hotaks444
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जो पहला सवाल यादव ने कमला से किया, वह उसने कमला की नहीं, मेरी सूरत पर निगाह जमाये हुए किया । "कल रात जब चौधरी नाम का चोर यहां पकड़ा गया था, तब राज ने आपके पति की स्टडी की तलाशी ली थी ?"
"जी हां, ली थी।" - कमला बोली।
"क्यों ली थी ?"
"यह अंदाजा लगाने के लिए कि चोर यहां से क्या चुराने आया हो सकता था।"
"कोई अंदाजा लगा ?"
"नहीं । यहां का कीमती समान तो सही-सलामत मौजूद था।"
"उसे गैरकीमती समान की तलाश भी हो सकती थी !"
"यहां से कोई चीज गायब नहीं थी।"
"होती तो चौधरी के पास से बरामद होती ।" - मैं बोला।
"शटअप !" - वह बड़े हिंसक भाव से गुर्राया। मैंने फौरन होंठ बंद कर लिए ।
"यहां से राज ने कोई चीज उठाई हो !" - अपलक मेरी तरफ देखते हुये यादव ने सवाल किया।
"कौन सी चीज ?" - कमला बोली।
"कोई भी चीज । कीमती या मामूली ।"
"इसने तो कुछ नहीं उठाया था स्टडी में से ।"
"शायद आपकी जानकारी के बिना इसने वहां से कोई चीज पार कर दी हो ?"
"नहीं । स्टडी में हर वक्त मैं इसके साथ थी।"
"पक्की बात ?"
"हां ।”
तब कहीं जाकर यादव ने मुझ पर से निगाह हटाई और में भी जान में जान आई।
,,, "आपको" - यादव ने नया सवाल किया "वसीयत कि खबर तो लग चुकी होगी ?"
"जी हां।" - कमला गंभीरता से बोली - "लग चुकी है।"
"छक्के तो लूट गये होंगे आपके यह जानकार कि आपके पति ने अपनी जायदाद के आपसे कहीं ज्यादा बड़े हिस्से
का वारिस एक गैर औरत को - जूही चावला को - बना दिया था।"
"छक्के छूटने वाली बात ही थी यह । छक्के क्या छूट गए थे, मेरा तो भेजा हिल गया था। लेकिन अब इस बात से > कोई फर्क नहीं पड़ता।"
"क्यों फर्क नहीं पड़ता ?"
"क्योंकि वसीयत की जो गड़बड़ मेरे पति कर गए हैं, वो अब ठीक हो जाएगी ।"
"कैसे ठीक हो जाएगी ?"
"मेरी जूही चावला से बात हुई है। उसकी मेरे पति की वसीयत में कोई दिलचस्पी नहीं । उसने स्वेच्छा से ऐसा इंतजाम कर देने का वादा किया है कि सारी जायदाद मुझे ही मिले।"
"अच्छा ! ऐसा उसने खुद कहा है ?"
"जी हां ।"
"वह आपके पति कि करोड़ों कि संपत्ति कि वारिस बनने कि ख्वाहिशमंद नहीं ?"
"नहीं।"
"कमाल है !"
"हैरान होने कि जगह अगर आपने यहां आने की असली वजह बतायें तो इससे हम सबको सुविधा होगी ।"
"असली वजह ?"
"जी हां । इतनी अक्ल तो मुझमें भी है कि ये जो नन्ही-मुन्नी बातें आप पूछ रहे हैं, यही तो आपके यहां आगमन की असली वजह हो नहीं सकतीं ।"
"बहुत समझदार हैं आप । वाकई असली वजह यह नहीं ।"
"तो फिर असली वजह क्या है ?"
"जी हां, ली थी।" - कमला बोली।
"क्यों ली थी ?"
"यह अंदाजा लगाने के लिए कि चोर यहां से क्या चुराने आया हो सकता था।"
"कोई अंदाजा लगा ?"
"नहीं । यहां का कीमती समान तो सही-सलामत मौजूद था।"
"उसे गैरकीमती समान की तलाश भी हो सकती थी !"
"यहां से कोई चीज गायब नहीं थी।"
"होती तो चौधरी के पास से बरामद होती ।" - मैं बोला।
"शटअप !" - वह बड़े हिंसक भाव से गुर्राया। मैंने फौरन होंठ बंद कर लिए ।
"यहां से राज ने कोई चीज उठाई हो !" - अपलक मेरी तरफ देखते हुये यादव ने सवाल किया।
"कौन सी चीज ?" - कमला बोली।
"कोई भी चीज । कीमती या मामूली ।"
"इसने तो कुछ नहीं उठाया था स्टडी में से ।"
"शायद आपकी जानकारी के बिना इसने वहां से कोई चीज पार कर दी हो ?"
"नहीं । स्टडी में हर वक्त मैं इसके साथ थी।"
"पक्की बात ?"
"हां ।”
तब कहीं जाकर यादव ने मुझ पर से निगाह हटाई और में भी जान में जान आई।
,,, "आपको" - यादव ने नया सवाल किया "वसीयत कि खबर तो लग चुकी होगी ?"
"जी हां।" - कमला गंभीरता से बोली - "लग चुकी है।"
"छक्के तो लूट गये होंगे आपके यह जानकार कि आपके पति ने अपनी जायदाद के आपसे कहीं ज्यादा बड़े हिस्से
का वारिस एक गैर औरत को - जूही चावला को - बना दिया था।"
"छक्के छूटने वाली बात ही थी यह । छक्के क्या छूट गए थे, मेरा तो भेजा हिल गया था। लेकिन अब इस बात से > कोई फर्क नहीं पड़ता।"
"क्यों फर्क नहीं पड़ता ?"
"क्योंकि वसीयत की जो गड़बड़ मेरे पति कर गए हैं, वो अब ठीक हो जाएगी ।"
"कैसे ठीक हो जाएगी ?"
"मेरी जूही चावला से बात हुई है। उसकी मेरे पति की वसीयत में कोई दिलचस्पी नहीं । उसने स्वेच्छा से ऐसा इंतजाम कर देने का वादा किया है कि सारी जायदाद मुझे ही मिले।"
"अच्छा ! ऐसा उसने खुद कहा है ?"
"जी हां ।"
"वह आपके पति कि करोड़ों कि संपत्ति कि वारिस बनने कि ख्वाहिशमंद नहीं ?"
"नहीं।"
"कमाल है !"
"हैरान होने कि जगह अगर आपने यहां आने की असली वजह बतायें तो इससे हम सबको सुविधा होगी ।"
"असली वजह ?"
"जी हां । इतनी अक्ल तो मुझमें भी है कि ये जो नन्ही-मुन्नी बातें आप पूछ रहे हैं, यही तो आपके यहां आगमन की असली वजह हो नहीं सकतीं ।"
"बहुत समझदार हैं आप । वाकई असली वजह यह नहीं ।"
"तो फिर असली वजह क्या है ?"