hotaks444
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पुलिस के साथ उनका जो अधिकारी वहां पहुंचा था, उस पर निगाह पड़ते ही मेरा चेहरा उतर गया। शहर से इतना परे भी मेरा मत्था सब-इंस्पेक्टर यादव से ही लगेगा, इसकी मुझे उम्मीद नहीं थी । सब-इंस्पेक्टर देवेन्द्र यादव एक लगभचा पैंतीस वर्ष का छ: फुट से भी ऊपर कद का, हट्टा कट्टा, कड़ियल जवान था और फलाइंग स्कवायड के उस दस्ते से सम्बद्ध था जो केवल कत्ल के केसों की तफ्तीश के लिए भेजा जाता था। इस लिहाज से उसके वहां पहुंचने पर हैरानी या मायूसी जाहिर करना मेरी हिमाकत थी । वैसे मेरी उससे सदा अदावत और सिर-फुड़ोवल ही रहती थी लेकिन हाल ही में मेरी पत्नी की हत्या के केस की तफ्तीश के दौरान मेरी उससे कुछ-कुछ सुलह हुई थी। मैं और कमला उसे इमारत के बाहर मुख्यद्वार के सामने मिले थे ।
मुझे देखकर उसके चेहरे पर कोई भाव न आये । ऐसा होना भी इस बात का सबूत था कि उसे मेरी वहां मौजूदगी पसन्द नहीं आई थी।
"कहां ?" - वह भावहीन स्वर में बोला। "स्टडी में ।" - मैं बोला।
"रास्ता दिखाओ ।"
वह, मैं, कमला और उसके साथ आये चार पुलिसिये स्टडी में पहुंचे, जहां कि वे लोग पहुंचते ही लाश के हवाले हो गए
फिंगरप्रिंट्स उठाये जाने लगे । तस्वीरें खींची जाने लगीं। सूत्रों की तलाश होने लगी । यादव ने एक चक्कर न • | सिर्फ सारी इमारत का बल्कि सारे फार्म का भी लगाया।
उसके आदेश पर उस दौरान हम बाहर ड्राइंगरूम में जा बैठे। तफ्तीश के दौरान पुलिस का डॉक्टर भी वहां पहुंचा । उसने इस बात की तसदीक की कि मौत साढ़े सात और आठ बजे के बीच हुई थी, उसे एक ही गोली लगी थी जिससे कि उसकी तत्काल मृत्यु हो गई थी । एक अन्य पुलिस टेक्नीशियन ने बताया कि गोली उसी रिवॉल्वर से चली थी जो कि उसकी कुर्सी के करीब कालीन पर पड़ी पाई गई थी।
और गोली कोई आठ या दस फुट के फासले से चलाई गई थी। उस आखिरी बात को सुनकर यादव के चेहरे पर बड़े संतोष के भाव प्रकट हुए । फिर अंत में यादव ने हमारी सुध ली। उसके वहां पहुंचते ही मैंने उसे बताया था कि कमला कौन थी लेकिन फिर भी उसने पृछा - "आप हत्प्राण की बीवी हैं।
कमला ने सहमति में सिर हिलाया । "मैं आपका बयान लेना चाहता हूं।"
"लीजिए।"
"तुम" - यादव मेरी तरफ घूमा - "जरा फार्म की ठंडी हवा खा आओ और सिगरेट-विगरेट पी आओ।"
"लेकिन...." - मैंने कहना चाहा।
"क्या लेकिन ?" - वह मुझे घूरता हुआ बोला ।
"कुछ नहीं ।" - मैं बोला और उठ खड़ा हुआ।
"और हवा फार्म की ही खाना । टहलते हुए कुतुबमीनार न पहुंच जाना ।"
"नहीं पहुंचूंगा।"
मैंने इमारत से बाहर कदम रखा। फार्म में उतरने के स्थान पर मैं प्लेटफार्म पर ही टहलने लगा। मैंने अपने ताबूत की एक कील सुलगा ली और सोचने लगा।
आखिर अमर चावला वहां तक पहुंचा तो कैसे पहुंचा ? वह मर्सिडीज कार तो वहां कहीं दिखाई नहीं दे रही थी जिस पर कि दिन में मैंने उसे जगह-ब-जगह जाते देखा था।
और जिसे उसका वर्दीधारी शोफर चला रहा था। क्या यह हो सकता था कि वह वहां पहुंचा तो अपने शोफर और। = दादाओं के साथ ही हो लेकिन वहां पहुंचने के बाद उसने गाड़ी वापिस भिजवा दी हो ? वापिसी के लिए अपनी बीवी की कार तो उपलब्ध थी ही ।
या शायद वह यहां आया ही अपनी बीवी के साथ हो ? वह बात मुझे न जंची । बीवी को मालूम था कि मैं वहां पहुंचने वाला था । वह अपने पति को वहां साथ क्यों लाती ? इसलिए लाती क्योंकि उसका पहले से ही उसे वहां लाकर उसका कत्ल करने का और मुझे अपनी एलीबाई बनाने का इरादा था।
वह ख्याल मुझे बेचैन करने लगा इसलिए मैंने नई संभावना का विचार किया।
फर्ज करो, हत्यारा कोई और था और चावला हत्यारे के साथ उसकी कार पर वहां पहुंचा जो कि कमला के वहां पहुंचने से पहले चावला का कत्ल करके वहां से जा चुका था।
कौन ?
कोई भी ।
मसलन जूही चावला ।
मुझे देखकर उसके चेहरे पर कोई भाव न आये । ऐसा होना भी इस बात का सबूत था कि उसे मेरी वहां मौजूदगी पसन्द नहीं आई थी।
"कहां ?" - वह भावहीन स्वर में बोला। "स्टडी में ।" - मैं बोला।
"रास्ता दिखाओ ।"
वह, मैं, कमला और उसके साथ आये चार पुलिसिये स्टडी में पहुंचे, जहां कि वे लोग पहुंचते ही लाश के हवाले हो गए
फिंगरप्रिंट्स उठाये जाने लगे । तस्वीरें खींची जाने लगीं। सूत्रों की तलाश होने लगी । यादव ने एक चक्कर न • | सिर्फ सारी इमारत का बल्कि सारे फार्म का भी लगाया।
उसके आदेश पर उस दौरान हम बाहर ड्राइंगरूम में जा बैठे। तफ्तीश के दौरान पुलिस का डॉक्टर भी वहां पहुंचा । उसने इस बात की तसदीक की कि मौत साढ़े सात और आठ बजे के बीच हुई थी, उसे एक ही गोली लगी थी जिससे कि उसकी तत्काल मृत्यु हो गई थी । एक अन्य पुलिस टेक्नीशियन ने बताया कि गोली उसी रिवॉल्वर से चली थी जो कि उसकी कुर्सी के करीब कालीन पर पड़ी पाई गई थी।
और गोली कोई आठ या दस फुट के फासले से चलाई गई थी। उस आखिरी बात को सुनकर यादव के चेहरे पर बड़े संतोष के भाव प्रकट हुए । फिर अंत में यादव ने हमारी सुध ली। उसके वहां पहुंचते ही मैंने उसे बताया था कि कमला कौन थी लेकिन फिर भी उसने पृछा - "आप हत्प्राण की बीवी हैं।
कमला ने सहमति में सिर हिलाया । "मैं आपका बयान लेना चाहता हूं।"
"लीजिए।"
"तुम" - यादव मेरी तरफ घूमा - "जरा फार्म की ठंडी हवा खा आओ और सिगरेट-विगरेट पी आओ।"
"लेकिन...." - मैंने कहना चाहा।
"क्या लेकिन ?" - वह मुझे घूरता हुआ बोला ।
"कुछ नहीं ।" - मैं बोला और उठ खड़ा हुआ।
"और हवा फार्म की ही खाना । टहलते हुए कुतुबमीनार न पहुंच जाना ।"
"नहीं पहुंचूंगा।"
मैंने इमारत से बाहर कदम रखा। फार्म में उतरने के स्थान पर मैं प्लेटफार्म पर ही टहलने लगा। मैंने अपने ताबूत की एक कील सुलगा ली और सोचने लगा।
आखिर अमर चावला वहां तक पहुंचा तो कैसे पहुंचा ? वह मर्सिडीज कार तो वहां कहीं दिखाई नहीं दे रही थी जिस पर कि दिन में मैंने उसे जगह-ब-जगह जाते देखा था।
और जिसे उसका वर्दीधारी शोफर चला रहा था। क्या यह हो सकता था कि वह वहां पहुंचा तो अपने शोफर और। = दादाओं के साथ ही हो लेकिन वहां पहुंचने के बाद उसने गाड़ी वापिस भिजवा दी हो ? वापिसी के लिए अपनी बीवी की कार तो उपलब्ध थी ही ।
या शायद वह यहां आया ही अपनी बीवी के साथ हो ? वह बात मुझे न जंची । बीवी को मालूम था कि मैं वहां पहुंचने वाला था । वह अपने पति को वहां साथ क्यों लाती ? इसलिए लाती क्योंकि उसका पहले से ही उसे वहां लाकर उसका कत्ल करने का और मुझे अपनी एलीबाई बनाने का इरादा था।
वह ख्याल मुझे बेचैन करने लगा इसलिए मैंने नई संभावना का विचार किया।
फर्ज करो, हत्यारा कोई और था और चावला हत्यारे के साथ उसकी कार पर वहां पहुंचा जो कि कमला के वहां पहुंचने से पहले चावला का कत्ल करके वहां से जा चुका था।
कौन ?
कोई भी ।
मसलन जूही चावला ।