desiaks
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“ठीक कहते हो। ये पहला मौका है।” सोहनलाल ने गहरी सांस ली।।
“मुझे लगता है कि तुम्हारा सेवक तुम्हें ठीक से इज्जत नहीं देता।” नानिया बोली।
“हां, मैंने इसे ज्यादा सिर पर चढ़ा रखा है।” वे सब तेजी से आगे बढ़ते जा रहे थे। जंगल घना हो चुका था।
तुम धुआं नहीं उड़ा रहे।” नानिया ने चलते-चलते सोहनलाल को देखा।
उड़ाऊ क्या?” “हां, तुम्हारा धुआं उड़ाना मुझे अच्छा लगता है। नानिया ने प्यार से कहा।
सोहनलाल ने सिग्रेट सुलगाकर कश लिया।
“ओह।” नानिया ने गहरी सांस ली–“इस धुएं की खुशबू कितनी अच्छी है।”
ये तुम्हें डुबो देगी।” जगमोहन ने कहा। “तुम ऐसा क्यों कहते हो सेवक।” नानिया ने जगमोहन को
देखा।।
मैं पागल हूं, इसलिए ।”
कभी-कभी तुम मुझे पागल ही लगते...।”
तभी आगे चलता कोचवान ठिठक गया। सब टिके।। उनके कानों में घोड़े की टापों की आवाज़ पड़ी। सबकी नजरें इधर-उधर घूमने लगीं।
जगमोहन ने ये बात फौरन महसूस कर ली कि वो एक ही घोड़े की टापों की आवाज है।
एक घोड़ा है।” सोहनलाल ने जगमोहन को देखा।
नानिया का कोई साथी होगा।” जगमोहन बोला।
“तुमने मेरा नाम लिया।” नानिया का स्वर कठोर हो गया—“सब मुझे रानी साहिबा कहते हैं।”
“कहते होंगे। मैं तुम्हारा सेवक या तुम्हारी जागीर का हिस्सा नहीं हूं।” जगमोहन बोला।
बहुत बदतमीज हो तुम।” ।
“मेरे सेवक को कुछ मत कहो।” सोहनलाल बोला।
ठीक है, तुम कहते हो तो, नहीं कहती। मैं अपने सोहनलाल को खुश रचूंगी। जो तुम चाहोगे, वही करूंगी।”
क्या कहने।” जगमोहन व्यंग से कह उठा। घोड़े की टापों की आवाज करीब आ गई थी। वो सब वहीं खड़े नज़रें घुमाते रहे। तभी कोचवान बोला।
खतरा है।” ।
ये तुमने कैसे कहा कोचवान?”
रानी साहिबा। मैं अपने घोड़ों की टापों की आवाज पहचानता हूं। ये हमारे घोड़े की टापों की आवाज नहीं है।”
तुम्हें धोखा भी हो सकता है।”
नहीं रानी साहिबा। अपनी बात पर मुझे भरोसा है।
” वों रहा।” तभी जगमोंन कह उठा। पेड़ों के बीच में से वो घुड़सवार पचास कदम दूर नजर आ रहा था। वहां आकर उसने घोड़ा रोक लिया था।
ये...ये तो बोगस है।” नानिया के होंठों से निकला-अपने आदमियों को वहां मुकाबले के लिए छोड़ आया है और मुझे ढूंढ़ने के लिए जंगल तक आ गया।” नानिया के शब्दों में कठोरता आ गई। थी।
“मुझे लगता है कि तुम्हारा सेवक तुम्हें ठीक से इज्जत नहीं देता।” नानिया बोली।
“हां, मैंने इसे ज्यादा सिर पर चढ़ा रखा है।” वे सब तेजी से आगे बढ़ते जा रहे थे। जंगल घना हो चुका था।
तुम धुआं नहीं उड़ा रहे।” नानिया ने चलते-चलते सोहनलाल को देखा।
उड़ाऊ क्या?” “हां, तुम्हारा धुआं उड़ाना मुझे अच्छा लगता है। नानिया ने प्यार से कहा।
सोहनलाल ने सिग्रेट सुलगाकर कश लिया।
“ओह।” नानिया ने गहरी सांस ली–“इस धुएं की खुशबू कितनी अच्छी है।”
ये तुम्हें डुबो देगी।” जगमोहन ने कहा। “तुम ऐसा क्यों कहते हो सेवक।” नानिया ने जगमोहन को
देखा।।
मैं पागल हूं, इसलिए ।”
कभी-कभी तुम मुझे पागल ही लगते...।”
तभी आगे चलता कोचवान ठिठक गया। सब टिके।। उनके कानों में घोड़े की टापों की आवाज़ पड़ी। सबकी नजरें इधर-उधर घूमने लगीं।
जगमोहन ने ये बात फौरन महसूस कर ली कि वो एक ही घोड़े की टापों की आवाज है।
एक घोड़ा है।” सोहनलाल ने जगमोहन को देखा।
नानिया का कोई साथी होगा।” जगमोहन बोला।
“तुमने मेरा नाम लिया।” नानिया का स्वर कठोर हो गया—“सब मुझे रानी साहिबा कहते हैं।”
“कहते होंगे। मैं तुम्हारा सेवक या तुम्हारी जागीर का हिस्सा नहीं हूं।” जगमोहन बोला।
बहुत बदतमीज हो तुम।” ।
“मेरे सेवक को कुछ मत कहो।” सोहनलाल बोला।
ठीक है, तुम कहते हो तो, नहीं कहती। मैं अपने सोहनलाल को खुश रचूंगी। जो तुम चाहोगे, वही करूंगी।”
क्या कहने।” जगमोहन व्यंग से कह उठा। घोड़े की टापों की आवाज करीब आ गई थी। वो सब वहीं खड़े नज़रें घुमाते रहे। तभी कोचवान बोला।
खतरा है।” ।
ये तुमने कैसे कहा कोचवान?”
रानी साहिबा। मैं अपने घोड़ों की टापों की आवाज पहचानता हूं। ये हमारे घोड़े की टापों की आवाज नहीं है।”
तुम्हें धोखा भी हो सकता है।”
नहीं रानी साहिबा। अपनी बात पर मुझे भरोसा है।
” वों रहा।” तभी जगमोंन कह उठा। पेड़ों के बीच में से वो घुड़सवार पचास कदम दूर नजर आ रहा था। वहां आकर उसने घोड़ा रोक लिया था।
ये...ये तो बोगस है।” नानिया के होंठों से निकला-अपने आदमियों को वहां मुकाबले के लिए छोड़ आया है और मुझे ढूंढ़ने के लिए जंगल तक आ गया।” नानिया के शब्दों में कठोरता आ गई। थी।