hotaks444
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जस्सी सुनीता को लेकर जैसे ही अपने कमरे में पहुँचती है, पीछे पीछे विमल और सोनी भी आ जाते हैं. जस्सी का तमतमाया हुआ चेहरा और सुनीता की आँखों में आँसू उनसे नही छुपाते.
विमल : क्या हुआ मासी आप रो क्यूँ रहे हो?
सोनी : और तुझे क्या हुआ है जस्सी, तेरा थोबडा क्यूँ गुस्से से लाल हो रहा है?.
जस्सी : कोई जस्सी वस्सी नही. मैं रिया हूँ रिया ही रहूंगी. खबरदार आज के बाद किसी ने मुझे जस्सी कह के बुलाया. ( पैर पटक कर वो बिस्तर पे बैठ जाती है)
विमल सुनीता के चेहरे को अपने हाथों में थाम लेता है और उसके माथे पे हल्का सा किस करता है. ‘क्या हुआ मासी बताओ ना? हमारे होते हुए आपकी आँखों में आँसू कैसे? अंकल और बच्चों की याद आ रही है क्या?’
सुनीता : कुछ नही बेटा, आँख में कुछ पड़ गया था. मैं अभी आती हूँ ( कह कर वो बाथरूम में घुस जाती है)
सोनी जस्सी के पास बैठ जाती है और विमल उसके सामने ज़मीन पर बैठ जाता है.
विमल ; क्या हुआ मेरी गुड़िया को?
जस्सी : कुछ नही भाई वो …. ( इससे पहले जस्सी कुछ बोलती सुनीता बाथरूम से आ जाती है और आँखों के इशारे से उसे मना कर देती है) वो – बस मूड ऑफ हो गया था. रास्ते में आज कुछ लड़के पीछे पड़ गये थे.
सुनीता : विमल मेरा बॅग तो ले के आना, तुम लोगो के लिए कुछ लाई हूँ.
विमल उठ के चला जाता है और सुनीता जस्सी और सोनी के साथ बीच में बैठ जाती है.
सुनीता : तुम लोगो से तो कुछ बात ही नही हो पायी. बताओ क्या क्या चल रहा है.
फिर दोनो बहने सुनीता को अपनी पढ़ाई वगेरा की बातें बताने लगती हैं.
सुनीता : वाह रे मज़ा आ गया. सोनी मेरे लिए भी तो कुछ अच्छी ड्रेस डिज़ाइन कर ना.
सोनी : नेकी और पूछ पूछ, कल ही आपको सारे डिज़ाइन दिखाती हूँ. आज तो आप थक गई होगी. आज आराम करो.
इतने मे विमल सुनीता का बॅग ले आता है.
सुनीता बॅग खोल कर दो एक एक पॅकेट सोनी और जस्सी को देती है. इससे पहले सुनीता कुछ बोल पाती दोनो ने पॅकेट खोल डाले और और अंदर की ड्रेस देख कर दोनो के चेहरे लाल पड़ गये. सुनीता उनके लिए डिज़ाइनर नाइट गाउन ले के आइी थी जो बहुत पारदर्शी था. विमल की नज़रे भी उन नाइट गाउन्स पे अटक जाती है और वो कल्पना करने लगता है, कैसी दिखेगी उसकी बहने वो ड्रेसस पहन कर और उसका लंड तुफ्फान मचाने लगता है.
सुनीता एक पॅकेट विमल को देती है.
विमल : मासी मैं बाद में ले लूँगा, अभी तो ज़रा खाने का इंतज़ाम देख लूँ. (कह कर विमल चला जाता है.)
विमल नीचे पहुँचता है तो माँ के कमरे से लड़ने की आवाज़ें आ रही थी. सॉफ पता चल रहा था कि रमेश और कामया के बीच झगड़ा हो रहा है.
विमल सोनी को एक मसेज भेजता है उसके सेल पे और खुद बाहर जा कर अपनी बाइक निकालता है और खाना लेने चला जाता है.
सोनी को जब विमल का मसेज आता है तो वो जस्सी को लेकर नीचे चली जाती है. दोनो ही हैरान थी, कि अब उनके माँ बाप में ऐसी क्या बात हो गई जो लड़ाई हो रही है. दोनो ही दरवाजा खटका कर माँ को आवाज़ देती हैं. अंदर एक दम ऐसी शांति हो जाती है कि सुई भी गिरे तो आवाज़ सुनाई दे.
विमल : क्या हुआ मासी आप रो क्यूँ रहे हो?
सोनी : और तुझे क्या हुआ है जस्सी, तेरा थोबडा क्यूँ गुस्से से लाल हो रहा है?.
जस्सी : कोई जस्सी वस्सी नही. मैं रिया हूँ रिया ही रहूंगी. खबरदार आज के बाद किसी ने मुझे जस्सी कह के बुलाया. ( पैर पटक कर वो बिस्तर पे बैठ जाती है)
विमल सुनीता के चेहरे को अपने हाथों में थाम लेता है और उसके माथे पे हल्का सा किस करता है. ‘क्या हुआ मासी बताओ ना? हमारे होते हुए आपकी आँखों में आँसू कैसे? अंकल और बच्चों की याद आ रही है क्या?’
सुनीता : कुछ नही बेटा, आँख में कुछ पड़ गया था. मैं अभी आती हूँ ( कह कर वो बाथरूम में घुस जाती है)
सोनी जस्सी के पास बैठ जाती है और विमल उसके सामने ज़मीन पर बैठ जाता है.
विमल ; क्या हुआ मेरी गुड़िया को?
जस्सी : कुछ नही भाई वो …. ( इससे पहले जस्सी कुछ बोलती सुनीता बाथरूम से आ जाती है और आँखों के इशारे से उसे मना कर देती है) वो – बस मूड ऑफ हो गया था. रास्ते में आज कुछ लड़के पीछे पड़ गये थे.
सुनीता : विमल मेरा बॅग तो ले के आना, तुम लोगो के लिए कुछ लाई हूँ.
विमल उठ के चला जाता है और सुनीता जस्सी और सोनी के साथ बीच में बैठ जाती है.
सुनीता : तुम लोगो से तो कुछ बात ही नही हो पायी. बताओ क्या क्या चल रहा है.
फिर दोनो बहने सुनीता को अपनी पढ़ाई वगेरा की बातें बताने लगती हैं.
सुनीता : वाह रे मज़ा आ गया. सोनी मेरे लिए भी तो कुछ अच्छी ड्रेस डिज़ाइन कर ना.
सोनी : नेकी और पूछ पूछ, कल ही आपको सारे डिज़ाइन दिखाती हूँ. आज तो आप थक गई होगी. आज आराम करो.
इतने मे विमल सुनीता का बॅग ले आता है.
सुनीता बॅग खोल कर दो एक एक पॅकेट सोनी और जस्सी को देती है. इससे पहले सुनीता कुछ बोल पाती दोनो ने पॅकेट खोल डाले और और अंदर की ड्रेस देख कर दोनो के चेहरे लाल पड़ गये. सुनीता उनके लिए डिज़ाइनर नाइट गाउन ले के आइी थी जो बहुत पारदर्शी था. विमल की नज़रे भी उन नाइट गाउन्स पे अटक जाती है और वो कल्पना करने लगता है, कैसी दिखेगी उसकी बहने वो ड्रेसस पहन कर और उसका लंड तुफ्फान मचाने लगता है.
सुनीता एक पॅकेट विमल को देती है.
विमल : मासी मैं बाद में ले लूँगा, अभी तो ज़रा खाने का इंतज़ाम देख लूँ. (कह कर विमल चला जाता है.)
विमल नीचे पहुँचता है तो माँ के कमरे से लड़ने की आवाज़ें आ रही थी. सॉफ पता चल रहा था कि रमेश और कामया के बीच झगड़ा हो रहा है.
विमल सोनी को एक मसेज भेजता है उसके सेल पे और खुद बाहर जा कर अपनी बाइक निकालता है और खाना लेने चला जाता है.
सोनी को जब विमल का मसेज आता है तो वो जस्सी को लेकर नीचे चली जाती है. दोनो ही हैरान थी, कि अब उनके माँ बाप में ऐसी क्या बात हो गई जो लड़ाई हो रही है. दोनो ही दरवाजा खटका कर माँ को आवाज़ देती हैं. अंदर एक दम ऐसी शांति हो जाती है कि सुई भी गिरे तो आवाज़ सुनाई दे.