desiaks
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तृभी नानिया उसकी बांहों के घेरे में फंसी घूम गई। दोनों की नजरें मिलीं। नानिया ने सोहनलाल के होंठों को चूमा।
मेरे लिए ये सब नया है।”
“नया?” ।
वो देखो, चादर का हाल। खून के दो-तीन धब्बे हैं वहां। तुम्हें इसी से समझना चाहिए कि रात जो हुआ, मेरे साथ पहली बार हुआ।”
सोहनलाल मुस्करा पड़ा। “मैं भाग्यशाली निकला जो तुम मुझे मिलीं।” सोहनलाल ने कहा।
शायद। लेकिन मैं तो कब से तुम्हारा इंतजार कर रही थी। पचास बरस से ।”
“अब मैं आ गया हूँ नानिया।”
तुम चले जाओगे।”
“तुम्हें कालचक्र से बाहर निकालूंगा।” सोहनलाल ने उसका गाल थपथपाया।
उसके बाद चले जाओगे।” सोहनलाल ने नानिया को गहरी निगाहों से देखा।
नानिया की आंखों में पानी चमकता दिखाई दिया।
“तुम मत जाना सोहनलाल।” नानिया का स्वर् भीग गया।
जाना तो मुझे है ही। यहां रुक नहीं सकता।”
मैं-मैं तुम्हारे बिना कैसे रह पाऊंगी। हर वक्त तुम मुझे याद आओगे।” आंसू गालों पर आ लुढ़के।।
सोहनलाल ने उंगली से उसके गालों पर आ पहुंचे आंसुओं को साफ किया।
“जानती हो नानिया, मैंने अभी तक शादी नहीं की।”
“नहीं की?”
नहीं। लेकिन अब कर सकता हूँ।” सोहनलाल मुस्करा पड़ा।
“तुम किसी से शादी कर रहे हो सोहनलाल?”
। किससे?”
अगर वो तैयार हो जाए तो।”
वो तैयार क्यों न होगी?” नानिया ने भीगे स्वर में कहा। सोहनलाल कुछ पल नानिया को देखता रहा फिर प्यार से कह उठा।
जानती हो नानिया। बीती रात तुम्हारे लिए ही नहीं, मेरे लिए भी महत्त्वपूर्ण थी।”
“तुम्हारे लिए कैसे?”
रात पहली बार मुझे लगा कि मेरे पास कोई सम्पूर्ण औरत मौजूद है। मैंने रात तुम्हें भोगा नहीं, प्यार किया तुमसे।”
नानिया की निगाह सोहनलाल के चेहरे पर फिरती रही।
“मुझसे शादी करोगी?”
मैं?” नानिया का स्वर कांप उठा।
हां तुम मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं। क्या तुम्हें मंजूर
नानिया की आंखों से आंसू बह उठे। चेहरा खुशी से भर उठा।
“सच सोहनलाल। हम हम शादी करेंगे?”
“जरूर करेंगे। लेकिन यहां नहीं। ये पूर्वजन्म की दुनिया है। यहां से वापस जाना है मुझे, तुम्हें भी अपने साथ ले जाऊंगा आगे की दुनिया में। वहां मेरा घर है। उस घर में हम शादी करके रहेंगे नानिया।” सोहनलाल मुस्करा रहा था।
सोहनलाल ।” नानिया सोहनलाल से लिपट गई। सोहनलाल उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगा।
वो दुनिया कैसी है सोहनलाल?”
बहुत अच्छी। वहां हर कोई आजाद है और अपनी मर्जी कर सकता है। तुम्हें वहां पहुंचकर अच्छा लगेगा।”
चलो, हम आज ही, उस दुनिया में चल देते हैं। नानिया बोली।
सोहनलाल ने नानिया को अपने से अलग किया और कह उठा।
ये आसान नहीं।”
क्यों?
मेरे साथ रहोगी तो धीरे-धीरे समझ जाओगी। सब कुछ अभी जानने की चेष्टा मत करो।”
ओह। लेकिन तुम कालचक्र में कैसे आ फंसे?” नानिया ने पूछा।
“जथूरा की वजह से।” सोहनलाल ने गम्भीर स्वर में कहा-“जथूरा नहीं चाहता था कि हम पूर्वजन्म में पहुंचे।” ।
हम कौन?”
“बहुत सारे लोग हैं। धीरे-धीरे तुम उनके बारे में जान जाओगी। जिसे तुम मेरा सेवक कहती हो, वो मेरा दोस्त है। हम दोनों कालचक्र में फंस चुके हैं तो बाकी लोग भी सुरक्षित न होंगे। उनके सामने भी समस्याएं आ रही होंगी। एक बात बताओ नानिया।”
क्या?”
कालचक्र से बाहर कैसे निकला जा सकता है, अगर मैं अपनी दुनिया में जाना चाहूं तो?”
शायद ये बहुत कठिन काम है।” नानिया गम्भीर हो उठी।
क्यों?”
ये कालचक्र का भीतरी हिस्सा है, जहां हम मौजूद हैं। कालचक्र की ऊपरी परत मौजूद होती तो शायद बाहर निकलने की चेष्टा की जा सकती थीं। परंतु यहां से बाहर नहीं निकला जा सकता।” ।
“कल चिमटा जाति का सरदार कह रहा था कि वो एक रास्ते को जानता है, वो बाहर जाता है।”
अगर उसकी बात सच है तो कम-से-कम वो रास्ता, तुम्हारी दुनिया में नहीं जाता होगा। मेरे खयाल में ऐसा कोई रास्ता है तो वो जथूरा की जमीन पर जाकर ही खुलेगा।” नानिया ने कहा।
“जथूरा की जमीन?”
हां। क्योंकि ये कालचक्र जथूरा का है इस वक्त। पहले कभी सोबरा का हुआ करता था। सोबरा ने जथूरा को तबाह करने के लिए कालचक्र उस पर फेंका कि सतर्क जथूरा ने कालचक्र को अपने काबू में कर लिया। अब ये कालचक्र जथूरा के इशारों पर ही काम करता है। ऐसी स्थिति में कोई कालचक्र से बाहर निकलेगा तो, वो अवश्य जथूरा की जमीन पर ही पहुंचेगा। जथूरा भला क्यों चाहेगा कि उसके कालचक्र से बाहर निकलने वाला इंसान, किसी और जमीन पर पहुंचे।”
मेरे लिए ये सब नया है।”
“नया?” ।
वो देखो, चादर का हाल। खून के दो-तीन धब्बे हैं वहां। तुम्हें इसी से समझना चाहिए कि रात जो हुआ, मेरे साथ पहली बार हुआ।”
सोहनलाल मुस्करा पड़ा। “मैं भाग्यशाली निकला जो तुम मुझे मिलीं।” सोहनलाल ने कहा।
शायद। लेकिन मैं तो कब से तुम्हारा इंतजार कर रही थी। पचास बरस से ।”
“अब मैं आ गया हूँ नानिया।”
तुम चले जाओगे।”
“तुम्हें कालचक्र से बाहर निकालूंगा।” सोहनलाल ने उसका गाल थपथपाया।
उसके बाद चले जाओगे।” सोहनलाल ने नानिया को गहरी निगाहों से देखा।
नानिया की आंखों में पानी चमकता दिखाई दिया।
“तुम मत जाना सोहनलाल।” नानिया का स्वर् भीग गया।
जाना तो मुझे है ही। यहां रुक नहीं सकता।”
मैं-मैं तुम्हारे बिना कैसे रह पाऊंगी। हर वक्त तुम मुझे याद आओगे।” आंसू गालों पर आ लुढ़के।।
सोहनलाल ने उंगली से उसके गालों पर आ पहुंचे आंसुओं को साफ किया।
“जानती हो नानिया, मैंने अभी तक शादी नहीं की।”
“नहीं की?”
नहीं। लेकिन अब कर सकता हूँ।” सोहनलाल मुस्करा पड़ा।
“तुम किसी से शादी कर रहे हो सोहनलाल?”
। किससे?”
अगर वो तैयार हो जाए तो।”
वो तैयार क्यों न होगी?” नानिया ने भीगे स्वर में कहा। सोहनलाल कुछ पल नानिया को देखता रहा फिर प्यार से कह उठा।
जानती हो नानिया। बीती रात तुम्हारे लिए ही नहीं, मेरे लिए भी महत्त्वपूर्ण थी।”
“तुम्हारे लिए कैसे?”
रात पहली बार मुझे लगा कि मेरे पास कोई सम्पूर्ण औरत मौजूद है। मैंने रात तुम्हें भोगा नहीं, प्यार किया तुमसे।”
नानिया की निगाह सोहनलाल के चेहरे पर फिरती रही।
“मुझसे शादी करोगी?”
मैं?” नानिया का स्वर कांप उठा।
हां तुम मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं। क्या तुम्हें मंजूर
नानिया की आंखों से आंसू बह उठे। चेहरा खुशी से भर उठा।
“सच सोहनलाल। हम हम शादी करेंगे?”
“जरूर करेंगे। लेकिन यहां नहीं। ये पूर्वजन्म की दुनिया है। यहां से वापस जाना है मुझे, तुम्हें भी अपने साथ ले जाऊंगा आगे की दुनिया में। वहां मेरा घर है। उस घर में हम शादी करके रहेंगे नानिया।” सोहनलाल मुस्करा रहा था।
सोहनलाल ।” नानिया सोहनलाल से लिपट गई। सोहनलाल उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगा।
वो दुनिया कैसी है सोहनलाल?”
बहुत अच्छी। वहां हर कोई आजाद है और अपनी मर्जी कर सकता है। तुम्हें वहां पहुंचकर अच्छा लगेगा।”
चलो, हम आज ही, उस दुनिया में चल देते हैं। नानिया बोली।
सोहनलाल ने नानिया को अपने से अलग किया और कह उठा।
ये आसान नहीं।”
क्यों?
मेरे साथ रहोगी तो धीरे-धीरे समझ जाओगी। सब कुछ अभी जानने की चेष्टा मत करो।”
ओह। लेकिन तुम कालचक्र में कैसे आ फंसे?” नानिया ने पूछा।
“जथूरा की वजह से।” सोहनलाल ने गम्भीर स्वर में कहा-“जथूरा नहीं चाहता था कि हम पूर्वजन्म में पहुंचे।” ।
हम कौन?”
“बहुत सारे लोग हैं। धीरे-धीरे तुम उनके बारे में जान जाओगी। जिसे तुम मेरा सेवक कहती हो, वो मेरा दोस्त है। हम दोनों कालचक्र में फंस चुके हैं तो बाकी लोग भी सुरक्षित न होंगे। उनके सामने भी समस्याएं आ रही होंगी। एक बात बताओ नानिया।”
क्या?”
कालचक्र से बाहर कैसे निकला जा सकता है, अगर मैं अपनी दुनिया में जाना चाहूं तो?”
शायद ये बहुत कठिन काम है।” नानिया गम्भीर हो उठी।
क्यों?”
ये कालचक्र का भीतरी हिस्सा है, जहां हम मौजूद हैं। कालचक्र की ऊपरी परत मौजूद होती तो शायद बाहर निकलने की चेष्टा की जा सकती थीं। परंतु यहां से बाहर नहीं निकला जा सकता।” ।
“कल चिमटा जाति का सरदार कह रहा था कि वो एक रास्ते को जानता है, वो बाहर जाता है।”
अगर उसकी बात सच है तो कम-से-कम वो रास्ता, तुम्हारी दुनिया में नहीं जाता होगा। मेरे खयाल में ऐसा कोई रास्ता है तो वो जथूरा की जमीन पर जाकर ही खुलेगा।” नानिया ने कहा।
“जथूरा की जमीन?”
हां। क्योंकि ये कालचक्र जथूरा का है इस वक्त। पहले कभी सोबरा का हुआ करता था। सोबरा ने जथूरा को तबाह करने के लिए कालचक्र उस पर फेंका कि सतर्क जथूरा ने कालचक्र को अपने काबू में कर लिया। अब ये कालचक्र जथूरा के इशारों पर ही काम करता है। ऐसी स्थिति में कोई कालचक्र से बाहर निकलेगा तो, वो अवश्य जथूरा की जमीन पर ही पहुंचेगा। जथूरा भला क्यों चाहेगा कि उसके कालचक्र से बाहर निकलने वाला इंसान, किसी और जमीन पर पहुंचे।”