hotaks444
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मुझे यकीन नही हो रहा था कि, एक !***साल का लड़का मुझे अपनी बाहों में उठाए हुए चोद रहा था….”हाईए फाड़ दित्ति मेरी फुदी…..गश्ती बना दित्ता तू मेनू फाड़ दे अपनी गस्ति की फुद्दि….अहह एह बेहन दे लौडी नू वी आग लगी हुई है” आज मेरी फुद्दि विच ठंड पा दे…….”
वो कुछ मिनिट मुझे ऐसे ही उठा कर चोदता रहा…फिर उसने मुझे नीचे उतार दिया…..और दीवार की तरफ मुझे घूमाते हुए बोला “चल कोड़ी हो जा” में दीवार से हाथ लगा कर झुक गयी..”उसने पीछे से मेरी गान्ड को पकड़ कर फेलाया, और अपना लंड एक ही धक्के में अंदर पेल दिया….
में: आह आह एह किथो सीख के आया है सब कुछ किद किद मेरी ले रहा है… हाए ओई मार सुटिया मेनू…..ज़िदा मर्ज़ी ले मेरी फुद्दि….बस इन्हो ठंडी कर दे….नये नये तरीके कितो सीख की आया हाई हाई मररर देता….वज गयी आज मेरी फुद्दि…….ओह्ह्ह्ह मार होर ज़ोर दे अपना लंड मेरी फुदी च मार….”
आज भी जब में उन पलों के बारे में सोचती हूँ, तो अपने आप से शरमा जाती हूँ….मेने अपने पति के सामने भी कभी ऐसे वर्ड यूज़ नही किए थी..पता नही मुझ बावली को क्या हो गया था…..जो मूह में आ रहा था बके जा रही थी..”हाई अमित मेरे मम्मे दा कसूर तां दस्स…….पात हुन इन्हा नू. मसल दे इनको…..अह्ह्ह्ह”
अमित कभी मेरी गान्ड को दबाने लग जाता तो, कभी मेरे मम्मो को खेंच -2 कर दबाता….में दूसरी बार झड़ने के बहुत करीब थी…..अब खड़े-2 थक भी गयी थी….अमित ने मेरी चूत से अपना लंड निकाला, और बेड लेट गया….मुझे इशारे से ऊपेर आने को कहा…….मेरी चूत में पहले ही आग लगी हुई थी. मेने भी बिना किसी शरम के उसके ऊपेर आते ही, उसके लंड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर लगा कर अपनी कमर को पूरी ताक़त से झटका दिया….
लंड फॅच की आवाज़ से अंदर जा घुसा….और फिर मेने आव देखा ना ताव अपनी गान्ड को उछल-2 कर उसके लंड पर पटकने लगी…”अहह ले मेरी फुद्दि आज सारी रात लेना…..सारी रात मेरी फुदी च लंड पा के रखी……तेरी गश्ती तेनू मना नही करेगी…..आहह ले, मेरी फुद्दि वजन वाली है…आह ले गाईए तेरी गस्ति दी फुद्दि, हाए आहह निकल गयी सारी मलाई….ओह्ह्ह वज गयीए..”
में अमित के ऊपेर निढाल होकर गिर पड़ी…..मेरी छूत से इतना पानी निकला कि, बेडशीट भी गीली हो गयी…….अमित के लंड से भी वीर्य की बोछार होने लगी….उसने मेरे होंटो को अपने होंटो में भरते हुए, मेरे निचले होन्ट पर अपने दाँत गढ़ा दिए…..मुझे हल्का सा दर्द हुआ, पर वो दर्द उस समय मुझे कुछ भी नही लग रहा था….
थोड़ी देर बाद में अमित की बगल में लेट गये…..हम दोनो ने अपने ऊपेर रज़ाई ओढ़ ली……..”एक बात बोलू रेखा” अमित के मूह से अपना नाम सुन कर मुझे थोड़ा अजीब सा लगा” ह्म्म बोलो”
अमित: रेखा तेरी फुद्दि सच में जलती हुई भट्टी है….मुझे लग रहा था कि, मेरा लंड अंदर ही पिघल जाएगा…..सोनिया की चूत भी तेरी चूत के आगे कुछ नही है….सच में मज़ा आ गया तेरी लेकर…
में: अमित तुम अब सोनिया के साथ कुछ नही करोगे……तुमने जैसा कहा मेने वैसे कर दिया…..
अमित: चल ठीक है, वैसे तेरी चूत है कमाल की, साली जैसे आग हो…
अमित की ये बात सुन कर मुझे हँसी आ गयी….और में दूसरी तरफ फेस घुमा कर मुस्कुराने लगी…….”क्या हुआ”
में: कुछ नही….
अमित: तो फिर हंस क्यों रही हो ?
में: तुम्हें तो औरतों की तारीफ भी नही करनी आती…..
अमित: तो फिर तुम सिखा दो ना…….
में उसकी बात का कोई जवाब नही दे पाई……दोस्तो उस रात अमित ने मुझे कई बार चोदा….हर आंगल से हर नये पोज़ में जिसके बारे में मेने कभी सुना भी नही था…….मुझे तो याद नही, कि रात को कितनी देर के लिए उसका लंड मेरी फुद्दि से बाहर रहा होगा…..सुबह मेरी हालत ये थी कि, मेरी चूत पाव रोटी की तरह सूज कर फूल गयी थी……
सुबह होते ही अमित चला गया…उसके जाने के बाद में नहा कर नाश्ता बनाने लगी…तभी मेरे जेठ जी, सोनिया को लेकर वापिस आ गये….और सोनिया को छोड़ कर वापिस चले गये…..में अब नये सिरे से जिंदगी शुरू करना चाहती थी…..और सब कुछ भुला कर आगे बढ़ना चाहती थी……
किस्मत भी अब हमारा साथ देने लगी थी……..हमारे चारो रूम रेंट पर चढ़ गये थे….सिलाई के काम की आमदनी मिला कर अच्छी इनकम होने लगी थी…..धीरे-2 कुछ दिन गुजर गये…..मेने वो डीवीडी भी तोड़ कर फेंक दी थी. मुझे लग रहा था कि, अब सब कुछ ठीक हो गया है……
वो कुछ मिनिट मुझे ऐसे ही उठा कर चोदता रहा…फिर उसने मुझे नीचे उतार दिया…..और दीवार की तरफ मुझे घूमाते हुए बोला “चल कोड़ी हो जा” में दीवार से हाथ लगा कर झुक गयी..”उसने पीछे से मेरी गान्ड को पकड़ कर फेलाया, और अपना लंड एक ही धक्के में अंदर पेल दिया….
में: आह आह एह किथो सीख के आया है सब कुछ किद किद मेरी ले रहा है… हाए ओई मार सुटिया मेनू…..ज़िदा मर्ज़ी ले मेरी फुद्दि….बस इन्हो ठंडी कर दे….नये नये तरीके कितो सीख की आया हाई हाई मररर देता….वज गयी आज मेरी फुद्दि…….ओह्ह्ह्ह मार होर ज़ोर दे अपना लंड मेरी फुदी च मार….”
आज भी जब में उन पलों के बारे में सोचती हूँ, तो अपने आप से शरमा जाती हूँ….मेने अपने पति के सामने भी कभी ऐसे वर्ड यूज़ नही किए थी..पता नही मुझ बावली को क्या हो गया था…..जो मूह में आ रहा था बके जा रही थी..”हाई अमित मेरे मम्मे दा कसूर तां दस्स…….पात हुन इन्हा नू. मसल दे इनको…..अह्ह्ह्ह”
अमित कभी मेरी गान्ड को दबाने लग जाता तो, कभी मेरे मम्मो को खेंच -2 कर दबाता….में दूसरी बार झड़ने के बहुत करीब थी…..अब खड़े-2 थक भी गयी थी….अमित ने मेरी चूत से अपना लंड निकाला, और बेड लेट गया….मुझे इशारे से ऊपेर आने को कहा…….मेरी चूत में पहले ही आग लगी हुई थी. मेने भी बिना किसी शरम के उसके ऊपेर आते ही, उसके लंड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर लगा कर अपनी कमर को पूरी ताक़त से झटका दिया….
लंड फॅच की आवाज़ से अंदर जा घुसा….और फिर मेने आव देखा ना ताव अपनी गान्ड को उछल-2 कर उसके लंड पर पटकने लगी…”अहह ले मेरी फुद्दि आज सारी रात लेना…..सारी रात मेरी फुदी च लंड पा के रखी……तेरी गश्ती तेनू मना नही करेगी…..आहह ले, मेरी फुद्दि वजन वाली है…आह ले गाईए तेरी गस्ति दी फुद्दि, हाए आहह निकल गयी सारी मलाई….ओह्ह्ह वज गयीए..”
में अमित के ऊपेर निढाल होकर गिर पड़ी…..मेरी छूत से इतना पानी निकला कि, बेडशीट भी गीली हो गयी…….अमित के लंड से भी वीर्य की बोछार होने लगी….उसने मेरे होंटो को अपने होंटो में भरते हुए, मेरे निचले होन्ट पर अपने दाँत गढ़ा दिए…..मुझे हल्का सा दर्द हुआ, पर वो दर्द उस समय मुझे कुछ भी नही लग रहा था….
थोड़ी देर बाद में अमित की बगल में लेट गये…..हम दोनो ने अपने ऊपेर रज़ाई ओढ़ ली……..”एक बात बोलू रेखा” अमित के मूह से अपना नाम सुन कर मुझे थोड़ा अजीब सा लगा” ह्म्म बोलो”
अमित: रेखा तेरी फुद्दि सच में जलती हुई भट्टी है….मुझे लग रहा था कि, मेरा लंड अंदर ही पिघल जाएगा…..सोनिया की चूत भी तेरी चूत के आगे कुछ नही है….सच में मज़ा आ गया तेरी लेकर…
में: अमित तुम अब सोनिया के साथ कुछ नही करोगे……तुमने जैसा कहा मेने वैसे कर दिया…..
अमित: चल ठीक है, वैसे तेरी चूत है कमाल की, साली जैसे आग हो…
अमित की ये बात सुन कर मुझे हँसी आ गयी….और में दूसरी तरफ फेस घुमा कर मुस्कुराने लगी…….”क्या हुआ”
में: कुछ नही….
अमित: तो फिर हंस क्यों रही हो ?
में: तुम्हें तो औरतों की तारीफ भी नही करनी आती…..
अमित: तो फिर तुम सिखा दो ना…….
में उसकी बात का कोई जवाब नही दे पाई……दोस्तो उस रात अमित ने मुझे कई बार चोदा….हर आंगल से हर नये पोज़ में जिसके बारे में मेने कभी सुना भी नही था…….मुझे तो याद नही, कि रात को कितनी देर के लिए उसका लंड मेरी फुद्दि से बाहर रहा होगा…..सुबह मेरी हालत ये थी कि, मेरी चूत पाव रोटी की तरह सूज कर फूल गयी थी……
सुबह होते ही अमित चला गया…उसके जाने के बाद में नहा कर नाश्ता बनाने लगी…तभी मेरे जेठ जी, सोनिया को लेकर वापिस आ गये….और सोनिया को छोड़ कर वापिस चले गये…..में अब नये सिरे से जिंदगी शुरू करना चाहती थी…..और सब कुछ भुला कर आगे बढ़ना चाहती थी……
किस्मत भी अब हमारा साथ देने लगी थी……..हमारे चारो रूम रेंट पर चढ़ गये थे….सिलाई के काम की आमदनी मिला कर अच्छी इनकम होने लगी थी…..धीरे-2 कुछ दिन गुजर गये…..मेने वो डीवीडी भी तोड़ कर फेंक दी थी. मुझे लग रहा था कि, अब सब कुछ ठीक हो गया है……