hotaks444
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अमित: अर्रे वाह तुम्हें तो भूलने की बीमारी अभी से लग गयी है.भूल गयी उस दिन कैसे तुम ने मुझे जॅलील करके घर से निकाला था….अब ध्यान से सुनो कल तुम मुझे मेरे घर पर आकर मिलो….अगर तुम चाहती हो कि, तुम्हारी बेटी की वो क्लिप दुनिया के सामने ना आए तो, और हां किसी से ये बात की तो, मुझसे बुरा कोई नही होगा…..
में: ठीक है में आउन्गि….पर तुम वो क्लिप किसी को ना देना…में तो जीते जी मर जाउन्गि…..
अमित: ठीक है…….अगर तुम चाहती हो कि, में वो क्लिप किसी को ना दिखाऊ…तुम्हे मेरी हर बात माननी होगी…..में जैसा कहूँ करना होगा……
में: (अमित के इस तरह की बात करने पर मुझे अमित की नियत पर शक होने लगा था.) तुम तुम चाहते क्या हो……
अमित: में वही चाहता हूँ जो मेने तुम्हारी बेटी के साथ किया…….बस एक बार अपनी चूत का स्वाद चखा दो…..उसके बाद में वो क्लिप तुम्हे दे दूँगा….में प्रॉमिस करता हूँ……दोबारा तुम्हे तंग नही करूँगा……
अमित ने उसी वक़्त फोन काट दिया….और उसके बाद में वही बैठी रोने लगी….नज़ाने में कितनी देर तक रोती रही……वो हराम की औलाद मुझसे ऐसे बात कर रहा था……. और फिर बेड पर लेटे-2 नींद आ गये.
अगली सुबह जब में उठ कर रूम से बाहर आई तो देखा,सोनिया अभी तक सो रही थी…मेने उसे आवाज़ देकर उठाया, और फिर फ्रेश होकर नाश्ता बनाने लगी. सोनिया भी फ्रेश होकर मेरी हेल्प करने लगी….नाश्ता तैयार करने के बाद अपने रूम में गयी, और अपनी जेठानी को फोन लगाया….
संजना: हेलो…..
में: हेलो दीदी में बोल रही हूँ रेखा…..
संजना: हां रेखा बोलो. इतनी सुबह सुबह……..
में: हां दीदी दरअसल मुझे कुछ काम था….
संजना: हां बोलो क्या काम है ?
में: दीदी आज तो सनडे है ना…..बच्चे और भाई साहब घर पर ही होंगे…
संजना: बच्चे तो घर पर है, पर ये काम पर गये है…..रात को आएँगे…
में: दीदी क्या आप आज बच्चो के लेकर हमारे घर आ सकती हो……..दरअसल मुझे किसी काम से बाहर जाना है…….तो सोनिया घर पर अकेली है…..
संजना: हां हां क्यों नही….वैसे भी मेरा भी दिल कर रहा था.वहाँ आने को…तुमने कब जाना है…..
में: बस जैसे ही आप आएँगी में चली जाउन्गि…..और शाम तक आ जाउन्गि……
संजना: ठीक है तो में इनको फोन कर देती हूँ……शाम वो हमे तुम्हारे घर से लेते आएँगे……..
में: ठीक है दीदी…….
10 बजे संजना दीदी आ गयी अपने बच्चो के साथ……मेने थोड़ी देर उनके साथ बातें की, और फिर इजाज़त लेकर अमित के बताए हुए पते पर जाने के लिए घर से निकली……मुझे मालूम नही था कि जो में करने जा रही हूँ…..वो ठीक है या नही…..पर उस मुसबीत की घड़ी में मुझे जो सही लगा…..में करती गयी…
बाहर में रोड पर आकर मेने एक ऑटो वाले को वो पर्ची दिखाई, और बोला इस पते पर जाना है…..ऑटो वाले, ने इशारे से बैठने को कहा..में ऑटो में बैठ गयी….और ऑटो वाला ऑटो चलने लगा…..मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था. आगे क्या होगा यही सब सोच-2 कर मेरे हाथ पैर तर-2 कांप रहे थे.
मुझे लग रहा था. जैसे में किसी दलदल में धँसती जा रही हूँ, और उम्मीद की कोई किरण नज़र नही आ रही थी….जैसे जैसे ऑटो उस बताए हुए पते की तरफ बढ़ रहा था…मेरे हाथ पैर सुन्न होते जा रहे थे….मेरा दिल पूरे जोरो से धड़क रहा था….तभी अचानक ऑटो वाले ने ब्रेक लगा दी, और पीछे पलट कर बोला.
ऑटो वाला: लो जी मेडम जी. पहुँच गये….वो जो सामने वाइट पैंट वाला घर दिखाई दे रहा है ना…वही घर है….
उसकी बात सुन कर मानो जैसे मेरी साँस ही रुक गयी हो…..में ऑटो से नीचे उतरी ,और ऑटो वाले को पैसे दिए…..ऑटो वाले ने ऑटो स्टार्ट किया, और वापिस मूड गया……मेने हिम्मत करके उस घर की तरफ चलना शुरू किया…पूरी गली सुनसान थी..ऐसा लग रहा था जैसे इस गली में कोई रहता ही ना हो….
जैसे जैसे में उस घर की तरफ बढ़ रही थी…….मेरा दिल डर के मारे बैठा जा रहा था….किसी तरह काँपते पैरों से चलते हुए, में उस घर के गेट के बाहर पहुचि, और वही खड़ी होकर सोचने लगी. कि जो में कर रही हूँ ठीक कर रही हूँ या नही……मुझे ये बात किसी को तो बतानी चाहिए थी…फिर अगले ही पल अमित की वो धमकी याद आ गयी……
जब उसने कहा था कि, वो तो अनाथ है. मर भी जाएगा तो कोई रोने वाला भी नही……मुझे सच में लग रहा था कि, अमित कुछ भी कर सकता था…..मुझे उस पर गुस्सा भी आ रहा था और हैरत भी हो रही थी…..कि इतनी सी उम्र में ये सब उसके दिमाग़ में कहाँ से आ गया……..
मेने हिम्मत करते हुए डोरबेल बजाई, और थोड़ी देर बाद गेट खुला, तो सामने अमित खड़ा मेरी तरफ देखते हुए अजीब से ढंग से मुस्करा रहा था.उसने एक बार मुझे सर से पाँव तक घूर कर देखा, और फिर चेहरे मुस्कान लाते हुए बोला.”चल अंदर आ जा”
में किसी बुत की तरह घर के अंदर आ गयी…..अंदर आते ही, उसने गेट बंद कर दिया, और बिना कुछ बोले, घर के अंदर जाने लगा…..में बिना कुछ बोले उसके पीछे चली गयी…..जैसे ही में उसके पीछे रूम में दाखिल हुई, तो मेरे पैरो के नीचे से ज़मीन खिसक गयी……
में: ठीक है में आउन्गि….पर तुम वो क्लिप किसी को ना देना…में तो जीते जी मर जाउन्गि…..
अमित: ठीक है…….अगर तुम चाहती हो कि, में वो क्लिप किसी को ना दिखाऊ…तुम्हे मेरी हर बात माननी होगी…..में जैसा कहूँ करना होगा……
में: (अमित के इस तरह की बात करने पर मुझे अमित की नियत पर शक होने लगा था.) तुम तुम चाहते क्या हो……
अमित: में वही चाहता हूँ जो मेने तुम्हारी बेटी के साथ किया…….बस एक बार अपनी चूत का स्वाद चखा दो…..उसके बाद में वो क्लिप तुम्हे दे दूँगा….में प्रॉमिस करता हूँ……दोबारा तुम्हे तंग नही करूँगा……
अमित ने उसी वक़्त फोन काट दिया….और उसके बाद में वही बैठी रोने लगी….नज़ाने में कितनी देर तक रोती रही……वो हराम की औलाद मुझसे ऐसे बात कर रहा था……. और फिर बेड पर लेटे-2 नींद आ गये.
अगली सुबह जब में उठ कर रूम से बाहर आई तो देखा,सोनिया अभी तक सो रही थी…मेने उसे आवाज़ देकर उठाया, और फिर फ्रेश होकर नाश्ता बनाने लगी. सोनिया भी फ्रेश होकर मेरी हेल्प करने लगी….नाश्ता तैयार करने के बाद अपने रूम में गयी, और अपनी जेठानी को फोन लगाया….
संजना: हेलो…..
में: हेलो दीदी में बोल रही हूँ रेखा…..
संजना: हां रेखा बोलो. इतनी सुबह सुबह……..
में: हां दीदी दरअसल मुझे कुछ काम था….
संजना: हां बोलो क्या काम है ?
में: दीदी आज तो सनडे है ना…..बच्चे और भाई साहब घर पर ही होंगे…
संजना: बच्चे तो घर पर है, पर ये काम पर गये है…..रात को आएँगे…
में: दीदी क्या आप आज बच्चो के लेकर हमारे घर आ सकती हो……..दरअसल मुझे किसी काम से बाहर जाना है…….तो सोनिया घर पर अकेली है…..
संजना: हां हां क्यों नही….वैसे भी मेरा भी दिल कर रहा था.वहाँ आने को…तुमने कब जाना है…..
में: बस जैसे ही आप आएँगी में चली जाउन्गि…..और शाम तक आ जाउन्गि……
संजना: ठीक है तो में इनको फोन कर देती हूँ……शाम वो हमे तुम्हारे घर से लेते आएँगे……..
में: ठीक है दीदी…….
10 बजे संजना दीदी आ गयी अपने बच्चो के साथ……मेने थोड़ी देर उनके साथ बातें की, और फिर इजाज़त लेकर अमित के बताए हुए पते पर जाने के लिए घर से निकली……मुझे मालूम नही था कि जो में करने जा रही हूँ…..वो ठीक है या नही…..पर उस मुसबीत की घड़ी में मुझे जो सही लगा…..में करती गयी…
बाहर में रोड पर आकर मेने एक ऑटो वाले को वो पर्ची दिखाई, और बोला इस पते पर जाना है…..ऑटो वाले, ने इशारे से बैठने को कहा..में ऑटो में बैठ गयी….और ऑटो वाला ऑटो चलने लगा…..मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था. आगे क्या होगा यही सब सोच-2 कर मेरे हाथ पैर तर-2 कांप रहे थे.
मुझे लग रहा था. जैसे में किसी दलदल में धँसती जा रही हूँ, और उम्मीद की कोई किरण नज़र नही आ रही थी….जैसे जैसे ऑटो उस बताए हुए पते की तरफ बढ़ रहा था…मेरे हाथ पैर सुन्न होते जा रहे थे….मेरा दिल पूरे जोरो से धड़क रहा था….तभी अचानक ऑटो वाले ने ब्रेक लगा दी, और पीछे पलट कर बोला.
ऑटो वाला: लो जी मेडम जी. पहुँच गये….वो जो सामने वाइट पैंट वाला घर दिखाई दे रहा है ना…वही घर है….
उसकी बात सुन कर मानो जैसे मेरी साँस ही रुक गयी हो…..में ऑटो से नीचे उतरी ,और ऑटो वाले को पैसे दिए…..ऑटो वाले ने ऑटो स्टार्ट किया, और वापिस मूड गया……मेने हिम्मत करके उस घर की तरफ चलना शुरू किया…पूरी गली सुनसान थी..ऐसा लग रहा था जैसे इस गली में कोई रहता ही ना हो….
जैसे जैसे में उस घर की तरफ बढ़ रही थी…….मेरा दिल डर के मारे बैठा जा रहा था….किसी तरह काँपते पैरों से चलते हुए, में उस घर के गेट के बाहर पहुचि, और वही खड़ी होकर सोचने लगी. कि जो में कर रही हूँ ठीक कर रही हूँ या नही……मुझे ये बात किसी को तो बतानी चाहिए थी…फिर अगले ही पल अमित की वो धमकी याद आ गयी……
जब उसने कहा था कि, वो तो अनाथ है. मर भी जाएगा तो कोई रोने वाला भी नही……मुझे सच में लग रहा था कि, अमित कुछ भी कर सकता था…..मुझे उस पर गुस्सा भी आ रहा था और हैरत भी हो रही थी…..कि इतनी सी उम्र में ये सब उसके दिमाग़ में कहाँ से आ गया……..
मेने हिम्मत करते हुए डोरबेल बजाई, और थोड़ी देर बाद गेट खुला, तो सामने अमित खड़ा मेरी तरफ देखते हुए अजीब से ढंग से मुस्करा रहा था.उसने एक बार मुझे सर से पाँव तक घूर कर देखा, और फिर चेहरे मुस्कान लाते हुए बोला.”चल अंदर आ जा”
में किसी बुत की तरह घर के अंदर आ गयी…..अंदर आते ही, उसने गेट बंद कर दिया, और बिना कुछ बोले, घर के अंदर जाने लगा…..में बिना कुछ बोले उसके पीछे चली गयी…..जैसे ही में उसके पीछे रूम में दाखिल हुई, तो मेरे पैरो के नीचे से ज़मीन खिसक गयी……