hotaks444
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मेरे आँखें टीवी पर इस कदर गढ़ गई थी कि, में अमित की हर हरक़त को देखने की कॉसिश कर रही थी………और मेरा दिल बैठा जा रहा था…..अमित ने अपने हाथों को उसकी कमर से ऊपेर लेजाते हुए, सोनिया की चुचियों पर ले गया. जिसके कारण सोनिया उससे और चिपक गयी……..वो सोनिया के होंटो को चूस्ते हुए उसकी चुचियों को दबा रहा था…….और बार -2 उसको अपनी तरफ खेंच रहा था….
फिर उसने सोनिया की कमीज़ को दोनो तरफ से पकड़ कर ऊपेर उठाना शुरू कर दिया…..और मुझे ये देख कर बहुत हैरानी हुई, ये सब करते हुए, सोनिया भी उसका पूरा साथ दे रही थी….अगले ही पल उसने सोनिया की कमीज़ को उसके बदन से अलग कर नीचे फेंक दिया……..सोनिया की कमीज़ को नीचे फर्श पर देख कर मुझे ऐसा लगा कि हमारी इज़्ज़त नीचे फर्श पर पड़ी धूल चाट रही है….
फिर उसने उसकी चुचियों को ब्रा के ऊपेर से पकड़ कर मसलना शुरू क्या..सोनिया उसकी बाहों में छटपटाने लगी……..फिर अमित ने एक हाथ नीचे लेजाते हुए, उसकी सलवार का नाडा खोल दिया……सोनिया बेशर्मो की तरह उसकी गोद में बैठी हुई थी…..जब अमित ने उसकी सलवार को नीचे सरकाना शुरू किया…उसने बड़ी बेशर्मी से अपनी गान्ड को ऊपेर उठा लिया……..और अमित ने खेंचते हुए उसकी सलवार उसके पैरों से निकाल कर नीचे फेंक दी……
कॅमरा का फोकस सीधा उन पर था……मेरी अपनी बेटी उस हरामी की गोद में अधनंगी बैठी हुई थी…फिर अमित ने पीछे से उसकी टाँगों को घुटनो से मोड़ कर फेला दिया……..और एक हाथ आगे लेजा कर उसकी पैंटी को एक साइड में कर दिया…..मेरी तो आँखें फटी की फटी रह गयी….पैंटी को साइड करके, उसने सोनिया की चूत की फांकों को अपने हाथ की उंगलियों से खोला…उसका गुलाबी छेद में सॉफ-2 देख पा रही थी……..तभी टीवी पर ब्लॅक स्क्रीन आ गयी….
डीवीडी ख़तम हो चुकी थी……मैं सच में बहुत घबरा गयी थी…मुझे समझ में नही आ रहा था कि में क्या करूँ…….तभी फोन की रिंग बजी……मेने जल्दी से प्लेयर में से डीवीडी निकली, और अपने साथ लेकर अपने रूम में आ गयी….
मेने काँपते हुए हाथों से फोन उठाया, और बड़ी ही मुस्किल से हेलो कहा..उधर से अमित की आवाज़ थी…..
अमित: क्यों आंटी जी कैसे लगी फिल्म……
में: अपनी बकवास बंद कर, अगर तू मेरे सामने होता ना…तेरा मूह तोड़ देती में…..
अमित:ओह इतना गुस्सा इतना गुस्सा ठीक नही है आपकी सेहत के लिए…..ये तो सिर्फ़ टेलर था…..अभी तो पूरी फिल्म बाकी है……तो बोलो कब आ रही हो ?
में: क्या ?
अमित: पूरी फिल्म देखने जो मेरे पास है …….
में: हरामज़ादे में तुम्हारी रिपोर्ट पोलीस में कर्दुन्गि,
अमित: ना ना ना भूल कर भी ऐसी ग़लती मत करना…..नही तो मुझ से बुरा कोई ना होगा……..पूरे बाज़ार में तुम्हारी बेटी की सेक्स की मूवी बना कर बेच दूँगा….और पता है नाम क्या रखूँगा…..सोनिया चुदि अपने यार के लंड से…हा हा हा”
उसकी वो कमीनी हँसी ने मुझे अंदर तक झींझोड कर रख दिया……”में तेरी बातों में नही आने वाली कमीने जब पोलीस के हटते चढ़े गा ना तब पता चलेगा. ऐसी जगह लेजा कर मारूँगी कि तुझे पानी पूछने वाला कोई ना होगा.” में गुस्से में जो मन में आ रहा था बोले जा रही थी..
अमित: ओह्ह अच्छा रस्सी जल गयी पर बल नही गया….देखते है कि तुम क्या कर सकती हो…..मेरे तो आगे पीछे कोई रोने वाला भी नही…..में तो मर जाउन्गा. पर तुझे और तेरी बेटी को कहीं का नही छोड़ूँगा…….अब तू देख में क्या करता हूँ
ये कह कर उसने फोन रख दिया…….में वही बैठ कर फुट फुट कर रोने लगी…और उस मनहूस घड़ी को याद कर कोसने लगी…..जब मेने उसे अपने यहाँ रहने के लिए रूम दिया था……में काफ़ी देर तक वही बैठी रोती रही….और पता नही कब मेरी आँख लग गयी…..में तब उठी जब सोनिया ने बाहर आकर डोर बेल बजाई…..मेने उठ कर बाहर गयी, और गेट खोला……मेरी आँखें रोने से लाल हो चुकी थी……
जिसका पता सोनिया को चल गया……..” क्या हुआ माँ आप रो रही थी” मेने अपने आप को संभालते हुए कहा…”नही बस वो रामा की याद आ रही थी…..में ये बात सोनिया को नही बताना चाहती थे…..में चुप चाप अपने रूम में आ गयी….मुझे यही डर सता रहा था कि, गुस्से में अमित कुछ उल्टा सीधा ना कर दे…..में तो किसी को मूह दिखाने के लायक नही रहूंगी……
रात को सोनिया ने खाना बनाया……..पर मेरा मन खाने को नही था..इसीलिए में तबीयत ठीक ना होने का बहाना बना कर अपने रूम में आ गयी… में दिल बुरी तरह घबरा रहा था…..मुझे कुछ समझ में नही आ रहा था कि, में इस मुसबीत से कैसे छुटकारा पाऊ….अब मेरे सामने मुझे कोई रास्ता नही आ रहा था….में काफ़ी देर तक बस यही सोचती रही…मेने घड़ी की तरफ देखा रात के 10 बज रहे थे…..अब मुझे इस मुसीबत से निपटना ही था…
में बेड से खड़ी हुई, और उस पॅकेट में जो स्लिप थी उसे निकाला, और अपने काँपते हुए हाथों से उस पर लिखा मोबाइल नंबर डायल किया….थोड़ी देर रिंग बजने के बाद उधर से अमित की आवाज़ आई……
अमित: हेलो क्या हुआ नींद नही आ रही क्या ? सच सच बताना मेरे ही बारे में सोच रही थी ना?
में: अपनी बकवास बंद करो. और बताओ कि तुम क्या चाहते हो….आख़िर हमने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है…..आख़िर तुम हमारे साथ ये सब क्यों कर रहे हो ?
फिर उसने सोनिया की कमीज़ को दोनो तरफ से पकड़ कर ऊपेर उठाना शुरू कर दिया…..और मुझे ये देख कर बहुत हैरानी हुई, ये सब करते हुए, सोनिया भी उसका पूरा साथ दे रही थी….अगले ही पल उसने सोनिया की कमीज़ को उसके बदन से अलग कर नीचे फेंक दिया……..सोनिया की कमीज़ को नीचे फर्श पर देख कर मुझे ऐसा लगा कि हमारी इज़्ज़त नीचे फर्श पर पड़ी धूल चाट रही है….
फिर उसने उसकी चुचियों को ब्रा के ऊपेर से पकड़ कर मसलना शुरू क्या..सोनिया उसकी बाहों में छटपटाने लगी……..फिर अमित ने एक हाथ नीचे लेजाते हुए, उसकी सलवार का नाडा खोल दिया……सोनिया बेशर्मो की तरह उसकी गोद में बैठी हुई थी…..जब अमित ने उसकी सलवार को नीचे सरकाना शुरू किया…उसने बड़ी बेशर्मी से अपनी गान्ड को ऊपेर उठा लिया……..और अमित ने खेंचते हुए उसकी सलवार उसके पैरों से निकाल कर नीचे फेंक दी……
कॅमरा का फोकस सीधा उन पर था……मेरी अपनी बेटी उस हरामी की गोद में अधनंगी बैठी हुई थी…फिर अमित ने पीछे से उसकी टाँगों को घुटनो से मोड़ कर फेला दिया……..और एक हाथ आगे लेजा कर उसकी पैंटी को एक साइड में कर दिया…..मेरी तो आँखें फटी की फटी रह गयी….पैंटी को साइड करके, उसने सोनिया की चूत की फांकों को अपने हाथ की उंगलियों से खोला…उसका गुलाबी छेद में सॉफ-2 देख पा रही थी……..तभी टीवी पर ब्लॅक स्क्रीन आ गयी….
डीवीडी ख़तम हो चुकी थी……मैं सच में बहुत घबरा गयी थी…मुझे समझ में नही आ रहा था कि में क्या करूँ…….तभी फोन की रिंग बजी……मेने जल्दी से प्लेयर में से डीवीडी निकली, और अपने साथ लेकर अपने रूम में आ गयी….
मेने काँपते हुए हाथों से फोन उठाया, और बड़ी ही मुस्किल से हेलो कहा..उधर से अमित की आवाज़ थी…..
अमित: क्यों आंटी जी कैसे लगी फिल्म……
में: अपनी बकवास बंद कर, अगर तू मेरे सामने होता ना…तेरा मूह तोड़ देती में…..
अमित:ओह इतना गुस्सा इतना गुस्सा ठीक नही है आपकी सेहत के लिए…..ये तो सिर्फ़ टेलर था…..अभी तो पूरी फिल्म बाकी है……तो बोलो कब आ रही हो ?
में: क्या ?
अमित: पूरी फिल्म देखने जो मेरे पास है …….
में: हरामज़ादे में तुम्हारी रिपोर्ट पोलीस में कर्दुन्गि,
अमित: ना ना ना भूल कर भी ऐसी ग़लती मत करना…..नही तो मुझ से बुरा कोई ना होगा……..पूरे बाज़ार में तुम्हारी बेटी की सेक्स की मूवी बना कर बेच दूँगा….और पता है नाम क्या रखूँगा…..सोनिया चुदि अपने यार के लंड से…हा हा हा”
उसकी वो कमीनी हँसी ने मुझे अंदर तक झींझोड कर रख दिया……”में तेरी बातों में नही आने वाली कमीने जब पोलीस के हटते चढ़े गा ना तब पता चलेगा. ऐसी जगह लेजा कर मारूँगी कि तुझे पानी पूछने वाला कोई ना होगा.” में गुस्से में जो मन में आ रहा था बोले जा रही थी..
अमित: ओह्ह अच्छा रस्सी जल गयी पर बल नही गया….देखते है कि तुम क्या कर सकती हो…..मेरे तो आगे पीछे कोई रोने वाला भी नही…..में तो मर जाउन्गा. पर तुझे और तेरी बेटी को कहीं का नही छोड़ूँगा…….अब तू देख में क्या करता हूँ
ये कह कर उसने फोन रख दिया…….में वही बैठ कर फुट फुट कर रोने लगी…और उस मनहूस घड़ी को याद कर कोसने लगी…..जब मेने उसे अपने यहाँ रहने के लिए रूम दिया था……में काफ़ी देर तक वही बैठी रोती रही….और पता नही कब मेरी आँख लग गयी…..में तब उठी जब सोनिया ने बाहर आकर डोर बेल बजाई…..मेने उठ कर बाहर गयी, और गेट खोला……मेरी आँखें रोने से लाल हो चुकी थी……
जिसका पता सोनिया को चल गया……..” क्या हुआ माँ आप रो रही थी” मेने अपने आप को संभालते हुए कहा…”नही बस वो रामा की याद आ रही थी…..में ये बात सोनिया को नही बताना चाहती थे…..में चुप चाप अपने रूम में आ गयी….मुझे यही डर सता रहा था कि, गुस्से में अमित कुछ उल्टा सीधा ना कर दे…..में तो किसी को मूह दिखाने के लायक नही रहूंगी……
रात को सोनिया ने खाना बनाया……..पर मेरा मन खाने को नही था..इसीलिए में तबीयत ठीक ना होने का बहाना बना कर अपने रूम में आ गयी… में दिल बुरी तरह घबरा रहा था…..मुझे कुछ समझ में नही आ रहा था कि, में इस मुसबीत से कैसे छुटकारा पाऊ….अब मेरे सामने मुझे कोई रास्ता नही आ रहा था….में काफ़ी देर तक बस यही सोचती रही…मेने घड़ी की तरफ देखा रात के 10 बज रहे थे…..अब मुझे इस मुसीबत से निपटना ही था…
में बेड से खड़ी हुई, और उस पॅकेट में जो स्लिप थी उसे निकाला, और अपने काँपते हुए हाथों से उस पर लिखा मोबाइल नंबर डायल किया….थोड़ी देर रिंग बजने के बाद उधर से अमित की आवाज़ आई……
अमित: हेलो क्या हुआ नींद नही आ रही क्या ? सच सच बताना मेरे ही बारे में सोच रही थी ना?
में: अपनी बकवास बंद करो. और बताओ कि तुम क्या चाहते हो….आख़िर हमने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है…..आख़िर तुम हमारे साथ ये सब क्यों कर रहे हो ?