desiaks
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बसन्ती सोते सोते सेक्स करती थी
मैंने अपना पायजामा खोला और खड़े लंड को उसकी चूत पर टिका दिया.तभी देखा कि उसने भी झट से अपनी टांगें पूरी खोल कर फैला दी जिस वजह से मुझ को लंड को उसकी चूत में डालने में कोई दिक्कत आई.
मैं लंड डाल कर धीरे धीरे धक्के मारने लगा, मेरा हिलना बस ना के बराबर था, धीरे से लंड अंदर और फिर धीरे से बाहर.कोई 10 मिनट बाद उसका शरीर एकदम अकड़ा और वह पानी छोड़ बैठी.मैं भी चुपके से उस के ऊपर से उतरा और उसके ऊपर पहले धोती और चादर ठीक कर दी और आ कर अपने बिस्तर पर लेट गया और जल्दी ही मैं सो गया.
सवेरे उठा तो बसंती चाय ले कर खड़ी थी और मेरे पायज़ामे की तरफ घूर रही थी. जब मैंने पायज़ामा देखा तो वो तम्बू बना हुआ था और मेरा लौड़ा एकदम अकड़ा खड़ा था, बिना शर्म किये वो मेरे लंड को घूर रही थी.
मैंने झट से चादर को अपने खड़े लंड पर डाल दिया और उसके हाथ से चाय ले ली और उसकी तरफ देखा तो वो मंत्रमुग्ध हुई चादर में छिपे मेरे लंड को ही देख रही थी.मैं समझ नहीं पा रहा था कि वो ऐसे क्यों कर रही थी. फिर सोचा शायद उस को रात का चुदना याद है और वो आगे बात करना चाहती है.लेकिन वो बिना कुछ कहे खाली कप लेकर चली गई.
दिन में हम कॉटेज चले गये, सोचा था कि ज़रा आलखन कर लेंगे. हम बैठे ही थे कि दरवाज़ा खटका और खोला तो देखा कि वहाँ चंदा खड़ी थी और अंदर आने को उतावली हो रही थी.अंदर आते ही उसने मेरा लंड पकड़ लिया पायजामे के ऊपर से ही उसका हाथ लगते ही लंड जी तो खड़े हो लगे फड़फड़ाने.
लंड का यह हाल देख कर चंदा ने झट से अपनी साड़ी उतार दी और जल्दी से पेटीकोट भी निकाल दिया और मुझको लिटा कर मेरे ऊपर चढ़ बैठी.वो ऊपर से ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगी और मुझको मम्मों को दबाने के लिए उकसाने लगी.मैं भी मौके की गर्मी में बह गया और चंदा के सुन्दर शरीर को प्यार से चोदने लगा.
10-15 मिन्ट में वो दो बार छूट गई और छूटते वक्त उसने ऊपर से मुझको कस कर जकड़ लिया अपनी बाँहों में. तब वो नीचे आ गई और मुझको ऊपर से चोदने के लिए उकसाने लगी लेकिन मैं भी इस पोज़ से उकता गया था और उसको घोड़ी बना कर चोदने लगा. और फिर बहुत सारे धक्के मारने के बाद मैंने अपनी पिचकारी उसकी चूत के आखरी हिस्से तक ले जाकर छोड़ दी.मुझको पक्का यकीन था कि मेरा वीर्य उसके गर्भाशय में ज़रूर गिरा होगा.ऐसा लगा कि चंदा पूरी तरह से निहाल गई.
मैं उठा और एक शरबत का गिलास बना कर उसको पकड़ा दिया और वो शरबत पीकर फिर से चुदवाने के लिए तैयार हो गई और जैसे कि मेरी आदत है, मैं उसको इंकार नहीं कर सका और उसको फिर एक बार चोद दिया.वो जल्दी से कपड़े पहन कर वहाँ से चली गई.
मैं तो उस समय वाली चुदाई को भूल गया लेकिन बुखार के ठीक होने के बाद आई बिन्दू ने बताया कि वो चंदा तो बहुत खुश होकर गई उस दिन… कह रही थी वो ज़रूर गर्भवती हो गई होगी.
उस रात मैं बसंती को चोदने के मूड में नहीं था. इसलिए मैं उसके कमरे में आने से पहले ही सो गया लेकिन रात को मेरी नींद खुली तो देखा कि बसंती मेरे साथ ही सोई है, उसका एक हाथ मेरे खड़े लंड पर था और दूसरे से वो अपनी चूत को रगड़ रही थी.उसकी आँखें बंद थी, पेटीकोट भी ऊपर उसके पेट पर आया हुआ था और उसकी पतली लेकिन एकदम मुलायम जाँघें हिल रही थीं.
जब उसने महसूस किया कि मेरा लंड बिल्कुल खड़ा है तो वो मेरे ऊपर बैठ गई और मेरे लंड को चूत में डाल दिया. मैं भी सोने का बहाना करता रहा और चुपचाप लेटा रहा, बसंती ही सारी मेहनत करती रही.लेकिन हैरानगी इस बात की थी कि वो अभी भी आँखें बंद कर के यह सारा काम कर रही थी. उसकी चूत से बहुत पानी निकल रहा था और वो पूरी तरह से बेखबर मेरी चुदाई में मस्त थी.जब वो पूरी तरह से चुदाई में थक गई तो वो अपने आप उतर गई मेरे ऊपर से और जा कर अपने बिस्तर पर सो गई.
अगले दिन बिन्दू काम पर आ गई और नई लड़की को देख कर भड़क गई.मैंने उसको शांत किया और कहा- आज रात में तुमको एक तमाशा देखने को मिलेगा.
रात में बिन्दू बहुत कमज़ोरी महसूस कर रही थी इसलिए उसकी यौन के लिए कोई उत्सकता नहीं थी. बिन्दू चटाई बिछा कर उस पर लेट गई और थोड़ी देर बाद बसंती आई और दूसरी चटाई बिछा कर उस पर लेट गई और मेरी तरफ देखने लगी.
मुझ को लगा कि वो मुझे कुछ कहना चाहती है शायद लेकिन मैं चुपचाप लेटा रहा और फिर न जाने कब मेरी नींद लग गई.थोड़ी देर बाद मैंने महसूस किया कि कोई मेरे साथ आकर लेट गया है. मैंने हाथ लगा कर देखा तो वही बसंती ही थी.मैंने नाईट लाइट में देखा वो धोती ब्लाउज उतार कर एकदम नंगी थी. आते ही उसने मेरा लंड खड़ा कर लिया और फिर मेरे ऊपर चढ़ गई और खुद ही अंदर डाल कर धक्के भी मारने लगी और बिन्दू बेचारी सोई रही. उसको पता ही नहीं चला कि बसंती मुझ को चोद रही थी और वो भी आँखें बंद करके.
मैंने अपना पायजामा खोला और खड़े लंड को उसकी चूत पर टिका दिया.तभी देखा कि उसने भी झट से अपनी टांगें पूरी खोल कर फैला दी जिस वजह से मुझ को लंड को उसकी चूत में डालने में कोई दिक्कत आई.
मैं लंड डाल कर धीरे धीरे धक्के मारने लगा, मेरा हिलना बस ना के बराबर था, धीरे से लंड अंदर और फिर धीरे से बाहर.कोई 10 मिनट बाद उसका शरीर एकदम अकड़ा और वह पानी छोड़ बैठी.मैं भी चुपके से उस के ऊपर से उतरा और उसके ऊपर पहले धोती और चादर ठीक कर दी और आ कर अपने बिस्तर पर लेट गया और जल्दी ही मैं सो गया.
सवेरे उठा तो बसंती चाय ले कर खड़ी थी और मेरे पायज़ामे की तरफ घूर रही थी. जब मैंने पायज़ामा देखा तो वो तम्बू बना हुआ था और मेरा लौड़ा एकदम अकड़ा खड़ा था, बिना शर्म किये वो मेरे लंड को घूर रही थी.
मैंने झट से चादर को अपने खड़े लंड पर डाल दिया और उसके हाथ से चाय ले ली और उसकी तरफ देखा तो वो मंत्रमुग्ध हुई चादर में छिपे मेरे लंड को ही देख रही थी.मैं समझ नहीं पा रहा था कि वो ऐसे क्यों कर रही थी. फिर सोचा शायद उस को रात का चुदना याद है और वो आगे बात करना चाहती है.लेकिन वो बिना कुछ कहे खाली कप लेकर चली गई.
दिन में हम कॉटेज चले गये, सोचा था कि ज़रा आलखन कर लेंगे. हम बैठे ही थे कि दरवाज़ा खटका और खोला तो देखा कि वहाँ चंदा खड़ी थी और अंदर आने को उतावली हो रही थी.अंदर आते ही उसने मेरा लंड पकड़ लिया पायजामे के ऊपर से ही उसका हाथ लगते ही लंड जी तो खड़े हो लगे फड़फड़ाने.
लंड का यह हाल देख कर चंदा ने झट से अपनी साड़ी उतार दी और जल्दी से पेटीकोट भी निकाल दिया और मुझको लिटा कर मेरे ऊपर चढ़ बैठी.वो ऊपर से ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगी और मुझको मम्मों को दबाने के लिए उकसाने लगी.मैं भी मौके की गर्मी में बह गया और चंदा के सुन्दर शरीर को प्यार से चोदने लगा.
10-15 मिन्ट में वो दो बार छूट गई और छूटते वक्त उसने ऊपर से मुझको कस कर जकड़ लिया अपनी बाँहों में. तब वो नीचे आ गई और मुझको ऊपर से चोदने के लिए उकसाने लगी लेकिन मैं भी इस पोज़ से उकता गया था और उसको घोड़ी बना कर चोदने लगा. और फिर बहुत सारे धक्के मारने के बाद मैंने अपनी पिचकारी उसकी चूत के आखरी हिस्से तक ले जाकर छोड़ दी.मुझको पक्का यकीन था कि मेरा वीर्य उसके गर्भाशय में ज़रूर गिरा होगा.ऐसा लगा कि चंदा पूरी तरह से निहाल गई.
मैं उठा और एक शरबत का गिलास बना कर उसको पकड़ा दिया और वो शरबत पीकर फिर से चुदवाने के लिए तैयार हो गई और जैसे कि मेरी आदत है, मैं उसको इंकार नहीं कर सका और उसको फिर एक बार चोद दिया.वो जल्दी से कपड़े पहन कर वहाँ से चली गई.
मैं तो उस समय वाली चुदाई को भूल गया लेकिन बुखार के ठीक होने के बाद आई बिन्दू ने बताया कि वो चंदा तो बहुत खुश होकर गई उस दिन… कह रही थी वो ज़रूर गर्भवती हो गई होगी.
उस रात मैं बसंती को चोदने के मूड में नहीं था. इसलिए मैं उसके कमरे में आने से पहले ही सो गया लेकिन रात को मेरी नींद खुली तो देखा कि बसंती मेरे साथ ही सोई है, उसका एक हाथ मेरे खड़े लंड पर था और दूसरे से वो अपनी चूत को रगड़ रही थी.उसकी आँखें बंद थी, पेटीकोट भी ऊपर उसके पेट पर आया हुआ था और उसकी पतली लेकिन एकदम मुलायम जाँघें हिल रही थीं.
जब उसने महसूस किया कि मेरा लंड बिल्कुल खड़ा है तो वो मेरे ऊपर बैठ गई और मेरे लंड को चूत में डाल दिया. मैं भी सोने का बहाना करता रहा और चुपचाप लेटा रहा, बसंती ही सारी मेहनत करती रही.लेकिन हैरानगी इस बात की थी कि वो अभी भी आँखें बंद कर के यह सारा काम कर रही थी. उसकी चूत से बहुत पानी निकल रहा था और वो पूरी तरह से बेखबर मेरी चुदाई में मस्त थी.जब वो पूरी तरह से चुदाई में थक गई तो वो अपने आप उतर गई मेरे ऊपर से और जा कर अपने बिस्तर पर सो गई.
अगले दिन बिन्दू काम पर आ गई और नई लड़की को देख कर भड़क गई.मैंने उसको शांत किया और कहा- आज रात में तुमको एक तमाशा देखने को मिलेगा.
रात में बिन्दू बहुत कमज़ोरी महसूस कर रही थी इसलिए उसकी यौन के लिए कोई उत्सकता नहीं थी. बिन्दू चटाई बिछा कर उस पर लेट गई और थोड़ी देर बाद बसंती आई और दूसरी चटाई बिछा कर उस पर लेट गई और मेरी तरफ देखने लगी.
मुझ को लगा कि वो मुझे कुछ कहना चाहती है शायद लेकिन मैं चुपचाप लेटा रहा और फिर न जाने कब मेरी नींद लग गई.थोड़ी देर बाद मैंने महसूस किया कि कोई मेरे साथ आकर लेट गया है. मैंने हाथ लगा कर देखा तो वही बसंती ही थी.मैंने नाईट लाइट में देखा वो धोती ब्लाउज उतार कर एकदम नंगी थी. आते ही उसने मेरा लंड खड़ा कर लिया और फिर मेरे ऊपर चढ़ गई और खुद ही अंदर डाल कर धक्के भी मारने लगी और बिन्दू बेचारी सोई रही. उसको पता ही नहीं चला कि बसंती मुझ को चोद रही थी और वो भी आँखें बंद करके.