Adult kahani पाप पुण्य - Page 13 - SexBaba
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Adult kahani पाप पुण्य

कुछ देर तक मैं धीरे-धीरे लौड़े को अन्दर करता रहा. मेरा आधा लण्ड अब दीदी की गाण्ड में जगह बना चुका था. अब मैं आधे लण्ड को ही अन्दर-बाहर करने लगा.

दीदी- आह्ह.. आइ.. आह्ह.. अब दर्द कम है.. आह्ह.. चोदो आह्ह.. मज़ा आ रहा है.. मोनू सच्ची गाण्ड में मज़ा तो बहुत आता है.. आह्ह.. उहह..

मैं अब स्पीड से लौड़े को अन्दर-बाहर कर रहा था और हर धक्के के साथ लौड़ा थोड़ा और अन्दर घुसा देता. लंड एकदम टाइट जा रहा था.. ये तो तेल का कमाल था.. नहीं तो मेरा लौड़ा छिल जाता. थोड़ी देर बाद मैंने लंड पूरा बाहर निकाल लिया.

दीदी- ऑउच.. क्या हुआ मोनू.. निकाल क्यों लिया.. थक गए क्या?

मोनू- अरे नहीं मेरी रांड.. जितना तेल लगाया था.. वो तेरी गाण्ड पी गई.. अब थोड़ा और लगा के डालूँगा..

दीदी- उफ्फ.. मोनू जल्दी से पेल दो तुम मेरी गाण्ड मार रहे हो और मेरी चूत में खुजली शुरू हो गई है.

मोनू- सबर कर मेरी जान.. आज तेरी सारी खुजली मिटा दूँगा मैं..

इतना कहकर मैंने पूरे लौड़े पर अच्छे से तेल लगाया. उसके बाद दीदी की गाण्ड को हाथ से खोलकर उसमे तेल पेल दिया.. ताकि पूरा लौड़ा आराम से अन्दर चला जाए.

तेल की बोतल रख कर मैंने फिर से लौड़ा गाण्ड में घुसा दिया और धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगा, दीदी मस्ती में गाण्ड पीछे धकेल कर चुदने लगी.

तभी मैंने ज्यादा जोश में ज़ोर का झटका मार दिया और पूरा लौड़ा जड़ तक गाण्ड में समा गया और इसी झटके के साथ दीदी बिस्तर पर गिर गई, उसके साथ-साथ मैं भी उनके ऊपर गिर गया.

पूरा लौड़ा जब गाण्ड में गया तो दीदी के मुँह से ज़ोर की चीख निकल गई.. मगर जल्दी ही उसने बिस्तर में मुँह छुपा कर अपनी चीख को दबा लिया...

 
मुझे भी ये अहसास हो गया कि दीदी को इस बार दर्द हुआ होगा.. क्योंकि शुरू में तो वो प्यार से लौड़ा घुसा रहा था.. मगर अचानक ही पूरा लौड़ा एक साथ गाण्ड में चला गया तो दर्द होना लाजिमी है.

मैं कुछ देर वैसे ही दीदी के ऊपर लेटा रहा.. जब उसका दर्द कम हुआ.

दीदी- आ आह्ह.. मोनू.. मेरी जान निकाल दी तूने.. आह्ह.. अब उठो भी.. पूरा वजन मेरे ऊपर पेल रखा है..

मैं अपने हाथों और घुटनों पर ज़ोर देकर थोड़ा ऊपर हुआ और धीरे-धीरे लौड़ा अन्दर-बाहर करने लगा.

दीदी- आह्ह.. मोनू.. बहुत दर्द हो रहा है.. प्लीज़ अब बस भी करो.. आह्ह.. निकाल लो ना.. आह्ह.. मैं मर जाऊँगी..

मोनू- अरे अब तो पूरा अन्दर घुस गया.. अब कैसा दर्द.. बस मुझे थोड़े झटके मार कर गाण्ड को खोलने दो.. अगर रेगुलर गांड मराती तो इतना दर्द नहीं होता. सिर्फ मज़े ही मज़े लेती ..

 
दीदी- आह्ह.. ठीक है.. आह्ह.. जो करना है आह्ह.. जल्दी करो.... आह्ह.. जल्दी करो..

मैं अब स्पीड से दीदी की गाण्ड मारने लगा. वो सिसकारियाँ लेती रही.. कुछ देर बाद लौड़ा ‘पक-पक’ की आवाज़ के साथ स्पीड से अन्दर-बाहर होने लगा.

अब दीदी को दर्द भी कम महसूस हो रहा था. वो झटकों के साथ उत्तेजित होने लगी थी.. उसकी चूत टपकना शुरू हो गई थी.. वो जोश में आ गई.

दीदी- आ आह्ह.. मोनू.. अब दर्द कम है.. आह्ह.. अब ज़ोर से करो.. आह्ह.. जल्दी आह्ह.. फास्ट ब्रो आह्ह.. फास्ट..

दीदी को अब मज़ा आने लगा था. वो हाथों पर ज़ोर देकर फिर से घोड़ी बन गई थी और मैं अब उनके कूल्हे पकड़ कर ‘दे दनादन..’ लौड़ा पेल रहा था. कुछ देर बाद मैंने दीदी की गाण्ड में पिचकारी मारनी शुरू की.. तो गर्म-गर्म वीर्य से उनको बड़ा सुकून मिला. दीदी बिस्तर पर गिर पड़ी और मैं दीदी के ऊपर ही लेट गया.

थोड़ी देर बाद दीदी ने मुझे हटाया और उठ कर दुसरे कमरे में चली गयी. मैं वही लेटा हुआ सुन रहा था की वो किसी से फ़ोन पर बात कर रही थी.

फ़ोन रख कर दीदी वापस आई और बोली मेरी मनीष और मोनिका दोनों से बात हो गयी है. वो अपनी कार से आज ही दोपहर को चल देगा. और रात तक वो मोनिका को ले कर आ जायेगा और मैंने रिशू को आने से मना कर दिया है. मैं खुद उसके घर जा रही हूँ और आज रात को वही रहूंगी. मेरी कामिनी आंटी से भी बात हो गयी है.

मोनू: पर वहां कामिनी आंटी और रिक्की भी तो होंगे तो वहां क्या करोगी...

रश्मि: हा वो तो है पर वहां आप्शन भी तो है. देखूँगी सबके सोने के बाद अगर मौका लगा तो रिशू का लंड ले लूंगी वरना कामिनी आंटी के गदराये बदन से खेलूंगी. उसमे भी एक अलग ही मज़ा है. वैसे भी तुम और मनीष तो आज मोनिका को ही चोदोगे तो मैं यहाँ क्या अपनी चूत में ऊँगली डालूंगी.

दीदी रिशू के घर जाने के लिए तैयार हो गयी और जब वो जाने लगी तब मैंने कहा की दीदी अगर मौका लगे तो कामिनी आंटी को कल रात के लिए घर बुला लेना. दीदी ने हँसते हुए कहा की कोशिश करूंगी पर ज्यादा लालच अच्छा नहीं है. पहले आज मोनिका की चूत तो मार लो.

मनीष और मोनिका दोनों रात को १० बजे आ गए. रश्मि दीदी तो पहले ही चली गयी थी तो घर में मैं अकेला था.

 
जब मोनिका ने रश्मि को नहीं देखा तो पुछा

मोनिका: मोनू रश्मि कहाँ है.

मोनू: मोनिका, रश्मि दीदी के एक दोस्त का आज जन्म दिन है वो जबरदस्ती उसे ले गए है. सुबह आ जाएगी. चलो हम सो जाते है.

मनीष बोला चलो हम सब तुम्हारे रूम में ही सो जाते है. मेरे रूम में मैंने पहले ही दीदी का और अपना बेड एक साथ जोड़ कर दीवार से साथ लगा दिया था. हम सोने के लिए मेरे रूम में आ गए. मैं दीवार की तरफ लेट गया. मनीष बोला मुझे बीच में नींद नही आयेगी और वो बेड के किनारे लेट गया. अब मोनिका को मजबूरी में बीच में लेटना पड़ा. मनीष ने कहा की उसे लाइट में नींद नहीं आती और नाईट लैंप बंद कर दिया. अब कमरे में एकदम अँधेरा था.

मोनिका को मेरे बगल में सोना थोडा अजीब तो लग रहा था पर उसने सोचा की मनीष भी उसके बगल में सोया है. मनीष और मैंने पहले ही तय कर रखा था की मोनिका को खूब गरम कर दिया जाये तो वो चूत देने से मन नहीं करेगी और वो देख चुके थे की रश्मि भी पहले कितना मना कर रही थी पर एक बार चूत में लंड लेने के बाद उसने चुदाई में पूरा साथ दिया था.

करीब १ घंटे बाद मैंने हमारा प्लान स्टार्ट किया. मैंने अपना लंड बाहर निकला और मोनिका की गांड पर टच किया. मोनिका अभी सोइ नहीं थी तो उसको एकदम झटका लगा. मेरा मोटा लंड उसे बहुत सख्ती से महसूस हो रहा था. फिर मैंने उसके पेट पर हाथ रखा पर मोनिका कुछ नहीं बोली वैसे भी अगर वो बोलती भी तो अब मैं कहाँ रुकने वाला था.

अब मैंने धीरे से अपना हाथ मोनिका के मम्मों पर फेरना चालू किया. उसकी साँसे तेज़ होने से मुझे पता चल गया था की मोनिका जाग रही है और अगर वो मेरे अगले कदम का साथ देती है तो आज की रात हमारी जिंदगी की यादगार रात होगी.

अब मैंने धीरे से उसके टॉप के बटन खोलने शुरू किये और कुछ ही सेकेंडो में टॉप को मोनिका के जिस्म से जुदा कर दिया. अब मैं ब्रा के ऊपर से ही उसके ३४ साइज़ के मम्मे जोर जोर से दबाने लगा. मोनिका बड़ी मुश्किल से अपनी आवाज रोके हुई थी. उसको लगा रहा था की अगर मनीष जाग गया तो क्या होगा.

अब उसे क्या पता मनीष भी तो बड़ी बेसब्री से उसे चोदने के लिए जाग रहा था. अब मैंने उसकी ब्रा का हुक भी पीछे खोल दिया और उसकी ब्रा उतार दी. मोनिका अब भी कुछ नहीं बोली तो अब मैं समझ गया की मोनिका ने चुदने के लिए मौन स्वीकृत दे दी है. अब मैंने बेफिक्र हो कर मोनिका को अपनी तरफ घुमाया और उसके नंगे मम्मे को अपने मुह में भर लिया.

मोनिका के मुह से एक सीत्कार निकल गयी जिसे सुन कर मनीष समझ गया की चिड़िया जाल में फंस गयी है.

मोनिका उत्तेजना से पागल हुई जा रही थी पर अपनी आवाज को किसी तरह रोकने की कोशिश कर रही थी और मैं जंगलियो की तरह उसके मम्मे चूस रहा था, दबा रहा था और पूरी तरह निचोड़ रहा था.

दरअसल मोनिका बहुत शरीफ लड़की नहीं थी. उसका एक बॉयफ्रेंड था जिससे वो कई बार चुद चुकी थी. पर १ साल पहले उसका ब्रेकअप हो गया. उसका बॉय फ्रेंड उसके जिस्म की आग को हवा दे गया था और पिछले १ साल से उसका मन चुदने के लिए तड़प रहा था और वो नया बॉयफ्रेंड बनाने के लिए कोशिश कर रही थी पर मेरी और मनीष की किस्मत की अभी तक उसको कोई दूसरा लड़का नहीं मिला था.

मेरे इस वाइल्ड रूप से उसे ऐसा मज़ा आ रहा था जो उसे कभी नहीं आया. साथ ही ये ख्याल की बगल में उसका सगा भाई भी सो रहा है उसकी उत्तेजना को और भी बड़ा रहा था और उसकी चूत पूरी तरह गीली हो गयी थी.

अब मैंने अपना हाथ नीचे ले जा कर मोनिका का लोअर और पैंटी एक साथ निचे कर दिए. मोनिका ने भी मेरी मदद करते हुए अपने पैरो से लोअर और पैंटी को नीचे उतर दिया.

अब मोनिका पूरी नंगी थी. मेरा लंड सीधे उसके पेट में चुभ रहा था जिससे मोनिका और गरम हो गयी और उसने वापस मेरी की तरफ अपनी पीठ कर ली. मैंने भी तब तक अपने पूरे कपडे उतार दिए थे. अब मैंने अपना लंड मोनिका की गांड पर रगड़ना शुरू किया और एक हाथ से उसकी चूत सहलाने लगा.

मोनिका भी अपनी गांड को पीछे धक्का दे रही थी. मैंने मोनिका के पैर को हवा में उठाया और पीछे से ही अपना लंड उसकी चूत के छेद पर रख दिया. मोनिका मेरे लंड के स्पर्श से सिहर उठी तब तक मैंने एक जोर का झटका मारा और मोनिका के घुटी हुई सी चीख निकल गयी.

 
मोनिका: उफ्फ मार डाला

ये सुन कर मनीष ने मज़े लेने के लिए पुछा: क्या हुआ, क्यों चिल्ला रही हो. 

मोनिका: कुछ नहीं पैर की नस खीच गयी.

मनीष: लाइट जलाऊ

मोनिका: नहीं नहीं सो जाओ कुछ देर में ठीक हो जाएगी.

तब तक मैंने एक झटका और मारा और अपना पूरा लंड मोनिका की चूत में उतार दिया.

मोनिका: हाय रे उफ्फ मर गयी रे

मनीष (मुस्कुराते हुए): क्या हुआ क्या ज्यादा दर्द हो रहा है.

तभी मैंने तेजी से धक्के लगाने शुरू कर दिए और बेड थोडा थोडा हिलने लगा. ये इशारा मनीष के लिए काफी था उसने फ़ौरन लाइट ऑन कर दी. लाइट की दूधिया रौशनी में मोनिका का संगमर जैसा बदन चमक उठा. मोनिका घबरा गयी और अपने को ढकने के लिए उसने चादर की तरफ हाथ बढ़ाया ही था की मनीष ने चादर उठा कर नीचे फेंक दिया. मुझ पर इसका कोई असर नहीं हुआ और मैं पहले की तरह ही मोनिका की चूत में अपना लंड पेलता रहा. अब मनीष बोला: ये क्या हो रहा है.

मोनू: तेरी बहन की चुदाई और क्या

और मोनिका को घबराता देख कर हम दोनों हसने लगे. अब मोनिका समझ गयी की ये दोनों मिले हुए है पर उसे इससे कोई दिक्कत नहीं थी क्योंकि अब उसे अपने घर में भी अपने लिए एक लंड मिल गया था. अब मनीष ने आगे बढ़ कर उसके होठो पर अपने होठ रख दिए. मोनिका ने भी उसके होठ चूसना शुरू कर दिया. 

मनीष बोला चल अब मेरी बहन का छेद मेरे लिए खाली कर दे. मैंने अपना लंड मोनिका की चूत से बाहर निकाला और उसके गांड के छेद पर रख कर एक धक्का लगाया. 

मोनिका के रस से सराबोर मेरा लंड मोनिका की गांड में थोडा सा घुस गया. मोनिका को बहुत दर्द हुआ क्योंकि वो चुदवा तो चुकी थी पर उसने कभी गांड नहीं मरवाई थी पर उसका मुह तो मनीष के होठो से बंद था तो वो चीख नहीं पाई.

मनीष का लंड बहुत देर से खड़ा खड़ा दर्द करने लगा था उसने उसे मोनिका की चूत में घुसा दिया. 

अब मनीष आगे से धक्के लगाने लगा और मैं पीछे से. मोनिका को पहले तो थोडा दर्द हुआ फिर उसको जन्नत का मज़ा आने लगा. उसकी जो सहेलिया महा चुदक्कड है उन्होंने भी आज तक दोनों छेदों में एक साथ लंड नहीं लिया था. बस सपना ही देखा था की काश कभी ऐसा मौका मिले और आज मोनिका के दोनों भाई उसे दोनों तरफ से रगड़ रगद कर चोद रहे थे.

मनीष: कैसा लग रहा है बेहेना

मोनिका: मज़ा आ रहा है बहुत मज़ा आ रहा है. 

मोनू: अब तो जिंदगी भर ऐसा ही मज़ा आयेगा मेरी जान. कल जब रश्मि भी हमारे साथ शामिल होगी तो ये मज़ा दुगुना हो जाएगा.

उधर दीदी कामिनी आंटी के घर में ड्राइंग रूम में बैठी टीवी देख रही थी. रिशू कनखियों से दीदी को ताड रहा था और दीदी भी उसे देख कर मुस्कुरा रही थी. रिक्की अपने कमरे में पढाई कर रही थी. तभी कामिनी आंटी ने कहा, रश्मि तुम मेरे साथ ही सोना. चलो मेरे कमरे में. 

दीदी: आंटी अभी नींद नहीं आ रही. आप चलो, मैं थोड़ी देर में आती हूँ.

कामिनी: जल्दी आना. सोने से पहले तुमसे बहुत सी बातें भी तो करनी है. आंटी ने मुस्कुराते हुए कहा और चली गयी.

आंटी के जाते ही रिशू ने दीदी को पकड़ लिया और अपने होठ दीदी के नरम होठो पर रख दिए. पर दीदी ने उसे मना किया.

रश्मि: अभी नहीं. सुनो जब आंटी सो जाएगी तो मैं तुम्हारे कमरे में आ जाऊंगी. दरवाजा खुला रखना.

रिशू: ठीक है मेरी जान. मैं तुम्हारा इंतज़ार करूंगा. पर जाते जाते एक चुम्मा तो देती जाओ. 

इतना कह कर रिशू ने दीदी को फिर से पकड़ लिया और किस करने लगा और चून्चिया दबाने लगा. ऐसे ही १० मिनट तक वो दीदी के बदन से खेलता रहा फिर दीदी आंटी के कमरे में चली गयी. 

कमरे में आंटी बेड पर नंगी लेटी थी जिसे देख कर दीदी चौंक उठी, वो मुस्कुरा कर बोली- आंटी.. लगता है कि आपको बहुत गर्मी लग रही है.


 
आंटी दीदी के सामने ड़ी बेशर्मी से अपनी चूत पर हाथ फेरते हुई बोली- हाँ डार्लिंग.. मेरी चूत में बहुत गर्मी हो रही है.. आ थोड़ा सा इसे प्यार करके ठंडी तो कर दो..


दीदी आंटी के पास बैठ गई और उनकी चूत पर अपना हाथ फेरते हुए बोली- आंटी, यह आपको क्या हो गया है?

आंटी ने दीदी के हाथ की उंगली को लिया और उसे अपनी चूत के अन्दर डालते हुई बोली- देख तो सही.. मेरी चूत कितनी गीली हो रही है..?

यह कहते हुए आंटी ने दीदी को अपने ऊपर खींच लिया और उसके होंठों को चूमने लगी. दीदी को भी मज़ा आने लगा और वो भी साथ देने लगी.

आंटी ने पीछे हाथ ले जाकर दीदी के पजामे को नीचे को खींचते हुए उनके चूतड़ों को नंगा कर दिया. दीदी ने थोड़ा ऊँची होकर आंटी को उनका पजामा उतारने दिया और फिर अपनी नंगी चूत को आंटी की चूत के ऊपर रगड़ने लगी

अचानक से आंटी ने दीदी को पलट कर अपने नीचे कर लिया और खुद उसके ऊपर आकर उसके होंठों को चूमने लगी. दीदी तो घर से ही इस सबके लिए तैयार हो कर आई थी. वो भी पूरी तरह से आंटी का साथ दे रही थी.

आंटी ने अपनी ज़ुबान दीदी के होंठों के अन्दर डाली तो दीदी उनकी ज़ुबान चूसने लगी. दीदी के कुर्ते के अन्दर हाथ डाल कर आंटी ने उनकी गोल चूचियों को पकड़ लिया और उनको जोरों से दबाने लगी.

आहिस्ता आहिस्ता आंटी नीचे को आते हुए दीदी की दोनों जाँघों की दरम्यान में आ गई और उनकी चूत के ऊपर एक जोर का चूमा किया. 
फिर आंटी ने अपनी ज़ुबान की नोक को दीदी की चूत के ऊपर-नीचे फेरना शुरू कर दिया.

धीरे धीरे से दीदी की चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया.

दीदी की चूत के दोनों लबों को खोलते हुए आंटी बोली: क्यों रश्मि. तेरी चूत तो आज बहुत ज्यादा खुली हुई लग रही है.. जैसे किसी के मोटे लंड से तुम्हारी चूत की दिन रात चुदाई हुई हो. क्यों किसका लंड घोटा तेरी मुनिया ने बता जल्दी?

आंटी की बात सुनते ही दीदी घबरा गई और बोली- क्या मतलब आंटी.. ऐसी तो कोई बात नहीं है.

आंटी हँसने लगी और बोली: तेरी चूत को देख कर तो ऐसा नहीं लग रहा है.

फिर आंटी ने अपनी एक उंगली को दीदी की चूत के अन्दर डाला और उनकी चूत के दाने को चाटते हुए अपनी उंगली को अन्दर-बाहर करने लगी.

धीरे-धीरे दीदी की आँखें बंद होने लगीं और आंटी की दो पूरी उंगलिया उनकी चूत के अन्दर आ जा रही थी.

आंटी ने फिर कहा: रश्मि यह तुम्हारी चूत के अन्दर का परदा भी फटा हुआ है.. उस दिन तो मेरी उंगली आधी भी अन्दर नहीं जा रही थी और आज पूरी की पूरी उंगली तुम्हारी चूत में अन्दर हो गई है.. सच सच बता.. कि कैसे हुआ है यह सब.. और किसने किया है?
 
दीदी अब क्या बताती, चुप करके सिर झुकाए हुए रही. पर आंटी कहा छोड़ने वाली थी. बोली जल्दी बता न कितने लंड घोटे अब तक. चूत देख कर तो लगता है रोज ही चुदाती है.

दीदी ने अपनी आँखें बंद कर लीं और उसके चेहरे पर शर्मिंदगी और घबराहट के आसार साफ़ दिख रहे थे..

आंटी: अरे मुझसे शर्मा रही है बोल न.

दीदी: अरे आंटी छोड़ो न.

आंटी: मैंने भी तो तुझे बता दिया था राजू के बारे में. बोल न. किसी से नहीं कहूँगी. कहीं अपने भाई से तो नहीं चुदवा लिया तूने जो बताने में इतना शर्मा रही है. आंटी दीदी को छेड़ते हुए बोली.

दीदी: क्या बोल रही हो आंटी.

आंटी: अरे वो दिखने में जितना शरीफ है असल में उतना ही हरामी है. उस दिन जब हम दोनों कमरे में कबड्डी खेल रहे थे तो साला बाहर से हमको नंगा देख कर लंड हिला रहा था और बाद में मुझे बाथरूम में भी पकड़ लिया था. याद है उस दिन मेरी सलवार गीली हो गयी थी. वो तेरे भाई की ही कारस्तानी थी. बोल उसी का लंड तो नहीं ले लिया तूने.

दीदी: नहीं आंटी... ये उसका काम नहीं है ये तो तुम्हारे...दीदी बोलते बोलते रुक गयी.

आंटी: अरे रुक क्यों गयी. तुम्हारे क्या...बोल न. कौन है वो नसीब वाला जिसको ऐसा कोरा माल चोदने को मिला. बोल...

दीदी: गुस्सा तो नहीं होगी...

आंटी: नहीं बताया तो जरूर गुस्सा हो जाऊंगी..बोल न किसने तोड़ी तेरी सील.

दीदी: रिशू ने. 

दीदी ने डरते डरते बोल तो दिया पर कामिनी आंटी तो गुस्सा करने की जगह आश्चर्य में पड़ गई.

आंटी: क्या रिशू ने. कभी ध्यान नहीं दिया की मेरा बेटा इतना बड़ा हो गया.

दीदी ने देखा की जब आंटी नार्मल है तो वो भी नार्मल हो गयी.

दीदी: अरे रिशू भी बड़ा हो गया और उसका लंड भी. देखोगी तो राजू का भूल जाओगी. गधे-घोड़े भी पानी मांग ले तेरे बेटे के लंड के सामने आंटी. 

आंटी दीदी के होंठों पर एक किस करती हुई बोली: सच हायय.. रश्मि... मुझे बताया भी नहीं और तूने मेरे बेटे से ही चुदवा लिया.. कैसा लगा था तुझे.. जब रिशू का लंड पहली-पहली बार तेरी चूत में उतरा था?

दीदी- आंटी... याद न दिलाओ बस जन्नत का मज़ा आ गया था.

मैं- वाह जी वाह.. तू मेरे बेटे से चुदवाती रही और मुझे बताया भी नहीं. यही दोस्ती है तेरी... अब तो तेरी यह प्यारी सी चूत हम दोनों की हो गई है. मेरी भी और मेरे बेटे रिशू की भी...


 
आंटी दीदी को चूमते हुए बोली: बता तो सही.. कैसे हुआ यह सब?

दीदी ने आंटी को सब कहानी बताई और आंटी दीदी के बदन से खेलती रही. हम्म्म तो तेरे हरामी भाई ने ही रिशू को मौका दिया तेरी सील खोलने का.

फिर दीदी के चेहरे को अपने दोनों हाथों में लेकर आंटी बोली- रश्मि... सच बताना...तू आज यहाँ मुझसे मिलने आई है या रिशू से.

दीदी- जी आंटी.. वो मैंने सोचा की जब सब सो जायेंगे तो मैं रिशू से....

आंटी आहिस्ता आहिस्ता दीदी की चूत को सहलाते हुए बोली: अरे पहले बोलना था न तो अब तक तेरा काम करवा देती. मुझसे बात मत छुपाया कर मेरी रानी....

दीदी: आंटी आपको इस बात पर कोई गुस्सा नहीं आया कि रिशू ने मेरे साथ सेक्स किया है और पहली बार तो लगभग जबरदस्ती ही किया था.

आंटी मुस्कुराई और दीदी के होंठों को चूम कर बोली: मेरी प्यारी रश्मि... रिशू न होता तो कोई और होता... चूत है तो चुदेगी भी... रिशू भी जवान लड़का है... मुझे क्यों ऐतराज़ होगा.

यह कहते हुए आंटी सरक़ कर दीदी की दोनों टाँगों के दरम्यान में आ गई और उनकी प्यारी सी चूत को चूमने लगी.

‘हायय.. रश्मि... दिल कर रहा है कि तेरी इस चूत को चूम-चूम कर लाल कर दूँ.. जिसमें पहली-पहली बार मेरे बेटे का लंड गया है और जिस चूत को रिशू ने फाड़ा है.. तुझे एक कुँवारी कली से खिलाकर फूल बना दिया है.’

आंटी बातें सुन कर दीदी गरम होने लगी और उनका चेहरा लाल होने लगा. उनकी चूत से हल्का-हल्का रसीला सा पानी टपकना शुरू हो गया.

आंटी ने अपनी ज़ुबान की नोक से दीदी की चूत से बह रहे रस को छुआ और फिर आंटी ने मजे से उसे चाट लिया. अब आंटी ने फिर से अपनी एक उंगली को आहिस्ता-आहिस्ता दीदी की चूत के अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया. उनकी उंगली दीदी की चूत के अन्दर उसके चिकने पानी की वजह से बहुत आराम से फिसल रही थी.


 
दीदी की चूत के पानी से गीली हो रही हुई अपनी उंगली को आंटी ने दीदी के होंठों पर रगड़ा और फिर अपनी उंगली दीदी के मुँह के अन्दर डाल दी. दीदी ने अपनी ही चूत का पानी चाट लिया.

आंटी अब दीदी के ऊपर आ गई और अपनी चूत को उनके मुँह के ऊपर ले आई.

दीदी ने आंटी की साफ़ और मुलायम चूत को देखा तो उस पर अपना हाथ फेरते हुए बोली- आंटी चूत तो आपकी भी बहुत चिकनी और मुलायम है.. इसलिए मोनू हर वक़्त आपको चोदने के लिए मरा जा रहा है....

आंटी: उससे तो चुदवाना ही है पर तुझे कैसे पता वो मुझे चोदने के लिए मर रहा है. उसी ने कहा होगा न... तो मैं सही कह रही थी की तूने अपने भाई को भी नहीं छोड़ा. 

दीदी: अरे आंटी, उसने मुझे नहीं छोड़ा...

आंटी: और भी किसी का लंड खाया हो तो अभी बता दे.

दीदी: बस दो और एक अपने कजिन मनीष का और दूसरा उसके कुत्ते राकी का. 

आंटी: अरे तूने तो बुलेट ट्रेन की स्पीड पकड़ ली मेरी रानी, कुत्ते से तो मैंने भी कभी नहीं चुदवाया. कैसा लगता है बोल..

दीदी:जान निकल जाती है आंटी...कभी मौका मिले तो चुदवा के देखना.

ये कह कर दीदी ने भी आंटी की चूत के लबों को चूमा और फिर आहिस्ता आहिस्ता अपनी ज़ुबान उनके चूत के लबों पर फेरने लगी. जैसे ही दीदी की ज़ुबान आंटी की चूत को छूने लगी.. तो उनकी चूत ने भी पानी छोड़ना शुरू कर दिया.

अब आंटी और दीदी दोनों ही एक-दूसरे की चूत की आग को ठंडा करने में लग गए. आंटी दीदी की चूत में अपनी उंगली मार रही थी और दीदी की उंगली आंटी की चूत के अन्दर-बाहर हो रही थी.

दोनों चूतें पानी छोड़ने लगी और एक साथ ही दोनों अपनी मंज़िलों पर पहुँच गईं.

फिर दोनों निढाल होकर बिस्तर पर एक-दूसरे की बाँहों में लेट गईं. आंटी हौले-हौले दीदी की चूचियों के निप्पलों पर उंगली फेरने लगी.

दीदी- आंटी मैं रिशू के पास जाऊ. वो मेरा वेट कर रहा होगा...

आंटी: जब तुम दोनों को चुदाई करते हुए देखूंगी तो कितना अच्छा लगेगा. तुम जाओ और मैं छुप कर तुम दोनों की चुदाई देखूँगी. दिखाओगी ना?

दीदी शर्मा गई और बोली जैसा आपका मन हो और कपडे पहन कर रिशू के रूम की तरफ चली गयी.

रिशू नंगा लेटा दीदी का ही वेट कर रहा था. दीदी के कमरे में आते हो वो उन पर टूट पड़ा और एक मिनट के अन्दर ही दीदी के सारे कपडे उतर फेंके और अपना हलब्बी लंड दीदी के मुह में ठूस दिया. दरवाजे के कोने से आंटी उन दोनों को देख रही थी. अपने बेटे के लंड का साइज़ देख कर उनका हलक सूख गया और चूत पनिया गई. उनको रश्मि दीदी से प्यार भरी इर्ष्या सी हुई की इसके नसीब का पहला लंड ही इतना बड़ा, मोटा और कड़क है.


 
रिशू कई दिनों से भरा था. लंड चुसवाने के बाद वो दीदी को बिस्तर पर पटक कर उनकी भरपूर चुदाई करने लगा. इतनी मस्त चुदाई देख आंटी को आँखों में लाल डोरे तैरने लगे और उनके दिल में ख्याल आया की काश रश्मि की जगह मैं रिशू के मोटे लंड से चुद रही होती.

उधर मैंने और मनीष दोनों ने रात भर मोनिका की भरपूर चुदाई की. उसे हर पोज में चोदा. घर के हर कोने में चोदा. जब सुबह रश्मि लौट कर आई तो उसने देखा की मनीष मोनिका को किचेन स्लैब पर चोद रहा है. और मोनू सो रहा है. रश्मि को रात भर माँ बेटे ने बहुत निचोड़ा था पर फिर भी वो अपने कपडे उतार कर उनके साथ आ गयी

मोनिका को रश्मि ने आज पहली बार पूरा नंगा देखा था...उसकी ब्रेस्ट रश्मि से थोड़ी छोटी जरुर थी पर ऊपर की तरफ तनी हुई थी....रश्मि के मुंह में पानी सा आ गया. मन तो किया की उन्हें चूस कर देख लू. मोनिका की चूत पर एक भी बाल नहीं था. रश्मि को लगा की दोनों भाइयों ने रात को उसकी चूत शेव की है. 

रश्मि दीदी के निप्पलस और भी ज्यादा बड़े होकर उसकी उत्तेजना को प्रकट करने लगे. अब मनीष ताबढ़ तोड़ धक्के लगाने लगा था और उसने अपना माल मोनिका के चूत में खाली कर दिया था. रात भर चुदने के बाद मोनिका भी बेहद थक गयी थी.

मनीष बोला मैं तो सोने जा रहा हूँ अब मोनिका तुम्हारे हवाले है रश्मि. ये कह कर वो किचेन से बाहर निकल गया. अब रश्मि की नजर मोनिका की रसीली चूत पर गयी....उसके ग्लोसी लिप्स पर चूत का रस लगा हुआ था और उसके अन्दर से मनीष का वीर्य बहकर बाहर आ रहा था. रश्मि ने मोनिका का हाथ पकड़ा और उसे बाहर ला कर सोफे पे बिठा दिया...और उसके सामने बैठकर अपने हाथ उसकी जांघो पर रख दिए. 

मोनिका : अह्ह्ह्हह्ह.......रश्मि ..........म्मम्म... उसकी जांघे थरथरा रही थी....रश्मि दीदी ने उसकी आँखों में देखा...और उसकी मोटी जांघ को उठा कर अपने कंधे पर रख लिया....और फिर दूसरी जांघ को भी उठाया और दुसरे कंधे के ऊपर.....

और बाकी का बचा हुआ काम मोनिका ने किया....उसने अपनी गांड को सोफे पर खिसकाया, और रश्मि दीदी के मुंह की तरफ धकेला....और फच से अपनी गीली चूत को दीदी के मुंह के ऊपर दे मारा....

अह्ह्हह्ह्ह्ह .....रश्मि .......म्मम्मम........ओय........अह्ह्हह्ह्ह्ह .....हन्न्नन्न्न्न....


 
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