XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका - Page 17 - SexBaba
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XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका

उन्होंने शर्मा कर अपना सिर हिला कर अपनी सहमती जतायी, मैं कमरे से बाहर निकल कर रसोई में गया और दो कप चाय बनाने लगा, जब मैं चाय बना कर वापस आया तो वो मेरे लैपटॉप से नंगी क्लिप्स कॉपी कर रही थी और लैपटॉप स्क्रीन पर एक क्लिप चालू थी जिसमें एक औरत कईं मर्दों से एक साथ चुदवा रही थी... उन्होंने जब मुझको देखा तो जल्दी से क्लिप बंद करना चाहा, जल्द्बाज़ी में क्लिप बंद नहीं हुईं,

वो घबरा गयी और शरम के मारे नज़रें झुका लीं, मैंने आगे बढ़ कर चाय मेज पर रखी और उनके कँधों को पकड़ कर उनको कुर्सी से उठाया, वो जोर लगा कर मेरा हाथ हटाना चाहती थी, लेकिन मैंने भी जोर लगा कर उनको कुर्सी से उठा लिया, वो मेरे सामने नज़रें झुकाये खड़ी हो गयी, मैं उनको खींच कर अपने पास ले आया और उनको अपनी बाँहों में भर कर जकड़ लिया, उनका शरीर काँप रहा था और उनकी साँसें उखड़ रही थी, मैंने उनकी गर्दन और कान के पीछे किस कीया और उनके कान पर मुँह लगा कर धीरे से कहा,
रेशु- “आंटी आप बहुत ही सुंदर हो, क्या आपको मालूम है कि मैं हमेशा तुम्हारे बारे में ही सोचता हूँ? आप मेरे सपनों में हमेशा आती हो और आप ही मेरे सपनों की रानी हो, मैं आपसे प्यार करता हूँ,”

इसके साथ मैंने उनके कान को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया और वो मेरी बाँहों में खड़ी-खड़ी काँप रही थी, मैंने उनके चेहरे को अपने हाथों से ऊपर किया, वो बहुत शर्मा रही थी और उनकी आँखें बंद थीं और उनके होंठ आधे खुले थे,

मैंने अपने होंठ उनके होंठों पर रख दिए और उनके मुँह में अपनी जीभ डाल दी और उनको फिर से अपनी बाँहों में भर कर भींच लिया, उन्होंने अपने चेहरे से अपने हाथों को हटा कर मुझे जकड़ लिया और अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी, मैंने अपना दाँया हाथ उनके गांड पर ले जा कर उनको अपने और पास खींच लिया, मेरा लंड अब तक पूरी तरह से कड़क हो गया था और उनकी जाँघों के अंदर घुसना चाह रहा था, उन्होंने मेरी जीभ को अपने दाँतों तले हल्का सा काट लिया और अपने होंठ मेरे होंठों से हटा कर मेरी गरदन पर रखे और वहाँ हल्के से दाँत गड़ कर काँपती हुई आवाज में बोली,
आंटी- “अगर तुम्हारी चाची को यह बात पता चल गयी तो?”

मैं उनके गालों को चूमते हुए बोला,
रेशु- “हम यह बात किसी से भी नहीं कहेंगे, आंटी मैं आपको कब से प्यार करना चाहता हूँ,”

मैंने अब फिर से उनके मुँह में अपनी जीभ डाल दी और वो मेरी जीभ को चूसने लगी, थोड़ी देर मेरी जीभ को चूसने के बाद वो मुझसे बोली,
आंटी-“हाँ, मैं भी तुमको कईं दिनों से चाहती हूँ,”

रेशु-“तुम मुझसे क्यों डरती हो”
मैंने उनसे पूछा,

आंटी- “नहीं तो…!”
उन्होंने उत्तर दिया,

मैंने अपना दाँया हाथ उनकी चूंची पर रखते हुए कहा,

रेशु- “मुझे मालूम है, आप मुझसे क्यों डरती हो, आपको डर इस बात का है मैं आपको चोद दुँगा,” मैंने कुछ चुप रहने के बाद उनसे कहा,

रेशु- “क्या मैं सही बोल रहा हूँ?”

वो एक लम्बी साँस लेने के बाद अपना सिर हिला कर हाँ बोली,

रेशु- “क्या मैं आपको चोद सकता हूँ?”
मैंने उनसे कहा और उनके बॉब्स को जोर से दबा दिया,

वो एक आह भरते हुए मुझसे बोली,
आंटी- “नहीं रेशु, ये ठीक नहीं है,”

मैंने उनकी बॉब्स और जोर से दबा कर पूछा,
“क्यों? क्यों ठीक नहीं है?”

आंटी ने तब मेरे कान को अपने मुँह में लिया और हल्का दाँत लगाया,
आंटी- “जरा धीरे से दबाओ, मुझको दर्द हो रहा है,”

रेशु- “क्यों ठीक नहीं है?”
मैंने फिर से पूछा,

आंटी- “क्योंकि मैं शादीशुदा हु”

वो अपनी सैक्सी आवाज में मुझसे बोली, मैंने अपना हाथ उनके ब्लाउज़ में डाल कर उनके बॉब्स को पकड़ कर मसलना शुरू किया, उनके बॉब्स बहुत सख्त थे और उनके निप्पल खड़े थे,

रेशु- “हाय आंटी, प्यार करने वाले भी चुदाई कर सकते हैं”
मैंने उनके बूब्स मसलते हुए कहा,

आंटी- “लेकिन ये पाप है,”
उन्होंने उत्तर दिया,

मैंने उनके निप्पल अपनी अँगुली के बीच ले कर मसलते हुए कहा,

रेशु- “ये पाप करने में बहुत मज़ा है, आंटी, प्लीज़ मुझे चोदने दो, प्लीज़ चोदने दो ना”

और मैं उनकी बूब्स को कस कर दबाते हुए उनके होठों को पागलों की तरह चूमने लगा,

उन्होंने कोई उत्तर देने की बजाय मेरे मुँह में अपनी जीभ डाल दी, मैंने उनकी जीभ को थोड़ी देर के लिये चूसा
थोड़ी देर बाद हम दोनों अलग हुए, अब हम दोनों को एक दुसरे से अलग होना मुश्किल लग रहा था, हम दोनों लगातार एक दुसरे का जिस्म सहला रहे थे, आंटी के हाथ सिर्फ मेरी पीठ और सर पर चल रहे थे पर में उनकी पीठ और गांड को सहला रहा था और थोड़ी थोड़ी देर में उनके गांड को दबा भी देता था जिससे आंटी की एक हलकी से सिसकारी निकल जाती थी,

 
मैने अपनी ऊंगली उनके गांड की दरार में भी चला दी थी, उनके हाथ से हट जाने के कारन में अपने सीने पर बॉब्स का दबाब महसूस कर सकता था, बहुत कसे और उभरे हे बॉब्स थे आंटी के जिनको अब मैं अपने हाथों में पकड़ कर मसल रहा था, जोर जोर से दबा रहा था
मै आंटी को पकड़ कर पलंग के पास ले आया और पलंग पर बैठ कर मैंने अपनी गोद में बैठा लिया और दुबारा से उनके होठो को चुस्ने लगा, वो मेरे बालो को सहला रही थी और मेरे होठो को चूस रही थी, गोद में बैठने के कारन में अब उनकी जांघे आसानी से छु पा रहा था,
मैने अपना हाथ साड़ी के अंदर ड़ाला और उनकी जाँघो को सहलाने लगा, मेरे हाथ उनके नंगे घुटनो से उनकी गांड तक आसानी से जा रहे थे, में अपने हाथ उनकी गांड तक ले के जाता और उनकी पेंटी के किनारो तक उनको सहलाता,
जब-जब मेरे हाथ उनकी पेंटी तक जाते, वो मेरे से और चिपक जाती, उन्होंने मेरा सर पकड़ कर उसको अपने सीने पर रख दिया जहा से मैं उनके उभारो के ऊपर नीचे होने का एह्सास ले सकता था, मैंने ब्लाउज के ऊपर से उनके बॉब्स को चूम लिया और अपने होठो से उनको दबाने लगा,
आंटी ने धीरे धीरे अपनी टाँगे थोड़ी चौड़ी कर दि, अब में आसानी से उनकी टांगो के अंदर की तरफ भी सहला पा रहा था, मैंने उनकी टांगो को सहलाना जारी रखा और बार- बार उनकी पेंटी के पास हाथ ले जाकर छोड देता था,
मेरी यह हरकत उनको उतेजित कर रही थी क्यूँकि शायद वो बार- बार यही सोच रही थी की अबकी बार मेरा हाथ उनके गुप्तांगो को छुयेगा पर हर बार उनका यह सोचना गलत हो जाता था,
मुझको बड़ा मज़ा आ रहा था पर जब जब मेरा हाथ उनकी चुत के पास जाता तो उसकी गर्मी महसूस हो रही थी,
आंटी ने मेरी टी-शर्ट उतार दि, मैंने अंदर बनियान भी नहीं पहनी थी, वो टी-शर्ट उतारते ही मुझसे चिपक गयी और मेरे शोल्डर्स और मुह पर चुम्बन करने लगी, में भी उनके चुम्बन का जवाब चुम्बन से दे रहा था और उनके गले, कान, गालो, होठो को चूम रहा था, मेरी साँसों में उनके जिस्म की महक आ रही थी जो मुझको और पागल बनाये जा रही थी,
मैने अपना हाथ उनके पीछे से ब्लाउज में डाल दिया और धीरे-धीरे उनके बॉब्स की तरफ बढ़ने लगा, मैंने ब्रा के ऊपर से हे उनके बॉब्स पकड़ लिए और उनको दबाने लगा,
थोड़ी देर बाद बॉब्स दबाने के बाद में अपना हाथ दुबारा से उनकी पीठ पर ले गया और उसको सहलाने लगा, पर अबकी बार मेरा इरादा कुछ और था, थोड़ी देर ऐसे ही उनकी पीठ सहलाते हुए अचानक में अपना हाथ उनके पीठ पर ऊपर से नीचे लाया और अपना हाथ सीधे उनकी पेंटी में पीछे डाल दिया, आंटी इसके लिए तैयार नहीं थी तो वो मुझसे अलग हो गयी, पर अब तक मेरा काम हो चुक्का था और मेरा हाथ उनके गांड की दरार के ठीक बिच में वह था,
उनके अलग होने से उनका दवाब उनके गांड पर बढ़ गया और मेरा हाथ उनकी दरार में सेट हो गया, मैंने अपनी ऊंगली उनकी दरार में चलानी शुरू कर दी और उसको सहलाने लगा, अब हम लोगो की उतेजना इतनी हो गयी थी की बता नहीं सकता, मैंने आंटी को इशारा किया और आंटी की साड़ी को उनके जिस्म से अलग करने लगा,
आंटी ने अपने हाथ ऊपर कर दिए ताकि में ब्लाउज भी निकाल सकु और जब साड़ी, पेटीकोट और ब्लाउज उनके जिस्म से अलग हुआ तो वो मेरे सामने ब्रा और पेंटी में मेरी गोद में थी, वो मुझसे शर्मा कर चिपक गयी, मैंने उनके कन्धो और सीने पर किस कर रहा था और उनके पूरे जिस्म को सहला रहा था, अब मैंने अपना हाथ उनकी चुत पर रख दिया और उसको दबाने लगा, उनकी चुत इतनी उभरि हुई थी जैसे पावरोटी हो, में उसको मसल रहा था और आंटी सिसकारियां भर रही थी, मैंने बिना पेंटी उतारे अपनी ऊंगली पेंटी की साइड से अंदर डाल दी और चुत सहलाने लगा,
दोस्तॉ, एक बात बताना चाहूंगा की औरत की उत्तेजना एक दम से चोदने से नहीं बल्कि उसको सहलाने से बढ़ती है, औरत मर्द के मुकाबले देर से उतेजित होती है और एक बार पूरी तरह से उतेजित होने के बाद ही सम्भोग का माज़ा ले पाती है,
यह बात शायद आप लोगो को अच्छे से पता होगी और यही में आंटी के साथ भी कर रहा था, मैंने उनको वही पलंग पर लिटा दिया और सीने को चाटते हुए उनके कन्धो से उनके ब्रा के स्ट्रेप उतारने लगा, जल्दी ही उनका सीना नँगा हो चुका था और उनके उभार आधे चाँद की तरह ब्रा से झाँक रहे थे, पता नहीं आप लोग मुझसे सहमत है या नहीं पर मेरे अकोर्डिंग औरत का खुला हुआ भाग उतना उतेजित नहीं करता जितना की छुपा हुआ करता है,
उनके सीने और बाहर निकले हुए बॉब्स को चाट रहा था और वो मुझको अपनी और दबाये पड़ी थी, अबकी बार आंटी ने पहल करते हुए अपना एक बॉब्स अपने ब्रा से पूरा बाहर निकाला और मेरे मुह के आगे कर दिया, ३६ के आकर का गोल बॉब्स अपने गुलाबी उभरे हुए निप्पल के साथ मेरे सामने था तो में अपने आप को कैसे रोकता, मैंने झट से उसको मुह में ले लिया और एक बच्चे की तरह चूसने लगा,
 
मैने उसी वक़्त पीठ पर हाथ ले जाकर उनकी ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा को हम दोनों के बिच से निकाल कर बाहर का रास्ता दिखा दिया,
अब आंटी के दोनों बॉब्स मेरे सामने नंगे थे, एक को में दबाता और दुसरे को चूसता, आंटी अपनी आँखे बंद किये हुए अपने बॉब्स को चुसवा रही थी, थोड़ी देर ऐसे ही उनके बॉब्स चुस्ने के बाद में उनके पेट और नाभि को चूमते हुए उनकी चुत तक आ गया, पेंटी के ऊपर से ही मुझको एह्सास हो गया थी की आंटी की चुत पर बाल नहीं होंगे, एक दम चिकनी चुत मिलने वाली है मुझको आज चुदायी के लिये,
मेरा लंड तो यही सोच सोच कर क़ाबू से बाहर हो रहा था की आज मेरी बाहो में ऐसी गदरायी और मस्त औरत है और मेरा लंड जल्दी हे अपनी सहेली से मिलने वाला है,
मैंने पेंटी के ऊपर से हे उनकी चुत को अपने मुह में ले लिया और उसको चूसने लगा, मैंने उनकी टांगो को भी खूब चाटा, आंटी भी अपनी टाँगे पूरी खोल कर मुझको अपनी चुत की और बुला रही थी, उनकी टाँगे पूरी खुलि हुई थी और अभी तक शर्माने वाली आंटी अब चुदायी के पूरे मूड में आ चुकी थी,
अब बारी उनकी पेंटी उतार कर पूरा नँगा करने की है, मैंने उनको उलटा करके पेट के बल लिटा दिया और उनकी पीठ पर जीभ फेरने लगा, उनकी पूरी पीठ को चाटते हुए में उनके गांड पर आ गया और उनकी पेंटी उतारने लगा, जल्दी ही मैंने उनकी पेंटी को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया, आंटी मेरे सामने पेट के बल बिलकुल नंगी लेटी हुई थी और उनकी उभरी हुए गांड मुझको अपनी और बुला रहे थी, मैंने उनके दोनों चूतड को चूमा और अपने हाथो से उन् दोनों को एक दुसरे से दूर किया,
मेरे सामने अब उनकी हलकी गुलाबी सी छोटे से छेद वाली गांड थी, मैंने अपनी जीभ उनकी दरार में डाल दी और उसको चाटने लगा, मैंने उनकी एक टाँग को ९० डिग्री पर मोड़ दिया ताकि में उनकी गांड के छेद को अच्छे से चूम सकु पर टाँग मोडते ही मुझको उनकी चुत की झलक भी मिलने लगी जो गांड से शुरू हो जाती है,
जैसा मैंने सोचा था उनकी चुत पर एक भी बाल नहीं था, मानो आज ही चुत साफ़ की हो, एक दम मस्त चिकनी चुत थी उनकी, मैंने आंटी को सीधा किया, मेरे सामने रसमलाई का कटोरा था जिसको खाने से रोकने की हिम्मत अब मेरे में नहीं थी,
मैने उनकी चुत को मुह में ले लिया और उसको चूसने लगा, उनकी चुत के दोनों होठ मेरे मुह में थे, फिर मैंने उनके चुत के दोनों होठ अलग किये और उसमे अपनी जीभ डाल के उसको चाटने लगा, में अपने ही काम में मस्त था और में आंटी को देख भी नहीं रहा था,
जब मैंने देखा तो आंटी आँखे बंद किये हुए अपने बॉब्स दबा रही थी, वो अपने होठो को उत्तेजना से काट रही थी, मैंने उनकी हेल्प करने के लिए उनके बॉब्स अपने हाथो में ले लिए और उनको दबाने लगा, उन्होंने अपने हाथ मेरे सर पर रख दिए और मुह को अपनी चुत में और अंदर की तरफ दबाने लगी,
उनको मेरा चुत चाटना अच्छा लग रहा था और वो कहने लगी,
आंटी- “और ज़ोर से चाटो, मेरी पूरी चुत खा जाओ”
उनकी चुत से पानी निकलने लगा था और में उसको चाट रहा था, थोड़ी देर बाद में सीधा हो कर उनके साथ में लेट गया, अब उनकी बारी थी एक्शन में आने की, वो उठि और मेरे सीने पर चुम्बन करते हुए मेरी ही तरह मेरे नीचे की और बढ़ने लगी,
उनहोने मेरी जीन्स का बटन और ज़िप खोल कर मेरी जीन्स उतार दि, मेरा लंड अभी तक बहुत टाइट हो चुक्का था और जीन्स के उतरने से मुझको बहुत अच्छा लग रहा था, ऐसा लग रहा था मानो मेरे किये का बदला ले रही हो,
फिर बिना वक़्त लगाये मेरी जॉकी उतार दि, जॉकी उतारते हे मेरा लंड क़ुतब-मीनार की तरह सिद्ध खड़ा हो गया और उसको देखते ही आंटी की आँखों में एक चमक और होठो पर मुस्कान आ गयी, वो मेरे लंड को अपने नाज़ुक हाथो में ले कर मूठ मरने लगी,
मै उनकी तरफ आशा भरी नज़रो से देख रहा था क्यूँकि मुझको औरत से लंड चुसवाना बहुत पसंद है, शायद वो भी यह बात समझ गयी थी तो उन्होंने मेरे लंड के टोपे को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया, धीरे-धीरे वो मेरे लंड को नीचे से ऊपर तक ऐसे चाटने लगी जैसे कोई आइस-क्रीम चाट रही हो,

आंटी मेरे साइड मे ही बैठी हुई थी लैकिन शाएद उनको यह पोज़िशन कंफर्टबल नही लग रही थी इसी लिए वो साइड से उठ के मेरी दोनो टाँगो के बीच मे घुटने मोड़ के बैठ गयी और दोनो हाथो से मेरे लंड को पकड़ के मूठ मारने लगी, मैं खामोश ही लेटा रहा और आंटी के हाथो का मज़ा लेता रहा और यह सोच रहा था के क्या आंटी को चोदने का मोका मिलेगा या नही, मेरे लंड की सेवा कर रही थी जो किसी मूसल की तरह से मोटा और लोहे जैसा सख़्त हो के किसी मिसाइल की तरह से खड़ा था, दो जलते बदन होने की वजह से कमरे का माहौल कुछ ज्यादा ही गरम और सेक्सी हो गया था,
आंटी- “रेशु यह तो इतना शानदार है के इसको किस करने का मन कर रहा है”
और बिना कुछ बोले वो झुकी और झुक के मेरे लंड को सुपाडे पे किस किया और चूसना भी शुरू कर दिया, ऐसा लग रहा था जैसे आंटी मेरे लंड को देख के अपने होश ही खो बैठी है,
 
आंटी दोनो हाथो से मूठ मार रही थी और सुपाडे को चूस भी रही थी फिर उन्होने दोनो हाथ हटा लिए और पूरे लंड को अपने मूह मे ले के चूसने लगी तो मैने अपने पैर आंटी के बॅक पे लपेट लिए और उनका सर पकड़ के उनके मूह को चोदने लगा, मेरा लंड बोहोत बड़ा और मोटा है इसी लिए पूरा उनके मूह मे नही घुस रहा था उनके दाँत मेरे लंड के डंडे पे लग रहे थे, ऐसे ही चूस्ते चूस्ते आंटी का मूह मेरे लंड से अड्जस्ट हो गया और अब वो पूरा मूह के अंदर ले के चूस रही थी, मेरा लंड उनके हलक तक जा रहा था, मैं ने बोला के आंटी कुछ स्वाद मुझे भी तो दो, तो वो मेरा मतलब समझ गयी और पलट के मेरे ऊपेर 69 की पोज़िशन मे आ गयी, उनकी चूत तो बेइंतिहा गीली हो चुकी थी और उनकी चूत से बड़ी मस्त खुशबू भी आ रही थी, मैं आंटी की चूत को चाट रहा था ज़ुबान नीचे से ऊपेर और ऊपेर से नीचे और फिर क्लाइटॉरिस को दांतो से पकड़ा तो आंटी काँपने लगी और मेरे मूह मे ही झड़ गयी, आंटी की चूत का जूस बोहोत मीठा था, आंटी बड़ी मस्ती से मेरा लंड चूस रही थी आंटी के बूब्स मेरे पेट से लग रहे थे तो मैं ने उनको अपने हाथो मे पकड़ लिया
आहह क्या मस्त बूब्स थे आंटी के, इतनी एज मे भी इतने कड़क और निपल्स भी एरेक्ट हो गये थे मैं उनको पकड़ के मसलने लगा और अपने पेट से उनकी चुचिओ को रगड़ने लगा, मैं अपने पैर घुटनो से मोड अपनी गांड उठा उठा के उनके मूह को चोद रहा था और फिर मेरी रस भी रेडी हो गया था और फिर उनके सर को पकड़ के अपने लंड को पूरे का पूरा उनके हलक तक घुसा के पकड़ लिया और मेरे लंड मे से गरम गरम रस का फव्वारा निकल के आंटी के पेट मे डाइरेक्ट गिरने लगा जिसे वो एक ड्रॉप गिराए बिना पी गयी,

मेरा रस निकल जाने के बावजूद आंटी मेरे लंड को चूस रही थी और मैं उनकी गांड पे हाथ रख के उनकी चूत को अपने मूह मे दबा के रखा था और चाट रहा था, मेरा लंड अभी भी फुल्ली एरेक्ट था, आंटी की चूत समंदर की तरह से गीली हो रही थी वो बिना कुछ बोल के पलट गयी और मेरे थाइस के दोनो तरफ अपने दोनो घुटने मोड़ के मेरे ऊपेर आ गयी और मेरे लंड के डंडे को एक हाथ से पकड़ के अपनी चूत के सुराख से लंड के सुपाडे पे सटा दिया और एक ही झटके मे बैठ गयी चूत और लंड दोनो गीले होने की वजह से लंड एक ही धक्के मे चूत के अंदर घुस्स गया और आंटी के मूह से
आंटी- “ऊऊऊऊऊीीईईईईईईईई म्‍म्म्ममममममाआआअ”
निकला और वो फॉरन ही मेरे लंड पे से उछल पड़ी और लंड बाहर निकल गया

रेशु- “क्या हुआ आंटी”?
आंटी- “इतना बड़ा मूसल मैं ने कभी नही लिया दर्द हुआ इसी लिए”
रेशु- “आंटी धीरे धीरे बैठो”
तो उन्होने फिर लंड को पकड़ा और लंड को चूत के सुराख मे अटका के धीरे धीरे बैठ ने लगी और आधा लंड चूत के अंदर लेने के बाद वो मेरे ऊपेर झुक गयी और मेरे मूह मे अपनी जीभ डाल के चूसना शुरू कर दिया बड़ा मज़ा आ रहा था उनकी जीभ चूसने मे, मैं हाथो से उनकी गांड को और उनकी पीठ को सहला रहा था फिर मैं उनके बूब्स को चूसने लगा और अपनी गांड उठा उठा के उनको चोदने लगा, आंटी तो मेरे लंड से मस्ती मे चुदवा रही थी आंटी अपनी तरफ से तो पूरी कोशिश कर रही थी के पूरा लंड अंदर लेने की पर उनसे हो नही रहा था

आंटी- “रेशु मेरे ऊपेर आ जा और ज़ोर ज़ोर से धक्के मार मार के मुझे चोद”
तो मैं पलट के उनको नीचे लिटा दिया और अपनी टाँगो से उनकी टाँगे खोल के अपने पैर पीछे कर के उनकी चूत के सुराख मे लंड को सेट किया और एक ही जबरदस्त झटका मारा तो उनके मूह से चीख निकलगई
“आम्‍म्माआमअरर्ररर गग्ग्गाआआयययययईई र्र्र्र्रररीईईई ऊऊीीईईईई हहाआआआआआआआअ……!!
और मेरा लंड पूरा अंदर घुस के उनकी बच्चे दानी तक पहुच गया था,

मैं एक मिनिट तक उनके ऊपर ऐसे ही लेटा रहा और जब उनकी टाइट चूत मेरे लंड की मोटाई से अड्जस्ट हो गयी और देखा के आंटी के हाथ मेरे पीठ पे और गांड पे घूम रहे है तो फिर मैं उनकी चुदाई करने लगा, जबरदस्त झटके मार रहा था और आंटी मस्ती मे चीख रही थी “पफहाआड़ड़ड़ड़ डाआअल्ल्ल्ल्ल्ल्ल ऊऊीीईईईई आऐईएसस्स्सीईए हहिईीईईईईईई रेशऊऊऊऊऊ ऊऊफफफफफफफफफ्फ़ म्माअरर्र्ररर ज़्ज़्ज़ूओररर ज़्ज़्ज़्ज़ूऊररररर सस्स्सीईई आअहीईए आप्प्न्नीईइ पूओररीई त्त्ताअक्क्क्काआत्त्त्त सस्सीई माआररररर आआहह……,!!!!
मैं फुल फोर्स से चोद रहा था तो फिर भी आंटी ने बोला के
“आओउउर्र्रर जोओर सेस्सीई चोददददद”
तो मैं ने अपने पैर पीछे बेड के किनारे की लकड़ी से टीका दिया और हाथ से बेड के दूसरे किनारे की लकड़ी को पकड़ के बहुत से ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा तो आंटी बोली आंटी- “आआआहह रेशुऊऊ ऊऊउ आऐईएसस्स्सीई हहिईीईई कक्चहूऊओददड़ आअहह म्‍म्माआज़्ज़्ज़्ज़्ज़ाआअ एयाया र्राअह्हाआ हहाअईई र्रररीईई ऊऊओह माआर प्पफहाआड्द्ड़ दददाअलल्ल्ल्ल्ल आऔउन्न्ञतट्ट्तीई ककक्कीईईईई कक्चहूऊततततत्त…,!!
और मैं दीवानो की तरह से उनको चोदने लगा उनके बूब्स डांस कर रहे थे आंटी की चूत बोहोत ही टाइट थी पता नही कितने सालो से नही चूदी थी उनकी चूत, उनके डांस करते बूब्स को मैं झुक के अपने मूह मे ले के चूसने लगा, मेरी इतनी जबरदस्त चुदाई से बेड भी हिलने लगा था और पच पच की आवाज़े आ रही थी आंटी तो 3 या 4 बार झड़ भी चुकी थी और उनकी चूत जूस से भर चुकी थी और इसी लिए लंड

अब आसानी से अंदर बाहर हो रह था और आंटी मुझे ज़ोर से पकड़े हुए थी मेरे झटको से उनका पूरा बदन आगे पीछे हो रहा था और मैं भी पूरे जोश मे पूरी ताक़त से चोद रहा था, आंटी की आँख से आँसू निकलने लगे और मुझे लगा जैसे अब मेरा रस भी रेडी हो गया है और मैं ने चोदने की स्पीड बढ़ा दी और आंटी बोल रही थी चोऊऊऊऊद दददाअलल्ल्ल रेशऊऊऊऊऊ इससस्स बबबीईककककचहाआऐययईईन्न्न्न् प्प्प्पयय्य्ाआसस्सिईईईईई आअहह ककककचहूऊतततत्त कककूऊ…,,!!
वो मुझ से लिपट गयी थी और मेरा फाइनल झटका इतना जबरदस्त था के आंटी के मूह से एक बार फिर से चीख निकल गयी
“आआईईई र्र्र्र्रररीईई म्‍म्म्माअरर्र्ररर ग्गगाआईईई उूउउफफफफफफफफ्फ़
और मेरा लंड शाएद उनकी चूत को चीरता हुआ उनकी बच्चे दानी से होता हुआ उनके पेट के अंदर तक घुस्स गया और मेरे लंड मैं से गरम गरम रस का फव्वारा निकलने लगा जिस से आंटी एक बार फिर से झड़ने लगी, उनका बदन काँप रहा था और वो झड़ रही थी, दोनो के बदन पसीने से लत पथ थे, मेरे लंड मे से भी इतना रस निकला जो शाएद पहले कभी नही निकला था और आंटी की चूत हम दोनो के प्रेमरस से भर गयी,

मैं उनके ऊपेर ऐसे ही लेटा रहा दोनो गहरी गहरी साँसे ले रहे थे, आंटी मेरे कान मे बोली के
आंटी- “थॅंक यू रेशु आज तो ज़िंदगी भर की चुदाई का मज़ा आ गया ऐसी चुदाई ज़िंदगी भर कभी नही हुई थी मुझे तुम ने जवान होने का एहसास दिला दिया मस्ती मे मेरे सारे बदन मे मीठा मीठा दर्द हो रहा है,आइ लव यू रेशु यू आर दा बेस्ट, तुम सच मे एक मर्द हो और मेरे कान मे धीरे से बोली के रेशु प्लीज़ मुझे हमेशा ऐसे ही चोद्ते रहना और मुझे ज़िंदगी भर ऐसी ही चुदाई का मज़ा देते रहना”
और फिर कान के लटकते हुए हिस्से को अपने मूह में ले के चूसने लगी मेरा लंड आंटी की रस से भरी चूत के अंदर ही अंदर एक बार फिर से अकड़ने लगा तो आंटी चौंक गयी और बोली के
आंटी- “वाह रेशु यह तो फिर से तय्यार हो रहा है तो”
रेशु- “आंटी इसे भी तो आपकी टाइट चूत को चोद के मज़ा आया है और यह फिर से चुदाई करना चाहता है”

कहानी जारी रहेगी
 
मैं उनके ऊपेर ऐसे ही लेटा रहा दोनो गहरी गहरी साँसे ले रहे थे, आंटी मेरे कान मे बोली के
आंटी- “थॅंक यू रेशु आज तो ज़िंदगी भर की चुदाई का मज़ा आ गया ऐसी चुदाई ज़िंदगी भर कभी नही हुई थी मुझे तुम ने जवान होने का एहसास दिला दिया मस्ती मे मेरे सारे बदन मे मीठा मीठा दर्द हो रहा है,आइ लव यू रेशु यू आर दा बेस्ट, तुम सच मे एक मर्द हो और मेरे कान मे धीरे से बोली के रेशु प्लीज़ मुझे हमेशा ऐसे ही चोद्ते रहना और मुझे ज़िंदगी भर ऐसी ही चुदाई का मज़ा देते रहना”
और फिर कान के लटकते हुए हिस्से को अपने मूह में ले के चूसने लगी मेरा लंड आंटी की रस से भरी चूत के अंदर ही अंदर एक बार फिर से अकड़ने लगा तो आंटी चौंक गयी और बोली के
आंटी- “वाह रेशु यह तो फिर से तय्यार हो रहा है तो”
रेशु- “आंटी इसे भी तो आपकी टाइट चूत को चोद के मज़ा आया है और यह फिर से चुदाई करना चाहता है”
आंटी- “मैंने कब मना किया है आज मेरी चूत को चोद चोद के फाड़ डालो और इस चूत का भोसड़ा ही बना दो रेशु”,
मैं आंटी की ज़ुबान से ऐसे शब्द सुन के हैरान रह गया के इतनी शांत दिखाई देने वाली आंटी ऐसी लंड, चूत और चुदाई की बातें कर रही है मैं ने पूछ ही लिया
रेशु- “आंटी आप इतनी शांत सुशील लगती हो मैं ने कभी सपने मे भी नही सोचा था के आप मेरे से चुदवायेगी और ऐसे शब्द का उपयोग करोगी”
तो वो हसने लगी
आंटी- “क्यों मैं औरत नही हू, क्या मेरे अंदर एमोशन्स नही है, क्या मुझे चुदवाने का शोक नही है, क्या मेरी प्यासी चूत को अच्छा तगड़ा लंड नही चाहिए”?
रेशु- “यु आर राइट आंटी”
आंटी- “रेशु, तुम्है क्या मालूम के मैं कितना तड़पति हू और कितने सालो से अपनी चूत की खुजली मैं अपनी उंगली से मिटा रही हू, मेरे हजबण्ड तो किसी काम के नही है, उनका 3,५ इंच कालंड तो मेरी चूत के करीब भी नही पहुँच पाता तो तुम ही बताओ मैं क्या करू”?
रेशु- “आंटी आप एक दम से सही बोल रही हो आपको भी चुदवाने का पूरा राइट है आपको अपने एमोशन्स नही रोकने चाहिए, और आपको हमेशा खुश रखूँगा यह मेरा आपसे वादा है”
तो आंटी ने मुझे बड़ी ज़ोर से लिपटा लिया मुझे चूमने लगी
आंटी- “आई लव यू रेशु मैं ज़िंदगी भर नही भूल सकती
के तुमने मेरे बदन की आग को कैसे मस्ती से शांत किया है, आइ लव यू आइ लव यू रेशु”,
वो किसी छोटी बच्ची की तरह से मेरी बाँहो मे लिपट कर पड़ी रही,मैं थोड़ी देर उनके बालो मे अपनी उंगलियाँ डाल के सहलाता रहा और उनको चूमता रहा तो थोड़ी देर मैं मेरे कान मे धीरे से कहा
आंटी- “आइ लव यू मेरे स्वीट रेशु, तुम ने मुझे वो खुशी दी है जिसके लिए मैं आज तक तरसती थी और हा अब मुझे आंटी मत समझना अपनी रंडी समझना और किसी रंडी की तरह से ही मेरी चुदाई करना मैं हमेशा ही तुम से चुदाने के लिए रेडी हू समझे”?
रेशु- “ ठीक है आंटी आप बिल्कुल फिकर ना करो, आंटी यह तो बताओ के आपकी चूत अभी तक इतनी टाइट कैसे है”?
तो वो मुझे प्यार करते हुए बोली

आंटी- “जब साल ओ साल चुदाई ना हो तो चूत तो टाइट ही होगी ना और मेरी चूत तो लंड का रास्ता देखते देखते थक्क गयी है और आज मुझे ऐसा लंड मिला है जिसकी मैं तबसे से तमन्ना करती थी जब मैंने तुम्हें खिड़की से मुठ मारते हुये देखा था, आज मुझे मेरे सपनो का लंड मिला है और बरसो की प्यासी चूत ने ऐसे शानदार लंड का पानी पिया है और आज मेरी चूत की बरसो की आग बुझी है, अब और देर ना करो रेशु, प्लीज़ और चोद डालो अपनी रंडी को और चोद चोद के इस चूत का भोसड़ा बना दो, अब मैं और सहन नही कर सकती”

आंटी के मूह से यह सुनते ही मेरे लंड मे जैसे हलचल मचने लगी और वो एक दम से आंटी की चूत के अंदर ही फुल टाइट हो गया और बिना लंड को बाहर निकाले चोदना शुरू कर दिया, चूत पहले से ही दोनो की क्रीम से भरी हुई थी और चुदाई शुरू होते ही पच पच पच की आवाज़ें आने लगी और मैं धना धन आंटी की टाइट चूत को चोदने लगा, आंटी ने अपने पैर मेरी पीठ पे लपेट लिए और मेरे मूह मे अपनी जीभ डाल के चूसने लगी, मैं आंटी के मस्त कड़क बॉब्स को मसल रहा था और आंटी को किस कर रहा था, थोड़ी ही देर मे आंटी के मूह से मस्ती भरी आवाज़ें निकलने लगी और बोली
“आआहह रेशुऊऊऊऊऊ आईसस्सीए हीईए ऊऊओिईई म्‍म्माआआ कचूओद्दड़ दददाअलल्ल्ल्ल र्रररीईए…,!!
 
उनके डांस करती हुई बॉब्स को अपने मूह मे ले के चूसने लगा तो आंटी जैसे दीवानी हो गयी, उनके निपल्स बहुत ही सेनसेंटिव थे बूब्स को मूह मे लेते ही आंटी वासना की आग मे जल के पागल हो जाती थी, मैं फिर से पहले वाले स्टाइल मे मिशनरी पोज़िशन मे पैर पीछे टीका के फुल स्पीड और पूरी ताक़त से आंटी की चूत को चोद रहा था और वो भी मस्ती मे चुदवा रही थी, पचक पचक की चुदाई की आवाज़ें ही कमरे मे गूँज रही थी, लंड पूरा बाहर तक निकल निकल के लोंग स्ट्रोक्स दे रहा था, ऐसे पूरा लंड बाहर निकालने से आंटी के चूत के अंदर हमारा मिक्स रस थोड़ा थोड़ा बाहर निकल रहा था और बेड पे गिर रहा था, मैं फुल फोर्स से चोद रहा था और मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरा लंड आंटी के पेट मे घुस रहा है, और आंटी भी मस्ती मे मेरे शोल्डर्स को काट रही थी, आंटी फिर से 3 – 4 बार झाड़ चुकी थी और चूत बेइंतेहा गीली हो गये थी, अब मैं भी छूटने के कगार पे था और मैं ने स्पीड बढ़ा दी और तूफ़ानी रफ़्तार से लंड आंटी की चूत के अंदर बाहर हो रहा था और फिर एक इतनी ज़ोर से झटका मारा के मेरा लंड एक बार फिर से उनकी बच्चे दानी के अंदर घुस्स गया और आंटी अपनी चीख को रोकने की कोशिश करते हुए जो मेरे शोल्डर को मस्ती मे चूस रही थी अब तकलीफ़ से अपने दांतो से काट डाला फिर भी उनके मूह से निकल ही गया
“आआआआआहह म्‍म्म्ममाआआआआआआआअ र्र्र्र्र्ररराआआआजजजज्ज्ज्ज्ज्

ज्ज्ज्ज्जाआाआअ ऊऊऊऊओिईईईईईईईईईईईईईईई…,!!
और मेरे लंड मे से गाढा गाढ़ा रस का फव्वारा निकलना शुरू हुआ और आंटी की बच्चे दानी को भरने लगा,

मैं उनके सीने पे ही लेटा रहा, दोनो के बदन से पसीना पानी की तरह से बह रहा था, मैं थोड़ी देर के बाद उनके बदन से उठ के उनकी बगल मे लेट गया, जैसे ही लंड उनकी चूत से बाहर निकला वैसे ही उनकी चूत मे इकट्ठा हुआ दोनो का मिक्स जूस बह कर उनकी गांड पे से होता हुआ बिस्तर पे गिरने लगा और फिर हम दोनो एक दूसरे की बाँहो मे बाहें डाले लिपट के सो गया,

शाम 4 बजे के करीब मैं और आंटी दोनो नंगे ही साथ साथ उठे,
आंटी- “आहह आज से पहले इतनी मीठी और इतनी गहरी नींद कभी नही आई”,
आंटी की आवाज़ सुनते ही मेरे दिमाग़ मे चुदाई की फिल्म चलने लगी और देखते ही

देखते मेरा लंड अकड़ के हिलने लगा और आंटी के बदन से लंड लगा तो वो चोंक गयी और हाथ नीचे लगा के देखा तो लंड मूसल बना हुआ था तो वो मुस्कुरा के अपने हाथ मे मेरा लंड पकड़ के बोली,
आंटी- “अले अले बेचारे को शाएद पेट भर चोदने को नही मिला आजा मेरे प्यारे बाबू मैं तेरी भूक मिटा देती हू”
और मेरे लंड को प्यार से सहलाने और दबाने लगी, हम दोनो एक दूसरे की तरफ मूह कर के करवट लेते थे तो आंटी ने अपनी एक टांग उठा के मेरे थाइ पे रख ली जिस से उनकी चूत के पंखाड़ियाँ खुल गयी और लंड के सुपाडे से टच करने लगी और फिर आंटी ने लंड के डंडे को पकड़ के लंड के सुपाडे को अपनी चूत मे रगड़ना चालू कर दिया और देखते ही देखते उनकी चूत भी गीली हो गयी और मेरे लंड के प्री कम से स्लिपरी भी होगयि तो मैं ने उनको अपने ऊपेर खींच लिया, आंटी मेरे ऊपर जॉकी की तरह से बैठ गयी और मेरा लंड ऑटोमॅटिकली उनकी चूत के सुराख से सट गया और आंटी को पकड़ के एक ही धक्का मारा तो आधा लंड उनकी टाइट गीली चूत मे घुस गया, आंटी को झुका के उनके बूब्स को चूसने लगा, आंटी बहुत ही गोरी थी और उनके बॉब्स भी बड़े ही मस्त और टाइट थे उनके निपल्स इतने गुलाबी थे ट्यूब की रोशनी मे उनके निपल्स किसी सुलगते हुए अँगारे की तरह से लग रहे थे और उनका लाइट गुलाबी रंग का आरोला तकरीबन 1 इंच का था, आंटी के बूब्स बहुत सेन्सिटिव थे उन के निप्पल को मूह मे ले चूस्ते ही वो जैसे दीवानी हो जाती थी, मैं ने एक और धक्का दिया तो लंड कुछ और अंदर घुस गया, अब हमारी शरम ख़तम हो चुकी थी, आंटी अब मेरे लंड की सवारी कर रही थी, लंड रॉकेट की तरह से सीधा उनकी चूत के अंदर जा रहा था और आंटी मेरे लंड पे उछल रही थी और उनके बूब्स डांस कर रहे थे, अब आंटी आसानी से लंड को अपनी चूत के अंदर ले रही थी और उन्हे बहुत ही मज़ा आ रहा था, जबरदस्त , चुदाई चल रही थी दोनो के बदन एक बार फिर से पसीने मे भीग चुके थे, आंटी को पलटा के एक बार फिर उनको नीचे लिटा दिया और ज़ोर ज़ोर से चोदना शुरू कर दिया, आंटी बहुत ही मज़े ले रही थी उनकी आँखें मस्ती मे बंद हो गयी थी, उनके पैर मेरी पीठ पे लिपटे हुए थे और अपने पैरो से और हाथो से मेरी गांड को अपनी तरफ खींच रही थी, लंड को पूरा सुपाडे तक बाहर निकल निकल के बड़ी बेदर्दी से आंटी की टाइट चूत को चोद रहा था, आंटी तो 3 बार ऑलरेडी झड़ चुकी थी और अब मेरा रस भी निकलने को तय्यार था फुल स्पीड से चोद रहा था और देखते ही देखते आंटी का बदन कांपने लगा और मैं ने भी एक जबरदस्त झटका मारा और लंड को उनकी बच्चे दानी के अंदर कर के अपने रस का फव्वारा छोड़ने लगा और एक बार फिर दोनो का पाणी साथ साथ निकल गया और उनकी चूत दोनो के रस से भर गयी,
लंड को आंटी के चूत के अंदर ही रखे रखे थोड़ी देर हम दोनो ऐसे ही एक दूसरे को चूमते चाटते रहे, आंटी का बदन बेजान हो के बिस्तर पे पड़ा था लंड चूत के अंदर ही था थोड़ी देर के बाद आंटी की साँसें ठीक हुई
आंटी- “रेशु आज तुम्हारे रस का टेस्ट करा दो”
तो मैं फॉरन ही अपना लंड उनकी चूत से बाहर निकल के 69 की पोज़िशन मे आ गया, मेरा लंड हम दोनो के रस से भरा हुआ था और लंड की टोपी से रस की बूँदें टपक रही थी जिसे आंटी ने फॉरन ही अपने मूह मे ले लिया और चूसने लगी और मैं भी झुक के आंटी की गुलाबी चूत को देखने लगा जो अंदर से बहुत ही लाल हो गयी थी और चूत का सुराख इंग्लीश के “ओ” जैसा हो गया था जिसमे से दोनो का मिला जुला रस निकल के बिस्तर पे गिर रहा था, उनकी चूत के पंखाड़ियाँ जम कर चोदने की वजह से डबल रोटी की तरह सूज गये थे, लाल और मोटे हो गये थे और सच मे उनकी नाज़ुक चूत का भोसड़ा बन चुका था, चूत अंदर से एक दम से लाल ब्लड रेड जैसे हो गयी थी, मैं ने आंटी की चूत पे किस किया और फिर उनकी चूत को चाटने लगा, आंटी की टाँगें मूडी हुई थी और अब वो फिर से अपनी गांड उचका उचका के मेरे मूह मे अपनी चूत को घुसा रही थी और अपने दोनो रानो से मेरे सर को दबा भी रही थी आंटी एक बार फिर से फुल मूड मे आ चुकी थी और मे उनकी चूत के खुले हुए सुराख मे अपनी ज़ुबान अंदर बाहर कर ज़ुबान से उनकी चूत को चोद रहा था, आंटी मेरे लंड को किसी आइस क्रीम की तरह से चूस रही थी और आज मुझे उनके चूसने मे इतना मज़ा आ रहा था के किसी के भी चूसने मे उतना मज़ा नही आया था और आंटी काँपते बदन के साथ मेरे मूह मे झड़ने लगी और मैं उनके मूह मे अपने रस के फव्वारे छोड़ता रहा जो आंटी के डाइरेक्ट हलक मे गिरता रहा, हम दोनो ने एक बार फिर से एक दूसरे के ज्यूस का टेस्ट किया,

कहानी जारी रहेगी
 
मैं थोड़ी देर उनके ऊपेर ऐसे ही पड़ा रहा उनके बूब्स मेरे सीने से चिपके हुए थे और फिर मैं आहिस्ता से रोल हो के आँखें बंद कर के उनके साइड मे लेट गया,

थोड़ी देर के बाद मैं करवट ले के आंटी के बूब्स को सहलाने लगा जिस से उनके निपल्स एक बार फिर से एरेक्ट होना शुरू हो गये और फिर मैं उनके निपल्स को मसल्ने लगा तो आंटी ने हाथ बढ़ा के मेरे लंड को पकड़ लिया जो फिर से लोहे के मूसल की तरह खड़ा हो गया था
आंटी- “अरे बाप रे रेशु, क्या मस्त लंड है तुम्हारा और यह तो फिर से अकड़ गया है, क्या इरादा है आख़िर इसका”?
तो मैं आंटी के गांड पे हाथ फिराते हुए हंस के बोला
रेशु- “आंटी शाएद यह अब किसी दूसरे सुराख की खोज मे है”
आंटी- “क्या मतलब”?
रेशु- “आंटी शायद यह आपकी गांड मे घुसना चाहता है अब”
आंटी- “क्या ? कही तुम्हारा दिमाग़ तो नही खराब हो गया मैं लुंगी इस घोड़े जैसे लंड को अपनी गांड मे, ना बाबा मैं तो मर ही जाउंगी अगर यह मेरे पीछे घुस गया तो”?
रेशु- “आंटी कुछ नही होगा मैं आपको गॅरेंटी देता हू ना आप बिल्कुल भी फिकर ना करो मैं बहुत धीरे धीरे ही अंदर डालुगा तेल लगाकर तो आपको कोई तकलीफ़ नही होगी”
फिर भी आंटी नही मानी पर थोड़ी देर के बाद आख़िर आंटी मान ही गयी और फिर मैने आंटी को उल्टा पेट के बल लिटा दिया और टेबल पे से हेअर ऑयल की बॉटल उठा लि और खुद उनके ऊपेर आ गया, उनकी दोनो टांगो के बीचे मैं अपनी दोनो टाँगें रख के उनकी टाँगो को फैला दिया और पहले तो पीछे से एक ही धक्के मैं अपने लंड को उनकी चूत मे घुसा दिया उनके मूह

से ‘हप्प्प्प’ की आवाज़ निकली और उनका बदन एक सेकेंड के लिए अकड़ गया और फिर रिलॅक्स हो गयी, थोड़ी देर तक उनकी गीली चूत को चोद्ता रहा और फिर उनके बूब्स को दबा रहा था,
रेशु- “आंटी गांड मरवाने के लिए रेडी हो”?
तो उन्हो ने अपना सर हा मे हिला दिया तो मैने अपना लंड बाहर निकाल लिया और ऑइल के बॉटल से चारो उंगलियाँ भर के ऑइल निकाल के आंटी की गांड मैं लगा दिया और थोडा ऑइल उनकी गांड के पिंक होल के अंदर भी उंगली घुमा के लगा दिया जिस से उनकी गांड का छेद थोड़ा रिलॅक्स हुआ और उनकी गांड आयल से भर गयी और अपने लंड को बहुत सारा आयल लगाया, लंड कुछ ज़ियादा ही फूला हुआ लग रहा था, अपने पैरो से आंटी के पैरो को खोल दिया और अपने पैर पीछे मिशनरी पोज़िशन मे कर के आंटी ऊपेर झुक गया और आंटी की नेक पे चूमने लगा और दोनो हाथ अंदर डाल के आंटी के कड़क बॉब्स को दबाने लगा और लंड के सुपाडे को उनकी गांड मे घुसाते घुसाते उनके कान मे आहिस्ता से बोला के
रेशु –“आंटी अपने बदन को रिलॅक्स रखना नही तो आपको दरद होगा”
आंटी- “ओके”
ऐसी पोज़िशन मे आंटी उल्टा लेटी थी और उनकी गांड थोड़ा ऊपेर को उठी हुई थी, थोड़े से प्रेशर से मेरे मूसल लंड का सूपड़ा आंटी की गांड के छेद मे स्लिप हो गया, लंड का सूपड़ा आंटी की गांड के अंदर घुसते ही आंटी का बदन थोड़ा सा अकड़ गया फिर मैं अपने हाथ से आंटी के बदन को सहलाने लगा जिस से वो रिलॅक्स होने लगी और फिर इसी तरह से थोड़ा और घुसाया तो लंड तकरीबन 3 इंच और अंदर घुस गया, आंटी की गांड और मेरे लंड मे ऑइल लगाने से गांड बहुत ही चिकनी हो गयी थी और जिसमे लंड आसानी से घुस भी रहा था, अब मैं ऐसे ही आधे लंड से आंटी की गांड मारने लगा और थोड़ा थोड़ा अंदर डाल भी रहा था जिस से आधा लंड तो अंदर घुस ही गया था और अब ऐसे करने से आंटी की गांड का छेद भी थोड़ा रिलॅक्स हो चुका था और फिर पूरा लंड को सुपाडे तक बाहर निकाल के एक ज़ोर का झटका मारा तो पूरे का पूरा लंड आंटी की गांड मे घुस्स गया और वो हल्की आवाज़ से चिल्लाई “आआआआआआआईईईईईईईई और सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स”
मैं आंटी के ऊपेर ऐसे ही लेटा रहा थोड़ी देर के बाद उनकी गांड मारने लगा गपा गप गांड मार रहा था अब आंटी भी मज़े से गांड मरवा रही थी
आंटी- “मेरे पति ने तो कभी भी मेरी गांड नही मारी”
तो मैं खुश हो गया के चलो आंटी की वर्जिन चूत नही मिली तो क्या हुआ वर्जिन गांड तो मिल गयी, थोड़ी देर तक गांड मारने के बाद मैं उनकी गांड के अंदर ही झड़ गया और आंटी भी झड़ गयी,
 
आंटी- “चलो रेशु बाथरूम मे चलो साबुन से धो लेते है”
क्यॉंके उनकी गांड और मेरा लंड ऑइल और वीर्य से भरा हुआ था, हम दोनो उठ के बाथरूम मे घुस गये और शावर खोल दिया तो आंटी ने मेरे लंड पे साबुन लगा दिया और मल मल के

धोने लगी जिस से एक मिनिट के अंदर ही मेरा लंड फिर से लहरा के खड़ा हो गया आंटी मेरे लंड को हैरत से देख रही थी और बोली के
आंटी- “रेशु, यह क्या है कितना पावर है तुम्हारे लंड में”?
तो मैं हंस दिया और कुछ बोला नही आंटी साबुन से मेरे लंड को धोती रही जब मेरे लंड पे से साबुन निकल गया तो मैंने आंटी की चूत पे साबुन लगाया और हम दोनो का मिला जुला वीर्य रस अच्छी तरह से सॉफ कर दिया और फिर उनको झुकने के लिए बोला तो वो झुक गयी तो मैं साबुन से उनके गांड पे लगी पूरे ऑइल को धो दिया और आंटी मेरे सामने डॉगी स्टाइल मे खड़ी थी और उनकी गांड मे साबुन लगा हुआ था तो मैं ने अपने लंड पे भी थोड़ा साबुन लगाया और बिना आंटी को सिग्नल दिए अपने लंड को उनकी गांड के छेद मे अड्जस्ट किया और एक ही धक्के मे पूरे का पूरा लंड उनकी गांड के अंदर पेल दिया वो एक दम से चिल्ला पड़ी “हहाआआआआऐईईईईईईई निकाल्ल्लूऊऊऊ जल्ल रहा है निक्काअलल्ल्ल्लूऊऊ बाआहररररर”
पर मैं ने लंड को उनकी गांड से बाहर नही निकाला बलकी लंड को उसकी गांड के अंदर रखे रखे थोड़ी देर के लिए गांड मारना बंद कर दिया और उसकी गर्दन को चूमने लगा तो वो फिर से रिलॅक्स हो गयी, अब मैं ने उनकी गांड मारना शुरू कर दिया, मुझे उनकी टाइट गांड मारने मे बोहोत ही मज़ा आ रहा था, लंड को पूरा हेड तक बाहर खींच खींच के घपा घप गांड मार रहा था, अब वो भी बड़ी मस्ती मैं गांड मरवा रही थी और अपना हाथ अपने नीचे चूत पे ले गयी और चूत का मसाज करने लगी, जितनी तेज़ी से मैं उनकी गांड मार रहा था उतनी ही तेज़ी से वो अपनी चूत के दाने का मसाज कर रही थी, अब उनके मूह से मस्ती भरी आवाज़ें निकल रही थी, “मारूव रेशऊऊऊऊऊ आअहह फाआद्दद्ड दद्दल्ल्लूऊ म्मईएरररिई गग्ग्गाआअन्न्न्ँद्दद्ड अओउर्र ज़्ज़्ज़्ज़ूओररर्र सस्स्स्सीईए हह सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स आऐईस्स्सीए हिह्ह्हीइ आआआआआआहह”
आंटी की गांड पूरी तरह से फट के खुल चुकी थी और मैं तेज़ी से उनकी गांड मार रहा था इधर जितनी तेज़ रफ़्तार से मैं उनकी गांड मार रहा था उतनी ही तेज़ रफ़्तार से उनका हाथ अपनी चूत मे चला रहा था, मेरे सारे बदन मे सन सनाहट दौड़ रही थी और जैसे ही मेरे लंड से वीर्य का फव्वारा निकलने लगा उधर से उनकी चूत ने भी दम तोड़ दिया और उनकी चूत मे से रस बह के निकलने लगा, जैसे जैसे मेरे लंड से वीर्य उनकी गांड मे गिर रही थी वैसे ही उनका भी ऑर्गॅज़म चल रहा था ऐसा लग रहा था कैसे सुर और ताल एक साथ बज रहे हो जैसे मेरी क्रीम और उनके रस के निकलने का कोई कनेक्शन हो, आंटी का ऑर्गॅज़म ख़तम हुआ, उनकी चूत ने झड़ना बंद कर दिया और और वो फर्श पे ढेर हो गयी उसी तरह से मेरा वीर्य निकलना भी बंद हो गया और मैं आंटी की पीठ पे ढेर हो गया, दोनो मस्ती मे चूर थे साँसें गहरी चल रही थी, आंटी का और मेरा ऑर्गॅज़म कुछ इतना जबरदस्त था के आंटी को मेरे बदन का वज़न महसूस ही नही हो रहा था,
लंड उनकी गांड मे अभी तक जड़ तक घुसा हुआ था और अब वो धीरे धीरे नरम होना शुरू हो गया था, थोड़ी ही देर मे मैं उनके बदन से लुढ़क के उनके साइड मे लेट गया और उनको अपनी बाँहो मे लेके चूमने लगा, आंटी भी मुझे बेतहाशा चूम रही थी
आंटी- “रेशु, आज मैं बोहोत ही खुश हू और मैं तुम्हारे जैसे मर्द से चुदवा के फुल्ली सॅटिस्फाइड हू और आज मुझे पता चल गया है के अगर स्वर्ग कही है तो वो मर्द के नीचे है और स्पेशली तुम्हारे जैसे मर्द के नीचे”
रेशु- “आंटी आप जैसी हसीन तरीन औरत अगर साथ हो तो मेरे लिए दुनिया मे ही स्वर्ग है”
हम दोनो एक दूसरे को अपनी बाँहो मे लेके फिर से चूमने लगे,

 
दोस्तो आपने अब तक पढा की मैं बाजूवाली आंटी को सिड्यूस करके चोद चुका हु,मेरी पुरानी तमन्ना थी उन्हें चोदने की वह अब पूरी हुयी थी,
अब आगे...

मैं उनके ऊपर ऐसे ही लेटा रहा हम दोनो गहरी गहरी साँसे ले रहे थे.
आंटी मेरे कान मे बोली के
"थॅंक यू रेशु, आज तो ज़िंदगी भर की चुदाई का मज़ा आ गया ऐसी चुदाई ज़िंदगी भर कभी नही हुई थी मुझे तुम ने जवान होने का एहसास दिला दिया मस्ती मे मेरे सारे बदन मे मीठा मीठा दरद हो रहा है,
आइ लव यू रेशु, यू आर दा बेस्ट, तुम सच मे एक मर्द हो....
और मेरे कान मे धीरे से बोली के
"रेशु प्लीज़ मुझे हमेशा ऐसे ही चोद्ते रहना और मुझे ज़िंदगी भर ऐसी ही चुदाई का मज़ा देते रहना....
और फिर कान के लटकते हुए हिस्से को अपने मूह मैं ले के चूसने लगी मेरा लंड आंटी की रस से भरी चूत के अंदर ही अंदर एक बार फिर से अकड़ने लगा,
आंटी- (चौंक कर)"वाह रेशु, यह तो फिर से तय्यार हो रहा है....

रेशु- (मुस्कुरा के)"आंटी इसे भी तो आपकी टाइट चूत को चोद के मज़ा आया है और यह फिर से चुदाई करना चाहता है....
आंटी- "मैं ने कब मना किया है आज मेरी चूत को चोद चोद के फाड़ डालो और इस चूत का भोसड़ा ही बना दे रेशु.....
मैं आंटी की ज़ुबान से ऐसे शब्द सुन के हैरान रह गया के इतनी संस्कारी और पतिव्रता दिखाई देने वाली आंटी ऐसी लंड, चूत और चुदाई की बातें कर रही है,
रेशु- "आंटी आप इतनी संस्कारी लगती हो, मैं ने कभी सपने मे भी नही सोचा था के आप मेरे से चुदवाओगी और ऐसे शब्द का उपयोग करोगी...
तो वो हसने लगी,
आंटी- "क्यों मैं औरत नही हू, क्या मेरे अंदर एमोशन्स नही है, क्या मुझे चुदने का शोक नही है, क्या मेरी प्यासी चूत को अच्छा तगड़ा लंड नही चाहिए...??
रेशु- "यू आर राइट आंटी..!
आंटी- "रेशु, तुम्है क्या मालूम के मैं कितना तड़पति हू और कितने सालो से अपनी चूत की खुजली मैं अपनी उंगली से मिटा रही हू. मेरे हजबण्ड तो अब किसी काम के नही है. उनका पेट ही मेरे बदन से लगता है उनका लंड तो मेरी चूत के करीब भी नही पहुँच पाता तो तुम ही बताओ मैं क्या करू..?
तो मैं ने उनको चूमते हुए,
"आंटी आप एक दम से सही बोल रही हो आपको भी चुदवाने का पूरा राइट है आपको अपने एमोशन्स नही रोकने चाहिए....
आंटी मुझे चूमते हुए बोले जा रही थी के
"आइ लव यू रेशु, मैं ज़िंदगी भर नही भूल सकती के तुमने मेरे बदन की आग को कैसे मस्ती से शांत किया...
मैं थोड़ी देर उनके बालो मे अपनी उंगलियाँ डाल के सहलाता रहा और उनको चूमता रहा तो थोड़ी देर मैं मेरे कान मे धीरे से,
आंटी- "आइ लव यू रेशु, तुम ने मुझे वो खुशी दी है जिसके लिए मैं आज तक तरसती थी और हा अब मुझे आंटी मत समझना अपनी रंडी समझना और किसी रंडी की तरह से ही मेरी चुदाई करना मैं हमेशा ही तुम से चुदाने के लिए रेडी हू समझे... ?
रेशु- "ठीक है आंटी आप बिल्कुल फिकर ना करो. आंटी यह तो बताओ के आपकी चूत अभी तक इतनी टाइट कैसे है...?
तो वो मुझे प्यार करते हुए,
आंटी- "जब साल ओ साल चुदाई ना हो तो चूत तो टाइट ही होगी ना और मेरी चूत तो लंड का रास्ता देखते देखते थक्क गयी है,
और आज मुझे ऐसा लंड मिला है जिसकी मैं सालो से तमन्ना करती थी आज मुझे मेरे सपनो का लंड मिला है,
और बरसो की प्यासी चूत ने ऐसे शानदार लंड का पानी पिया है और आज मेरी चूत की बरसो की आग बुझी है,
अब और देर ना करो रेशु प्लीज़ और चोद डालो अपनी रंडी को और चोद चोद के इस चूत का भोसड़ा बना दो अब मैं और सहन नही कर सकती....!!

आंटी के मूह से यह सुनते ही मेरे लंड मे जैसे हलचल मचने लगी और वो एक दम से आंटी की चूत के अंदर ही फुल टाइट हो गया और बिना लंड को बाहर निकाले चोदना शुरू कर दिया. चूत पहले से ही दोनो की क्रीम से भरी हुई थी और चुदाई शुरू होते ही पच पच पच की आवाज़ें आने लगी और मैं धना धन आंटी की टाइट चूत को चोदने लगा. आंटी ने पैर मेरी पीठ पे लपेट लिए और मेरे मूह मे आनी जीभ डाल के

चूसने लगी. मैं आंटी के मस्त कड़क बूब्स को मसल रहा था और आंटी को किस कर रहा था. थोड़ी ही देर मे आंटी के मूह से मस्ती भरी आवाज़ें निकलने लगी और बोली
"आआहह रेशूऊऊ आईसस्सीए हीईए ऊऊओिईई म्‍म्माआआ कचूओद्दड़ दददाअलल्ल्ल्ल र्रररीईए.
उनके डॅन्स करती हुई बूब्स को अपने मूह मे ले के चूसने लगा तो आंटी जैसे दीवानी हो गयी. उनके निपल्स बोहोत ही सेनसेंटिव थे बूब्स को मूह मे लेते ही आंटी वासना की आग मे जल के पागल हो जाती थी. मैं फिर से पहले वाले स्टाइल मे मिशनरी पोज़िशन मे पैर पीछे टीका के फुल स्पीड और पूरी ताक़त से आंटी की चूत को चोद रहा था और वो भी मस्ती मे चुदवा रही थी.
पचक पचक की चुदाई की आवाज़ें ही कमरे मे गूँज रही थी. लंड पूरा बाहर तक निकल निकल के लोंग स्ट्रोक्स दे रहा था. ऐसे पूरा लंड बाहर निकालने से आंटी के चूत के अंदर हमारा मिक्स रस थोडा थोडा बाहर निकल रहा था और बेड पे गिर रहा था.
 
मैं फुल ताकत से चोद रहा था और मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरा लंड आंटी के पेट मे घुस रहा है और आंटी भी मस्ती मे मेरे शोल्डर्स को काट रही थी.
आंटी फिर से 3 – 4 बार झाड़ चुकी थी और चूत बे इंतेहा गीली हो गये थी. अब मैं भी छूटने के कगार पे था और मैं ने स्पीड बढ़ा दी और तूफ़ानी रफ़्तार से लंड आंटी की चूत के अंदर बाहर हो रहा था और फिर एक इतनी ज़ोर से झटका मारा के मेरा लंड एक बार फिर से उनकी बच्चे दानी के अंदर घुस्स गया और आंटी अपनी चीख को रोकने की कोशिश करते हुए जो मेरे शोल्डर को मस्ती मे चूस रही थी अब तकलीफ़ से अपने दांतो से काट डाला फिर भी उनके मूह से निकल ही गया "आआआआआहह म्‍म्म्ममाआआआआआआआअ... रेशुऊऊऊऊ...
मज्ज्ज्ज्जाआाआअ... ऊऊऊऊओिईईईईईईईईईईईईईईई
और मेरे लंड मे से गाढ़ा गाढ़ा रस का फव्वारा निकलना शुरू हुआ और आंटी की बच्चे दानी को भरने लगा.

मैं उनके सीने पे ही लेटा रहा. दोनो के बदन से पसीना पानी की तरह से बह रहा था. मैं थोड़ी देर के बाद उनके बदन से उठ के उनकी बगल मे लेट गया. जैसे ही लंड उनकी चूत से बाहर निकला वैसे ही उनकी चूत मे इकट्ठा हुआ दोनो का मिक्स जूस बह कर उनकी गांड पे से होता हुआ बिस्तर पे गिरने लगा,

दो घंटे आराम करने के बाद मैं और आंटी दोनो नंगे ही साथ साथ उठे.
आंटी- "आहह रेशु,मैंने आज से पहले इतनी चुदायी कभी नही की....!
आंटी की आवाज़ सुनते ही मेरे दिमाग़ मे आंटी की चुदाई की फिल्म चलने लगी और देखते ही देखते मेरा लंड अकड़ के हिलने लगा और आंटी के बदन से लंड लगा तो वो चोंक गयी और हाथ नीचे लगा के देखा तो लंड मूसल बना हुआ था तो वो मुस्कुरा के अपने हाथ मे मेरा लंड पकड़ लिया,
आंटी- "बेचारे को शाएद पेट भर चोदने को नही मिला आजाओ मेरे प्यारे छोटे रेशु, मैं तेरी भूक मिटा देती हू...
और मेरे लंड को प्यार से सहलाने और दबाने लगी. हम दोनो एक दूसरे की तरफ मूह कर के करवट लेते थे तो आंटी ने अपनी एक टांग उठा के मेरे थाइ पे रख ली जिस से उनकी चूत के पंखाड़ियाँ खुल गयी और लंड के सूपाडे से टच करने लगी और फिर आंटी ने लंड के डंडे को पकड़ के लंड के सूपाड़े को अपनी चूत मे रगड़ना चालू कर दिया और देखते ही देखते उनकी चूत भी गीली हो गयी और मेरे लंड के प्री कम से स्लिपरी भी होगयी तो मैं ने उनको अपने ऊपेर खेच लिया.
आंटी मेरे ऊपेर जॉकी की तरह से बैठ गयी और मेरा लंड ऑटोमॅटिकली उनकी चूत के सुराख से सट गया और आंटी को पकड़ के एक ही धक्का मारा तो आधा लंड उनकी टाइट गीली चूत मे घुस गया. आंटी को झुका के उनके बूब्स को चूसने लगा.
आंटी बहोत ही गोरी थी और उनकी बूब्स भी बड़े ही मस्त और टाइट थे उनके निपल्स इतने गुलाबी थे के बाहर से आती सूरज की रोशनी मे उनके निपल्स किसी सुलगते हुए अँगारे की तरह से लग रहे थे और उनका लाइट गुलाबी रंग का अरोला तकरीबन 1 इंच का था. आंटी के बूब्स बहोत से सेन्सिटिव थे उन के बूब्स को मूह मे ले चूस्ते ही वो जैसे दीवानी हो जाती थी. मैं ने एक और धक्का दिया तो लंड कुछ और अंदर घुस गया. अब हमारी शरम ख़तम हो चुकी थी. आंटी अब मेरे लंड की सवारी कर रही थी. लंड रॉकेट की तरह से सीधा उनकी चूत के अंदर जा रहा था और आंटी मेरे रॉकेट लंड पे उछल रही थी और उनके बूब्स डॅन्स कर रहे थे. अब आंटी आसानी से लंड को अपनी चूत के अंदर ले रही थी और उन्हे बहोत ही मज़ा आ रहा था.
पावरफुल चुदाई चल रही थी दोनो के बदन एक बार फिर से पसीने मे भीग चुके थे. आंटी को पलटा के एक बार फिर उनको नीचे लिटा दिया और ज़ोर ज़ोर से चोदना शुरू कर दिया. आंटी बहोत ही मज़े ले रही थी उनकी आँखें मस्ती मे बंद हो गयी थी, उनके पैर मेरी पीठ पे लिपटे हुए थे और अपने पैरो से और हाथो से मेरी गांड को अपनी तरफ खिच रही थी. लंड को पूरा सूपाड़े तक बाहर निकाल निकाल के बड़ी बेदर्दी से आंटी की टाइट चूत को चोद रहा था.
आंटी तो 3 बार ऑलरेडी झाड़ चुकी थी और अब मेरी रस भी निकलने को तय्यार थी फुल स्पीड से चोद रहा था और देखते ही देखते आंटी का बदन कांपने लगा और मैं ने भी एक पावरफुल झटका मारा और लंड को उनकी बच्चे दानी के अंदर कर के अपनी क्रीम का फव्वारा छोड़ने लगा और एक बार फिर दोनो का रस साथ साथ निकल गया और उनकी चूत दोनो के रस से भर गयी.
लंड को आंटी के चूत के अंदर ही रखे रखे थोड़ी देर हम दोनो ऐसे ही एक दूसरे को चूमते चाट ते रहे. आंटी का बदन बेजान हो के बिस्तर पे पड़ा था लंड चूत के अंदर ही था थोड़ी देर के बाद आंटी की साँसें ठीक हुई,

आंटी- "रेशु अब तुम्हारे रस का टेस्ट करा दो...

तो मैं फॉरन ही अपना लंड उनकी चूत से बाहर निकल के 69 की पोज़िशन मे आ गया. मेरा लंड हम दोनो की रस से भरा हुआ था और लंड की टोपी से रस की बूँदें टपक रही थी जिसे आंटी ने फॉरन ही अपने मूह मे ले लिया और चूसने लगी और मैं भी झुक के आंटी की गुलाबी चूत को देखने लगा जो अंदर से बोहोत ही लाल हो गयी थी और चूत का सुराख इंग्लीश के “ओ” जैसा हो गया था जिस्मै से दोनो का मिला जुला जूस निकल के बिस्तर पे गिर रहा था. उनकी चूत के पंखाड़ियाँ जम कर चोदने की वजह से डबल रोटी की तरह सूज गये थे, लाल और मोटे हो गये थे और सच मे उनकी नाज़ुक चूत का भोसड़ा बन चुका था.
चूत अंदर से एक दम से लाल ब्लड रेड जैसे हो गयी थी. मैं ने आंटी की चूत पे किस किया और फिर उनकी चूत के अंदर से बहते हुये मिक्स रस को चाटने लगा.
आंटी की टाँगें मूडी हुई थी और अब वो फिर से अपनी गांड उचका उचका के मेरे मूह मे अपनी चूत को घुसा रही थी और अपने दोनो रानो से मेरे सर को दबा भी रही थी आंटी एक बार फिर से फुल मूड मे आ चुकी थी और मे उनकी चूत के खुले हुए सुराख मे अपनी ज़ुबान अंदर बाहर कर ज़ुबान से उनकी चूत को चोद रहा था. आंटी मेरे लंड को किसी आइस क्रीम की तरह से चूस रही थी और आज मुझे उनके चूसने मे इतना मज़ा आ रहा था के किसी के भी चूसने मे उतना मज़ा नही आया था और आंटी काँपते बदन के साथ मेरे मूह मे झड़ने लगी और मैं उनके मूह मे अपनी क्रीम के फव्वारे छोड़ता रहा जो आंटी के डाइरेक्ट हलक मे गिरता रहा. हम दोनो ने एक बार फिर से एक दूसरे की रस का टेस्ट किया.
 
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