Adult Kahani छोटी सी भूल की बड़ी सज़ा - Page 4 - SexBaba
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Adult Kahani छोटी सी भूल की बड़ी सज़ा

में यहाँ शब्दों में बयान नही कर सकती, उससे समय मुझे कैसा फील हो रहा था…..कुछ पलों के लिए तो मेरी साँस ही रुक गयी…..मूह खुला का खुला रह गया……मुझे ऐसा लग रहा था कि , जैसे अभी मेरे जिस्म से जान निकल जाएगी…फिर थोड़ी देर बाद मुझे ऐसा लगा जैसे आसमान में उड़ रही हूँ….मेरे मूह से सिसकारियाँ निकल कर पूरे घर में गूंजने लगी…..

में: अह्ह्ह्ह अमित ओह खा जा मुझे पूरा खा जाआअ मेरी फुद्दि को आह तू मुझीए अह्ह्ह्ह उहह रंडी कहता है ना अह्ह्ह्ह हां तूने मुझे रंडी बनाअ दिया है अहह ओह माआ. हाईए ओईई एह मुंडा पागल हो गयाआ हाईईइ….अहह अहह अहह अमित्त मेरीए फुदीईईइ जल गयी ओह्ह मेरा काम होने वाला हाई आह आह अमित्त्त…….

में उसके सर को पकड़े हुए अपनी गान्ड को उछाल रही थी…वो किसी तरह मेरे ऊपेर काबू पाए हुए था………फिर कुछ देर बाद मुझे ऐसा लगा जैसे सच में मेरे जान मेरी फुद्दि से ही निकल जाएगी…….”अहह अमित्त ले गाईए मेन्णन्न् कंजरी बना देताअ मेनू…..आहह मेरीए इज़्ज़त लूट लेती तू कंज़ारा ह ओह मेरीए फुदीई…..

में बुरी तरह काँपते हुए, झड़ने लगी….मेरा बदन थरथरा रहा था….चूत से पानी निकल कर मेरी गान्ड की दरार और छेद पर चला गया था. इस बार में बहुत बुरी तरह से झड़ी थी…..

में: अमित्त छड दे मेनू……मेरीए फुदीई वाज गइईई. हाए ओईए…

पर अमित तो जैसे बहरा ही हो गया था…..वो अपना मूह मेरी चूत से हटा नही रहा था……

में एक बार बुरी तरह से झाड़ चुकी थी, थोड़ी देर बाद उसने अपना मूह मेरी चूत से हटाया, और बेड पर मेरे बगल में लेट गया….”चल उठ जल्दी कर अभी तू तूने कुछ देखा ही नही है….” ये कहते हुए, उसने मेरे हाथ पकड़ कर अपने ऊपेर खेंच लिया….में उसके ऊपेर आ चुकी थी, मेरे दोनो घुटने उसकी कमर के दोनो तरफ थे……उसने मेरी जाँघो के नीचे हाथ डालते हुए, मेरी गान्ड को पकड़ कर ऊपेर उठाया, तो में पैरों के बल बैठ गयी…..

फिर वो मेरे नीचे से खिसकता हुआ इतना नीचे हो गया कि, मेरी चूत ठीक उसके मूह के ऊपेर आ गयी….मेरा बदन ये देख कर फिर से कांप गया. अब और कितना तड़पाएगा मुझे…..जैसे ही मेरी चूत उसके मूह के ऊपेर आई तो वो बोला” चल अब खोल अपना फुद्दा….चल खोल ना ड्रामा क्या कर रही है” मेने काँपते हुए हाथों से अपनी चूत की फांकों को फेला दिया….

में उसके सर के दोनो तरफ पैर करके पंजो के बल बैठी थी…..ऊपेर से मेरा पूरा बदन अभी भी झड़ने के कारण कांप रहा था.इसलिए मुझे बॅलेन्स बनाने में दिक्कत होने लगी….और में आगे की तरफ गिरने वली थी कि, मेने अपने हाथों से अमित के सर को पकड़ लिया…..इससे पहले कि में कुछ बोल पाती, उसने मेरी चूत को फेलाते हुए, चूत पर मूह लगा दिया….मेरे बदन में मानो 420 वॉट का करंट दौड़ गया हो…..

उसने मेरी चूत को चाट्ना शुरू कर दिया….और अपनी ज़ुबान को मेरी चूत के छेद पर रगड़ने लगा….”अहह मुंडिया क्या कर रहा है,,,,हाईए आज मेरी फुद्दि दी खैर नही…..ओह मर गइई….क्यों मेरी फुद्दि नू ख़ान ळगया है…..हाए ओईई एहह मुंडा किथे मूह मार रहााअ है..हाई हट जा… बस वी कर हुन्न्ं अह्ह्ह्ह मेरीए फुदीी गइई.,……लंड पा दे मेरी फुद्दि विच……आह अमित अपना लंड मेरी फुद्दि च पा दे……..”

अमित एक दम से रुक गया….और मुझे अपने ऊपेर से हटाते हुए नीचे लेटा दिया. फिर मेरी टाँगों को खोल कर बीच में आकर बैठ गया……”हां बोल क्या कह रही थी तू मेरा लंड चाहिए तुझे तेरी फुद्दि में….बोल” जो कुछ पल पहले में अनाप सनाप बक रही थी…….अब में उसके मूह से सुन कर शर्मिंदा हो रही थी…में उसकी तरफ देख भी नही पा रही थी……





उसने मेरी चूत के फांकों पर अपने लंड को रगड़ते हुए फिर पूछा “बोल अब क्या कह रही थी….नही तो तब तक ऐसे ही करता रहूँगा…..” में सच में इस क़दर मस्त हो चुकी थी, कि दिल कर रहा था कि उसका लंड अपनी चूत में लेकर ज़ोर ज़ोर से चुदवाऊ……”कुतिया हूँ की सुनना चहन्दा है……मार मेरी फुद्दि….पा दे अपना लंड मेरी फुद्दि विच…..मेरे घरवाले ने मेरी आज तक इक दिन विच इनवारी नही लयी……..तू ता मेनू गस्ति ही बना दित्ता है”

मेरी ये बातें सुनकर वो हँसने लगा…और मेरी चूत पर अपने लंड के सुपाडे को दबाने लगा….उसका लंड फिसलता हुआ मेरी चूत के अंदर जाने लगा….जैसे ही उसका आधा लंड मेरी चूत में गया….उसने मेरी कमर को पकड़ कर एक ज़ोर दार धक्का मारा…फॅच की आवाज़ से पूरा लंड मेरी चूत में समा गया…..मेने तड़प्ते हुए, उससे अपने ऊपेर खेंच लाया, और उसके होंटो को खुद ही होंटो में भर-2 कर चूसने लगी…..वो मेरी इस हरक़त से जोश में आ गया…और अपने लंड को पूरा निकाल-2 कर अंदर डालने लगा….उसके हर धक्के से मेरा पूरा बदन हिल जाता……

में भी पागलों के तरफ उसके होंटो को चूस्ते हुए, अपनी गान्ड को ऊपेर की ओर उछाल-2 कर उसका लंड अपनी फुद्दि में लेने लगी…..उसने मेरे होंटो से अपने होंटो को अलग किया, और मुझे बाहों में भरते हुए, ऊपेर उठाने लगा…..अब में उसकी गोद में आ चुकी थी…मेरी टाँगें उसके कमर के इर्द गिर्द घेरे की शकल में आ चुकी थी……वो अपनी कमर को लगतार हिलाते हुए मुझे चोद रहा था. और साथ में वो मेरी नाइटी को ऊपेर उठाने लगा…. में वासना की आग में इस कदर झुलस रही थी, कि मेने अपनी नाइटी को खुद ही उतार कर नीचे फेंक दिया….

में: आहह अमित लेले जी भर कर मेरी ले आज अह्ह्ह्ह मेरे मम्मे चुस्स नाअ…

मेरी बात मानते हुए, उसने मेरा एक निपल मूह में भर कर चूसना शुरू कर दिया…अब उसकी कमर हिलनी बंद हो चुकी थी…..पर मेरी गान्ड तो मानो मेरे काबू में नही थी…..में लगतार अपनी गान्ड को आगे पीछे करते हुए, उसके लंड से चुद रही थी…..उसका लंड बुरी तरह से मेरी चूत की दीवारों से रगड़ खा रहा था…..मेरे इस तरह करने पर वो और जोश में आ गया…….और फिर मुझे अपने बाहों में उठाते हुए वैसे ही खड़ा होने लगा……उसका लंड अभी भी मेरी चूत में था…..
 
मुझे यकीन नही हो रहा था कि, एक !***साल का लड़का मुझे अपनी बाहों में उठाए हुए चोद रहा था….”हाईए फाड़ दित्ति मेरी फुदी…..गश्ती बना दित्ता तू मेनू फाड़ दे अपनी गस्ति की फुद्दि….अहह एह बेहन दे लौडी नू वी आग लगी हुई है” आज मेरी फुद्दि विच ठंड पा दे…….”

वो कुछ मिनिट मुझे ऐसे ही उठा कर चोदता रहा…फिर उसने मुझे नीचे उतार दिया…..और दीवार की तरफ मुझे घूमाते हुए बोला “चल कोड़ी हो जा” में दीवार से हाथ लगा कर झुक गयी..”उसने पीछे से मेरी गान्ड को पकड़ कर फेलाया, और अपना लंड एक ही धक्के में अंदर पेल दिया….

में: आह आह एह किथो सीख के आया है सब कुछ किद किद मेरी ले रहा है… हाए ओई मार सुटिया मेनू…..ज़िदा मर्ज़ी ले मेरी फुद्दि….बस इन्हो ठंडी कर दे….नये नये तरीके कितो सीख की आया हाई हाई मररर देता….वज गयी आज मेरी फुद्दि…….ओह्ह्ह्ह मार होर ज़ोर दे अपना लंड मेरी फुदी च मार….”

आज भी जब में उन पलों के बारे में सोचती हूँ, तो अपने आप से शरमा जाती हूँ….मेने अपने पति के सामने भी कभी ऐसे वर्ड यूज़ नही किए थी..पता नही मुझ बावली को क्या हो गया था…..जो मूह में आ रहा था बके जा रही थी..”हाई अमित मेरे मम्मे दा कसूर तां दस्स…….पात हुन इन्हा नू. मसल दे इनको…..अह्ह्ह्ह”

अमित कभी मेरी गान्ड को दबाने लग जाता तो, कभी मेरे मम्मो को खेंच -2 कर दबाता….में दूसरी बार झड़ने के बहुत करीब थी…..अब खड़े-2 थक भी गयी थी….अमित ने मेरी चूत से अपना लंड निकाला, और बेड लेट गया….मुझे इशारे से ऊपेर आने को कहा…….मेरी चूत में पहले ही आग लगी हुई थी. मेने भी बिना किसी शरम के उसके ऊपेर आते ही, उसके लंड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर लगा कर अपनी कमर को पूरी ताक़त से झटका दिया….

लंड फॅच की आवाज़ से अंदर जा घुसा….और फिर मेने आव देखा ना ताव अपनी गान्ड को उछल-2 कर उसके लंड पर पटकने लगी…”अहह ले मेरी फुद्दि आज सारी रात लेना…..सारी रात मेरी फुदी च लंड पा के रखी……तेरी गश्ती तेनू मना नही करेगी…..आहह ले, मेरी फुद्दि वजन वाली है…आह ले गाईए तेरी गस्ति दी फुद्दि, हाए आहह निकल गयी सारी मलाई….ओह्ह्ह वज गयीए..”

में अमित के ऊपेर निढाल होकर गिर पड़ी…..मेरी छूत से इतना पानी निकला कि, बेडशीट भी गीली हो गयी…….अमित के लंड से भी वीर्य की बोछार होने लगी….उसने मेरे होंटो को अपने होंटो में भरते हुए, मेरे निचले होन्ट पर अपने दाँत गढ़ा दिए…..मुझे हल्का सा दर्द हुआ, पर वो दर्द उस समय मुझे कुछ भी नही लग रहा था….

थोड़ी देर बाद में अमित की बगल में लेट गये…..हम दोनो ने अपने ऊपेर रज़ाई ओढ़ ली……..”एक बात बोलू रेखा” अमित के मूह से अपना नाम सुन कर मुझे थोड़ा अजीब सा लगा” ह्म्म बोलो”

अमित: रेखा तेरी फुद्दि सच में जलती हुई भट्टी है….मुझे लग रहा था कि, मेरा लंड अंदर ही पिघल जाएगा…..सोनिया की चूत भी तेरी चूत के आगे कुछ नही है….सच में मज़ा आ गया तेरी लेकर…

में: अमित तुम अब सोनिया के साथ कुछ नही करोगे……तुमने जैसा कहा मेने वैसे कर दिया…..

अमित: चल ठीक है, वैसे तेरी चूत है कमाल की, साली जैसे आग हो…

अमित की ये बात सुन कर मुझे हँसी आ गयी….और में दूसरी तरफ फेस घुमा कर मुस्कुराने लगी…….”क्या हुआ”

में: कुछ नही….

अमित: तो फिर हंस क्यों रही हो ?

में: तुम्हें तो औरतों की तारीफ भी नही करनी आती…..

अमित: तो फिर तुम सिखा दो ना…….

में उसकी बात का कोई जवाब नही दे पाई……दोस्तो उस रात अमित ने मुझे कई बार चोदा….हर आंगल से हर नये पोज़ में जिसके बारे में मेने कभी सुना भी नही था…….मुझे तो याद नही, कि रात को कितनी देर के लिए उसका लंड मेरी फुद्दि से बाहर रहा होगा…..सुबह मेरी हालत ये थी कि, मेरी चूत पाव रोटी की तरह सूज कर फूल गयी थी……

सुबह होते ही अमित चला गया…उसके जाने के बाद में नहा कर नाश्ता बनाने लगी…तभी मेरे जेठ जी, सोनिया को लेकर वापिस आ गये….और सोनिया को छोड़ कर वापिस चले गये…..में अब नये सिरे से जिंदगी शुरू करना चाहती थी…..और सब कुछ भुला कर आगे बढ़ना चाहती थी……

किस्मत भी अब हमारा साथ देने लगी थी……..हमारे चारो रूम रेंट पर चढ़ गये थे….सिलाई के काम की आमदनी मिला कर अच्छी इनकम होने लगी थी…..धीरे-2 कुछ दिन गुजर गये…..मेने वो डीवीडी भी तोड़ कर फेंक दी थी. मुझे लग रहा था कि, अब सब कुछ ठीक हो गया है……
 
एक दिन में कुछ खरीद दारी करने मार्केट गयी हुई थी, खीरदारी करते हुए मुझे किसी ने मेरा नाम लेकर पुकारा, जब मेने पीछे देखा, तो पीछे अमित मेरी तरफ हाथ हिलाते हुए, मुझे बुला रहा था…..में उसके पास गयी और कहा.

में: ये क्या बदतीम्ज़ी है…..तुम यहाँ मुझे ऐसे क्यों बुला रहे हो…..

अमित: ओह्ह इतना गुस्सा रेखा जी………इतना गुस्सा सेहत के लिए ठीक नही होता.

में: हां बोलो क्या कहना है….

अमित: यार तुम तो मुझे भूल ही गयी. कहो तो कल तुम्हारे घर आ जाउ.

में: नही ऐसा मत करना…..घर पर बहुत से किरायेदार रहते है….

अमित: फिर तुम वही आ जाओ…..जहा मेने पहली बार तुम्हें चोदा था…..

में: में नही आउन्गि. अब मुझे तुम से कुछ लेना देना नही…..

अमित: चलो जैसी तुम्हारी मर्ज़ी…..बस एक बार मेरे लंड के बारे में सोच लेना…क्यों कहर ढा रही हो मेरे लंड पर……कल आ जाओ ना……तुम्हारी चूत की बहुत याद अत्ती है…..तुम्हें कभी वो पल याद नही आते…जब तुम मेरे लंड पर उछल -2 कर चुद रही थी……याद नही आता वो सब…..कल आ जाना…देखो इतनी सर्दी में अगर चुदाई का मज़ा नही लिया तो फिर कब लोगी….में तुम्हारा कल इंतजार करूँगा……

अमित बिना कुछ बोले वहाँ से चला गया……में घर वापिस आ गयी…..मेरे जहन में रह रह कर उसकी बातें घूम रही थी….और उसकी बातें सच भी थी. में उस रात की चुदाई को याद करके-2 रात को तड़पती थी…पर अपने मन को ये समझा कर शांत कर लेती थी…कि अब मुझे इन सब बातों को भूल कर आगे बढ़ना चाहिए…….

उस रात में सो नही पे…..वासना के कारण मेरी बुरी हालत हो चुकी थी….मेरी चूत की आग ऐसे भड़क रही थी….जैसे कभी शांत ही ना होगी. पूरे एक महीने बाद जब अमित को देखा तो, फिर से उस रात की यादें ताज़ा हो गयी…..किसी तरह रात गुज़री…..और मेने सुबह उठ कर नाश्ता बनाया, घर के काम निपटा कर नाश्ता कर लिया…….

उसके बाद में अपने सिलाई के काम में लग गयी……पर मेरा मन काम में नही लग रहा था…….सारी रात मेरी चूत में आग सी लगी रही थी…जो अभी तक शांत होने का नाम नही ले रही थी…..में उठ कर बाथरूम की तरफ जाने लगी…….आज सनडे था, हमारे जो किरायेदार नीचे वाले रूम में रहते थे……उसका पति घर पर ही था…..

जब में उनके रूम के सामने से गुज़री, तो मेरी नज़र अंदर चली गयी. वो दोनो पति पत्नी रज़ाई ओढ़े एक दूसरे को बाहों में लिए हुए लेटे हुए थे..मेने देखा विशाल अपनी पत्नी के होंटो को चूस रहा था. और उसका एक हाथ उसके मम्मो पर था….जो उससे ज़ोर ज़ोर से दबा रहा था…….

ये देख कर मेरे अंदर की आग और भड़कने लगी…..में जल्दी से बाथरूम में गयी…..अपनी सलवार खोली, और फिर पैंटी को नीचे जाँघो तक सरका दिया. मेने वाइट कलर की पैंटी पहनी हुई थी……जो कि नीचे से एक दम गीली हो चुकी थी” हाए रब्बा हुन इस उम्र विच क्यों पानी छड रही है” में मूतने के लिए नीचे बैठ गयी…….पेशाब करके पैंटी ऊपेर की, फिर सलवार ऊपेर करके बाँध कर बाथरूम से बाहर आ गयी……

मुझे समझ में नही आ रहा था कि, में कैसे अपनी चूत की आग को ठंडा करूँ……दूसरी तरफ सोनिया अपने रूम में टीवी देख रही थी…..मेरा दिल बार -2 यही कर रहा था कि, काश अमित यहाँ होता, और मुझे ज़बरदस्ती ही चोद देता. कम से कम मेरी चूत की आग तो ठंडी हो जाती,

में अपने आप से हार रही थी…….में इस कदर गरम हो चुकी थी कि, में अपना सब कुछ ताव पर रखते हुए अपने रूम में गयी, और अमित को फोन किया…..पर अमित ने फोन नही उठाया…….मेने दो तीन बार ट्राइ किया. पर उसने फोन नही उठाया……..अब में करू……मुझे कुछ समझ में नही आ रहा था. मुझे याद आया कि, कल अमित ने मुझे वही वाले घर में आने को कहा था..

अब तो जैसे में लंड के लिए पागल सी हो गयी थी……पति की मौत के 6 साल बाद तक मेने अपने अरमानो को मारे रखा था..पर आज में अपनी उतेजना को दबा नही पा रही थी……..में सोनिया के रूम में गयी,

में: सोनिया वो में बाज़ार जा रही हूँ..कुछ सामान लेने जाना है….

सोनिया: ठीक माँ….

में: घर पर ही रहना……

सोनिया : ठीक है माँ आप जाओ में घर पर ही हूँ……..

मेने घर से निकल कर ऑटो किया, और सीधा उस पते पर चली गयी. जहाँ पहले गयी थी……मुझे समझ में नही आ रहा था कि, में कैसे उसके सामने जाउ. अगर उसने मुझसे पूछ लिया कि में मना करने के बाद क्यों आ गयी, तो में उसे क्या जवाब दूँगी……..

पर अपने ही दिल में पैदा हुए सवालों के जवाब मेरे पास भी ना थे. थोड़ी देर में ही में वहाँ पहुँच गयी…….मेने ऑटो वाले को पैसे दिए. और गली में अंदर बढ़ने लगी……..जैसे -2 में उसके घर की तरफ बढ़ रही थी….वैसे वैसे मेरे दिल की धड़कने बढ़ती जा रही थी…….मुझे आज खुद पर ही शरम आ रही थी…..मेने गेट के सामने पहुँच कर डोर बेल बजाई….थोड़ी देर बाद गेट खुला तो सामने अमित खड़ा था…..
 
अमित: (मुझे देख कर मुस्करते हुए) अंदर आ जाओ…..

में बिना कुछ बोले अंदर आ गयी……मेरे अंदर आते ही उसने गेट को अंदर से लॉक कर दिया….और रूम की तरफ जाने लगा…..में भी सर झुकाए हुए उसके पीछे रूम में जाने लगी….अगर अमित घर पर ही था तो उसने मेरा फोन क्यों नही उठाया…ये सवाल मेरे दिमाग़ में घूम रहा था…..”तुमने फोन क्यों नही उठाया मेरा” मेने रूम में एंटर होते हुए कहा…

अमित: हां मेने देखी तुम्हारी मिस कॉल. वो में सो गया था..और फोन साइलेंट मोड पर था….

अंदर आते ही अमित ने अपने पयज़ामा को उतार कर एक तरफ फेंक दिया…..और फिर सोफे पर बैठते हुए, अपने अंडरवेर को घुटनो तक नीचे सरका दिया…उसका 9 इंच का लंड जो अभी पूरी तरह से खड़ा नही था मेरी आँखों के सामने आ गया…मेने अपनी नज़रे झुका ली…..

अमित: वो मुझे ज़रूरी काम से जाना है थोड़ी देर बाद..इसीलिए मेरे पास ज़्यादा टाइम नही है…..चल आजा ज़्यादा टाइम ना लगा….

में: (एक दम से घबराते हुए) क्या…..(में मन में सोचने लगी कि ये क्या तरीका है एक तो बुलाया खुद और अब बिना कोई बात किए सीधा-2 मुझे चुदने के लिए कह रहा है)

अमित: चल आ ना वहाँ क्या खड़ी है…चल खोल अपनी सलवार…..अच्छा चल इधर तो आ मेरे पास पहले…….

जैसे ही में अमित के पास गयी, अमित ने खड़े होते हुए मुझे बाहों में भर लिया….और फिर अपने होंटो को मेरे होंटो पर लगा दिया….मेने हल्का सा विरोध किया..पर उसके हाथों की गर्मी अपने बदन पर महसूस करके में ढीली पड़ गयी….उसने मेरे होंटो को चूस्ते हुए, अपने एक हाथ नीचे लेजा कर मेरे सलवार का नाडा खोलना शुरू कर दिया….

जैसे ही मेरे सलवार का नाडा खुला, अमित पीछे हट कर सोफे पर बैठ गया. और अपने लंड को हाथ से हिलाते हुए बोला.”चल अब जल्दी कर…” मेरी सलवार ढीली होकर मेरी जाँघो पर आ चुकी थी….मेने सर झुकाए हुए पहले अपनी सलवार को निकाला, और फिर पैंटी को उतार दिया……अमित ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने ऊपेर खेंच लिया…..

में घुटनो को उसकी दोनो जाँघो की तरफ करके उसके ऊपेर आ गयी….अमित ने अपने लंड को पकड़ कर मेरी चूत के छेद पर लगा दिया……में कल रात से अमित के मोटे लंड के लिए तरस रही थी…..जैसे ही उसके तने हुए लंड का दहकता हुआ सुपाडा मेरी चूत के छेद पर लगा…….मेरे पूरे बदन में मस्ती की लहर दौड़ गयी……मेने आगे झुकते हुए, अमित के सर को अपनी बाहों में लेते हुए अपनी चुचियों पर दबा दिया…..

में: “अह्ह्ह्ह अमित तू साची मेनू गश्ती बना दित्ता है……अह्ह्ह्ह दस में की करा……क्यों तुम मेरे साथ ऐसा कर रहे हो…

मेरी बात का उसने कोई जवाब नही दिया……और मेरी कमीज़ के ऊपेर से मेरे मम्मों को मूह में भर कर नीचे से अपनी कमर को ऊपेर की तरफ उछाला. मेरी फुद्दि पहले से ही पानी छोड़ रही थी…..उसके लंड का सुपाडा मेरी चूत की दीवारों को फेलाता हुआ अंदर घुसने लगा…में मस्ती में एक दम से सिसक उठी “आहह श्ह्ह्ह्ह अमित तेरी लंड नी मेरी फुद्दि नू पागल कर छड़िया है हाए ओई होले”

मेने भी अपनी चूत को उसके लंड पर दबाना शुरू कर दिया……और कुछ ही पलों में मेरी फुद्दि उसकी 9 इंच के लंड को निगल गयी……मेरा पूरा बदन मस्ती में थरथरा कर काँपने लगा…..अमित ने मेरी कमीज़ को ऊपेर उठाना शुरू कर दिया……जैसे ही मेरी कमीज़ ब्रा के ऊपेर हुई, मेने खुद ही मदहोश होते हुए, अपने हाथों को पीछे लेजा ते हुए, अपनी ब्रा के हुक्स खोल दिए. और फिर ब्रा के कप्स को ऊपेर उठा कर अपना एक मम्मा निकाल कर उसके होंटो से भिड़ा दिया

में: आहह सीईईई अमित ले चूस ली अपनी आंटी की मम्मे अह्ह्ह्ह मार मेरी फुद्दि…..कल तो आग लगनी पानी छड रही है……..

अमित ने भी बिना एक पल देरी किए, मेरी चुचि को जितना हो सकता था..मूह में भर लिया…..और चूस्ते हुए, अपनी कमर को हिलाने लगा…..पर मेरा सारा वजन उसकी जाँघो के ऊपेर था…..इसलिए वो शॉट नही मार पा रहा था…इधर मेरी चूत में आग और भड़क चुकी थी….
 
मेने अमित के सर को अपनी बाहों में भरकर उसे अपनी चुचियों पर दबाते हुए अपनी गान्ड को उछालना शुरू कर दिया…..में पागलों की तरह अपनी गान्ड उछाल -2 कर अपनी चूत को उसके लंड पर पटकने लगी…..वो भी मस्ती में आकर नीचे से अपनी कमर हिला रहा था…….

में: आहह चोद अपनी गश्ती नू अह्ह्ह्ह चोद्द्द मेनू मार ले मेरी फुद्दि हाए ओईए हां में गश्ती बन गेययी हाए ओईई तेरा लंड मेनू जीन नही देन्दा आह आ अहह ह सीईईईई सीईईईईई मार्र होर्र ज़ोर दीए मार्र हइईई. तेरा लंड मैं रोज फुद्दि च लेनाआ है हइई ओईई आग लग जाए मेरीए फुद्दि नू..

में फिर से मदहोश होकर जो मूह में आ रहा था बके जा रही थी…और अपनी गान्ड को तेज़ी से ऊपेर नीचे उछाल कर उसके लंड को अपनी चूत में ले रही थी…में कल रात से तड़प रही थी……इसीलिए 3-4 मिनिट बाद ही मुझे लगाने लगा कि, में झड़ने वाली हूँ…..

में: हाई अमित मार ज़ोर दे मार…..आह देख मेरी फुद्दि वजन लगी हाए चढ़ता पानी मेरी फुददी तो हो गयी में हो गयी मेरी फुद्दि……..

में बिखरकर झड़ने लगी….अमित ने मुझे होंटो से चूसना शुरू कर दिया….में झाड़ कर उसके ऊपेर निढाल हो गयी…..पर अमित अभी तक नही झाड़ा था…..”चलो हटो मुझे अभी जाना है…..बाकी फिर किसी दिन तेरी चूत के खबर लेता हूँ” ये कह कर उसने मुझे अपने ऊपेर से उठा दिया…..

में: पर तुम्हारा तो अभी तक हुआ नही…….

अमित: कोई बात नही तुझे तो खुश कर दिया ना मेरे लौडे ने…..
 
में अमित के बात सुन कर शरमा गयी….और उसके ऊपेर से उठ कर खड़ी हो गयी….उसका लंड अभी तना हुआ झटके खा रहा था….पता नही मुझे क्यों अमित का लंड इतना प्यारा लगने लगा था…..मेने नीचे बैठते हुए, उसके लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया…अमित ने मुस्कुराते हुए कहा”क्या हुआ”

पर मेने उसकी बार का कोई जवाब नही दिया……और अपनी आँखें बंद करते हुए, उसके लंड के मोटे सुपाडे को अपने मूह में भर लिया….मेरी चूत के पानी का स्वाद मेरे मूह में घुलने लगा…..में झड़ने के बाद एक दम मस्त हो चुकी थी…..और उसके लंड के सुपाडे को अपने होंटो में दबा -2 कर चूसने लगी.”अहह आंटी चूस इसी इसका ख़याल तुझे ही रखना है”

अमित ने मेरे सर को दोनो हाथों से पकड़ लिया……..में कभी उसके लंड के सुपाडे को चुस्ती, तो कभी उसके लंड के सुपाडे पर जीभ घुमाने लगती….और अपने दोनो हाथों से उसके बॉल्स को सहलाने लगी……में करीब 5 मिनिट तक उसके लंड को ऐसे ही चुस्ती रही…..और फिर जब मुझे लगा कि, अब अमित झड़ने वाला है, मेने उसके लंड को मूह से बाहर निकाल लिया…..और उसके पेशाब वाले छेद को अपने जीभ के नोक से कुरदेने लगी…….

अमित: अह्ह्ह्ह सीईईई आंटी मेरा छूटने वाला है……..

पर में नही रुकी, और फिर उसके लंड से वीर्य की पिचकारिया छोटने लगी…जिससे मेरा पूरा फेस भर गया…..अमित का लंड रह रह कर झटके खा रहा था….जब वो शांत हुआ तो, में खड़ी हुई, और बाथरूम में चली गयी……अपने आप को सॉफ करके बाहर आई तो, अमित अपने कपड़े पहन चुका था…..

हम दोनो के बीच कोई बात नही हो रही थी……मैने अपनी पैंटी और सलवार पहनी, और अमित के साथ बाहर आकर अपने घर के तरफ चली गयी…..जाते हुए अमित नी भी कुछ नही बोला…..




उस दिन के बाद मुझे पता नही क्या हो गया….मुझे अब रोज लंड की ललक लगाने लगी थी…..जिसके लिए में बेशरम होकर तीन चार बार अमित के पास जा चुकी थी……अमित भी मेरी चूत के पूरी तसल्ली करवा देता था…..फिर एक दिन की बात है, मौसम बहुत ठंडा था……उस दिन भी सनडे था……और मेरी चूत में सुबह से खुजली होने लगी थी…..मेने अमित को फोन किया…….पर अमित ने इस बार मुझे सॉफ इनकार कर दिया……

उसके इस इनकार के कारण में एक दम से तड़प उठी, ऐसे ही दो तीन तक चला. पर अमित ने मुझे इनकार करना जारी रखा…..आख़िर एक दिन में अपनी चूत की आग से मजबूर होकर उसके घर पहुच गयी….जब में और अमित रूम में आई, तो में अमित से पागलो के तरह चिपक गयी….और उसके पूरे चेहरे पर चुंबनो की बोछार कर दी…..

में: अमित तुम क्यों मुझे तडफा रहे हो…….पहले तुमने खुद ही मेरी फुद्दि में आग लगाई. अब तुम पीछे हट रहे हो..तो तां मेनू कमली कर देता…..दस की करा में…..

अमित: आंटी आप यहाँ से चली जाओ….अब मुझे तुम से कुछ लेना देना नही है..

में: (अमित की ये बात सुन कर में गुस्से में आ गयी) क्यों लगता है उस गस्ति नीता से तेरी सुलहा हो गयी है……अमित मेने पहले भी कहा था कि, वो तुम्हारी जिंदगी खराब कर देगी…..

अमित: और तुम? तुम क्या कर रही हो?

अमित की ये बात सुन कर में एक दम से चुप हो गये……पर अब में उसके लंड की इस कदर दीवानी हो चुकी थी कि, में उसे इस तरह खोना नही चाहती थी.

में: फिर आख़िर तुम चाहते क्या हो…..क्यों मेरे अरमानो के साथ खेला…

अमित: वेट वेट में कहाँ खेला तुम्हारे अरमानो के साथ….सॉफ-2 क्यों नही कहती जब चूत की आग ठंडी नही होती तो तुम्हे मेरे याद आती है….

में: अमित तुम समझ नही रहे……….में नही रह सकती तुम्हारे बिना…..

अमित: ओह्ह भूल जाओ मुझे…….मेरे आगे मेरे सारी जिंदगी पड़ी है….मुझे अपने बारे में भी सोचना है….तुम कब तक मेरा साथ दोगी….

में: अमित में सारी उम्र तुम्हारा साथ देने के लिए तैयार हूँ….तुम जैसे कहोगे में वैसे करने को तैयार हूँ……

अमित: हम्म अच्छा….जैसे में कहूँ…..वैसा तुम करोगी ?

में: हां एक बार बोल कर तो देखो……

अमित: ठीक है तो फिर सुनो….में और सोनिया एक दूसरे से प्यार करते है….अगर तुम मुझे चाहती हो तो, मेरी शादी सोनिया से करवा दो….

में: अमित मेने पहले भी तुमसे कहा था कि, तुम सोनिया से दूर रहोगे…उसकी तरफ देखने की सोचना भी मत….अर्रे तुम हो कॉन जो उसके साथ शादी करने के ख्वाब देख रहे हो….

अमित: क्यों क्या कमी है मुझ मे……सब कुछ तो है…कुछ महीनो बाद मुझे गवर्नमेंट जॉब मिल जयगी…दिखने में भी ठीक ठाक हूँ…..और मेरे लंड का तो तुझे पता ही है……खुस रखूँगा तेरे बेटी को और साथ में तुझे भी…

में: नही अमित ये नही हो सकता…..

अमित: ज़रा सोच जब में तुम्हारी और तुम्हारी बेटी की चूत को एक साथ चोदुन्गा. तो मज़ा दुगना हो जाएगा….और अगर तू सोचती है कि ऐसा नही हो सकता तो, मुझे भूल जा……और हां ये बात याद रखना, कि सोनिया आज भी मुझे उतना ही प्यार करती है……तू कैसे भूल गये कि, उसकी चूत के सील भी मेने तोड़ी है……और वो भी तेरी तरह मेरे लंड के दीवानी है…….

अमित: चल अभी मुझे काम पर जाना है……अगर तू मेरी शादी सोनिया से नही करवा सकती तो मुझे भूल जा…..

में अमित की बातें सुन कर बहुत परेशान हो गये…..मेने मन ही मन फैंसला कर लिया था…….कि चाहे कुछ भी हो जाए…..में सोनिया की शादी उससे नही होने दूँगी………..में घर वापिस आ गयी, और अपने मन को समझा कर आगे की जिंदगी के बारे में सोचने लगी……कुछ दिन और बीत गये……पर मेरी चूत की आग मुझे जीने नही दे रही थी……में अक्सर रात को अमित के लंड के बारे में सोचते हुए, अपनी फुद्दि में उंगली करती,

पर आग शांत होने की बजाए…….और भड़क उठती……..एक दिन में ऊपेर छत पर बैठी धूप सेंक रही थी……छत पर आगे की तरफ एक रूम था….जिसमे अर्साद नाम का आदमी अपनी नयी नयी पत्नी सलमा के साथ रहता था.उनकी शादी को अभी तीन महीने हुए थे….. मुझे उनके रूम से सलमा के सिसकने के आवाज़ आ रही थी…..रूम के एक साइड में विंडो थी……जो बारिश के पानी से भीग कर थोड़ी खराब हो गयी थी……

और उसमे जगह-2 दरार पड़ गयी थी…….
 
में अपने आप को रोक ना पे, और विंडो के पास जाकर दरार में अंदर झाँकने लगी……अंदर का नज़ारा देख मेरे पूरे बदन में आग लग गयी….अंदर अरशद बेड के किनारे नीचे खड़ा था…और सलमा बेड पर घोड़ी बनी हुई सीसीया रही थी…..

सलमा: जी गान्ड में मत डालिए….बहुत दर्द होता है..

अर्साद: चुप कर साली क्यों नौटंकी कर रही है………तेरी गान्ड को पिछले दो महीनो से मार रहा हूँ..और अभी तक तुझे गान्ड में लंड लेने से दर्द होता है. में नही मानता…….

सलमा: सच कह रही हूँ…….

अर्साद ने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया, और अपने लंड पर तेल लगाकर, अपने लंड के सुपाडे को उसकी गान्ड के छेद पर भिड़ा दिया…सलमा एक दम सिसक उठी. ओह्ह जी धीरे-2 मारना……”

अर्साद ने अपने लंड को सलमा की गान्ड के छेद पर दबाना शुरू कर दिया. अर्साद का लंड 6-7 इंच ही लंबा था….जो कि नॉर्मल साइज़ का होता है….मेरे देखते ही देखते, अर्साद का पूरा लंड सलमा की गान्ड में समा गया…..और अर्साद ने अपना लंड सलमा की गान्ड के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया……

सलमा: जी और ठोकिए अपना लुना आह बहुत मज्जा आ रहा है…

सलमा भी अब अपनी गान्ड को पीछे की तरफ धकेलनी लगी थी. में ये सब देख कर बहुत हैरान थी, कि आदमी औरत की गान्ड भी मरते है, और उससे ज़यादा हैरान सलमा पर थी, जो पहले दर्द से कराह रही थी….अब अपनी गान्ड को पीछे की तरफ फेंक-2 कर अर्साद का लंड गान्ड में ले कर मज़े कर रही थी….ये सब देखते हुए मेरी बुरी हालत हो गयी……

में फॉरन नीचे आ गयी…….अपने रूम को अंदर से लॉक किया….तेज़ी से अपनी सलवार खोली, फिर सलवार के साथ-2 अपनी पैंटी को भी नीचे सरका दिया. मेने अपनी चूत पर अपनी उंगलियो घुमाना शुरू कर दिया…..मेरी चूत इतनी गीली हो चुकी थी, कि कुछ ही सेकेंड्स में मेरी उंगलिया भी पानी से सन गयी.

पर मेरी चूत में सरसराहट और बढ़ती जा रही थी…..मुझे कुछ समझ में नही आ रहा था कि, में अपनी चूत में हो रही खुजली को कैसे शांत करूँ… में बेड पर गिरते हुए लेट गयी…..मेरे बदन में आग लगी हुई थी…..रह रह कर मुझे अमित के याद सता रही थी…..उसके साथ बिताए हुए हर पल मेरी आँखों के सामने घूमने लगा था……..

मेरे ज़हन में उसकी कही बातें घूमने लगी……में उन सब बातों में उलझ कर रह गयी थी….में मन मार कर बाहर आ गयी…मेने देखा सोनिया अपने रूम में उदास सी लेटी हुई थी………जब से अमित यहाँ से गया था, वो बेहद उदास थी….में उसके पास गयी, और उसके सर पर प्यार से हाथ फेरते हुए.

में: क्या हुआ बेटा उदास क्यों हो…..

सोनिया: (रूखे अंदाज़ में) कुछ नही……

में: देख सोनिया में कई दिनो से देख रही हूँ…..तू बहुत उदास रहती हो… बेटा मेने जो किया वो तुम्हारे भले के लिए ही किया है……अमित तुम्हारे लायक नही है….

सोनिया: (एक दम से सोनिया की आँखों में आँसू आ गये) माँ में उससे प्यार करती हूँ…….में नही रह पाउन्गि उसके बिना……..

में: (थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए) चुप कर, तू जानती क्या है उसके बारे में…तुझे पता है, वो जो नीता आंटी आई थी, उसकी साथ वो कॉन थी…..

सोनिया: (सुबकते हुए) हां जानती हूँ माँ……सब जानती हूँ…….अमित ने मुझे सब बताया था……उनके बीच में जो होता था……

में: (सोनिया की बात सुन कर जैसे मेरे पैरों के नीचे से ज़मीन निकल गयी) फिर भी तू उससे प्यार करती है….तू ये कैसे कर सकती है….

सोनिया: मुझे नही पता माँ…..उसने मुझे सच तो बताया ना…..तुम ही बताओ कॉन अपने ऐसे राज़ किसी को बताता है……में अगर शादी करूँगी तो उससे ही करूँगी, नही तो में जहर खा कर मर जाउन्गि……

में: तू पागल हो गयी है सोनिया….

सोनिया: हां में पागल हूँ, उसके प्यार में पागल……अब जब में उसे अपना सब कुछ दे चुकी हूँ, तो कैसे किसी और के साथ शादी कर लूँ. तुम ही बताओ माँ….

मेने चुप कर बाहर आना ही ठीक ही समझा…….हमारी जिंदगी में ऐसा तूफान आया था.जो थमने का नाम ही नही ले रहा था…..सोनिया से मेरी अगले दो दिन तक बात ही नही हुई,….सोनिया ने दो दिन से कुछ नही खाया था…. वो मेरे सामने अंदर ही अंदर घुट रही थी…….में अपनी हालत से इतना मजबूर हो गयी थी, कि आख़िर मेने सोच ही लिया कि, अब सोनिया को ही अपनी जिंदगी का फैंसला लेने दूं…..आख़िर अमित भी ठीक ही कह रहा था……..

उसमे कोई कमी भी नही थी…..में सोनिया के रूम में गयी, तो उसने मुझे देख कर फेस घुमा लिया….मेने उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा”सोनिया नाराज़ हो अपनी मम्मी से” सोनिया ने कुछ नही बोला……

में: चल उठ कर खाना खा ले,

सोनिया: मुझे भूख नही है……

में: तूने कल से कुछ नही खाया बेटा बीमार पड़ जाएगी…..

सोनिया: मर भी जाऊ तो उससे आपको क्या फरक पड़ता है…

मेने सोनिया को पकड़ कर अपने गले से लगा कर “ना बेटा ऐसा नही बोलते.तुझसे पहले में ना मर जाउ….तू अमित से शादी करना चाहती है ना….जा कर ले. मुझे कोई इतराज़ नही….पर अगर अमित ने तुझसे शादी करने के लिए मना कर दिया तो,

सोनिया: (सोनिया को तो जैसे मेरी बात पर यकीन ही नही हो रहा था…) क्यों नही करेगा…..वो भी मुझसे प्यार करता है……

में: चल ठीक है, जैसे तू कहेगी में राज़ी हूँ……

सोनिया मेरे बात सुन कर एक दम से उछल पड़ी….और बेड से उतरते हुए बाहर जाने लगी…”अर्रे कहाँ जा रही है….खाना तो खा ले…….

सोनिया: माँ अमित को फोन करने जा रही हूँ….बाद में खाना खाती हूँ..
 
सोनिया मेरे रूम में चली गयी…….में वही उसके रूम में बैठी सोचने लगी कि, क्या जो में कर रही हूँ , वो सही है या ग़लत….पर इन सब सवालों के जवाब मेरे पास भी ना थे….सोनिया करीब 15 मिनिट तक अमित से फोन पर बात करती रही थी…..और जब वो मेरे रूम में आई तो, उसका चेहरा उतरा हुआ था…..उसके आँखें आँसू से भरी हुई थी…..

वो मेरे पास आई, और फिर मेरे गले लग कर रोने लगी…..में उसे चुप कराने की कॉसिश कर रही थी…….पर वो बेसूध रोए जा रही थी….”आख़िर हुआ क्या है बता तो सही….”

सोनिया: (रोते हुए) माँ तुमने तुमने ऐसा क्यों किया मेरे साथ ?

में: क्या हुआ मेने क्या क्या बता तो सही…..

सोनिया: माँ मुझे अमित ने सब बता दिया है…..तुम उससे मिलने जाती थी ना…

सोनिया की बात सुन कर मेरे होश उड़ गये…….मुझे यकीन नही हो रहा था कि, उसने सब सोनिया को बता दिया था….”अर्रे में तो वैसे ही गयी थी उससे मिलने के लिए सच”

सोनिया: (मुझे अपने दूर धकेलते हुए) झूट मत बोलो…..तुम बहुत गंदी हो….अपनी बेटी की उम्र के लड़के के साथ छि…..तुमने मेरा सब कुछ लूट लिया माँ……

में: (में सोनिया के सामने एक दम शर्मिंदा हो गयी) पर उसने कहा क्या ?

सोनिया: अब मुझे सब बताना पड़ेगा क्या….

में कुछ ना बोल पाई, और उसके रूम से बाहर आकर अपने रूम में आ गयी…गुस्से से मेरे हाथ पैर काँपने लगे…..मेने अमित को फोन लगाया.

अमित: हेलो…..

में: हरामजादे आख़िर दिखा ही दी ना तूने अपनी औकात…..

अमित: हेलो तमीज़ से बोलो…….

में: अब तू मुझे तमीज़ सिखाएगा……मेने सोचा था कि, अगर तुम्हारी शादी सोनिया के साथ कर दूं, तो तू शायद सुधर जाए…..पर कुत्ते के पूंछ कभी सीधी नही होती…..में ये भूल गयी थी…क्या कहा तूने सोनिया को…

अमित: मेने क्या कहा..मेने तो सिर्फ़ इतना कहा था कि, हम सुहगरात तीनो साथ मिल कर मनाएँगे…….


में: घिन आती है मुझे तुम्हारी सोच पर……..तुमने एक बार भी सोनिया के बारे में नही सोचा……वो पागलो की तरह तुमसे प्यार करती है…भूखी रह कर जान देने पर तुली हुई थी…….और तू छि……तू तो आदमी के नाम पर भी कलंक है……..

अमित: तो में कॉन सा सोनिया से प्यार नही करता……..में भी तो उससे प्यार करता हूँ…….बस फरक ये है कि, में तुम दोनो से एक जैसा प्यार करता हूँ……अब जो मेरे दिल में है मेने उससे कह दिया…..बाकी तुम लोग सोचो क्या करना है क्या नही करना है…….

में: सही हुआ जो वक़्त रहते तूने अपनी औकात दिखा दी….

अमित: मेरे पास जयदा टाइम नही है तुम सोचो क्या करना है…..

ये कहते हुए उसने फोन रख दिया…..में वही बैठे रोने लगी….पता नही कब दोपहर हुई कब शाम और कब रात…..में और सोनिया अपने अपने कमरो में रोती रही…..करीब 8 बजे मेरे रूम के डोर पर नॉक हुआ, मेने डोर खोला, तो देखा सामने सोनिया खड़ी थी…….उसके हाथ में खाने की प्लेट थी….

सोनिया: माँ खाना खा लो……

में: (अपने आँसू को सॉफ करते हुए) तुमने खा लाया….

सोनिया: नही थोड़ी देर बाद खा लूँगी….

में: अच्छा चल खाना अपने रूम में लेकर चल…साथ में खाना खाते है.

सोनिया प्लेट लेकर अपने रूम में चली गयी…….में बाथरूम में गयी…..और सोचने लगी कि, शायद सोनिया समझ चुकी है, कि अमित उसके लायक नही है…उसकी सच्चाई अब सोनिया की आँखों के सामने आ चुकी थी….मेरे मन का बोझ थोड़ा सा हल्का हुआ….में फ्रेश होकर बाहर आई, और सोनिया के रूम की तरफ जाने लगी. मेरे नज़र मेरे रूम में गयी…..सोनिया फोन पर किसी से बात कर रही थी. में सीधा सोनिया के रूम में चली गयी….
 
थोड़ी देर बाद सोनिया रूम में आ गयी, और मेरे सामने बेड पर बैठ कर खाना खाने लगी…….”किससे बात कर रही थी”

सोनिया: (मेरी तरफ देखते हुए) अमित से…..

में: अब अमित से बात करके क्या करना है तुझे……..

सोनिया: माँ वो में तुमसे कहना चाहती थी कि,

में: हां बोल ना क्या कहना चाहती थी तू…

सोनिया: माँ मुझे आप से कोई शिकायत नही है……में उस बात को लेकर आप से बिकुल भी नाराज़ नही हूँ कि, अमित के साथ आप ने क्या किया……और मुझे आगे भी कोई इतराज़ नही होगा अगर मुझे अमित को आपके साथ शेर करना पड़े…..

सोनिया की ये बात सुन कर खाने का नीवाला मेरे गले में ही अटक गया. में एक टक हैरान होते हुए, सोनिया को घुरे जा रही थी…रूम में खामोशी से छा गयी थी………सोनिया नीचे अपनी प्लेट में देख रही थी…..

में: सोनिया तू होश में तो है ये क्या बके जा रही है…….

सोनिया: (घबराई हुई आवाज़ में)हां माँ में होश में हूँ…मेने देखा है आपको तड़पते हुए…..मुझे सब मंजूर है माँ…..

में: खाने की प्लेट एक साइड में रखते हुए) तू पागल हो गयी है….पता नही उसने तेरे दिमाग़ में क्या भर दिया है….

सोनिया: प्लीज़ मान जाओ ना माँ…….में नही जी पाउन्गि, उसके बिना.बोलो तुम उससे प्यार नही करती……

में: अब में तुम्हें कैसे समझाऊ सोनिया…..ऐसा नही होता है….

सोनिया: प्लीज़ माँ मान जाओ, ना मेरी खातिर……हम दोनो आपको बहुत खुस रखेंगे…….

में: मुझे कुछ वक़्त चाहिए सोचने के लिए……

सोनिया: (मेरे गाल को चूमते हुए) आइ लव यू मोम…….

मेने खाना खाया, और अपने रूम में चली गयी…..में इस बारे में रात भर सोचती रही……फिर सुबह हुई तो, में अपने रूम से बाहर आई,. तो देखा सोनिया पहले से उठ कर नहा चुकी थी…….और खाना बना रही थी…

में: अर्रे वाह आज इतनी सुबह-2 कैसे उठ गयी…..

सोनिया ने मेरी बात का कोई जवाब नही दिया…..में बातरूम में गयी, और नहा धो कर वापिस आ गयी…….सोनिया नाश्ता लगा चुकी थी….हम ने साथ में नाश्ता किया, और फिर में बर्तन उठाने लगी…….

सोनिया: माँ फिर क्या सोचा तुमने……

में: अब में तुमसे क्या कहूँ सोनिया……जैसे तुम्हारा दिल करता है वैसे करो.

वो तो बेड पर ही उछल पड़ी….और बेड से उतार कर मुझे गले लगा लिया….फिर मेरे कान में धीरे से फुस्फुसाइ…..

सोनिया: माँ तू मेरी सौतन बनेगी ? (फिर सोनिया ज़ोर-2 से हँसने लगी…….

में: (उसकी ये बात सुन कर में एक दम से दंग रह गयी)चुप कर बेशरम. अपनी माँ के साथ ऐसे बात करते है…..

में किचन में आ गयी…..पर सच कहूँ तो, मेरे मन में भी अजीब से हलचल मच गयी थी…सोनिया की आवाज़ मुझे आई, वो फोन पर बात कर रही थी…मुझे मालूम था कि, वो अमित से ही बात कर रही थी..थोड़ी देर बाद सोनिया ने मुझे रूम में आने को कहा…में अपने रूम में गयी…

में: क्या है ?

सोनिया: लो अमित से बात करो.वो आप से बात करना चाहता है……

में( मेने सोनिया से फोन लेकर कान पर लगाया) हेल्लो.

अमित: बहुत जलदी मान गयी आप…..

उसकी इस बात पर में खामोश हो गयी….

अमित: अच्छा सुनो. हम इस सनडे को शादी कर लेंगे…..सबसे पहले तुम एक काम करो…..अपने सब किरायेदारो को रूम खाली करने के लिए बोल दो…..

में: क्यों ऐसे अचानक वो कहाँ जाएँगे…

अमित: अर्रे कह देना कि सोनिया की शादी है, मेहमान आएँगे तो उनको ठहराने के लिए जगह भी तो होनी चाहिए….और उनको बता कर तुम सोनिया को लेकर मार्केट में आ जाओ……में तुम दोनो का वही वेट कर रहा हूँ

में: मार्केट में क्या करना है….

अमित: अर्रे भाई शादी है, तो थोड़ी शॉपिंग करना तो बनता है ना…

में: ठीक है हम दोपहर को 1 बजे आ जाएँगे…

उसके बाद मेने अपने सभी किराएदारो से बात की, और उन्हे 2 दिन में कमरे खाली करने को कहा….दोपहर को में सोनिया के साथ तैयार होकर, मार्केट आ गयी… हम अमित की बताई हुई जगह पर पहुच गयी…वहाँ पर अमित हमारा इंतजार कर रहा था…उस दिन अमित नॉर्मल बिहेव कर रहा था….

सोनिया शॉपिंग को लेकर इतनी एग्ज़ाइटेड थी कि, उसे ये ख़याल भी नही था कि, अमित किस शर्त पर उससे शादी के लिए तैयार हुआ था….में बार-2 सोनिया की तरफ देख रही थी….पर मुझे उसके चेहरे पर कोई शिकन नज़र नही आ रही थी… मुझे ऐसा लग रहा था. जैसे वो अमित के साथ शादी करने के लिए बहुत खुश है….
 
में औलाद के मोह में बँधी सब कुछ चुप चाप देख रही थी…शॉपिंग के बाद हम दोनो घर वापिस आ गये….अमित अपने घर चला गया….अगले कुछ दिनो में हमारे सारे किरायेदार रूम खाली कर चले गये….मेने अपने जेठ जेठानी और रामा को फोन पर ही बता दिया था , सब मेरे इस फैंसले को सही मान रहे थे…..पर असल बात उनको पता नही थी..

खैर वो दिन भी आ गया………जब सोनिया और अमित की शादी होनी थी…..मेरे कहने पर अमित सोनिया के साथ कोर्ट मॅरेज करने के लिए तैयार हो गया. क्यों कि में ये पक्का कर लेना चाहती थी कि, मेरी बेटी के साथ धोका ना हो….हम सब लोग कोर्ट गये, और सोनिया और अमित की शादी करवा दी गयी…..शाम को घर में मेरे जेठ जी का परिवार और रामा का पति और उसके सास ससुर आए थे…इस लिए घर में छोटी सी पार्टी अरेंज करी थी…

अगले दिन सुबह सब अपने अपने घर के रवाना हो गये…..आज मेरे और सोनिया के लिए सुबह थी….और आज के बाद मेरी लाइफ पूरी तरह से बदल जानी वाली थी….शायद में इस समाज की पहली औरत होने वाली थी….जो अपनी बेटी के साथ-2 उसके पति के साथ एक ही सेज पर चुदने वाली थी……..

डर भी लग रहा था…..और इस नये अनुभव के बारे में सोच-2 कर मेरे पूरे बदन में सरसराहट सी दौड़ जाती…..मन में भी अजीब सी हलचल बनी हुई थी…….”हाईए कैसे में चुदुन्गि….अपनी बेटी के सामने ……कैसे अपने बेटी को अपनी चूत में लंड लेते देखूँगी….ये सोच कर ही मेरी चूत काँप जाती….

सभी मेहमानो के जाने के बाद अमित घर से निकल गया….जब मेने सोनिया से पूछा तो उसने कहा कि वो उस को भी कुछ बता कर नही गया….दोपहर को अमित घर वापिस आया…..में सोनिया के साथ किचन में खाना बना रही थी… अमित सीधा किचन में आ गया….मेरा दिल उस समय थम गया.जब उसने मेरे सामने ही सोनिया को पीछे से अपनी बाहों में भर कर उसके गर्दन पर अपने होंटो को रख दिया….

मेने शरमा कर दूसरी तरफ मूह कर लिया……मुझे सोनिया के सिसकने की आवाज़ आई “आह अमित छोड़ो ना” मेने अपनी कनखियों से देखा तो, वो सोनिया के ब्लाउस के ऊपेर से उसकी चुचियों को मसल रहा था….और सोनिया अपने एक हाथ को पीछे लेजा कर उसके सर को थामे हुए थी…..और उसने अपने सर को अमित के कंधे पर रख कर आँखें बंद कर रखी थी…..फिर अमित बाहर चला गया…..

आज मेरे लिए एक -2 पल काटना मुस्किल हो रहा था. में कैसे अमित और सोनिया के साथ एक बिस्तर पर नही नही मुझसे नही होगा. वैसे भी अमित पर अब सिर्फ़ सोनिया का हक़ है. अभी तो उसने भोलेपन में ये सब करने के लिए हां कर दी. पर कॉन सी पत्नी अपनी पति को किसी दूसरी औरत के साथ शेअर करना पसंद करेगे. बाद में आगे चल कर कही गड़बड़ हो गयी तो, नही में अभी अमित से बात करती हूँ. ये सोचते हुए, मैं सोनिया के रूम में चली गयी…..जहा पर अमित बैठा टीवी देख रहा था. मुझे देखते ही उसने टीवी का वॉल्यूम कम कर दिया. और मेरी तरफ देखने लगा….मेने हिम्मत करते हुए, अमित से कहा.

में: अमित ये सब करना ज़रूरी है क्या ?

अमित: तुम किस बारे मे बात कर रही हो..सॉफ-2 बताओ ना.

मई: (थोड़ी देर और हिम्मत जुटाने के बाद) एक साथ सेक्स करने के बारे मे. में अपनी बेटी के सामने नही कर पाउन्गि ये सब.

अमित: ठीक है. जब तक तुम नही मनोगी, तो मैं और सोनिया भी अपनी सुहागरात नही मनाएँगे…

मैं: ये क्या बच्चो वाली ज़िद्द है. देखो अमित सोनिया अब तुम्हारी पत्नी है. और तुम उसके पति. कोई भी औरत अपने पति को दूसरी औरत के साथ बर्दास्त नही कर सकती. और मैं तो उसकी माँ हूँ. मैं कैसे अपनी बेटी के प्यार को शेअर कर सकती हूँ.

अमित: अच्छा इस बारे में सोनिया से ही पूछ लो.

में अमित को रोकना चाहती थी. पर उसने मेरे कुछ कहने से पहले ही सोनिया को आवाज़ लगा दी. सोनिया अमित की आवाज़ सुन कर रूम में आ गयी. “क्या हुआ अमित “ सोनिया ने हम दोनो की तरफ देखते हुए कहा. “देखो ना तुम्हारी माँ क्या कह रही है” अमित ने मुस्कुराते हुए, सोनिया की तरफ देख कर बोला. “क्या हुआ माँ कोई प्राब्लम है क्या”

अब मैं कहती. मैं थोड़ी देर वहाँ चुप खड़ी रही. और जब मेरे कुछ बोलने की हिम्मत ना हुई, तो में रूम से बाहर आकर अपने रूम में चली गयी….मुझे अमित और सोनिया की बातों की आवाज़ हलकी-2 आ रही थी. पर वो क्या बात कर रहे थे. मुझे समझ नही आ रहा था. थोड़ी देर बाद सोनिया मेरे रूम में आई, और मेरे पास आकर बेड पर बैठ गयी. थोड़ी देर के लिए वो रूम में इधर उधर देखती रही, और फिर मेरी तरफ देखते हुए बोली.

सोनिया: माँ प्लीज़ मान जाओ ना. तुम्हे मेरी खुशी की ज़रा भी परवाह नही है क्या…..प्लीज़ मान जाओ ना.

ये कहते हुए सोनिया रूम से बाहर चली गयी….में उसे हैरत से जाते हुए देख रही थी…..और सोच रही थी कि, आख़िर अमित ने सोनिया पर ऐसा क्या जादू कर दिया कि, वो मेरे सामने ही अमित से चुदने के लिए तैयार हो गयी है….मैं अभी यही सोच ही रही थी कि, सोनिया एक बार फिर से रूम मे आई….उसके हाथ मे एक शॉपिंग बॅग था…उसने वो शॉपिंग बॅग मेरी तरफ बढ़ाते हुए कहा “ये तुम्हारे लिए अमित लाया है. और आज रात को आपको इसे पहनना है” वो बॅग मेरे सामने रख कर बाहर चली गयी…..मेने वो बॅग उठाया, और उसमे से वो ड्रेस निकाली, उसके पिंक कलर की शॉर्ट और स्लीव्लेस्स नाइटी थी…..उसमे चुचियों की जगह पर नेट का कपड़ा लगा हुआ था….और ब्रा शेप सी बनी हुई थी….जिसमे आगे की तरफ तीन हुक्स थे….अब मैं खुद भी अपनी चूत के हाथों लाचार महसूस कर रही थी…..
 
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