hotaks444
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अब मेरा मन कुछ शांत था, और आँखे बंद करके अपनी ट्रेन की सीट पर पसर गया. मेरी समझ में आ गया था कि शायद इसलिए मेरे भाइयों को इतना सेल्फिश बनाया है, जिससे मेरा लगाव घर से ना रहे.
मे कॅंप में पहुँच चुका था और वहाँ जाकर मैने केप्टन बत्रा को रिपोर्ट किया, कॅप्टन बत्रा 6’2” लंबा मजबूत शरीर वाला एक बहुत ही कड़क मिजाज़ फ़ौजी था,
ट्रेनिंग के दौरान अपने कॅड्रर के साथ उसका कोई भी सॉफ्ट कॉर्नर नही होता था, पर्षनली वो बहुत ही अच्छा और को-ऑपरेटिव आदमी था.
चूँकि मेरा कोई डिफेन्स फील्ड वाला बॅक ग्राउंड नही था जैसा कि इस कॅंप में ट्रैनिंग ले रहे ज़्यादातर कॅड्रर्स का था, यहाँ ज़्यादातर एनएसजी के कमांडो ही ट्रैनिंग ले रहे थे,
लेकिन मेरा तो पूरा मामला ही स्पेशल था कॅप्टन बत्रा और उस कॅंप के सभी लोगों के लिए.
मेरे लेटर में ना तो कोई रंक थी, नही कोई डिफेन्सिव बॅक ग्राउंड, और नही आनेवाले समय की कोई दिशा निर्देशन की किस काम के लिए ट्रेंड किया जा रहा है.
पीएम ऑफीस से लेटर इश्यू हुआ था कि इस बंदे को कमांडो ट्रैनिंग देनी है.
कॅंप में पहले दिन मेरा रहने खाने पहनने, टाइमिंग शेड्यूल यही सब जानने, लोगों से इनटरेक्षन जिस बॅच में मुझे डाला था उनके साथ यही सब में चला गया.
दूसरे दिन से ही ट्रैनिंग शुरू हो गयी.
सुबह 4 बजे उठकर सब कुछ रेडी होकर 5 बजे तक ग्राउंड में पहुँचना, जहाँ परदे से लेकर और कई तरह की फिज़िकल एक्सर्साइज़,
8 बजे तक पूरे शरीर के कस-बल निकल दिए. फिर फ्रेश होकेर चाइ नाश्ता करके, 2 घंटे आराम, उसके बाद फिर से ग्राउंड ट्रैनिंग, शाम को निशाने बाज़ी, फिर बॉक्सिंग.
फाइट करना और शाम के डिन्नर के बाद स्क्रीन पर थियरेटिकल रूल्स रेग्युलेशन बताना, ये सब, पूरा दिन एकदम टाइट शेड्यूल था 24 घंटे का.
पहले एक महीने में ही 5केजी वेट लॉस हो गया, शरीर की एक-एक पसली चमकने लगी, तब कहीं जाके प्रॅक्टीस में आया ये सब.
जैसे-2 समय बढ़ता जा रहा था, वैसे-2 ट्रैनिंग हार्ड और हार्ड होती जा रही थी, बीच-2 में डमी मिसन देके एक्सपेडाइट करने के तरीक़े सिखाए जाते थे.
3 महीने कैसे निकल गये पता ही नही चला. संडे को सिर्फ़ सुबह का ही सेशन होता था, शाम को फ्री टाइम मिलता था जिसमें आप कहीं भी बाहर वो भी कॅंप के व्हीकल से अपने ग्रूप में ही जा सकते थे.
हमारा कॅंप बहुत बड़े एरिया में फैला था, जिसके अंदर ही सब कुछ होता था, फाइटिंग, फाइरिंग, फुटबॉल खेलना, क्रिकेट से लेकर टेनिस सब कुछ, जो समय-2 पर एक दूसरे ग्रूप के बीच होते रहते थे.
हमारे कॅंप के बराबर में ही पोलीस अकॅडमी थी, जहाँ सूपर कॉप ट्रैनिंग दी जाती थी.
ये हमें सिर्फ़ इतना पता था, लेकिन एक दूसरे से कोई लिंक नही था…ना ही किसी का इधर से उधर आना-जाना रहता था…
एक बार पॉल्टिकल लेवल पर दोनो सेंटर्स के बीच क्रिकेट मॅच का आयोजन होना तय हुआ. चूँकि उनका ग्राउंड हमारे ग्राउंड से वेल मेंटेंड था, मॅच के लिए,
सो उनके ग्राउंड में मॅच होना तय हुआ, मे भी टीम 11 में था, एक ऑल राउन्डर के तौर पर.
मॅच वाले दिन किसी भी तरफ का कोई भी ट्रैनिंग सेशन नही होना था,
प्लेयर्स के अलावा, वाकी के दोनो तरफ के लोग बैठके मॅच का आनंद उठाने वाले थे और अपने-2 प्लेयर्स को चियर-अप करते.
सुबह 7 बजे हम सब उनके ग्राउंड में पहुँच गये. दोनो तरफ की टीम का अलग-2 ड्रेस कोड था, पोलीस ट्रैनिंग कॅंप में फीमेल कॅड्रर भी थे.
मॅच शुरू हुआ.. 25-25 ओवर्स के मॅच में हमारी पहले फीलडिंग थी, उनके साइड के बॅट्समेन अच्छी बॅटिंग कर रहे थे.
मैने भी 5 ओवर बोल्लिंग की और दो विक्केट भी लिए. उन लोगों ने 25 ओवर में 165 रन बनाए, अब हमारे लिए 166 रन का टारगेट था.
दूसरी इन्निंग शुरू हुई, चूँकि हमारे प्लेयर कोई प्रोफेशनल नही थे, वैसे भी हार्ड ट्रैनिंग के बाद इस तरह के मॅच-वेच खेलने का टाइम ही कहाँ मिलता था,
दूसरी तरफ के लोग काफ़ी एंजाय करते थे इस तरह की आक्टिविटीस को.
सो जल्दी ही हमारे साइड की बॅटिंग बिखरने लगी. अभी 10 ओवर का ही मॅच हुआ था कि 40 रन पर ही 4 विक्केट टपक गये.
6त नंबर पर मेरी बॅटिंग आई, हमें अब 15 ओवर में 126 रन बनाने थे जो कि हमारे जैसी टीम के लिए बहुत दूर की कौड़ी लग रही थी.
लेकिन सामने हमारी टीम का ओपनेर जमा हुआ था, तो मेरे लिए आशा ये थी कि अगर मैं भी एक-दो ओवर में जम जाता हूँ, तो कुछ हो सकता था.
दो ओवर तक हम दोनो ही स्ट्राइक रोटेट करके जमाने के हिसाब से खेलते रहे,
धीरे-2 रनो की रेट भी मेनटेन करते जा रहे थे, लेकिन रिक्वाइयर रेट बढ़ती जा रही थी,
करीब 5 ओवर खेलने के बाद मैने लंबे शॉट खेलने का फ़ैसला लिया.
और अगले ही ओवर में 1 चौका और 1 छक्का लगाकर मैने अपने मंसूबे विरोधी टीम के सामने रख दिए.
मे कॅंप में पहुँच चुका था और वहाँ जाकर मैने केप्टन बत्रा को रिपोर्ट किया, कॅप्टन बत्रा 6’2” लंबा मजबूत शरीर वाला एक बहुत ही कड़क मिजाज़ फ़ौजी था,
ट्रेनिंग के दौरान अपने कॅड्रर के साथ उसका कोई भी सॉफ्ट कॉर्नर नही होता था, पर्षनली वो बहुत ही अच्छा और को-ऑपरेटिव आदमी था.
चूँकि मेरा कोई डिफेन्स फील्ड वाला बॅक ग्राउंड नही था जैसा कि इस कॅंप में ट्रैनिंग ले रहे ज़्यादातर कॅड्रर्स का था, यहाँ ज़्यादातर एनएसजी के कमांडो ही ट्रैनिंग ले रहे थे,
लेकिन मेरा तो पूरा मामला ही स्पेशल था कॅप्टन बत्रा और उस कॅंप के सभी लोगों के लिए.
मेरे लेटर में ना तो कोई रंक थी, नही कोई डिफेन्सिव बॅक ग्राउंड, और नही आनेवाले समय की कोई दिशा निर्देशन की किस काम के लिए ट्रेंड किया जा रहा है.
पीएम ऑफीस से लेटर इश्यू हुआ था कि इस बंदे को कमांडो ट्रैनिंग देनी है.
कॅंप में पहले दिन मेरा रहने खाने पहनने, टाइमिंग शेड्यूल यही सब जानने, लोगों से इनटरेक्षन जिस बॅच में मुझे डाला था उनके साथ यही सब में चला गया.
दूसरे दिन से ही ट्रैनिंग शुरू हो गयी.
सुबह 4 बजे उठकर सब कुछ रेडी होकर 5 बजे तक ग्राउंड में पहुँचना, जहाँ परदे से लेकर और कई तरह की फिज़िकल एक्सर्साइज़,
8 बजे तक पूरे शरीर के कस-बल निकल दिए. फिर फ्रेश होकेर चाइ नाश्ता करके, 2 घंटे आराम, उसके बाद फिर से ग्राउंड ट्रैनिंग, शाम को निशाने बाज़ी, फिर बॉक्सिंग.
फाइट करना और शाम के डिन्नर के बाद स्क्रीन पर थियरेटिकल रूल्स रेग्युलेशन बताना, ये सब, पूरा दिन एकदम टाइट शेड्यूल था 24 घंटे का.
पहले एक महीने में ही 5केजी वेट लॉस हो गया, शरीर की एक-एक पसली चमकने लगी, तब कहीं जाके प्रॅक्टीस में आया ये सब.
जैसे-2 समय बढ़ता जा रहा था, वैसे-2 ट्रैनिंग हार्ड और हार्ड होती जा रही थी, बीच-2 में डमी मिसन देके एक्सपेडाइट करने के तरीक़े सिखाए जाते थे.
3 महीने कैसे निकल गये पता ही नही चला. संडे को सिर्फ़ सुबह का ही सेशन होता था, शाम को फ्री टाइम मिलता था जिसमें आप कहीं भी बाहर वो भी कॅंप के व्हीकल से अपने ग्रूप में ही जा सकते थे.
हमारा कॅंप बहुत बड़े एरिया में फैला था, जिसके अंदर ही सब कुछ होता था, फाइटिंग, फाइरिंग, फुटबॉल खेलना, क्रिकेट से लेकर टेनिस सब कुछ, जो समय-2 पर एक दूसरे ग्रूप के बीच होते रहते थे.
हमारे कॅंप के बराबर में ही पोलीस अकॅडमी थी, जहाँ सूपर कॉप ट्रैनिंग दी जाती थी.
ये हमें सिर्फ़ इतना पता था, लेकिन एक दूसरे से कोई लिंक नही था…ना ही किसी का इधर से उधर आना-जाना रहता था…
एक बार पॉल्टिकल लेवल पर दोनो सेंटर्स के बीच क्रिकेट मॅच का आयोजन होना तय हुआ. चूँकि उनका ग्राउंड हमारे ग्राउंड से वेल मेंटेंड था, मॅच के लिए,
सो उनके ग्राउंड में मॅच होना तय हुआ, मे भी टीम 11 में था, एक ऑल राउन्डर के तौर पर.
मॅच वाले दिन किसी भी तरफ का कोई भी ट्रैनिंग सेशन नही होना था,
प्लेयर्स के अलावा, वाकी के दोनो तरफ के लोग बैठके मॅच का आनंद उठाने वाले थे और अपने-2 प्लेयर्स को चियर-अप करते.
सुबह 7 बजे हम सब उनके ग्राउंड में पहुँच गये. दोनो तरफ की टीम का अलग-2 ड्रेस कोड था, पोलीस ट्रैनिंग कॅंप में फीमेल कॅड्रर भी थे.
मॅच शुरू हुआ.. 25-25 ओवर्स के मॅच में हमारी पहले फीलडिंग थी, उनके साइड के बॅट्समेन अच्छी बॅटिंग कर रहे थे.
मैने भी 5 ओवर बोल्लिंग की और दो विक्केट भी लिए. उन लोगों ने 25 ओवर में 165 रन बनाए, अब हमारे लिए 166 रन का टारगेट था.
दूसरी इन्निंग शुरू हुई, चूँकि हमारे प्लेयर कोई प्रोफेशनल नही थे, वैसे भी हार्ड ट्रैनिंग के बाद इस तरह के मॅच-वेच खेलने का टाइम ही कहाँ मिलता था,
दूसरी तरफ के लोग काफ़ी एंजाय करते थे इस तरह की आक्टिविटीस को.
सो जल्दी ही हमारे साइड की बॅटिंग बिखरने लगी. अभी 10 ओवर का ही मॅच हुआ था कि 40 रन पर ही 4 विक्केट टपक गये.
6त नंबर पर मेरी बॅटिंग आई, हमें अब 15 ओवर में 126 रन बनाने थे जो कि हमारे जैसी टीम के लिए बहुत दूर की कौड़ी लग रही थी.
लेकिन सामने हमारी टीम का ओपनेर जमा हुआ था, तो मेरे लिए आशा ये थी कि अगर मैं भी एक-दो ओवर में जम जाता हूँ, तो कुछ हो सकता था.
दो ओवर तक हम दोनो ही स्ट्राइक रोटेट करके जमाने के हिसाब से खेलते रहे,
धीरे-2 रनो की रेट भी मेनटेन करते जा रहे थे, लेकिन रिक्वाइयर रेट बढ़ती जा रही थी,
करीब 5 ओवर खेलने के बाद मैने लंबे शॉट खेलने का फ़ैसला लिया.
और अगले ही ओवर में 1 चौका और 1 छक्का लगाकर मैने अपने मंसूबे विरोधी टीम के सामने रख दिए.