XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें - Page 6 - SexBaba
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XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें

नाश्ते के टेबल पर दोनों माँ बेटी नहीं आई तो मैंने सोचा कि शायद सोई हैं, और मैं कालेज चला गया.जाने से पहले पारो को बता गया कि दोपहर के खाने में क्या बनेगा.
कालेज से वापस आने पर पता चला कि दोनों लखनऊ घूमने गई हैं.मैं खाना खाकर सो गया. जब नींद खुली तो शाम हो चुकी थी.ड्राइंग रूम में गया तो माँ बेटी वहां बैठी थीं, वो दोनों बताने लगी कि वो कहाँ कहाँ घूम आई हैं. कुछ शॉपिंग भी की थी दोनों ने.
रात में मैंने उनके लिए मुर्गा बनवा दिया था तो वो खाकर बड़ी खुश हुई कि ऐसा मुर्गा उनके छोटे शहर में नहीं मिलता और बहुत ही स्वादिष्ट बनाया है तुम्हारी कुक ने.
खाने के बाद कुछ देर हम तीनों ने ताश के पत्ते खेले और फिर करीब दस बजे हम सोने चले गए.मुझको उम्मीद थी कि आज वो दोनों मुझ को परेशान नहीं करेंगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
जब दोनों नौकरानियाँ सोने के लिए अपनी कोठरी चली गई तो मैंने मुख्य द्वार बंद कर लिया और आकर अपने बिस्तर पर लेट गया.थोड़ी देर बाद मेरे बंद कमरे का दरवाज़ा खटका और खोलने पर सामने चाची और उषा खड़ी थीं, दोनों ही अपने सोने वाली पोशाक में थी.
‘आओ चाची जी, कोई काम था क्या?’‘नहीं वो सर दर्द हो रहा था मुझको और उषा को, सोचा कि तुमसे कोई बाम ले आती हैं.‘हाँ हाँ, क्यों नहीं.’मैं बाम का मतलब समझता था.
तब चाची बोली- सतीश, तुमने हमारी हर तरह से बहुत अच्छी खातिरदारी की है. हम दोनों तुम्हारी रात की खातिरदारी नहीं भुला सकती. सो आज हम दोनों तुम्हारी खातिरदारी करेंगी. बोलो मंज़ूर है?मैं बोला- चाची, रहने दो, आपने जो भी मुझको दिया, वो बहुत दिया, मेरा आप पर कोई अहसान नहीं है, हिसाब बराबर हो गया है.चाची बोली- नहीं सतीश, आज रात हम दोनों तुझको एक तोहफा देना चाहती हैं.
तब चाची और उषा ने मिल कर मेरे कपड़े उतार दिए और यह देख कर अचम्भे में आ गई कि मेरा लंड पूरी तरह से तना हुआ खड़ा था.दोनों ने लंड को हाथ नहीं लगाया और अपना काम शुरू कर दिया.
ड्राइंग रूम में पड़े रेडियो को वो पहले उठा लाई थी, उसको चालू कर दिया, हल्के हल्के डांस के गाने उस पर बज रहे थे.डांस के म्यूजिक पर दोनों अपनी कमर हिला हिला कर डांस करने लगी.नाचते हुए पहले चाची ने उषा के कपड़े एक एक कर के उतारने शुरू कर दिए. धीरे से डांस करते हुए चाची ने पहले उषा का ब्लाउज उतार दिया और फिर उसकी अंगिया उतार दी और घुमा कर मेरे मुंह पर फ़ेंक दी.
सूंघने पर बहुत ही प्यारी खुशबू आ रही थी उषा की अंगिया से, मैंने उसको अपने गले में लपेट लिया.यह देख कर उषा खिलखाला कर हंस दी थी.
चाची लगातार उचक उचक कर डांस कर रही थी.फिर उसने उषा की पिंक सिल्क साड़ी उसको गोल गोल घुमा कर उतार दी. साड़ी हवा में लहराते हुए उसने मुझ पर लपेट दी.जब तक मैं साड़ी से आज़ाद होता, तब तक उषा का पेटीकोट भी उतार दिया और ज़ोर से मेरे ऊपर फैंक दिया लेकिन इस बार मैं चौकन्ना था तो हाथ से उसको परे फैंक दिया.
यह सारा नज़ारा बहुत ही सेक्सी था और मेरा लंड बार बार हवा में लहलहा रहा था.अब उषा आई और मेरे लंड के साथ अपनी चूत जोड़ कर गोल गोल घूमने लगी.‘उफ्फ्फ ओह्ह्ह…’ की आवाज़ मेरे मुंह से और उषा के मुंह से इकट्ठी निकल रही थी, मेरा लंड उषा की चूत के ऊपर रगड़ा मार रहा था. कभी वो आधा इंच चूत के अंदर जाता और फिर उषा के डांस की वजह से वहां से खिसक जाता.
उधर चाची भी अपने कपड़े डांस की ताल के साथ उतारने में लगी थी. पहले उसका ब्लाउज हम दोनों पर गिरा, जिसको मैंने उषा की चूत और अपने लंड के बीच में रख दिया और फिर उसकी सिल्क ब्रा भी आकर मेरे मुंह पर गिरी.उसमें से आ रही खुशबू मुझ को पागल बना रही थी, मैंने एकदम जोश में आकर उषा को कस कर पकड़ा और खड़े खड़े ही लंड को उषा की चूत में डाल दिया.
जब वो आधा अंदर चला गया तो मैंने उसको गोद में उठा लिया और पूरा का पूरा लंड उसकी गीली चूत में घुसेड़ दिया.अब चाची भी पूरी नंगी हो चुकी थी तो वो भी हम दोनों के साथ चूत का रगड़ा मार रही थी.
मैंने उषा को पलंग की साइड में लिटा दिया और उसकी टांगें चौड़ी करके अपने पूरे जोबन पर आये लंड को फिर से उसकी चूत में डाल दिया और उसकी कमर के नीचे अपने हाथ रख कर उठा लिया और ज़ोर से धक्के मारने लगा.उषा कोई 10 धक्कों में ही छूट गई और पलंग पर पसर गई.

 
चाची मुझको पीछे से अपनी चूत से मेरे चूतड़ रगड़ रही थी और अपने मम्मे उसने मेरी पीठ पर चिपका रखे थे और अपने दायें हाथ से मेरे अंडकोष को मसल रही थी.जैसे ही मैं उषा से फ़ारिग़ हुआ, चाची ने एक ज़ोर के झटके से मुझको पलटा लिया और मेरे होटों पर अपने जलते हुए होंट रख कर चूसने लगी.
अब मैंने चाची को चूमने के बाद उसको मम्मों को कुछ देर चूसा, फिर उसकी गांड में ऊँगली डाल कर गोल गोल घुमाने लगा.गांड काफी टाइट थी.
न जाने क्यों चाची बोली- सतीश, कभी गांड मारी है किसी लड़की की?मैंने कहा- नहीं चाची, मुझको यह अच्छा नहीं लगता.चाची बोली- अरे बड़ा मज़ा आता है! कोई क्रीम है यहाँ तेरे कमरे में?मैंने कहा- हाँ कोल्ड क्रीम है.‘दिखा तो सही.’
मैं अपने ड्रेसिंग टेबल से क्रीम की शीशी उठा लाया और चाची को दे दी.चाची ने ढेर सारी क्रीम अपनी गांड में लगाई और बोली- चल सतीश, डाल लंड मेरी गांड में.
पहले तो मैं बहुत हिचकिचाया लेकिन फिर सोचा कि क्यों न आजमाया जाए यह नया तरीका.और मैंने डरते हुए लंड को चाची की गांड में डालना शुरु कर दिया.पहले थोड़ा सा डाला और फिर धीरे धीरे से सारा अंदर डाल दिया.चाची ‘उई उई’ करने लगी लेकिन गांड को पीछे धकेल कर मेरा पूरा लंड अंदर तक ले जाने लगी.मुझको ऐसा महसूस हो रहा था कि मेरा लंड एक छोटी सी मोरी में आगे पीछे हो रहा है और बहुत ही अधिक टाइट पाइप में घुसा हुआ है.
अब मैंने धक्के तेज़ कर दिए और चाची भी धक्कों का बराबर जवाब दे रही थी. चाची की एक ऊँगली अपने क्लिट पर रगड़ा मार रही थी ताकि वो पूरी तरह आनन्द ले सके.आखरी का धक्का मैंने बहुत ज़ोर से मारा और अंदर ही पिचकारी छोड़ दी और तभी चाची का भी छूट गया.
फिर हम दोनों निढाल हो कर पलंग पर लेट गए. उषा थकी हुए होने के कारण एकदम गहरी नींद में सोई हुई थी. वो पूरी तरह से नंगी थी और उसको नंगी देख कर मेरा लौड़ा फिर तन गया. लेकिन मैंने अपने को कंट्रोल किया और उषा की बगल में लेट गया और चाची मेरी बगल में लेट गई, चाची का हाथ मेरे खड़े लंड से खेल रहा था जब मुझको गहरी नींद आ गई.
सुबह उठा तो देखा कि उषा मेरे ऊपर चढ़ी हुई थी और मेरे लंड को अपनी चूत में डाल कर ऊपर नीचे हो रही थी.मैं भी आँखें बंद करके लेटा रहा.10 मिन्ट तक उषा मेरे लंड को चूत में डाले रही और फिर वो ज़ोर से ‘उई माँ…’ कह कर मेरे ऊपर पसर गई.
मैं उठा और दोनों को जगाया कि नौकर आने वाले हैं, आप अपने कमरे में जाएँ.दोनों अपने कपड़े समेट कर नंगी ही भाग गई अपने कमरे में.
चाय पीने के बाद ड्राइंग रूम में आया तो दोनों माँ बेटी तैयार होकर बैठी थी.मैंने हैरान होकर पूछा- क्या बात है, आप तैयार हो कर बैठी हैं? कहीं जाना है क्या?‘हाँ सतीश, आज हम वापिस जा रहे हैं. तुम्हारे अंकल अभी वापस आ रहे हैं और हम ब्रेकफास्ट कर के वापस चले जाएंगे.’‘अभी कुछ दिन और ठहर जाइए न, अभी तो मज़ा आना शुरू हुआ था.’‘नहीं सतीश, हम फिर आएंगे और हाँ तुम आओ न हमारे शहर!’‘ज़रूर आऊंगा जब कालेज से छुट्टी होगी, तभी आ पाऊंगा.’
और नाश्ता कर के वो चले गए.

कहानी जारी रहेगी.

 
पारो का सेक्स जीवन

चाची और उषा के जाने के बाद हम तीनों फिर एक साथ हो गये यानि नैना और पारो फिर मेरे कमरे की हर रात को शोभा बढ़ाने लगी.सबसे पहले दोनों ने चाची और उषा की कहानी सुननी चाही.जैसे कैसी थी दोनों? उनके मम्मे कैसे थे और चूत कैसी थी?मैंने भी खूब मज़े ले ले कर उनको बताई सारी बातें.
चाची की और उषा की सफाचट चूत से वे बड़ी हैरान थी, कहने लगी- यह कैसे हो सकता है?मैंने उनको बताया- चाची बता रही थी कि वो दोनों दाड़ी बनाने वाला रेजर और चाचा के शेविंग करने वाले साबुन से एक दूसरी की चूत की सफाई करती हैं. बिल्कुल साफ़ कर देती हैं चूत और बगलों के बाल, उन दोनों की चूत बहुत ही मुलायम और चमकदार लग रही थी.
दोनों बहुत ही हैरान हो रहीं थी, नैना बोली- ऐसा करने से उन का पति नाराज़ नहीं होता क्योंकि ऐसा तो सिर्फ रंडियाँ ही करती हैं. घरेलू औरत ऐसा करे ना तो उस का पति उसको घर से निकाल दे!
मैं बोला- अच्छा, पर ऐसा क्यों है? बाल सफा करने से क्या बिगड़ जाता है औरत का?नैना बोली- रंडियाँ इसलिए साफ़ करती हैं बालों को ताकि कोई ग्राहक उनको बीमारी न दे जाए! और फिर ग्राहक के जाने के बाद वो अच्छी तरह चूत को साफ़ कर लेती हैं ताकि जितना भी वीर्य ग्राहक का अंदर छूटा होता है वो सब बाहर निकल जाता है और उनके गर्भवती होने की संभावना काफी कम हो जाती है.
मैं बोला- फिर तो तुम को भी ऐसा ही करना चाहिए न?नैना बोली- छोटे मालिक हमारे चोदनहार तो सिर्फ आप ही हैं और आप किसी बाहर वाली औरत के पास तो जाते नहीं तो हमें काहे का फ़िक्र?‘लेकिन बच्चा ठहरने की सम्भावना तो होती है न?’

‘अरे बच्चे की बात से याद आया कि आप का कब हो रहा है?’‘मेरा कब क्या हो रहा है?’‘वही, जिसकी बात हम कर रही हैं?’‘बच्चा? मेरे कैसे हो सकता है?’‘वाह, आप भूल गए क्या? इतने खेतों में बीज डाला है आपने?’‘अरे कौन से खेत? कब बीज डाला मैंने?’‘हा हा… भूल गए क्या ? पहला खेत तो मेरा था जिसमें आपने हल चलाया और फिर छाया, फिर बिन्दू, फुलवा और फिर निर्मला और ना जाने और किनका खेत आपने जोता?
मैं बड़े ज़ोर से हंस दिया और बोला- अरे तुम चूत वाले खेतों की बात कर रही हो!वो भी मुस्कराते हुए बोली- हाँ वही तो!मैंने पारो की तरफ देखा और पूछा- पारो, तुम बताओ कि क्या तुम्हारी चूत खेत की तरह है और मेरा लंड हल की तरह?वो भी हँसते हुए बोली- हाँ छोटे मालिक, अगर देखा जाए तो चूत एक धरती का टुकड़ा है जिस पर पुरुष अपने लंड का हल चलाता है और एक निश्चत समय के बाद उसमें फसल उग आती है जो धरती के पेट से निकलने के बाद एक प्यारे बच्चे का रूप ले लेती है.
कोठी का मुख्यद्वार बंद करके हम तीनों मेरे कमरे में बातें कर रहे थे, आज कोई मेहमान नहीं था तो हम आजाद थे.मैंने कहा- ऐसा करो, नैना और पारो हम तीनो नंगे हो जाते हैं, फिर बात करेंगे. ठीक है न?
हम तीनों जल्दी ही निर्वस्त्र हो गए और पलंग पर लेट गए. मैं बीच में और मेरी दाईं तरफ नैना और बाएं तरफ पारो.नैना ने मेरे लौड़े पर हाथ रखा और वो टन से खड़ा हो गया. सबसे पहले नैना ने मेरे लंड को पकड़ा और मैं अपना दायाँ हाथ उस की बालों भरी चूत में फेरने लगा और दूसरा पारो की चूत में डाल कर उसकी गीली चूत में भगनासा को हल्के हल्के दबाने लगा.
फिर मैंने कहा- अच्छा पारो, आज तुम सुनाओ अपनी कहानी. कैसे शादी की पहली रात में तुम चुदी थी?वो पहले थोड़ी शरमाई और फिर बोली- छोटे मालिक, आप यकीन नहीं मानोगे, शादी से पहले मैंने लंड देखा ही नहीं था. कुत्ता कुत्ती को करते हुए देखा ज़रूर था लेकिन इसका मतलब तब मैं नहीं जानती थी.
नैना बोली- अच्छा? ऐसा कैसे हो सकता है? किसी छोटे लड़के को तो देखा होगा तुमने और उसके छोटे लंड को भी देखा होगा न?
पारो बोली- हाँ वो देखा था लेकि लड़के के लंड और किसी मर्द के लंड में बहुत अंतर होता है नैना. और जब मेरे पति ने सुहागरात को अपना खड़े लंड को निकाला तो मैं एकदम डर गई और फिर उसने मुझको लिटा दिया और मेरी साड़ी ऊपर करके टांगों के बीच बैठ कर लंड को चूत में डालने की कोशिश करने लगा. लेकिन मेरी चूत बहुत टाइट थी तो उसकी हर कोशिश नाकामयाब हो रही थी, लंड अंदर जा ही नहीं रहा था.
फिर वो थक कर लेट गया और सो गया. अगली रात फिर उसने कोशिश की लेकिन फिर उसको कोई सफलता नहीं मिली. इस तरह दो रात कोशिश करने के बाद वो जब कुछ नहीं कर सका तो वो काफी शर्मिंदा हो गया मेरे सामने. लेकिन मुझको तो कुछ मालूम ही नहीं था. फिर ना जाने किसने उसको कोई तरीका समझाया और अगली रात वो तेल की शीशी ले कर आया और ढेर सा तेल मेरी चूत पर मल कर उसने फिर कोशिश की और वो इस बार चूत में लंड डालने में सफल हो गया. हालांकि मुझको बेहद दर्द हुआ. और फिर मेरा पति रोज़ रात को मुझको चोद देता था लेकिन मुझको कोई आनन्द नहीं आता था.
मैं और नैना एक साथ बोल उठे- फिर क्या हुआ?पारो थोड़ी देर चुप रही और फिर मुस्कराते हुए बोली- मेरे पति का एक छोटा भाई भी था जो मेरे चारों तरफ बड़े प्यार से घूमता रहता. वो बहुत ही शरारती था और हर वक्त कोशिश करता था कि मेरे शरीर के किसी अंग को छू ले. पहले तो मैंने ध्यान नहीं दिया लेकिन एक दिन उसने मेरे मम्मों पर हाथ रख दिया तो मैंने उसकी ध्यान से देखा और पाया कि वो 19-20 साल का जवान लड़का है, दिखने में भी ठीक ही लग रहा था तो मैंने उसको धीरे धीरे छूट देनी शुरू कर दी.
एक दिन मेरा पति बाहर गया हुआ था और सास भी किसी काम से घर पर नहीं थी, मैं और मेरा देवर किशन ही घर में था, मैं अपने बिस्तर पर आकर लेट गई, तभी मुझको लगा कि कोई मेरे कमरे में कोई आया है.मैंने ध्यान से देखा, वो किशन ही आया था..उसने आते ही मुझको बाँहों में भर लिया और ताबड़तोड़ चूमना शुरू कर दिया.मैंने उसको रोका- कोई आ जाएगा, जाओ यहाँ से!पर वो नहीं माना और मेरे को चूमते हुए उसने मेरे मम्मे भी दबाने शुरू कर दिए जिससे मुझको बड़ा आनन्द आना शुरू हो गया.
जब उसने देखा कि मैं उसको ज्यादा रोक टोक नहीं रही तो उसने मेरी धोती ऊपर उठा दी और अपना मोटा खड़ा लंड मेरी चूत में डालने लगा.मैं चिल्ला उठी- यह क्या कर रहा है रे किशना?
उसने सब अनसुनी कर दी और अपने लंड से चूत में धक्के मारने लगा.मैं बोली- बस कर किशना, नहीं तो मैं शोर मचा दूंगी.यह सुन कर किशना ने मेरा मुंह अपने मुंह से बंद कर दिया और ज़ोर से धक्के जारी रखे.
अब मुझ को मज़ा आने लगा था, मेरा बोलना बंद हो गया और मैं चुदाई का जीवन में पहली बार आनन्द लेने लगी.थोड़ी देर बाद मुझको ऐसा लगा कि मेरी चूत में कुछ खलबली हो रही है और फिर मेरी चूत अंदर ही अंदर खुलने और बंद होना शुरू हो गई और फिर मुझको लगा कि मेरी चूत से कुछ पानी की माफिक निकला और मेरे बिस्तर पर फैल गया है.
कुछ देर बाद किशना का एक गर्म फव्वारा छूटा और मेरी चूत में फैल गया और मैं आनन्द विभोर हो गई. इस पहली चुदाई के बाद हर मौके पर हम दोनों चोदना नहीं छोड़ते थे.आज तक समझ नहीं आया कि हम चुदाई करते हुए कभी पकड़े नहीं गए. ईश्वर का लाख शुक्र है कि वह हमको बचाते रहे हर घड़ी में!
मैं बोला- तुमको कभी बच्चा नहीं ठहरा पारो?पारो बोली- नहीं, कभी नहीं, न अपने मर्दवा से और न ही देवर से… मालूम नहीं ऐसा क्यों हुआ?
यह कहानी सुनते हुए मेरा लंड तो खड़ा ही था लेकिन उधर नैना की हालत भी ठीक नहीं थी.मैंने फ़ौरन दोनों को घोड़ी बनाया और ज़ोर से चोदना शुरू कर दिया, पहले नैना को और फिर पारो को!कुछ धक्के एक चूत में मार कर मैं अपना लंड दूसरी में डाल देता था. इस तरह दोनों को जल्दी ही चोद चोद कर पूर्ण चरमसीमा पर पहुंचा दिया.दोनों ही थक कर लेट गई और मैं उन दोनों के बीच में था.
फिर रात भर हम तीनों चुदाई में मग्न रहे.

 
नैना की कहानी उसी की जुबानी

अभी तक आपने पारो की कहानी पढ़ी, अब आपको नैना की कहानी सुनाने की कोशिश करता हूँ.नैना मेरे जीवन में मेरी यौन गुरु बन कर आई थी, उसी ने मुझको यौन ज्ञान के ढाई अक्षर सिखाये थे. उसका ढंग ख़ास था क्यूंकि वो सब काम स्वयं करके दिखाती थी ताकि मुझको शक की कोई गुंजायश न रहे, इलिए मैं यह मानता हूँ कि जो मैं आज कामक्रीड़ा में माहिर बना बैठा हूँ, वो सब नैना की वजह से ही है, न वो मेरे जीवन में आती, न मैं काम-कला का इतना ज्ञान अर्जित करता.
नैना जब मेरे जीवन में आई थी, उस समय मैं केवल गाँव का एक भोला भाला लड़का ही था, यह तो नैना ही है जिसने मुझ में छिपी हुई अपार यौन शक्ति को पहचाना और उस शक्ति को एक दिशा दी.अगली रात नैना की कहानी सुनने के लिए हम दोनों बड़े बेताब थे.
रात को हमने ढेर सारा बकरे का मांस पारो से बनवाया और नान इत्यादि बाजार से मंगवा लिए. कुछ खाने का सामान पारो मेरे कहने पर लखन लाल चौकीदार को दे आई ताकि वो और उसका परिवार भी ढंग से खाना खा सके.
खाना खाकर हम तीनों मेरे कमरे में इकट्ठे हुए, तीनों ने धीरे धीरे अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिये. कपड़े उतारने का क्रम ऐसा रखा कि हर एक कपड़ा उतारने के बाद हम देखते थे कि कितने कपड़े बचे हैं शरीर पर!
एक एक कपड़ा उतारते हुए हम देखते जा रहे थे कि किसके कपड़े ज्यादा बचे हैं शरीर पर… हम तीनों के शरीर पर केवल 3-3 कपड़े थे जो हम रेडियो पर चल रहे एक फ़िल्मी गाने के मुताबिक़ उतार रहे थे.

सबसे पहले मैंने अपने तीन कपड़े उतार दिए और उसके बाद नैना ने उतारे और पारो सब से आखिर में उतार पाई. उन दोनों की चूतों पर उगी हुई काली झांटें ख़ास चमक रही थी और दोनों ने शरीर पर हल्का सा सेंट लगा रहा था जिसकी खुश्बू अलग अलग थी.
हम तीनों मेरे बड़े पलंग पर लेट गए.फिर नैना ने कहा- आज हम एक नए तरीके से चोदते हैं. छोटे मालिक पारो की चूत को चूसेंगे, पारो मेरी चूत को चूसेगी और मैं छोटे मालिक के लंड को चूसूंगी, यह एक गोल चक्र बना लेते हैं इस काम के लिए!
हमने एक गोल चक्र बना लिया, मैंने अपना मुंह पारो की बालों भरी चूत में डाल दिया और पारो ने अपना मुंह नैना की चूत में और नैना मेरे लंड को चूसने लगी.पारो की चूत एकदम फूली हुई थी और खूब पनिया रही थी क्यूंकि आज के नए खेल ने उसको काफी उत्तेजित कर दिया था.
मैं धीरे धीरे अपनी जीभ को उसकी सुगन्धित चूत के होटों पर फेरने लगा, मैं जानबूझ कर उसके क्लिट यानी भगनासा को नहीं छू रहा था. जीभ को गोल गोल घुमाता हुआ उसकी चूत के अंदर का रस पीने लगा. मेरी जीभ करीब 1 इंच तक उसकी चूत में चली जाती थी.
फिर मैंने हाथ की ऊँगली भी चूत में डाल दी और उसको अंदर बाहर करने लगा.अब पारो ने अपने चूतड़ हिलाने शुरू कर दिए और मैं ऊँगली को उसकी भगनासा पर फेरने लगा..
उधर नैना मेरे खड़े लंड को लोलीपोप की तरह चूसने लगी जिससे मुझको बहुत आनन्द आ रहा था, नैना के चूतड़ भी ऊपर उठ बैठ रहे थे पारो की जीभ के कारण.मैंने पारो के भगनासा को अब चूसना शुरू कर दिया और अपनी बीच वाली ऊँगली उसकी चूत के काफी अंदर तक डाल दी.अब पारो के मुंह से ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह जैसी आवाज़ें आने लगी और कुछ ही क्षण में उसकी जांघों ने मेरे मुंह को कैद कर लिया और वो ज़ोर ज़ोर से कांपने लगी.
थोड़ी देर में नैना भी इसी तरह झड़ गई, सिर्फ मेरा लंड अभी भी वैसे ही मस्त खड़ा था.फिर ना जाने नैना ने जीभ से कोई खेल खेला और मेरा भी फव्वारा छूट गया.
हम तीनों वैसे ही लेटे रहे. फिर जब सांसें ठीक हुईं तो अपनी अपनी जगह पर लेट गए.मैं बोला- नैना डार्लिंग, हमको बंटा बोतल तो पिलाओ बर्फ डाल के!वो गई और जल्दी ही तीन ग्लासों में लेमन में बर्फ डाल कर ले आई. लेमन पी कर दिल खुश हो गया.
मैंने नैना को बोला- नैना डार्लिंग, तुम्हारा मम्मे का क्या साइज होगा?वो बोली- मुझ को क्या मालूम छोटे मालिक!‘अरे तो पता करो न? तुम्हारे पास वह नाप लेने वाला फीता है क्या?’‘शायद है. लेकिन ढूंढना पड़ेगा?’‘तो ढूंढिए न, और पारो को भी साथ ले लो, वो भी शायद जानती होगी.’
दोनों नंग धड़ंग फीता ढूंढने में लग गई.मैं लेटे लेटे ही उन दोनों का सेक्सी नज़ारा देख रहा था, नैना के चूतड़ एकदम गोल और उभरे हुए थे जबकि पारो के थोड़े फैले हुए थे, उनमें गोलाई कम थी.इसी तरह पारो के मम्मे ज्यादा बड़े और सॉलिड लग रहे थे जबकि नैना के मम्मे छोटे और गोल थे.
थोड़ी देर में नैना फीता ले आई, मैंने दोनों को सीधा खड़ा कर दिया और जैसे दर्ज़ी औरतों का नाप लेता है वैसे ही दोनों का नाप लेने लगा.पहले पारो के मम्मों का नाप लिया, वो पूरे 38 इंच के निकले और उसकी कमर 30 इंच थी और हिप्स यानी चूतड़ 40 इंच थे.
अब नैना की बारी थी, उसके मम्मे 36 इंच कमर 28 इंच और चूतड़ 38 इंच के निकले.मेरा अंदाजा सही निकला.दोनों को मैंने बताया कि
 
उनके नाप बड़े ही सेक्सी थे और अगर कोई जवान लड़का उनको नंगी देख ले तो वो फ़ौरन उनको चोद डालेगा जैसे मैं चोदता हूँ.
यह सुन कर दोनों खूब हंसी और बोली- छोटे मालिक, तुम कौन से बूढ़े हो गए हो? तुम भी अभी जवानी में कदम रख रहे हो और हम को देख कर रोज़ चोद देते हो.इस बात पर हम तीनों खूब हँसे.
मैंने नैना को देख कर कहा- अच्छा नैना, अब तुम सुनाओ अपनी कहानी, देखें तुम्हारे साथ क्या हुआ तब?
नैना मुस्कराई और फिर बोली- छोटे मालिक, मैं बचपन से ही बड़ी नटखट और चुलबुली लड़की मानी जाती थी अपने गाँव में! खूब शरारत करना मेरा नियम था, मैं और मेरी एक सहेली चंचल सेक्स के मामले में काफी जानकारी रखते थे. मैं और मेरी सहेली चंचल बड़ी पक्की सहेलियाँ थी, हम कोशिश करते रहते थे कि गाँव में नए शादीशुदा जोड़ों को सुहागऱात वाली रात में किस प्रकार देखा जाए रात के अँधेरे में!शुरू शुरू में तो हम को ज़्यादा सफलता नहीं मिलती थी लेकिन धीरे धीरे मुझको समझ आने लगा कि नए जोड़ों को रात को कैसे देखा जाए, खासतौर पर गर्मियों के दिनों में!शादी होने से पहले हम दोनों उस घर की खूब अछी तरह जांच पड़ताल कर लेती थी, जैसे झोंपड़ी कैसे बनी और उसमें कौन कौन लोग रहते हैं, दूल्हा दुल्हन का कमरा कौन सा होगा यह भी जान लेते थे.फिर जब दूल्हा डोली लेकर आ जाता था तो सब दुल्हन के स्वागत में लग जाते थे और हम मौका पा कर दूल्हा दुल्हन के कमरे में छोटे छोटे 2 छेद कर लेती थीं जिससे कमरे में होने वाले कार्य कलाप को देख सकें.यह काम आसान होता था क्योंकि झोंपड़ी की दीवार तो मिटटी की बनी होती थी. इस तरह हम ने कई सुहागरातें देखी थी.
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मैं बोला- अच्छा? यह तो बड़ा ही मुश्कल काम था जो तुम दोनों ने किया. तुम लोग सुहागरात में क्या क्या देखा करती थी?नैना बोली- छोटे मालिक, बहुत कुछ देखा हमने! बहुत सारा नज़ारा तो खराब होता था लेकिन कुछ लड़के समझदार होते थे और अपनी दुल्हनिया को बड़े प्यार से चोदते थे.
‘अच्छा कुछ खोल कर बताओ न कि क्या देखा तुमने?’ मैं बोला.सारे दूल्हे अक्सर देसी पौवा शराब का चढ़ा कर आते थे और कमरे में आते ही दुल्हन की साड़ी ऊपर उठाते थे और ज़ोर से अपना लंड उस कुंवारी कन्या की चूत में डाल देते थे और फिर ज़ोर ज़ोर से धक्के मारते हुए कुछ ही मिनटों में ढेर हो जाते थे और दुल्हन बेचारी अपनी फटी हुई चूत को कपड़े से साफ़ करती और उसमें से बह रहे खून को भी साफ़ कर देती थी.दस में से आठ दूल्हे ऐसा ही करते थे और बाकी दो जो थोड़ी बहुत चुदाई का ज्ञान रखते थे बड़े प्यार से अपनी दुल्हन को चोदते थे और हर चुदाई के बाद उसको खूब प्यार भी करते थे.
मैं बोला- तुम सुनाओ न, तुम्हारे साथ क्या हुआ था?वो हँसते हुए बोली- मेरा दूल्हा तो निकला भोंदू… यानि उसको कुछ भी चुदाई के बारे में नहीं पता था, बिस्तर में लेटते ही गहरी नींद में सो गया. मैंने ही हिम्मत करके उसके लंड के साथ खेलना शुरू कर दिया. उसका लंड जब खड़ा हो गया तो मैं नंगी होकर उसके लंड के ऊपर चढ़ गई और धीरे धीरे धक्के मारने लगी. वह तब भी नहीं उठा क्यूंकि मैं पहले ही अपनी चूत को गाजर मूली से फड़वा चुकी थी तो मैंने पहली रात को घर वाले को 2 बार चोदा जिसका उसको बिल्कुल ही पता नहीं था.
हम तीनो बड़े ज़ोर से हंसने लगे- साला कैसा बुद्धू था तेरा घरवाला? फिर क्या किया तुमने?‘करना क्या था, धीरे धीरे उसको सब कुछ सिखा दिया और वो रात में 2-3 बार चोदने लगा. मैंने उसको हर तरह से चुदाई का तरीका सिखा दिया और उसके साथ खूब मज़े लेने लगी.’‘फिर क्या हुआ?’
एक रात मैंने उसको थोड़ी सी देसी शराब पिला दी और अपनी सहेली चंचल को बुला लिया. उस रात मेरी सास किसी काम से पड़ोस वाले गाँव गई हुई थी, बस शराब के नशे में दोनों ने मेरे घरवाले को खूब चोदा और उसको पता भी नहीं चला, वो बेहद शरीफ और सीधा था.यह कहते हुए उसकी आँखों में आंसू भर आये और वो फूट फूट कर रोने लगी.फिर उसने बताया कि एक शाम उसकी साइकिल का ट्रक के साथ हादसा हो गया और वो वहीं समाप्त हो गया.मेरी और पारो की भी आँखें भर आई.

कहानी जारी रहेगी.

 
नैना और उसकी सहेली चंचल

नैना की दर्द भरी कहानी सुन कर हम बहुत द्रवित हो गए लेकिन जो हो चुका था उसको तो बदला नहीं जा सकता ना, मेरे कहने पर पारो लेमन वाली बोतल उठा लाई और सबने ठंडी बोतल पी, पीने के बाद मन में कुछ शांति आई.
मैंने वैसे ही नैना से पूछा कि उसकी सहेली चंचल का क्या हाल है अब, वो कहाँ रहती है आजकल.नैना हंसने लगी और बोली- वाह छोटे मालिक, चंचल का नाम सुन कर आपके लंड के मुंह में पानी भर आया?मैं भी हंस दिया और बोला- नहीं ऐसा नहीं है लेकिन वैसे ही उसका हाल जानने के लिए मैंने पूछा था.नैना बोली- छोटे मालिक, आप सुन कर खुश होंगे, वह आजकल यहीं रहती है अपने पति के साथ.
‘अच्छा है. तुमको मिलती होगी अक्सर?’‘हाँ, मिलती है कभी कभी, जब उस का पति घर नहीं होता. क्यों आपकी कुछ मर्ज़ी है क्या?’‘मर्ज़ी तो तुम्हारी है नैना, सहेली तो वो तेरी है न?’‘अच्छा अगर आपकी बहुत मर्ज़ी है तो मैं उससे पूछ देखती हूँ, अगर वो तैयार हो गई तो बुला लूंगी उसको!’
‘तेरी इच्छा है अगर तेरा दिल मानता है तो बुलाना वरना नहीं. उसके तो अभी बच्चे भी होंगे न?’‘नहीं छोटे मालिक, उसका कोई बच्चा नहीं हुआ अभी तक, उसका पति अक्सर काम के सिलसिले में बाहर रहता है और वो यहाँ अकेली ही रहती है पति की गैरहाज़री में!’‘अच्छा तुम उससे पूछना क्या वो कुछ समय हम तीनों के साथ गुज़ारना चाहेगी? वैसे जैसे तुम ठीक समझो उससे बात कर लेना.’नैना बोली- ठीक है छोटे मालिक, मैं कोशिश करती हूँ.
अभी काफी रात बाकी थी, हम तीनों फिर चुदाई में लग गए. मैं पलंग के किनारे पर बैठ गया और पहले मोटे चूतड़ वाली पारो मेरे लंड पर बैठ गई, उसने अपने हाथ से मेरे लोहे के समान लौड़े को अपनी गीली चूत में डाल दिया और मेरी गर्दन में हाथ डाल कर आगे पीछे झूलने लगी. उसके मोटे मम्मे मेरी चौड़ी छाती पर चिपक जाते थे और उसकी चूचियां मेरी छोटी चूचियों के साथ रगड़ करती हुई पारो की चूत के साथ वापस चली जाती थी.नैना मेरे पीछे बैठ कर मेरे अण्डों के साथ खिलवाड़ कर रही थी और पारो की गीली चूत का रस अपनी चूत पर लगा रही थी. थोड़ी देर में पारो एक ज़ोर का चूत का झटका मार कर मुझसे चिपक कर झड़ गई.

उसके झड़ते ही उसकी जगह नैना फ़ौरन आ गई और उसी जोश से भरी चुदाई नैना के साथ शुरू हो गई. वो भी थोड़ी देर में झड़ गई.क्यूंकि मेरा अभी नहीं झड़ा था तो मैं अभी खेल बंद करने के हक में नहीं था, मैंने अपनी गुरु नैना को लिटा कर उसकी टांगों को अपने कंधे पर रख कर ज़ोरदार चुदाई शुरू कर दी. और इतनी तेज़ तेज़ धक्के मारने लगा कि नैना की सांस उसके गले में अटक गई.मेरी इस धक्कशाही से वह कब और कितनी बार छूटी, यह मैं नहीं जानता लेकिन अंत में जो मेरा फव्वारा छूटा, वो नैना की चूत की पूरी गहराई तक पहुँच गया होगा.फिर हम तीनो एक दूसरे से लिपट कर नंगे ही सो गए.
अगले दिन जब मैं कॉलेज से लौटा तो नैना मुस्कराती हुई आई और बोली- बधाई हो छोटे मालिक, आप का काम हो गया.मैं बोला- कौन सा काम नैना?नैना बोली- वही चंचल वाला.मैं बोला- वाह नैना, कमाल किया तुमने, कब आयेगी वो?नैना बोली- कब क्या, वो तो आई बैठी है.
मेरा मुंह हैरानगी से खुला रह गया.
तब नैना अंदर गई और एक अच्छी दिखने वाली औरत को साथ ले आई और बोली- छोटे मालिक, इनसे मिलो, यह है मेरी सहेली चंचल.चंचल ने बड़े प्यार से मुझ को नमस्ते की और मैंने भी उसका जवाब दिया.ध्यान से देखा, चंचल कोई 5 फ़ीट की हाइट वाली मध्यम जिस्म वाली औरत थी जिसकी उम्र होगी 22-23 साल. रंग गंदमी और शरीर भरा पूरा लेकिन पारो और नैना से काफी कम था, बहुत ही आकर्षक साड़ी ब्लाउज पहने थी.

 
मैंने नैना को कहा- बहुत सुन्दर है तुम्हारी सहेली.नैना बोली- खुशकिस्मती देखिए, इसका पति कुछ दिनों के लिए बाहर गया हुआ है काम पर! जब मैंने आपका संदेशा दिया तो फ़ौरन तैयार हो गई.मैं खुश होते हुए बोला- वाह नैना, तुमने तो कमाल कर दिया. यह रात रहेगी न तुम्हारे साथ?नैना बोली- हाँ छोटे मालिक, यह यहीं रहने के लिए तैयार है जब तक इस का पति नहीं लौट कर आता.मैं बोला- चलो अच्छा है, रात में चंचल की खातिर का इंतज़ाम कर देना, जैसे मुर्गा और आइसक्रीम मंगवा लेना. खूब जमेगी जब मिल बैठेंगे चार यार!
नैना और चंचल हंसती हुई चली गई.
रात को बहुत अच्छा खाना खाकर लेमन पीकर मेरे कमरे में हम इकट्ठे हुए, देखा तो पारो नहीं है. नैना ने बताया कि पारो की माहवारी शुरू हो चुकी है, इसलिए नहीं आई.चंचल से मैंने पूछा- नैना ने सारी बात बताई है या नहीं?वो बोली- मैं जानती हूँ छोटे मालिक.मैं बोला- तो ठीक है, शुरू हो जाओ फिर.
यह कह कर मैं अपने कपड़े उतारने लगा, नैना भी यही कर रही थी, सिर्फ चंचल कुछ नहीं कर रही थी.हम दोनों ने हैरानी से उसको देखा और एक साथ पूछा- क्या बात है, कपड़े नहीं उतार रही हो तुम?चंचल बोली- मैं पहले छोटे मालिक का मशहूर लंड देखना चाहती हूँ, सुना है बहुत लम्बा और लोहे के समान खड़ा रहता है.
मैं और नैना ज़ोर से हंस पड़े.फिर मैंने जल्दी से अपना पयजामा उतार दिया.मेरा वफादार लंड एकदम अकड़ा खड़ा था और सीधा चंचल की तरफ इशारा कर रहा था.
चंचल ने लंड को देखा और आगे बढ़ कर उसको अपने हाथ में पकड़ लिया, फिर उसने उसको अपने होटों से चूमा और कहने लगी- छोटे मालिक, जब तक आप मुझको माँ नहीं बनाते, आप मुझको इसी लंड से चोदते रहोगे और कभी भी चुदाई से इंकार नहीं करोगे.
मैं बोला- नैना ने बता ही दिया. ठीक है अगर तुम सबको वहम है कि मेरे चोदने से गाँव की औरतें माँ बन रही हैं तो मैं तुम्हारी इच्छा ज़रूर पूरी करूंगा लेकिन कोई पक्की गारंटी नहीं देता मैं!चंचल और नैना बोली- ठीक है छोटे मालिक!
अब चंचल जल्दी से अपने कपड़े उतारने लगी, उसके नंगी होते ही दो चीज़ें सामने आई, एक तो उसने मम्मों पर अंगिया पहन रखी थी और दूसरे उसकी चूत भी सफाचट थी, यानि कोई झांट का बाल नहीं था उस पर.
नैना ने पूछा- यह क्या है चंचल? बाल कहाँ गए तेरी चूत के? और यह क्या अंगिया पहन रखा है?चंचल बोली- यह सब मेरे पति की मर्ज़ी से हो रहा है, उसको चूत पर बाल अच्छे नहीं लगते और अंगिया पहनना उसको अच्छा लगता है.
मैं बोला- चलो ठीक है, जैसे इसके पति की मर्ज़ी, और यह अंगिया का क्या फ़ायदा है चंचल?चंचल बोली- छोटे मालिक, इसे पहनने से मम्मे सख्त बने रहते हैं और ढलकते नहीं जल्दी.मैं बोला- यह बात है तो फिर तो सब औरतों को ब्रा पहननी चाहये न जैसे कि शहर की लड़कियाँ और औरतें करती हैं. कल जाकर तुम अपने लिए और पारो के लिए ब्रा ले आना, चंचल को ले जाना, वो बता देगी कहाँ से अच्छी ब्रा मिलती है.
अब मैंने ध्यान से चंचल को देखा, उसका जिस्म काफी सेक्सी था, वो कद की छोटी ज़रूर थी पर सारे अंग सुन्दर और सुडौल थे. नैना उसको लेकर मेरे निकट आई और उसको मेरी बाँहों में धकेल दिया और बोली- नज़राना पेश है आली जा, कबूल फरमायें.
मैं भी एक्टिंग के मूड में बोला- बेगम, आपने बड़ा ही लाजवाब तौहफा दिया है हम को, बोलो इसके बदले में क्या चाहिये आपको?नैना बोली- कनीज़ को आपके लौड़े के दर्शन होते हैं और होते रहें हर रोज़, यही काफी है हज़ूर.मैं बोला- जाओ ऐसा ही होगा.फिर मैंने चंचल से पूछा- तुमको किस तरह की चुदवाई सबसे ज्यादा पसंद है चंचल?वो बोली- वैसे तो हर तरह की पसंद है लेकिन घोड़ी वाली बहुत ज्यादा पसंद है.
फिर मैंने चंचल के होटों को चूमना शुरू किया और साथ ही साथ ऊँगली उसकी चूत में भी डाल दी जो बेहद गीली हो रही थी. मुंह के बाद उसके मम्मों को चूमना और चूसना शुरू किया और उंगली से उसकी भग को भी रगड़ता रहा.जब वो काफी गर्म हो गई तो मैंने उसको पलंग पर घोड़ी बना दिया और पीछे से लंड को उसकी चूत के ऊपर रख कर एक हल्का धक्का मारा और लंड का सर चूत के अंदर था.
नैना भी हमारे साथ बैठी थी और वो मेरे लंड को पकड़ कर फिर से चंचल की चूत पर रख कर रगड़ने लगी.अब फिर मैंने हल्का धक्का मार दिया और लंड अब पूरा अंदर चला गया. कुछ देर मैंने लंड को उसकी चूत में बिना हिले डुले रखे रखा और नैना साइड से चंचल के मम्मों को रगड़ने लगी.
फिर नैना ने मेरे चूतड़ों पर एक हल्की सी थपकी दी जैसे घोड़े को तेज़ भागने के लिए देते हैं, मैं इशारा समझ गया और अपना लंड को सरपट दौड़ाने लगा. चंचल अपना सर इधर उधर कर रही थी और मेरा लंड बेहद तेज़ी से दौड़ता हुआ अपनी मंज़िल की तरफ भागने लगा.

 
नैना मेरे पीछे बैठ गई थी और अपने मम्मे मेरी पीठ से रगड़ रही थी जिससे मेरा जोश और भी बढ़ रहा था.इस दौड़ का पहला शिकार हुआ जब चंचल छूटने के बाद रुकने का इशारा करने लगी लेकिन मैं अपने सरपट दौड़ते हुए लौड़े-घोड़े को कैसे रोकता, वो तो बेलगाम हो गया था और एक इंजन की तरह अंदर बाहर हो रहा था.थोड़ी देर ऐसे ही दौड़ चली और फिर चंचल छूट कर अबकी बार लेटघोड़ी ही गई.
मुझको जबरन रूकना पड़ा, तब तक नैना अपनी चूत को घोड़ी बन कर आगे पेश कर रही थी तो मैंने उस गिरी हुई घोड़ी से अपना लंड निकाला और दूसरी में डाल दिया.दूसरी फ़ुद्दी के अंदर गरम जलती हुई लोहे की सलाख गई तो वो भी भागने लगी तेज़ी से! मेरे जैसा शाहसवार नई घोड़ी की दुलत्ती चाल से बेहद खुश हुआ और आलखन से नई घोड़ी को चोदने में मग्न हो गया.कभी तेज़ और कभी धीरे चाल से नैना को भी हिनहिनाने पर मजबूर कर दिया, उसके गोल और मोटे चूतड़ मुझको इस कदर भा गए कि बार बार उन पर हाथ फेरते हुए उसका होंसला बढ़ाने की कोशशि करने लगा.
उधर देखा कि चंचल भी फिर गांड उठा कर तैयार हो रही है तो मैंने नैना को धक्के तेज़ कर दिए और 5 मिन्ट के अंदर ही उसका भी छूटा दिया.जब वो लेट गई तो मैंने अपनी गरम सलाख नैना की चूत से निकाल कर चंचल की छोटी लेकिन गोल गांड में डाल दी.दौड़ फिर शुरू हो गयी चंचल के साथ और 10 मिन्ट की तेज़ और आहिस्ता चुदाई के बाद जब वो झड़ गई तो मैंने भी लंड उसकी चूत की गहराई में ले जाकर ज़ोरदार हुंकार भर कर फव्वारा को छोड़ दिया और खुद भी उस लेटी हुई चंचल पर पसर गया.हम दोनों के ऊपर नैना भी आकर पसर गई और अच्छी खासी सैंडविच बन गई हमारी.
हम तीनों काफी देर ऐसे ही लेटे रहे और फिर सीधे हो कर लेट गए. नैना का एक हाथ मेरे लंड पर था और दूसरा चंचल की सफाचट चूत के ऊपर थिरक रहा था.
मेरे भी हाथ इसी तरह दोनों की चूत और मम्मों के साथ खेल रहे थे, चंचल की चूत से अभी भी मेरा वीर्य धीरे धीरे निकल रहा था.इस तरफ मैंने नैना का ध्यान मोड़ा और इशारा किया कि चंचल की चूत को ऊपर करो!वो झट समझ गई और उसने चंचल की चूत के नीचे एक तकिया रख दिया जिससे वीर्य का निकलना बंद हो गया.
चंचल अभी 2-3 बार ही छूटी थी तो नैना ने उससे पूछा- और लंड की इच्छा है तो बोलो?चंचल ने हामी में सर हिला दिया और वो खुद ही मेरे खड़े लंड के साथ खेलने लगी, मैं भी उसकी चूत में ऊँगली डाल कर उसकी भगनासा को सहला रहा था.
तब वो उठी और मेरे खड़े लंड के ऊपर बैठ गई, जब पूरा लंड अंदर चला गया तो उसने झुक कर मुझको होटों पर जोदार चूमा, मैं भी उसके गोल और सॉलिड बूब्स के साथ खेलता रहा.हमारी दोबारा शुरू हुई जंग में नैना हम दोनों का पूरा साथ दे रही थी, उसकी हाथ की ऊँगली चंचल की गांड में घुसी हुई थी और दूसरी मेरी गांड में थी.
चुदाई की स्पीड तो चंचल के हाथ में थी तो मैं चैन से लेटा रहा. चंचल कभी तेज़ और कभी धीरे धक्के मार रही थी, हर धक्के का जवाब मैं कमर उठा कर दे रहा था.
अब उसकी चूत में से ‘फिच फिच’ की आवाज़ें आने लगी और उसकी चूत का पानी मेरे पेट पर गिरने लगा. उसकी चूत से निकल रही सफ़ेद क्रीम से मेरा लंड एकदम सफेद हो गया.
फिर चंचल ने आँखें बंद कर ली और ऊपर नीचे होने की स्पीड एकदम तेज़ कर दी. मैं और नैना समझ गए कि चंचल अब झड़ने वाली है, मैंने अपने दोनों हाथ चंचल के उचकते चूतड़ों के नीचे रख दिए और खुद भी नीचे से ज़ोरदार धक्के मार रहा था.
चंचल एक दो मिन्ट में पूरी तरह फिर झड़ गई और मेरे ऊपर तक कर लेट गई.अभी भी उसका शरीर उसके छूटने के कारण कांप रहा था. मेरा लंड अभी भी उसकी चूत में ही था.तब वो धीरे से मेरे ऊपर से हट कर बिस्तर पर लेट गई, फिर उसने आँखें खोल कर मुझको विस्मय से देखा और बोली- वाह छोटे मालिक, आप तो कमाल के हैं. अभी तो ठीक से मूंछ और दाढ़ी भी नहीं निकली और आप तो सेक्स के चैंपियन बने जा रहे हैं?
मैं कुछ कह नहीं सका, बस ज़रा मुस्करा भर दिया और बोला- यह सब तेरी सहेली नैना का कमाल है, मेरा इसमें कुछ नहीं. वही मेरी गुरु है और वही मेरी सही मायनो में मालिक है.
हम सब बहुत हँसे और फिर हम एक दूसरे के साथ लिपट कर सो गए.

कहानी जारी रहेगी.

 
चंचल को गर्भवती बनाने की कोशिश

चंचल दो रात हमारे साथ रही और फिर उसका पति लौट आया तो वो वापस चली गई. इन दो रातों को मैंने चंचल को और नैना को कई बार चोदा.4-5 बार छूटने के बाद चंचल ने हथियार डाल दिए लेकिन नैना अभी तैयार थी चुदाई के लिए तो उसको मैंने कहा- मैं लेट जाता हूँ और जैसी तुम्हारी मर्ज़ी हो मुझको चोद लो.
मेरी एक तरफ़ नैना लेटी थी और दूसरी तरफ़ चंचल लेटी थी. नैना ने पहले मेरे लंड को चूसना शुरू किया और फिर उसने अपनी जीभ से मेरे शरीर के अंगों को चूमना शुरू किया.कुछ समय मेरे छोटे चुचूकों को चाटा और फिर बढ़ती हुई मेरे पेट को और नाभि में जीभ से चाटने लगी. नैना की चूमाचाटी से मेरा लंड पत्थर की भान्ति सख्त हो गया था लेकिन नैना की हिदायत के अनुसार मुझको चुपचाप लेटे रहना था तो मैं हवा में लहराते हुए अपने लंड को देखता रहा.
कुछ देर बाद नैना मेरी बगल में लेट गई और अपनी टांग को मेरे ऊपर डाल कर अपनी चूत का मुंह मेरे लंड के पास ले आई और फिर ऐसा निशाना लगाया कि लंड घुप्प से चूत के अंदर हो गया, मुझको नैना की चूत एक तपती हुई गुफा लग रही थी जिसमें शह्द जैसा गाढ़ा पदार्थ भरा पड़ा था.उसकी गर्मी इतनी तीव्र थी कि मेरा लंड दुहाई करने लगा. लेकिन तभी नैना की चूत ने मेरे लौड़े पर आगे पीछे होना शुरू कर दिया.

मैं अपने हाथ अपने सर की नीचे रख कर लेटा और नैना आँखें बंद करके तरह तरह की अवस्था में मुझको दबादब चोदने लगी. उस की घनी ज़ुल्फ़ें मेरी छाती पर फ़ैल रही थी और वो मेरे शरीर पर पूरी लेट कर कमर से चुदाई में मगन थी.
इस चुदाई के दौरान उसका कितनी बार छूटा मुझ को मालूम नहीं. फिर वो पूरी तरह से थक कर मेरी बगल में लेट गई. चंचल यह सारा तमाशा देख रही थी और अपनी भग को ऊँगली से मसल भी रही थी.
अब वो मैदान में फिर आ गई और मुझसे कहने लगी- छोटे मालिक, अब मुझको ऐसे चोदो कि मेरे बच्चा ठहर जाये.नैना ने पूछा- तेरी माहवारी कब हुई थी?चंचल ने उँगलियों पर गिन कर बताया- 15 दिन हो गए हैं.नैना ने फिर पूछा- कुछ दिनों से तुझको शरीर कुछ गरम लग रहा है क्या?चंचल बोली- हाँ, वो तो हर महीने माहवारी के 14-15 बाद गरम लगता है, ऐसा लगता है कि हल्का सा ताप चढ़ा है.नैना बोली- अच्छा मुझको अपनी नब्ज़ दिखा?
नब्ज़ देखने के बाद उसने एक ऊँगली से उसकी चूत का रस ऊँगली पर लगाया और उसको सूंघा.नैना बोली- अच्छा हुआ, तेरा मामला तो फिट है. तू आज छोटे मालिक से घोड़ी बन कर दो तीन बार अंदर छुटवा ले. तेरी किस्मत अच्छी हुई तो आज ही गर्भ ठहर जाएगा तुझको! छोटे मालिक आज आप सिर्फ चंचल को चोदो और उसकी चूत की गहराई में 2-3 बार पिचकारी छोड़ो.यह कह कर वो फिर कुछ सोचने लगी और बोली- मैं रसोई में जाकर तुम दोनों के लिए ख़ास दूध बना कर लाती हूँ जिससे यह काम पक्का हो जाएगा.
और वो जल्दी से उठी और नंगी ही रसोई में चली गई.दस मिन्ट बाद वो एक बड़ा गिलास दूध लेकर आई और मेज पर रख दिया.नैना बोली- चलो चंचल, पहले तुम यह दूध थोड़ा सा पियो और फिर छोटे मालिक को दे दो.
चंचल ने ऐसा ही किया और खुद थोड़ा सा पीकर गिलास मुझको दे दिया और मैंने भी थोड़ा सा दूध पिया और मेज पर गिलास रख दिया.‘दूध बड़ा ही स्वादिष्ट था, मज़ा आ गया पीकर…’ मैंने नैना को कह दिया.वो बोली- यह दूध ख़ास तौर पर जब गर्भ धारण करने की इच्छा हो तो पिया जाता है. इसमें शरीर को काफी शक्ति प्राप्त हो जाती है. और यह आदमी और औरतों के लिए एक सा ही अच्छा होता है, अब तुम दोनों शुरू हो जाओ.
चंचल को मैंने हाथ लगाया तो उसका शरीर थोड़ा सा गरम लगा जैसे एक दो डिग्री बुखार हो. तब चंचल मेरे लंड को चूसने लगी और मैं ने ऊँगली से उसकी भग को मसलना शुरू कर दिया.जब चूत काफ़ी रसदार हो गई तो नैना ने उसकी चूत में ऊँगली डाल कर जांच की और फिर कहा- शुरू हो जाओ मेरे शेरो, आज मैदान जीत कर ही आना है.
चंचल जल्दी से घोड़ी बन गई और नैना बीच में बैठ कर मेरे लंड को चंचल की चूत के मुंह पर रख दिया और मेरे चूतडों पर ज़ोर से मुक्का मारा.लंड उचक कर चूत के अंदर चला गया और नैना का हाथ मेरे लौड़े के नीचे यह महसूस करने की कोशिश कर रहा था कि लंड पूरा अंदर गया या नहीं.इस काम के लिए वो चंचल के पेट के नीचे ऐसे लेट गई कि सर एक तरफ और टांगें दूसरी तरफ.
हाथों से उसने मेरे चूतड़ों को हल्के हल्के मारना शुरू किया जैसे घोड़े को तेज़ भागने के लिए चाबुक मारनी पड़ती है.हर बार उसके हाथ की मार से मेरी स्पीड भी तेज़ होने लगती. एक हाथ से वो चंचल की भग को भी छेड़ रही थी और उसके भी चूतड़ आगे पीछे मेरे धक्के के अनुरूप होने लगे थे.ऐसा लग रहा था नैना एक रिंग मास्टर की तरह हम दो शेरों को नचा रही हो.

 
जब चुदाई करते कोई 10 मिन्ट हो गए तो उसने चंचल की चूत पर ऊँगली तेज़ कर दी और फिर बड़ी ही सुहानी चीख मार कर चंचल का छूटना शुरू हो गया.तभी नैना ने नीचे लेटे हुई ही चिल्लाना शुरू कर दिया- छोटे मालिक, आप भी छूटा लो जल्दी से.
इतना सुनना था कि मैंने फुल स्पीड से धक्के मारने शुरू कर दिये और बहुत जल्दी ही लंड को पूरा चूत के अंदर डाल कर फव्वारा छोड़ दिया और उसके चूतड़ को कस के पकड़े रहा ताकि वीर्य का एक कतरा भी बाहर न गिरे.
उधर नैना ने नीचे से चंचल की चूत को ऊपर उठाये रखा और फिर एक तकिया उसकी चूत के नीचे रख कर आप नीचे से हट गई.ऐसा करने के बाद ही नैना चंचल के नीचे से हटी और मुझको कहा- आप चंचल की चूत से लंड निकाल लो.
हम सबने नोट किया कि वीर्य का एक कतरा भी बाहर नहीं गिरा.नैना ने चंचल को सीधा लेटने से पहले उसकी गांड के नीचे दो मोटे तकिये रख दिए ताकि उसकी कमर ऊपर को उठी रहे और वीर्य बाहर न गिर सके.
मैं बहुत हैरान था कि नैना को यह सब कैसे मालूम था.तब उस ने बताया कि जब वो विधवा हुई तो उसने सोचा कि वो एक अच्छी दाई बन सकती है जिससे अच्छी आमदन भी सकती है तो वो एक बूढ़ी दाई के साथ काम सीखने लगी.यह दूध और तकिये का और तारीख देख कर चोदना दाई से ही सीखा था.
नैना आगे बोली- यह छोटे मालिक जो इतनी ज्यादा चुदाई कर लेते हैं, उसका राज़ भी मैं जानती हूँ.मैं बोला- अच्छा बताओ, क्या राज़ है इसमें?नैना बोली- अभी नहीं, जब वक्त आएगा तो बता दूंगी सब कुछ आपको, चंचल तू जानती है कि छोटे मालिक कितनी औरतों को हरा कर चुके है यानि गर्भवती कर चुके हैं?
मैं बोला- नैना, नहीं बताना किसी को! वैसे कुछ गाँव से खबर आई क्या?नैना बोली- कौन सी खबर छोटे मालिक?‘वही जो तू सुनना चाहती है. छाया की और दूसरी औरतों की?’‘नहीं छोटे मालिक!’‘चलो फिर सो जाते हैं, काफी रात हो गई है.’नैना बोली- छोटे मालिक, आपको सुबह को फिर चंचल को चोदना हो गा जैसा आज चोदा था.मैं हँसते हुए बोला- नैना, तू तो मुझको सरकारी साँड बना रही है. तू बाहर एक बोर्ड लगा दे कि ‘यहाँ औरतों को गर्भवती बनाया जाता है!’
हम सब बहुत हँसे और फिर हम तीनों एक दूसरे की बाँहों में सो गये.
सुबह उठ कर पहला काम वही किया, चंचल को फिर से चोदा नैना की देख रेख में.और इस चुदाई के बाद नैना बोली- चंचल आज चली जायेगी क्यूंकि इसका पति आज वापस आ जायेगा. और सुन चंचल आज रात को पति से दो बार ज़रूर चुदवाना नहीं तो सब गड़बड़ हो जाएगा.
उस दिन मैं कालेज जल्दी चला गया क्यूंकि कालेज की एक ख़ास मीटिंग थी.शाम को घर आया तो नैना ने हँसते हुए बताया- छोटे मालिक, बधाई हो छाया के घर लड़का हुआ है.मैं भी हँसते हुए बोला- तुझको बधाई हो! तेरी ही सहेली है न!नैना बोली- हाँ, वो तो है. उसके लड़के के जन्म से मैं बहुत खुश हूँ. आखिर उसकी तमन्ना पूरी हो गई. छाया आपको शुक्रिया कह रही थी.मैं बोला- मेरा शुक्रिया क्यों? उसके पति की मेहनत जो सफल हुई.नैना हंसने लगी और बोली- रहने दो छोटे मालिक, हम सब जानते हैं किस की मेहनत रंग लाई.पारो यह सब सुन रही थी लेकिन उसको समझ नहीं आ रहा था कि हम किस की बात कर रहे हैं.

कहानी जारी रहेगी.

 
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