। सुबह-सुबह समुंदर की तरफ चल दिए नहाने के लिए। पिरी ने बिकिनी पहन रखा था। ऊपर से दुपट्टा डाल लिया था। क्या लग रही थी बिकिनी में… खूबसूरत चेहरा, गोरा रंग, बड़ी-बड़ी चूचियां तनी हुई, गोल-गोल गाण्ड पीछे को उभरी हुई।
मैं उसके सामने बच्चा लग रहा था। खाशकर उसकी गाण्ड का साइज किसी को भी पागल कर देता। हम जिधर से भी गुजरते। मर्द घूम घूमकर उसे घूरते थे। जबकि उनके साथ औरतें थीं। वहाँ विदेशी भी थे। मैंने नजर दौड़ाया तो पूरे बीच में उससे ज्यादा खूबसूरत लड़की कोई नहीं थी, कम से कम मुझे नहीं दिखी। विदेशी भी उसके सामने फीके दिख रहे थे। उसे देखकर कुछ विदेशी काम्प्लीमेंटस भी दे गये “सो ब्यूटीफुल इंडियन” पिरी ने थैंक्स भी कह दिया।
वो इन सब बातों के लिए बिल्कुल तैयार होकर आई थी। हमने समुंदर में घंटो नाहया। हमने पानी में सबके सामने किस किया। मैंने उसकी चूचियां दबाईम चड्डी को साइड करके बुर में उंगली भी डाला। उसे किसी की परवाह नहीं थी। जब हम बुरी तरह थक गये तो अपने होटेल के कमरे में आए।
वो मुझसे लिपट गयी और कहा- आज मैं तुम्हारा रेप करना चाहती हूँ।
हम दोनों बिलकुल नंगे थे। और मुझे बेड पर धक्का दे दिया। और मुझ पर जंप कर दिया। वो मेरे सीने पर सवार हो गयी। मेरे दोनों हाथों को जैसे फिल्मों में औरतों को विलेन पकड़कर खोल देते हैं। फिर उसे किस करने की कोशिश करते हैं। उसी अंदाज में मेरे दोनों हाथ खोलके पकड़ लिए। और मेरे होंठों पर किस करने की कोशिश की।
मैंने भी अपना चेहरा घुमा लिया। उसके होंठ मेरे गाल पर पड़े। मैं खिलखिलाकर हँसने लगा।
उसने कहा- ये लड़के, सीधी तरह से मान जा वरना मुझे और भी पैंतरे आते हैं।
मैंने कहा- तुम्हें जो करना हो कर लो। लेकिन तुम अपने मकसद में कभी कामयाब नहीं होगी।
उसने पीछे हाथ लिया और मेरे अंडों को कसकर पकड़ लिया।
मैं बोला- “आ… अया… लगता है…”
उसने कहा- अब बोल सीधे-सीधे मुझे करने देगा या फोड़ दूं तेरे दोनों अंडे…”
मैं- अया… अया… कर लो जो मर्ज़ी।
वो बोली- “इतनी जल्दी हार मान गये…”
मैंने कहा- हार किसने मानी। खरबूजा अगर खुद छुरी पे गिरना चाहता है तो छुरी का क्या जाता है।
उसने कहा- खरबूजा तो जरूर कटेगा। लेकिन मेरे पास एक जूसर भी है। जिससे केले का जूस निकाला जाता है।
मैं उसकी बात पर हाहाहा हँसने लगा।
वो मुझ पर झुकी और मेरे होंठ पर इतनी जोर से कटा की खून निकल आए। वो बोली- आज मैं तेरा खून पी जाऊँगी। चोदने का बड़ा शौक है ना। आज मैं तुझे इसके लायक ही नहीं छोड़ूंगी…” फिर मेरे होंठ के खून को चाट-चाट कर साफ किया। फिर बोली- अगर तू मेरा नहीं हुआ तो किसी का नहीं हो सकता।
मैं अंदर तक सिहर गया। मेरे चेहरे से हँसी गएब हो गयी। मैं चकित रह गया। वो मेरे पूरे चेहरे को चाट रही थी। बुरी तरह आवाज़ें निकालकर उम्मह… छाप… आँह… छाप… मैं सहम गया था पता नहीं उसकी बातों में कितनी सच्चाई है, कितनी आक्टिंग। मैं कोई हरकत नहीं कर रहा था।
वो समझ गयी कुछ गड़बड़ है। उसने पूछा- “तुम इस तरह खामोश क्यों हो गये…”
मैंने कहा- तुम क्या-क्या बोल गयी, मेरी समझ में कुछ नहीं आया।
उसने मेरी आँखों में देखा जहाँ खौफ नजर आ गया। वो हँसने लगी- हाहाहा… तुम मेरी बातों से डर गये।
मैंने कहा- हाँ बुरी तरह।
वो हाहाहा हँसते हुए- कुछ मेरी आक्टिंग, पूरी हकीकत नहीं…
मैंने कहा- “यह आक्टिंग थी…”
उसने कहा- “और नहीं तो क्या… मैं तुम्हें नुकसान पहुँचाऊँगी, तुमने सोचा भी कैसे…” वो मुझे मारने लगी। तुम्हें नुकसान पहुँचने से पहले मैं अपनी जान ना दे दूँ…”
फिर हमने बड़े प्यार से चुदाई की फिर कपड़े बदलकर खाना खाया। रेस्ट करने के बाद 4:00 बजे बीच पर टहलने के लिए निकले। पिरी ने उस वक़्त सलवार-कमीज, सर में दुपट्टा लिए हुए थी। पानी पूरी खाये और जैसे ही फारिग हुए।
एक अधेड़ उम्र का आदमी मेरे पास आया। और मुझे पिरी से दूर लेजाकर मुझसे कहा- यह लड़की तुम्हारी गर्लफ्रेंड है।
मैंने कहा- “हाँ…”
उसने कहा- बहुत खूबसूरत है।
मैंने कहा- शुक्रिया।
उसने कहा- “एक बार के लिए दस हजार लोगे…”
मैंने कहा- मैं समझा नहीं।
उसने कहा- मेरे मालिक को यह लड़की बहुत पसंद आ गयी है।
मैंने कहा- तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है। भागो यहाँ से।
उसने कहा- प्लीज मुझ पर नाराज मत होइए, मैं नौकर हूँ। बीस ले लो।
मैंने झिड़कते हुए कहा- “जाओ यहाँ से। दुबारा कुछ कहा तो इतना मारूँगा की…”
उसने कहा- प्लीज़्ज़ पचास ले लो।
मैं तमाशा बनना नहीं चाहता था। मैं खूद ही उसके पास से चला आया।
पिरी मुझे गुस्से में देखकर पूछी- क्या बोल रहा था वो।
मैं- अरे छोड़ो ना, वो तुम्हें खरीदने को बोल रहा था। मैं हैरत में पड़ गया।
पिरी को गुस्सा आने के बजाए हँसने लगी। पूछा- कितना देगा।
मैंने कहा- पचास हजार देगा।
वो बोली- अरे वाह… मेरी बुर की कीमत पचास हजार।
इतने में वो आदमी हमरे पास मंडराने लगा बोला- एक लाख ले लो।
मैंने उसे फटकारते हुए कहा- तुम जाते हो की।
वो चला गया फिर कुछ देर में आ गया और बोला- दो लाख।
मैंने उसके कालर पकड़ लिए।
उसने हाथ जोड़ लिए और रोनी सी सूरत करके बोला- मेरी पूरी बात सुन लीजिए।
पिरी बोली- ठीक है, जरा भीड़ से अलग चलिए।
मैं मना करता रहा लेकिन पिरी बोली- बात सुनने में क्या हर्ज है।
मैंने कहा- मुझे मालूम है।
लेकिन पिरी ने बात काटते हुए कहा- मुझे जानना है की पूरी बात क्या है। ठीक है।
हम थोड़ी दूर आ गये तो वो बोला- बहन जी मेरे मलिक को आप पसंद आ गई हो।
पिरी ने चौंकने की आक्टिंग करते हुए कहा- क्या मतलब।
बहन जी नाराज मत होइए मेरी पूरी बात सुन लीजिए। फिर मुझे मार डालिए। मुझे तो आज मारना ही है। मुझे सिर्फ़ आप बचा सकती हैं।
पिरी ने कहा- बोलो।
मेरे मलिक को आप किसी भी कीमत पर चाहिए। वरना वो मुझे मार डालेगा। मैं दलाल नहीं हूँ और मेरे मलिक ने मुझसे ऐसा काम कभी नहीं कराया। लेकिन जब आप लोग नहा रहे थे उन्होंने आपको देख लिया, और बेइंतेहा पीने लगे और मुझे बुलाकर कहा की मुझे वो लड़की किसी भी कीमत पर चाहिए।
पिरी ने कहा- किसी भी कीमत का मतलब।
उस आदमी ने कहा- एक लाख, दो लाख, पांच लाख, दस लाख किसी भी कीमत पर।
पिरी को यह मजाक लगा उसने कह दिया- तो ठीक है तुम दस लाख लाओ। मैं तुम्हारी मदद करती हूँ।
उसने कहा- ठीक है, मैं 10 लाख के लिए बात करता हूँ। लेकिन जवान देने के बाद पलट नहीं सकते।
पिरी ने कहा- लेकिन इमरान मेरे साथ रहेंगे।
मैंने कहा- मैं तुम्हारे साथ क्या करूँगा रहकर। यह तुम क्या कर रही हो।
पिरी ने मेरे गाल पे चुटकी काटते हुए कहा- अरे उसके मलिक का नशा उतार जाएगी 10 लाख सुनकर।
मैंने कहा- “अगर मान गया तो…”
पिरी ने कहा- “थोड़ा नया अनुभव भी लो। कल जब मैं बराबर के लिए दूसरे की हो जाऊँगी तो क्या करोगे…” इसी से पता चल जाएगा। अभी से आदत डाल लो।
फिर उस सख्स ने कहा- मेडम एक साथ सभी नहीं मिलेंगे पहले 5 लाख फिर काम के बाद 5 लाख।
पिरी ने कहा- ठीक है, तुम पैसा हमारे होटेल के कमरे में लेकर आओ।
हम अपने होटेल चले आए वो मुझे चूमने लगी, मुझे मानने लगी और कहा- तुम नाराज हो गये। देखें तो सही एक साथ 10 लाख कैसा होता है।
मेरे भी दिल में 10 लाख एक साथ देखने की लालच जाग उठी थी। मैंने कहा- ठीक है तुम्हारी मर्ज़ी।
उसने मुँह फुलाते हुए कहा- तुम्हारा कुछ नहीं। मैं एक नौकर की मदद कर रही हूँ। कुछ बुराई के साथ कुछ अच्छा भी तो होगा।
इतने में वो सख्स आ गया और हमें एक बैग देकर कहा- मैं रात 8:00 बजे आऊँगा और आप लोगों को ले जाऊँगा।
इतने में वो सख्स आ गया और हमें एक बैग देकर कहा- मैं रात 8:00 बजे आऊँगा और आप लोगों को ले जाऊँगा।

फिर वो 8:00 बजे रात में आया। और हमको सामने वाले 5 स्टार होटेल में ले गया। हमें सीधे डाइनिंग हाल में ले गया। एक टेबल पर एक अरबी शेख बैठा था। उसने हमें खड़े होकर इसतेकबाल किया। हाल में हल्की रोशनी थी, सामने स्टेज पर दो बिल्कुल नंगी लड़कियां पोल डान्स कर रही थीं। अरबी ठीक से खड़ा भी नहीं हो पा रहा था। हम डान्स में मगन थे। हमने खाश कर मैंने ऐसा डान्स कभी नहीं देखा था। खाना लगाया गया, हम खाना खा रहे थे। अरबी पी रहा था। फिर खाना खत्म हुआ।

हम अरबी के रूम में आ गये। उसने इशारे से हम दोनों को प्यार करने को कहा।

हम अच्छे बच्चों की तरह किस करने लगे।

फिर उसने कहा कपड़े उतारो। हम एक दूसरे के कपड़े उतारने लगे। जब बिल्कुल नंगे हो गये तो वो खुद पलंग पर सीधा लेट गया। और पिरी से बोला उसके कपड़े उतारे। मैं जल कर रह गया। पिरी फौरन उसके पास गयी। और उसके कपड़े उतारने लगी। उसे पूरा नंगा कर दिया। उसका लण्ड मुझसे थोड़ा छोटा था। लेकिन मोटा था।
 
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