XXX Hindi Kahani पिकनिक का प्रोग्राम - Page 3 - SexBaba
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XXX Hindi Kahani पिकनिक का प्रोग्राम

उसने कहा लण्ड चूसो पिरी लण्ड चूसने आगी। चाटने लगी। उसके अंडों को भी चाट डाला।

अब उसने कहा पिरी से की उसके लण्ड पर बैठ जाए। पिरी लण्ड पर बैठ गयी जब लण्ड पूरा उसकी बुर में घुस गया तो वो मेरी तरफ देखकर मुश्कुराने लगी।

अरबी ने उसकी दोनों चूचियां को पकड़ लिया और अपने और खींच लिया और चूचुकों चूसने लगा। और इशारे से मुझे पिरी की गाण्ड मारने का हुक्म दिया।

मैं खुश हुआ की चलो मुझे भी मौका मिल रहा है। मैं पिरी के गाण्ड में लण्ड घुसाने लगा। अब पिरी को जोश आने लगा, वो बुर के अंदर के लण्ड को भूलकर मेरे लण्ड का मजा लेने लगी। और जोर-जोर से कमर हिलाने लगी। इससे अरबी बड़ा खुश हुआ। मुझसे कहा बिस्तर पे लेटो, मैं लेट गया।

फिर उसने पिरी को मेरी तरफ पीठ करके मेरे लण्ड को अपनी गाण्ड में डालने को कहा। पिरी ने मेरे लण्ड को अपनी गाण्ड में घुसा लिया। फिर उसने पिरी को मेरे ऊपर लिटा दिया जिससे उसकी बुर सामने थी। अरबी ने अपना लण्ड पिरी की बुर में घुसाकर बुरी तरह चोदने लगा।

पिरी ने उउउम्म्म्ममह… उम्म्म्मह… करते हुए पानी छोड़ दिया।

अरबी ने हँसते हुए लण्ड को बाहर निकाला और पिरी की चूत चाटने लगा। फिर मेरा लण्ड गाण्ड से खींचकर बाहर निकाला और पिरी की बुर में अपने हाथ से घुसा दिया। हमारी समझ में कुछ नहीं आ रहा था। मुझसे कहा चोदो। मैं पिरी के बुर में चोदने लगा।
तभी उसका खतरनाक इरादा सामने आया। वो भी पिरी की बुर में अपना लण्ड घुसने की कोशिश करने लगा। इससे पहले की हम कुछ समझ पाते उसने लण्ड आधा घुसा दिया। हम मना करने लगे तो दोनों हाथ की पाँच पाँच उंगलियां दिखाकर धमकाने लगा 10 लाख दिया है। फिर उसने भी पिरी के बुर में अपना पूरा लण्ड घुसा दिया और आगे पीछे होने लगा।

मेरे लण्ड को तो दुगना मजा आ रहा था। बुर का भी उसके लण्ड के रगड़ने का भी। लेकिन मैं सोचने लगा की पिरी का क्या हाल होगा। एक बुर में दो लण्ड घुस भी सकता है। कभी सुना भी नहीं था, जो आज देख रहा था। पिरी तड़प रही थी मुझे उसपे गुस्सा आ रहा था।

कोई हमदर्दी नहीं थी। अरबी जबरदस्त चुदाई कर रहा था। पिरी की चूचियां को दबोच रखा था। फिर अंदर ही पानी छोड़ दिया। लेकिन लण्ड बाहर नहीं निकाला और पिरी पर गिर गया। मैं भी कुछ देर मैं झड़ गया। फिर कुछ देर में अरबी ने पिरी को हम दोनों के लण्ड को बारी-बारी से चूसने को कहा।

पिरी बड़ी महारत से यह काम कर रही थी। मैं दिल ही दिल में उसे गालियां दे रहा था- साली रंडी।

हमारा लण्ड पिरी की महारत के आगे सीधा खड़ा हो गया। फिर अरबी ने पिरी को सीधे लेटने को कहा और मुझे उसे चोदने को कहा। मैं सोच रहा था- साला पागल तो नहीं, इतने पैसे खर्च करके खुद ना मजा लेकर मुझसे चुदवा रहा है।

तभी अरबी मेरे पीछे आ गया और मेरी गाण्ड के छेद में अपना लण्ड रगड़ने लगा। मैं घबरा गया। मैंने पीछे मुड़कर देखा तो वो बड़ी-बड़ी आँखें निकालकर ऐसे देखा की मैं डर गया। उसने उस आदमी को बुलाया जिसने हमें उस तक लाया था, उससे कुछ अरबी में कहा।

वो आदमी कुछ देर में क्रीम लेकर आया। अरबी ने कुछ क्रीम मेरी गाण्ड के सुराख में लगाया और अपना लण्ड पेल दिया। मुझे तकलीफ तो हुई। लेकिन हम फँस चुके थे। वो पहले तो आहिस्ता आहिस्ता पेलने लगा फिर जैसे जुनून सवार हो गया।

मैं पिरी से लिपट गया। पिरी मेरे सर को सहला रही थी। कान में बोली- “नया मजा कैसा है…”

मैंने उसके कान पर काट लिया। मैंने कभी सोचा भी नहीं था की मेरी भी गाण्ड मारी जाएगी। अरबी मेरी गाण्ड से लण्ड पीछे लेता तो मैं भी पिरी की बुर से लण्ड बाहर लेता। फिर अरबी मेरी गाण्ड में धक्का देता तो साथ में मेरा लण्ड भी पिरी की बुर में घुस जाता।

अब मुझे भी इस नये खेल में मजा आने लगा था। फिर कुछ देर के लिए अरबी शायद थक कर रुक गया लेकिन मैं खुद पीछे होता और अरबी का लण्ड मेरी गाण्ड में घुस जाता और मैं धक्का पिरी की बुर में लगाता तो अरबी का लण्ड मेरी गाण्ड से बाहर हो जाता। वाह क्या ही मजेदार खेल था। मैं अपनी गाण्ड में लण्ड ले भी रहा था और पिरी की बुर में पेल भी रहा था।

दोस्तों कभी किसी दोस्त के साथ यह खेल खेलकर जरूर देखिएगा। अरबी ने पिरी को रात भर में पाँच बार चोदा। जब हम सुबह अपने होटेल में आए। तो साथ में वो सख्स भी आया। और पांच लाख और दे गया। हम अपने बेड पर लेटे हुए थे।

पिरी बोली- “नया कुछ सीखा, एक बुर में दो लण्ड कैसे डालते हैं…” पिरी बोल रही थी- “अपनी बीवी को भी कभी खिला देना। इमरान मजा आ गया तुम ना होते तो मैं कभी झेल नहीं पाती…” फिर मेरे चेहरे की ओर देखते हुए- “वूहह मेरी गाण्ड दुख रही है… अब पता चला चोदने में कितना मजा है और चुदवाने में कितना…”
मैं उसकी ओर लपका और उसे अपनी बाहों में ले लिया।

वो मेरी आँखों में देखते हुए बोली- “आज मेरा इरादा पूरा हो गया। मैंने सोच रखा था। की तुम्हारे इलावा अगर किसी को अपना बदन दूँगी तो बुर का बारह बजाकर दूँगी। आज बारह बज गया। आज मेरी बुर 8 इंच चौड़ी हो गयी…” फिर बड़ी इमोशनल अंदाज में कहा- “इमरान यह सारे रूपए तुम्हारे हैं। तुम चाहे इसे जिस तरह खर्च करना चाहो करो। लेकिन दो-तीन गरीब लड़कियों की शादी जरूर करवा देना…”
 
मैंने यह खेल पिरी, जीनत, सोनम, कोमल और जेबा के साथ कई बार खेला। फिर एग्ज़ाम आ गये सब एग्ज़ाम की तैयारी में लग गये। एक शाम 4:00 बजे जेबा मेरे घर आ गयी, कुछ नोट लेने के लिए। घर में मैं अकेला था। उसने पूछ लिया मैंने बता दियाया की सब शादी में गये हैं। तो वो नोट लेना भूल गयी और मेरे गले में बाहें डाल दी और कहा- इमरान तुम सच में मुझसे प्यार करते हो ना।
मैं- मुझे हाँ कहना पड़ा, लेकिन तभी तक जब तक तुम बाकी लड़कियों से जलोगी नहीं।

जेबा- ठीक है अभी तुम सिर्फ़ मेरे साथ वोही सब करो ना। सबके सामने मुझे बहुत शरम आती थी। खुलकर प्यार नहीं किया जाता।

मैंने भी बहुत दिनों से किसी को चोदावा नहीं था। उसकी बातों में आ गया और उसके होंठ चूमने लगा। उसने खुद ही सलवार का नाड़ा खोलकर सलवार गिरा दिया। इमरान जल्दी करो मुझे घर जाना है। मैंने भी नीचे बैठकर सीधे उसकी चूत चाटने लगा। फिर खड़ा हुआ और उसकी कुरती उतार दी। वो मना करती रही लेकिन मुझे पूरी तरह नंगा किए बिना मजा नहीं आता था। वाह क्या छातियां थी… उसकी सभी लड़कियों में सबसे बड़ी थी। सफेद रंग पर गुलाबी चूचुकों को मैं चूसने लगा।

वो लिपटती रही, मेरे सर के बालों को सवांरती रही। मैंने उसे उठाकर पलंग पर लिटाया और उसकी बुर चाटी। वो पागलों की तरह उम्म्म्मह… सस्सिसशह… स्शीसशह… करने लगी। मैंने लण्ड पेल दिया। अब मेरे धक्के थे और उसकी उम्मह… उम्मह… की आवाजें। मैं पेलता गया, वो मजा लेती रही। उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और उसने पानी छोड़ना शुरू कर दिया। उसको पानी भी सबसे ज्यादा निकलता था। उम्मह… उम्म्मह… करती एक झटका खाती फिर पानी छोड़ती। इस तरह कई झटके खाया और पानी ही पानी। अब तो चोदना म्यूजिकल हो गया था, पच-पच पचा-पच।

मैं पलटा और उससे कहा- अब मेरा पानी निकाल।

वो किसी माहिर चुदक्कड़ की तरह गाण्ड हिलाने लगी। मैं उसके दूध हिलते देखता रहा। उसके दूध के नजारे ने मुझे भुला दिया और मेरे लण्ड ने एक पिचकारी उसकी बुर के अंदर छोड़ दिया। मैं उसे अलग करता उससे पहले ही मेरे लण्ड ने दूसरी बार पिचकारी उसकी बुर में छोड़ दिया।

मैंने उसे नीचे उतारा और उससे कहा- जल्दी जाकर बुर को अच्छी तरह धो।

फिर उसने आकर नोट्स लिए और घर चली गयी।

हम सबने एग्ज़ाम दिए।
15 दिन बाद पिरी की शादी हुई हम सब दोस्त एकट्ठे हुए, पिरी को विदा किया। सबसे ज्यादा खुशी जीनत को हुई। उसने इस तरह कहा- चलो एक गयी।

मैंने उसे घूर कर देखा तो उसने बात बदली- मेरा मतलब था एक का घर बसा। हम लोगों का कब होगा। हाआआं… बनावटी अया भरने लगी।

एक महीने बाद रिजल्ट आ गया हम सब अच्छे नंबर से पास हो गये। मैं कालेज जाने की तैयारी करने लगा।

तभी एक रोज जेबा के अब्बू हमारे घर आए और मेरे अब्बू से कुछ कहने लगे। अब्बू ने अम्मी को चिल्लाकर बुलाया, जैसा वो कभी नहीं बुलाते थे। अम्मी दौड़कर अब्बू के सामने गयी। फिर कहा- कहाँ हैं हमारे साहबजादे… बुलाओ उन्हें।

अम्मी ने मुझे आवाज दिया। मैं अब्बू के सामने आया।

अब्बू ने कहा- जेबा के अब्बू क्या बकवास कर रहे हैं।

मेरी तो जान में जान नहीं रही।

अब्बू बोले- उनका कहना है की तुमने उनकी बेटी को माँ बना दिया है।

मैं बेहोश होने लगा। मुझे और कुछ सुनाई नहीं दे रहा था। मेरी खामोशी मेरे लिए कहर बन गयी। अब्बू उठे और अपनी छड़ी से पीटने लगे। मेरे बदन को कुछ अहसास नहीं हो रहा था।

अब्बू कह रहे थे- निकल मेरे घर से। इस घर में तेरे लिए कोई जगह नहीं।

जेबा के अब्बू बोल रहे थे- इस तरह बात बिगड़ जाएगी। सब्र से काम लीजिए।

अब्बू बोले- आपको इसकी फिक्र है। तो इसे मेरी नजरों से दूर ले जाइए। मेरे सामने रहेगा तो मैं उसे ज़िंदा नहीं छोड़ूँगा।

जेबा के अब्बू मेरे अब्बू को गुस्से को देखकर डर गये और मुझसे कहा- चलो मेरे साथ, और लगभग घसीटते हुए मुझे घर से बाहर ले गये।

मुझे ना तो कुछ सुनाई दे रहा था और ना दिखाई। मेरे बदन से कई जगह से खून बह रहा था। वो मुझे अपने घर ले गये और डाक्टर को बुलाया। मेरे जख़्मों पे मरहम लगाया। मुझे पलंग पे लिटाया। फिर जेबा को गर्दन से पकड़कर लाया और कहा- देख इसका हाल इसके लिए तू जिम्मेदार है।

जेबा- “अब्बू इससे किसने मारा…” जेबा ने रोते हुए पूछा।

उसके अब्बू ने कहा- इसके अब्बू ने।

जेबा दूर खड़ी रोने लगी- बोली इमरान मुझे माफ कर दो। मेरी गलती की सजा तुम्हें मिली। मुझे तुम्हारे अब्बू के पास ले चलो।

उसके अब्बू बोले- उन्होंने इसे घर से निकाल दिया है। अब रख अपने पास।

कुछ ही देर में मेरे घर से किसी ने आकर खबर दी की मेरे अब्बू को दिल का दौरा पड़ा है। मैं दौड़ा, जेबा के अब्बू मेरे साथ गये। हम हास्पिटल पहुँचे उससे पहले ही मेरे अब्बू ने दम तोड़ दिया। उनके तीजे के बाद मैं जेबा के अब्बू के पास गया और उनसे कहा- की मैं जेबा से शादी करूँगा। आप फिक्र ना करें।

अब्बू के चालीस दिन के बाद मैंने अम्मी से कहा- अम्मी मुझे इजाजत दें की मैं एक लड़की को बदनामी से बचा सकूं।

यह बात जीनत और सोनम और कोमल को भी मालूम पड़ चुकी थी।
मैंने अम्मी से इजाजत लेकर सिर्फ़ काजी और दो गवाहों के बीच जेबा से शादी कर ली और उसे अपने घर ले आया। वो बहुत अच्छी बहू थी। अम्मी-अब्बू के अचानक मौत से टूट चुकी थीं। जेबा अम्मी का बहुत खयाल रखती थी। लेकिन दो महीने बाद उनका भी इंतेकाल हो गया। एक दिन मैं अपना स्कूल बैग टटोल रहा था की मेरे हाथ वो 10 लाख की गड्ढी पड़ गयी। मैंने जेबा से यह नहीं बताया। क्योंकी मुझे शरम आ रही थी। पता नहीं जेबा क्या समझे।

मैंने कुछ बिज़नेस करने का सोचा। मेरे एक रिश्तेदार थे वो हर वक़्त अब्बू के पास रूपए लेकर जाते थे और जमीन वगैरह का बिज़नेस करते थे। मेरे पास भी आए तो मैंने उनसे कहा मैं भी यह बिज़नेस करना चाहता हूँ।
तो वो बहुत खुश हुए और कहा- “मैं भी चाहता था की किसी नौजवान को यह बिज़नेस सिखा दूं। चलो मेरे साथ जमीन दिखा लाता हूँ…” उन्होंने कई जमीनें दिखाईं। मुझे एक जमीन पसंद आई। मैंने उसी 10 लाख में से 7 लाख में वो जमीन खरीद ली। उसे प्लाटिंग करके बेचा, ट्रिपल मुनाफा हुआ। मैंने एक दफ़्तर किराए में लिया और अब्बू के नाम पर साहब एंटरप्राइजस रखा।
 
शहर में मेरे अब्बू को सब बहुत इज़्ज़त की निगाह से देखते थे। मेरे पास जमीन बेचने और खरीदने दोनों के ग्राहक आने लगे। मैंने कार ले ली, मेरा बिज़नेस दिन दूनी रात चौगुनी तरक़्क़ी करने लगा। एक रोज मैं एक माल में कुछ खरीद रहा था तो जीनत से मुलाकात हो गयी।

मैंने उससे बात करनी चाही तो उसने मना कर दिया। मैंने उसे नहीं छोड़ा और एक रेस्टुरेंत के केबिन में ले गया। वो रोने लगी- तुमने मुझे कभी अहमियत ही नहीं दी। मैं भी इंसान हूँ यार। सबको हँसाती रहती हूँ। एक मजाक बनकर रह गयी हूँ।

मैंने कहा- तुमने कभी खुलकर बताया नहीं।

उसने रोते हुए कहा- यह सब बताई नहीं जाती महसूस किया जाता है।

मैंने कहा- “तुम चाहती क्या हो…”

उसने कहा- अब चाहने से क्या होता है।

मैं- क्यों नहीं होता तुम चाहो तो अब भी हो सकता है।

क्या मतलब मैं कुछ समझी नहीं।

मैं- तुम समझ भी नहीं पाती समझा भी नहीं पाती, तो तुम्हें रोना ही चाहिए।

“क्या तुम मुझसे दूसरी शादी करो गे…”

मैंने कहा- मैं तो मुसलमान हूँ चार शादी कर सकता हूँ।

“उसने कहा सच…”

मैंने कहा- बिल्कुल सच। तुम घर वालों से कहो।

उसने कहा- घर वाले नहीं मानेगे।

मैं- तो फिर कोर्ट मैरेज।

उसने कहा- यही ठीक रहेगा। मैं कल कोर्ट में मिलूँगी।

मैं घर गया और बहुत ही परेशान सा चेहरा बनाकर घूमने लगा। जेबा ने पूछा।

तो मैंने कहा- आज जीनत मिली थी। कैसी उदास उजड़ी सी दिख रही थी। पहचानी भी नहीं जा रही थी। मैंने बड़ी मुश्किल से पहचाना। मुझसे बहुत नाराज थी। कह रही थी ज़िंदगी भर कुँवारी रहेगी। मैंने बहुत पूछा तो कहा वो मुझसे शादी करना चाहती थी। लेकिन मैंने तो शादी कर ली तुमसे।

जेबा बोली- तो क्या आप उनसे भी शादी कर लीजिए। उन्होंने तो मुझे तुमसे मिलाया था। जब हम शादी से पहले एक साथ खेल सकते थे तो शादी के बाद क्यों नहीं।

मैंने जेबा को गोद में उठा लिया और उसे चूमते हुए मैंने कहा- “वाह जेबा, दुनियां तुम्हारी जैसी लड़कियों की वजह से खूबसूरत बनी हुई है…” उस रात मैंने जेबा को जमके चोदा।
मैंने जेबा को गोद में उठा लिया और उसे चूमते हुए मैंने कहा- “वाह जेबा, दुनियां तुम्हारी जैसी लड़कियों की वजह से खूबसूरत बनी हुई है…” उस रात मैंने जेबा को जमके चोदा।

दूसरे दिन मैं और जेबा कोर्ट पहुँचे, कोर्ट में मैंने जीनत से शादी कर ली और जीनत को लेकर घर आए और काजी और दो गवाहों के सामने निकाह भी किया। रात को जेबा ने खुद पलंग सजाया। जीनत जेबा का बार-बार शुक्रिया अदा कर रही थी।

जेबा ने कहा- बाजी हमारी सुहागरात नहीं हुई। मैं चाहती हूँ की आपकी सुहागरात बहुत खूबसूरत हो।

जीनत भी दिलदार थी उसने कहा- “ऐसे कैसे हो सकता है की मैं अकेले सुहागरात मनाऊँ अपनी प्यारी सी सौतन को छोड़कर। आज हम दोनों दुल्हन बनेंगी…” उसने हमारे मैनेजर को बोलकर जेबा के लिए भी एक शादी का जोड़ा मँगवाया।

रात में दोनों एक-एक गिलास दूध अपने हाथों में लेकर कमरे में आईं। दोनों दुल्हन के लिबास में थीं। मैं खुशी से फूला नहीं समा रहा था। जेबा ज्यादा खूबसूरत है या जीनत… मैंने जेबा का गिलास पहले लिया और पी गया। फिर जीनत का गिलास लेकर पीने लगा, अब रुक-रुक कर पी रहा था।

जीनत ने कहा- “जनाब मैं जेबा नहीं हूँ की एक सांस में पी जाओगे…” फिर जेबा ने कहा- “बाजी आप पलंग पर जाएं…”

जेबा बोली- और तू।

जीनत ने कहा- मैं दूसरे कमरे में जा रही हूँ।

जेबा- “चल बुद्धू अब हम दोनों इसके दोनों बाजू सोएंगे…” और ऊपर चढ़ गयी। और मेरे एक बाजू बैठ गयी। जेबा मेरे दूसरे बाजू बैठी।

जीनत बोली- भूल गये क्या की अब भी मैं ही बताऊँ।

मैंने कहा- बताओ ना।

जीनत ने मेरे होंठ पर चूमा। और जेबा से कहा- अब तुम किस करो।

जेबा ने भी किस किया।

अब जीनत ने मेरे शर्ट के बटन खोलने शुरू किए। शर्ट निकाला फिर जेबा से कहा- तुम पैंट तो उतारो।

जेबा बोली- हाँ हाँ।

मुझे लग रहा था की जीनत अब भी खेल के ही मूड में थी। उसे दुनियादारी की परवाह नहीं थी। बोली- “इमरान मेरे कपड़े बहुत भारी हैं। उतार दो सिर्फ़ गहने रहने देना। मैं देखना चाहती हूँ की सिर्फ़ गहने में कैसी लगती हूँ…” मैंने वैसा ही किया। वो उठकर आईने के पास चली गयी। और खुद को निहारने लगी फिर पूछा- “इमरान, यह सब असली सोने के हैं…” तुमने इतना पैसा कहाँ से लाया।

मैं पहले तो हकलाया फिर संभलकर हँसने लगा।

जेबा बोली- बहुत मेहनत करते हैं बाजी। दिन में खाने भी नहीं आते।

जीनत बोली- अब ऐसा नहीं चलेगा। मैं आ गईं हूँ ना। सब ठीक कर दूँगी। शौहर को कैसे मुठ्ठी में रखना है। मैंने किताब में पढ़ा है।

जेबा- बाजी आप सब कुछ पहले से ही पढ़ लेती हैं।

जीनत- पढ़ना पड़ता है डियर। ज़िंदगी जो चलानी है।

मैंने कहा- जेबा ने तो बिना पढ़े ही तुमसे पहले बाजी मार ली।
 
अम्मी ने उसे अपने पास बिठाया और कहा- हमारी बेटी बहुत भोली है, साथ मिलकर रहना। वो उम्मीद से है उसका खयाल रखना।
जीनत बोली- “आंटी आप बेफिक्र हो जाइए। अब मैं हूँ ना इन दोनों की खबर लेने के लिए…” जीनत का वोही बिंदास अंदाज था।
अब्बू ने घूरकर देखा। तो जीनत सहम गयी।
जीनत- मेरा मतलब था की मैं दोनों का खयाल रखूँगी।
अब्बू बोले- “चलो यहाँ से। जेबा कोई दिक्कत हो तो हमें बताना…” और वो चले गये।
कुछ देर बाद जीनत के घर से कम से कम 6 लोग आए, अब्बू-अम्मी, भैया, भाभी छोटा भाई, भतीजा। जीनत सबके साथ ड्राइंग रूम में बैठी। जेबा शरबत लेकर आई। जीनत ने सबको घर के सारे कमरे घुमाए।
अम्मी ने पूछा- तेरा कमरा कौन सा है।
तो जीनत ने कहा- सभी कमरा मेरा है।
“फिर उसका…” अम्मी ने जेबा की तरफ इशारा करके पूछा।
तो जीनत बोली- अम्मी हमें अलग-अलग मत करो। तुम गहने देखो।
अम्मी गहने हाथ में लेकर तोलने लगीं। और पूछा- “असली सोने के हैं…”
जेबा मुश्कुराने लगी। यही सवाल तो जीनत कल रात कर रही थी। सच कहते हैं कहने वाले। माँ-बाप के गुण बच्चों में आते ही हैं।
अब्बू ने पूछा- दामाद जी कहाँ हैं।
तो जीनत ने कहा- वो काम पर गये हैं।
अब्बू ने पूछा- किस वक़्त आएंगे…”
जेबा बोली- वो दिन में नहीं आते।
जीनत बोली- फोन करो ना की मेरे अब्बू-अम्मी आए हैं। मुलाकात करके चलें जायें।
जेबा ने फोन लगाया दफ़्तर में किसी ने उठाया और जेबा ने मेसेज दिया की मलिक के आने पर उन्हें घर भेज दीजिएगा। मेहमान आए हैं।
दो बजे मैं घर आ गया। घर में घुसते ही साले साहब ने सलाम पेश किया। फिर मैंने अब्बू और अम्मी को सलाम किया। सबने मिलकर खाना खाया। जेबा सबकी खिदमत ऐसे कर रही थी जैसे अपने घर के लोग हों। मैं छोटे साले और भतीजे को कार में लेकर बाजार गया। उन्हें चाकलेट वगैरह खरीद कर दिया। फिर हम वापस आए तो सबने हमसे बिदा लिया।
अब्बू समझाने लगे- मेरी बेटी का खयाल रखना।
मैंने कहा- आपकी बेटी को मेरी नहीं, मुझे आपकी बेटी की जरूरत है। वो मेरा खयाल रखेगी। बहुत हिम्मत वाली है आपकी बेटी। उसने मुझे किडनैप करके शादी किया है।
सब हँसने लगे।
मैंने अपने ड्राइवर से कहा- “उन लोगों को घर पहुँचा आए…” वो लोग ज्यादा आमीर नहीं थे। छोटे से घर में रहते थे। बेटी का इतना बड़ा मकान, नौकर-चाकर देखकर खुशी से फूले नहीं समा रहे थे। जाते वक़्त भी मेरे घर को पलटकर देख रहे थे।
लेकिन जीनत को इन सबका कोई लालच नहीं था। उसे तो बस मेरा लण्ड चाहिए था। वो जेबा के सामने मुझसे लिपट गयी- इमरान मुझे आज दुनियां की सबसे बड़ी खुशी मिल गयी। मेरे अब्बू-अम्मी बहुत खुश होकर गये। जेबा ने उन्हें इतना खुश किया की वो मुतमईन हो गये। अब हमें इसे बरकरार रखना है। जेबा तुम मेरी किसी बात का बुरा मत मानना। मैं जरा मुँहफट हूँ ना। कभी-कभी बोलने के बाद सोचती हूँ, सोचकर नहीं बोलती। चलो खेलते हैं।
जेबा- बाजी अभी दिन है।
जीनत- तो क्या… हम तो घर के अंदर हैं।
मैंने कहा- मुझे अभी काम पे जाना है, रात में।
जीनत मेरे गले में बाहें डालकर बोली- आज तुम छुट्टी कर लो।
मैंने कहा- मैं मलिक हूँ नौकर नहीं। मेरे बगैर सब काम गड़बड़ कर देंगे। ठीक है कल हम तुम्हारे दफ़्तर जाएंगे। देखना है की तुम इतने पैसे कैसे कमाते हो। क्यों जेबा…”
जेबा बोली- मुझे नहीं देखना। मैं घर पर ही ठीक हूँ। आप चली जाना।
हमने रात में फिर चुदाई की, सिर्फ़ जीनत ने हिस्सा लिया। जेबा चुपचाप देखती रही और हँसती रही। दूसरे दिन जीनत भी मेरे साथ दफ़्तर जाने के लिए निकल पड़ी। उसने जेबा को भी बुलाया लेकिन उसने आने से इनकार कर दिया। जीनत दफ़्तर पहुँची तो सबने सलाम किया।
मैंने सबसे कहा- यह आपकी मालकिन हैं।
सब दबी जबान में फुसफुसाने लगे। मैंने नजर अंदाज किया लेकिन जीनत ने पूछ लिया- क्या खुसुर-फुसुर हो रही है। किसी ने उल्टा सीधा किया तो बहुत मारूँगी। तुम लोग मुझे जानते नहीं हो। इमरान किसी ने कुछ गड़बड़ किया तो मुझे बुला लेना, एक मिनट में ठीक कर दूँगी।
मैं अपने केबिन में उसे लेकर आया, ठंडा मँगवाया। फिर मैंने कहा- क्यों ना तुम रोज दफ़्तर आया करो।
जीनत बोली- मुझे मंजूर है। मैंने तुमसे शादी तुम्हारे साथ रहने के लिए ही तो किया है। ना की जेबा की तरह रात का इंतेजार करने को। यहाँ खेल सकते हैं…”
मैंने कहा- तुम भी ना बस कमाल करती हो। यह दफ़्तर है यहाँ काम करते हैं।
जीनत बोली- नहीं… काम अगर ना हुआ तो…”
मैं- “सोचेंगे…”
जीनत बोली- “लोग काम क्यों करते हैं…” फिर बोली- “मैंने सुना है शादी की बाद लोग हनीमून के लिए जाते हैं। हम कब जाएंगे…”
मैंने कहा- आपने ठीक सुना है। हनीमून के लिए वो लोग जाते हैं जो एक दूसरे से कभी खेले नहीं होते। हमने तो हनीमून शादी से पहले ही समुंदर किनारे मना लिया।
हम घर दोपहर में ही पहुँच गये। मुझे जीनत को झेलना मुश्किल हो रहा था, काम में दिल ही नहीं लग रहा था। वो कुछ देर में खेलने की बात कर रही थी। उसे छोड़कर कहीं जा भी नहीं पा रहा था। मेरे काम में बार-बार साइट पर जाना पड़ता है। जेबा ने खाना बनवा रखा था। हम खाना खाए और जल्दी आने का बोलकर मैं दफ़्तर आ गया।
रात में मैं दो ड्रेसेस लेकर घर आया। एक ही ड्रेस दोनों को पसंद आई। मुझे पहली बार दो बीवी रखने की उलझन से दो-चर होना पड़ा। उसका हाल भी जीनत ने ही निकाला, दोनों का नाम लिखकर कागज में डालो। जिसका तुम नाम उठाओगे, यह ड्रेस वोही लेगी। मुझे दूसरी तरफ चेहरा करके खड़ा होने को बोला। और दो कागज पे दो नाम लिखकर डाले। मैंने एक नाम उठाया। तो वो जेबा का था।
जीनत बोली- तू बड़ी लकी है रे।
***** *****
 
जेबा शर्माते हुए बोली- तभी तो पाँच में से पहले मैं इस घर में आई।
जीनत बोली- रात में ड्रेस पहनने का फायदा क्या है। तू रात में पहन लेना मैं दिन में पहन लूगी।
सब हँसने लगे। उसने अंजाने में एक रास्ता दिखा दिया था। सबलोग अगर मेरा ड्रेस तेरा ड्रेस ना करें और कभी वोही ड्रेस एक पहने फिर दूसरा। जीनत अपने कपड़े उतारने लगी।
जेबा बोली- बाजी आप खाना तो खा लीजिए।
जीनत- तू खाना लेके आ। मैंने आज रात कपड़ों को हाथ भी नहीं लगानी। और इमरान को भी नहीं लगाने देनी है। कहकर वो मेरे भी कपड़े उतारने लगी। उसके जेहन में अब भी पिकनिक जैसा ही माहौल बना हुआ था।
मैंने मना किया तो रूठते हुए बोली- हमारी दो दिन पहले शादी हुई है। हमें कपड़े नहीं पहनने चाहिए।
मैंने कहा- हम कुंवारे नहीं हैं हमें दुनियांदारी निभानी है।
जीनत ने कहा- मुझे भूख लगी है, मैं तुम्हें खाना चाहती हूँ।
मैं मान गया वो मुझे नंगा करके मेरे लण्ड को चूसने लगी, अंडों को सहलाने लगी। मेरा लण्ड उसकी नहीं सुन रहा था, खड़ा ही नहीं हो रहा था। क्योंकी मेरी ख्वाहिश नहीं थी।
मैंने कहा- यार जीनत मेरी नहीं तो मेरे लण्ड की मानो। अभी उसका दिल नहीं है। खाना खाकर बेड पर चलते हैं फिर खेलेंगे।
वो बुरा सा मुँह बनाकर उठी फिर कहा- “हम ऐसे ही नंगे खाना खाएंगे…”
मैंने कहा- ठीक है।
जेबा खाना लेकर आई हम डाइनिंग टेबल पर थे। वो हमें इस हाल में देखकर बोली- बाजी आप भी ना कमाल हैं। आप अब भी पिकनिक के मूड से निकली नहीं हैं।
जीनत बोली- इमरान चलो ना कहीं पिकनिक पे चलते हैं।
मैंने कहा- ठीक है, मैं काम दूसरों को बाँटकर प्रोग्राम बनाता हूँ।
जीनत- जल्दी करना… अपनी छातियों को पकड़कर हिलाते हुए बोली- “मेरी ढीली होने से पहले ही बना लेना…”
मैंने उसकी एक निपल चुटकी से मसलते हुए कहा- इतनी जल्दी ढीली नहीं होगी।
हमने खाना खा लिया और बेड पर चले गये। उसने जेबा के भी कपड़े उतरवाए, और मेरे लण्ड पर टूट पड़ी, चूसने लगी। लण्ड आहिस्ता-आहिस्ता खड़ा होने लगा। वो उसे पूरी तरह खड़ा होने दिए बिना चढ़ गयी। लण्ड बुर में जाने के बाद जल्दी-जल्दी खड़ा होने लगा।
वो मुझे अपनी चूचियां मसलने को बोली और कहा- इनसे दूध कब निकलेगा… चूसकर देखो सब कहते हैं शादी के बाद निकलता है।
जेबा बोली- बाजी शादी के बाद नहीं बच्चे के बाद निकलेगा।
जीनत- “चुप कर मुझसे ज्यादा जानती है…” उसने जेबा से कहा- तू इमरान के मुँह पे अपनी बुर रख। उसकी जीभ कब काम आएगी।

अब मेरे मुँह पर जेबा की बुर थी और लण्ड जीनत की बुर के अंदर। अब मुझे दो बीवियों का मजा आ रहा था। जिस तरह हर काम के फायदे और नुकसान होते हैं उसी तरह दो बीवियों के भी फायदे और नुकसान हैं। मर्द कभी रंडीबाजी कर ही नहीं सकता, चाहे बीवी प्रेगनेन्ट हो या मैके जाए।
कुछ देर बाद जीनत ने कहा- जेबा, हम दोनों घोड़ी बनते हैं और इमरान हमारी सवारी करेगा।
जेबा- “बाजी आप इमरान करेगा, ना कहा करो ना, अच्छा नहीं लगता। वो अब हमारे दोस्त नहीं शौहर हैं।
जीनत- तुम आप कहना, मैं तो उसे अपना दोस्त ही समझूंगी तुम-ताम ही करूँगी।
वो दोनों घोड़ी बनी थीं। मैं पहली बार दोनों की गाण्ड का मुआयना कर रहा था की किसकी अच्छी है… हर हाल में जेबा की जीनत से अच्छी थी, बड़ी थी, गोल थी, गोरी थी। मैं अंजाने में ही उसकी गाण्ड के सुराख में लण्ड डालने लगा। वो आ आ करने लगी।
जीनत ने उसे डाँटा- माँ बनने को जा रही है, चुदवाने से डरती है।
जेबा बोली- वो गाण्ड मार रहे हैं।
जीनत- तू ही तो शौहर-शौहर करती रहती है। शौहर को खुश नहीं कर सकती।
मैंने जेबा की गाण्ड से लण्ड निकाला और बुर में डाल दिया। और चोदने लगा। अब जेबा उम्म्मह… उम्म्मह… करने लगी। जीनत समझ रही थी की वो गाण्ड में ले रही है।
जीनत बोली- मेरी बुर में खुजली हो रही है।
मैंने जेबा से निकाला और जीनत की बुर में डाल दिया और बेदर्दी से चोदने लगा। पूरा पलंग हिल रहा था। मैंने बारी-बारी से दोनों को चोदा, और हम लिपटकर सो गये। दूसरे दिन जीनत फिर मेरे साथ दफ़्तर गयी। मैं उसे दफ़्तर में छोड़कर साइट पे गया।
वो सभी दफ़्तर के स्टाफ पर धौंस जमाती रही। उतने में एक ग्राहक आया, मैनेजर ने उससे डील करना चाहा तो जीनत ने उस ग्राहक से खुद डील किया। जो जमीन 10 लाख की थी उसे उसने 20 लाख का बताया। वो पार्टी उस जमीन को लेने के लिए इतना पागल थी की उसने 15 लाख में डील कर लिया। मैनेजर ने पेपर-वर्क कर दिए। मैंने जब आकर सुना तो बहुत ताज्जुब हुआ।
उसने कहा- दिस इस विमन पावर।
मैंने उससे कहा- “हम कल पिकनिक पे जाएंगे…” हम गोआ गये।
वहाँ का समुंदरी किनारा और विदेशियों का वाहियातपन देखकर जीनत मचलने लगी- इमरान हमारे लिए भी बिकिनी ले दो ना। हम भी अपना जलवा दिखना चाहते हैं।
जेबा बोली- मैं किसी को नहीं दिखाती।
जीनत एक बिकिनी दुकान पर गयी और दोनों के लिए बिकिनी लिया, मेरे लिए भी एक जोकी चड्डी ली। फिर उसी बिकिनी दुकान के चेंज-रूम में जाकर पहनकर बाहर आई। वाह क्या इंडियन माल थी…
फिर जेबा को खींचकर अंदर ले गयी और उसे भी बिकिनी में बाहर लाई। वावो… गजब ढा रही थीं दोनों।
मुझे भी चड्डी पहनाया और हम तीनों समुंदर में नहाने चले। जेबा का शरम से बुरा हाल था। जीनत उसे समझा रही थी- “तेरा बदन ऐसा हर वक़्त नहीं रहेगा। अभी कुछ लोगों को देखकर खुश होने दे। यहाँ हमें कौन पहचानेगा…”
हम जहाँ नहा रहे थे। वोहीं एक विदेशी जोड़ा भी नहा रहा था। दोनों लिपट-लिपटकर किस कर रहे थे। जीनत भी मुझसे लिपटकर किस करने लगी। फिर जेबा को धकेला। मैंने जेबा को भी किस किया। एक विदेशी लड़की के गले की डोरी खुल गयी, उसके चूचियां नंगी हो गयीं।
तो झट जीनत ने भी अपने चूचियों को नंगा कर दिया।
मैंने जीनत से कहा- क्या कर रही हो।
तो जीनत ने कहा- देखो उसने खोल दिया है।
एक विदेशी ने कहा- वाओ वाट आ ब्यूटीफुल बूबस।
जीनत ने फौरन कहा- थैंक योउ।
विदेशी ने पूछा- आर योउ मैरीड।
जीनत बोली- एस।
विदेशी- आस्क योर हसबैंड इफ ही वॉंट टु एक्सचेंज।
जीनत ने मुझसे कहा- “वो क्या एक्सचेंज करने को बोल रहा है…”
मैंने कहा- वो अपनी वाइफ को मुझे देगा मैं तुम्हें उसको दूँगा।
जीनत- “क्या बराबर के लिए…”

मैंने कहा- नहीं एक बार के लिए।
जीनत- तो हाँ कहो ना।
मैं- “क्या तुम मेरे इलावा किसी से…”
जीनत- तो क्या हुआ तुम्हें भी तो वो अपनी बीवी दे रहा है।
मुझे भी उसकी बीवी काफी सेक्सी लगी। पहली बार गोरी मेम को चोदने का मौका हाथ आ रहा था। मैं भी गोरी चमड़ी देखकर फिसल गया। मैंने हाँ कर दिया। हम सब हमारे सूट में आ गये। सबने कपड़े उतारे।
जेबा ने बिल्कुल इस खेल में हिस्सा ना लेने की कसम खा ली।
मैंने उसकी बीवी को बाहों में लिया, मेरे अंदर एक नया जोश पैदा हो रहा था। मैं उसे किस करने लगा। उधर जीनत को विदेशी किस कर रहा था। जीनत की आँखें बंद थीं। विदेशी लड़की किस्सिंग की माहिर थी। मुझ पर हावी हो रही थी। उसने ही कमान सभाल रखा था। जबरदस्त टाइट और बिल्कुल गोल चूचियां थीं उसकी, पिरी की तरह। पिरी की याद आते ही मैं उसे हार्ड किस करने लगा। अब मेरा लण्ड खड़ा होने लगा।
वो अपना दूध चुसाने लगी। निपल मसलने को बोली- स्क्वीज़ इट बास्टर्ड।
मैं जोर-जोर से दबाने लगा। उसकी गली से मैं गुस्से में आ गया और उसे नीचे बिठाया। उसने जैसे ही खड़े लण्ड को देखा तो अपने शौहर से कहा- सी, ही हैज़ आ ह्यूज काक।
उसने कहा- “हैव इट। सो युवर पुस्सी…”
अब वो जीनत की गाण्ड में चांटा मार रहा था। फिर उसने भी जीनत को नीचे बिठाया और अपना लण्ड उसके मुँह में घुसाकर चोदने लगा। उसका लण्ड मुझसे एक इंच बड़ा था। लेकिन थोड़ा पतला था।
मैंने उसे उठाकर पलंग के किनारे पर बिठा दिया। और पीछे धकेल दिया, वो बेड पर गिर गयी। मैं उसकी बुर चाटने लगा। चिकनी सफेद बुर पिरी से भी ज्यादा सफेद थी। मैं खड़ा हुआ और लण्ड उसकी बुर में घुसा दिया।
वो चीखी, शायद यह उनका स्टाइल है चोदने वाले को मजा देने का। फिर मैं धक्के देने लगा। और वो हर धक्के के साथ चीख रही थी। मुझे उसकी चीख अच्छी लग रही थी। इससे मर्द जीत का अहसास करता है।
अब जीनत को भी उसने लिटा दिया था। और बुर चाट रहा था।
मेरे हर धक्के पर वो चिल्ला रही थी आ आ।
अब जीनत की बुर में विदेशी ने लण्ड डाल दिया था, और चोदने लगा। जीनत दाँत भींचकर बेडशीट को पकड़ रही थी और उम्म्मह… उम्म्मह… उम्म्म्मम…
इस तरह की नशीली आवाज से मर्द गुस्से में आ जाता है उसे औरत को मजा लेते हुए देखने में तकलीफ होती है। वो तो उसपर हावी होना चाहता है। अगर उसके लण्ड से औरत मजा ले रही हो तो उसे लगता है की वो कमजोर है।
जीनत ऐसा दिखा रही थी की बड़ा मजा आ रहा है। होंठों पे मुश्कुराहट थी।
मैं गोरी को चोदता रहा। मुझे उसने अपने ऊपर खींच लिया और दूध चुसवाने लगी। मैं अब जबरदस्त धक्के मार रहा था। उसके पूरे बदन को हिला रहा था।
अब विदेशी भी स्पीड पकड़ चुका था।
तभी गोरी ने पानी छोड़ दिया आआअनन्नह… आन्न्न्नाहह…
मेरी नजर जीनत पर थी। अब वो भी पानी छोड़ रही थी। उम्म्म्मह… उम्म्मह…
अब मेरे और विदेशी के बीच टक्कर थी। हम दोनों धक्के मारते रहे और एक दूसरे को देखते रहे। फिर विदेशी ने लण्ड बाहर निकाल लिया और पिचकारी जीनत के बदन पर छोड़ने लगा।
मैंने और 5 मिनट बाद पानी छोड़ा और गोरी को अपने पानी से नहला दिया। गोरी ने मेरे लण्ड को पकड़ लिया और चूसने लगी, और लण्ड का मुआएना करते हुए कहा- “आर योउ मुस्लिम…”
मैंने कहा- एस।
 
तो उसने कहा- दैटस वाइ योउ अरे हविंग टू वाइव्स।
विदेशी ने मेरे पास आकर मेरे कंधे पर हाथ मरते हुए कहा- योउ वन। योउ कैन फक माई वाइफ अगेन।
गोरी मेरे लण्ड को चाटे जा रही थी।
विदेशी जीनत के पास गया और उसे अपना लण्ड दिखाया तो उसने मना कर दिया। वो अपनी बीवी के पास आ गया। उसने दोनों हाथों में दोनों के लण्ड पकड़ लिए, और बारी-बारी से दोनों के लण्ड चूसने लगी। कुछ देर के बाद दोनों के लण्ड खड़े थे।
विदेशी ने अपनी बीवी को मुझ पर सवार होने को कहा। उसकी बीवी मेरे लण्ड पर सवार हो गयी। विदेशी ने गोरी की गाण्ड के सुराख में अपना लण्ड घुसा दिया। और दोनों तरफ से लण्ड अंदर-बाहर होने लगे। कुछ देर बाद विदेशी ने अपनी बीवी से कहा- “लेट अस शो देम द डबल पेनीट्रेशन…”
विदेशी खुद चित लेट गया। गोरी उसके लण्ड पर उसके तरफ पीठ करके सवार हुई। यानी बुर में लण्ड लेकर चित होकर अपने शौहर की छाती पर लेट गयी। ऐसे की उसकी बुर ऊपर की ओर थी। जिसमें उसके शौहर का लण्ड घुसा हुआ था।
मुझे दोनों कहने लगे- फक मी देयर मैन… फक मी।
 
मेरी समझ में पहले नहीं आया। फिर जब मुझे अरबी का यह फार्मूला पिरी के साथ याद आया तो उनके कहने पर मैं उसी बुर में अपना लण्ड घुसाने की कोशिश करने लगा। एक लण्ड पहले से ही था घुसाना मुश्किल था। दोनों हँस रहे थे और मुझे हौसला दे रहे थे।
पुश इट मैन… पुश इट।
मैंने जबरदस्ती उसी बुर में अपना लण्ड घुसा दिया।
जीनत पास आकर देखने लगी। फिर जेबा को भी बुला लिया। जीनत ने मुझसे कहा- धक्के मारो ना…
उसका शौहर लण्ड अंदर-बाहर किए जा रहा था। मैं भी धक्के मारने लगा। लण्ड बड़ी मुश्किल से अंदर-बाहर हो रहा था। अजीब नजारा था… मैं गोरी के बुर को दाद दिए बगैर नहीं रह पाया। कुछ देर की चुदाई के बाद गोरी ने पानी छोड़ा, फिर उसके शौहर ने, फिर मैंने।
गोरी की बुर से पानी का झरना बह रहा था। मैंने लण्ड निकाला। फिर गोरी के शौहर ने।
तो जीनत गोरी की बुर को देखने लगी। मैंने भी देखा बुर का मुँह खुला का खुला रह गया था।
जेबा ने मुँह में हाथ देकर- हाय तोबा… बुर में तो हाथ घुस जाएगा।
गोरे की नजर अब जेबा पर थी। वो उसे घूर रहा था। वो मेरी तरफ देखा तो मैंने इशारे से इजाजत दे दी। गोरे ने जेबा को पीछे से पकड़ लिया। और बगल से हाथ डालकर उसकी चूचियां पकड़ लिया। जेबा इस अचानक हमले के लिए तैयार नहीं थी, छतपटाने लगी।
गोरा उसकी चूचियां की चटनी बना रहा था। उसकी बीवी मुझसे आकर लिपट गयी। गोरे ने जेबा की ब्रा निकाल दी और निपल पकड़ ली। वो उसे मरोड़ रहा था।
जेबा बोली- इमरान बोलो ना छोड़ने को।
मैंने कहा- उसे छोड़ दो वो प्रिगनेन्ट है।
गोरा- ओके हाउ मंथ…
मैंने कहा- 2 मंत्स है।
गोरा- नो प्राब्लम फार दैट।
जेबा ने पीछे हाथ बढ़ाकर उसके बाल पकड़ लिए। तो गोरा गुस्से में आ गया उसने हिन्दी में कहा।– “हाथ नीचे, वरना मैं गर्दन पे काट लूँगा…”

जेबा डर गयी।
फिर उसने जेबा को उठाकर पलंग के किनारे पर बिठाया, पैंटी भी उतार दी और बुर चाटने लगा। फिर उसके निपल चूसने लगा। फिर अपने लण्ड पर थूक लगाकर जेबा के अंदर घुसा दिया और चोदने लगा। फिर उसने जेबा को गोद में उठा लिया और खड़ा हो गया और जेबा की गाण्ड में चांटे मारे।
जेबा समझ गयी वो क्या चाहता है। वो उसके गले में बाहें डालकर खुद ही ऊपर-नीचे होने लगी।
गोरे ने कहा- “दैटस राइट… डोंट स्टाप किस मी…”
जेबा ने फौरन उसके होंठ चूसते हुए ऊपर-नीचे होने लगी।
फिर गोरे ने मुझसे कहा- योउ प्लीज हेल्प मी, शी इस वेरी हेवी। कम फ्रॉम बिहाइंड।
मैं भी अब तैयार था। फौरन नजदीक गया और जेबा की गाण्ड का सुराख ढूँढ़कर लण्ड घुसा दिया। अब वो ऊपर-नीचे होती तो दोनों के लण्ड अंदर-बाहर होते। गोरा बीच-बीच में जेबा की गाण्ड पे चांटे मारता। तो जेबा स्पीड बढ़ा देती।
जेबा बोली- वो मुझे मार रहा है।
मैंने कहा- यह उनका स्टाइल है चोदने का। तुम मजा लो ना… घर पर दो लण्ड का मजा कभी ले पाओगी क्या…”
जेबा ने स्पीड बढ़ाई फिर ढीली हो गयी। यानी उसने पानी छोड़ दिया। गोरे ने मुझे धकेलकर एक दीवार पे लगा दिया और स्पीड बढ़ा दी। और आवाज निकाल-निकालकर बुर के अंदर पानी छोड़ने लगा। फिर खुद बेड पर जेबा को लिए लेट गया।
अब मेरी बारी थी। मैं अब पूरी स्पीड में जेबा की गाण्ड मार रहा था। फिर मैंने भी पानी छोड़ दिया। हम सब थक के चूर थे। गोरों ने कुछ देर बाद हमसे बिदा लिया।
ताज्जुब की बात थी की सबसे ज्यादा जेबा खुश थी। उसने मुझसे पूछा- तुम्हें बुरा नहीं लगा की गोरे ने हमको चोदा।
मैंने कहा- मैंने भी तो उसकी बीवी को चोदा है। हिसाब बराबर।
हम घर वापस आ गये जीनत बहुत खुश थी। उस गोरी की एक बुर में दो लण्ड देखकर।
उसी दिन पिरी का फोन आया। वो मुझे बुला रही थी। उसका शौहर मुझसे मिलना चाहता था। मैं बहुत परेशान था की क्या करूँ। जीनत ने मुझे से मेरी परेशानी की वजह पूछा, तो मैंने बता दिया। वो भी जिद करने लगी की मुझे भी उससे मिलना है, चलो ना।
मैंने कहा- “ठीक है, चलो…” और पिरी से मिलने को हम दोनों अपनी कार से निकल पड़े।
जेबा को बता दिया। शायद हमारा जाना उसे अच्छा नहीं लगा। लेकिन वो मुझे किसी काम के लिए रोकती टोकती नहीं थी। इस बार भी उसने मुझे नहीं रोका। हम दिन के 11:00 बजे पिरी के घर पहुँच गये। उसने हमें अंदर बुलाया। हम अंदर गये। उसका पति भी बाहर आया और हमसे हाथ मिलाकर अंदर ले गया। हम सब एक सोफे पे बैठे।
मैंने कहा- वावो पिरी… तू तो मोटी हो गयी है।
उसने कहा- सिर्फ़ पेट बढ़ा है।
मैंने कहा- इतना बड़ा पेट लगता है दो बच्चे हैं।
उसके पति ने कहा- हाथ लगा के देखो, चाहो तो कपड़े उतार के देखो।
मैं उसकीा मुँह ताकने लगा।
उसके पति ने कहा- क्या देख रहे हो… यह सब तुम्हारा ही तो किया धरा है।
पिरी बोली- यह क्या बक रहे हैं आप।
 
उसका पति- “तुम मुझे बेवकूफ समझी हो। मैं यूँही इनसे मिलने को बोल रहा था। इनका पाप इनके जिम्मे लगाना चाहता था…” यह कहकर उसने अपनी जेब से पिस्टल निकाल लिया- “चलो तीनों पलंग पर चढ़ो। चलो जल्दी करो।
हम डर गये। उसकी आँखों में खून सवार था। हाथ में पिस्टल था हम तीनों पलंग पर चढ़ गये। उसने कहा- अब पिरी की नाइटी उतारो, और उसके पेट को देखो… पहचानो यह तुम्हारे ही बच्चे हैं की नहीं।
मैं इस बेवकूफ की बातों पर हसूँ की रोऊँ समझ नहीं पा रहा था।
उसका पति बोला- इसे कैसे चोदते थे अब मेरे सामने चोदो। चलो जल्दी करो नहीं तो एक-एक को गोली मारकर ढेर कर दूँगा। होशयारी की तो अंजाम के जिम्मेदार तुम खुद होगे। जैसा मैं कहता हूँ वैसा करो। मैं सिर्फ़ तुम्हारी एक वीडियो बनाना चाहता हूँ। फिर तुम्हें इसके साथ घर से निकाल दूँगा। किसी को कोई चोट नहीं पहुँचाऊँगा।
मैंने कहा- उसे तकलीफ होगी। वो प्रेगनेन्ट है।
उसने कहा- “जरा होसियारी से चोदना। उसके पेट में तुम्हारी औलाद है। चलो जल्दी करो…” उसने पास ही रखा वीडियो कमरा उठा लिया। एक हाथ में कमरा दूसरे में गन।
जीनत ने कहा- कर लो ना। उसका पति कह रहा है।
मैंने जीनत के हाथ, जो मेरे पैंट की चैन खोलना चाहते थे, को झटक दिया और खुद चैन खोलकर लण्ड बाहर निकाला,और जीनत के सर को लण्ड पर झुका दिया। वो मेरे लण्ड को चूसने लगी। लण्ड खड़ा हुआ तो मैंने पिरी की बुर को ठीक से चाटा, अच्छी तरह चिकना किया और लण्ड घुसा दिया। पूरा नहीं।
पर उसके पति ने जोर दिया पूरा घुसाओ। कुछ नहीं होगा अभी टाइम है। पिरी रो रही थी सुबक-सुबक के। हमें मालूम ना था की ऐसा भी दिन देखना पड़ेगा। मैं आहिस्ता-आहिस्ता कमर हिला रहा था। मेरी नजर पूरी तरह उसके पति पे थी। मैं आधे घंटे तक चोदता रहा। लण्ड पिरी की बुर पाकर शायद पानी छोड़ना भूल गया था। तभी उसका पति थोड़ा करीब आ गया। क्लोजप लेने के लिए।
मैं उसपर कूद गया। वो सोफे पर गिरा उसके हाथ से कैमरा और पिस्टल दोनों छिटक गये। मैंने उसके चेहरे पर दो घूंसे जमाए। वो बेहोश हो गया। मैंने और जीनत ने पिरी को कपड़े पहनाए और उसके पति को रस्सी से बाँध दिया, और पोलिस को फोन किया।
पोलिस आई उसके साथ मीडिआ भी पहुँच गयी। हमने सारा वाकिया सुनाया। और पोलिस से बिनती की की यह वीडियो मीडिया को नहीं मिलनी चाहिए। फिर हम बाहर आए तो मीडिया ने घेर लिया। हमने कुछ बताया और कुछ छुपाया।
मैंने पिरी से पूछा- तुम कहाँ जाओगी।
उसने रोते हुए कहा- अपने घर ले चलो। मेरे घर वाले तुम्हारी कहानी जान गये हैं। वो मुझे ही दोष देंगे।
हम उसे अपने घर ले आए। उसे देखकर जेबा बिल्कुल चुप थी। क्योंकी जीनत से जेबा ज्यादा खूबसूरत थी। लेकिन पिरी से कम।
हमने पिरी को एक कमरे में ठहराया। हम तीनों दूसरे कमरे में सोए। और हममें गरमा-गरम बहस होने लगी। क्या पिरी को भी यहीं हर दिन के लिए रहना है… क्या मैं उससे भी शादी कर लूँ… जेबा सिर्फ़ यह कहती रही आपकी जो मर्ज़ी।
लेकिन जीनत उसके यहाँ रहने पर बहुत नाराज थी- “ठीक है मदद कर दी, लेकिन इसका मतलब थोड़े है की ज़िंदगी भर रखना भी पड़े। तो सोनम और कोमल को भी क्यों नहीं रख लेते। उन दोनों को भी तो तुमने चोदा है। वो भी तो तुम्हें चाहती हैं। सोनम तो मुझसे कह भी रही थी की जीनत मुझे भी तुम्हारे साथ रहना है…”
मैं पागल हुए जा रहा था। जेबा ने कहा- पहले पिरी से पूछ तो लो की वो क्या चाहती है।
हम सो गये। सबका मूड खराब था। सुबह उठते ही सब पिरी के कमरे में गये। उसकी खैरियत पूछी।
उसने ही सवाल कर दिया- तुम तीनों ने मुझे अकेला छोड़ दिया।
हम सबसे कोई जवाब नहीं बन पा रहा था।
उसने कहा- मैं पराई हूँ ना। तुम सब पति-पत्नी हो। नहीं…”
जेबा ने कहा- तुम ऐसा ना सोचो। हम सोच रहे थे क्या तुम्हारा यहाँ रहना ठीक होगा। तुम्हारे तो भाई भाभी हैं। उन्हें बुरा नहीं लगेगा…”
पिरी बोली- अच्छा तो यह बात है। मेरे दिल को बहुत बड़ा धक्का लगा है। इमरान की उम्मीद ना होती तो मैं सीधे खुदकुशी कर लेती। अब तुम लोग मुझे बताओ, भाई-भाभी की बात मत करो। तुम सहारा दोगे या खुदकुशी करने को बोलोगे।
मैंने कहा- पिरी तुम ऐसा सोचना भी मत। तुम यहीं रहोगी।
जीनत बोली- वो यहाँ नहीं रहेगी। तुम मदद करना चाहते हो तो उसे कोई मकान खरीद के दे दो, वरना।
मैंने कहा- “वरना क्या…”
उसने कहा- मैं यहाँ से चली जाऊँगी। नहीं… मैं खुदकुशी कर लूँगी।
मैंने कहा- शौक से चली जाओ।
जीनत रोती सी सूरत बनाकर बोली- क्या कहा चली जाऊँ… अब पिरी मिल गयी तो मैं चली जाऊँ।
मैंने कहा- हाँ चली जाओ। तुम जैसी छोटे दिल वालों के लिए इस घर में कोई जगह नहीं।
उसने कहा- चली जाऊँ कहने के लिए मुझे लाया था।
मैंने कहा- “नहीं… लेकिन…” फिर मैं जेबा की तरफ घूमकर पूछा- अच्छा जेबा तुम बताओ, तुम क्या चाहती हो।
जेबा बहुत चालक थी। उसने कहा- जो आपकी मर्ज़ी।
मैं- देखा पिरी को दो वोट मिल गये।
जीनत ने जेबा से कहा- “तू ना बिल्कुल बेवकूफ है। देखना बहुत पछताएगी। मैं चली जाऊँगी कह देती हूँ…” कहकर वो कमरे से बाहर निकलने को हुई।
तो मैंने कहा- रूको।
तो वो खुश हो गयी।
 
मैंने फिर कहा- चली जाना लेकिन एक हकीकत सुनती जाओ।
“बोलो…” उसने कहा।
मैंने कहा- यह जो मेरा बिज़नेस, मेरा मकान, मेरी कार देख रही हो ना। यह सब पिरी का दिया हुआ है।
पिरी बोली- इमरान मत बताओ ना सबको।
मैं- “पिरी तुम चुप रहो… ना बताया तो वो इसी तरह तुम्हें तंग करती रहेगी…” मैंने अरबी वाली सब बात दोनों को बता दी।
जीनत बोली- “इमरान तुम भी…”
मैंने कहा- हाँ मैं भी।
जीनत- सारी पिरी मुझे माफ कर दे। लेकिन तूने इमरान को भी मरवा दिया। यह ठीक नहीं किया।
सब हँसने लगे। अब सब कुछ ठीक हो चुका था। मैंने काजी को बुलाकर पिरी से भी निकाह कर लिया। अब मैं पिरी के कमरे में भी सोने लगा। लेकिन जीनत वहाँ भी मेरे साथ सोने आ जाती। यानी मैं जेबा के साथ सोऊँ तो भी जीनत साथ सोती। पिरी के साथ सोऊँ तो भी।
अब मेरी तीन बीवियां थीं। मेरी उमर अभी 17 साल भी नहीं हुई थी।
 
पिरी ने मुझे फिर चोदने को कहा। उसने कहा- तुम जब मेरे पति के सामने चोदे तो मुझे बड़ा मजा आया। लेकिन दिखा नहीं पाई। बस धक्के मत देना, वरना कोई तकलीफ नहीं।
जीनत बोली- अच्छा सच-सच बता की बच्चा किसका है।
पिरी बोली- इमरान का और किसका। मतलब साफ है मैं शादी के एक हफ्ते बाद ही उल्टी करने लगी। उसने डाक्टर को बुलाया डाक्टर ने मुझे कुछ नहीं कहा। उसने दवाइयां लिख दी। उसने डाक्टर से पूछ लिया होगा। लेकिन मुझसे कुछ नहीं कहा। बल्कि मुझसे कहा की डाक्टर ने कहा की कोई बात नहीं असिडिटी है।
जीनत बोली- उसने सुहागरात नहीं मनाई।
पिरी- अरे वो बड़ा चालाक आदमी है। कंडोम इस्तेमाल किया करता है।
अच्छा… यह बता उसका कैसा था…”
छीः छोटा सा था। लेकिन बराबर मुझसे पूछता रहता था। तुम्हारा कोई बायफ्रेंड है…”
मैंने कहा की बायफ्रेंड आस लवर तो नहीं। पर एक लड़का दोस्त था ट्यूशन में।
उसने बड़ी शराफात से पूछा- कैसा था… तुमसे कितना मिलता था… कहीं अकेले में मिलते थे या नहीं, वगैरा वगैरा।
मैं उसे अच्छा आदमी समझकर बोलती गयी। मुझसे 3 साल छोटा था, दिखने में अच्छा था, लंबा था। कद की वजह से उमर से बड़ा दिखता था। बस उसने मुझसे जिद करना शुरू कर दिया की उसे बुलाओ मुझे उससे मिलना है। उसके बाद तुमने देखा उसने जो किया। मुझे शक भी नहीं हुआ की वो इतना सब करने वाला है।
जीनत बोली- हम तीन तो एक जगह आ गयीं। अगर सोनम और कोमल भी आ जाती तो। कितना अच्छा होता। नहीं…”
मेरे और पिरी के मुँह खुले के खुले रह गये। मैंने कहा- “तुम मुझे मारना चाहती हो… लोग क्या कहेंगे…”
उसने कहा- लोगों को मारो गोली। तुम तो मुसलमान हो एक से ज्यादा बीवी रख सकते हो। क्या रख चुके हो। तो और दो सही।
पिरी बोली- ठीक है, चार रख सकता है। पाँच तो नहीं।
तो जीनत बोली- एक को बीवी बना लो दूसरी को प्राइवेट में रख लो। हममें से कोई मरेगी तभी वो आ जाएगी।
पिरी ने पूछा- क्या वो भी आना चाहती हैं।
जीनत बोली- आना चाहती हैं तेरे बाद तो गिड़गिड़ा रही हैं। मैं आज रात उन दोनों को बुला लेती हूँ। तुम खुद पूछ लेना।
रात हुई। शाम से ही सोनम और कोमल घर आ चुकी थीं। रात 9:00 बजे जब मैं घर आया। तो पाँचों ड्राइंग रूम में बैठी टीवी देख रही थीं, और बातें कर रही थीं। मैं आया तो मेरे लिए भी जगह बनाया गया।
जीनत ने सोनम और कोमल से पूछा- क्या तुम इस घर में आना चाहती हो…”
तो दोनों ने कहा- हाँ… बिल्कुल कितना मजा आएगा। हम छे दोस्त एक साथ एक घर में रहेंगे।
जीनत बोली- तुम दो हो, और इमरान अब केवल एक और शादी ही कर सकता है। इसलिए तुम दोनों को एक कंपिटीशन में पास होना होगा, जो जीतेगी वो इमरान की बीवी बनेगी। दूसरी के लिए कुछ और सोचा जाएगा। कंपिटीशन यह है की दोनों को इमरान के साथ चोदने का मौका मिलेगा। जो ज्यादा टाइम तक अपना पानी रोक सकेगी वो जीतेगी। क्यों मंजूर है…”

दोनों ने कहा- ठीक है।

सोनम बोली- मैं पहले।

कोमल बोली- नहीं मैं पहले।

जीनत बोली- “इसका भी हल है। जो पहले अपना सारा कपड़ा उतार के नंगी होगी वोही पहले चुदवाएगी…”

जीनत के एक-दो-तीन कहते ही दोनों ने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए। कुरती निकली, ब्रा निकाली, सलवार निकाली और तभी पता चल गया की सोनम ने चड्डी नहीं पहना है। और वो जीत गयी।

जबकि कोमल चड्डी उतारने में पीछे रह गयी।

सोनम नाचने लगी और दौड़कर इमरान के गले लग गयी। इमरान ने उसे गले लगा लिया। लेकिन एक हाथ फैलाकर मुँह लटकाए दूर खड़ी कोमल को भी अपनी ओर बुला लिया, और बारी-बारी से दोनों को चोदा। एक कमरे में दोनों के साथ इमरान को सुलाया गया। रात भर इमरान दोनों को चोदता रहा। फिर सुबह 10:00 बजे कोर्ट में सोनम से शादी कर ली।

सोनम के घर वाले गुस्से से भरे हुए आए।

सोनम ने कहा- मुझे इसी में खुशी है तो आप लोगों को क्या तकलीफ है…”

वो उसे गलियां देते हुए चले गये।

कोमल को आफिस में जाब दे दिया गया।

दो महीने बाद रात के बारह बजे पिरी को दर्द उठा। डाक्टर को फोन करने से पहले ही पिरी ने एक ही झटके में बच्चे को जनम दिया। लड़का हुआ था। घर में खुशी का महौल था।

एक महीने बाद जेबा की बारी थी। फिर वो घड़ी भी आई। जेबा को हास्पिटल ले जाया गया। इमरान घर पर नहीं था। वो सीधे हास्पिटल पहुँचने वाला था। ऐंबुलेन्स में जेबा नर्स के साथ गयी। जीनत, कोमल और सोनम अपनी कार से गयीं। कार जीनत चला रही थी। एक मोड़ पर कार की एक ट्रक से टक्कर हो गयी। और तीनों की स्पाट डेथ हो गयी।

जेबा का आपरेशान हुआ और वो भी आपरेशान टेबल पर दम तोड़ गयी। उसने एक लड़की को जनम दिया। घर में मातम का महौल था।

दो बच्चों की खुशियां कहीं दबकर रह गयीं। किश्मत का खेल भी अजब निराला है।

अगर इमरान को पिरी के लिए और पिरी को इमरान के लिए बनाया गया था तो इतना ड्रामा क्यों…

***** THE END समाप्त *****
 
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