hotaks444
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अब उसने अपने आँडूए अड्जस्ट करने के लिये अपनी गाँड उचकायी और फ़िर अपनी ज़िप नीचे की तो मेरा दिल एक्साइटमेंट के मारे उछल गया! उसके गोरे हाथ उसके उभार पर थे! उसके चेहरे पर ठरक थी! उसने ज़िप खोलने के बाद अपना हाथ अंदर घुसा के जब अपने लँड को बाहर खींचा तो मैं मस्ती से भर गया! उसका लँड कोई ६ इँची रहा होगा! मोटाई सही थी, रँग गोरा, सुपाडा सुंदर सा... उस समय फ़ूला हुआ और नमकीन वीर्य की बून्दों से भीगा हुआ था! उसने अपने लँड को अपने हाथ में लेकर मेरी तरफ़ करके दबाया!
"लीजिये, दिखा दिया..."
"अब मुठ मारो..."
"अभी मुठ का मूड नहीं है..."
"एक बार पकडने दो..."
"नहीं चाचा..."
"बस एक बार..."
"क्या करेंगे पकड के?"
"देखूँगा कितना सख्त है..."
"दिख नहीं रहा है क्या कि कितना सॉलिड है?"
"दिख तो रहा है... पकड के ज़्यादा सही से पता चलता है..."
"लीजिये..."
उसने फ़ाइनली जब मुझे अपना लँड पकडने दिया तो मैं उसका कमसिन मर्दाना लँड थाम के मस्त हो गया और लँड पकडते ही मैने अपने हाथों की गर्मी से 'उसका' दबाया और उसके सुपाडे पर अपना अँगूठा रगड के उसे दबाया तो उसकी सिसकारी निकल गयी! "सिउह... चाचा... अआह.."
मैं थोडा उसकी तरफ़ झुका! उसका लँड अब मेरी गिरफ़्त में था और मैं हल्के हल्के उसकी मुठ मार रहा था! मैं उसके इतना नज़दीक आ गया कि हमारी साँसें टकराने लगीं!
"एक किस कर दूँ?"
"नहीं नहीं..."
"बस एक..."
"रहने दीजिये..."
"प्लीज़....." कहते हुये मैने हल्के से अपने होंठों से उसके होंठों को ब्रश किया तो उसकी साँस उखड गयी और मैं उसकी साँस की खुश्बू से मदहोश हो गया! मैने अपना मुह उसके होंठों पर खोल दिया और अपनी ज़बान से उसके बन्द होंठों को चाटा! उसने अपना मुह हटाया नहीं तो मैने अपनी ज़बान उसके गले की तरफ़ घुमा दी! उसने मेरा हाथ पकड लिया, मैने एक हाथ से उसकी गरदन पकड ली!
तभी बाहर खट खट हुई! पहले तो हम मदहोशी में सुन नहीं पाये मगर फ़िर जब और ज़ोर से हुई तो हडबडा के उसने अपनी ज़िप बन्द करते हुये दरवाज़ा खोला सामने एक गबरू सा मस्त देसी जवान लौंडा एक बडा सा पोटला लिये खडा था!
"क्या है?" ज़ाइन ने उखडती साँसों से उससे पूछा!
"फ़ूल हैं... कमरा सजाना है..."
"ये कमरा क्यों?"
"यही वाला सजाना है... नीचे से बोला है..."
"अच्छा, आ जाओ..." ज़ाइन ने अपने होंठों से मेरे थूक को साफ़ करते हुये कहा! मैं तो उस के.एल.पी.डी. से बुरी तरह झुँझला गया था! उस फ़ूल वाले लडके के कारण मेरे हाथ से इतना हसीन मौका निकल गया था!
"चलो भाई... सजा दो, ऐसा सजाना कि दूल्हे को मज़ा आ जाये.." मैने उस लडके से कहा!
"हमारा काम तो सजाना है... मज़ा तो दूल्हे के ऊपर है... जितना दम होगा, उतना मज़ा मिलेगा...."
"हाँ, बात तो सही है..."
उस लडके के चेहरे पर रूखापन था, मगर बदन में जान थी! एक छोटी बाज़ू वाली टी-शर्ट उसने जीन्स के अंदर घुसेड के पहनी हुई थी! उसकी छाती चौडी थी, कमर पतली, जाँघें मस्क्युलर, गाँड गोल गोल और लँड का उभार ज़बर्दस्त... मुझसे रहा नहीं गया और मैने उसको उतनी ही देर में कई बार ऊपर से नीचे तक देख लिया!
"बढिया से सजाना..." मैने कहा!
"फ़िक्र मत करिये..." उस लडके ने कहा! "ऐसे नाज़ुक फ़ूल हैं कि अगर दूल्हे ने सही से दबा के रगडा ना तो बिस्तर पर ही कुचल जायेंगे... सुबह एक भी नहीं मिलेगा..."
"वाह... बडा ज़बर्दस्त विवरण दिया..."
"हाँ साहिब... हमारा तो काम ही यही है..."
"सही है... तुम पता नहीं कितनों की रातों को रँगीन बनाते होंगे..." मैने कहा!
"हम नहीं बनाते भैया, हम बनवाते हैं..." उसने इतनी ही देर में मुझे साहिब से भैया बना दिया! मैने फ़िर उसका गठा हुआ जिस्म निहारा! उसके जिस्म में मसल्स भरी हुई थी! छाती के कटाव टाइट टी-शर्ट से नँगे दिख रहे थे और लँड का उभार साफ़ था! जीन्स गन्दी थी, बाज़ू भरे भरे, कलायी चौडी, आँखें नशीली... मैं ठरका हुआ तो था ही, उसको देख के ही मस्त होने लगा!
जब ज़ाइन ने देखा कि उस लडके को टाइम लगेगा तो वो चला गया... "मैं नीचे जा रहा हूँ!"
उस लडके के होते हुए मैं कुछ कर भी नहीं पाता, इसलिये मैने भी उसको जाने दिया!
वो लडका, जुनैद, कमरे में फ़ूलों की लडियाँ लगाने लगा और मैं बेड पर लेट के उसको देखता रहा! वो जब झुकता उसकी गाँड गोल गोल दिखती, जब ऊपर चढता तो और मस्त लगता! कभी अपने मुह से धागा तोडता और कभी टाँगें फ़ैलाता! ना जाने कब उसको देखते देखते मेरी आँख लग गयी और मैं शायद उसके बारे में ही सपना देखने लगा! मेरी आँखों के सामने ठरक के कारण उसका जिस्म ही नाचता रहा! मैं सोया हुआ था मगर फ़िर भी उसको अपने दिमाग से नहीं हटा पाया था! बीच बीच में मुझे ज़ाइन का जवान लँड भी नज़र आ जाता था! मेरा लँड उन सपनों के कारण खडा हुआ था, फ़ूलों की भीनी भीनी खुश्बू मुझे मदहोश कर रही थी! मेरे लँड में मस्ती से गुदगुदी हो रही थी! एक अजीब सा मज़ा मिल रहा था! जुनैद मुझे नॉर्मली दिखता तो भी पसंद आ जाता! मगर उस समय ज़ाइन से इतनी बात हो जाने के बाद तो वो मुझे और भी ज़्यादा हसीन और जवान लगा था! बिल्कुल देसी गठीला मज़बूत जवान... मुझे सपने में ही उसके बदन की गर्मी महसूस हो रही थी! फ़िर मुझे ज़ाइन का ध्यान आया, उसका लँड याद आया, उसके होंठों पर अपना वो गीला चुम्बन याद आया, जिसका गीलपन और गर्मी अभी भी मेरे होंठों पर थे! मुझे लगा कि जब वो मेरा लँड सहलायेगा तो कैसा लगेगा! मुझे अपने लँड पर उसकी हथेली की गर्मी महसूस हुई! मेरा लँड उछला! मुझे जुनैद की गबरू जवानी याद आयी! कभी राशिद भैया के साथ गुज़ारे पल याद आये! कभी हुमेर चाचा के साथ हुआ काँड याद आया! एक पल को भी मेरा जिस्म ठँडा नहीं हो पा रहा था! मुझे होंठों पर ज़ाइन के होंठ याद आये, मैने सोते सोते ही फ़िर जैसे उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये और चूसा तो मुझे उसके होंठों का गीलपन और गर्मी, उसकी कोमलता और नमक याद आया! मुझे उसकी साँसें महसूस हुयीं! उसकी साँसों की खुश्बू अभी भी मेरी नाक में बसी हुई थी! मैने कस के नींद में ज़ाइन के होंठों को चूसा तो उसने मुझे ज़ोर से पकड लिया और इस बार वो मेरे ऊपर लेट गया!
कुछ देर सपने में ज़ाइन के होंठ चूसने के बाद मैने उसका सर नीचे अपने लँड की तरफ़ दबाया! उसने पहले मना किया, शायद रुका, मगर मेरे इंसिस्ट करने पर वो मेरे सपने को यादगार बनाने में लग गया! इस बार उसके होंठ मेरी ज़िप पर थे और मेरे लँड को ऊपर से दबा के मज़ा दे रहे थे! मुझे पता था कि ज़ाइन जैसा नमकीन लौंडा, जो नया नया जवान हुआ था, ये सब ज़रूर करेगा! भले सपने में हो या असल ज़िन्दगी में... और फ़िर ज़ाइन ने फ़ाइनली अपने होंठों को मेरे सुपाडे पर कस लिया तो मैने उसका सर पकड लिया!
"उम्म.. उँहु... हाँ भैया... हाँ... साला, बडा मोटा लौडा है बे तेरा..." जब फ़ाइनली ज़ाइन ने कहा तो मैं चौंका क्योंकि ज़ाइन मुझे भैया नहीं चाचा कहता था! मेरी नींद टूटी, मेरी पैंट पूरी उतरी हुई थी, शर्ट के सारे बटन खुले हुये थे और जुनैद अपनी जीन्स उतारे हुये मेरे ऊपर झुका मेरा लँड पूरा अपने मुह में लेकर चूस रहा था!
"उउम्ह... जुनैद????"
"आप बडी गहरी नींद में थे..." उसने अपने मुह से मेरा लँड निकालते हुए कहा!
"हाँ... जुनै..द... तुम..ने क..ब शुरु कि..या... अआह..."
"जब तुमने नींद में मुठ मारना शुरु कर दिया था..."
"अच्छा??? ऐसा हुआ था क्या?"
"हाँ साले... फ़िर रहा ही नहीं गया..." उसने अपने मुह में मेरा लँड पूरा का पूरा निगल के चूसना शुरु कर दिया! उसने हाथों से मेरे आँडूए दबाना शुरु किये और कभी कभी अपना हाथ आगे से मेरे आँडूओं के नीचे मेरी गाँड तक ले जाकर भींच के वहाँ दबा देता!
मैने हाथ नीचे किया और उसका लँड पकड लिया! उसका लँड भयन्कर बडा और जवान था! मेरे हाथ में आते ही जैसे नाचने लगा!
"अपना भी तो चुसवाओ ना जुनैद..."
"लो ना यार..." उसने कहा और मेरी छाती के ऊपर चढता हुआ लेट गया और मेरे मुह में अपना लौडा डाल दिया! उसका लँड गन्दा था, पसीने से भरा हुआ, लस्सी की तरह स्मेल कर रहा था! उसकी जाँघें तो चिकनी थी, मगर गाँड के छेद पर और दरार में बाल थे! मैने उसकी गाँड को दबोच के रगडना शुरु कर दिया तो वो धकाधक धक्के लगाने लगा! वो कभी मेरे बाल पकड लेता, कभी दबोच लेता तो उसका सुपाडा सीधा मेरी हलक तक घुस जाता! उसके आँडूए मेरे चिन पर टकराते! फ़िर वो कभी मेरे सर के नीचे एक हाथ डाल के मेरे सर को ऊपर उठा के मेरा मुह चोदता! उसकी नँगी जाँघें बडी मादक लग रही थी! देख कर ही लगता था कि उनमें कितनी मज़बूती और जान होगी! फ़िर मैने उसको घुटनो पर ऐसे करवाया कि उसके दोनो घुटने मेरे सर के अगल-बगल हो गये और उसका छेद और आँडूए के नीचे वाला बालों भरा गदराया पोर्शन मेरे होंठों की सीधा पर आ गया! इस बार मैने खुद ही सर उठा के अपनी नाक और मुह उसकी गाँड के बीच घुसा दिया! वहाँ की बद्बू बडी मादक और ज़बर्दस्त थी! मैने तो उसकी कमर को कस कर पकड लिया और ज़ोर ज़ोर से दबा के सूंघा! फ़िर जब मैने वहाँ किस किया तो वो बैठा नहीं रह पाया और मेरे ऊपर ही पसर गया और अपनी गाँड को मेरे मुह पर रख के जैसे सरेंडर करके पस्त हो गया! मैने ज़बान से उसकी गाँड का छल्ला सहलाया, उसकी गाँड के बालों को अपनी ज़बान से गीला किया और अपने होंठों से पकड के खींचा तो वो मेरे ऊपर फ़िर बैठ गया और अपनी पीठ, धनुष की तरह पीछे मोड कर अपने दोनो हाथ पीछे मेरी जाँघों पर रख दिये!
कुछ देर बाद उसने मुझे पलटा और मेरी गाँड की दरार में गुलाब की पँखुडियाँ भर के मसल दीं! उसने उँगली से मेरा छेद टटोला और अपनी फ़िन्गर-टिप्स से उसको खोला! फ़िर उसने अपनी चार उँगलियों पर अपने मुह से थूक टपकाया और मेरे छेद के पास उसे पोत दिया! फ़िर जब मुझे अपने छेद पर उसका मोटा सुपाडा महसूस हुआ तो मैने टाँगें फ़ैला के गाँड ऊपर उठा के उसके लँड की गर्मी को अपने छेद पर महसूस किया! उसने अपने हाथ की एक उँगली और अँगूठे से मेरा छेद फ़ैलाया और दूसरे से अपना लँड पकड के सुपाडे को मेरे छेद पर रगडा तो उसका सुपाडा भी पहले से लिपडे थूक से भीग गया! उसने थोडा और थूक डायरेक्टली मेरी गाँड पर टपकाया, और उसको भी वैसे ही वहाँ रगडा! फ़िर उसने अपना सुपाडा मेरे छेद पर दबाया तो मेरी गाँड का सुराख अपने आप फ़ैलने लगा और उसका लँड मेरी गाँड में घुसने लगा! मैने सिसकारियाँ भरना शुरु कर दीं! फ़िर उसने अचानक अपना घुसा हुआ सुपाडा बाहर खींच लिया तो मेरी साँस रुक गयी! फ़िर उसने फ़िर सुपाडा घुसा दिया! इस बार मेरी गाँड खुली और वो और ज़्यादा अंदर घुस गया! अब उसने हल्के हल्के धक्के दिये तो मेरी गाँड खुलती चली गयी! उसकी गाँड और जाँघ के धक्के मज़बूत और ताक़तवर थे! उसने अपना पूरा लँड मेरी गाँड में घुसा दिया और चढ के अंदर बाहर दे-देकर मेरी गाँड मारने लगा!
वो जब भी लँड बाहर खींचता, मेरी सिसकारी निकल जाती और जब अंदर देता तो मस्ती भरी चीख...! उसका रफ़ लँड मेरे छेद से रगड के उसको मस्त करते हुए गर्म कर रहा था! फ़िर वो पलँग से उतर के टाँगें फ़ैला के खडा हो गया!
"आजा... अब ले ले... झुक के ले ले..." काफ़ी देर बाद उसके हलक से कुछ शब्द निकले! फ़िर उसने मुझे अपने सामने घोडा बनवाया और वो खुद खडा ही रहा!
"चल, उठा... गाँड उठा..."
कैसे यार, ऐसे नहीं उठेगी..."
"उठेगी उठेगी... उठा तो.." मैने गाँड और उठायी! अब मैं पूरा अपने टोज़ पर था! मेरा सर नीचे था और हाथ ज़मीन पर... कुछ देर थोडा और उचकने पर मुझे फ़िर गाँड पर उसका लँड महसूस हुआ! अब मैं वैसे, बहुत ही अन-सेफ़ तरीके से झुका हुआ था और वो खडा हुआ था... उसने फ़िर मेरी गाँड में लौडा डालना शुरु कर दिया और अंदर बाहर करके मेरी गाँड का हलुवा बनाना शुरु कर दिया!
"हाँ... हाँ... ऐसे.. ही म..ज़ा... आ..ता.. है... ऐसे.. ही..." उसने कहा और मेरी कमर को दोनो तरफ़ से कस के पकड लिया और मुझे अपनी तरफ़ खींच खींच के चोदने लगा! मेरा छेद खुल तो चुका ही था! उसका लँड 'फ़चाक फ़चाक' अंदर बाहर हो रहा था और साथ में जब उसकी जाँघें और जिस्म मेरे जिस्म से टकराते तो 'थपाक थपाक' की आवाज़ें भी आती! फ़िर तभी उसने मेरी गाँड पर कमर के पास 'चटाक' से एक हाथ मारा!
"उई...." मैं दर्द से करहाया क्योंकि उसने प्यार से नहीं बल्कि काफ़ी फ़ोर्सफ़ुली मेरी गाँड पर चाँटा मारा था! इसके पहले मैं सम्भाल पाता, उसने अपना लँड पूरा अंदर घुसा दिया और फ़िर 'चटाक' से एक और चाँटा मारा! उसके चाँटों में देसी ताक़त थी! अगर सर पर पडता तो सर घुमा देता! मुझे तीखा दर्द हुआ!
"उई... अआह... नहीं..."
"नहीं? नहीं क्यों बे?" उसने कहा और फ़िर तडातड मेरी गाँड पर ज़ोर ज़ोर से चाँटे मारने लगा! उसने एक हाथ से मुझे कस के उसी पोजिशन में पकडा हुआ था और दूसरे से चाँटे मारे जा रहा था!
"नहीं... जुनैद... मारो नहीं..."
"चुप बे... बहन के लौडे चुप... मज़ा लेने दे..." असल में चाँटा पडने पर मैं अपनी गाँड भींच रहा था और उससे उसको लँड पर कसाव महसूस हो रहा था और इससे मज़ा आ रहा था! कुछ देर में उसने मुझे ज़मीन पर ही सीधा लिटा दिया और मेरी टाँगें अपने कंधे पर रखवा के गाँड में लँड डाल दिया!
"अब माल गिर जायेगा... बस.. रुक जा... अब.. गिर.. जायेगा..." वो गाँड उचका उचका के मुझे चोद रहा था और साथ में उसने मेरा लँड थाम के दबाना भी शुरु कर दिया था!
"चल... अप..ना... भी... झाड..." उसने मुझसे कहा!
"झाद दे..." मैने कहा!
वो अब मेरी मुठ मार रहा था और साथ में गाँड भी! मेरा खडा लँड उस पोजिशन में उसके पेट से रगड रहा था! फ़िर उसने तेज़ धक्के देना शुरु कर दिये और मेरा लँड छोड के मेरी जाँघों को कस के पकड लिया और फ़िर उसका माल मेरी गाँड में भर गया!
"अआह... हाँ... हाँ.. अआह.. हश... सि...उह..." उसने सिसकारी भरी और फ़िर अपना लँड बाहर खींच के जल्दी जल्दी अपने कपडे पहन लिये! कमरा सज चुका था, इन्फ़ैक्ट उसका सही इस्तमाल भी हो चुका था! जब वो अपने पैसे ले रहा था तो मैं नीचे उसके थोडा दूर ही था! उसने मुझे देखा, उसके चेहरे पर एक संतुष्टि थी! मैने फ़िर देखा, उसका जिस्म सच बहुत प्यारा और सुंदर था! ज़ाइन कहीं नहीं दिखा! उस रात मुझे बहुत अच्छी नींद आयी! कभी जुनैद का ख्याल आता कभी ज़ाइन का! एक लँड जो मिल चुका था, और एक जो मुझे चाहिये था... तीन जनरेशन्स के साथ सैक्स का अपना पहला एक्स्पीरिएंस पूरा करने के लिये! इसके पहले मैने बाप और बेटे के साथ और भाई-भाई के साथ तो बहुत किया था, मगर बाप, बेटे और दादा के साथ कभी नहीं हुआ था! यही वो स्पेशल चीज़ थी, जिसके लिये मैं ट्राई कर रहा था!
"लीजिये, दिखा दिया..."
"अब मुठ मारो..."
"अभी मुठ का मूड नहीं है..."
"एक बार पकडने दो..."
"नहीं चाचा..."
"बस एक बार..."
"क्या करेंगे पकड के?"
"देखूँगा कितना सख्त है..."
"दिख नहीं रहा है क्या कि कितना सॉलिड है?"
"दिख तो रहा है... पकड के ज़्यादा सही से पता चलता है..."
"लीजिये..."
उसने फ़ाइनली जब मुझे अपना लँड पकडने दिया तो मैं उसका कमसिन मर्दाना लँड थाम के मस्त हो गया और लँड पकडते ही मैने अपने हाथों की गर्मी से 'उसका' दबाया और उसके सुपाडे पर अपना अँगूठा रगड के उसे दबाया तो उसकी सिसकारी निकल गयी! "सिउह... चाचा... अआह.."
मैं थोडा उसकी तरफ़ झुका! उसका लँड अब मेरी गिरफ़्त में था और मैं हल्के हल्के उसकी मुठ मार रहा था! मैं उसके इतना नज़दीक आ गया कि हमारी साँसें टकराने लगीं!
"एक किस कर दूँ?"
"नहीं नहीं..."
"बस एक..."
"रहने दीजिये..."
"प्लीज़....." कहते हुये मैने हल्के से अपने होंठों से उसके होंठों को ब्रश किया तो उसकी साँस उखड गयी और मैं उसकी साँस की खुश्बू से मदहोश हो गया! मैने अपना मुह उसके होंठों पर खोल दिया और अपनी ज़बान से उसके बन्द होंठों को चाटा! उसने अपना मुह हटाया नहीं तो मैने अपनी ज़बान उसके गले की तरफ़ घुमा दी! उसने मेरा हाथ पकड लिया, मैने एक हाथ से उसकी गरदन पकड ली!
तभी बाहर खट खट हुई! पहले तो हम मदहोशी में सुन नहीं पाये मगर फ़िर जब और ज़ोर से हुई तो हडबडा के उसने अपनी ज़िप बन्द करते हुये दरवाज़ा खोला सामने एक गबरू सा मस्त देसी जवान लौंडा एक बडा सा पोटला लिये खडा था!
"क्या है?" ज़ाइन ने उखडती साँसों से उससे पूछा!
"फ़ूल हैं... कमरा सजाना है..."
"ये कमरा क्यों?"
"यही वाला सजाना है... नीचे से बोला है..."
"अच्छा, आ जाओ..." ज़ाइन ने अपने होंठों से मेरे थूक को साफ़ करते हुये कहा! मैं तो उस के.एल.पी.डी. से बुरी तरह झुँझला गया था! उस फ़ूल वाले लडके के कारण मेरे हाथ से इतना हसीन मौका निकल गया था!
"चलो भाई... सजा दो, ऐसा सजाना कि दूल्हे को मज़ा आ जाये.." मैने उस लडके से कहा!
"हमारा काम तो सजाना है... मज़ा तो दूल्हे के ऊपर है... जितना दम होगा, उतना मज़ा मिलेगा...."
"हाँ, बात तो सही है..."
उस लडके के चेहरे पर रूखापन था, मगर बदन में जान थी! एक छोटी बाज़ू वाली टी-शर्ट उसने जीन्स के अंदर घुसेड के पहनी हुई थी! उसकी छाती चौडी थी, कमर पतली, जाँघें मस्क्युलर, गाँड गोल गोल और लँड का उभार ज़बर्दस्त... मुझसे रहा नहीं गया और मैने उसको उतनी ही देर में कई बार ऊपर से नीचे तक देख लिया!
"बढिया से सजाना..." मैने कहा!
"फ़िक्र मत करिये..." उस लडके ने कहा! "ऐसे नाज़ुक फ़ूल हैं कि अगर दूल्हे ने सही से दबा के रगडा ना तो बिस्तर पर ही कुचल जायेंगे... सुबह एक भी नहीं मिलेगा..."
"वाह... बडा ज़बर्दस्त विवरण दिया..."
"हाँ साहिब... हमारा तो काम ही यही है..."
"सही है... तुम पता नहीं कितनों की रातों को रँगीन बनाते होंगे..." मैने कहा!
"हम नहीं बनाते भैया, हम बनवाते हैं..." उसने इतनी ही देर में मुझे साहिब से भैया बना दिया! मैने फ़िर उसका गठा हुआ जिस्म निहारा! उसके जिस्म में मसल्स भरी हुई थी! छाती के कटाव टाइट टी-शर्ट से नँगे दिख रहे थे और लँड का उभार साफ़ था! जीन्स गन्दी थी, बाज़ू भरे भरे, कलायी चौडी, आँखें नशीली... मैं ठरका हुआ तो था ही, उसको देख के ही मस्त होने लगा!
जब ज़ाइन ने देखा कि उस लडके को टाइम लगेगा तो वो चला गया... "मैं नीचे जा रहा हूँ!"
उस लडके के होते हुए मैं कुछ कर भी नहीं पाता, इसलिये मैने भी उसको जाने दिया!
वो लडका, जुनैद, कमरे में फ़ूलों की लडियाँ लगाने लगा और मैं बेड पर लेट के उसको देखता रहा! वो जब झुकता उसकी गाँड गोल गोल दिखती, जब ऊपर चढता तो और मस्त लगता! कभी अपने मुह से धागा तोडता और कभी टाँगें फ़ैलाता! ना जाने कब उसको देखते देखते मेरी आँख लग गयी और मैं शायद उसके बारे में ही सपना देखने लगा! मेरी आँखों के सामने ठरक के कारण उसका जिस्म ही नाचता रहा! मैं सोया हुआ था मगर फ़िर भी उसको अपने दिमाग से नहीं हटा पाया था! बीच बीच में मुझे ज़ाइन का जवान लँड भी नज़र आ जाता था! मेरा लँड उन सपनों के कारण खडा हुआ था, फ़ूलों की भीनी भीनी खुश्बू मुझे मदहोश कर रही थी! मेरे लँड में मस्ती से गुदगुदी हो रही थी! एक अजीब सा मज़ा मिल रहा था! जुनैद मुझे नॉर्मली दिखता तो भी पसंद आ जाता! मगर उस समय ज़ाइन से इतनी बात हो जाने के बाद तो वो मुझे और भी ज़्यादा हसीन और जवान लगा था! बिल्कुल देसी गठीला मज़बूत जवान... मुझे सपने में ही उसके बदन की गर्मी महसूस हो रही थी! फ़िर मुझे ज़ाइन का ध्यान आया, उसका लँड याद आया, उसके होंठों पर अपना वो गीला चुम्बन याद आया, जिसका गीलपन और गर्मी अभी भी मेरे होंठों पर थे! मुझे लगा कि जब वो मेरा लँड सहलायेगा तो कैसा लगेगा! मुझे अपने लँड पर उसकी हथेली की गर्मी महसूस हुई! मेरा लँड उछला! मुझे जुनैद की गबरू जवानी याद आयी! कभी राशिद भैया के साथ गुज़ारे पल याद आये! कभी हुमेर चाचा के साथ हुआ काँड याद आया! एक पल को भी मेरा जिस्म ठँडा नहीं हो पा रहा था! मुझे होंठों पर ज़ाइन के होंठ याद आये, मैने सोते सोते ही फ़िर जैसे उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये और चूसा तो मुझे उसके होंठों का गीलपन और गर्मी, उसकी कोमलता और नमक याद आया! मुझे उसकी साँसें महसूस हुयीं! उसकी साँसों की खुश्बू अभी भी मेरी नाक में बसी हुई थी! मैने कस के नींद में ज़ाइन के होंठों को चूसा तो उसने मुझे ज़ोर से पकड लिया और इस बार वो मेरे ऊपर लेट गया!
कुछ देर सपने में ज़ाइन के होंठ चूसने के बाद मैने उसका सर नीचे अपने लँड की तरफ़ दबाया! उसने पहले मना किया, शायद रुका, मगर मेरे इंसिस्ट करने पर वो मेरे सपने को यादगार बनाने में लग गया! इस बार उसके होंठ मेरी ज़िप पर थे और मेरे लँड को ऊपर से दबा के मज़ा दे रहे थे! मुझे पता था कि ज़ाइन जैसा नमकीन लौंडा, जो नया नया जवान हुआ था, ये सब ज़रूर करेगा! भले सपने में हो या असल ज़िन्दगी में... और फ़िर ज़ाइन ने फ़ाइनली अपने होंठों को मेरे सुपाडे पर कस लिया तो मैने उसका सर पकड लिया!
"उम्म.. उँहु... हाँ भैया... हाँ... साला, बडा मोटा लौडा है बे तेरा..." जब फ़ाइनली ज़ाइन ने कहा तो मैं चौंका क्योंकि ज़ाइन मुझे भैया नहीं चाचा कहता था! मेरी नींद टूटी, मेरी पैंट पूरी उतरी हुई थी, शर्ट के सारे बटन खुले हुये थे और जुनैद अपनी जीन्स उतारे हुये मेरे ऊपर झुका मेरा लँड पूरा अपने मुह में लेकर चूस रहा था!
"उउम्ह... जुनैद????"
"आप बडी गहरी नींद में थे..." उसने अपने मुह से मेरा लँड निकालते हुए कहा!
"हाँ... जुनै..द... तुम..ने क..ब शुरु कि..या... अआह..."
"जब तुमने नींद में मुठ मारना शुरु कर दिया था..."
"अच्छा??? ऐसा हुआ था क्या?"
"हाँ साले... फ़िर रहा ही नहीं गया..." उसने अपने मुह में मेरा लँड पूरा का पूरा निगल के चूसना शुरु कर दिया! उसने हाथों से मेरे आँडूए दबाना शुरु किये और कभी कभी अपना हाथ आगे से मेरे आँडूओं के नीचे मेरी गाँड तक ले जाकर भींच के वहाँ दबा देता!
मैने हाथ नीचे किया और उसका लँड पकड लिया! उसका लँड भयन्कर बडा और जवान था! मेरे हाथ में आते ही जैसे नाचने लगा!
"अपना भी तो चुसवाओ ना जुनैद..."
"लो ना यार..." उसने कहा और मेरी छाती के ऊपर चढता हुआ लेट गया और मेरे मुह में अपना लौडा डाल दिया! उसका लँड गन्दा था, पसीने से भरा हुआ, लस्सी की तरह स्मेल कर रहा था! उसकी जाँघें तो चिकनी थी, मगर गाँड के छेद पर और दरार में बाल थे! मैने उसकी गाँड को दबोच के रगडना शुरु कर दिया तो वो धकाधक धक्के लगाने लगा! वो कभी मेरे बाल पकड लेता, कभी दबोच लेता तो उसका सुपाडा सीधा मेरी हलक तक घुस जाता! उसके आँडूए मेरे चिन पर टकराते! फ़िर वो कभी मेरे सर के नीचे एक हाथ डाल के मेरे सर को ऊपर उठा के मेरा मुह चोदता! उसकी नँगी जाँघें बडी मादक लग रही थी! देख कर ही लगता था कि उनमें कितनी मज़बूती और जान होगी! फ़िर मैने उसको घुटनो पर ऐसे करवाया कि उसके दोनो घुटने मेरे सर के अगल-बगल हो गये और उसका छेद और आँडूए के नीचे वाला बालों भरा गदराया पोर्शन मेरे होंठों की सीधा पर आ गया! इस बार मैने खुद ही सर उठा के अपनी नाक और मुह उसकी गाँड के बीच घुसा दिया! वहाँ की बद्बू बडी मादक और ज़बर्दस्त थी! मैने तो उसकी कमर को कस कर पकड लिया और ज़ोर ज़ोर से दबा के सूंघा! फ़िर जब मैने वहाँ किस किया तो वो बैठा नहीं रह पाया और मेरे ऊपर ही पसर गया और अपनी गाँड को मेरे मुह पर रख के जैसे सरेंडर करके पस्त हो गया! मैने ज़बान से उसकी गाँड का छल्ला सहलाया, उसकी गाँड के बालों को अपनी ज़बान से गीला किया और अपने होंठों से पकड के खींचा तो वो मेरे ऊपर फ़िर बैठ गया और अपनी पीठ, धनुष की तरह पीछे मोड कर अपने दोनो हाथ पीछे मेरी जाँघों पर रख दिये!
कुछ देर बाद उसने मुझे पलटा और मेरी गाँड की दरार में गुलाब की पँखुडियाँ भर के मसल दीं! उसने उँगली से मेरा छेद टटोला और अपनी फ़िन्गर-टिप्स से उसको खोला! फ़िर उसने अपनी चार उँगलियों पर अपने मुह से थूक टपकाया और मेरे छेद के पास उसे पोत दिया! फ़िर जब मुझे अपने छेद पर उसका मोटा सुपाडा महसूस हुआ तो मैने टाँगें फ़ैला के गाँड ऊपर उठा के उसके लँड की गर्मी को अपने छेद पर महसूस किया! उसने अपने हाथ की एक उँगली और अँगूठे से मेरा छेद फ़ैलाया और दूसरे से अपना लँड पकड के सुपाडे को मेरे छेद पर रगडा तो उसका सुपाडा भी पहले से लिपडे थूक से भीग गया! उसने थोडा और थूक डायरेक्टली मेरी गाँड पर टपकाया, और उसको भी वैसे ही वहाँ रगडा! फ़िर उसने अपना सुपाडा मेरे छेद पर दबाया तो मेरी गाँड का सुराख अपने आप फ़ैलने लगा और उसका लँड मेरी गाँड में घुसने लगा! मैने सिसकारियाँ भरना शुरु कर दीं! फ़िर उसने अचानक अपना घुसा हुआ सुपाडा बाहर खींच लिया तो मेरी साँस रुक गयी! फ़िर उसने फ़िर सुपाडा घुसा दिया! इस बार मेरी गाँड खुली और वो और ज़्यादा अंदर घुस गया! अब उसने हल्के हल्के धक्के दिये तो मेरी गाँड खुलती चली गयी! उसकी गाँड और जाँघ के धक्के मज़बूत और ताक़तवर थे! उसने अपना पूरा लँड मेरी गाँड में घुसा दिया और चढ के अंदर बाहर दे-देकर मेरी गाँड मारने लगा!
वो जब भी लँड बाहर खींचता, मेरी सिसकारी निकल जाती और जब अंदर देता तो मस्ती भरी चीख...! उसका रफ़ लँड मेरे छेद से रगड के उसको मस्त करते हुए गर्म कर रहा था! फ़िर वो पलँग से उतर के टाँगें फ़ैला के खडा हो गया!
"आजा... अब ले ले... झुक के ले ले..." काफ़ी देर बाद उसके हलक से कुछ शब्द निकले! फ़िर उसने मुझे अपने सामने घोडा बनवाया और वो खुद खडा ही रहा!
"चल, उठा... गाँड उठा..."
कैसे यार, ऐसे नहीं उठेगी..."
"उठेगी उठेगी... उठा तो.." मैने गाँड और उठायी! अब मैं पूरा अपने टोज़ पर था! मेरा सर नीचे था और हाथ ज़मीन पर... कुछ देर थोडा और उचकने पर मुझे फ़िर गाँड पर उसका लँड महसूस हुआ! अब मैं वैसे, बहुत ही अन-सेफ़ तरीके से झुका हुआ था और वो खडा हुआ था... उसने फ़िर मेरी गाँड में लौडा डालना शुरु कर दिया और अंदर बाहर करके मेरी गाँड का हलुवा बनाना शुरु कर दिया!
"हाँ... हाँ... ऐसे.. ही म..ज़ा... आ..ता.. है... ऐसे.. ही..." उसने कहा और मेरी कमर को दोनो तरफ़ से कस के पकड लिया और मुझे अपनी तरफ़ खींच खींच के चोदने लगा! मेरा छेद खुल तो चुका ही था! उसका लँड 'फ़चाक फ़चाक' अंदर बाहर हो रहा था और साथ में जब उसकी जाँघें और जिस्म मेरे जिस्म से टकराते तो 'थपाक थपाक' की आवाज़ें भी आती! फ़िर तभी उसने मेरी गाँड पर कमर के पास 'चटाक' से एक हाथ मारा!
"उई...." मैं दर्द से करहाया क्योंकि उसने प्यार से नहीं बल्कि काफ़ी फ़ोर्सफ़ुली मेरी गाँड पर चाँटा मारा था! इसके पहले मैं सम्भाल पाता, उसने अपना लँड पूरा अंदर घुसा दिया और फ़िर 'चटाक' से एक और चाँटा मारा! उसके चाँटों में देसी ताक़त थी! अगर सर पर पडता तो सर घुमा देता! मुझे तीखा दर्द हुआ!
"उई... अआह... नहीं..."
"नहीं? नहीं क्यों बे?" उसने कहा और फ़िर तडातड मेरी गाँड पर ज़ोर ज़ोर से चाँटे मारने लगा! उसने एक हाथ से मुझे कस के उसी पोजिशन में पकडा हुआ था और दूसरे से चाँटे मारे जा रहा था!
"नहीं... जुनैद... मारो नहीं..."
"चुप बे... बहन के लौडे चुप... मज़ा लेने दे..." असल में चाँटा पडने पर मैं अपनी गाँड भींच रहा था और उससे उसको लँड पर कसाव महसूस हो रहा था और इससे मज़ा आ रहा था! कुछ देर में उसने मुझे ज़मीन पर ही सीधा लिटा दिया और मेरी टाँगें अपने कंधे पर रखवा के गाँड में लँड डाल दिया!
"अब माल गिर जायेगा... बस.. रुक जा... अब.. गिर.. जायेगा..." वो गाँड उचका उचका के मुझे चोद रहा था और साथ में उसने मेरा लँड थाम के दबाना भी शुरु कर दिया था!
"चल... अप..ना... भी... झाड..." उसने मुझसे कहा!
"झाद दे..." मैने कहा!
वो अब मेरी मुठ मार रहा था और साथ में गाँड भी! मेरा खडा लँड उस पोजिशन में उसके पेट से रगड रहा था! फ़िर उसने तेज़ धक्के देना शुरु कर दिये और मेरा लँड छोड के मेरी जाँघों को कस के पकड लिया और फ़िर उसका माल मेरी गाँड में भर गया!
"अआह... हाँ... हाँ.. अआह.. हश... सि...उह..." उसने सिसकारी भरी और फ़िर अपना लँड बाहर खींच के जल्दी जल्दी अपने कपडे पहन लिये! कमरा सज चुका था, इन्फ़ैक्ट उसका सही इस्तमाल भी हो चुका था! जब वो अपने पैसे ले रहा था तो मैं नीचे उसके थोडा दूर ही था! उसने मुझे देखा, उसके चेहरे पर एक संतुष्टि थी! मैने फ़िर देखा, उसका जिस्म सच बहुत प्यारा और सुंदर था! ज़ाइन कहीं नहीं दिखा! उस रात मुझे बहुत अच्छी नींद आयी! कभी जुनैद का ख्याल आता कभी ज़ाइन का! एक लँड जो मिल चुका था, और एक जो मुझे चाहिये था... तीन जनरेशन्स के साथ सैक्स का अपना पहला एक्स्पीरिएंस पूरा करने के लिये! इसके पहले मैने बाप और बेटे के साथ और भाई-भाई के साथ तो बहुत किया था, मगर बाप, बेटे और दादा के साथ कभी नहीं हुआ था! यही वो स्पेशल चीज़ थी, जिसके लिये मैं ट्राई कर रहा था!