ससुर कमीना और बहू नगीना - Page 2 - SexBaba
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ससुर कमीना और बहू नगीना

मैं: अरे नहीं जान, इस ड्रेस में तो तुम्हारा मस्त बदन और क़यामत बरसा रहा है। सच में आज मैं अपनी क़िस्मत पर फूला नहीं समा रहा कि क्या माल मिले हैं आज मुझे वो भी दो दो ।

सारिका: मैं यहाँ नहीं रुकूँगी, बस अभी चली जाऊँगी। आप जूलीके साथ अपना काम कर लो। मैं दो घंटे के बाद उसे लेने आऊँगी।

मैं हँसते हुए बोला: तुम्हारा आना अपनी इच्छा से हुआ पर जाना मेरी इच्छा से होगा। अच्छा आओ जूली बेटा, आओ हमारी गोद में बैठो। चलो तुमसे दोस्ती करते हैं। ये कहते हुए मैंने अपना आधा खड़ा लौड़ा पैंट में अजस्ट किया और जूली को उसपर बैठने का इशारा किया।

जूली झिझक रही थी तो उसकी सास उसे खड़ा की और मेरे पास लाकर मेरी गोद में बैठा दिया। जूली तो मेरे खड़े हो रहे लौड़े पर बैठकर थोड़ा सा चिंहुकी और अपने चूतरों को हिलाकर बैठ गयी। और इधर मैं: अरे नहीं जान, इस ड्रेस में तो तुम्हारा मस्त बदन और क़यामत बरसा रहा है। सच में आज मैं अपनी क़िस्मत पर फूला नहीं समा रहा कि क्या माल मिले हैं आज मुझे वो भी दो दो ।

सारिका: मैं यहाँ नहीं रुकूँगी, बस अभी चली जाऊँगी। आप जूलीके साथ अपना काम कर लो। मैं दो घंटे के बाद उसे लेने आऊँगी।

मैं हँसते हुए बोला: तुम्हारा आना अपनी इच्छा से हुआ पर जाना मेरी इच्छा से होगा। अच्छा आओ जूली बेटा, आओ हमारी गोद में बैठो। चलो तुमसे दोस्ती करते हैं। ये कहते हुए मैंने अपना आधा खड़ा लौड़ा पैंट में अजस्ट किया और जूली को उसपर बैठने का इशारा किया।

अब मैंने सारिका के पेट को सहलाना शुरू किया और उसकी टॉप को उठा कर उसके नंगे पेट को चूमने लगा। उसकी नाभि भी जीभ से कुरेदने लगा। फिर मैंने हाथ बढ़ाकर जूली की बाँह सहलाते हुए उसकी चूचि पकड़ ली। आऽऽह क्या सख़्त अनार सी चूचि थी। साथ ही मैंने अपना एक पंजा सीधा सारिका की बुर के ऊपर उसकी पैंट के ऊपर से रख दिया और उसको मूठ्ठी में लेकर दबाने लगा। एक साथ सास और बहू की आऽऽऽह निकली। दोनों मेरे इस अचानक हमले के लिए तय्यार नहीं थीं।

अब मैं बारी बारी से जूली की चूचि दबा रहा था और सारिका की बुर भी मसल रहा था। सारिका: आऽऽऽह छोड़िए ना। आज नहीं, आज सिर्फ़ जूली से मज़े लो। आऽऽहहहह मुझे जाने दो।
मैं: क्यों मज़ा ख़राब कर रही हो? देखो तुम्हारी बहु कितने मज़े से चूचियाँ दबवा रही है , तुम भी अपनी पैंट खोल दो अभी के अभी। ये कहते मैंने उसकी पैंट की ज़िपर नीचे कर दी और अंदर हाथ डाल दिया। मेरे हाथ उसकी बिलकुल गीली हो चुकी पैंटी पर थे और मैं बोला: देखो तुम्हारी बुर कितना पानी छोड़ रही है। चलो अब खोलो इसे और पहले मैं तुमको चोदूंग़ा और जब जूली की शर्म निकल जाएगी तब उसे भी चोद दूँगा।

अब मैंने जूली का टॉप खोला और वह हाथ उठाकर मुझे टॉप उतारने में मेरी मदद की। अब मैं ब्रा के ऊपर से उसकी बड़े अनारों के चूम रहा था। मैं: आऽऽहब क्या माल है तेरी बहु, आऽऽज बहुत मज़ा आएगा इसे चोदने में।

उधर सारिका बोली: तो चोदो ना उसे पर मुझे जाने दो। मुझे बड़ा अजीब लगेगा इसके सामने चुदवाने में।

जूली: माँ आप ये कैसी भाषा बोल रही हो?
मैं: अरे बेटा, चुदाई को तो चुदाई ही बोलेंगे ना? अब करवाएगी या मज़ा लेगी , इसका कुछ और मतलब भी हो सकता है, पर चुदाई का कुछ और मतलब सम्भव ही नहीं है । अब मेरी दो उँगलियाँ पैंटी के साइड से उसकी बुर में घुस गयीं। सारिका हाय्य्यय कहकर उछल गयी। फिर मैंने उँगलियाँ निकाली और जूली को दिखाकर बोला: देखो तुम्हारी सासु माँ की बुर कितनी चुदासि हो रही है। ये कहते हुए मैंने वो दोनों उँगलियाँ चाट लीं। जूली की आँखें अब मेरे द्वारा किए जा रहे चूचि मर्दन से और मेरी बातों से लाल होने लगी थी और वह चूतर हिलाकर मेरे लौड़े को अपनी गाँड़ पर महसूस करके मस्त हुई जा रही थी।

अब मैंने सारिका का पैंट का बेल्ट खोला और वह मेरे हाथ को हटाकर बोली: आप प्लीज़ मुझे जाने दो ना।

मैं: जूली फ़ैसला करेगी कि तुम जाओगी या नहीं। बोलो जूली क्या तुम चाहती हो कि तुम्हारी सासु माँ प्यासी रहे?

जूली: नहीं मैं ऐसा क्यों चाहूँगी? माँ आप रुक जाओ ना।

सारिका: तू भी इनकी तरफ़ हो गई? अभी तो चुदीं नहीं है तब ये हाल है, चुदाई के बाद तो मेरा साइड छोड़ ही देगी। अब हम तीनों हँसने लगे। अब सारिका ने भी विरोध छोड़ दिया और अपनी पैंट उतार दी।काली पैंटी में उसका गोरा भरा हुआ बदन बहुत कामुक दिख रहा था। मैंने उसकी मोटी जाँघें सहलायीं और फिर पैंटी नीचे कर दिया। उसने पैंटी भी उतार दी। उसकी मोटी फूली हुई बुर मेरी और जूली की आँखों के सामने थी। जूली भी इसे पहली बार देख रही थी। उसको आँखें वहीं चिपक गयीं थीं। अब मैंने सारिका को अपने पास खिंचा और उसकी बुर पर अपना मुँह रख दिया और उसे चूसने और चाटने लगा। जल्दी ही उसकी आऽऽऽहहहह निकल गयी और वह मेरा सिर अपनी बुर पर दबाके अपनी कमर हिलाने लगी। एक हाथ से अभी भी मैं जूली की चूचि दबा रहा था।

अब मैंने अपना मुँह उठाया और फिर मैंने जूली की ब्रा का स्ट्रैप खोला और उसकी नंगी चूचियाँ देखकर मैं जैसे अपने होश खो बैठा और उसकी चूचियाँ चूसने लगा ।अब मेरा हाथ सारिका के बुर में ऊँगली कर रहा था और दूसरा हाथ उसकी एक चूचि दबा रहा था और मेरे मुँह में उसकी दूसरी चूचि थी।
अब वो दोनों आऽऽऽहहह कर रही थीं और अब जूली खूल्लम ख़ूल्ला मेरे लौड़े पर अपनी बुर पैंट के ऊपर से रगड़ रही थी और उसकी कमर हिले जा रही थी। अब मैं बोला: चलो बिस्तर पर चलते हैं। वो दोनों मुस्करायीं और सारिका बोली: चलो आपने मुझे इतना गरम कर दिया है कि अब बिना चुदवाने मुझे चैन नहीं आने वाला।
 
वह अब बहुत गरम थी और मैंने सारिका को नीचे लिटाया और उसके ऊपर आकर उसे पागलों की तरह चोदने लगा। वह भी कमर उठकर मज़ा देने लगी। मैंने देखा कि जूली भी बग़ल में आकर लेट गयी और अपनी बुर में ऊँगली डाल रही थी और हमारी चुदाई को ध्यान से देख रही थी। कमरा फ़च फ़च की आवाज़ों से गूँज रहा था और वह ध्यान से मेरे धक्कों को देख रही थी मानो वो भी कोई नया अजूबा देख रही हो।

मैं बोला: क्या बात है जूली , क्या देख रही हो? तुम्हारा पति भी तो ऐसे ही चोदता होगा ना तुमको रोज़ ?

जूली: मेरे पति मुझे बहुत प्यार करते हैं और बड़े आराम से करते हैं। आपके जैसे जंगली की तरह नहीं करते।

तभी सारिका हाय्य्य्य्य्य्य्य्य और ज़ोर से चोओओओओओदो चिल्लायी और जूली हैरानी से अपनी सास को देखने लगी। वह अब ज़ोर ज़ोर से अपनी कमर उछालकर हाय्य्यय आऽऽह करके झड़ने लगी। अब उसके झड़ने के बाद मैंने अपना लौड़ा बाहर निकाल लिया और अब जूली के ऊपर आ गया। मेरा लौड़ा अभी भी पूरा खड़ा था और सारिका की बुर के रस से गीला होकर चमक रहा था।


अपने लौड़े को जूली की आँखों के सामने लाकर उसको झुलाते हुए मैं बोला: जूली बेटा मर्दाना चुदायी ऐसी होटी है। क्या तुम्हारा पति भी ऐसे ही धमासान चुदाई करता है? देखो तुम्हारी सासु माँ क्या मस्ती से चुदायी। अभी मैं तुमको ऐसे ही चोदूँगा। तुम कभी नहीं भूलोगी और मेरे पास बार बार आओगी चुदवाने जैसे तुम्हारी सास आती है।

जूली: अंकल आपको पता है कि मैं आपके पास सिर्फ़ इस लिए आयी हूँ कि मुझे माँ बनना है । वैसे आपको बता दूँ कि मेरे पति भी मुझे बहुत अच्छी तरह से संतुष्ट करते है और उनका भी आपके जैसे ही बहुत बड़ा है। बस पता नहीं स्पर्म कैसे कम हो गए । इसीलिए आपके पास आयी हूँ। मैं उनसे बहुत प्यार करती हूँ। पर हाँ वो ऐसे ज़ोर ज़ोर से नहीं करते जैसे आप किए थे अभी माँ को!


मैं: अरे उसी जबदरस्त चुदाई में ही तो मज़ा है बेटा। अभी देखना कैसे तुमको मस्त करता हूँ। बेटी लड़की एक से ज़्यादा मर्द से भी तो प्यार कर सकती है। जैसे तुम्हारी सास अब मुझे भी प्यार करने लगी है। वैसे ही तुम भी बहुत जल्दी मुझे भी प्यार करने लगोगी। मैं भी तो अपनी बीवी से भी प्यार करता हूँ।

जूली: आपकी सोच मेरे से अलग है।

मैं: अब तुम दोनों सुनो मेरी सोच तो यह है कि जब तुम्हारे पति का लौड़ा बहुत मस्त है तो सारिका को बाहर आकर मुझसे चुदवाने की क्या ज़रूरत है वो तो अपने बेटे से भी चुदवा सकती है ना।

जूली: क्या बकवास कर रहे हैं आप? भला ऐसा भी कहीं होता है? वो माँ बेटा हैं।

मैं: क्यों सारिका, तुम्हारे बेटे का लौड़ा मस्त है और अगर जूली को कोई ऐतराज़ ना हो तो क्या तुम अपने बेटे से चुदवा नहीं सकती?

सारिका: छी कैसी बातें कर रहे है आप? छोड़िए ये सब बकवास और जूली को चोदिए अब।

जूली: एक बात पूँछुँ अंकल? आपकी बेटी को भी आप चोदना चाहोगे क्या?

मैं: सच बताऊँ, अगर सविता नहीं होती तो सच में मैं अपनी बेटी को चोद देता। बस उसके डर से नहीं चोदा। वरना जब वह जवान हो रही थी तो कई बार मन में आया कि मेरी जवान बेटी किसी दूसरे से क्यों चुदवाए वो भी मेरे जैसे चुदक्कड के होते हुए।

जूली हैरानी से मुझे देख रही थी और मैंने अब अपने दोनों हाथ उसकी चूचियों पर रखे और उसके होंठ चूसने लगा। अब मैं जूली को चोद्ने की तय्यारी करने लगा। मैंने देखा कि सारिका बाथरूम से वापस आ गयी थी और हमारी टांगों की तरफ़ आकर बैठ गयी थी। अब वह मेरे बॉल्ज़ का मसाज़ करने लगी। मैं अब बहुत मस्त हो कर उसे चोदने की तय्यारी करने लगा।
 
राजीव रुका और रानी को अपना लौड़ा चूसते देखकर उसकी चूचि दबाकर बोला: मज़ा आ रहा है चूसने में?

रानी: चूसने में तो आ ही रहा है पर आपकी बात में ज़्यादा मज़ा आ रहा है। आगे क्या हुआ ?

राजीव आगे बोलता चला गया: -------

अब जूली की बुर में मैंने दो उँगलियाँ डालकर उसकी बुर और clit रगड़ने लगा और एक चूचि मुँह में और एक हाथ में लेकर उसके निप्पल्स को दबाने लगा। सारिका मेरे बॉल्ज़ चाटने लगी। फिर मैं नीचे आया और जूली की मस्त पूरी तरह से पनियाई हुई बुर को देखकर मस्ती से उसे चूम उठा। वह बहुत गरम होकर अपनी बुर को मेरे मुँह में अपने कमर उछालकर दबाने लगी।

अब सारिका बोली: क्यों तड़पा रहे हो बच्ची को , अब डाल भी दो ना। ये कहते हुए वह मेरे अकड़ा हुआ लौड़ा मसल दी। मैंने अब जूली की दोनों टाँगें पूरी तरह से फैलायी और उसके बीच में आकर अपना लौड़ा उसकी बुर के ऊपर सेट करके अपने लौड़े के सुपाडे से उसकी बुर के पूरे छेद और clit को लम्बाई में रगड़ने लगा। वह उइइइइइइइइ माँआऽऽ कर उठी।

मैं: जूली बेटा, बोलो चोदूँ? बोलो ना।

जूली: आऽऽहहह हाँ अंकल हाँ।

मैं : हाँ क्या? बोलो चोदूँ ?

जूली: हाऽऽयय्यय क्यों तड़पा रहे हैं अंकल । चोदिए ना प्लीज़ आऽऽऽऽऽऽऽहहह

मैं: ठीक है तो डाल दूँ ना अब अंदर अपना लौड़ा ?

जूली: हाय्य्य्य्य्य डालिए नाआऽऽऽऽ।

मैं: क्या डालूँ?

जूली: हाऽऽऽऽऽय्यय आऽऽऽऽऽऽपका गरम लौड़ाआऽऽऽऽ आऽऽह और क्या।

सारिका: क्यों तड़पा रहे हो चोदो ना अब उसको। देखो कैसी मरी जा रही है ये चुदवाने के लिए ।

मैंने मुस्कुराते हुए अपना लौड़ा उसकी गीली बुर में पेलना शुरू किया और टाइट जवान बुर मुँह खोलकर मेरा लौड़ा गपकते चली गयी। आऽऽहहह क्या ज़बरदस्त अनुभव था । उसकी बुर पूरे तरह से मेरे लौड़े को अपनी ग्रिप में जकड़ ली और मुझे बरसों के बाद बहुत मज़ा आया। अब मैंने चोदना शुरू किया। पहले धीरे धीरे से उसके होंठ और चूचि चूसते हुए और जल्दी ही ज़ोर से पिलाई करने लगा। वह पागलों की तरह चिल्ला कर आऽऽऽहहह हाय्य्यय और उइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽ कहकर अपनी गाँड़ उठाकर चुदवा रही थी।सारिका उसके सिर के पास बैठ कर उसकी छाती सहला रही थी।

अचानक मुझे लगा की वह मुझसे बुरी तरह चिपक रही है और चिल्लाई : उओइइइइओओओओ हाऽऽऽऽऽऽय्य। मुझे लगा कि वह झड़ रही है। पर मैं रुका नहीं और चुदाई चालू रखा। अब मैं भी झड़ने वाला था पर मैं रुका और उसके होंठ चूसते हुए उसकी चूतरों को दबाने लगा। और बोला: जूली मज़ा आ रहा है।

जूली: आऽऽऽह बहुत मजाऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽ रहा है। मैं तो एक बार झड़ भी गयी। अब दूसरी बार झड़ूँगी । आऽऽह आप चोदते रहिए। हाय्ययय क्या मस्त चोदते हैं आऽऽप। आऽऽऽहह।

मैं अब ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा। मैंने उसकी टाँगें उठाकर उसकी छाती पर रख दी और पूरी ताक़त से धक्के मारने लगा। पूरा पलंग हिल रहा था और फ़च फ़च के साथ ही हाय्य्य्य्यय मरीइइइइइइइइ की आवाज़ें गूँज रही थीं।

सारिका: थोड़ा धीरे से चोदो ना । क्या लड़की की फाड़ ही डालोगे।

जूली: आऽऽऽऽऽह माँ चोदने दो ऐसे है , हाय्य्य्य्य क्या मजाऽऽऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽ रहाऽऽऽऽऽ है माँआऽऽऽऽऽऽ। सच ऐसे मैं कभी भी नहीं चुदीं। हूँ। उइइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽ । ये कहकर वो अपनी गाँड़ उठा के मेरे धक्कों का जवाब देने लगी। अब मैंने भी उसके दोनों चूतरों को एक एक हाथ में लिया और ज़बरदस्त धक्के मारने लगा। सारिका अब उसके निप्पल्स दबाने लगी

मेरी एक ऊँगली उसकी गाँड़ के छेद को सहलाती हुई कब उसके छेद में घुस गयी मुझे भी पता नहीं चला। वह अब आऽऽऽहहह कर उठी। शायद उसका यह पहला अनुभव था गाँड़ में ऊँगली करवाने का ।

चुदाई अपने पूरे शबाब पर थी और सारिका की साँसे फिर से फूलने लगी थी हमारी चुदाई देखकर। वह अब अपनी बुर में दो ऊँगली डालके मज़े ले रही थी। जूली की मस्ती से भरी चीख़ें जैसे रुकने का नाम ही नहीं के रही थी। फिर अचानक वह चिल्लाई: आऽऽऽह्ह्ह्ह्ह मैं गइइइइइओओइओओओ । अब मैं भी झड़ने लगा। मैंने उसकी बुर के अंदर उसकी बच्चेदानी के मुँह पर ही अपना वीर्य छोड़ना शुरू किया। पता नहीं कितनी देर तक हम दोनों एक दूसरे से चिपके हुए अपने अपने ऑर्गैज़म का आनंद लेते रहे। सारिका बोली: अब उठो भी क्या ऐसे ही चिपके पड़े रहोगे?

मैं धीरे से उसके ऊपर से उठा और उसके बग़ल में लेट गया और बोला: आऽऽहहह आज बहुत दिन बाद असली चुदाई का मज़ा आया। सारिका , जूली तो बनी ही है चुदवाने के लिए। तुम इसे कहाँ छुपा कर रखी थी।

जूली मेरे नरम लौड़े से खेलते हुए बोली: मुझे क्यों ऐतराज़ होगा। उनका बेटा पहले है , मेरा पति तो बाद में बना है।

सारिका उलझन के साथ बोली: जूली क्या तुम भी यही चाहती हो?

जूली: माँ आज की चुदाई के बाद तो मुझे ऐसी चुदाई की ज़रूरत पड़ेगी ही। अब वो आपका बेटा करे तो ठीक नहीं तो अंकल तो हैं ही मेरे लिए। क्यों अंकल आप मुझे ऐसे ही चोदेंगे ना हमेशा? वो मुझसे चिपकते हुए और मेरी छाती को चूमते हुए बोली। उसका हाथ अभी भी मेरे लौड़े को सहला रहा था।

सारिका को सोच में देखकर मैं बोला: सारिका, ज़्यादा सोचो मत । तुम दोनों उसको अच्छी तरह से सिखा दो और फिर मज़े लो घर के घर में।

सारिका: हाँ लगता है आप ठीक ही कह रहे हो। अब बच्चा होने के बाद जूली आपसे हमेशा तो चुदवा नहीं सकती ना।
जूली: अंकल आपका फिर से खड़ा हो रहा है।
मैं: चलो चूसो इसको। सारिका तुम भी आओ और दोनों मिलके चूसो। वह दोनों मिलकर मेरे लौड़े और बॉल्ज़ को चूसने लगीं और मैं आनंद से भर उठा। आऽऽह क्या दृश्य था सास और बहू दोनों मेरे को अद्भुत मज़ा दे रहीं थीं। फिर मैंने सारिका को घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी ज़बरदस्त चुदाई की , उसकी लटकी हुई चूचियाँ अब जूली दबा रही थी। सारिका उइइइइइइइइ आऽऽऽऽऽहहह उन्ह्ह्ह्ह्ह करके जल्दी ही झड़ गयी। अब मैंने जूली को घोड़ी बनाया और उसकी भूरि गाँड़ के छेद को देखकर वहाँ जीभ डालके उसे चाटने लगा।वह आऽऽऽह कर उठी। फिर मैंने उसकी बुर में लौड़ा पेला और उसकी गाँड़ में दो ऊँगली डालके उसे ज़बरदस्त तरीक़े से चोदने लगा। क़रीब २० मिनट की घिसाई के बाद हम दोनों झड़ गए।

बाद में सारिका अपने कपड़े पहनते हुए बोली: मुझे तो लागत है कि जूली को आज ही गर्भ ठहर गया होगा। आप ऐसी चुदाई किए हो आज कि मैं भी हिल गयी।
 
जूली मुझसे लिपट कर बोली: थैंक यू अंकल । इतना मज़ा दिया और अगर माँ भी बन गयी तो सोने पे सुहागा हो जाएगा।

मैं: अगर का क्या मतलब बेटा, माँ तो बनोगी ही। देखना भगवान ने चाहा तो इस महीने तुम्हारा पिरीयड आएगा ही नहीं।

सारिका मेरे लौड़े को पैंट के ऊपर से दबाके बोली: सब इसका कमाल है । आह क्या मस्ताना हथियार है आपका।

हम तीनों हँसने लगे। फिर अगले दिन मिलने का कहकर वो चली गयीं।

रानी ने लौंडे को चूसते हुए पूछा : फिर क्या हुआ ?

मैं: बस इसी तरह चूदाई चलती रही और उसका अगले महीने पिरीयड नहीं आया। फिर दो तीन महीने बाद वह चुदवाना बंद कर दी। बाद में सारिका बताई कि वह भी अपने बेटे से ही चुदावाने लगी थी, और अब जुली और वह दोनों उससे ही अपनी बुर की प्यास बुझवाते थे। समय पर उसके एक बेटा हुआ और वो मुझे उसे दिखाने मेरी दुकान पर आयीं। बहुत सुंदर और प्यारा लड़का था । बस इसके बाद कभी कभी वो दुकान पर आतीं हैं तो मुलाक़ात हो जाती है ,वरना वह अपने घर ख़ुश और मैं अपने घर ख़ुश ।

यही कहानी है जुली के माँ बनने की, अब तुम्हारी बारी है , तुम भी इसी महीने गर्भ से हो जाओगी, देखना?

फिर मैंने उसका सिर अपने लौंडे से हटाया और उसको लिटाकर उसकी ज़बरदस्त चूदाई की। अपना वीर्य मैंने उसकी बच्चेदानी के मुँह पर ही छोड़ा ताकि वो भी जल्दी से माँ बन जाए।
 
रानी को चोदने के बाद राजीव जैसे बाथरूम से बाहर आया उसका फ़ोन बजा। सरला थी वो बोली: नमस्ते भाई साब , कैसे हैं?

राजीव: नमस्ते भाभी जी बढ़िया हूँ। आपको मिस कर रहा हूँ। आप और मालिनी बिटिया की बड़ी याद आ रही थी।

सरला: मैंने कूरीयर से मालिनी की कुंडली भेज दी है। आप पंडित जी से मिलवा लीजिएगा।

राजीव: अरे अब उन दोनों के दिल मिल गए हैं कुंडली भी मिल ही जाएगी। और शादी के बाद वैसे भी बाक़ी सब का भी मिलन हो ही जाएगा। यह कहते हुए वह कमिनी हँसी हँसा।

सरला: भाई सांब आप भी क्या क्या बोलते हैं । सगाई की कोई तारीख़ का सोचा आपने?

राजीव: अरे आप कल आ जाइए ना फिर हम दोनों पंडित से कुंडली भी मिलवा लेंगे और सगाई की तारीख़ भी तय कर लेंगे। और फिर हम अपनी भी दोस्ती और पक्की कर लेंगे। वह फिर से फूहड़ सी हँसी हँसा। सरला को उसके इरादों में गड़बड़ी दिखाई दी पर वह क्या कर सकती थी।

राजीव भी बाई करके फ़ोन काटा और अपने लौड़े को सहलाते हुए सोचा कि साली क्या माल है, मज़े तो लूँगा ही।

रानी जो उसे ध्यान से देख रही थी बोली: आप समधन को ठोकने का प्लान बना रहे हैं। है ना?

राजीव: साली मस्त माल है और अपने जेठ से ठुकवा रही है। मैं भी लाइन लगा लिया हूँ। यह कहते हुए वह हँसने लगा।

रात को शिवा से बात हुई तो वह बोला: आज मेरी मालिनी से बात हुई । वह बहुत संस्कारी लड़की है।

राजीव : हाँ बहुत प्यारी लड़की है। उसकी माँ एक दो दिन में आएगी और हम पंडित से मिलेंगे तुम्हारी सगाई की तारीख़ के लिए।

शिवा: ठीक है पापा अब मैं सोता हूँ।

राजीव हँसते हुए: क्या मालिनी से रात भर बात करनी है?

शिवा: नहीं पापा वो ऐसे ही, हाँ उसको गुड नाइट तो करूँगा ही। फिर वह हँसते हुए अपने कमरे में चला गया। उसके जाने के बाद वह भी सो गया । अगले दिन सरला का फ़ोन आया : नमस्ते भाई सांब ।

राजीव: नमस्ते जी। क्या प्लान बनाया है आपने?

सरला: जी कल आऊँगी और पंडित जी से सगाई की बात भी कर लेंगे।

राजीव: कौन कौन आएँगे?

सरला: मैं और जेठ जी आएँगे।

राजीव : चलिए बढ़िया है आइए और कल ही प्लान फ़ाइनल करते हैं। बस एक रिक्वेस्ट है?

सरला: कहिए ना , आप आदेश दीजिए। रिक्वेस्ट क्यों कर रहे हैं?

राजीव: आप गुलाबी साड़ी पहन कर आइएगा। आप पर बहुत जँचेगी।

सरला: ओह,आप भी ना, ये कैसी फ़रमाइश है भला? देखती हूँ , मेरे पास है कि नहीं। बाई।

राजीव भी अपना लौड़ा दबाते हुए सोचा कि क्या मस्त लगेगी वह गुलाबी साड़ी में।

राजीव सोचने लगा कि ये तो जेठ के साथ आ रही है । उसकी बात कैसे बनेगी? वह बहुत सावधानी से धीरेधीरे आगे बढ़ना चाहता था। उसने सोचा चलो देखा जाएगा।
 
राजीव ने शिवा को बताया कि कल उसकी होने वाली सास आ रही है। शिवा मुस्कुरा कर दुकान चला गया और रानी राजीव की खिंचाई करने लगी, सरला को लेकर। राजीव ने उस दिन रानी की ज़बरदस्त चुदाई की उसको सरला का सोचकर।
अगले दिन शिवा के जाने के बाद श्याम और सरला आए। राजीव ने सरला को देखा और देखता ही रह गया । वह गुलाबी साड़ी में मस्त क़ातिल माल लग रही थी। श्याम भी जींस और शर्ट में काफ़ी स्मार्ट लग रहा था। उसकी और राजीव की उम्र में कोई ज़्यादा अंतर नहीं था। हाँ सरला उनसे छोटी थी करीब ४५ की तो वो भी थी।
साड़ी उसने नाभि दर्शना ही पहनी थी और ब्लाउस भी छोटा सा था और पीछे से पीठ भी करीब पूरी नंगी ही थी। ब्लाउस में से उसके कसे स्तन देखकर राजीव के लौड़े ने अंगड़ाई लेना शुरू कर दिया था। उससे तेज़ सेण्ट की ख़ुशबू भी आ रही थी।
राजीव: आप लोग कैसे आए?

श्याम: बस से आए। अब सब बैठ गए।
राजीव ने रानी को आवाज़ दी और वह पानी लाई।
राजीव ने देखा कि श्याम रानी के ब्लाउस के अंदर झाँकने की कोशिश कर रहा था। वह समझ गया कि ये भी उसके जैसे ही कमीना है। वह मन ही मन मुस्कुराया।
सरला: भाई सांब , पंडित जी से बात हुई क्या?
राजीव: हाँ हुई है ना। अभी चाय पीकर वहाँ जाएँगे।
फिर सब चाय पीने लगे। इधर उधर की बातें भी होने लगी।

श्याम: बस से आए। अब सब बैठ गए।
राजीव ने रानी को आवाज़ दी और वह पानी लाई।
राजीव ने देखा कि श्याम रानी के ब्लाउस के अंदर झाँकने की कोशिश कर रहा था। वह समझ गया कि ये भी उसके जैसे ही कमीना है। वह मन ही मन मुस्कुराया।
सरला: भाई सांब , पंडित जी से बात हुई क्या?
राजीव: हाँ हुई है ना। अभी चाय पीकर वहाँ जाएँगे।
फिर सब चाय पीने लगे। इधर उधर की बातें भी होने लगी।

पंडित को राजीव ने एक दिन पहले ही सेट किया था। देखना था कि पंडित कितना मेनेज कर पाता है सरला को।
कार पंडित के घर के पास रुकी और सरला अपना पल्लू ठीक करते हुए कार से उतरी और उसके बड़े दूध राजीव को मस्त कर गए। पंडित की उम्र क़रीब ६५ साल की थी। उसके घर में बैठने के बाद राजीव ने कुंडलियाँ देखीं और थोड़ी देर में ही गुँण मिलने की घोषणा कर दिया। अब श्याम और राजीव एक दूसरे को बधाई देने लगे। सरला ने भी बधाई दी।

अब राजीव सरला को बोला: भाभी जी , ये बहुत पहुँचे हुए ज्ञानी पंडित जी हैं। आप अपना हाथ इसे दिलाइए। बहुत सटीक भविष्य वाणी करते हैं।
सरला बहुत उत्सुकता से अपना हाथ उनको दिखाई।
पंडित ने उसका हाथ देखा और बोला: मैं आपको अकेले में बताऊँगा । आप दोनों थोड़ा बाहर जाइए।
राजीव और श्याम बाहर आ गए।
 
पंडित उसके मुलायम हाथ को सहला कर बोला: देखो बेटी, मैंने तुम्हारे हाथ को रेखाओं में कुछ अजीब चीज़ देखी है, इसीलिए तुमको बता रहा हूँ।
सरला: क्या हुआ पंडितजी ? कुछ गड़बड़ है क्या?
पंडित: अरे नहीं बेटी, अब तुम बिना पति के अपनी बिटिया की शादी करने जा रही हो ना? तो तुम बहुत ख़ुश क़िस्मत हो कि तुमने बहुत अच्छा परिवार मिला है रिश्ते के लिए।
सरला ख़ुश होकर: जी पंडित जी , आप सही कह रहे हैं।
पंडित: एक बात और ये रेखा बता रही है कि तुम्हें अब एक नया प्रेमी मिलने वाला है जो तुमको बहुत प्यार करेगा।
सरला चौंक कर बोली: छि पंडित जी , ये क्या कह रहे हैं? भला इस उम्र में मुझे ये सब करना शोभा देता है क्या? ये नहीं हो सकता।
पंडित: बेटी, मैं तो वही बताऊँगा जो कि रेखाएँ दर्शा रही है। तुम्हारे जीवन में अब कोई पुरुष आने वाला है जो कि तुम्हें बहुत प्यार करेगा ।सरला: आपने तो मुझे उलझन में डाल दिया। अच्छा सगाई की तारीख़ कब की निकली?
पंडित: अगले महीने की दस को।
सरला ने पंडित के पैर छुए और उसे दक्षिणा दी। पंडित मन ही मन मुस्कुराया और सोचा किउसने राजीव का काम शायद सही तरीक़े से कर दिया है।
सरला बाहर आइ और बोली: चलिए सगाई की तारीख़ अगले महीने की १० को निकली है।
श्याम: पंडित ने तुमको अकेले में क्या बताया?
राजीव ने ध्यान से देखा कि उसके गाल शर्म से लाल हो गए थे। वह बोली: बस ऐसे ही कुछ मालिनी और शिवा के बारे में बता रहे थे। कुछ ख़ास बात नहीं है। चलिए अब ।
राजीव ने देखा किपंडित ने अपना काम ठीक से कर दिया है। अब उसका काम है दाना डालने का। वो कमिनी मुस्कान लाकर सोचा कि अब इसे पटाना है।
राजीव : चलो कहीं कॉफ़ी हाउस में कॉफ़ी पीते हैं।
फिर वो सब एक कॉफ़ी हाउस पहुँचे।

कॉफ़ी हाउस में श्याम और राजीव सरला के आजु बाजु बैठे। इन्होंने एक कैबिन लिया था ।
राजीव: भाभी जी क्या लेंगीं?
सरला: आप मुझे भाभीजी मत कहिए , मैं तो आपसे छोटी हूँ। आप मुझे नाम से ही बुलाइए।
राजीव: अच्छा सरला क्या लोगी कॉफ़ी के साथ?
सरला: मुझे तो सिर्फ़ कॉफ़ी पीनी है।
तभी श्याम का फ़ोन बजा और वह बाहर चला गया कहकर कि एक मिनट में आया।
राजीव : आप कुछ खाती नहीं क्योंकि आपको अपना फिगर बनाए रखना है ना ?
सरला: काहे का फ़िगर ? कितनी मोटी तो हूँ मैं?
राजीव: तुम और मोटी? तुम्हारा फ़िगर तो किसी को भी पागल कर दे सरला। सच कहता हूँ कि तुममें जो बात है ना वह मुश्किल से किसी में मिलती है। मैं बताऊँ मुझे तो तुम्हारी जैसी भरी हुई औरतें ही अच्छी लगती हैं । मेरी वाइफ़ का भी फ़िगर बिलकुल तुम्हारे जैसे ही था । मस्त भरा हुआ बदन।
ये सब उसने उसकी चूचि को घूरते हुए कहा।
सरला की हालत काफ़ी ख़राब हो रही थी, इस तरह की तारीफ़ सुनकर। आख़िर तो वह भी एक औरत ही थी, जिसे अपने रूप का बखान अच्छा लगता है।
सरला: क्या भाई सांब आप तो मेरे पीछे ही पड़ गए।
राजीव ने हिम्मत की और उसका हाथ अपने हाथ में लेकर बोला: सरला सच में तुम्हें देखकर मुझे अपनी स्वर्गीय बीवी की याद आती है । वह भी बिलकुल तुम्हारी जैसी प्यारी थी।
ये कहते हुए उसने अपने आँसू पोछने की ऐक्टिंग की ।
सरला भावुक हो गयी और बोली: आप बहुत अच्छे हैं, भाई सांब । कई लोग तो बीवी के जाते ही नयी शादी कर लेते हैं । आपने ऐसा नहीं किया।
राजीव: अगर तुम जैसी कोई मिल जाती तो मैं वो भी कर लेता।
सरला: क्या भाई सांब आप भी कुछ भी बोल देते हैं?
राजीव : मैं तो दिल की बात कर रहा हूँ। वैसे एक विचार आया है, क्यों ना हम दोनों भी उसी मंडप में शादी कर लें जिसने शिवा और मालिनी की शादी होगी? क्या कहती हो?
उसने सरला का हाथ सहलाते हुए कहा।
सरला हंस दी: आप भी ना , कोई ऐसा मज़ाक़ भी करता है?
राजीव: सरला, जब तुम हँसती हो तो और भी सेक्सी लगती हो।
सरला: छी ये क्या बोल रहे हैं। राजीव ने देखा कि वह अपना हाथ उसके हाथ से छुड़ाने का कोई प्रयास नहीं कर रही थी ।
सरला सोचने लगी किक्या पंडित जी ने राजीव के बारे में ही कहा था कि उसके ज़िंदगी में प्यार आएगा।
 
तभी श्याम अंदर आया और अपनी कुर्सी ओर बैठ गया। सरला ने अपना हाथ राजीव के हाथ से छुड़ा लिया था। श्याम के बैठने के बाद राजीव ने सरला का हाथ टेबल के नीचे से फिर पकड़ लिया था। सरला ने भी मना नहीं किया। अब वह उसकी नरम और गुदाज कलाई को सहलाए जा रहा था। तभी राजीव की नज़र श्याम के पीछे रखे आइने पर पड़ी और वह चौक गया। श्याम ने भी उसकी एक कलाई को अपने हाथ में लेकर सहलाना शुरू कर दिया था।
बेचारी सरला दो दो मर्दों के हाथों में अपना हाथ दे रखी थी। तभी कोफ़्फ़ी आयी और सरला ने बेज़ारगी से राजीव को देखा और उसने उसका हाथ छोड़ दिया।
राजीव ने देखा की श्याम अब भी उसकी कलाई सहला रहा था ।फिर वो उसकी जाँघ भी सहलाने लगा ।
राजीव ने भी हिम्मत की और अपना एक हाथ उसके घुटने पर रख दिया। सरला चौक कर उसकी ओर देखी। पर कुछ नहीं बोली।
फिर जब श्याम का हाथ उसकी जाँघ पर ज़्यादा ही ऊपर की ओर आ गया तब वह श्याम से बोली: भाई सांब , आपकी कुर्सी पीछे करिए ना मुझसे टकरा रही है। श्याम समझ गया कि वह कुर्सी के बहाने उसे जाँघ से हाथ हटाने को कह रही है। उसने हाथ भी हटा लिया और कुर्सी भी खिसका ली।
राजीव ने आइने में सब देखा और फिर अपना हाथ धीरे से उसकी जाँघ पर फेरने लगा , सरला ने उसकी तरफ़ देखा पर वह चुपचाप उसकी जाँघ सहलाता रहा। अब सरला के चुप रहने से उसकी हिम्मत भी बढ़ी और वह जाँघ को हल्के से दबाने भी लगा। सरला की बुर में हलचल होने लगी।
श्याम तो उसको चोदते ही रहता था पर राजीव का स्पर्श नया था और पंडित भी बोला था कि नया प्रेमी मिलेगा। तभी राजीव ने अपना चम्मच नीचे गिरा दिया और उसको उठाने के बहाने सरला की साड़ी को भी थोड़ा सा उठा दिया और उसकी पिंडलियां सहलाने लगा। नरम नरम भरी हुई पिंडली और घुटना मस्त लगा उसको।
सरला भी उसकी हिम्मत की दाद देने लगी। उसने अपना हाथ राजीव के हाथ पर रखा और उसे हटाने को इशारा किया। पर राजीव की तो हिम्मत जैसे और बढ़ गयी। वो उसकी साड़ी को और उठाके उसकी नरम गुदाज जाँघ सहलाने लगा। सरला की आह निकल गयी। श्याम ने पूछा क्या हुआ?
सरला: कुछ नहीं मुँह जल गया थोड़ी ज़्यादा गरम है कोफ़्फ़ी ।
तभी राजीव का हाथ उसकी जाँघ में और आगे बढ़ता हुआ उसकी पैंटी से थोड़ा ही दूर था । तभी वेटर बिल ले आया और उसने अपना हाथ बाहर निकाल लिया और अपनी उँगलियाँ चाट लिया। सरला उसके इशारों को समझ गयी और उसका चेहरा लाल हो चुका था । उसकी बुर पैंटी को गीला करने लगी थी । फिर वो कोफ़्फ़ी हाउस से बाहर आए।

राजीव बाहर आते हुए बोला: चलिए आपको दुकान दिखाया जाए और शिवा से भी मिल लेना।
सरला: हाँ हाँ मुझे दामाद से तो मिलना ही है चलिए। कोफ़्फ़ी हाउस बाहर आते आते राजीव ने उसकी नंगी कमर को हल्के से छुआ और वो सिहर उठी। राजीव धीरे से उसके पीछे चलते हुए बोला: मस्त नरम कमर है तुम्हारी।
सरला: आप अब बच्चों जैसी हरकत बन्द करिए आपको शोभा नहीं देती ।
श्याम आगे चल रहा था अब राजीव ने उसके चूतरपर भी हल्के से हाथ फेरा। वह मुड़कर उससे बोली: क्या कर रहे हैं। कोई देख लेगा।
राजीव: सॉरी । और फिर वो कार में बैठकर दुकान की ओर चल पड़े।
दुकान में शिवा ने उनका स्वागत किया और उसने श्याम और सरला के पैर छुए। सरला ने उसे आशीर्वाद दिया और प्यार से उसका माथा चूमा। ऐसा करते हुए उसकी बड़ी चूचियाँ शिवा की ठुड्डी को छू गयीं और राजीव को शिवा से जलन होने लगी।
शिवा उन दोनों को बड़े उत्साह से दुकान दिखा रहा था। और राजीव की नज़र अपनी समधन के बदन से हट ही नहीं रही थी। फिर श्याम शिवा के साथ men सेक्शन में कपड़े देखने लगा और राजीव सरला को बोला: चलो मैं तुम्हें कुछ ख़ास साड़ियाँ दिखाता हूँ। वह उसे लेकर साड़ी के काउंटर में पहुँचा और उसको कई शानदार साड़ियाँ दिखाकर बोला: ये सब तुमको बहुत अच्छी लगेंगी। अपने ऊपर लपेट कर देखो।
सरला उदास होकर बोली: भाई सांब, अभी तो मुझे मालिनी के लिए कपड़े लेने है और शादी में बहुत ख़र्च होगा इसलिए मैं अपने लिए तो अभी कुछ नहीं खरिदूँगी।
राजीव: अरे तुमसे पैसे भला कौन माँग रहा है। तुम बस साड़ी पसंद करो मेरी ओर से गिफ़्ट समझना।
सरला: नहीं नहीं मैं आपसे कैसे गिफ़्ट ले सकती हूँ? हम तो लड़की वाले हैं।
राजीव: अगर मालिनी के पापा होते तो तुम्हारी बात सही होती पर अभी इसका कोई मतलब नहीं है। ठीक है? मैं चाहता हूँ कि ये गिफ़्ट तुम मेरी प्रेमिका बन कर लो।
सरला हैरानी से बोली: ये आप क्या बोल रहे हैं? मैं कैसे आपकी प्रेमिका हो सकती हूँ भला?
राजीव: क्यों मर्द और औरत ही तो प्रेम करते हैं । तो हम क्यों नहीं कर सकते?
सरला उठकर जाने लगी तब राजीव बोला: तुम्हें मेरी क़सम है अगर तुम बिना साड़ी लिए गई तो ।
सरला फिर से बैठ गयी और बोली; सब पूछेंगे तो मैं क्या बोलूँगी कि गिफ़्ट क्यों ली?
राजीव ने जेब से ५०००/ निकाले और उसको देकर बोला: कहना कि तुमने साड़ी अपने बचाए हुए पैसों से ख़रीदी है।
वो चुपचाप पैसे रख ली और फिर २ साड़ियाँ ली एक अपने लिए और एक मालिनी के लिए।
अपनी साड़ी उसने राजीव की पसंद की ही ली थी। राजीव ने उसे साड़ी के ऊपर ही साड़ी पहनने में मदद भी की और इस बहाने उसके गुदाज बदन का भी मज़ा लिया। उसके हाथ एक बार उसकी चूचि पर भी पड़े और दोनों सिहर उठे।
काउंटर पर पैसे देने के समय राजीव बोला: क्यों शिवा अपनी सास और बीवी की साड़ियों के पैसे लेगा
शिवा ने पैसे नहीं लिए और साड़ियाँ पैक करके सरला को दे दीं।
सरला धीरे से बोली: और वो पैसे जो आपने मुझे दिए उनका क्या?
राजीव: मेरी तरफ़ से कुछ अच्छी सी झूमके ले लेना। तुम पर बहुत सजेंगे।
सरला मुस्कुराती हुए बोली: शादी मेरी नहीं मेरी बेटी की हो रही है।
राजीव अब ख़ुश था उसको पता चल गया था कि उसे पैसों की ज़रूरत है और वह सरला को पटाने में क़रीब क़रीब सफल होने जा रहा था।
 
श्याम बोला: अब चलते हैं, आप हमें बस स्टॉप पर छोड़ दो।
राजीव : खाना खा कर जाना अभी इतनी जल्दी क्या है।
सरला: नहीं अभी जाना होगा। अब सगाई की तय्यारी भी तो करनी है।
राजीव उनको बस स्टॉप तक ले गया। जब श्याम टिकट लेने गया तब राजीव ने सरला का हाथ पकड़ लिया और बोला: सरला मुझे तुमसे प्यार हो गया है। तुम चाहो तो मैं तुमसे शादी करने को तय्यार हूँ।
सरला: काश आप मुझे पहले मिले होते तो मैं आपसे शादी कर लेती पर अब तो बहुत देर हो चुकी है।
राजीव: तो क्या हमारा प्यार ऐसे ही दम तोड़ देगा। कमसे कम कुछ समय तो हमें एकांत में आपस में बातें करते हुए बिताना चाहिए।
सरला: मैं भी आपसे मिलना चाहती हूँ, पर देखिए भाग्य को क्या मंज़ूर है।
राजीव: हम चाहें तो हम ज़रूर मिल सकते हैं। मैं तुम्हें फ़ोन करूँगा ठीक है?
सरला: फ़ोन नहीं SMS करिएगा।
फिर श्याम को आते देख राजीव ने सरला के हाथ को एक बार और दबाया और फिर उसका हाथ छोड़ दिया।
अब श्याम बस में चढ़ गया पर साड़ी के कारण सरला को चढ़ने में थोड़ी दिक़्क़त हो रही थी। राजीव ने उसकी कमर और चूतरों को दबाकर उसको ऊपर चढ़ा दिया। वो मुस्कुरा कर पलटी और प्यार से थैंक्स बोलकर गाड़ी में बैठ गयी और बस चली गयी।
राजीव सरला के बारे में सोचते हुए अपने घर को वापस आया। घर पर रानी खाना लगा रही थी।
वो आँख मारकर बोली: समधन को कहाँ छोड़ आए?
राजीव उसको खींचकर अपनी गोद में बिठाया और बोला: समधन को मारो गोली। यहाँ तू तो है ना मेरे लिए । ये बोलते हुए उसकी छातियाँ दबाते हुए उसके होंठ चूसने लग। रानी ने कोई विरोध नहीं किया। वो भी सुबह से चुदासि थी। उसको अपनी गोद से हटाकर राजीव खड़ा हुआ और अपनी पैंट और चड्डी निकाल दिया। उसका खड़ा लौड़ा बुरी तरह से अकड़ा हुआ था । वह वापस सोफ़े पर बैठा और रानी को ज़मीन में बिठाया और वह उसकी जाँघों के बीच आके उसका मोटा लौड़ा चूसने लगी। थोड़ी देर बाद वह रानी को सोफ़े पर उलटा लिटाया और उसकी साड़ी और पेटिकोट को एक साथ ऊपर चढ़ाया और उसके नंगे चूतरों को दबाकर उसको सोफ़े के किनारे पर लाया और उसकी कमर को पकड़कर उसकी टाँगे फैलाकर उसकी बुर में पीछे से अपना लौड़ा पेल दिया। वो अब उसे चौपाया बनाकर बुरी तरह से चोदने लगा। उसने आँखें बन्द की और सरला के चेहरे को याद किया और ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा।
रानी की चीख़ें निकलने लगी और वह आऽऽऽऽहहह मरीइइइइइइओइ उइइइइइइइ कहकर मज़े से चुदवाने लगी। जल्दी ही रानी झड़ने लगी। अब उसने रस से सना अपना लौड़ा बाहर निकाला और उसने उसपर थूक लगाया और ऊँगली में ढेर सारा थूक लेकर उसकी गाँड़ में दो ऊँगली डाल कर अंदर बाहर करने लगा। रानी चीख़ी :आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह जलन हो रही है।
पर आज तो राजीव कुछ भी सुनने को जैसे तय्यार नहीं था । वह सामने पड़ी क्रीम की शीशी से क्रीम निकाला और रानी की गाँड़ में लगाया और अपने लौड़े पर भी मला और फिर उसकी गाँड़ में अपने लौड़े का सुपाड़ा अंदर करने लगा।
रानी चिल्लाई: आऽऽऽऽंह दर्द हो रहा है।
पर राजीव आज कुछ अलग ही मूड में था। उसने आधा लौड़ा एक धक्के में ही अंदर कर दिया। और अगले धक्के में पूरा लौड़ा आँड तक पेल दिया।
अब वह रानी की गाँड़ को ज़बरदस्त तरीक़े से चोदने लगा। कमरा ठप ठप की आवाज़ों से और रानी की हाय्य्यय उइइओओइओओ मरीइइइइइइइ गूँजने लगा।
जल्दी ही रानी भी मज़े में आ गयी और अपने चूतरों को पीछे दबाके पूरा मज़ा लेने लगी। अब राजीव ने अपनी चुदाई की गति बढ़ाई और वह आऽऽहहहह ह्म्म्म्म्म्म करके झड़ने लगा। उसने नीचे हाथ बढ़ाकर रानी की बुर में भी तीन ऊँगली डाली और उसकी clit को भी रगड़ा। रानी भी उइइइइइइइओ माँआऽऽऽऽऽऽ कहकर झड़ गयी। अब राजीव उसके अंदर से अपना लौड़ा निकाला और बाथरूम में जाकर सफ़ाई करके बाहर आकर नंगा ही सोफ़े पर बैठा। रानी भी बाथरूम से आयी और उसंके पास बैठ गयी।
रानी: आज आपको क्या हो गया था? इतनी बुरी तरह से चोद रहे थे?
राजीव: बस ऐसे ही , सुबह से सरला ने बहुत गरम कर दिया था। वैसे तुम्हारी गाँड़ बहुत मस्त है। दुःख रही होगी ना?
रानी: नहीं दुखेगी? पूरी फाड़ दी है आपने। ख़ून भी आ गया है।
राजीव: क्या करूँ? इतनी सुंदर दिख रही थी कि रहा नहीं गया और पेल दिया। पर बहुत मज़ा आया । और हाँ मज़ा तो तुमको भी आया क्योंकि चूतर दबाकर पूरा लौड़ा निगल रही थी तुम भी।
रानी: जी मज़ा तो आया पर अब दुःख रही है।
राजीव उठा और एक मलहम लेकर आया और बोला: चलो साड़ी उठाओ मैं ये मलहम लग देता हूँ। जब मैं सविता याने अपनी बीवी की गाँड़ मारता था तब भी ये क्रीम लगा देता था।
रानी उठी और अपनी साड़ी उठायी और अपने चूतरों को उसके सामने करके आगे को झुकी और अपने चूतरों को फैला दी। उसकी बुरी तरह से लाल गाँड़ का छेद उसके सामने था । उसने छेद को फैलाकर उसकी गाँड़ में उँगली से क्रीम डाली और बाद में उसके छेद के ऊपर भी क्रीम लगा दिया।
रानी: आह अब आराम मिल रहा है। ये कहकर उसने अपनी साड़ी नीचे गिरा दी।
अब वह बाथरूम जाकर हाथ धोया और फिर जाकर लेट गया और सरला के बदन की ख़ुशबू को याद करते हुए सो गया।
 
शाम को उसने सरला को sms किया: हाई , क्या हो रहा है?
सरला का जवाब थोड़ी देर से आया: बस सगाई की प्लानिंग।
राजीव: हम्म और मुझे मिस कर रही हो?
सरला: आप मिस कर रहे हैं क्या?
राजीव: बहुत ज़्यादा मिस कर रहा हूँ।
सरला: मैं भी मिस कर रही हूँ।
राजीव: अच्छा मैं तुमको कैसा लगता हूँ?
सरला: अच्छे लगते हैं।
राजीव: मेरा क्या अच्छा लगता है?
सरला: आपकी बातें और आपका अपनापन दिखाना।
राजीव: बस और कुछ नहीं?
सरला: और अभी देखा ही क्या है अभी तक?
राजीव: तुम मौक़ा तो दो, और सब भी दिखा देंगे।
सरला: छी , कैसी बातें कर रहे हैं? कुछ तो उम्र का लिहाज़ कीजिए।
राजीव: उम्र का क्या हुआ? ना मैं अभी बूढ़ा हुआ हूँ और तुम तो अभी बिलकुल जवान ही धरी हो।
सरला: मेरी बेटी जवान हो गयी है और आपका बेटा भी जवान हो गया है और आप मुझे जवान कह रहे हैं?
राजीव: ज़रा शीशे में देखो क्या मस्त जवान हो तुम। तुम्हारे सामने तो आज की जवान लड़कियाँ भी पानी भरेंगी।
सरला: आप भी मुझे शर्मिंदा करने का कोई मौक़ा नहीं छोड़ते।
राजीव: मैं सही कह रहा हूँ। तुम्हारे सामने तो अब क्या बोलूँ? तुम बुरा मान जाओगी।
सरला: नहीं मानूँगी, बोलिए क्या बोलना है?
राजीव: तुम मालिनी से भी ज़्यादा हसीन हो जानेमन।
सरला इस सम्बोधन से चौंकी और लिखी: अच्छा अब रखती हूँ।
राजीव: नाराज़ हो गयी क्या?
सरला: अब आप माँ बेटी में तुलना कर रहे हो, तो क्या कहूँ?
राजीव: अच्छा चलो जाने दो, ये बताओ अब कब मिलना होगा?
सरला: अभी तो कुछ पक्का नहीं है। देखिए कब भाग्य मिलाता है हमें।
राजीव: ठीक है , इंतज़ार रहेगा। बाई ।
सरला: बाई।
राजीव ने सोचा कि गाड़ी सही लाइन पर है।
अगले कुछ दिन राजीव ने पूरा दिन सगाई की प्लानिंग में लगाया। वह चाहता था कि पूरा फ़ंक्शन बढ़िया से हो। सरला से वह sms के द्वारा बात करते रहता था। तभी श्याम का एक दिन फ़ोन आया कि वह राजीव के शहर आ रहा है ताकि सारी बातें सगाई की अच्छी तरह से हो जाएँ। सरला नहीं आ रही है ये जान कर वह काफ़ी निराश हुआ।
अगले दिन श्याम आया और दिन भर दोनों सगाई की तय्यारीयों का जायज़ा लिया और फिर दोपहर को खाना एक रेस्तराँ में खाया। राजीव ने बीयर ऑर्डर की तो श्याम बोला किमैं तो जिन पियूँगा। राजीव बीयर और श्याम जिन पीने लगा। जल्दी ही श्याम को चढ़ गयी।
राजीव ने सोचा कि इससे नशे की हालत में सरला की कुछ बातें की जाएँ।
राजीव: श्याम भाई ये तो बताओ कि सरला इस उम्र में भी इतनी सुंदर कैसे है?
श्याम थोड़े से सरूर में आकर: पता नहीं यार, मगर भगवान उसपर कुछ ज़्यादा ही मेहरबान हैं। देखो ना इस उम्र में भी क्या क़यामत लगती है।
राजीव: वही तो देखा जाए तो इस उम्र में औरतें मोटी और बेडौल हो जाती हैं, पर वह तो अभी भी मस्त फ़िगर मेंटेंन की है।
श्याम: हाँ भाई सच है अभी भी मस्ती से भरी हुई लगती है।
राजीव: एक बात पूँछुँ बुरा तो नहीं मानोगे?
श्याम नशे में : पूछो यार अब तो हम दोस्त हो गए।
राजीव: वो विधवा है और तुम दोनों एक ही घर में रहते हो। तुम्हारा ईमान नहीं डोलता ?
वह जान बूझकर पूछा हालाँकि उसको तो पता था कि वो सरला की चुदाई करता रहता है।
श्याम झूमते हुए : अब यार तुमसे क्या छपाऊँ, सच तो ये है जब मेरा भाई इसको ब्याह के लाया था तभी से मैं उसका दीवाना हो गया था।
राजीव: ओह तो क्या तुम उसकी इसके पति के जीते जी ही पटा चुके थे।
श्याम: हाँ यार , मेरी बीवी बीमार रहती थी और जवानी का मज़ा नहीं देती थी। और मेरा छोटा भाई भी इसे ज़्यादा सुख नहीं दे पाता था। सो ये मुझसे जल्दी ही आसानी से पट गयी। सच तो ये है कि मालिनी मेरी ही बेटी है।
राजीव उसका मुँह देखता रह गया।
राजीव: ओह ये बात है। तो क्या अभी भी तुम उसको चो- मतलब करते हो?
श्याम: हाँ यार पर सबसे छुपाकर। मगर मुझे शक है कि घर में सबको पता है और सब चुप रहते हैं। पर हम अभी भी खूल्लम ख़ूल्ला कभी नहीं करते।
राजीव: यार तुम तो बहुत लकी हो ।
श्याम: लगता है कि तुमको भी पसंद है वो। है ना? मैंने तुमको उसे कई बार घूरते देखा है।
राजीव: हाँ यार सच में बोम्ब है वो, मेरी नींद ही उड़ा दी है उसने।
श्याम: तुम चाहो तो उसे पटा सकते हो?
राजीव: वो कैसे?
श्याम: देखो अभी हमें पैसों की बहुत ज़रूरत है अगर तुम इस समय उसकी मदद कर दोगे तो वह तुम्हारे सामने समर्पण कर देगी।
राजीव: ओह ऐसा क्या?
श्याम: वो इस समय ज़ेवरों को लेकर बहुत चिंतित है। तुम इसमे उसकी मदद कर सकते हो।
राजीव: अरे ये तो बहुत ही सिम्पल सी बात है। मैं अपनी बीवी के ज़ेवर पोलिश करवा के उसे दे दूँगा और वो उसे मेरी बहु को दे देगी। इस तरह घर का माल घर में वापस आ जाएगा। और सबकी इज़्ज़त भी रह जाएगी।
श्याम: वाह क्या सुझाव है। वो तो तुम्हारे अहसान तले दब ही जाएगी। तुम उससे मज़े कर लेना।
राजीव: तुमको बुरा तो नहीं लगेगा।
श्याम: यार इसमें बुरा लगने की क्या बात है? यार औरत होती है चुदाई के लिए। तुमसे भी चूद जाएगी तो क्या उसकी बुर घिस जाएगी?
राजीव: आऽऽह यार तुमने तो मस्त कर दिया। अभी उसे फ़ोन लगाऊँ क्या?
श्याम: लगाओ इसमे क्या प्रॉब्लम है।
राजीव सरला को फ़ोन लगाया।
सरला: हाय ।
राजीव: हाय कैसी हो?
सरला: ठीक हूँ।
श्याम ने इशारा किया कि स्पीकर मोड में डालो और मेरे बारे में यहाँ होने की बात ना करो। ये कहते हुए उसने आँख मारी।
राजीव: क्या कर रही हो? श्याम बोल रहा था कि तुम सगाई की तय्यारी में लगी हो।
सरला: हाँ बहुत काम है अभी। श्याम भाई सांब चले गए क्या वापस?
राजीव ने आँख मारते हुए कहा: हाँ वो वापस चले गए। वो बता रहे थे कि तुम ज़ेवरों के लिए बहुत परेशान हो?
सरला: वो क्या है ना मेरे पास इतने पैसे नहीं है कि बहुत महँगे ज़ेवर ख़रीद सकूँ तो थोड़ी सी परेशान हूँ।
राजीव: अरे इसमे परेशानी की क्या बात है। तुम ऐसा करो कि कल यहाँ आ जाओ और मेरी बीवी के ज़ेवर पसंद कर लो। तुम उनको ही अपनी बेटी को दे देना। वह आख़िर मेरे घर में वापस आ जाएँगे। मुझे पैसे का कोई लालच नहीं है। मुझे तो बस अपने बेटे की ख़ुशी के लिए मालिनी जैसी प्यारी बहु चाहिए।
सरला: ये क्या कह रहे हैं आप । क्या आप सच में ऐसा करेंगे? मेरी तो सारी परेशानी ही दूर हो जाएगी।
राजीव: अरे मैं यही तो चाहता हूँ कि तुम्हारी सारी परेशानी दूर हो जाए। तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो। और तुमको परेशान नहीं देख सकता।
श्याम मुस्कुराया और आँख मारी।
सरला: तो मैं कब आऊँ?
राजीव : अरे कल ही आ जाओ और ज़ेवर पसंद कर लो तो मैं उनको पोलिश करवा दूँगा।
सरला: ठीक है मैं कल श्याम भाई सांब के साथ आ जाऊँगी।
राजीव : अरे वो तो अभी वापस गया है क्या फिर से कल वापस आ पाएगा?
सरला: ओह हाँ देखिए मैं उनको बोलूँगी आ सके तो बढ़िया वरना अकेली ही आ जाऊँगी।
राजीव: तुम मुझे बता देना तो मैं तुमको लेने बस अड्डे आ जाऊँगा। बस एक रिक्वेस्ट है।
सरला: बोलिए ना ?
राजीव: कल आप काली साड़ी और स्लीव्लेस ब्लाउस में आओगी।
सरला: आप भी ना , मुझे हमेशा हेरोयन की तरह सजने को कहते रहते हैं।
राजीव: क्या करूँ? दिल से मजबूर हूँ ना। आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो।
सरला: भाई सांब आप भी ना ।
राजीव: एक बात बोलूँ श्याम बहुत लकी है जो हमेशा तुम्हारे साथ रहता है। मुझे तो उससे जलन हो रही है।
सरला हड़बड़ाकर : उन्होंने ऐसा कुछ कहा क्या?
राजीव: क्या कहा? किस बारे में पूछ रही हो?
सरला: वो कुछ नहीं।
श्याम मुस्कुराया और फिर आँख मारी।
राजीव: एक बात पूछूँ ? बुरा ना मानो तो?
सरला: पूछिए।
राजीव: देखो तुम्हारे पति के जाने के बाद श्याम तुम्हारा बहुत ख़याल रखता है । वह तुमको बहुत घूरता भी है। तुम दोनों में कुछ चल रहा है क्या?
सरला: क्या भाई सांब , आप भी, ऐसा कुछ नहीं है। वो मेरे जेठ जी हैं।
श्याम फिर से मुस्कुराया।
राजीव: अच्छा चलो छोड़ो ये सब ,कल मिलते है। हाँ काली साड़ी याद रखना।
सरला हँसते हुए : ठीक है काली साड़ी ही पहनूँगी। बाई।
राजीव: बाई ड़ीयर । उसने फ़ोन काट दिया।
श्याम: अरे अपने मुँह से थोड़े मानेगी। वह बहुत तेज़ औरत है।
राजीव: चुदाई में मज़ा देती है?
श्याम: अरे बहुत मज़ा देती है। वह बहुत प्यासी औरत है। पटा लो और ठोको।
राजीव: देखो कल क्या होता है? वैसे तुम वापस आओगे क्या उसके साथ?
श्याम: अरे नहीं। तुम मज़े लो। मैं आऊँगा तो तुम्हारा काम बिगड़ जाएगा।
राजीव : थैंक्स यार।
श्याम: अब वापस जाता हूँ।
राजीव: चलो तुमको बस अड्डे छोड़ देता हूँ।
राजीव उसे छोड़कर घर जाते हुए सोचने लगा कि कल देखो सरला का बैंड बजता है कि नहीं।
 
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