XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़ - Page 11 - SexBaba
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XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़

एकाएक जगमोहन के मस्तिष्क में चमकती बिजलियां थम गईं। सब कुछ शांत नजर आने लगा। उसके मस्तिष्क ने देखा कि वो जगह बेहद शांत है। हरे-भरे पेड़ों से भरी जगह। वहां चट्टानें भी थीं, जमीन भी थी। कुछ दूर छोटी-सी बस्ती बनी नजर आ रही थी। वहां छांव भी थी, धूप भी थी। हवा में नमी थी। उसके कान पानी की छपाक-छपाक सुन रहे थे। फिर उसने समुद्र की लहरों को देखा जो किनारे पर आतीं और वहां आपस में टकराकर आवाज करतीं और झाग बनाती लुप्त हो जातीं। ये समुद्र के किनारे कोई जगह थी, परंतु शोर-शराबे से दूर। वहां के नजारे जगमोहन का मस्तिष्क देख रहा था कि तभी धूप में एक चट्टान पर पड़ा उसे कोई दिखा वो औंधे मुंह पड़ा हुआ था। जगमोहन को लगा जैसे वो उसके पास जा पहुंचा हो। वो कोई युवती थी। गुलाबी सूट पहने थी। दुपट्टा उसके गले में फंसा था। उसके सिर के बाल कंधे तक लम्बे थे, जो कि इस वक्त अस्त-व्यस्त थे। | जगमोहन को लगा कि जैसे वो उसे पहले भी कहीं देख चुका था वो औंधी पड़ी बेहोश जैसी लग रही थी।

जगमोहन को लगा जैसे वो उसके बेहद करीब पहुंच गया हो। उसका कंधा पकड़कर उसे हिला रहा हो। परंतु उसके हिलाने का युवती पर कोई असर नहीं हुआ तो उसने युवती को सीधा किया। उसके चेहरे पर नजर पड़ते ही वो चौंका। वो नगीना थी जो कि इस वक्त गहरी बेहोशी में थी।

अगले ही पल जगमोहन का मस्तिष्क शांत होता चला गया। दिमाग में उठा तूफान–बिजलियां थम गई थीं।

जगमोहन गहरी-गहरी सांसें लेने लगा। उसने आंखें खोलीं। सिर पर रखे दोनों हाथ हटा लिए। देवराज चौहान की निगाह एकटक जगमोहन पर थीं।

“जगमोहन।” देवराज चौहान बोला—“क्या हुआ तुम्हें तुम...।”

“नगीना भाभी।” जगमोहन के होंठों से निकला।

क्या मतलब?” देवराज चौहान के माथे पर बल पड़े।

मुझे पूर्वाभास हुआ है। नगीना भाभी खतरे में है। हमें जल्दी-से नगीना भाभी के पास पहुंचना होगा।” जगमोहन तेज स्वर में बोला।

“लेकिन तुमने क्या देखा था।”

रास्ते में बताऊंगा।” जगमोहन कहता हुआ बाहर की तरफ दौड़ा।

देवराज चौहान भी उसके पीछे चल पड़ा।

“जब तुम्हें कुछ हुआ था तो मैंने तुम्हें पुकारा।” देवराज चौहान उसके पीछे बढ़ता कह उठा–“तब तुमने मुझे चुप रहने को कहा, लेकिन उस वक्त तुम्हारे होंठों से निकली आवाज तुम्हारी आवाज नहीं थी।”

“चुप रहो, मुझे पहले नगीना भाभी को बचाना है। मुझे लगता है जथूरा ने अपना कालचक्र छोड़ दिया है।”
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शाम के 7.30 बजे थे।

उस पार्क में बच्चे और औरतें मौजूद थे। धीरे-धीरे अंधेरा होता जा रहा था। बच्चे और औरतें घर जाने लगे थे। वो बूढ़ी सी, पतली औरत बैंच पर चश्मा लगाए बैठी थी। सत्तर बरस की उसकी उम्र होगी। बाल पूरे सफेद थे। चूहे की पूंछ की तरह, पतली-सी चुटिया बनी, गर्दन से जरा ही नीचे थी। पास में पांच फीट की लाठी रखी थी, जिसे थामकर वो चलती थी।

वो बूढ़ी औरत भी घर जाने को सोचने लगी थी। | उसी पार्क के ऊपर रुई जैसा बाल के साईज का सफेद गोला तैर रहा था, जिस पर किसी की नजर नहीं गई थी। ज्योंही अंधेरा होना शुरू हुआ, पार्क के लोग धीरे-धीरे घर जाने लगे तो वो रुई का गोला सफेद-सी आकृति में बदला और नीचे आकर वो आकृति बूढ़ी औरत के सिर पर मंडराने लगी। " ऐसे अंधेरे जैसे समय में उस आकृति को देख पाना आसान नहीं था।

फिर वो आकृति जैसे बूढ़ी औरत के सिर में समाती चली गई।

बुढ़िया के मस्तिष्क को कुछ असुविधा-सी हुई। वो उठ खड़ी हुई। आस-पास उसने देखा। पास रखी लाठी उठा ली। एक-दो बार उसने सिर पर हाथ फेरा। फिर कह उठी।

कौन है?" स्वर बूढ़ा ही था।

“मैं-भौरी।” ।

बुढ़िया को लगा जैसे उसके कान में कोई फुसफुसाया है। भौरी कौन?”

भौरी ।” इस बार फुसफुसाहट में चंचलता आ गई थी।

“तू मेरे अंदर क्यों आ गई?” बूढ़ी औरत के होंट से निकला।

काम है।”

क्या?” ।

तेरे से नहीं, कहीं और काम है। लेकिन उस काम के लिए मुझे शरीर भी तो चाहिए, सो तेरा ले लिया।”

चली जा। मैं तुझे अपना शरीर इस्तेमाल न करने देंगी।”

“सोच ले। तू बूढ़ी हो चुकी है। मैं तेरे को जवान बना देंगी।”

जवान?

” खूबसूरत भी।”

झूठ बोलती है तू। मैं बूढ़ी हो चुकी हूं। तू भला मुझे कैसे जवान बना सकती है?"

ऐसी जवान बना देंगी कि मर्द तेरे पे मरेंगे। तू बच्चे जन सकेगी। बोल बना दूं?”

बना।”

तेरे शरीर में रहकर मेरे को कोई काम करना है। वो तू मुझे करने देगी।”

जवान बनने के बाद?”

हां। इस हाल में तो तू मेरे काम की नहीं। तेरी हां है तो कह, तेरे को जवान बना दें।”

“मैं क्यों मना करूंगी, जवान बनने से ।” बुढ़िया कह उठी।

रंगीन मिजाज है तू। इस उम्र में भी जवान होकर, मजे लेने के सपने देखती है तू।”

“तूने ही तो कहा है कि तू मुझे जवान बना देगीं। मैं तेरे को बुलाने तो नहीं गई। नहीं बना सकती तो जा।”

भौरी बड़े कमाल की है। तू अपना नाम तो बता ।

” कमला रानी।”

“मैं तेरे को जवान बना रही हूं। थोड़ी-सी तकलीफ होगी। तू घबराना नहीं ।”

तकलीफ मैं बूढ़ी तकलीफ नहीं सह सकती।” ।

वो तू मुझ पर छोड़ दे। तेरे को कुछ नहीं होगा। भौरी का हाथ अब तेरे पर है।”

अगले ही पल बूढ़ी औरत के पूरे शरीर में दर्द की लहर दौड़ी।

उसने चीखने के लिए मुंह खोला, परंतु चीख जैसे गले में ही घुटकर रह गई।

सब्र रख ।” भौरी की फुसफुसाहट उसे सुनाई दी। तब तक पार्क में अंधेरा छा चुका था।

एकाएक बूढ़ी औरत ने अपने शरीर में अजीब सा बदलाव महसूस किया। अजीब-सी सनसनाहट शरीर में दौड़ती चली गई।

फिर सब कुछ थम गया । बूढ़ी औरत ने लाठी छोड़ी और अपने शरीर को टटोल-टटोल कर देखने लगी।
वो सच में जवान हो गई थी। परंतु अंधेरे के कारण, वो खुद को देख नहीं पा रही थी।
 
“जवान हो गई हूं।

जवान हो गई।” बूढ़ी का स्वर भी अब जवानी से भर गया था।

देखा भौरी का कमाल ।”

त...तू सच में मेरे लिए भगवान बनकर आई है। भला हो तेरा जो तूने....।।

अब तू जवान है, जवान की तरह बात कर। बुजुर्गों की तरह आशीर्वाद देना छोड़ दे।”

आह, घर जाकर मैं अपने बेटे को हैरान कर देंगी कि वो...।

” “तू घर नहीं जाएगी।”

क्यों?

” भूल गई तूने मेरे से वादा किया था कि मेरा काम करेगी।”

“न करूं तो?

मैं तेरे को फिर बूढ़ी बना देंगी। तेरी जान ले लूंगी। बहुत खतरनाक हूँ मैं। भौरी है मेरा नाम ।”

कमला रानी कांप उठी। म...मेरी जान मत लेना।”

“तो अपना वादा निभा ।”

वो तो ठीक है, परंतु मेरे घर वाले मेरा इंतजार करेंगे। मुझे ढूंढेंगे।”

" “तेरी परवाह किसी को नहीं है। तू घर न गई तो वो सोचेंगे बूढ़ी से जान छूटी। वैसे भी तू क्या समझती है कि तेरे घर वाले तेरे को पहचान लेंगे। वो तेरे को नहीं पहचानेंगे। तेरे को घर में नहीं घुसने देंगे।”

“ये तू क्या कह रही है?”

“सही कह रही हूं। अब तू अपनी बहू-बेटी से ज्यादा जवान है और मैंने तेरा चेहरा भी बदल दिया है।" |

"चेहरा भी बदल दिया–कैसे?” कमला रानी हैरान सी कह उठी। ‘

“जिस चेहरे को मैंने अपनी आंखों में बसाकर मंत्र पढ़ा तेरे लिए, तू उसी के चेहरे जैसी जवान हो गई। तेरे शरीर का एक-एक हिस्सा उस जैसा हो गया। कुछ ही देर में तेरी आवाज भी उसी की तरह हो जाएगी।”

मैं किसके जैसी हो गई?”

मोना चौधरी के जैसी। उसकी हर चीज, हर अदा, सब कुछ तेरे में आ चुकी है।”

ये...ये नहीं हो सकता।

” मैंने कर दिया है।”

ओह, मोना चौधरी है कौन?”

तूने अब मेरे साथ ही रहना है। धीरे-धीरे तेरे को सब पता चल जाएगा।"

“मैं कब तक तेरे साथ रहूंगी?”

“जब तक मैं तेरे से काम नहीं ले लेती ।”

ये कब तक चलेगा। एक-दो दिन...”
 
महीना-दो महीने भी लग सकते हैं। याद रख मैंने तुझे जवानी दी है, भरपूर शरीर दिया है। बेहद खूबसूरत चेहरा दिया है। तेरे को मेरा एहसान याद रखना चाहिए और मेरा कहना मानते रहना है। तभी तेरी जवानी सुरक्षित है। क्या तू चाहती है कि तू पहले की तरह फिर बूढ़ी हो जाए। लाठी पकड़कर चले?"

न...नहीं चाहती।” कमला रानी ने कांपकर कहा।

तो मेरी हर बात मानती रहना ।”

“मानूंगी। लेकिन तु असल में है कौन?"

मैं सोबरा के कालचक्र का छोटा-सा हिस्सा हूं और अब कालचक्र उसके भाई जथूरा के इशारे पर काम कर रहा है।”

मैं समझी नहीं।”

कालचक्र पर जथूरा का कब्जा है अब । कालचक्र अब वो ही करेगा, जो जथूरा का आदेश होगा।”

मैं अब भी नहीं समझी।”

तू कुछ मत समझ ।” भौरी उसके कानों में कह उठी–“तू अब मेरी दुनिया में आ चुकी है। जरूरत के मुताबिक मैं तेरे भीतर वो सब चीजें डाल देंगी, कि तू सब कुछ समझकर, मेरे मुताबिक काम करे । चल अब चलें ।”

कहां?”

“अब मेरी कमला रानी भौरी के लिए अपना पहला काम करेगी।”
कमला रानी चल पड़ी।

“तेरा नाम मोना चौधरी है। बाकी सब बातें मैं अभी तेरे दिमाग में डाल देती हूं, जिसकी तुझे जरूरत पड़ेगी।”
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उस छोटे से बंगले की रोशनियां रोशन थीं।

नगीना नौकरानी सत्या के साथ किचन में व्यस्त थी। वो खुश थी कि देवराज चौहान और जगमोहन पहुंचने वाले हैं। किचन खाने के सामानों की महक से महक रहा था।

जल्दी कर सत्या, कोई चीज छूट न जाए।” नगीना कह उठी।

कुछ नहीं छूटेगा बीवी जी। मुझे सब याद है।” उसी पल कॉल बेल बजी।।

लो।” नगीना के होंठों से निकला “वो आ गए।”

“आप दरवाजा खेलिए बीवीजी, मैं इधर का सारा काम ठीक से संभाल लेंगी।”

नगीना किचन से बाहर निकली और मुख्य दरवाजे की तरफ बढ़ गई। उसके चेहरे पर खुशी चमक रही थी। कई दिन से देवराज चौहान को देखा नहीं था उसने। नगीना ने खुशी-खुशी दरवाजा खोला।

अगले ही पल वो बुरी तरह चौंकी। सिटपिटा-सी गई भीतर ही भीतर। सामने मोना चौधरी खड़ी थी। | जींस की पैंट और स्कीवीं पहने। परफ्यूम की महक नगीना की सांसों से टकराई।।

“तुम?” नगीना के होंठों से निकला।

हैरान हो गई नगीना।” मोना चौधरी कह उठी-“देवराज चौहान का इंतजार कर रही है।”

“तुझे कैसे पता?" नगीना ने नागवार स्वर में कहा।

मुझे तो सब खबर रहती है। इस वक्त तू देवराज चौहान के लिए तरह-तरह के पकवान बना रही है।” ।

नगीना मोना चौधरी को देखती रही फिर बोली।
तेरे-मेरे बीच ऐसा कोई रिश्ता नहीं कि तू मेरे से कोई मजाक कर सके।”

“मुझे भीतर आने को नहीं कहेगी?”

जरूरत नहीं समझती ।” नगीना ने शुष्क स्वर में कहा।

हम दोनों में पूर्वजन्म का रिश्ता है नगीना।”

तू मेरे पास किसलिए आई है?" नगीना बोली।

“काम है। लेकिन तू तो मुझे भीतर ही आने को नहीं कह रही । क्या, मैं यहीं खड़ी बात करूंगी?”

हां ।”

नाराज क्यों है मुझसे?”

तू मेरे पति को जान से मारने की, कई बार कोशिश कर चुकी है।” नगीना ने तीखे स्वर में कहा।

मोना चौधरी हौले-से हंसी।।

तू अभी भी बीती बातों को दिल से लगाए बैठी है।”

तभी सत्या वहां आ पहुंची।

बीवीजी काम हो गया। अगले ही पल सत्या मोना चौधरी को दरवाजे के बाहर खड़ी देखकर ठिठकी।

“तू जा सत्या, मैं मोना चौधरी से बात कर रही हूं।” सत्या चली गई।

नगीना।” मोना चौधरी धीमे स्वर में बोली-“तू मुझे नहीं जानती, मैं भौरी हूं।”

“भौरी?” नगीना के माथे पर बल पड़े–“तू जो भी है चली जा यहां से। देवराज चौहान आने वाला है और...।”

इसी पल नगीना की सांसों से भीनी-भीनी सुगंध टकराई। नगीना के होश गुम होने लगे।
 
इससे पहले कि नगीना नीचे गिरती, मोना चौधरी ने उसे थामा, कंधे पर लादा और तेजी से गेट की तरफ बढ़ गई। तभी कमला रानी के कानों में भौरी कीं फुसफुसाहट पड़ी।

क्यों, कैसा लगा कमला रानी?"

“अच्छा लगा। ये काम मेरे लिए नया है। क्या सच में मेरे में इतनी ताकत आ गई है कि किसी को उठा सकें?”

“उठा तो रखा है, तू खुद ही देख ले।” भौरी मुस्कराई।

जाना कहां है?"

फिक्र मत कर। मैं तेरे साथ हूं। अब तो तूने मेरे साथ रहकर हर पल मौज ही करनी है। अब तू सच में रानी बन गई है। मेरा हुक्म मानती रह और रानी बनकर जिंदगी बिता।” ।
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देवराज चौहान और जगमोहन नगीना वाले बंगले पर पहुंचे। गेट खुला था। प्रवेश दरवाजा भी खुला दिखा।

भाभी।” जगमोहन तेज स्वर में पुकारते हुए भीतर प्रवेश कर गया। देवराज चौहान उसके पीछे था।

भाभी ।” जगमोहन ने पुनः ऊंचे स्वर में पुकारा। सत्या किचन से निकलकर उसके सामने आ गई।

जगमोहन भैया, आपनमस्कार ।” सत्या कह उठी।

भाभी कहां है?”

सत्या ने भीतर प्रवेश कर चुके देवराज चौहान को भी देखा
और कह उठी। | “बीवीजी, अभी तो यहीं थीं, दरवाजे पर मोना चौधरी मैडम से बात कर रही...।” ।

“मोना चौधरी?” जगमोहन चौंका।

देवराज चौहान के माथे पर बल उभर आए।

“बीवीजी ने ही कहा था कि वो मोना चौधरी से बात कर रही है, जब मैंने उन्हें बुलाया तो।”

तुमने मोना चौधरी को देखा था?” देवराज चौहान ने पूछा।

हां ।” सत्या ने बाहर नजर मारी—“आप बीवीजी से पूछ लीजिए—वो...” ।

वो नज़र नहीं आ रहीं यहां ।”

“भीतर होगी।”

होती तो मेरे पुकारने पर आ गई होती।” जगमोहन ने व्याकुलता में कहा।

“मैं देखती हूं।” कहने के साथ ही सत्या भीतर चली गई।

देवराज चौहान और जगमोहन की नजरें मिलीं।

मुझे हैरानी है कि मोना चौधरी यहां थी।” जगमोहन बोला।

मुझे यकीन नहीं आता कि वो नगीना के पास आएगी। उसे नगीना के बंगले का पता नहीं चल सकता।”

लेकिन वो यहां थी। सत्या उसका नाम लेकर कह रही है।” देवराज चौहान के होंठों में कसाव आ गया। सत्या जल्दी ही लौट आई।
बीवीजी तो बंगले में नहीं हैं।” वो बोली।

“मुझे बताओ कि मोना चौधरी देखने में कैसी लग रहीं थी—उसका हुलिया।” |

"मैंने जरा सा तो देखा था उसे । मैंने सोचा वो बीवीजी की।
कोई पहचान वाली...।”

तुम उसका हुलिया बताओ।”

सत्या ने हुलिया बताया। ठीक मोना चौधरी का हुलिया।

“वो ही थी।” जगमोहन के होंठों से निकला।

लेकिन हुआ क्या?"

भाभी कहीं गायब हो गई है, मोना चौधरी से बातें करते-करते। कहीं चली गई है।”
 
आओ बाहर देखें।” देवराज चौहान ने कहा।

देवराज चौहान और जगमोहन बाहर निकलते चले गए। बीस मिनट बाद वे लौटे।

नगीना आई सत्या?” देवराज चौहान ने पूछा।

नहीं जी।” देवराज चौहान कुर्सी पर जा बैठा। जगमोहन बेचैनी से चहलकदमी करने लगा।

“मुझे हैरानी है कि मोना चौधरी, नगीना के पास यहां आई और फिर दोनों ही गायब हो गए।” देवराज चौहान बोला।

“भाभी खतरे में है। मैंने पूर्वाभास में, भाभी को अजीब सी जगह पर बेहोश पड़े देखा था। मैं जानता हूं कि मेरा पूर्वाभास गलत नहीं हो सकता। हर बार वो सही निकला है।” जगमोहन बोला

“मैं मोना चौधरी को नहीं छोडूंगा।” देवराज चौहान का चेहरा कठोर हो चुका था।

जगमोहन ने ठिठककर देवराज चौहान को देखा। कुछ पल देवराज चौहान को देखने के बाद व्याकुल स्वर में कह उठा। “ये जथूरा की चाल है।”

देवराज चौहान ने सख्त नजरों से जगमोहन को देखा।

मोना चौधरी इस तरह नगीना के पास आकर गड़बड़ नहीं कर सकती, फिर भाभी भी कम नहीं है। कुछ बात तो है ।” ।
“नगीना के पास मोना चौधरी आई और उसके बाद नगीना गायब हो गई।”

“हां, ऐसा हुआ है, परंतु ये सब जथूरा की चाल है, हमें कालचक्र को नहीं भूलना चाहिए। हम जानते हैं कि जथूरा हम सब को लड़वाने की चेष्टा कर रहा है। पोतेबाबा ने भी ये बात स्वीकारी है।” जगमोहन होंठ भींचकर बोला—“हमें सब्र के साथ काम लेना है। जथूरा की चाल को पहचानना है कि...”

देवराज चौहान उठ खड़ा हुआ।

“तुम सब्र के साथ काम लो।”

देवराज चौहान ने कड़वे स्वर में कहा “मैं मोना चौधरी को देखता हूं।”

जल्दबाजी मत करो।” जगमोहन और भी ज्यादा परेशान हो उठा।

ये तो स्पष्ट है कि नगीना के गायब होने के पीछे मोना चौधरी का हाथ है।”

हां लेकिन।”

अब क्या तुम ये कहना चाहते हो कि वो मोना चौधरी होकर भी मोना चौधरी नहीं थी।”

“ये नहीं कहना चाहता।”

मैं समझने की चेष्टा कर रहा हूं कि जथूरा कैसी चाल चल रहा है?"

“वो कोई भी चाल नहीं चल रहा। नगीना के गायब होने के पीछे मोना चौधरी है, मैं ये जानता हूं।”

“मैं इंकार नहीं करता, परंतु ये भी कहता हूं कि इन सब हरकतों के पीछे जथूरा काम कर रहा है।” |

“मैं नहीं मानता।”

तुम्हें मानना पड़ेगा।” जगमोहन ने तेज स्वर में कहा—“पोते बाबा ने स्पष्ट कहा है कि जथूरा अब हम सबके लिए कालचक्र छोड़ेगा। हम सबमें झगड़ा करवा देगा, ताकि हम लड़ मरें और पूर्वजन्म के सफर के काबिल न रहें। जथूरा हमें पूर्वजन्म के सफर से रोकना चाहता है, शायद हमारा वो सफर उसके लिए, नुकसान से भरा है। हम पहले ही तय कर चुके हैं कि हम सब्र से काम लेंगे और झगड़ा नहीं करेंगे। अब तुम बे-सब्र हुए जा रहे हो।”

नगीना मेरी पत्नी है।”

मेरी भी भाभी है वो। मुझे उसकी चिंता है।”

जितनी मुझे है, उतनी चिंता तुम्हें नहीं हो सकती जगमोहन ।” देवराज चौहान ने होंठ भींचकर कहा।

| जगमोहन ने देवराज चौहान की आंखों में झांका और गम्भीर स्वर में बोला।

“हो सकता है कि मुझे तुमसे भी ज्यादा चिंता हो।”

तुम मुझे समझो मैं...।”

मैं सब समझ रहा हूं, तभी तो शांत हूं।”

क्या मतलब?”

“जो जथूरा चाहता है, उसे होने से रोक रहा हूं।”

देवराज चौहान जगमोहन को देखने लगा।

“जथूरा चाहता है कि हम झगड़े। जगमोहन ने पुनः कहा—“और हम ऐसा करेंगे नहीं ।” ।

। “और नगीना?” देवराज चौहान का चेहरा क्रोध से भरा हुआ था।

उसके बारे में कोई रास्ता निकालते हैं कि उसे तलाश कर सकें। तुम्हारे पास मोना चौधरी का फोन नम्बर है?”

“नहीं।”

मेरे पास पारसनाथ का नम्बर है।” जगमोहन बोला-“मैं अभी उससे बात करता हूं।”
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दिल्ली! मोती नगर का एक फ्लैट
बूढ़ा और बूढ़ी औरत वहां रहते थे। पैंसठ-सत्तर बरस की उनकी उम्र रही होगी। बूढ़ा रंगीन मिजाज था और इस उम्र में भी पीने-पिलाने का शौक छूटा नहीं था, जबकि उसकी पत्नी उसकी पीने की आदत से चिढ़ती थी। इस वक्त रात के दस बज रहे। थे कि घर में तू-तू, मैं-मैं हो रही थी। बूढ़ा एक पैग लगा चुका था और दूसरा गिलास भर रखा था जबकि उसकी पत्नी बोले जा रही थी।

“पांव मौत के दरवाजे पर पड़े हैं और तुम्हें पीने की पड़ी है। बूढे ।” वो बोली-“भगवान का नाम ले ले थोड़ा सा। सारे पाप धुल जाएंगे। ऊपर वाले से डर, जाकर उसके सामने खड़े होना है

“मैं क्यों डरूं।” बूढ़ा चूंट भरता कह उठा–“मैंने कोई पाप नहीं किया।”

नहीं किया?

” जरा भी नहीं।”

“ज्यादा बड़बड़ मत कर । जवानी के दिनों में तू रातों को गायब रहता था।”

वो तो दोस्तों के साथ पीने के चक्कर में रात निकल जाती...

” मैं सब जानती हूं।” वो हाथ नचाकर बोली ।

क्या जानती है।” बूढ़ा मजे लेता कह उठा-“मैं भी तो जानू?”

“मेरा मुंह मत खुलवा ।”

“खोल दे, मैं डरता नहीं हूं।” नशे में बूढ़ा शेर हो रहा था।

“वो जो तेरे आफिस में काम करती थी, तू उसके आदमी के साथ पीता था।”

तो क्या हो गया। मोना की बात कर...।” ।

वो ही, वो ही कलमुंही। उसके घर बैठकर पीता था तु । उसके आदमी को ज्यादा पिलाकर टुन्न कर देता था और बाद में उस कलमुंही के साथ मजे लेता था और सुबह लटका मुंह लेकर मेरे पास आता था।”

तेरे को ये किसने कहा?”

उसी कलमुंही के आदमी ने एक बार बताया था।”

वो तेरे को कहां मिला?

” मिल गया था एक बार। वो अपनी कलमुंही से बहुत दुखी था। बेचारा, मुझे तो उसका चेहरा याद आता है, जब वो सारी बात मुझे बता रहा था। उसकी बीवी ने खा जाने वाले स्वर में कहा।।

बूढ़े ने गिलास होंठों से लगाया और एक ही सांस में खाली कर दिया।
“साली, क्या चीज थीं वो भी।” बूढ़ी बड़बड़ा उठा।

उस कलमुंही की बात कर रहा है।” । मैं तो गिलास में पड़ी शराब की बात कर रहा हूं।

” हां...हां, मैं सब जानती हूं।

” “जवानी के दिन भी क्या दिन थे।” ।

क्यों नहीं होंगे। इधर-उधर मुंह मारने को जो मिल जाता था।” बूढ़ी जल-भुनकर बोली।

“मुंह तो मैं अब भी मार लें।” बूढे ने आह भरी।।

“अब तो तू गैस का पिचका गुब्बारा है। गाय की लात पड़ी तो पूरा फूट जाएगा।”
 
बहुत हिम्मत बाकी है अभी ।

” मुझे तो नजर नहीं आती।”

तुझ जैसी बूढ़ी को देखकर तो, सारा मूड खराब हो जाता है।”

हीरो है न तू जो मुझे बूढ़ी कहता है।” ।

तुझे क्या मैं तो अपने को भी बूढ़ा कहता हूं। जवानी के दिन भी क्या दिन थे। जिधर दिल चाहा उड़ जाओ।”

मैं तो तेरी आदतों से तंग, कब का तेरे को तलाक दे देती।

” तो दिया क्यों नहीं?” ।

रहने दे, कहानी मत पूछ, नहीं तो तेरे को दुख होगा ।”

“नहीं होगा, तू बता।” बूढ़े ने नशे में सिर हिलाकर कहा।

क्यों अपनी रात की नींद खराब करता है। नशा भी उतर जाएगा।” बूढ़ी मुंह बनाकर बोली। |

“ये बात है तो ठीक है, कल बता देना।” कहकर बूढ़ा उठा। जोरों से डगमगाया।

हजम नहीं होती तो मत पिया कर।”

क्यों नहीं हजम होती, बाहर का चक्कर लगाकर आता हूँ, फिर एकदम हल्का हो जाऊंगा।”

“पियक्कड़ कहीं का।” बूढ़ा घर का दरवाजा खोलकर बाहर निकला तो पीछे से बूढ़ी बोली ।।

घर का रास्ता मत भूल जाना। नम्बर याद है न घर का ।

” तेरे को कैसे भूल सकता हूँ मेरी जान ।”

“जा-जा, गैस के पिचके गुब्बारे ।”

बूढ़ा खुली हवा में पहुंचा और तारों भरे चमकते आसमान को देखकर आह भरी, इतने में ही वो जोरों से लड़खड़ाया, परंतु संभल कर अपने से बड़बड़ा उठा।

“आज नशा हो गया लगता है। ज्यादा ले ली।” फिर टहलने के अंदाज में आगे बढ़ गया। अपनी तरफ से तो उसे लग रहा था कि वो सही चल रहा है, परंतु चाल में स्पष्टतया लड़खड़ाहट थी।

पास में ही छोटा सा पार्क था, वो पार्क में प्रवेश कर गया। कुछ लोग वहां टहल रहे थे। वो आगे बढ़ा और एक बैंच पर जा बैठा।

मध्यम सी हवा चल रही थी। उसने आंखें बंद कर लीं। दस-बारह मिनट तक वो ऐसे ही बैठा रहा और जवानी के दिनों
को याद करने लगा कि जिंदगी का असली मजा तो तब था।

एकाएक उसके सिर को तीव्र झटका लगा। वो हड़बड़ाया। उसने आंखें खोलीं।

उसे ऐसा लगा जैसे कोई उसके सिर में प्रवेश कर आया हो। उसके दिमाग में बैठ गया हो।

कौन हो?” उसके होंठों से निकला। उसने सिर पर हाथ फेरा।

मैं शौहरी हूं।” लगा जैसे उसके कान में कोई फुसफुसाया हो।

“शौहरी?” बूढे के होंठों से निकला।

“हां ।”

लेकिन तू मेरे सिर में क्यों आ गया?

” तेरी सोचों को पढ़कर, जवानी की बहुत याद आ रही है तुम्हें?

” “बहुत।” बूढ़े ने गहरी सांस ली–“वो दिन, भुलाए नहीं भूलते।”

लेकिन अब तो तू बूढ़ा हो गया।”
 
लेकिन अब तो तू बूढ़ा हो गया।”

हां ।”

जवान कैसे होगा?” ।

नहीं हो सकता। लेकिन तू है कौन जो मेरे से बातें कर रहा है।” बूढ़े ने कहा।

“मैं शौहरी हूं। सोबरा के कालचक्र का मामूली-सा अंश हूं। परंतु वो कालचक्र जथूरा के कब्जे में है। अब कालचक्र जथूरा के ही इशारे पर काम कर रहा है। मैं नहीं जानता कि अब मेरा मालिक सोबरा है कि जथूरा।”

सोबरा–जथूरा कौन हैं?”

“भाई हैं, परंतु पक्के दुश्मन ।”

कहां रहते हैं ये कौन से इलाके में?”

तू नहीं जानता उस जगह को।

” क्यों?”

ये पूर्वजन्म की वो दुनिया है, जिसके बारे में वो ही जानकारी रख सकता है, जो कभी उससे जुड़ा रहा हो।”

“अजीब बात है।” ।

साधारण बात है।

” मेरे से क्या चाहता है तू?”

सोच रहा हूँ तू क्या सच में जवान होना चाहता है?”

“हां, लेकिन अब कहां हो पाऊंगा?”

मैं तेरे को जवान बना दूं तो?

” बूढ़ा नशे में हंस पड़ा।
क्यों मेरे से मजाक करता है।”

मैं सच कह रहा हूं। तेरे को एकदम कड़क मूंछों वाला जवान बना दूंगा।”

पागल है।” बूढ़ा बड़बड़ाया।

“पागल नहीं मैं, मैं तेरे को सच कहा रहा हूँ, तू हां बोल, अभी जवान बनाता हूं तेरे को।”

बना।”

“मेरा क्या फायदा होगा?”

फायदा तेरे को क्या फायदा चाहिए?

जवान बनकर तू मेरे लिए काम करेगा। मेरा हुक्म मानेगा।

” तेरा गुलाम बन जाऊँ मैं?”

नहीं। जब मुझे तेरे से काम होगा, तू काम करेगा, नहीं काम होगा तो मौज-मस्ती करना। पैसे मैं दूंगा तेरे को।”

कितने?”

जो तू कहेगा, जितने तू मांगेगा।

” मैं तो बहुत ज्यादा मांग लूंगा।

” “मैं दूंगा।” ।

तू मजाक कर रहा है मेरे से?

” नहीं, सच कह रहा हूं, आजमा के देख ले।

” “ठीक है। बना मेरे को जवान। मैं तेरी नौकरी करूंगा, जैसा कि तूने कहा है।”

“जवान बनने के बाद तू अपनी पत्नी के पास नहीं जाएगा।
 
वैसे भी वो तेरे को पहचानेगी नहीं। क्योंकि मैं अपनी जरूरत के मुताबिक तेरा चेहरा भी बदल दूंगा। जवानी और नया चेहरा। तेरे को मजा आएगा।”

“मुझे औरतें मिलेंगी?”

बहुत ।”

“तू देगा?”

नहीं, तेरे को अपना इंतजाम खुद करना होगा। मैं तेरे को पैसे दूंगा।”

नशे में बूढे का दिमाग तेजी से चल रहा था। “तू मेरे पास ही क्यों आया?” ।

क्योंकि बूढ़े इन बातों में जल्दी फंस जाते हैं। जवान होने की तमन्ना किसमें नहीं होती। हम बूढ़ों को जवान बनाते हैं और वो जवान बनकर हमारे लिए काम करते हैं।” उसके कानों में फुसफुसाहट जारी थी।

तेरी बातें मेरी समझ में नहीं आ रहीं।”

जितनी समझ आ रही हैं, तू उससे ही काम चला। बता, तेरे को जवान बना दें?”

मानूंगा। तू मुझे जवान बना के दिखा।” ।

“ठीक है। तेरे को दो मिनट के लिए तकलीफ होगी। सह लेना।”

“तू क्या करने वाला है मेरे साथ?”

*अभी समझ जाएगा।”

अगले ही पल उसके शरीर में पीड़ा भरती चली गई। उसने छटपटाकर चीखना चाहा।

परंतु ऐसा लगा जैसे किसी ने उसके होंठों पर हाथ रख दिया हो ।

उसने अपने शरीर में कई बदलाव महसूस किए। सब कुछ दो मिनट में ही हो गया। देख ले अब अपने को।” कानों में शौहरी की फुसफुसाहट पड़ी।

“ये...ये मुझे क्या हो गया था। तूने क्या किया?” बूढ़ा बैंच से उठता कह उठा।

“तेरे को जवान बना दिया।”

बूढ़ा अपने को टटोलने लगा। चेहरे पर हाथ फेरा तो मूंछे थीं। कद भी कुछ लम्बा हो गया था।

“मजा आया।” शौहरी के हंसने वाली फुसफुसाहट सुनाई दी।

म...मैं सच में जवान हो गया हूं।” ।

हां। रोशनी में जाकर अपने को देख ले। तेरा नाम क्या है?

” जवाहर मखानी।” “मखानी, हूं।”

मैं...मैं किसके जैसा बन गया हूं?

” भंवर सिंह जैसा, जिसका इस जन्म में बांकेलाल राठौर नाम

“बांकेलाल राठौर?”

“मैं अभी तेरे में बांकेलाल राठौर की सारी चीजें डाल देता हूँ कि सामने वाला तुझे बांकेलाल राठौर ही समझे।”

सारी चीजें क्या मतलब?”

उसका बोलने का ढंग, चाल-ढाल। उसकी ताकत। सब कुछ तेरे में आ जाएगा।”

“तू ऐसा क्यों कर रहा है। मुझे बांकेलाल राठौर जैसा क्यों बना
रहा है?"
 
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