desiaks
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पहले मैंने निम्मी को देखा और थोड़ा मुस्करा दिया और फिर मैरी की तरफ देखा और ज़रा मुस्करा दिया.दोनों मेरी मुस्कराहट देख कर संयत हो गई.मैंने दोनों से कहा- लगी रहो गर्ल्स और पकड़न पकड़ाई खेलते रहो दोनों. मुझको भी कुछ पकड़ने के लिए दे दो ना!वो दोनों भी मुस्करा दी.
फिर मैंने हाथ चुन्नी के नीचे करके अपने लंड को पैंट के बाहर निकाल लिया और निम्मी और मैरी का हाथ शाल और चुन्नी के अंदर से सीधा अपने खड़े लंड पर रख दिया.
दोनों को खड़े लंड पर हाथ रखने से एक हल्का सा करंट लगा और उनकी आँखें अचरज में फ़ैल गई और दोनों ने झट से अपना हाथ हटा लिया.लेकिन मैंने फिर दुबारा उनका हाथ पकड़ कर लंड पर रख दिया.मैं बोला- अब तुम दोनों घबराओ नहीं, मैं ज़रा भी बुरा नहीं मान रहा, अगर इजाज़त दो तो मेरे भी हाथ आप दोनों के ख़ज़ाने की सैर कर लें.दोनों ने हँसते हुए हाँ में सर हिला दिया.
अब शाल हम तीनों के ऊपर आ गया था, सबसे पहले मैंने निम्मी की सलवार के ऊपर चूत वाली जगह पर हाथ रख दिया और मैरी की भी स्कर्ट के ऊपर हाथ रख दिया.वो दोनों एक एक हाथ से मेरे लंड के साथ खेल रही थी और मैं भी सलवार के अंदर हाथ डालने की कोशिश कर रहा था पर उसकी सलवार का नाड़ा सख्त बंद था.
उधर मैरी की स्कर्ट को एक कोने से पकड़ कर ऊपर उठाने की कोशिश कर रहा था. दोनों ने मेरी मुश्कल को समझा और खुद ही निम्मी ने नाड़ा ढीला कर दिया और मैरी ने अपनी स्कर्ट एक साइड से थोड़ी ऊपर कर दी.
अब मेरा हाथ भी निम्मी की पैंटी के अंदर चूत पर था और उसकी घनी झांटों से खेल रहा था, मेरा बायां हाथ जो मैरी की तरफ था, वो भी मैरी की पैंटी के ऊपर चक्कर लगा रहा था.
मैरी की तरफ वाले हाथ ने पैंटी के ऊपर से ही उसकी भग को ढूंढ लिया था और उसको मसलना शुरू कर दिया और निम्मी की चूत पर हाथ फेरते हुए उसकी भी भग को तलाश लिया था.
दोनों की ही चूत हल्की गीली लगी और दोनों ही बहुत गरमा रही थी, मैं सर उठा कर बस मैं बैठे अन्य छात्र छात्रों की तरफ देखा. सब थोड़ा ऊंघ रहे थे और किसी का भी ध्यान हमारी तरफ नहीं था.
एक बात जो अजीब लगी, वो थी कि बस में ज्यादा लड़कियाँ थी और लड़के बहुत ही कम थे. इसी लिए तकरीबन ज़्यादा सीटों पर लड़कियाँ एक साथ बैठी थी और लड़के अलग बैठे थे.
निम्मी और मैरी एक एक हाथ से मेरे लंड की मुठी मारने की कोशिश कर रही थी लेकिन मेरे लंड पर ठण्ड थी क्यूंकि निम्मी की चूत पर मेरा हाथ पहुँच चुका था, उसको मेरे हाथ से ज्यादा आनंद आ रहा था और उधर मैरी की चूत को मैं पैंटी के ऊपर से छेड़ रहा था.
फ़िर मैरी ने ज़रा चूतड़ ऊपर उठा कर अपनी पैंटी को नीचे कर दिया जिससे उसकी चूत भी आधी नंगी हो गई.अब दोनों चूतें मेरे हाथ में थी.
निम्मी की चूत का पानी पहले छूटा और ढेर सारा छूटा. उसने झट से अपना पर्स निकाला और उसमें से एक रूमाल निकाल कर अपनी सलवार के अंदर डाल दिया.लेकिन मैरी की चूत पर बाल नहीं थे और वो सफाचट थी, उसकी चूत की चमड़ी काफी मुलायम थी और उस पर हाथ फेरते हुए काफी मज़ा आ रहा था.उसकी भग काफी उभरी हुई थी और मोटी थी.हाथ लगाते ही वो एकदम सख्त हो गई जैसे कि छोटा लंड हो.
धीरे धीरे मैरी की भग को रगड़ा तो वो अपने हाथ को मेरे हाथ के ऊपर रख रख देती थी और ज़ोर डालती थी कि यहीं करूँ.फिर मैंने हाथ की ऊँगली को उसकी चूत के अंदर डाला और गोल गोल घुमाया.मैरी ने झट अपनी जांघें बंद करके मेरे हाथ को कैद कर दिया.
वो थोड़ी सा कांपी और उसकी चूत में से भी थोड़ा सा पानी निकला और फिर उसने अपनी जांघें खोल दी लेकिन मेरे हाथ को भग के ऊपर ही रखा और साथ ही उसने मेरे लंड को भी सहलाना जारी रखा.
निम्मी भी अब अपना हाथ मेरे लंड पर रख कर उसके साथ या फिर अंडकोष के साथ खेल रही थी. मैं दोबारा से निम्मी की चूत के साथ खेल रहा था और वो अब पूरी तरह सी सूखी थी.इतने में प्रोफेसर साहब उठे और घोषणा की- अगला शहर आने वाला है, यहाँ हम लंच करेंगे.
हम तीनों एकदम संयत हो गए और अपने कपड़े भी ठीक कर लिए.
मैं बोला- निम्मी और मैरी, आप दोनों मेरे साथ लंच करना प्लीज, तीनों एक साथ खाना खायेंगे. क्यों ठीक है?दोनों बोली- हाँ सतीश, ठीक है.
लंच एक बहुत शानदार रेस्टोरेंट में था, खाना बहुत ही स्वादिष्ट बना था, हम तीनों ने चिकन करी और परांठे खाए.खाना खाते समय मैंने मैरी और निम्मी को कहा- आप दोनों रात को कैसे सोना पसंद करेंगी? अलग अलग कमरे में दूसरी फ्रेंड्स के साथ या फिर दोनों एक ही कमरे को शेयर करेंगी?निम्मी बोली- एक ही कमरे में सोयेंगी हम दोनों अगर तुम वायदा करो कि रात को तुम हमारे कमरे में आओगे. क्यों मैरी, तुमको मंज़ूर है क्या?मैरी बोली- हाँ हाँ, बिल्कुल मंज़ूर है.मैं बोला- तुम दोनों ऐसा करना कि सर को बोल देना कि तुम दोनों एक ही कमरे में ही सोयेंगी. तो वो तुम दोनों को एक कमरा दे देगा. मैं देखूंगा मेरा साथ कैसे बनता है.
खाना खाने के बाद हम अपनी सीटों पर बैठ गए और जल्दी ही बस फिर चल पड़ी.पेट भरे होने के कारण हम सब ही जल्दी झपकी लेने लगे और शाम होते ही हम नैनीताल की सुन्दर पहाड़ियों में पहुँच गए.
जैसा हम चाहते थे, निम्मी और मैरी को एक कमरा मिल गया और मुझको भी उनसे दो कमरे के बाद अलग कमरा मिल गया. प्रोफेसर सर बोले- मुझको थोड़े पैसे ज़्यादा देने पड़ेगे.मैंने कहा- कोई बात नहीं सर में दे दूंगा.
फिर हम सब नैनीताल के माल रोड पर घूमने के लिए निकल गए, मैरी और निम्मी मेरे साथ ही थी.नैनीताल की लेक अति सुन्दर लग रही थी रात को… वहाँ मैंने दोनों लड़कियों को गोलगप्पे और चाट खिलाई, कोकाकोला पीकर सब वापस आ गए.
रात का डिनर बहुत ही सुन्दर था. कई प्रकार के व्यंजन बने थे और हम सबने बड़े ही आनन्द से रात को भोजन किया और उसके बाद होटल के हाल में खूब गाना बजाना हुआ, कई लड़कों और लड़कियों ने बड़ा ही सुन्दर डांस और संगीत का प्रोग्राम दिया.
उसके बाद जल्दी ही हम सब सो गए.जैसा कि मेरा अनुमान था, सर और मैडम ने ठीक रात के 11 बजे सब कमरों को चेक किया कि सब विद्यार्थी अपने अपने कमरों में मौजूद हैं या नहीं.उसके बाद वो भी सो गए.
जैसा हमने तय किया था, मैं 12 बजे रात को निम्मी और मैरी के कमरे को 3 बार हल्के से खटखटाऊंगा और तभी मैरी या निम्मी कमरे का दरवाज़ा खोल देंगी.
कहानी जारी रहेगी.
फिर मैंने हाथ चुन्नी के नीचे करके अपने लंड को पैंट के बाहर निकाल लिया और निम्मी और मैरी का हाथ शाल और चुन्नी के अंदर से सीधा अपने खड़े लंड पर रख दिया.
दोनों को खड़े लंड पर हाथ रखने से एक हल्का सा करंट लगा और उनकी आँखें अचरज में फ़ैल गई और दोनों ने झट से अपना हाथ हटा लिया.लेकिन मैंने फिर दुबारा उनका हाथ पकड़ कर लंड पर रख दिया.मैं बोला- अब तुम दोनों घबराओ नहीं, मैं ज़रा भी बुरा नहीं मान रहा, अगर इजाज़त दो तो मेरे भी हाथ आप दोनों के ख़ज़ाने की सैर कर लें.दोनों ने हँसते हुए हाँ में सर हिला दिया.
अब शाल हम तीनों के ऊपर आ गया था, सबसे पहले मैंने निम्मी की सलवार के ऊपर चूत वाली जगह पर हाथ रख दिया और मैरी की भी स्कर्ट के ऊपर हाथ रख दिया.वो दोनों एक एक हाथ से मेरे लंड के साथ खेल रही थी और मैं भी सलवार के अंदर हाथ डालने की कोशिश कर रहा था पर उसकी सलवार का नाड़ा सख्त बंद था.
उधर मैरी की स्कर्ट को एक कोने से पकड़ कर ऊपर उठाने की कोशिश कर रहा था. दोनों ने मेरी मुश्कल को समझा और खुद ही निम्मी ने नाड़ा ढीला कर दिया और मैरी ने अपनी स्कर्ट एक साइड से थोड़ी ऊपर कर दी.
अब मेरा हाथ भी निम्मी की पैंटी के अंदर चूत पर था और उसकी घनी झांटों से खेल रहा था, मेरा बायां हाथ जो मैरी की तरफ था, वो भी मैरी की पैंटी के ऊपर चक्कर लगा रहा था.
मैरी की तरफ वाले हाथ ने पैंटी के ऊपर से ही उसकी भग को ढूंढ लिया था और उसको मसलना शुरू कर दिया और निम्मी की चूत पर हाथ फेरते हुए उसकी भी भग को तलाश लिया था.
दोनों की ही चूत हल्की गीली लगी और दोनों ही बहुत गरमा रही थी, मैं सर उठा कर बस मैं बैठे अन्य छात्र छात्रों की तरफ देखा. सब थोड़ा ऊंघ रहे थे और किसी का भी ध्यान हमारी तरफ नहीं था.
एक बात जो अजीब लगी, वो थी कि बस में ज्यादा लड़कियाँ थी और लड़के बहुत ही कम थे. इसी लिए तकरीबन ज़्यादा सीटों पर लड़कियाँ एक साथ बैठी थी और लड़के अलग बैठे थे.
निम्मी और मैरी एक एक हाथ से मेरे लंड की मुठी मारने की कोशिश कर रही थी लेकिन मेरे लंड पर ठण्ड थी क्यूंकि निम्मी की चूत पर मेरा हाथ पहुँच चुका था, उसको मेरे हाथ से ज्यादा आनंद आ रहा था और उधर मैरी की चूत को मैं पैंटी के ऊपर से छेड़ रहा था.
फ़िर मैरी ने ज़रा चूतड़ ऊपर उठा कर अपनी पैंटी को नीचे कर दिया जिससे उसकी चूत भी आधी नंगी हो गई.अब दोनों चूतें मेरे हाथ में थी.
निम्मी की चूत का पानी पहले छूटा और ढेर सारा छूटा. उसने झट से अपना पर्स निकाला और उसमें से एक रूमाल निकाल कर अपनी सलवार के अंदर डाल दिया.लेकिन मैरी की चूत पर बाल नहीं थे और वो सफाचट थी, उसकी चूत की चमड़ी काफी मुलायम थी और उस पर हाथ फेरते हुए काफी मज़ा आ रहा था.उसकी भग काफी उभरी हुई थी और मोटी थी.हाथ लगाते ही वो एकदम सख्त हो गई जैसे कि छोटा लंड हो.
धीरे धीरे मैरी की भग को रगड़ा तो वो अपने हाथ को मेरे हाथ के ऊपर रख रख देती थी और ज़ोर डालती थी कि यहीं करूँ.फिर मैंने हाथ की ऊँगली को उसकी चूत के अंदर डाला और गोल गोल घुमाया.मैरी ने झट अपनी जांघें बंद करके मेरे हाथ को कैद कर दिया.
वो थोड़ी सा कांपी और उसकी चूत में से भी थोड़ा सा पानी निकला और फिर उसने अपनी जांघें खोल दी लेकिन मेरे हाथ को भग के ऊपर ही रखा और साथ ही उसने मेरे लंड को भी सहलाना जारी रखा.
निम्मी भी अब अपना हाथ मेरे लंड पर रख कर उसके साथ या फिर अंडकोष के साथ खेल रही थी. मैं दोबारा से निम्मी की चूत के साथ खेल रहा था और वो अब पूरी तरह सी सूखी थी.इतने में प्रोफेसर साहब उठे और घोषणा की- अगला शहर आने वाला है, यहाँ हम लंच करेंगे.
हम तीनों एकदम संयत हो गए और अपने कपड़े भी ठीक कर लिए.
मैं बोला- निम्मी और मैरी, आप दोनों मेरे साथ लंच करना प्लीज, तीनों एक साथ खाना खायेंगे. क्यों ठीक है?दोनों बोली- हाँ सतीश, ठीक है.
लंच एक बहुत शानदार रेस्टोरेंट में था, खाना बहुत ही स्वादिष्ट बना था, हम तीनों ने चिकन करी और परांठे खाए.खाना खाते समय मैंने मैरी और निम्मी को कहा- आप दोनों रात को कैसे सोना पसंद करेंगी? अलग अलग कमरे में दूसरी फ्रेंड्स के साथ या फिर दोनों एक ही कमरे को शेयर करेंगी?निम्मी बोली- एक ही कमरे में सोयेंगी हम दोनों अगर तुम वायदा करो कि रात को तुम हमारे कमरे में आओगे. क्यों मैरी, तुमको मंज़ूर है क्या?मैरी बोली- हाँ हाँ, बिल्कुल मंज़ूर है.मैं बोला- तुम दोनों ऐसा करना कि सर को बोल देना कि तुम दोनों एक ही कमरे में ही सोयेंगी. तो वो तुम दोनों को एक कमरा दे देगा. मैं देखूंगा मेरा साथ कैसे बनता है.
खाना खाने के बाद हम अपनी सीटों पर बैठ गए और जल्दी ही बस फिर चल पड़ी.पेट भरे होने के कारण हम सब ही जल्दी झपकी लेने लगे और शाम होते ही हम नैनीताल की सुन्दर पहाड़ियों में पहुँच गए.
जैसा हम चाहते थे, निम्मी और मैरी को एक कमरा मिल गया और मुझको भी उनसे दो कमरे के बाद अलग कमरा मिल गया. प्रोफेसर सर बोले- मुझको थोड़े पैसे ज़्यादा देने पड़ेगे.मैंने कहा- कोई बात नहीं सर में दे दूंगा.
फिर हम सब नैनीताल के माल रोड पर घूमने के लिए निकल गए, मैरी और निम्मी मेरे साथ ही थी.नैनीताल की लेक अति सुन्दर लग रही थी रात को… वहाँ मैंने दोनों लड़कियों को गोलगप्पे और चाट खिलाई, कोकाकोला पीकर सब वापस आ गए.
रात का डिनर बहुत ही सुन्दर था. कई प्रकार के व्यंजन बने थे और हम सबने बड़े ही आनन्द से रात को भोजन किया और उसके बाद होटल के हाल में खूब गाना बजाना हुआ, कई लड़कों और लड़कियों ने बड़ा ही सुन्दर डांस और संगीत का प्रोग्राम दिया.
उसके बाद जल्दी ही हम सब सो गए.जैसा कि मेरा अनुमान था, सर और मैडम ने ठीक रात के 11 बजे सब कमरों को चेक किया कि सब विद्यार्थी अपने अपने कमरों में मौजूद हैं या नहीं.उसके बाद वो भी सो गए.
जैसा हमने तय किया था, मैं 12 बजे रात को निम्मी और मैरी के कमरे को 3 बार हल्के से खटखटाऊंगा और तभी मैरी या निम्मी कमरे का दरवाज़ा खोल देंगी.
कहानी जारी रहेगी.