hotaks444
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जब हमारे संगीत के टीचर ने आडिशन के लिए गाने को बोला था, तब मेरी नज़रें उसी पर टिकी हुई थीं, और स्वतः ही मेरे मुँह से यही गाना निकल पड़ा.
में गाने में इतना खो गया, उसको निहारते हुए, कि और लोगों से तो केवल मुखड़ा ही सुना, में पूरा गाना ख़तम करके ही रुका.
पप्पू मास्टर साब मुँह फाडे मेरी ओर देखते ही रह गये, जब गाना ख़तम हुआ तो सभी तालियाँ बजाने लगे, सबकी तालियाँ थोड़ी देर में बंद हो गयी बजना, लेकिन एक ताली बजती रही,
जब मेरा ध्यान गया तो रिंकी मेरे गाने में खोई हुई ताली बजाए जा रही थी और नज़रें मेरी तरफ थी, जब मैने उसकी आँखों में देखा तो सॉफ-2 उनमें तारीफ दिखाई दे रही थी.
पूरे रिहर्सल के दौरान हमारी कई बार नज़रें चार हुई, दिल से एक आवाज़ सी आई कि अरुण ये लड़की तेरे लिए स्पेशल है,
हम सभी चुने हुए लोग डेली 3 घंटे रिहर्सल करते, टीचर के एक साइड में लड़के बैठते, दूसरी साइड में लड़कियाँ.
रिंकी ने भी डुयेट के अलावा एक कोरस में भी पार्टिसिपेट किया था, अब तो ज़्यादातर हम दोनो की नज़रे टकराने लगी,
कभी-2 तो बहुत देर तक एक दूसरे में खोए रहते थे, जब दूसरों के गाने का नंबर होता.
हम अपने दिल की बातें ज़ुबान से तो नही कर पा रहे थे लेकिन आँखें बहुत कुछ कह जाती,
कॉलेज के बाद वो अपनी सहेलियों और अपनी कज़िन जो मेरी क्लास में ही थी उसी के साथ आती और जाती,
घर से कॉलेज, कॉलेज से घर, उसका घर भी कॉलेज से मात्र 500-600 मीटर दूर ही था.
आख़िर में पॅनल इनस्पेक्षन वाला दिन आ गया, सुबह से ही सब तैयारी में व्यस्त थे, प्रोग्राम शाम को शुरू होना था.
हमारे कॉलेज में स्टडी कॅंपस के साइड में मैं कॉलेज की बराबर जगह में टीचर्स कॉलोनी थी, जिसके पीछे की साइड में एक अमरूदो का बाग था,
अमरूदो के पेड़ इतने घने थे कि ज़मीन तक टिके हुए थे, सीज़न था तो अमरूदो के बजन से और ज़्यादा झुक जाते थे.
मौका देख कर मैने इशारे से उसको बाग में आने को बोला, तो वो थोड़ा सकुचाई, फिर में जब उधर जाने लगा, तो थोड़ी देर बाद वो भी हिम्मत जुटा कर मेरे पीछे-2 आ गई,
थोडा पेड़ों की आड़ में जाकर हम खड़े हो गये, एक दूसरे के सामने. ये पहला मौका था जब हम अकेले एक दूसरे के इतने नज़दीक थे.
रिंकी – यहाँ क्यों बुलाया मुझे, किसी ने देख लिया तो क्या सोचेंगे लोग मेरे बारे में. उसकी आवाज़ काँप रही थी.
कंपकंपी तो मुझे भी छूट रही थी, लेकिन थोड़ा सम्भल कर उसके हाथों को अपने हाथ में लेकर में बोला,
देखो रिंकी ऐसा वैसा कुछ नही है, में बस ये कहने के लिए बुलाया था, कि हमें अपने गाने को पूरे एफर्ट से गाना है, जिससे हमारी पर्फॉर्मेन्स बेस्ट रहे.
हम जानते हैं, कि हम दोनो ही अच्छा गाते हैं, लेकिन अब हमें स्टेज पर पर्फॉर्म करना है, जो कि पहली बार में हर किसी के लिए आसान नही है, हज़ारों की भीड़ हमें देख और सुन रही होगी,
सो प्लीज़ घबराना बिल्कुल नही, अगर तुम्हें घबराहट हो तो लोगों की तरफ बिल्कुल मत देखना, तुम सिर्फ़ मेरी तरफ ही ध्यान रखना, और सब कुछ अच्छा होगा.
बस इतना कह कर हम वहाँ से मैं कॅंपस में आ गये, और तैयारियों में हाथ बाँटने लगे…….
प्रोग्राम शुरू हुआ, सबसे पहले हमारे एक ड्रामे का प्ले था, इसमें मेरा छोटा सा रोल था, उसके बाद रिंकी का कोरस, जिसमे 8-10 लड़के और लड़किया ने मिलके गाया,
बीच में मेरी कब्बाली का प्रोग्राम हुआ, जिसमें में लीड गायक था, भीड़ जबर्जस्त थी,
उस समय पर रूरल एरीयाज़ में टीवी वग़ैरह तो थे नही, दूर-दूर तक हमारा इंटर कॉलेज फेम्स था, तो लोग ज़्यादा से ज़्यादा संख्या में आए थे प्रोग्राम देखने.
लास्ट में मेरा और रिंकी का डुयेट हुआ, जिसमें शुरू-शुरू में वो थोड़ा झेपी, पर मैने इशारे से उसे अपने उपर फोकस रखने को कहा, तो वो मेरी आँखों में देखते हुए अपनी लाइन्स पर फोकस करने लगी,
म्युज़ीशियन म्यूज़िक बजा रहे थे, हम गाने के साथ साथ पर्फॉर्म भी कर रहे थे, जैसे बॉबी फिल्म में ऋषि केपर और डिंपल ने किया था,
प्ले इतना शानदार रहा, में और पिंकी अपने करेक्टर्स में खो से गये,
प्ले ख़तम होते ही, मंत्री महोदय तक खड़े हो कर ताली बजाने लगे, हम दोनो अभी भी एक दूसरे की बाहों में, एक दूसरे की आँखों में आँखें डाले खोए हुए थे.
जब तालियों की गड़गड़ाहट बंद हुई तब हमारी तंद्रा टूटी. सबने हम दोनो को अप्रीशियेट किया, मंत्री जी ने खुद अपने हाथों से हमें फर्स्ट प्राइज़ दिया.
उसके बाद तो सभी लोगों को आभास हो गया था हमारी प्रेम कहानी का, लड़के लड़कियाँ रिंकी को मेरा नाम लेके कॉमेंट पास करते, और मुझे उसका.
जब भी हमें मौका मिलता हम पीरियड बंक करके बाग में सबसे अंत में पेड़ों की आड़ में बैठ जाते, एक दूसरे को निहारते रहते, बातें करते रहते.
कभी वो मेरी गोद में सर रख कर लेट जाती, कभी में उसकी गोद में.
हमारा प्यार और गहराइयों में पहुँचता गया, लेकिन इस प्यार में वासना का लेश मात्र भी अंश कभी नही आया.
समय गुज़रता गया, 10थ बोर्ड एग्ज़ॅम हुए, जैसे तैसे में पास हो गया,
11थ में मैथ और बाइयालजी मे से कोई एक चूज़ करना था, मेरा इंटेरेस्ट बाइयालजी में था, लेकिन पिता जी की ज़िद मैथ, क्या करते, लेना पड़ा.
कहते हैं ना, कि समय किसी का इंतजार नही करता, लोग समय का इंतजार करते हैं, हम दोनो का प्यार भी समय के साथ-2 बढ़ता गया.
पता नही चला दो साल और कैसे निकल गये, 12थ बोर्ड के एग्ज़ॅम थे, दो महीने बाद, उससे पहले लोकल ख़तम होने थे, सो उस दौरान हमरी प्रेपरेशन लीव एक महीने की थी,
रिंकी लोकल 11थ में थी उसके एग्ज़ॅम अपने ही कॉलेज में थे, हमारे बोर्ड के एग्ज़ॅम, दूसरे सेंटर यानी, तहसील वाले टाउन में देने थे जो कि दूर था.
में गाने में इतना खो गया, उसको निहारते हुए, कि और लोगों से तो केवल मुखड़ा ही सुना, में पूरा गाना ख़तम करके ही रुका.
पप्पू मास्टर साब मुँह फाडे मेरी ओर देखते ही रह गये, जब गाना ख़तम हुआ तो सभी तालियाँ बजाने लगे, सबकी तालियाँ थोड़ी देर में बंद हो गयी बजना, लेकिन एक ताली बजती रही,
जब मेरा ध्यान गया तो रिंकी मेरे गाने में खोई हुई ताली बजाए जा रही थी और नज़रें मेरी तरफ थी, जब मैने उसकी आँखों में देखा तो सॉफ-2 उनमें तारीफ दिखाई दे रही थी.
पूरे रिहर्सल के दौरान हमारी कई बार नज़रें चार हुई, दिल से एक आवाज़ सी आई कि अरुण ये लड़की तेरे लिए स्पेशल है,
हम सभी चुने हुए लोग डेली 3 घंटे रिहर्सल करते, टीचर के एक साइड में लड़के बैठते, दूसरी साइड में लड़कियाँ.
रिंकी ने भी डुयेट के अलावा एक कोरस में भी पार्टिसिपेट किया था, अब तो ज़्यादातर हम दोनो की नज़रे टकराने लगी,
कभी-2 तो बहुत देर तक एक दूसरे में खोए रहते थे, जब दूसरों के गाने का नंबर होता.
हम अपने दिल की बातें ज़ुबान से तो नही कर पा रहे थे लेकिन आँखें बहुत कुछ कह जाती,
कॉलेज के बाद वो अपनी सहेलियों और अपनी कज़िन जो मेरी क्लास में ही थी उसी के साथ आती और जाती,
घर से कॉलेज, कॉलेज से घर, उसका घर भी कॉलेज से मात्र 500-600 मीटर दूर ही था.
आख़िर में पॅनल इनस्पेक्षन वाला दिन आ गया, सुबह से ही सब तैयारी में व्यस्त थे, प्रोग्राम शाम को शुरू होना था.
हमारे कॉलेज में स्टडी कॅंपस के साइड में मैं कॉलेज की बराबर जगह में टीचर्स कॉलोनी थी, जिसके पीछे की साइड में एक अमरूदो का बाग था,
अमरूदो के पेड़ इतने घने थे कि ज़मीन तक टिके हुए थे, सीज़न था तो अमरूदो के बजन से और ज़्यादा झुक जाते थे.
मौका देख कर मैने इशारे से उसको बाग में आने को बोला, तो वो थोड़ा सकुचाई, फिर में जब उधर जाने लगा, तो थोड़ी देर बाद वो भी हिम्मत जुटा कर मेरे पीछे-2 आ गई,
थोडा पेड़ों की आड़ में जाकर हम खड़े हो गये, एक दूसरे के सामने. ये पहला मौका था जब हम अकेले एक दूसरे के इतने नज़दीक थे.
रिंकी – यहाँ क्यों बुलाया मुझे, किसी ने देख लिया तो क्या सोचेंगे लोग मेरे बारे में. उसकी आवाज़ काँप रही थी.
कंपकंपी तो मुझे भी छूट रही थी, लेकिन थोड़ा सम्भल कर उसके हाथों को अपने हाथ में लेकर में बोला,
देखो रिंकी ऐसा वैसा कुछ नही है, में बस ये कहने के लिए बुलाया था, कि हमें अपने गाने को पूरे एफर्ट से गाना है, जिससे हमारी पर्फॉर्मेन्स बेस्ट रहे.
हम जानते हैं, कि हम दोनो ही अच्छा गाते हैं, लेकिन अब हमें स्टेज पर पर्फॉर्म करना है, जो कि पहली बार में हर किसी के लिए आसान नही है, हज़ारों की भीड़ हमें देख और सुन रही होगी,
सो प्लीज़ घबराना बिल्कुल नही, अगर तुम्हें घबराहट हो तो लोगों की तरफ बिल्कुल मत देखना, तुम सिर्फ़ मेरी तरफ ही ध्यान रखना, और सब कुछ अच्छा होगा.
बस इतना कह कर हम वहाँ से मैं कॅंपस में आ गये, और तैयारियों में हाथ बाँटने लगे…….
प्रोग्राम शुरू हुआ, सबसे पहले हमारे एक ड्रामे का प्ले था, इसमें मेरा छोटा सा रोल था, उसके बाद रिंकी का कोरस, जिसमे 8-10 लड़के और लड़किया ने मिलके गाया,
बीच में मेरी कब्बाली का प्रोग्राम हुआ, जिसमें में लीड गायक था, भीड़ जबर्जस्त थी,
उस समय पर रूरल एरीयाज़ में टीवी वग़ैरह तो थे नही, दूर-दूर तक हमारा इंटर कॉलेज फेम्स था, तो लोग ज़्यादा से ज़्यादा संख्या में आए थे प्रोग्राम देखने.
लास्ट में मेरा और रिंकी का डुयेट हुआ, जिसमें शुरू-शुरू में वो थोड़ा झेपी, पर मैने इशारे से उसे अपने उपर फोकस रखने को कहा, तो वो मेरी आँखों में देखते हुए अपनी लाइन्स पर फोकस करने लगी,
म्युज़ीशियन म्यूज़िक बजा रहे थे, हम गाने के साथ साथ पर्फॉर्म भी कर रहे थे, जैसे बॉबी फिल्म में ऋषि केपर और डिंपल ने किया था,
प्ले इतना शानदार रहा, में और पिंकी अपने करेक्टर्स में खो से गये,
प्ले ख़तम होते ही, मंत्री महोदय तक खड़े हो कर ताली बजाने लगे, हम दोनो अभी भी एक दूसरे की बाहों में, एक दूसरे की आँखों में आँखें डाले खोए हुए थे.
जब तालियों की गड़गड़ाहट बंद हुई तब हमारी तंद्रा टूटी. सबने हम दोनो को अप्रीशियेट किया, मंत्री जी ने खुद अपने हाथों से हमें फर्स्ट प्राइज़ दिया.
उसके बाद तो सभी लोगों को आभास हो गया था हमारी प्रेम कहानी का, लड़के लड़कियाँ रिंकी को मेरा नाम लेके कॉमेंट पास करते, और मुझे उसका.
जब भी हमें मौका मिलता हम पीरियड बंक करके बाग में सबसे अंत में पेड़ों की आड़ में बैठ जाते, एक दूसरे को निहारते रहते, बातें करते रहते.
कभी वो मेरी गोद में सर रख कर लेट जाती, कभी में उसकी गोद में.
हमारा प्यार और गहराइयों में पहुँचता गया, लेकिन इस प्यार में वासना का लेश मात्र भी अंश कभी नही आया.
समय गुज़रता गया, 10थ बोर्ड एग्ज़ॅम हुए, जैसे तैसे में पास हो गया,
11थ में मैथ और बाइयालजी मे से कोई एक चूज़ करना था, मेरा इंटेरेस्ट बाइयालजी में था, लेकिन पिता जी की ज़िद मैथ, क्या करते, लेना पड़ा.
कहते हैं ना, कि समय किसी का इंतजार नही करता, लोग समय का इंतजार करते हैं, हम दोनो का प्यार भी समय के साथ-2 बढ़ता गया.
पता नही चला दो साल और कैसे निकल गये, 12थ बोर्ड के एग्ज़ॅम थे, दो महीने बाद, उससे पहले लोकल ख़तम होने थे, सो उस दौरान हमरी प्रेपरेशन लीव एक महीने की थी,
रिंकी लोकल 11थ में थी उसके एग्ज़ॅम अपने ही कॉलेज में थे, हमारे बोर्ड के एग्ज़ॅम, दूसरे सेंटर यानी, तहसील वाले टाउन में देने थे जो कि दूर था.