XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़ - Page 30 - SexBaba
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XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़

“मैं कितनी बच्ची हूँ ये तू जानती है, तभी तो मेरा साथ पाने को मरी जा रही है।” तवेरा गुस्से से कह उठी–“अब तक तो मैं इसलिए खामोश थी कि अकेली थी मैं, परंतु अब...।”

देवा-मिन्नो आ गए हैं।” महाकाली ने व्यंग्य से शब्दों को पूरा किया। ।

“हाँ। अब मैं तेरा मुकाबला करने की कोशिश तो कर ही सकती

" “नादान है, भुगतेगी।” इसके साथ ही महाकाली की परछाई गायब हो गई।

तवेरा होंठ भींचे कुर्सी से उठी और टहलने लगी।

महाकाली नहीं मानेगी।” सेविका कह उठी।

बेशक मत माने। लेकिन मैं उसका मुकाबला जरूर करूंगी।” तवेरा दांत भींचे कह उठी।

वो ताकतवर है।” तवेरा ने सेविका को देखा और पूर्ववतः स्वर में बोली।

बेशक वो ताकतवर है मुझसे। परंतु मुझे हराने के लिए उसे काफी मेहनत करनी पड़ेगी।”

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गरुड़!
पच्चीस बरस का तेज-तर्रार युवक। (जैसा कि आप सब जानते हैं कि पूर्वजन्म के लोगों की उम्र ठहर चुकी है। पूर्व उपन्यासों में इस बात को आप पढ़ चुके हैं।) चुस्त-चालाक। हर काम को जैसे जल्द पूरा कर देना चाहता हो। वो पोतेबाबा के बाद, जथूरा का सर्वश्रेष्ठ सेवक था।

गरुड़ ने महल में अपने कमरे में प्रवेश किया और ठिठक गया। एक सेवक कमरे की साफ-सफाई कर रहा था।

तुम जाओ। अभी कुछ देर मैं आराम करना चाहता हूं।” गरुड़ ने सेवक से कहा।

“जी। पोतेबाबा आपको याद कर रहे हैं।”

गरुड़ ने हौले-से सिर हिलाया।

कहां हैं वो?

” पीछे वाले हॉल में।” सेवक बोला।

उनसे कहो, मैं अभी आता हूं।”

सेवक बाहर निकल गया। गरुड़ ने दरवाजा बंद किया और कमरे में नजरें दौड़ाईं।

फिर आगे बढ़ा और अलमारी खोलकर उसने जिल्द वाली एक किताब निकाली और उसे खोला। किताब के पन्ने बीचोबीच चकोर मुद्रा में कटे हुए थे और वहां माचिस की डिब्बी के आकार का छोटा-सा यंत्र रखा था। जिस पर सफेद रंग के बटन लगे हुए थे। गरुड़ उस किताब को थामे कुर्सी पर आ बैठा और यंत्र में लगे बटनों में से एक-एक करके चार बटनों को दबाया तो यंत्र के बीच में से रोशनी निकलने लगी।

चंद पलों बाद यंत्र के बीच में बारीक-सी आवाज आई। तुमने बहुत दिनों से बात नहीं की गरुड़?”

“मैं बहुत व्यस्त था सोबरा ।” गरुड़ ने धीमे स्वर में कहा।

“तवेरा को लेकर तुम कहां तक पहुंचे?”

अभी तक मैं तवेरा को अपने प्यार के शीशे में नहीं उतार सका। मैंने कोशिश की, परंतु इन बातों की वो परवाह नहीं करती।”

“तुमने ये बताने के लिए मुझसे बात की ।” यंत्र से निकलती सबरा की आवाज में तीखापन आ गया।

“नहीं, मैं...।” ।

“गरुड़।” सोबरा की आवाज कानों में पड़ी_“मेरी खामोश कोशिश के बाद ही तुम जथूरा की नगरी में अपनी जगह बना सके हो। तुम आठ साल के थे तो तुम्हें जथूरा की नगरी में छोड़ दिया गया था। उसके बाद मेरे साथी चुपचाप तुम्हारी सहायता करते रहे। जहाँ आज तुम हो, वहां तक पहुंचाने में, मेरा ही हाथ है।”

मैं जानता हूं।”

“तुम्हें छोटा-सा काम कहा था कि तवेरा को प्रेमजाल में फंसा लो, परंतु तुम असफल रहे।

“मैं असफल नहीं हुआ। कोशिश चल रही है मेरी।”

“मुझे काम पूरा चाहिए गरुड़। इसमें तुम्हारा भला है। तुम जथूरा की नगरी के मालिक बन जाओगे तवेरा से ब्याह करके, परंतु मेरे अधीन रहोगे। मैं चाहता हूं जथूरा का सब कुछ मेरे पास आ जाए।”

“जरूर आएगा आपका सेवक ऐसा कर दिखाएगा।”

“मुझे सफल लोग पसंद आते हैं। तुम भी सफल बनो।”

अवश्य ।”

कोई और बात?”

देवा और मिन्नो आ पहुंचे हैं जथूरा की जमीन पर । महाकाली ने उन दोनों के नाम से ही तिलिस्म बांधा था।”

तब महाकाली ने सोचा था कि देवा और मिन्नो कभी भी इकट्टे नहीं हो सकेंगे। क्योंकि दोनों इस जन्म में एक-दूसरे के दुश्मन हैं। परंतु पोतेबाबा अपनी चालाकियों का इस्तेमाल करके दोनों को यहां तक ले आया है।” सोबरा की आवाज आई।

बुरा हुआ ये।”

हां। तिलिस्म टूट गया तो बुरा होगा। जथूरा आजाद हो जाएगा।”

बताइए मैं क्या करूं?” पोतेबाबा अब क्या करने जा रहा है?”

“मैं नहीं जानता। अभी पोतेबाबा से मेरी मुलाकात नहीं हुई।”

ये जानो कि वो क्या करेगा अब और मुझे बताओ।”

“ठीक है।”

देवा-मिन्नों महल तक आ गए हैं?" ।

“नहीं। अभी वे महल तक नहीं पहुंचे।”

तुम्हें सबसे पहले पोतेबाबा से मिलना चाहिए था, ताकि उसके दिल की बात जानो।”

“मैं अभी ऐसा ही करता हूं।” गरुड़ ने किताब को चेहरे के पास रखा हुआ था—“मैं कुछ कहना चाहता हूं।”

कहो।” देवा-मिन्नो को खत्म कर दें तो...।” ।

समझदारी की बातें करो गरुड़। देवा-मिन्नो पर इस वक्त जथूरा के सेवक सैटलाइट द्वारा नजर रख रहे होंगे।”

“ओह।”

“तैश में कदम मत उठाओ। संभलकर चलो।”

“ठीक है।”

पोतेबाबा की टोह लेकर मुझे बताओ और तवेरा को अपने प्यार के जाल में फंसाओ।”

“मैं ऐसा ही करूंगा।”

“करूंगा नहीं, करके दिखाओ।”

जी।”

“मुझे तुमसे बहुत आशाएं हैं गरुड़। मैंने सोच रखा है कि मेरे वारिस तुम हीं बनोगे। मैंने शादी नहीं की। औलाद नहीं है। अब अपनी औलाद का चेहरा मैं तुममें देखता हूं गरुड़। खुद को साबित करके दिखाओ।”

अवश्य।” उसके बाद किताब में फसे यंत्र में से कोई आवाज नहीं आई।

गरुड़ ने किताब बंद की और वापस अलमारी में रखकर, अलमारी बंद की।
“चेहरे पर गम्भीरता थी। आंखों के सामने तवेरा का खूबसूरत चेहरा नाच रहा था।
दरवाजा खोलकर कमरे से बाहर निकला और आगे बढ़ गया।
 
कुछ देर में ही उसने एक मीडियम साइज के हॉल में प्रवेश किया। | सजावट से भरा हॉल था ये। आरामदेह कुर्सियां लगी हुई थीं। लेटने के लिए गद्देदार बैड थे।

सामने ही पोतेबाबा एक कुर्सी पर बैठा था। गरुड़ को देखकर मुस्कराया पोतेबाबा और उठ खड़ा हुआ। | गरुड़ तब तक पास आ पहुंचा था। उसके चेहरे पर मुस्कान थी। । “ओह, पोतेबाबा, आपको सामने पाकर मुझे बहुत खुशी महसूस हो रही है। गरुड़ कह उठा।

दोनों गले मिले।

“कैसे हो मेरे बच्चे?"

गरुड अलग होता कह उठा। *आपके आशीर्वाद से मैं खुश हूं।” दोनों कुर्सियों पर बैठे।

मुझे तुम पर गर्व है गरुड़ कि तुमने मेरे पीछे से सारा काम बखूबी संभाला।” पोतेबाबा मुस्कराकर कह उठा।

क्यों न संभालूंगा। आपसे ही तो शिक्षा ली है सब कामों की ।” गरुड़ ने हंसकर कहा।

“शिक्षा तो मैने बहुतों को दी, परंतु सबसे काबिल तुम रहे।”

“मेरे बारे में आप ऐसा सोचते हैं तो मेरे लिए खुशी की बात है।” गरुड़ ने कहा।

तुमसे शिकायत भी है।”

“क्या?”

“तुमने कई बार तवेरा से मिलने की चेष्टा की, मिले भी।”

“तवेरा से मिलना मैंने जरूरी समझा।” गरुड़ सहज ढंग से कह उठा–“मैंने सोचा कि वो खुद को अकेली महसूस कर रहीं होगी। जथूरा, महाकाली की निगरानी में कैद है। आप दूसरी दुनिया में थे तो इसलिए...।” ।

“यहां के नियम के मुताबिक तवेरा से तभी मिला जा सकता है, जब वो स्वयं बुलाए।”
 
“यहां के नियम के मुताबिक तवेरा से तभी मिला जा सकता है,
जब वो स्वयं बुलाए।”

जानता हूं।”

“तो तुम्हें उसके पास नहीं जाना चाहिए था।”
“मैं तो तवेरा की बेहतरीं पूछने गया था। अंजाने में अगर मुझसे गलती हो गई हो तो मैं क्षमा चाहता हूं।” पोतेबाबा गरुड़ को देखता रहा।
मुझे क्षमा कर दीजिए पोतेबाबा।” गरुड़ पुनः बोला।
क्षमा किया।” पोतेबाबा के चेहरे पर किसी तरह का भाव नहीं था।
आपका दिल बहुत बड़ा है।” गरुड़ कह उठा।
अब सच बोलो गरुड़।” पोतेबाबा बेहद शांत स्वर में बोला–“तवेरा के लिए तुम्हारे मन में क्या है?”
गरुड़ ने पोतेबाबा को देखा। पोतेबाबा की निगाह उसके चेहरे पर थीं। बोलो।” पोतेबाबा ने शांत स्वर में कहा।

वो मुझे अच्छी लगती है।”

अच्छी से मतलब?”

मैं उससे ब्याह करना चाहता हूं।”

“तुम जानते हो कि ये सम्भव नहीं ।

” गरुड़ खामोश रहा।

“जथूरा कैद में है। तवेरा की जिम्मेवारी मुझ पर है। जथूरा यहां होता तो तुम ये बात जथूरा से कह सकते थे।”

क्या अब ये बात मैं आपसे नहीं कह सकता।”

मुझे तवेरा के ब्याह का फैसला लेने का अधिकार नहीं ।”

तवेरा को है?” ।

“अवश्य । वो अपना कोई भी फैसला लेने के लिए आजाद है

“तों मुझे तवेरा के करीब जाने का मौका मिलना चाहिए। इससे शायद मैं उसे तैयार कर सकें।”

“क्या उसके मन में तुम्हारे लिए कुछ है?”

शायद नहीं। मैं तो अपनी कोशिश कर...।”

बेहतर होगा कि अब तुम तवेरा के करीब मत जाओ।” पोतेबाबा के स्वर में आदेश के भाव थे।

ये तो ज्यादती है मेरे साथ।”

मेरी बात तुम्हें माननी पड़ेगी गरुड़।”

*आपका आदेश मैं जरूर मानूंगा।” गरुड़ ने बेहद शांत स्वर में कहा।

तुम अच्छे बच्चे हो। मैं तुम्हें पसंद करता हूं।” गरुड़ पोतेबाबा को देखकर शांत भाव में मुस्कराया। “अब हम कुछ दूसरी बातें कर लें?”

*अवश्य पोतेबाबा” गरुड़ ने सिर हिलाया—“मैं मोमो जिन्न के बारे में कुछ कहना चाहूंगा।”

“कहो।”

मैं अभी जिन्नों के महल में होकर आया हूं। वहां खबर मिली कि मोमो जिन्न लक्ष्मण दास और सपन चड्ढा को लेकर, सोबरा की जमीन की दिशा की तरफ जा रहा है। उस स्थिति में मैंने मोमो जिन्न की स्थिति का निरीक्षण किया तो पता चला कि उसके भीतर इंसानी इच्छाएं मौजूद हैं।”

पोतेबाबा मुस्कराया।
ये हैरानी की बात है कि उसके भीतर इंसानी इच्छाएं हैं।” तो तुमने क्या किया?”

तब तक मुझे आपके आ जाने की खबर मिल चुकी थी। मैंने सोचा कि इस बारे में आपसे बात कर लें। क्योंकि मोमो जिन्न जिस दूसरी दुनिया से लौटा है, वहां आप भी थे। कहीं आपने उसके भीतर इंसानी इच्छाएं किसी योजना के तहत डाली हों ।”

“तुम्हारा विचार बिल्कुल सही है। मैंने ही उसके भीतर इंसानी इच्छाएं डाली हैं।”

क्यों?” ।

ताकि वो डर जाए कि अब जथूरा के सेवक उसे मार देंगे और यहां पहुंचते ही बचने के लिए वो सोबरा की तरफ भाग जाए।”

“ये आप क्या कह रहे हैं। मोमो जिन्न् हमारा काबिल जिन्न है, उसे आप...।”

काबिल है, तभी तो उसे मोहरा बनाकर चाल चली है मैंने।”

कैसी चाल?” ।

टापू पर कमला देवी और मखानी को खत्म करना था, ताकि देवा-मिन्नो के बीच की लड़ाई रुक सके। मैं जानता था कि मोमो जिन्न के भीतर जागी इच्छाएं, उन दोनों को लड़ने से रोकेंगी। ऐसा ही हुआ। मोमो जिन्न ने सपन चड्ढा और लक्ष्मण दास के द्वारा कमला रानी और मखानी की हत्या करवा दी। उसी के बाद तों मोमो जिन्न सबको पनडुब्बी पर लेकर आया और वे यहां पहुंचे।” पोतेबाबा ने कहा।

ये आदेश तो आप मोमो जिन्न को यूं भी दे सकते थे।”
 
“जरूर दे सकता था, परंतु आगे का काम भी तो इससे लेना था। मैं चाहता था कि आगे वो स्वाभाविक तौर पर काम करे। जैसे कि वो अब कर रहा है।” पोतेबाबा गम्भीर हो गया।

मैं समझा नहीं ।”

मोमो जिन्न को सोबरा के पास पहुंचाना है।”

ऐसा क्यों?”

ताकि जथूरा को आजाद कराने के लिए, वो वहां काम कर सके।”

“जब तक उसके भीतर इंसानी इच्छाएं हैं, वो हमारे का नहीं है।” गरुड़ ने कहा। ।

“सही कहा।” पोतेबाबा ने सिर हिलाया—“परंतु जब मोमो जिन्न सोवरा की जमीन पर उसके पास पहुंच जाएगा, तब हम उसके भीतर से इंसानी इच्छाएं निकाल लेंगे।”

ओह।” गरुड़ ने समझने वाले भाव में सिर हिलाया।

उस स्थिति में मोमो जिन्न फिर जथूरा के हक में सोचने लगेगा। इधर हमने जथूरा को कैद से आजाद कराना है, परंतु सोबरा अवश्य कुछ अड़चन डालेगा जथूरा की आजादी में। तब हम सोबरा के खिलाफ काम करने का आदेश मोमो जिन्न को दे सकते हैं, क्योंकि वो तब सोबरा के पास ही कहीं पर होगा।”

“ये अच्छी चाल है।” गरुड़ मुस्कराया।

ये सब बहुत पहले सोच लिया था मैंने। तभी मोमो जिन्न में इंसानी इच्छाएं डाल दी थीं।

“ठीक किया था आपने। मुझे पता लगा कि आप देवा-मिन्नो को जथूरा की जमीन पर ले आए हैं।”

हां। इस वक्त वो हमारे इसी महल की तरफ ही आ रहे हैं। कमला रानी और मखानी उन्हें ला रहे हैं।”

“देवा-मिन्नों को यहां लाने का आपने कठिन काम कर दिखाया।”

जथूरा का हाथ मेरी पीठ पर है तो मेरा काम क्यों नहीं पूरा होगा।”

जथूरा महान है।” गरुड़ श्रद्धा भाव से बोला।

उस जैसा दूसरा कोई नहीं।” पोतेबाबा ने कहा।

“अब क्या करना है पोतेबाबा?” गरुड़ ने पूछा।

देवा-मिन्नो के यहां आने पर उन्हें सारी स्थिति स्पष्ट बताकर, जथूरा के आजाद करवाने के लिए कहा जाएगा और...।”

क्या ये जरूरी है कि वो हमारी बात मानें ।”

“मजबूरी है उनकी ।” पोतेबाबा ने गम्भीर स्वर में कहा।

वो कैसे?”

पूर्वजन्म में प्रवेश करने के बाद वो तभी वापस अपनी दुनिया में पहुंच सकते हैं, जब वो पूर्वजन्म का कोई काम सुधार दें। उसके पश्चात ही उनकी वापसी के दरवाजे खुलेंगे, वरना नहीं। वो इसी दुनिया में भटकते रहेंगे।”

“ओह।” ।

“ऐसी स्थिति में कोई दूसरा काम सुधारने के लिए, काम कहां से ढूंढेगा?”

गरुड़ ने समझने वाले भाव में सिर हिलाया।

देवा-मिन्नो को हमारी बात माननी पड़ेगी।” पोतेबाबा ने कहा।

देवा-मिन्नो जानते हैं कि पूर्वजन्म की धरती पर आने के बाद, बिगड़ा काम सुधारकर ही वे वापस जा सकते हैं?” ।

“अवश्य जानते होंगे गरुड़। क्योंकि देवा-मिन्नो कई बार पूर्वजन्म की धरती पर आ चुके हैं।”

देवा-मिन्नो कब तक महल में पहुंचेंगे?” गरुड़ ने पूछा।

आज दिन ढलने तक वो यहां होंगे।”

“मैं जग्गू और गुलचंद के बारे में बताना चाहता हूं कि वे भी सोबरा की जमीन की तरफ बढ़ रहे हैं।”

“जान चुका हूं। परंतु उनके बारे में कुछ नहीं कह सकता कि वो सोबरा के पास क्यों जा रहे हैं।”

“क्या उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया जाए?" ।

हमें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वो सोबरा के पास जा रहे हैं। हमारा काम तो देवा-मिन्नों से चल जाएगा।”

ठीक है। मैं अब चलता हूं। देवा-मिन्नो के महल में आते ही मैं आ जाऊंगा।" ।

पोतेबाबा ने गरुड़ को देखा। फिर कहा। “तवेरा से दूर रहना।”
 
“अवश्य। मैं इस बात का ध्यान रखेंगा।” गरुड बाहर निकल गया।

पोतेबाबा वहीं बैठा, सोचों में गुम रहा फिर बाहर खड़े सेवक को ऊंचे स्वर में पुकारा।।

सेवक पुनः हाजिर हुआ। “रातुला को बुलाओ।”

“जी।” कहकर सेवक चला गया।
Mmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmm

गरुड़ फौरन वापस उसी कमरे में पहुंचा और अलमारी से वो ही किताब निकालकर, उसी मंत्र द्वारा उसने सोबरा से बात की।

“कहो गरुड़।” यंत्र में से सोबरा की बारीक-सी आवाज निकली।

पोतेबाबा मोमो जिन्न को खबरी बनाकर, आपकी जमीन पर भेज रहा है।” गरुड़ ने कहा।

वो कैसे?" ।

“पोतेबाबा ने मोमो जिन्न के भीतर इंसानी इच्छाएं डाल दी हैं। मोमो जिन्न घबरा गया है कि ये बात खुलते ही उसे मार दिया जाएगा। इसलिए वो जान बचाने के लिए आपकी तरफ दौड़ा आ रहा है। चूंकि देवा-मिन्नो महल में पहुंचने वाले हैं। उनसे जथूरा पर बांधा तिलिस्म तुड़वाया जाएगा। इस दौरान पोतेबाबा, मोमो जिन्न में डाली इंसानी इच्छाएं वापस ले लेगा तो मोमो जिन्न पुनः जथूरा का सेवक बन जाएगा। तब उसे आदेश देकर, वे उससे काम ले सकते हैं।”

मैं समझ गया। ये बात तुमने मुझे बताकर अच्छा किया।”

“अब आपको सतर्क रहने की जरूरत है।”

मेरी फिक्र मत करो। तुम तवेरा को अपने प्यार में फंसाने की चेष्टा करो और सफल होने की खबर मुझे दो।”

अवश्य सोबरा।”
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रातुला आया। पोतेबाबा ने गम्भीर निगाहों से उसे देखा।

क्या बात है पोतेबाबा। मुझे क्यों बुलाया?”

बैठो। तुमसे कोई खास बात करना चाहता हूं।”

रातुला सामने पड़ी उसी कुर्सी पर जा बैठा, जहां थोड़ी देर पहले गरुड़ बैठा था।

“देवा-मिन्नों की कोई समस्या है?”

नहीं, गरुड़ के बारे में बात करना चाहता हूं।” पोतेबाबा ने हौले-से सिर हिलाया।

कहो।”

गरुड़ की नजर तवेरा पर है। उससे ब्याह करना चाहता है।”

“ओह।”

जबकि तवेरा ने गरुड़ के बारे में सोचा भी नहीं है।”

मैंने गरुड़ को इस बारे में समझाया तो वो फौरन पीछे हटने को मान गया, जबकि हकीकत में ऐसा नहीं है। मेरी अनुभवी नजरें धोखा नहीं खा सकतीं। गरुड़ का मन साफ नहीं लग रहा इस बारे मे

वों कैसे?”

मेरे कहने पर गरुड़ का पीछे हटने का रजामंद हो जाना ।”

“और ।”

“तवेरा की नजर गरुड़ पर नहीं है, परंतु गरुड़ उससे ब्याह करने की सोचे बैठा है। जथूरा का दामाद बनने का सपना देख रह्य है ताकि यहां का मालिक बन सके। बात अगर तवेरा की तरफ से भी होती तो जुदा बात थी, परंतु ये सब गरुड़ का अपना फैसला है।

और इतना बड़ा फैसला वो खुद नहीं कर सकता।”

“क्या मतलब?” ।

गरुड़ के पीछे किसी और की विचारधारा चल रही है।”
 
किसकी?”

मैं नहीं जानता।”

फिर तुमने इतनी बड़ी बात कैसे कह दी कि...।” ।

‘गरुड़ ने बेशक तरक्की की है। नीचे से उठकर आज वो जथूरा का सर्वश्रेष्ठ सेवक बन गया है, परंतु उसकी इतनी हिम्मत नहीं हो सकती कि वो तवेरा के साथ ब्याह की सोचने लगे।”

रातुला पोतेबाबा को देखता रहा। चेहरे पर सोचें रहीं। “तुम पहेलियां बुझा रहे हो।”

रातुला कह उठा। “मैंने स्पष्ट कहा है कि गरुड़ की सोचों के पीछे कोई है, परंतु मैं उसे नहीं जानता।”
रातुला ने सिर हिलाकर कहा।

मैं इसमें क्या कर सकता हूं, ये बताओ।” ।

गरुड़ पर नजर रख। ये सोचकर नजर रखो कि गरुड़ जथूरा के हक में नहीं सोचता। जथूरा कैद में है और वो उसकी आजादी की न सोंचकर, उसकी बेटी से ब्याह करने का विचार बना रहा है, ये गद्दारी नहीं तो और क्या है?” ।

रातुला ने सहमति से सिर हिलाया।

तुम्हें पता लगाना है कि गरुड़ क्यों बहक गया है।”

“मैं पता लगाऊंगा। परंतु महाकाली की परछाई पर भी नजर रखनी है मुझे ।”

वों काम छोड़ दो। उस काम पर मैं अभी किसी दूसरे को लगा देता हूं।”

“क्या तुम्हारी बातों से गरुड़ को कोई शक हुआ कि तुम उस पर शक कर रहे हो ।”

ऐसा कुछ नहीं है। वो निश्चिंत है।” ।

मुझे हैरानी होगी अगर गरुड़ वास्तव में बहक गया है तो।” रातुला उठते हुए बोला—“तवेरा से बात की इस बारे में?”

मैं अभी तवेरा के पास ही जा रहा हूं। तवेरा का बुलावा आया है। बात करूंगा उससे । तुम गरुड़ के बारे में असल बात जानों और मुझे खबर दो। हो सकता है कि मेरी सोचें ही गलत हों।”

जथूरा महान है।” रातुला ने कहा।

“उस जैसा दूसरा कोई नहीं।” पोतेबाबा ने हाथ उठाकर कहा। रातुला बाहर निकल गया।

पोतेबाबा तवेरा के महल में उसके कमरे में पहुंचा। तवेरा को पहले ही पोतेबाबा के आने की खबर मिल चुकी थी।

“जथूरा महान है।” पोतेबाबा ने भीतर प्रवेश करके कहा

“उस जैसा दूसरा कोई नहीं ।”
“मैं कब से आपका इंतजार कर रही थी।” तवेरा ने सामान्य स्वर में कहा।

“सब खैर तो है मेरी बच्ची?” पोतेबाबा बोला।

मालूम पड़ा कि आप देवा और मिन्नो को ले आए हैं।”

“हां, मेरी बच्ची। देवा-मिन्नो जथूरा की जमीन पर आ पहुंचे

“तों देवा-मिन्नो वो तिलिस्म तोड़ देंगे जो महाकाली ने उन दोनों के नाम पर बांधा है।”

“आशा तो यही है मेरी बच्ची ।” ।

मैंने महाकाली से बात की, परंतु वो पिताजी को आजाद करने को तैयार नहीं है।” ।

“वो सोबरा के एहसानों के तले दबी हुई है। इसलिए वो सोबरा के कहने पर, जथूरा को कैद में रखे हुए है। वो तेरी बात नहीं मानेगी। वो जथूरा को आजाद नहीं करेगी।” पोतेबाबा ने कहा।

“अगर मैं उसका साथ देने को तैयार हो जाऊं तो वो पिताजी को आजाद करने को कहती है।”

वो झूठ कहती है।” पोतेबाबा ने सिर हिलाया।

कैसे?” तवेरा की निगाह पोतेबाबा पर जा टिकी ।
 
तुम अगर उसकी ये बात मान जाओ तो वो कोई दूसरी समस्या खड़ी कर देगी। सोबरा की इजाजत के बिना वो जथूरा को कैद से आजाद नहीं करेगी। ये तो उसने यूं ही बहाना बना रखा है तुम्हारा।

ऐसा मेरा सोचना है। परंतु तुम उसे कभी भी हां मत कहना कि तुम उसके कामों में, उसका साथ दोगी।”

“मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं है।” तवेरा गम्भीर स्वर में बोली-“मैंने पिताजी से बात की है, वो कैद में बहुत परेशान हैं और फौरन आजाद होने की इच्छा रखते हैं।”

इसी कोशिश में तो देवा और मिन्नो को यहां लाया गया है।”

“मैं देवा-मिन्नो के साथ रहना चाहूंगी।”

क्यों?

“क्योंकि मैं इस काम में उनकी सहायता कर सकती हूं। जादूगरनी महाकाली ने तरह-तरह के जाल बिछा रखे होंगे। मैं उन जालों से उन्हें बचा सकती हूं। तंत्र-मंत्र की विद्या में मैं पूरी तरह निपुण हूं।”

ये तुमने ठीक कहा।”

परंतु मन में आशंका है कि देवा-मिन्नो ने ये काम करने से इनकार कर दिया तो?” ।

ये बात मुझ पर छोड़ दो। मैं सब ठीक कर लूंगा।”

“मुझे आपका ही सहारा है।”

मैं अंत तक तेरे साथ हूँ मेरी बच्ची।” पोतेबाबा ने कहा-“मैं गरुड़ के बारे में कुछ पूछना चाहता हूं।”

पूछिए।”

गरुड़ का झुकाव तुम्हारी तरफ है। मेरी उससे बात हुई है। वो तुमसे ब्याह करने की सोच रहा है।” उसका झुकाव और उसकी सारी सोच एकतरफा ही हैं।” तेरी तरफ से कोई बात नहीं है इस बारे में?”

“नहीं। मैंने तो कभी गरुड़ के बारे में सोचा भी नहीं।” तवेरा ने कहा-“कुछ होता तो मैं आपसे अवश्य कहती।”

“यही मैं जानना चाहता था।”

“मुझे पिताजी की आजादी की चिंता है।”

“मुझे तुमसे ज्यादा है। जब से सोबरा ने जथूरा को कैद किया है मेरे कंधों पर बोझ ज्यादा बढ़ गया है। मेरी सोचों को कुछ पल के लिए भी आराम नहीं मिलता। जथूरा आकर अपने काम संभाले तो मैं आराम करूं।” ।

“देवा-मिन्नों के महल में आ जाने पर मुझे खबर देना। मैं भी बातचीत में शामिल होऊंगी।”

“अवश्य मेरी बच्ची। देवा-मिन्नो के आते ही मैं तुम्हें खबर कर दूंगा।”
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रातुला ने उस कमरे की तलाशी ली, जिसे गरुड़ इस्तेमाल करता था। | अलमारी में रखी वो किताब उसे मिली जिसके भीतर वो यंत्र छिपाकर रखा था।

उस यंत्र पर नजर पड़ते ही रातुला की आंखें सिकुड़ीं।

रातुला उस यंत्र को पहचानने की भूल नहीं कर सकता था। ऐसा यंत्र पहले भी जथूरा के दो सेवकों के पास से बरामद हो चुका था। जिन्होंने इस बात को स्वीकार किया था कि इस यंत्र के द्वारा वे सोबरा से बात करते हैं। उन्हें यहां की खबरें देते हैं। तो क्या गरुड़ भी जथूरा की खबरें सोबरा को देता है? गरुड़ क्या सोबरा का खबरी है? ‘नहीं, ये नहीं हो सकता। रातुला बड़बड़ा उठा। परंतु उस यंत्र को वो झुटला भी नहीं सकता था।

रातूला ने यंत्र वाली किताब वैसे ही अलमारी में वापस रखी और अलमारी, फिर कमरा बंद करके बाहर निकल गया। उसका मस्तिष्क उलझा हुआ था।

गरुड़ सोबरा का खबरी था। जासूस था। परंतु गरुड़ का रुतबा देखकर, ये बात विश्वास करने को मन नहीं कर रहा था।
रातुला पीछे वाले हॉल में पहुंचा। पोतेबाबा वहां नहीं था। रातुला ने सेवक से कहा।
पोतेबाबा को खबर भेजो कि मैं उससे मिलना चाहता हूं।” सेवक चला गया।

रातुला उसी हॉल में रहा। हर पल उलझन और परेशानी में रहा।
पोतेबाबा का इंतजार करता रहा। तीन घंटे बाद पोतेबाबा वहां पहुंचा।
जथूरा महान है।” पोतेबाबा कह उठा।

उस जैसा दूसरा कोई नहीं।” रातुला ने उठते हुए कहा। पोतेबाबा की नजरें रातुला के चेहरे पर थीं।

तुमने आने में बहुत देर लगा दी।” रातुला ने कहा।

तवेरा से मिलने के बाद, कुछ कामों में व्यस्त हो गया था। फिर भी मैं जल्दी ही आ गया। तुम परेशान क्यों हो?”

बात ही कुछ ऐसी है।”

गरुड़ के बारे में?”

हो ।”

कहो।” पोतेबाबा ने गहरी सांस ली।

क्या तुम इस बात पर यकीन करोगे कि गरुड़ सोबरा का खबरी है।”

पोतेबाबा चौंका।

यकीन नहीं हुआ?”

“अगर तुम कहोगे तो मैं अवश्य यकीन करूंगा।” पोतेबाबा ने गम्भीर स्वर में कहा। | रातुला ने पोतेबाबा को उस अलमारी में मौजूद किताब में छिपा रखे यंत्र के बारे में बताया।

सुनते ही पतेबाबा कह उठा। इसमें कोई शक नहीं कि सोबरा के लोग ही वो यंत्र इस्तेमाल करते हैं।”

“इसका मतलब गरुड़, यहां की खबरें सोबरा को देता रहता है।” रातुला ने कहा।

पोतेबाबा बेहद गम्भीर दिखने लगा।

“शायद यकीन करने को मन नहीं कर रहा?” रातुला धीमे स्वर में कह उठा।

मुझे यकीन आ गया है।”

इतनी जल्दी...कैसे?”

अब सोचता हूं कि हमारी चालें सोबरा को कैसे पता चल जाती हैं। क्यों वो हमें हरा देता है। स्पष्ट है कि गरुड़ ही उन चालों के बारे में सोबरा को बताता रहा है। जो बातें हम बड़ों के अलावा कोई नहीं जानता, वो सोबरा कैसे जान जाता है। मैं हमेशा परेशान होता था ये सोचकर परंतु आज मुझे जवाब मिल गया कि गड़बड़ कहां से हुई।”
 
गरुड़ ने हमें बहुत बड़ा धोखा दिया।” रातुला बोला।

“यकीनन ।” पोतेबाबा शांत और गम्भीर नजर आ रहा था। दोनों के बीच चुप्पी रही।

फिर रातुला ही बोला। क्या सोच रहे हो पोतेबाबा?”

तुमने बहुत अच्छा काम कर दिया। सोबरा गरुड़ द्वारा बहुत बड़ा षड़यंत्र रच रहा है। सोबरा जथूरा की नगरी को अपने कब्जे में लेना चाहता है। तभी तो गरुड़ की नजर तवेरा पर है। यकीनन गरुड़ सोबरा के कहने पर चल रहा है। मैंने तो पहले ही कहा था कि गरुड़ में इतना हौसला नहीं कि वो तवेरा से ब्याह के बारे में सोच सके।”

अब क्या किया जाए?” पोतेबाबा ने रातुला को देखा और खामोशी से टहलने लगा। रातुला पोतेबाबा को देखता रहा। वहां खामोशी लम्बी होने लगी तो रातुला ने कहा। गरुड़ को बेहद सख्त सजा दी जानी चाहिए पोतेबाबा ।”

पोतेबाबा ने रातुला को देखा।

“उसने जथूरा को धोखा दिया है। नगरी में इससे बड़ा जुर्म कोई दूसरा नहीं है। उसे सजा-ए-मौत दी जाए।”

पोतेबाबा बरबस ही मुस्करा पड़ा।

“मुस्करा क्यों रहे हो?” रातुला ने पूछा।

गरुड़ को सजा-ए-मौत देने से हमें क्या फायदा?”

“फायदा?”

हां। हमें वो ही काम करना चाहिए, जिससे कि हमें भी फायदा हो। जथुरा के हक में अच्छा हो।”

“मैं समझा नहीं।” रातुला ने उलझन्-भरे स्वर में कहा-“तुम किस फायदे की बात कर रहे हो?”

“सोबरा गरुड़ को हथियार बनाकर फायदा उठाता रहा, अब हम भी थोड़ा-सा फायदा उठा लेते हैं।”

कैसे?”

गरुड़ को हम वो ही खबरें देंगे, जो हम सोबरा को बताना चाहेंगे।”

ओह–समझा।” रातुला ने सिर हिलाया।

गरुड़ से हमने बहुत धोखा खाया, कुछ धोखा गरुड़ को भी देना चाहिए। रही बात गरुड़ की सजा की तो वो हमारे हाथ में ही है। हम कभी भी गरुड़ को सोबरा का खबरी होने की सजा दे देंगे, परंतु सबसे पहले तुम एक काम करो रातुला ।”

“क्या?”

किसी को गरुड़ के उस कमरे में छिपा दो। हमें इस बात की पूरी तसल्ली कर लेनी चाहिए कि गरुड़ सोबरा को यहां की खबरें दे रहा था। जिसे वहां छिपाओ, उसे सब समझा देना।”

मैं ऐसा ही करूंगा।” ।

“गरुड़ की असलियत जानकर मुझे दुख पहुंचा।” पोतेबाबा ने गम्भीर स्वर में कहा।

“मुझे भी।” रातुला ने सिर हिलाया।

पोतेबाबा ठिठका। सोच रहा था वों।
कैसी खबरें देंगे गरुड़ को कि वो सोबरा को बताए?”
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सोबरा गरुड़ के द्वारा, जथूरा की जमीन का मालिक बनना चाहता है। तभी तो सोबरा के कहने पर, गरुड़ तवेरा के करीब जाने की चेष्टा में है। उससे ब्याह करना चाहता है तो सबसे पहले हम ये बात तवेरा को बताकर कहेंगे कि वो भी गरुड़ के साथ प्यार का नाटक करे और जो खबरें देने को कहूं, वो उसे दे।”

ये ठीक कहा।”

सोबरा कभी नहीं चाहेगा कि जथूरा कैद से आजाद हो। इसलिए उसे गरुड़ से हमारे खिलाफ काम करवाना पड़े तो वो जरूर करवाएगा। परंतु गरुड़ द्वारा उसे गलत खबरें मिल रही होंगी तो सोबरा अवश्य मात खा जाएगा।”\\

पोतेबाबा ने कठोर स्वर में कहा-“अब सोबरा वो ही सोचेगा, जो हम चाहेंगे। हमारी चालें सोबरा की सोचों को बदल देंगी।”

रातुला ने सिर हिलाया।।

परंतु मैं अपनी एक चाल गरुड़ को बता चुका हूं। वो गलत हुआ।”

कैसी चाल?”

मोमो जिन्न के बारे में । जो सोबरा की जमीन की तरफ जा रहा है। उसमें मोमो जिन्न का जीवन खतरे में पड़ जाएगा। सोबरा उसे कैद कर लेगा या मार देगा। जबकि मोमो जिन्न बेहद काबिल जिन्न है। उसे बचाना होगा।”

| कैसे?”

“वो मैं ठीक कर लूंगा।” पोतेबाबा ने सिर हिलाया—“तुम उस कमरे में किसी को छिपा दो कि जब गरुड़ सोबरा से उस यंत्र के द्वारा बात करे तो उसकी बातें सुनकर, उसके गद्दार होने का यकीन हमारा पूरी तरह विश्वास में बदल सके।”

ये इंतजाम मैं अभी करता हूं।”

शेष बातें फिर करेंगे।”

रातुला वहां से चला गया। | पोतेबाबा भी बाहर निकला और तेजी से एक तरफ बढ़ गया। उसके चेहरे पर सख्ती के भाव थे। माथे पर बल नजर आ रहे थे। सात-आठ मिनट चलने के बाद पोतेबाबा ने उस कमरे में प्रवेश किया, जहां बीस से ज्यादा कम्प्यूटर और स्क्रीनें चमक रही थीं। लाल वर्दी पहने जथूरा के सेवक हर तरफ व्यस्त नजर आ रहे थे।

पोतेबाबा कुर्सी पर बैठे एक सेवक के पास पहुंचा। काम में व्यस्त सेवक उस पर नजर मारते ही कह उठा। “जथूरा महान है।”

उस जैसा कोई दूसरा नहीं।” पोतेबाबा ने कहा-“फौरन इस काम को करो। मोमो जिन्न का सॉफ्टवेयर चालू करो और उसमें मौजूद इंसानी इच्छाओं को हटा दो।” ।

“ओह! मोमो जिन्न् में इंसानी इच्छाएं डाल दी गई थीं।” वो सेवक बोला।

“तब ऐसा करना जरूरी था। अब उन इच्छाओं को हटा देना जरूरी है।” पोतेबाबा ने कहा।

“मैं अभी इस काम पर लग जाता हूं।” सेवक बोला।।
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मोमो जिन्न, लक्ष्मण दास और सपन चड्ढा तेजी से आगे बढ़े जा रहे थे। जंगल खत्म होने को था। सामने खुश्क पहाड़ नजर आने लगे थे, जो कि धूप में तपते से लग रहे थे।

“इसी तरह चलता रहा तो मैं मर जाऊंगा।” लक्ष्मण दास ने कहा और वहीं नीचे बैठ गया।

मोमो जिन्न और सपन चड्ढा ठिठके। पलटे।

थोड़ा सा और चल ले।” मोमो जिन्न प्यार से कह उठा।

“मेरी ये उम्र भाग-दौड़ की नहीं है। लक्ष्मण दास हाथ हिलाकर बोला।

“बात समझ यार ।” मोमो जिन्न ने खुशामद भरे स्वर में कहा—“सोबरा की जमीन पर पहुंचकर हम सुरक्षित हो जाएंगे। जथूरा के सेवकों ने हमारी स्थिति भांप ली तो, वो हमें सोबरा की जमीन पर नहीं पहुंचने देंगे। उन्हें पता चल गया कि मुझमें इंसानी इच्छाएं आ गई हैं तो वो मुझे मार देंगे।”

लक्ष्मण दास कुछ नहीं बोला।

“तू मेरा यार नहीं है।” मोमो जिन्न ने कहा।

थकान से मेरी टांगें कांप रही हैं।” लक्ष्मण दास मरे स्वर में बोला–“गर्मी से जान निकली जा रही है।”

“मेरी खातिर, अपनी खातिर, सोबरा से कहकर मैं तुमकों वापस तुम्हारी दुनिया में भिजवा दूंगा। यहां से उठो। आधे से ज्यादा रास्ता पार हो गया है। शाम तक हम सोबरा की जमीन पर होंगे।”

“मैं भी थक गया हूं।” सपन चड्ढा ने कहा और जमीन पर जा बैठा।

“तुम दोनों मुझे मुसीबत में डाल दोगे।” मोमो जिन्न मुंह बनाकर कह उठा–“मैं नहीं बनूंगा।” ।

“हमें अपने साथ लाना ही नहीं चाहिए था।” सपन चड्ढा ने कहा।

तुम दोनों को साथ न लाता तो, फिर मेरा काम ही क्या था। वापस जाता तो वो मेरा परीक्षण करके, मेरे शरीर में आ चुकी इच्छाओं के बारे में जानते और मुझे मार देते। तुम दोनों के कारण ही तो...।”

अब हमें आराम करने दो।”

मैं तो नींद लूंगा।” लक्ष्मण दास सच में बहुत थका हुआ था।

मेरे लिए तो मुसीबत खड़ी हो गई।” मोमो जिन्न ने आसपास नजरें घुमाईं–“ये दोनों बेवकूफ हैं, हालातों को समझते नहीं हैं कि जथूरा के सेवक हमारे लिए खतरा खड़ा कर देंगे।” |

“देवराज चौहान, मोना चौधरी, बाकी लोग अब कहां होंगे?” सपन चड्ढा ने पूछा।

“मुझे क्या पता?”

“तुम जिन्न हो। पता कर सकते...।” ।

मैं अपनी ताकतों का इस्तेमाल करूंगा तो उन्हें सिग्नल मिल जाएगा कि मैं किस दिशा में हूं। मुझे खामोश रहना होगा।”

“तुम कैसे अजीब जिन्न हो, जो जथूरा के सेवकों से डरते हो ।”

“जथूरा का सेवक हूं मैं, मुझ पर अधिकार कर रखा है उसने । वो मेरा मालिक है। मुझे उससे डरना पड़ता है।”

लक्ष्मण दास और सपन चड्ढा की नजरें मिलीं।
ये बेकार का जिन्न है।”

कैसा भी जिन्न है, हमें तो इसने फंसा दिया।”

ऐसा मत सोचो। ऐसा मत कहो। मैं तुम दोनों का यार हूं। तुम्हारा भला कर रहा...”

हमारा भला कर रहा है या अपना ।” सपन चड्ढा ने तीखे स्वर में कहा।

“तुम दोनों मेरा विश्वास कभी नहीं करते। जबकि मैं तुम्हारे साथ कितने प्यार से पेश आता हूं। लामा जिन्न होता मेरी जगह तो अब तक तुम दोनों की हालत बिगाड़ चुका होता। मेरी शराफत का फायदा उठा...।”

“तू और शरीफ।” सपन चड्ढा ने बड़े तीखे स्वर में कहा-“तू तो...।”

सपन चड्ढा के शब्द अधूरे ही रह गए। उसने मोमो जिन्न के चेहरे के भाव बदलते देखे। लक्ष्मण दास की निगाह भी उस पर टिक गई। \

तभी मोमो जिन्न ने गहरी सांस ली और दोनों को देखा। अगले ही पल उसकी गर्दन इस तरह टेढ़ी हो गई जैसे किसी की बात सुन रहा हो। आंखें बंद हो गई थीं इस दौरान उसकी।

जथूरा के सेवकों की तरफ से इस हरामी को नया ऑर्डर मिल रहा होगा।” सपन चड्ढा बोला।

“मुझे तो भूख लग रही है।”

मुझे भी, लेकिन यहां खाने को क्या मिलेगा?”

मोमो जिन्न उसी मुद्रा में समझने वाले ढंग में सिर हिला रहा था। फिर मोमो जिन्न सामान्य अवस्था में आ गया और उन्हें देखा।

अब क्या कहा जथूरा के सेवकों ने?”

तुम कौन होते हो पूछने वाले।” मोमो जिन्न तेज स्वर में बोला।

“क्या मतलब?” ।

“अपनी औकात में रहो।”

“तुम...तुम हमें औकात में रहने को कह रहे हो।” सपन चड्ढा के माथे पर बल पडे।।

होश में रहो, जिन्न के ज्यादा मुंह नहीं लगते।”

तुम पागल तो नहीं हो गए।”

तुम घटिया जाति के मनुष्य, सर्वश्रेष्ठ जिन्न को पागल कहते हो।” मोमो जिन्न ने कठोर स्वर में कहा “मैं तुम दोनों को अभी मिट्टी में मिला दूंगा। मेरे सामने जुबान मत चलाओ।” |

लक्ष्मण दास और सपन चड्ढा की नजरें मिलीं। चेहरे पर हैरानी थी।
इसे क्या हो गया है?” पागल हो गया लगता है।”

मोमो जिन्न के होंठों से हुंकार निकली।
जिन्न को पागल कहते हो। जबकि जिन्न कभी भी पागल नहीं होता।”

“तेरे को हो क्या गया है?”

“मैं...मुझमें ।” मोमो जिन्न एकाएक नजरें चुराता कह उठा–“से इंसानी इच्छाएं निकल गई हैं।”

“तो तुम फिर से असली जिन्न बन गए।” लक्ष्मण दास हड़बड़ाया।

*असली-नकली क्या होता है।” मोमो जिन्न ने कठोर स्वर् में कहा।।

यार तुम तो हमारे यार हो ।”

“यार ।” मोमो जिन्न के होंठों से हुंकार निकली—“लगता है तुम लोग शिष्टता भूल गए ।”

“शिष्टता?” लक्ष्मण दास, सपन चड्ढा ने एक-दूसरे को देखा।

ये अब वो नहीं रहा।” बुरे फंसे ।”

अब हमारा क्या होगा?”

क्यों मोमो जिन्न। अब हमारा क्या होगा?” लक्ष्मण दास ने मोमो जिन्न से पूछा।

“तुम दोनों मेरे गुलाम हो।”

वों दोस्ती वाली बात ख़त्म हो गई?”

“जिन्न किसी का दोस्त नहीं होता। जिन्न या तो मालिक होता है या गुलाम होता है।”

हमारा क्या होगा?”

इस बारे में जथूरा के सेवक हुक्म देंगे।”

हममें जो पहले बात हुई थी, वो सारी खत्म?”

तब की बात दूसरी थी। तब मेरे में किसी ने इंसानी इच्छाएं डाल दी थीं ।”
 
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