Adult kahani पाप पुण्य - Page 2 - SexBaba
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Adult kahani पाप पुण्य

चल जल्दी से नंगी हो जा मेरी जान. जन्नत की सैर करने के लिए. दीदी की आँखों में एक नशा सा था वो बिना पलक झपकाए सलमान का लंड देखे जा रही थी. दीदी ने इतने पास से पहली बार लंड देखा होगा शायद.

सलमान ने दीदी को खाट पर लिटा दिया और उनके पैजामे का नाडा खोलने लगा. जैसे ही नाडा खुला और वो पैजामा नीचे खीचने लगा तभी दीदी ने उसे एक जोर का धक्का दिया और वो जल्दी से खड़ी हो गयी और अपने गिरते हुए पैजामे को दोनों हाथो से पकड़ लिया. और जोर से चिल्लाई नहीं मैं ये नहीं करने दूँगी. जाने दो मुझे.

सलमान की ऑंखें हवस के नशे से लाल हो गयी थी. वो बोला, साली ये तेरी पुरानी आदत है अभी तो मज़े ले रही थी और एन मौके पे बिदक गयी. उस दिन तूने बैंक में भी यही किया था. पर वहां तो बहुत लोग थे इसीलिए तुझे छोड़ दिया था पर आज तू नहीं बचेगी. तूने क्या सोचा के मैं तेरे जैसा कोरा जवान माल बिना चोदे जाने दूंगा.

दीदी की ऐसी हालत देख कर मैंने सोचा की आज कल लड़की का दीदी की तरह खूबसूरत होना एक गुनाह है.

अब दीदी सलमान से काफी डर गयी थी और वो धीरे धीरे पीछे होने लगी. पर सलमान ने आगे बढ़ कर उन्हें पकड़ लिया. उसने दीदी को दीवार से सटा कर खड़ा कर दिया और एक हाथ से दीदी की चूची को दबाने लगा और दुसरे हाथ से दीदी का पैजामा नीचे करने की कोशिश करने लगा. हवस का ये नंगा नाच देख कर मेरा हाथ अपने लंड पर फिर से पहुच गया.

बेहेन्चोद... क्या मुलायम बोबे है तेरे रानी. आज तक मैंने इतनी चूचिया दबाई है लेकिन तेरे जैसी चूची नहीं देखी जो कड़क भी है और मुलायम भी. सलमान दीदी के चूची दबाता हुआ बोला.
दीदी अपने को बचाने के लिए दीवार की तरफ घूम गयी अब दीदी की पीठ सलमान की तरफ थी.

मुझे छटपटाती लौंडिया बहुत पसंद है साली कुतिया आज तो तेरी चूत को चोद चोद कर भोसड़ा न बनाया तो मेरा नाम नहीं. सलमान दीदी को अपनी गिरफ्त में लेता हुआ बडबडाया. मुझे दीदी पर दया आने लगी और मैंने सोचा की अन्दर जा कर दीदी को बचाऊ पर मेरी वासना मुझे रोक रही थी. मुझे लग रहा था की मुझे दीदी को पूरी नंगी देखने का मौका मिलने वाला है.

तभी सलमान ने एक झटके में दीदी के पैजामे को अपने अनुभवी हाथो से सरका कर नीचे कर दिया. फिर वो घुटनों पर बैठ गया और उसने दीदी का कुरता ऊपर उठा दिया. दीदी ने ग्रीन रंग की पेंटी पहनी थी जिसे वो चूमने लगा और दीदी के चूतरो को दबाने लगा फिर उसने दीदी की पेंटी को भी सरका कर नीचे कर दिया.
 
अब दीदी के चुतड पूरे नंगे हो चुके थे. एक दम सफ़ेद. एक भी दाग नहीं जैसे ब्लू फिल्म वाली लड़कियों के होते है एक दम गोल और सुडौल... उभरे बाहर की तरफ निकलते हुए दीदी के चुतड देख कर मेरी तो जैसे सांस ही रुक गयी.

दीदी की चूत तो मुझे नहीं दिख रही थी पर फिर भी मुझे लगा मैंने जन्नत देख ली है. सलमान ने बिना वक्त ख़राब किये अपना मुह दीदी के चूतरो में घुसा दिया और उन्हें चाटने लगा. जैसे ही उसकी खुरदुरी जीभ दीदी के गांड के छेद पर पहुची दीदी के मुह से एक सिसकारी निकल गयी...

... अः आह ह्ह्ह इस्स माँ अहह. दीदी के लिए ये नया अनुभव रहा होगा. सलमान की जीभ दीदी के पिछवाड़े की दरार से होकर उनकी चूत तक जा रही थी और दीदी मदहोश होकर अपने चुतड पीछे की तरफ धकेल रही थी.

दीदी की कुवारी गांड और चूत चाट चाट कर सलमान जोश से भर गया. दीदी अब फिर से उसके काबू में थी. अब उसने अपना तन हुआ ६ इंच का लौड़ा दीदी को झुका के उनकी चूत के मुह पे रखा. मैंने सोचा अब तो मैं भी दीदी को चुदने से नहीं बचा सकता.

और मैं अपना लौड़ा जोर से हिलाने लगा फच फच करते हुए मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया. ऐसा ओर्गास्म मुझे कभी नहीं हुआ था मेरी आंखे बंद हो गयी और मेरी टागे कापने लगी थी.
 
तभी अचानक फटाक की आवाज़ हुई और मैं फिर से अन्दर झाकने लगा. मैंने देखा की सलमान जमीन पर पड़ा था और दीदी के हाथ में एक टूटी हुई बोतल थी जो शायद दीदी ने सलमान के सर पर फोड़ दी थी.

दीदी फटाफट अपनी पेंटी और पैजामा पहनने लगी. सलमान बिलकुल हिल नहीं रहा था. अब मैं भी घबरा गया था और मैं भी घर के दरवाजे की तरफ भगा. जैसे ही मैं वहां पंहुचा दीदी दरवाजा खोल कर बाहर आ गयी और बोली मोनू चल यहाँ से. इसका सर्वे पूरा हो गया.

अरे रश्मि तुम्हारा दिन कैसा रहा आज. पापा ने खाना खाते हुए दीदी से पुछा. हम सब डाइनिंग टेबल पर बैठे थ.

जी ठीक था. दीदी ने जवाब दिया.

तुम कुछ परेशान लग रही हो. मम्मी ने पुछा और तुम्हारी गर्दन पर ये निशान कैसा है. दीदी तो मनो सुन्न पड गयी

जी वो लगता है किसी कीड़े ने काट लिया. जहा हम आज गए थे काफी गंदगी है वहां. दीदी बात बनाते हुए बोली.

भाई सुना है की मोनू ने आज बड़ी मदद की अपनी बड़ी बहन की. पापा मुस्कराते हुए बोले.

मैंने मन में सोचा ... हां बहुत मदद की मैंने... उस शराबी को अपनी जवान बहन थाली में परोस कर दे दी. बलात्कार होते होते बचा था आज दीदी का...

दीदी भी खाना खाते हुए मुझे देख रही थी की मेरा क्या जवाब होगा. जब से हम लौटे थे उन्होंने मुझसे कुछ बात नहीं की थी. पर मै मुसकरा के बात टाल गया.

दीदी खाना खा कर ऊपर चली गयी. थोड़ी देर बाद मैं भी सोने ऊपर पहुच गया. दीदी अभी जाग रही थी.

दीदी: मोनू एक बात पुछु... सच सच बताना.

रूम की लाइट बंद थी और ११ बजे होंगे. मुझे लगा दीदी क्या पूछेंगी.

मोनू: हाँ दीदी पूछो.

दीदी: तू कब वापस आया था वहां लौट के.

मोनू: जब तुमने दरवाजा खोला था तभी. क्यों?

दीदी: तूने इतनी देर क्यों लगा दी और तेरे पास कोल्ड ड्रिंक भी तो नहीं थी.

मोनू: दीदी मैं काफी दुकानों पर गया था, कुछ बंद थी और बाकी लोगो के पास बोतल ठंडी नहीं थी. इसीलिए वापस आने में देर हो गयी. और तुम बोली चलो तो वापस आ गया तुम्हारे साथ. उस आदमी के १०० रुपये मेरे पास रह गए. कल वापस करने जाना होगा.

दीदी के इस सवाल से मैं घबरा तो गया था पर बात बना कर बोला. दीदी को विश्वास हो गया की मुझे वो सब नहीं पता जो वहां हुआ था. दीदी बोली मैंने उसको १०० रूपये वापस कर दिए थे. तुम्हे वहां जाने की जरूरत नहीं है.

मैंने कहा ठीक है वो पैसे मैं आपको दे दूंगा. दीदी ने कहा नहीं, वो तू ही रख ले आज तूने मेरी बड़ी मदद की है ना. मुझे लगा दीदी ताना दे रही है या सच में कह रही है. खैर मैं दीदी के नंगे चूतरो को याद करते करते सो गया.
 
फिर कुछ दिन नार्मल थे कुछ खास नहीं हुआ. फिर हमारा रिजल्ट आ गया और मैं फर्स्ट डिविसन पास हो गया था और इस बार रिशू भी पास हो गया था. लगता था मेरी नक़ल करने का उसको फायदा हुआ था. कुछ दिनों बाद मैं रिशू के साथ कॉलेज में एडमिशन के लिए फॉर्म लेने गया था पर उस दिन कोई छुट्टी थी इसीलिए मैं जल्दी लौट आया.

जब मैं घर पंहुचा तो मम्मी कहीं जा रही थी.

मोनू: मम्मी कहा जा रही हो.

मम्मी: शर्मा आंटी के घर. उनके साथ मुझे मार्किट जाना है. शाम तक आ जाऊंगी. तू जल्दी कैसे आ गया.

मोनू: कॉलेज में छुट्टी हो गयी थी. क्या घर में कोई नहीं है.

मम्मी: नहीं रश्मि है. तेरी कामिनी आंटी भी आई है. दोनों ऊपर रूम में है. उन्होंने डोर लॉक कर दिया है.

ये बोल के मम्मी ने चाभी मुझे दी और चली गयी. मैं लॉक खोल के घर के अन्दर आया तो मुझे हसने की बड़ी तेज़ आवाज़ आई. मैं धीरे से ऊपर चला गया. ऊपर कमरे के अन्दर दोनों बेड पर बैठे थे और किसी बात पर हस रहे थे. मैंने सोचा छुप कर इनकी बाते सुनता हूँ. क्यों ये इतना हस रहे है.

जैसे की आप जानते है की कामिनी रिशू की माँ है. पास के मोहल्ले में रहती है. उम्र यही कोई ३८. उनका भी रूप रंग कुछ कम नहीं था. देख कर लगता नहीं था की दो बच्चो की माँ है. लगता है जब वो १९-२० साल की रही होगी तभी रिशू पैदा हो गया होगा और रिक्की (रिशू की छोटी बहन) उसके ३ साल बाद. रिशू के पापा किसी बड़ी सरकारी नौकरी में है और आजकल उनकी पोस्टिंग दिल्ली में है पर महीने में एक दो बार घर आ ही जाते है. वो काफी दिन बाद आज हमारे घर आई थी. कमरे का दरवाजा हल्का सा खुला था तो मै अन्दर देखते हुए उनकी बाते सुनने लगा.

कामिनी: अरे उसका बहुत लम्बा है.

दीदी: सच में? कितना लम्बा?

कामिनी: तेरी कभी ठुकाई हुई है?

दीदी: ठुकाई! कहाँ पर?

यहाँ पर, कामिनी आंटी मुस्कुराई और उन्होंने दीदी की चूत पर हाथ रख कर कहा. मैंने मन में सोचा साला माँ बेटा दोनों परम हरामी है. दीदी को अपनी इज्जत पर अचानक हुए इस हमले से शाक लग गया. उन्होंने आंटी का हाथ हटाते हुए कहा

दीदी: क्या करती हो आंटी.
 
कामिनी: अरे तो डरती बहुत है. आज पहली बार तो अकेले मिली है. अपने दिल की बात नहीं बताएगी अपनी दोस्त को. या तू मुझे अपना दोस्त मानती ही नहीं?

रश्मि: नहीं ऐसी बात नहीं है. आप तो मेरी बेस्ट फ्रेंड हो.

कामिनी: तो खुल के बात कर न. मेरे अलावा तो कोई सुनने वाला नहीं है. जब मैं तेरी उम्र की थी तो सारे मोहल्ले के लडको को अपनी उंगलियों पर नचाती थी. अरे भरी जवानी ऐसे मत बर्बाद कर रश्मि. अच्छा अपना फिगर तो बता.

रश्मि: जी ३४-२६-३६

कामिनी: वाह वाह. तुझे मेरा फिगर पता है.

रश्मि: जी नहीं और मुझे जानना भी नहीं है.

कामिनी: अरे तू डरती क्यों है, मैं तेरी दोस्त ही नहीं बड़ी बेहन भी हूँ. मुझसे बाते शेयर नहीं करेगी तो किससे करेगी. तेरे इन मम्मों को किसी ने दबा दबा कर इनका रस पिया है.

आंटी ने अपने दोनों हाथ दीदी की छातियो पर रख दिए. अपने खजाने की रक्षा करने के लिए उठते दीदी के हाथो को आंटी ने पकड़ लिया.

कामिनी: अरे मुझसे क्यों शर्माती है. बता न. अब ये मत बोलना की तूने इन्हें अभी तक मसल्वाया नहीं है.

दीदी कसमसा कर चुप हो गयी. आंटी ने दीदी के दोनों हाथ अपने एक हाथ से पकडे और दुसरे हाथ से वो दीदी की चुचिया सहलाने लगी.

कामिनी: चल कोई बात नहीं. मैं तो हूँ न तेरी हेल्प करने के लिए.

आंटी दीदी की चूचियो को धीरे धीरे मसलने लगी. दीदी का गोरा चेहरा मस्ती में लाल हो गया. मुझे आंटी के हरकते देख कर थोडा अजीब लग रहा था पर दीदी पर चडी मस्ती की लहर ने उनके टागो के बीच छिपी उनकी चूत में खलबली मचा दी और उन्होंने अपना एक हाथ अपनी चूत पर रख लिया. दीदी की आंखे मस्ती में बंद होने लगी और वो कापती आवाज़ में बोली

आंटी बस करो. कुछ हो रहा है.

पर आंटी ने दीदी की बात पर कोई ध्यान नहीं दिया और दीदी के दोनों हाथ उठा कर अपने खरबूजो के साइज़ वाली चुचियो पर रख लिए.

कामिनी: दबा इन्हें

रश्मि: ये कितने बड़े और नरम है

कामिनी: अरे इन पर ही आदमी मरता है. औरत का पिछवाडा और चुचिया ही मर्दों को सबसे ज्यादा आकर्षित करती है.
 
दीदी की चूचिया भी अब उत्तेजना के कारण एक दम कड़क हो गयी थी. उनका शेप एकदम आम की तरह था. आंटी ने मस्ती में दीदी की चुचियो को जोर से दबाया.

रश्मि: अंकल तो ज्यादातर दिल्ली में रहते है तो आप

कामिनी: शर्मा मत... पूछ न की किस्से चुद्वाती हूँ...

चुदाई का नाम सुनते ही दीदी के बदन में एक झुरझुरी दौड़ गयी और उनकी चूत पनियाने लगी

दीदी: बताइए न

कामिनी: अरे हमारी गली में कोने में एक दुकान है न फोटोकॉपी की. वहां एक लड़का बैठता है राजू. उसी से चुद्वाती हूँ आज कल. साला बहुत लाइन देता था मुझे. बहुत मस्त चोदता है. किसी से कहना नहीं.

और कामिनी आंटी ने अपना हाथ दीदी की चूत पर रख दिया और सहलाने लगी. दीदी ने आँख बंद कर ली और पुछा, कितना लम्बा है उसका?

दीदी की ये बात सुनते ही कामिनी आंटी के चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी और बोली पूरे गधे के जितना ८ इंच का और उन्होंने अपनी मुठी में दीदी की चूत को भर लिया.

दीदी के मुह से सिसकारी निकल गयी.

कामिनी: तुझे बताऊ वो मुझे कैसे चोदता है.

आंटी ने दीदी को खड़ा करके घोड़ी बना दिया और उनका बदन निहारने लगी. दीदी घोड़ी बनी इतनी सेक्सी लग रही थी की मेरा मन कर रहा था अभी अन्दर जाकर अपना लंड उनके पीछे पेल दूं. घोडी बनना रश्मि दीदी को भी रोमांचित कर रहा था और उनके निप्पल खड़े होने लगे थे. आंटी मन में खुश हो रही थी की उन्होंने रश्मि दीदी को अपने जाल में फंसा लिया है...

आंटी अब अपनी चूत को सहला रही थी तो मुझे लगा की दीदी का बदन मर्द के साथ साथ औरतो को भी बहुत लुभाता है.
 
इतनी सेक्सी है तू... न जाने अब तक चुदी क्यों नहीं... क्या तेरा कोई बॉय फ्रेंड नहीं है. आंटी अपने हाथ दीदी के कुल्हो पर रखती हुई बोली

रश्मि: नहीं आंटी. मन तो बहुत है पर डर लगता है. जल्दी बताओ वो कैसे करता है.

कामिनी: बड़ी बैचेन है अगर मैं मर्द होती तो तुझे जमकर चोदती. राजू मेरी कमर ऐसे ही सहलाता है जैसे मै तेरी सहला रही हूँ. फिर ऐसे वो मेरी गांड दबाता है.

आंटी जो बोल रही थी वोही कर रही थी. दीदी मजे से आंखे बंद किये सोच रही थी की कामिनी की जगह राजू ही उनकी कमर सहला रहा है.

रश्मि: आहाह आंटी फिर क्या करता है वो

कामिनी: फिर वो मेरी चूत को मसलता है.

और वो दीदी की चूत की मसलने लगी और दबाने लगी.

और पता है फिर वो क्या करता है. कामिनी आंटी दीदी को तडपाती हुई बोली

क्या करता है आंटी बोलो न आ आह दीदी बदहवासी में अपने बदन को हिलाते हुए बोली.

फिर वो मेरे साथ ऐसा करता है ये कह कर कामिनी आंटी अपनी चूत को दीदी की गांड से रगड़ने लगी.

रश्मि दीदी तो मस्ती में खोकर किसी और दुनिया में चली गयी थी और कामिनी आंटी अब बेहिचक उनके बदन से खेलने लगी.

सच में रश्मि तो एक बार राजू का लंड ले ले अपनी चूत में. तेरी ज़िन्दगी बन जाएगी. कहते हुए आंटी ने दीदी के सीधा बेड पर लिटाया और उनके होठ चूमने लगी. फिर वो मेरी चून्चियो को कस कस के दबाता है और उन्होंने दीदी की टीशर्ट के अन्दर हाथ डाल कर चून्चिया मसल कर रख दी.

आह इसस आंटी उह ममा मर जाऊँगी. दीदी मस्ती से छलक उठी

और चोदते हुए वो गन्दी गन्दी गलिया देता है. तुझे गलिया सुनना अच्छा लगता है. बोल रांड आह. आंटी की भी अब आँख बंद हो रही थी और उनके धक्के तेज़ हो गए.

आंटी ने दीदी के निप्पल खीचते हुआ पुछा. बोल न बेहेन की लौड़ी बोल तुझे सुननी है चुदते हुए गन्दी गन्दी गलिया. मज़ा आता है तुझे गलिया सुन कर.

हां आंटी मुझे गन्दी गन्दी गलिया सुनना अच्छा लगता है. गलिया सुन कर मेरी चूत में एक कसक सी उठती है और उससे पानी आने लगता है. रश्मि दीदी बोली
 
दीदी के मुह से ऐसी बाते सुन कर मेरा तो लंड फटने लगा और मैं अपना लंड मुठीयाने लगा. आंटी दीदी को ऐसे रगड़ रही थी की दीदी आह की आवाज़ करके झड गयी और आँख बंद करके निढाल लेट गयी पर आंटी का अभी नहीं हुआ था तो वो अभी भी लगी हुई थी. थोड़ी देर में आंटी की फूली हुई भुर ने भी पानी छोड दिया और वो दीदी को दबोच कर उनके ऊपर गिर गयी.

पर मेरी बदकिस्मती की आंटी को सामने शीशे में मैं मुठ मरता दिख गया. और मेरी नज़र भी आंटी की नज़र से शीशे में ही मिली. दीदी का मुह अभी भी तकिये में दबा था पर आंटी आंखे फाड़ के मुझे या मेरे लंड को देख रही थी.

तभी दीदी का बदन हल्का सा हिला और आंटी ने मुझे इशारे से वहां से जाने के लिए कहा. मैं फ़ौरन वहां से हट गया पर लंड में हलचल अभी भी मौजूद थी और एक्सईटमेंट से मैं पागल हो रहा था तो मैं काम पूरा करने नीचे बाथरूम में घुस गया और अपना पेंट और अंडरवियर उतर कर एक कोने में फ़ेंक दिया और फिर से मुठ मारने में लग गया.

तभी मुझे पायल की छम छम सुनाइ दी और मैं कुछ समझ पता तब तक बाथरूम का दरवाजा खुल गया. अब सीन कुछ ऐसा था की मैं नंगा खड़ा था मेरे हाथ में मेरा मस्ती से फूला लंड था और बाथरूम के डोर पर कामिनी आंटी थी.
 
पता नहीं मुझमे कहा से इतनी हिम्मत आ गयी की मैंने आंटी का हाथ पकड़ कर उन्हें अन्दर खीच लिया. आंटी ने अपना दुपट्टा दरवाजे के खूंटे पर टांग दिया और दरवाजा अन्दर से बंद कर लिया. मैंने बिना कुछ बोले अपना हाथ आंटी की चून्चियो पर रख दिया और आंटी ने अपना हाथ बढ़ा कर मेरा लंड पकड़ लिया. मैं तो मस्ती से पागल हो गया और उनकी चून्चियो को जोर से दबाने लगा.

थोडा धीरे. सबर नहीं है तुझमे. हाय रे कितना गरम है तेरा पर छोटा है. कामिनी आंटी मेरा लंड सहलाती हुई बोली.

आंटी के नरम हाथ का स्पर्श अपने गरम लंड पर पाकर मैं बिलकुल मस्त हो गया. आंटी अब झुक कर नीचे बैठ गयी. उनके लो कट सूट से मुझे लाल ब्रा में कैद उनकी गोरी गोरी चून्चिया नज़र नए लगी.

मज़ा आया था वो सब देख कर. आंटी ने मेरा लंड हिलाते हुए पूंछा

मैं मस्ती से पागल हुआ जा रहा था. मेरे मुह से निकला हां आंटी बहुत मज़ा आया.

मुझे अपनी बहन के बदन से खेलते देख कर तुझे मज़ा आया. बड़ा हरामी है तू. आंटी मुझे छेड़ते हुए बोली और दुसरे हाथ से मेरे अन्डो को भी सहलाने लगी.

कभी किसी लड़की ने तेरी लुल्ली पकड़ी है. चोदा है किसी को अभी तक. आंटी ने मेरे कान में फुसफुसाया.

अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था. मैंने सोचा ऐसा मौका मुझे कभी नहीं मिलेगा जब कामिनी जैसी मदमस्त लंड खोर औरत मेरे साथ बाथरूम में अकेली है. ये उसी रिशू की माँ है जो मेरी बहन को गन्दी नज़रो से देख रहा था. मुझे इसका फायदा उठाना चाहिए. मैंने आंटी को उनके बाल पकड़ कर खड़ा किया और धक्का देकर दीवार के साथ लगाया और पागलो की तरह उनसे लिपट कर उनकी मोटी चूचिया दबाने लगा. आंटी के मुह में मैंने अपनी जबान डाल दी और स्मूच करने लगा.

आंटी जो मुझे एक नादाँ शर्मीला लड़का समझ कर छेड़ रही थी उनको ऐसा होने का बिलकुल अंदाज़ नहीं था. वो कुछ घबरा गयी. मेरे अन्दर उसके बेटे ने जो हवस का शैतान जगाया था वो उससे अंजान थी. शिकारी अब खुद शिकार बनने की कगार पर था. वो अपने हाथो से मुझे पीछे धक्का देने की कोशिश कर रही थी पर न जाने मेरे अन्दर कहा से इतने ताकत आ गयी की वो मुझे हिला भी नहीं पाई. ये जिंदगी में पहली बार मैं किसी औरत के बदन के उतार चड़ाव अपने हाथो से महसूस कर रहा था.

हमारी कशमकश में मेरा लंड कभी आंटी के पेट, कभी जांधो और कभी जांघो के बीच छुपी उनकी भुर पे लग रहा था.
 
मैंने कपडे के ऊपर से ही उनकी एक चूची अपने मुह में भर ली और चूसने लगा फिर मैंने उनको घुमा दिया और नीचे झुक कर उनके उभरे हुए चूतरो को दबाने लगा. फिर मैंने उनकी जांघ पर जोर से काट लिया.

आह आ काटो मत. आंटी दर्द से कराही. अब मैंने अपना लंड उनकी गांड की दरार में लगाया और घस्से लगाने लगा. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था जितना कभी मुठ मारने में भी नहीं आया.

मैं अपने हाथ आगे बढ़ा कर आंटी की गदराई चूचियो को मसलने लगा. तभी रश्मि दीदी की आवाज़ आई.

आंटी? आप कहाँ हो? दीदी निचे आ गयी थी.

आवाज़ सुनते ही आंटी बहोत परेशान हो गयी और बोली

अरे मोनू अआह कमीने छोड़ दे अब तो वरना दोनों पकडे जायेंगे. मेरा क्या है पर तेरी बहन तेरे बारे में क्या सोचेगी. पर मै आंटी की बात को इग्नोर करता हुआ अपना लंड आंटी के नरम चूतरो पर रगड़ता रहा.

देख रश्मि अब इधर ही आयेगी. आह इश्श मान जा मोनू. आंटी फिर से बोली.

डर तो मुझे भी था पर हवस डर से बड़ी थी. आंटी के उभरे हुए नरम गांड पर लंड रगड़े जाने का मज़ा डर से जीत गया और मैंने धक्के तेज़ कर दिए. मैं जल्दी से अपना पानी निकालना चाहता था.

आंटी क्या तुम बाथरूम में हो. रश्मि दीदी अब बाथरूम के दरवाजे पे आके खड़ी हो गयी थी. जल्दी बाहर आओ मुझे भी बाथरूम जाना है.

कामिनी आंटी बोली, रश्मि थोडा टाइम लगेगा तुम ड्राइंग रूम में बैठ जाओ.

आंटी क्या कर रही हो. मेरी छूट जाएगी जल्दी आओ. बोल कर दीदी ड्राइंग रूम की तरफ चली गयी.

छोड़ दे मुझे कुत्ते. आह ईस रश्मि फिर से आ जाएगी. आंटी बोली और उन्होंने अपने चुतड थोड़े पीछे किये. मेरे फूले हुए लंड के लिए इतना बहुत था और मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया.

मैं पीछे से आंटी से चिपक गया. शानदार ओर्गास्म था. तक़रीबन 2 मिनट हम वैसे ही खड़े रहे फिर आंटी ने मुझे हटाया और देखा की उनकी सलवार पीछे से मेरे माल से भीग सी गयी है. आंटी के चेहरे की शरारत वाली हंसी अब गायब हो गयी थी और उसकी जगह उनकी आँखों में मेरे लिए गुस्सा था.
 
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