Antarvasna kahani माया की कामुकता - Page 10 - SexBaba
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Antarvasna kahani माया की कामुकता

"अहहहाहा बेटे जी अहाहाहा..मम्मा पे रहम खाओ ना प्लीज़ अहहहाहा..यॅ अहहहाहा..यआःहाः फक हार्डर ना माइ लव अहहहाहा"


" हां मम्मा आहहहाहा..रहम ख़ाके ही तेरी चूत चोद रहा हूँ ना अहाहाहाहा...मेरे लंड पे भी रहम खाया है तूने अहहहहः...और चुदवाना मेरी रंडी माँ आहाहाहा...यॅ अहहहः"


भारत और शालिनी की इन बातों से सीमी की गर्मी चूत के रास्ते निकल रही थी...इनकी चुदाई देख सीमी 2 बार झाड़ चुकी थी और शालिनी के कमरे के दरवाज़े पे ही निढाल पड़ी थी और अंदर देखे जा रही थी.. कम से कम 15 मिनट हो चुके थे लेकिन भारत झड़ने का नाम ही नही ले रहा था.. अलग अलग पोज़िशन्स में शालिनी चुदे जा रही थी.. अबकी बार जब सीमी में फिर ताक़त आई, उसने कीहोल से दुबारा देखा.. इस बार शालिनी भारत के उपर थी..शालिनी अपनी चूत चटवा रही थी और भारत के लंड को मूह में लेके चुप्पे मार रही थी


"अहहहः क्या लॉलीपोप है मेरे बेटे का आहाहः...कितना मीठा है चॉकलॅटी अहहहः "कहके शालिनी ने भारत के टट्टों पे एक हल्का तमाचा मारा


"अहाहाः मम्मी अहहाहा..आपकी चूत भी कितनी मीठी है...ऐसा लग रहा है जैसे मिठाई का रस यहीं है पूरा अहहाहा उम्म्म स्लूरप्प्प्प स्लूरप्प्प्पाहाहाः"


सीमी से अब रहा नहीं गया...वहाँ से उठ के सीमी अपने रूम की तरफ भागी..रूम में जाते ही सीमी बाथरूम में घुस गयी...उसने देख लिया कि राकेश गहरी नींद में था..बाथरूम में जाते ही सीमी ने अपने सब कपड़े उतार दिए और शीशे के सामने खड़ी हुई..शीशे के सामने उसका तराशा हुआ शफ़फ़ बदन...इस उमर में भी सीमी का एक एक अंग बला की खूबसूरती ढा रहा था..


"उम्म्म अहहाहाहा...." सीमी ने अपनी चूत पे हाथ रख दिया जिससे उसकी सिसक सी निकली


"अहहाहाहा....यॅ अहहहाहा...प्लीज़ फक मी भारत अहाहाहः...हाना ना अहहहाःह्ह्ह्ह...चोदो ना मुझे बहूरानी के साथ अहाहाहाहा...कितना बड़ा लंड है तुम्हारा बेटे अहहाहाः...यॅ अहहाहाः फक मी माइ मॅन अहाहाहः...यॅ हार्डर ना अहाहाहः..."सीमी अपनी चूत रगड़ने लगी भारत का नाम लेके... " अहहहहाहा यॅ अहाहाहः प्लीज़ फक युवर मोम अहाहाः..अपनी रांड़ माँ को चोद ना बेटे अहाहाहाहा...मेरी बहूरानी अहहाहा..आइ लव यू शालिनी आहाहहः...यस अहाहाहाहा अहहाहाः मैं गयी अहहाहाः म कमिंग अहहहा बेटे अहहाहाहः" इस हल्की चीख से सीमी ने अपना पानी एक घंटे में तीसरी बार छोड़ दिया..बाथरूम से फ्रेश होके सीमी वापस बाहर आई और अपनी जगह पे बैठ के सोचने लगी...


"थॅंक यू शालिनी....तुम मेरा ख़याल रखोगी " कहके सीमी की हल्की हँसी निकली और वो सो गयी...

"तुम किसी प्लान की डिस्कशन के लिए नही आए थे..तुम तो तुम्हारी मोम के पीछे यहाँ आए थे..."बेड पे लेटी नंगी शालिनी ने भारत से कहा


"तुमने ही ऐसा बनाया है मुझे...तुमने ही मुझे इन्सेस्ट के लिए पागल किया है..बीवी होके भी ऐसा किया तुमने..."भारत ने शालिनी को जवाब दिया और शालिनी के चुचों पे हाथ रख दिया जिससे शालिनी की सिसक निकली और दोनो एक दूसरे के होंठों को बेतहाशा चूमने लगे...


अगली सुबह सीमी ने सबके सामने ऐलान किया कि शालिनी उसको बहू के रूप में स्वीकार है..इसे सुन के भारत को काफ़ी खुशी हुई लेकिन साथ ही साथ उसे यह भी शक हुआ कि इतना बड़ा परिवर्तन कैसे...शालिनी यह खबर सुनके खुश हुई क्यूँ कि गुज़री रात जब सीमी ने उसके साथ जिस्मानी रिश्ता बनाने की कोशिश की, वो समझ गयी थी कि सीमी उसे रिजेक्ट नहीं करेगी. सब बातें हुई राकेश और सीमी के बीच, कि वो कब शालिनी के माता पिता से बात करेंगे और दूसरी अन्य चीज़ें... रास्ते में ऑफीस जाते वक़्त भारत और शालिनी काफ़ी खुश थे, लेकिन शालिनी ने यह भाँप लिया कि कुछ तो है जिसकी वजह से भारत कुछ सोच में डूबा हुआ है


"अब प्लीज़ बता भी दे..क्या सोच रहा है" शालिनी ने भारत से कहा


"कुछ नही यार..बस एक चीज़ है, कल तक मोम श्योर नहीं थी तुझे आक्सेप्ट करने के लिए, आज यह चेंज..मुझे समझ नही आ रहा कुछ" भारत ने अपनी चिंता का कारण व्यक्त किया


शालिनी ने इसका कुछ जवाब नहीं दिया... अक्सर पैसे वाली खूबसूरत लड़कियाँ, दिमाग़ से थोड़ा कम सोचती हैं, लेकिन यह भारत की दोस्ती का असर ही था कि शालिनी हर बात में अपना दिमाग़ पहले लाती थी..वो जानती थी सीमी के इस परिवर्तन का कारण, पर वो भारत के साथ शेअर नहीं कर रही थी..वो पहले खुद श्योर होना चाहती थी..आगे का रास्ता भारत और शालिनी ने खामोशी से निकाला..शालिनी को ड्रॉप करके भारत अपनी ऑफीस की तरफ बढ़ा..ऑफीस पहुँचते ही भारत ने अपनी कॅबिन में देखा तो उसका लॅपटॉप और दूसरी ज़रूरी चीज़ें वहाँ पहले से मौजूद थी.. ऑफीस जाते ही भारत ने अपने अनॅलिसिस को एक प्रेज़ेंटेशन में उतारा और उसे आदित्य को मैल कर दिया. आदित्य को मैल करते ही भारत ने सब आरएम'स की मीटिंग बुलाई.. हर आरएम का अप्रोच सुनके भारत ने उन्हे हर एक छोटी सी छोटी चीज़ पे गाइड किया..भारत ने हर एक को एक गोलडेन रूल एक्सप्लेन किया


"आप जितना क्लाइंट का ख़याल रखेंगे..क्लाइंट उतना ही आपका ख़याल भी रखेगा.. हर बार ज़रूरी नहीं कि क्लाइंट का इनवेस्ट किया हुआ पैसा बढ़ता रहे..लेकिन यह चीज़ ज़रूरी है कि हम उन्हे इसका ख़याल भी ना आने दें.." 


भारत की यह बात सुनके सब आरएम'स काफ़ी इंप्रेस हुए उससे.. सब ने अपनी छोटी से छोटी क्विरीस भारत के सामने रखी.इसी बीच भारत को आदित्य का फोन आया


"हाई आदि..आफ्टरनून" भारत ने फोन रिसीव करके कहा


"तुम सोए हो कि नहीं कल रात को..इतने डीप अनॅलिसिस मैने आज तक नहीं देखे..आइ आम इंप्रेस्ड..पर यह अनॅलिसिस बिज़्नेस नहीं लाने वाले.तुमने बिज़्नेस बढ़ाने के लिए कुछ सोचा है"आदित्य ने भारत से कहा


"यस आदि.. हम मिलके डिसकस कर सकते हैं इस बारे में.. आपके पास टाइम है थोड़ा" 


"मेरी ऑफीस आ जाओ..मेरे पास एक घंटा है..." कहके आदित्य ने फोन कट किया और भारत वहाँ से जल्द ही आदित्य से मिलने के लिए निकला.. एक घंटे की ड्राइव भारत ने 35 मिनट में ख़तम कर दी..


"वेलकम माइ बॉय..तुमने 35 मिनट गवाँ दिए हैं..25 मिनट में प्लीज़ इंप्रेस मी.."आदित्य ने सामने खड़े भारत से कहा.. भारत ने सीधा अपनी पायंट्स आदित्य के सामने रखी.. आदित्य ने भारत की एक एक चीज़ ध्यान से सुनी और उसके साथ डीटेल्ड डिसकस करने लगा.. आदित्य ने भारत के लिए 25 मिनट रखे थे, पर उनका डिस्कशन करीब 1 घंटा चला...


"ओके भारत.. चलो बाकी चीज़ें लंच पे डिसकस करते हैं.. मैं कस्टमर सर्विस मॅनेजर और हमारे आरपीसी मॅनेजर को भी बुला लेता हूँ" आदित्य ने भारत से कहा और दोनो वहाँ से लोकल केफे में गये... लेओपॉल्ड केफे, साउत मुंबई का सबसे पॉपुलर केफे, आज कुछ ज़्यादा भीड़ नहीं थी.. आदित्य और भारत आसानी से वहाँ बैठ गये और बातें करने लगे.. कुछ देर हुई ही थी कि उनके सामने कस्टमर सर्विस मॅनेजर और आरपीसी मॅनेजर आ गये... आदित्य और भारत ने उन्हे अपनी बातें बताई... कस्टमर सर्विस मॅनेजर काफ़ी खुश था इस चीज़ से..


"इससे बिज़्नेस ही नहीं, हमे रेटिंग भी अच्छी मिलेगी.. पीपल'स चाय्स बॅंक बनना है हमें... आप चिंता ना करें, वी आर इन.. सब बंदोबस्त हो जाएगा.. बस डीटेल्स मैल कर देना आदित्य.." कस्टमर सर्विस का मॅनेजर कहके वहाँ से निकल गया


"आप तो आरपीसी मॅनेज करते हैं सर.. तो आप यह बताइए कि अगर कोई कस्टमर डेबिट कार्ड के लिए अप्लाइ करता है तो कितने दिन में उसे डेबिट कार्ड मिलता है" भारत ने सामने बैठे शक़्स से कहा


"भारत..अमूमन 5 दिन मॅक्स..लेकिन हाइ प्राइयारिटी हो, तो 2 दिन में भी पहुँच जाता है.. हमारे सिस्टम में प्राइयारिटी डिसाइडेड है कस्टमर्स की.. हाइ वॅल्यू कस्टमर, सॅलयरीड और दूसरे क्लॅसिफिकेशन के हिसाब से..."भारत को जवाब मिला. लेओपॉल्ड में बैठे बैठे ही भारत ने आरपीसी मॅनेजर से उनके प्रोसेस की जानकारी ली.. लंच करते करते आदित्य , भारत और आरपीसी मॅनेजर के बीच काफ़ी चर्चा हुई. भारत ने इस मौके पे एक चौका मारने का सोचा


"ओह बाइ दा वे.. आपकी कंपनी में अभी मेरी सिस ने भी जाय्न किया है.. प्रीति आहूजा.. " भारत ने कॅष्यूयली कहा.. जैसे ही आरपीसी मॅनेजर को यह पता चला कि प्रीति भारत की बहेन है, उसे दिमाग़ में आया कि प्रीति को अच्छी तरह यूज़ किया जा सकता है बॅंक से बिज़्नेस लाने में.. भारत क्लस्टर मॅनेजर तो था ही, साथ ही आदित्य के साथ लंच करना मतलब, उसके हाथ में काफ़ी कुछ आ सकता है आगे जाके...


"डॉन'ट वरी... आपकी बॅंक का हम अच्छे से ध्यान रखेंगे.. और रही बात यह मीटिंग की, आप फिकर ना करें, हम आपके हाइ प्रोफाइल कस्टमर्स को प्राइयारिटी पहले देते हैं.. प्रीति लीड कर रही है इस चीज़ को भारत.. डॉन'ट वरी" जैसे ही आरपीसी मॅनेजर ने यह झूठ कहा, भारत को यकीन हुआ कि बहुत ही जल्द प्रीति भी उसके काम में लग जाएगी. मीटिंग में भारत को काफ़ी चीज़ें पता चली, और हाथो हाथ उसने प्रीति को भी इनफॉर्म कर लिया आगे के बारे में.. ऑफीस जाके भारत ने दिन भर का काम निपटाया और सेल्स के फिगर बढ़ाने के लिए कुछ स्ट्रॅटजीस बनाई और टीम के साथ डिसकस की... मेहुल को फसाना तो था ही..लेकिन साथ ही उसे यह किस्सा हमेशा के लिए निपटाने के बाद बॅंकिंग इंडस्ट्री का बड़ा नाम भी बनना था... यहाँ स्ट्रॅटजी सिंपल थी..धंधा बढ़ाओ, और उपर आओ...
 
उधर मेहुल मस्ती में टाइम निकाल रहा था...उसे लग रहा था कि भारत उसके काम में लगा हुआ है और आगे देश छोड़ने की प्लॅनिंग में लगा हुआ था... उसने भी अपनी तरफ से प्लॅनिंग की थी कि कैसे वो भारत से पैसा लेगा और सारा इल्ज़ाम उसपे लगा के उसे फसा देगा... लेकिन शायद मेहुल यह चीज़ भूल गया था कि उसके चाल चलने से पहले भारत अपनी चाल चल चुका था.... 


"काफ़ी दिन हो गये, लेकिन भारत ने कोई फोन नही किया.." मेहुल ने अपने पास बैठी निधि से कहा.. कहने को तो हर सुबह दोनो अपने अपने घर यह बोलके निकलते कि ऑफीस जा रहे हैं, पर हमेशा कहीं ना कहीं अपनी अयाशी के लिए मिलते.. आज के लिए, मेहुल के दोस्त का फार्महाउस चुना था इन्होने अपनी ऐयाशी के लिए जहाँ दोनो बैठ के आराम से दारू पी रहे थे


"तो क्या अंकल..करने दीजिए ना उसे अपना काम..अच्छी तरह करेगा तभी तो हमे पैसा मिलेगा...लेकिन मानना पड़ेगा एक बात को...उसने प्लान बहुत अच्छा बनाया है... ऐसा टेक्निकल क्राइम करने में जो दिमाग़ चाहिए, वो बस उसके पास ही है..बेखौफ़ होके वो बॅंक में काम करके उन्हे ही चूना लगाने की हिम्मत कर रहा है"


"वो तो ठीक है भतीज..और आज तू क्यूँ उसकी इतनी तारीफ़ कर रही है...अचानक इतना प्यार क्यूँ"


"प्यार तो मैं पहले भी करती थी अंकल उससे...लेकिन मैं निधि शाह... शाह होने की वजह से आपने और पापा ने मुझे उससे दूर कर दिया... वो एक सिंधी है, और मैं एक जैन.. जातिवाद के नाम पे आप लोगों ने हमें दूर कर दिया... यह तो भला हो मेरे बुड्ढे पति का, उसने मुझे थाम लिया वरना मैं बहेक के कहीं समाज के बाहर जाके शादी कर लेती, तो कितनी बदनामी होती, और घुटन होती थी मुझे उसके साथ... और आज बस प्यार आया तो आया.. ज़रा मैं भी देख लूँ कि उसने आपके साथ बात क्यूँ नही की" कहके निधि ने भारत को अपने नंबर से फोन घुमाया.. भारत शालिनी को पिक करने जा ही रहा था कि उसने जैसे ही अपने मोबाइल में निधि का नाम देखा, वो वहीं रुक गया...दो बार कॉल मिस करके, उसने तीसरा कॉल आन्सर किया


"हेलो..." सुखी हुई हलक से उसने इतना ही कहा


"मिस्सिंग यू लॉट भारत...कैसे हो" निधि मेहुल की गोद में बैठ के बोली


"ठीक हूँ...निधि, मिस्सिंग यू आ लॉट..."


"झूठे..इतना मिस कर रहे हो तो ले जाओ ना मुझे मेरे अंकल और पापा की क़ैद से...मुझे कहीं दूर ले चलो ना प्लीज़" निधि ने मेहुल की शर्ट में हाथ डालते हुए कहा


"उसी काम में लगा हुआ हूँ...बस थोड़ा वक़्त..फिर तुम्हारे अंकल तरस जाएँगे तुम्हे देखने के लिए..तुम्हे इतना दूर ले जाउन्गा उनसे...मिलते हैं ना प्लीज़" भारत ने जान बुझ के यह कहा , अगर वो यह नही कहता तो निधि को शक़ हो जाता के भारत का प्यार कम हो रहा है उसके लिए


"उह..बाइ भारत, लगता है अंकल आ रहे हैं.."कहके निधि ने फोन कट किया...


"ड्रामेबाज़ बेन्चोद...देख मैं क्या हश्र करता हूँ तेरा..और तेरे अंकल की माँ बहन एक ना कर दूं, तो मेरा नाम भी भारत नहीं...


भारत ने शालिनी को पिक किया और उसे निधि के कॉल के बारे में बताया...शालिनी ने बिना कुछ रिएक्ट किए उसके साथ बातें की और मस्ती में रही


"बीवी..निधि की बात पे क्यू रिएक्ट नही.."


"इसमे क्या रियेक्शन..मैं जानती हूँ क्यूँ ऐसा किया, तुझ पे विश्वास है पूरा...अगर ऐसा कुछ होता तो तू मुझे बताता ही नहीं.." कहके शालिनी और भारत अपनी बातों में लग गये..


सीमी, अपनी बहेन नताशा के पास गयी हुई थी... 


"दीदी..आप यह क्या बोल रहे हो.." सीमी ने नताशा को सब बता दिया


"हां नताशा..ऐसा ही है...जबसे भारत का लंड देखा है तबसे रहा ही नहीं जा रहा अब..बस किसी तरह यह शालिनी अपने काम में कामयाब हो, फ़ायदा मुझे ही है उसका


"हां दीदी..वो तो है..भारत का लंड भी बहुत दमदार है"


"क्या...तुझे कैसे पता.."सीमी ने शॉक होके उसको देखा

"क्या कहा तुमने नताशा.." सीमी ने आश्चर्य में उसकी बहेन की तरफ देख के कहा




"उः..म्माआ...मतलब के. ब्ब.बब्ब ..भारत दिखने में काफ़ी हट्टा कट्टा है, जवान है, तो मज़बूत ही लंड होगा ना उसका भी" नताशा हकला के जवाब दे रही थी




"नही नही...मैं इतनी भी बेवकूफ़ नहीं हूँ डार्लिंग...सीधा बता, तेरी बड़ी बहेन बाद में, तेरी फरन्ड और बेड पार्ट्नर पहले हूँ समझी" सीमी ने नताशा को घेर लिया था... नताशा और सीमी बहने थी, पर जब से दोनो जवान हुई थी, सब चीज़ें एक साथ करती थी... एक साथ बेड शेअर् करते करते दोनो कब लिसेबियन में बदली उन्हे पता नही चला..लेकिन इसका उन्हे कोई पछतावा नही था, कहा जाए तो दोनो बाइसेक्षुयल थी...नताशा का पति बिज़्नेस के सिलसिले में काफ़ी बाहर रहता, और राकेश भी काफ़ी मसरूफ़ था...इसलिए दोनो के बीच के जिस्मानी रिश्ते ने एक ज़ोर पकड़ लिया..
 
"दीदी...दरअसल वो बात ऐसी हुई कि" और नताशा ने उसे सब बातें बता दी जो होटेल में कुछ दिन पहले हुई थी... यह सब सुनके सीमी के पैरों के नीचे से जैसे ज़मीन खिसक गयी हो..




"आइ न्यू इट...वो बिच, शालिनी..."




"बिच कैसे दीदी..आप का काम तो वोही करेगी...विश्वास कीजिए जैसे मुझे और प्रीति को उसने राज़ी किया भारत से चुदने के लिए, दट वाज़ आउट ऑफ दा वर्ल्ड..." कहके नताशा सीमी के पास जाके खड़ी हो गयी... दोनो बहने जब एक साथ खड़ी होती, तो किसी भी मर्द के लंड में जान आ जाए. सीमी और नताशा के इतने वज़नदार चुचे देख किसी से भी रुका ना जाए.. और अभी भी ऐसा ही हुआ.. जैसे ही नताशा, सीमी के पास जाके खड़ी हुई, सीमी के मूह में पानी आने लगा, उसका गला सुख गया.. पहले ही उसके दिमाग़ में भारत के लंड को लेकर तूफान चल रहा था,उपर से नताशा की बातें सुनके उसकी चूत की खुजली बढ़ती गयी... सीमी ने उस वक़्त एक ब्लॅक सिंगल टॉप पहना हुआ था जो उसके चुचों को हल्का सा ढके हुए था.. सीमी ने धीरे धीरे अपने टॉप को उपर उठाया और उतार के फेंक दिया... सीमी अब केवल ब्लॅक ब्रा पेंटी में थी जिसमे से उसके 5 किलो के चुचे दिख रहे थे.. यह देख नताशा से भी रुका नहीं गया और उसने भी अपनी जीन्स और टॉप उतार फेंका.. नताशा उस वक़्त स्पोर्ट्स ब्रा और पैंटी में थी वाइट कलर की.. दोनो बहने आमने सामने थी.. जैसे ही नताशा ने अपना टॉप उतारा , वो तुरंत जाके सीमी के पीछे खड़ी हुई और उसकी चूत पे हाथ रख दिया , जिसे महसूस करके सीमी की हल्की सी सिसक निकली. " अहहहहहहहहा"




दोनो को ऐसी पोज़िशन में कोई भी देखता तो वहीं खड़े खड़े अपना पानी छोड़ देता... नताशा ने अपना एक हाथ पीछे से सीमी के चुतडो पे रखा और एक हाथ आगे चूत पे....




"आहाहः मेरी बहना अहहहाहा...उम्म्म्मम" सीमी बस यही कह पा रही थी




"उम्म्म दीदी आहहाहा... आपके चुचे देख के मेरी चूत की खुजली बढ़ती जाती है आहाहहाहा.." नताशा ने जवाब दिया और अपनी चूत सीमी के चुतडो पे रगड़ने लगी... इतना काफ़ी था सीमी की आग को भड़काने के लिए..




"अहहहहहा तो आजा ना अहहहाहा." कहके सीमी ने पलट के अपने होंठ नताशा के होंठों पे रखे और दोनो बहने एक दूसरे के होंठों को चूसने लगी...




"उम्म्म अहहहाः दीदी अहहः.. आओ ना अंदर उम्म्म अहहहा..." कहके नताशा सीमी को अपने बेडरूम में ले गयी.. बेडरूम में जाते ही दोनो बहनो ने एक दूसरे की ब्रा उतार दी.. सीमी ने नताशा की पैंटी भी उतार फेंकी...




"अहाहहा दी... रूको ना यह देखो...." कहके नताशा बेड के पास पड़े ड्रॉयर में झुकी और एक प्लास्टिक का लंड निकाला...




"यह देखो दीदी अहहहहहा....आपके लिए है यह लंड उम्म्म अहहाआहा" कहके नताशा ने सीमी के मूह में वो प्लास्टिक का लंड घुसा दिया और सीमी भी उस लंड को ऐसे चूसने लगी जैसे की वो सही में किसी का लंड हो...



"उम्म्म अहहहहा गुणन्ं गुणन्ं.. अहहहहहाहाहा.. दे ना अहहहहहा" कहके सीमी लंड को अंदर बाहर करने लगी..




"और लो ना अहाहहा मेरी दिदिद अहहहहहः. यह भारत का लंड है अहहहहहहहा..मुझे भी दीजिए ना अहहहहाहा" कहके नताशा उस प्लास्टिक के लंड को साइड से चाटने लगी और सीमी अंदर बाहर करके उस लंड को चूसने लगी...




"अहहहाहा नताशा अहहहहहा.. मेरी चूत चोद ना अहहहहहा.. तेरे जीजा का लंड 3 दिन से नहीं गया अहहहा. मेरे बेटे का लंड दिला दे अहहहाहा" कहके सीमी बेड के बीच आ गयी और पेर खोलके बैठ गयी.. नताशा ने भी उस प्लास्टिक के लंड को सीमी की चूत में घुसाया और अंदर बाहर करने लगी




"अहहहाहा दीदी अहहहहहा.. यह लीजिए ना आपके बेटे का लंड अहहहाआ....उम्म्म्म आहाहहहहा"




"अहहहा और चोद ना मुझे बेटे अहहहः... अहहहहहा नताशा यस अहाहहा फक मी अहहहा... उम्म अहहहहहहहा.. हार्डर अहहहहहहा" सीमी की चीखें पूरे रूम में गूंजने लगी.. नताशा भी तेज़ी से उस प्लास्टिक के लंड को अंदर बाहर किए जा रही थी और बीच बीच में अपनी जीभ भी सीमी की चूत पे रख के चूस लेती.. 
 
"आआहहहः नताशा मैं गयी अहहहहहहः..आइ एम कमिंग अहहहहहाहा" कहके सीमी की चूत पानी छोड़ने लगी और नताशा ने उसे चूस चूस के पूरा अपने अंदर गटक दिया




"अहहहः दीदी... अब मेरी चूत का भी ख़याल कीजिए ना."




"अहहाहा मेरी बहेन उम्म अहाहहा.. तेरी चूत का नहीं, गान्ड का ख़याल रखूँगी मैं अहहहा" कहके सीमी उठी और नताशा की गान्ड में प्लास्टिक का लंड घुसाने लगी




"नहीं दिदी अहहहहा.. इससे मेरा काम नहीं चलेगा..... रुकिये, " कहके नताशा ने दूसरा ड्रॉयर खोला और एक स्ट्रापान निकाला




"हाए मेरी रंडी बहेन .. इतना बड़ा लंड, " सीमी ने स्ट्रापान देख कहा.. ब्राउन कलर का स्ट्रॅप ऑन किसी असली लंड जैसा ही लग रहा था.. नीचे उसके दो टटटे भी थे..




"अहहाहा दीदी....उम्म्म्म भारत का लंड लेके बाकी सब लंड छोटे लगते हैं अहहहहा.. शायद यह मुझे राहत दिलवाए अब डालो ना अहहहहहहा" कहके नताशा ने अपने पेर खोलके उन्हे हवा में उँचा उठा दिया जिससे उसकी गान्ड का छेद थोड़ा सा खुला.. सीमी ने स्ट्रापान को अपनी कमर में बाँध दिया.. सीमी अब किसी मर्द जैसी ही लग रही थी.. इशारे से सीमी ने नताशा को बेड से उठने को कहा.. नताशा को उठा के सीमी खुद बेड पे लेट गयी और नताशा को उसके उपर आने को कहा.. नताशा समझ गयी और उपर आके उस नकली लंड को अपनी गान्ड के छेद पे सेट किया





"अहहः दीदी.. घुसा दो अब इस लंड को अहहहाहा" नताशा के यह शब्द सुनके, सीमी ने एक ही झटके में उस प्लास्टिक के लंड को नताशा की गान्ड में उतार दिया..




"अहहहा फक अहहहहाहा दीदी अहहहाहा यस हार्डर अहहहहा और गान्ड मारो ना अहाआहा.."




"अहाहहा यह ले मेरी रांड़ बहेन अहहहहहा...और ले ना अहहहः..




"अहहानणना फक मी हार्डर अहहहहा.. मैं आपके बेटे से ही चुदना चाहती हूँ दीदी अहाहहा... येअह फक मी हार्डर"




"आहः और लो ना मौसी जी अहहहहा.. यॅ " कहके सीमी अब ज़ोर ज़ोर से उछल रही थी और प्लास्टिक के लंड को अंदर बाहर करने लगी




पूरे कमरे में सीमी और नताशा की आवाज़ें सुनाई दे रही थी... 




"अहहहहा थप्प्प ठप्प्प्प फ़हचछचछक र्फहचछचक्क.उईईइ अहहहहहा मैं गयी अहहहहहा फक मी हार्डर नाह्जाअह्हाह... और ले ना मेरी रांड़ बहेन अहहहहहहा" इन आवाज़ों से दोनो बहने पागल हुए जा रही थी


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उधर निधि और मेहुल भी चुदाई से फ्री होके अपने आगे की प्लॅनिंग करने लगे... 




"अंकल.. आप जहाँ भारत से मिलते हैं, वहाँ कॅमरा तो है ना... क्यूँ कि 
जब भारत आपसे मिलने आए, और अब तक जब भी आया है.. वो सब रेकॉर्डेड है ना" निधि ने मेहुल को बियर देते हुए कहा




"हां भतीजी.. पर क्यूँ"




"अंकल.. तो फिर बस... आप भारत से सब पैसे ले लेना, और हाथो हाथ पोलीस को भी इनफॉर्म कर देना.. इतनी बड़ी बॅंक में, इतना बड़ा स्कॅम.. बात उछलेगी, तो ज़्यादा मज़ा आएगा.. और इससे ज़्यादा मज़ा तो तब आएगा, जब भारत गिरफ्तार होगा और वो भी मेरी आँखों के सामने.."
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उधर यूएस में रूबी और सिड ने कंपनी जाय्न की.. दोनो काफ़ी खुश थे उपर से.. यूएस में जॉब, कंपनी अयमोडेशन, और एक बेहतर करियर के साथ बेहतर लाइफ स्टाइल भी.. किसी को और क्या चाहिए... पहले कुछ दिन जाय्न करके, दोनो ने कंपनी के बारे में स्टडी किया.. उनके काम काज के बारे में, वहाँ के एंप्लायीस से घुले मिले.. पर दोनो के दिल में सिर्फ़ एक ही इंसान का ख़याल आ रहा था. भारत का.. अलग अलग कारण थे.. रूबी को यह बात चुभ रही थी कि भारत और शालिनी की शादी होने वाली है, और सिड को यह बात चुभ रही थी कि यह जॉब उसे भारत की वजह से मिली... अंदर ही अंदर से दोनो काफ़ी डिस्टर्ब्ड थे.. 




"सिद्धार्थ. रूबी... सो व्हाट हॅव यू बिन डूयिंग दीज़ डे.. हाउ डू यू फाइंड यूएस" शॅरन ने सिड और रूबी से पूछा. एचआर इंडक्षन की वजह से दोनो शॅरन से मिले थे... तीनो के बीच में कुछ नॉर्मल बातें हुई.. कैसा है अमेरिका, क्या अलग है इंडिया से.. इन सब के दरमियाँ , शॅरन ने रूबी से पूछा




"ओह.. बाइ दा वे, हाउ ईज़ युवर फ्रेंड.. भारत"




भारत का नाम सुनके सिड और रूबी दोनो खामोश हो गये.. शॅरन ने जैसे उनके जले पे नमक छिड़का हो..




"आइ होप एवेरितिंग ईज़ फाइन वित हिम" शॅरन ने दोनो को खामोश देख कहा




"यस.. ही ईज़ गुड.." रूबी ने सिर्फ़ इतना ही कहा और दोनो वहाँ से बाहर निकले कुछ देर में..
 
उधर कुछ दिन में ही भारत ने कस्टमर सर्विस को लूप में लेके अपने टारगेट क्लाइंट्स को कॉल किया, उनसे मीटिंग की और उन्हे अपने प्रोग्राम में इन्वाइट किया... काफ़ी कस्टमर्स बहुत खुश हुए, क्यूँ कि आज तक उन्हे ऐसी कोई पार्टी का इन्वाइट नहीं आया था.. काफ़ी लोग तो यह सोच सोच के चौड़े हो रहे थे कि उनके पैसे की वजह से आज उन्हे यह आहेमियत मिली है.. काफ़ी क्लाइंट्स को भारत ने पर्सनली कन्विन्स किया न्यू कार्ड के लिए... कुछ लोग नहीं माने और कुछ लोग न्यू कार्ड के लिए मान गये.. भारत ने प्रीति को भी लूप में लिया और इंश्योर किया के जितने भी डेबिट कार्ड्स न्यू इश्यू होते हैं, वो उनकी विड्रोल लिमिट हटा दे..




"भारत.. इट्स वेरी टफ.. मैं तो आइटी सिस्टम्स में जाके कर दूं.. पर जो फ्रंट एंड से प्रोसेसिंग होगी, जब तक वो नहीं करते, तब तक सिस्टम मुझे यह नहीं करने देगा"




"मतलब.. मैं कुछ समझा नहीं"




"देखो.. यह जो क्लाइंट्स हैं, दीज़ आर एचएनआइ'स.. तो इनके लिए बॅंक ने डबल फिल्टर सिस्टम अप्लाइ किया है.. इसका मतलब यह है, कि इनकी लिमिट में कोई भी चेंज करने के लिए मुझे सिस्टम में चेंज करने से पहले, मुझे बक्केंड में जाना पड़ेगा.. और इसके लिए हमारे आरपीसी मॅनेजर के अप्रूवल चाहिए.. और मैं अब तक उसे पटा नहीं पाई हूँ यार.. "




"प्रीति तुम मज़ाक कर रही हो.. अब कल हम उन सब क्लाइंट्स को मिलने वाले हैं और तुम मुझे यह सब अभी बता रही हो.. पहले बताती तो मैं कुछ और सोचता.. " भारत गुस्सा करने लगा था




"भारत चिल्लाओ मत... मैं अब तक कोशिश ही कर रही थी.. और मैं सिस्टम में चेंज करने वाली थी, वो मैं कर रही हूँ.. अब यह डबल फिल्टर वाला सिस्टम कहाँ से आया, हाउ डू आइ नो..."




"प्रीति तुम समझ नहीं रही हो.. जब तक हम लिमिट नहीं बढ़ाएँगे तब तक विड्रोल नहीं होगा.. और वी आर टॉकिंग 50 करोड़.. मुझे अगर इंडेफिनेट लिमिट नहीं मिलेगी तो क्या घंटा मैं कुछ करूँगा.. फिर भूल जाना तुम भी अपना कुछ हिस्सा. और सडती रहना इधर ही.." कहके भारत वहाँ से गुस्से में निकल गया




"वैसे तुम्हारे आरपीसी मॅनेजर का नाम क्या है.. मैं उससे मिला था, बट नाम पूछना ही भूल गया.." भारत ने जाते जाते पूछा




"उः.. समीर. समीर अरोरा" प्रीति के मूह से यह सुन भारत वहाँ से तेज़ी से निकला




रात के 8 बजे.. समीर का फोने रिन्ग हुआ




"हेलो"




"मिस्टर समीर.. भारत हियर.. हम उस दिन मिले थे, आदित्य के साथ"




"ओह यस.. बोलिए, मैं आपके काम में ही बिज़ी हूँ.."




"आप जानते हैं कल हमारी पार्टी है.. और 3 दिन में आपको न्यू डेबिट कार्ड्स निकालने हैं.. आइ होप एवेरितिंग विल बी ऑन टाइम"




"डोंट वरी सर.. वी आर ऑन इट.. आंड उसके लिए प्रीति ईज़ कोवोर्डिनेटिंग ऐज वेल.."




"प्रीति तो शायद आपकी आइटी इंफ़्रा में है. वो कैसे कोवोर्डैनेट कर रही है"




"नहीं.. आक्च्युयली जब तक उसका प्रोबेशन कन्फर्म नहीं होता, तब तक आइटी के साथ शी विल बी इन मल्टिपल थिंग्स ऐज वेल.. तो यह जो आपका एक छोटा प्रॉजेक्ट है, उसके आइटी से लेके कोवार्डिनेशन तक, प्रीति ही सब देख रही है.. यू डोंट वरी"




"आइम फाइन समीर.. आंड हां, वी विल बी वेरी ग्लॅड, अगर आप कल भी हमारी पार्टी में आ सकें.."




"उः... मे... आइ मीन.. ओफ़कौर्स.. श्योर, आइ विल बी देअर"




"डोंट बी तेरे समीर.. मैं आउन्गा आप को पिक करने.. आफ्टर ऑल, यू आर आ फ्रेंड आंड कोलीग.. सी यू टुमॉरो." कहके भारत ने फोन रख दिया.. समीर, सातवें आसमान पे था.. उसे समझ नहीं आ रहा था, बॅंक का क्लस्टर मॅनेजर उससे कितना इंप्रेस है.. आज तक बॅंक की कोई भी पार्टी थी, किसी भी आरपीसी मॅनेजर को इन्वाइट नहीं किया गया था, समीर पहला आरपीसी मॅनेजर था जो बॅंक की पार्टी में जा रहा था.. खुशी खुशी में वो काम छोड़ के आने वाली पार्टी की तैयारी करने लगा.. क्या पहनेगा, क्या नहीं... उसके लिए यह बहुत अच्छा मौका था, बॅंक के लोगों को इंप्रेस करके वो और बिज़्नेस ला सकता था अपने लिए..




"हाई आदि.. गुड ईव्निंग..." भारत ने आदित्य को कॉल किया




"हाई चॅंप.. टेल मी.. कल की सब तैयारियाँ हो गयी..." आदित्य ने भारत को जवाब दिया




"यस आदि.. कल मॅग्ज़िमम बिज़्नेस लाने के लिए रेडी.."




"हाहहः.. चॅंप, तुम्हारा नाम ही बिज़्नेस होना चाहिए था.. टेल मी, क्या हुआ अभी कॉल किया"




"आदि.. मैने हमारे आरपीसी मॅनेजर समीर अरोरा को भी इन्वाइट किया है कल.. होप थ्ट्स ओके"




"नो प्राब्लम भारत.. स्टेक होल्डर मॅनेज्मेंट भी एक आंगल है.. समीर ईज़ अवर वेंडर.. वेंडर खुश तो हम भी खुश.. गुड थॉट.."




"थॅंक्स आदि.. सी या टुमॉरो.. बाइ" कहके भारत ने फोन कट किया और फिर एक फोन घुमाया.. कुछ देर तक फोन पे बात करने के बाद., भारत घर के लिए निकला. आज शालिनी डाइरेक्ट जाने वाली थी घर, इसलिए भारत भी सीधा घर पहुँचा.. घर पहुँच के




"हाई डॅड.. हाउ आर यू" भारत ने राकेश से पूछा




"फाइन बेटा.. हाउ आर यू.. काफ़ी बिज़ी हो, तीन दिन से दिखे ही नहीं..." राकेश ने जवाब दिया




"हां दाद.. कल ऑफीस की पार्टी है क्लाइंट्स के साथ.. शालिनी और मोम कहाँ है" 




"शालिनी शायद अपने रूम में है.. और मोम किचन में"..




"ओके डॅड..." कहके भारत निकला किचिन की तरफ.. किचन के दरवाज़े पे पहुँच के , उसकी आँखों में चमक आ गयी.. सीमी खाना बना रही थी, उसकी गान्ड भारत की तरफ थी.. सीमी की भरावदार गान्ड देख भारत के लंड में जान आने लगी.. 3 दिन से चुदाई तो छोड़ो, उसने ठीक से शालिनी और सीमी को देखा भी नहीं था... धीरे धीरे आगे बढ़ के भारत सीमी के पास पहुँचा, और धीरे से सीमी को पीछे से ही गले लगाया
 
"हाई मोम.. हाउ आर यू.." भारत ने धीरे से सीमी के कान में कहा




"हाई बेटे.. आइम फाइन, तुम बोलो. काम में तुम अपनी मोम को भी भूल गये हो हाँ




"नहीं मोम.. ऐसा नहीं है... आपको कैसे भूल सकता हूँ" कहके भारत ने एक और ज़ोर लगाया, जिससे शालिनी को अपनी गान्ड पे भारत का लंड महसूस हुआ.. भारत को ऐसे देख सीमी ने भी सोचा, थोड़ा मज़ा लिया जाए... इसलिए सीमी ने भी अपनी गान्ड को थोड़ा पीछे किया और भारत के लंड पे अपनी गान्ड घुमाने लगी.. धीरे धीरे करके भारत के लंड में अकड़न होने लगी और वो खड़ा होने लगा.. यह महसूस कर सीमी ने अपना काम चालू रखा और अपने कंधे को भारत के कंधों में ले गयी और हल्की हल्की आहें भरने लगी




"अहहहहाआ... क्या खाएगा मेरा बेटा.. उम्म्म्ममम" सीमी अब होश खोने लगी थी




"ओह्ह्ह आहहा मोम... कुछ भी खिलाओ आहहा.. बहुत भूखा हूँ" भारत भी सीमी का साथ देने लगा.. जैसे ही भारत ने सीमी की कमर से हाथ उपर किया उसके चुचों की तरफ, बाहर से राकेश ने खाने के लिए आवाज़ लगाई.. राकेश की आवाज़ सुन, भारत और सीमी अलग हुए.. भारत तेज़ी से बाहर निकला और अपने कमरे की तरफ बढ़ा... भारत के जाते ही, सीमी के मन में ख़याल आया. आग दोनो तरफ लगी हुई है.. बस पहेल कौन करेगा, यह देखना पड़ेगा... यह सोच सीमी ने अपना हुलिया ठीक किया और खाने में लग गयी.. भारत जैसे ही अपने कमरे में गया, पीछे से शालिनी भी घुस गयी और दरवाज़ा बंद कर दिया




"हाई हीरो...."




भारत जैसे ही पलटा, शालिनी को देख वो हक्का बक्का रह गया

शालिनी की आवाज़ सुन भारत जैसे ही पलटा, उसकी आँखें बड़ी हो गयी.. उसका गला सूखने लगा... उसका लंड जो सीमी की गान्ड की वजह से ऑलरेडी कड़क था, अब पूरा तंन चुका था.. पीछे शालिनी ने एक ट्रॅन्स्परेंट नाइटी पहनी थी, जो केवल उसके घुटनो तक आ रही थी.. शालिनी के बाल खुले... नाइटी के अंदर बस एक छोटी पेंटी पहनी हुई थी उसे\ने.. मुलायम सी नाइटी में, शालिनी का बदन कयामत ढा रहा था.. 

भारत आगे बढ़ के शालिनी को चूमने ही जा रहा था कि शालिनी ने उसे रोक दिया




"अरेययययी.. रूको... पहले खाना खा लो, उसके बाद.. काफ़ी दिन से तुमने ठीक से खाना भी नहीं खाया..." कहके शालिनी दौड़ के वहाँ से निकली और अपने कमरे में घुस गयी...




"अगर कुछ देना ही नहीं था तो, आई क्यूँ..." भारत ने खुद से कहा और फ्रेश होके खाने चला गया जहाँ सब लोग उसका इंतेज़ार कर रहे थे...




"बेटे.. मैने कुछ सोचा है.." सीमी ने भारत से कहा




"हां मोम बोलिए..."




"मैं और तुम्हारे पापा सोच रहे हैं कि, कल ही शालिनी के मोम दाद से मिलके आगे की प्लॅनिंग डिसाइड कर लें.. अब ज़्यादा टाइम वेस्ट नहीं करना चाहते हम" 




सीमी की यह बात सुन, शालिनी खुश बहुत हुई, पर उसने खुद के जज़्बातों पे काबू रखा.. भारत ने सिर्फ़ हँस के हामी भरी और खाने में व्यस्त हुए... सीमी और राकेश ने शालिनी के पेरेंट्स को कॉल करके सब बताया.. शालिनी के माँ बाप काफ़ी खुश हुए यह बात जान के, और चारो ने मिल के बातें करने का डिसाइड किया...




"शालिनी बेटे.. यह तुम्हारे लिए हमारी तरफ से एक छोटा सा गिफ्ट.." सीमी ने उसे एक डाइमंड ब्रेस्लेट पकड़ाते हुए कहा




"नहीं आंटी.. प्लीज़ आप यह ना दें मुझे.." 




"आंटी नहीं .. मोम... आंड प्लीज़ रख लो इसे ओके.. " कहके सीमी ने शालिनी को गले लगाया और अपने चुचे उसके चुचे से घिसने लगी.. शालिनी को यह अजीब लगा. वो यह उम्मीद नहीं कर रही थी कि सीमी इतना जल्दी यह करेगी... शालिनी ने फिलहाल कुछ रिएक्ट नहीं किया इस्पे, बस वो गले लगी रही..... दोनो अलग हुए




"थॅंक्स मोम.. " कहके शालिनी राकेश और सीमी के पेर छूने लगी..




खाना फिनिश करके सीमी और राकेश अपने कमरे में गये. पीछे भारत और शालिनी बैठे बातें कर रहे थे




"मुझे समझ नहीं आ रहा यह सब इतनी जल्दी.. आइ मीन आंटी इतना जल्दी कैसे मान गयी.." शालिनी ने भारत से कहा 




"यार लोड मत लो अभी इतना.. कल के लिए रेडी हो तुम.. मुझे सारा प्लान बताओ" भारत ने जवाब दिया




"कल 7 बजे लॅंड्स एंड के बॅंक्वेट में हमारे करीब 20 क्लाइंट्स आएँगे.. जैसे ही वो आते हैं, उनका अच्छे से वेलकम किया जाएगा.. वेलकम के बाद उन सब को उनकी रिज़र्व्ड सीट्स पे बिठाया जाएगा.. फिर हमारी प्रेज़ेंटेशन होगी और साथ ही उनको ड्रिंक्स भी सर्व होंगी.. हमारी प्रेज़ेंटेशन के बाद एक एरिया जिसे हमने नाम दिया है नो मोबाइल ज़ोन.. वहाँ ले जाया जाएगा.. वहाँ जाने के लिए हम उनसे उनके मोबाइल्स ले लेंगे यह कहके कि दिस ईज़ फन टाइम फॉर यू.. उनसे मोबाइल कलेक्ट करके एक सेफ लॉकर में उनके फोन्स, उनके नाम के टॅग के साथ रख देंगे... उनके मोबाइल फोन्स कलेक्ट करके, उन्हे कुछ गेम्स खिलाई जाएगी. अब क्यूँ कि वो बच्चे तो है नहीं, हमारी बाँक्स के सबसे अट्रॅक्टिव फीमेल एंप्लायीस यह ध्यान रखेंगी कि क्लाइंट्स बोर ना हो.. जब तक वो लोग फ्री नहीं होते, तब तक तुम यह ध्यान रखोगे कि उनके मोबाइल फोन के सिम कार्ड क्लोन हो रहे हैं.. गेम्स के बाद, क्लाइंट्स की मीटिंग होगी तुम्हारे और आदि के साथ... फिर तुम लोग अपने बिज़्नेस की बात करना.. आंड क्यूँ कि वो लोग थोड़े बहके हुए होंगे, शराब और फीमेल एंप्लायीस की वजह से.. उनके इनवेस्टमेंट फॉर्म्स पे तुम साइन ले लेना, जिनपे क्लियर लिखा होगा कि वो लोग तैयार हैं उनके न्यू डेबिट कार्ड्स के लिए जिसकी विड्रोल लिमिट अनलिमिटेड है.." शालिनी ने भारत को सब एक ही साँस में बता दिया




"वेरी गुड बीवी.. एक प्राब्लम है.." और भारत ने उसे प्रीति के साथ हुई बातें बताई..




"यह कोई प्राब्लम नहीं है... यह तो मैं भी सॉल्व कर सकती हूँ.." कहके शालिनी ने भारत को उसका रास्ता बताया




"अरे वाह बीवी.. तुम जानती हो ऐसी किसी शक़्स को..."




"अरे... कोई नहीं, बट मिल जाएगा.. किसी को भी उठा लेंगे जो इन कामों में मशहूर हो"




"नहीं... बिल्कुल नहीं, हमें इस काम के लिए एक ट्रस्टवर्ती बंदा चाहिए.. किसी भी बाहरी आदमी पे विश्वास नहीं कर सकते.." भारत ने शालिनी को जवाब दिया.. भारत का जवाब सुन शालिनी फिर कुछ सोचने लगी.. करीब 10-15 मिनट तक दोनो लोग सोच रहे थे, तभी पीछे से सीमी आई




"अरे तुम लोग सोए नहीं अब तक..."




भारत ने पीछे मूड के देखा तो उसकी जान में जान आई..




"मोम.. यू सेक्रेड दा हेल आउटा मी.. अभी थोड़ा टाइम है मुझे सोने में... आप क्यूँ उठ गये अचानक.. "




"नहीं बस ऐसे ही नींद नहीं आ रही थी.. सोचा थोड़ा बाल्कनी में जाके हवा खाउ.. रात की ठंडी हवा कुछ अलग ही मज़ा देती है" सीमी ने आगे आते कहा




"ओके मोम.. आप हवा खाओ... मैं अपने रूम में जाके काम करता हूँ..आप शालिनी के साथ बातें करो" कहके भारत वहाँ से निकला और पीछे शालिनी और सीमी को छोड़ गया



"उः .. हाई आंटी..." शालिनी को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या बात करे




"फिर आंटी... मोम कहो बेटा..कम वित मी" कहके सीमी ने शालिनी का हाथ पकड़ा और उसे अपने साथ बाल्कनी में बाहर ले गयी
 
उधर भारत अपने रूम में सोच रहा था कि वो समीर का क्या करे... सोचते सोचते उसकी आँख लगने लगी... जब उसे लगा कि उसकी आँख लगी, तब दरवाज़ा खुलने की आवाज़ से उसकी हल्की नींद टूटी.. कमरे में थोड़ा अंधेरा था... भारत ने ध्यान से देखा तो उसे दो साए दिखाई दिए उसके नज़दीक आते हुए




"शालिनी... मोम... आप दोनो यहाँ, व्हाट्स रॉंग.." भारत ने आगे बढ़ के लाइट ऑन करते हुए कहा.. जैसे ही लाइट ऑन हुई, भारत शालिनी और सीमी को देख शॉक हो गया..





"बीवी.. वेट्स रॉंग.. आंड मोम.. यह क्या है" भारत ने अपने होश संभालते हुए कहा.. भारत अपनी आँखें मीचने लगा.. अचानक , उसके कमरे की लाइट फिर ऑफ हो गयी और किसी ने उसे बेड पे धक्का दिया...



"व्हाट्स रॉंग .. यह क्या है..." भारत ने अपने उपर आए किसी के जिस्म को धक्का दिया और रूम की लाइट ऑन की.. लाइट ऑन करते ही उसने सामने शालिनी को देखा.. लेकिन शालिनी सिर्फ़ अकेली थी..



"व्हाट्स रॉंग बेबी.. एक तो धक्का दिया, उपर से चिल्लाने लगे.. यू ओके" शालिनी ने बेड से उठ के कहा और जाके कमरे का दरवाज़ा लॉक किया



"नहीं.. अभी तुम्हारे साथ मोम थी ना इधर.. " भारत ने कमरे में देखते हुए कहा



"व्हाट्स रॉंग.... मैं अकेली हूँ... बीवी के रहते मोम... उम्म्म... लगता है अब कुछ करना ही पड़ेगा हन्न मेरे सैयाँ जी..." कहके शालिनी ने भारत को हल्का सा धक्का देके बॅड पे लेटा दिया.. शालिनी धीरे धीरे क्रॉल करके भारत के उपर आ गयी.. भारत की छाती अब शालिनी के चुचों से टकरा रही थी..



"उम्म बीवी... " भारत ने सिर्फ़ इतना ही कहा, कि शालिनी ने मौका पाते ही अपने होंठ भारत के होंठों से मिला लिए और दोनो बेतहाशा एक दूसरे को चूमने लगे..



"उम्म्म अहहहहहा... यूउंम्म अहहहहहमुज़म्म्म अहहहहा.. मेरे से ज़्यादा अपनी मोम से प्यार करते हो ना अहहहहहा.. अहहाहा किस मी ना हब्बी अहहहहहाहा..." कहके शालिनी भारत के होंठों को काटने लगी



"अहहहहा एेशससशा....,मुंम्म्म.... अहहहहा अहहहा..मेरी बीवी ही तो चाहती है ना यह अहहहहः..." भारत ने जवाब दिया और अपने हाथ शालिनी की पीठ पे ले जाके उसका टॉप उतार दिया .. टॉप उतरते ही शालिनी के नंगे चुचे भारत की छाती पे महसूस किए उसने.. शालिनी के निपल्स किसी पत्थर की तरह कड़क हो गये थे... एक सेकेंड में, भारत अपना हाथ नीचे ले गया और शालिनी के चुतड़ों को भी उसके शॉर्ट्स की क़ैद से आज़ाद किया.. भारत का एक हाथ शालिनी के पीठ पे और एक हाथ शालिनी के चुतड़ों पे घूम रहा था, और दोनो एक दूसरे को चूमे जा रहे थे..



"ओमम्म्मम अहहहहा... यआःहा फक मी इन अनस अहहहहहा" शालिनी ने कहा जब भारत अपनी एक उंगली उसकी गान्ड के छेद के पास घुमाने लगा.. यह सुन भारत ने अपनी एक उंगली शालिनी की गान्ड के छेद मे घुसा दी और शालिनी पे अपनी पकड़ और मज़बूत कर ली..




"उम्म्म्म अहहहहाहा.. यॅ अहहहाहा उम्म्म्ममम... फक मी अहहहहा उम्म्म्मममम" कहके शालिनी अपनी गान्ड हवा में उठाने लगी और भारत की उंगली को अंदर लेने लगी....




"अहहहहाहा येआः फक मी हार्डर बेबी अहहाहाः.. " कहके शालिनी वैसे ही बेड पे उछलने लगी



यह देख भारत ने उसकी गान्ड से अपनी उंगली निकाली, और उसको 69 पोज़िशन में ला दिया.. पोज़िशन में आके शालिनी ने झट से भारत की जीन्स उतार फेंकी और उसके लंड को मूह में लेके चुप्पे मारने लगी.. भारत का लंड लोहे सा तप रहा था.. उसका लंड एक दम टाइट होके जैसे सीलिंग को सलामी दे रहा हो.. अपनी ही टीशर्ट उतार, भारत भी एक दम नंगा हो गया और शालिनी की चूत को चाटने लगा



"अहहहहाः यस बेबी अहाहहा... मम्मी की चूत चाटो ना अहहहहाहा.. एस अहहाहा. हां चोद डालो ना बेटे अपनी माँ को अहहहहहा." कहके शालिनी भारत के लंड पे थूकने लगी और उसे हिलाने लगी...



"अहहहः मोम अहहाहा... अपने बेटे के लंड को चाटो ना अहहहहा... आप ही के लिए है यह अहहहहहा....उम्म्म्म अहहहहहहहाहा स्लुप्रपप्प स्लूरप्रप्प्प्प्प अहहाहा... मोम आपकी चूत कितनी मीठी है अहहहहहा..." कहके भारत फिर शालिनी की चूत चाटने में व्यस्त हो गया...



"अहहहा मेरे मर्द बेटे का लंड अहाहहाहा.. बेटे शादी के बाद भी चोदेगा ना अहहहहा.. अपनी मम्मा का ख़याल रखेगा ना मेरे बेटे अहहाहा. उम्म्म गुउन्न्ं गुंबन्न गुउन्न्ञन् " शालिनी बीच बीच में बोलके फिर भारत के लंड को मूह में लेती और चूसने लगती..



"अहहहाहा हन मों अहहहा.. मेरी बीवी ही चाहती है अहहहहा उम्म स्लूरप्प्प स्लूर्प्प अहहहहा आपको चुदवाना अहहहः स्लुप्रपरपरपरप स्लूरप्रप्प्प अहहहहहाहा"







"अहहहहहा यस बेटे अहहहहा.. फक मी मोर अहहाहाहा... मम्मा ईज़ कमिंग यआहहहा अहहहहा.. हार्डर यॅ अहहहाहा अहहहा....आइ म कमिंग बेटे आआहाहहहहहा" कहके शालिनी झाड़ गयी और भारत ने उसका पूरा पानी चाट चाट के सॉफ कर लिया.... शालिनी झाड़ते ही उठ खड़ी हुई, और भारत के लंड पे अपनी चूत को सेट करके उसके लंड की सवारी करने लगी...



"आहहहहा.. यआः राइड युवर मॉमी अहहहहा.. मम्मी को अपने लंड की सवारी करवा दे बेटा अहहहहहा.. " कहके शालिनी भारत के लंड पे बैठी और उछल उछल के चुदने लगी. नीचे से भारत भी अपने ताकतवर धक्के मारे जा रहा था....



"अहहहाहा बेबी युवर सो हार्ड अहहहहा.... " कहके भारत ने शालिनी के चुचों को पकड़ा जो हवा में उछल रहे थे.
 
"अहहाहा मम्मी को बेबी कहता है.. शैतान कहीं के अहहहहाहा" कहके शालिनी ने एक नज़र पीछे घुमाई और कमरे की तरफ देखा, सीमी दरवाज़ा खोल के अंदर सब देख रही थी, और अपनी चूत रगडे जा रही थी..







भारत शालिनी को चोदने में इतना व्यस्त था, कि उसे पता ही नहीं चल रहा था कि सीमी उन्हे देख रही है...




"अहहहः फक युवर मुम्मा ना अहहहहहा.." शालिनी जान बुझ के सीमी को देख चिल्लाने लगी, और उछलने लगी.. यह देख सीमी के चेहरे पे भी एक मुस्कान छा गयी और अपनी चूत को और तेज़ी से रगड़ने लगी




"अहहाहा यस बेबी अहहहाहा... आइम कमिंग आहहहहाहा.. ओह यस अहहहहाहा" कहके भारत ने अपना सारा पानी शालिनी की चूत में छोड़ दिया और शालिनी भारत के सीने पे ही गिर गयी... करीब 5 मिनट बाद शालिनी वहाँ से उठी और अपने कमरे में जाने लगी... शालिनी जैसे ही अपने कमरे में घुसी, पीछे से दरवाज़ा बंद करके, सीमी ने उसे पीछे से पकड़ लिया




"आहहहहा.आ..... कब चुदवायेगी तू मेरे बेटे से मुझे अहाहहा... मेरी छिनाल बहू..." सीमी ने शालिनी के कान काट के कहा




"उम्म्म्म मेरी सासू माँ आहहहहा... आप के बेटे को तडपाओ ज़रा, तभी तो वो कदर करेगा .. नहीं तो चोद के भूल जाएगा.. तभी तो आज उसके साथ यह खेल खेला.., अगर अभी चुदवाना होता तो आपको उसके कमरे के बाहर भेजती ही क्यूँ..." कहके शालिनी और सीमी दोनो धीरे से हँसने लगे..

"बोलो.. तुमने अभी क्यूँ फोन किया" मेहुल ने भारत का कॉल आन्सर किया अगली सुबह



"ऐसे ही कुछ ख़ास नहीं.. बस निधि की याद आ रही थी... उम्मीद है आप को याद है हमारी डील." भारत ने जवाब दिया



"भारत.. काम पे ध्यान दो.. मुझे याद है, और यह किसका नंबर है.. पिछले कुछ दिनो से तुम मुझे आन्सर ही नहीं कर रहे"



"इस नंबर से ही हम बात करेंगे... मैं काम में बिज़ी था इसलिए आप से बात नहीं कर पाया.. चलिए मिलते हैं जल्द ही.. बाइ" कहके भारत ने फोने काटा और सिम कार्ड चेंज करके ऑफीस के लिए निकल गया... 



"शालिनी.. कस्टमर सर्विस से जो भी अपडेट्स हो, मुझे बताती रहना.. और सब क्लाइंट्स को कन्फर्म करो उनकी अटेंडेन्स के बारे में.. मुझे कोई भी गड़बड़ नहीं चाहिए आज एक्सेक्यूशन में ओके" भारत ने शालिनी को ड्रॉप करके कहा



"ओके बेबी.. तुम ऑफीस पहुँचो, मैं कॉल करती हूँ"


"मैं ऑफीस नहीं जा रहा.. आदि से मिलने जा रहा हूँ.. टेक्स्ट करना ओके"



"ओके हनी.. बाई" कहके शालिनी अपनी ऑफीस गयी और भारत आदि से मिलने गया.. रास्ते में उसने आदि से कन्फर्म किया मिलने के लिए.. करीब आधे घंटे बाद भारत आदि की ऑफीस पहुँचा




"वेलकम माइ बॉय... हाउ आर यू" आदि ने भारत से कहा जो उसकी ऑफीस में उसका वेट कर रहा था



"आइम गुड आदि.. जस्ट चेक करने आया था, आज शाम को फ्री हो आप राइट.. आइ मीन हनी'स के साथ आपका प्रेज़ेन्स मुझे ज़्यादा कॉन्फिडेन्स देगा"





"ओफ़कौर्स यंग मॅन..क्या है प्रोजेक्षन.. कितना बिज़्नेस आ सकता है आज.. मुझे हेडक्वार्टेर में भेजना है, हम जो यह खर्चा कर रहे हैं, उसके सामने क्या प्रॉफिट रहेगा " आदि ने सीधा सवाल पूछा



"आदि.. अगर सब प्लान के हिसाब से गया.. ऑन दा स्पॉट हमे कम से कम 80-90 करोड़ का म्यूचुयल फंड इनवेस्टमेंट मिल सकता है.. और इन्षुरेन्स का सिंगल प्रीमियम ऑलमोस्ट 10 करोड़ हो सकता है... आंड अगर ऑन दा स्पॉट इतना नहीं आया, तो कमिटमेनट में आइ विल मॅनेज इसका 1.5 टाइम्स हो.. इसका प्रॉफिट कॅल्क्युलेट कर सकते हैं आप" भारत ने बड़े कॉन्फिडेंट्ली जवाब दिया



"भारत, अगर इतना बिज़्नेस आया, तो यू हॅव इट फ्रॉम मी.. तुम इस बॅंक में सब से पहले बंदे होगे, जिसको 3 महीने में ही प्रमोशन मिला हो... बट अगर नहीं आता , तो यह भी सोच लेना कि तुम डेमोट भी हो सकते हो"



"डोंट वरी आदि.. यू हॅव इट फ्रॉम मी... आप बस 7 बजे एग्ज़ॅक्ट पहुँच जाना. आइ विल सी यू देअर.." कहके जैसे ही भारत जा रहा था, आदि ने उसे रोका



"भारत.. यह सब सेल तुम नहीं ले सकते.. अपने आरएम'स की टीम के थ्रू रूट करो यह... आंड हां , अब तक की सेल्स कितनी हुई है, मुझे उसका फिगर मैल करो ऑफीस पहुँच के प्लीज़" कहके आदित्य ने भारत को सी ऑफ किया..आदी से मिलके भारत जल्द से जल्द अपनी ऑफीस पहुँचना चाहता था... अपनी ऑफीस जाके भारत अपनी टीम से मिला..



"गाइस.. आप सब लोगों को आज के पार्टी के बारे में पता है.. मैं चाहता हूँ कि आज की पार्टी में जो भी इनवेस्टमेंट हो, आपके थ्रू हो... आंड मेक शुवर कि हम फिगर्स जितने ज़्यादा लायें उतना अच्छा होगा... मैं आदि को फिगर्स कमिट कर चुका हूँ.. यह रहे फिगर्स..." भारत ने अपनी टीम को पेपर देते हुए कहा



फिगर्स पढ़ के सब आरम'स की हवा टाइट हो गयी..



"सर.. यह फिगर्स, रियलिस्टिक हैं ?" एक आरएम ने पूछा



"ओफ़कौर्स... आंड डोंट वरी... उधर मैं भी रहूँगा... कोई डील क्लोज़ करने में तुम्हे कोई दिक्कत हो तो मुझे बताना.. आइ विल सी टू इट... आंड हां... अगर यह फिगर्स अचीव नहीं हुए, तो हम लोग सोच भी नहीं सकते क्या क्या हो सकता है..." भारत ने शांत धमकी दी...



सब आरएम'स आपस में बातें करने लगे, सब के चेहरे पे टेन्षन सी आ गयी थी.. 
 
"कम ऑन गाइस.. आप सब लोग बेस्ट हो ओके.. आंड मैने कहा ना डोंट वरी... मैं भी उधर रहूँगा... मैं पर्सनली भी इसमे इन्वॉल्व्ड हूँ.. आप बेफ़िक्र रहें.. इमॅजिन, अगर हम ने यह फिगर्स अचीव कर लिए, तो आपका इन्सेंटिव क्या हो सकता है... मिनिमम ऑफ 70-80 लॅक्स, डिपेंडिंग आप क्या बेच रहे हो.. आप लोग टोटल 10 आरएम हो, कॅल्क्युलेट कर लो पर हेड.. और आइसिंग ऑन दा केक.. जो बंदा सबसे ज़्यादा सेल करेगा, उसे मेरी तरफ से थाइलॅंड ट्रिप फॉर 4 डेज़ 3 नाइट्स... होस दिस....."




भारत की बातें सुनके, जो लोग मायूस हो गये थे, अब कुछ जोश में दिखे.. सब लोगों के चेहरे पे खुशी आई और दिमाग़ में आने लगा कि क्या क्या करें जिससे मॅग्ज़िमम सेल हो..




"ओके टीम.. अपनी स्ट्रॅटजी बनाओ, शाम को मिलते हैं.. मैं आपको सीधा उधर ही मिलूँगा.. आंड अच्छी तरह तैयार होके आना.. क्लाइंट्स एचएनआइ'स हैं.. स्मेल गुड प्लीज़ .. चलिए अब मुझे करेंट मन्थ के सेल्स फिगर दिखाइए" कहके भारत अपने चेर पे बैठा और एक एक कर सब आरएम'स ने अपने फिगर्स दिए.. भारत ने अपने अंडर 3 ब्रॅंचस जो थी उनसे भी फिगर्स लिए और सब को कंपाइल करके आदि को भेजा.. जैसे ही आदि ने मैल पढ़ा, उसने भारत को कॉल किया



"भारत.. आर यू सीरीयस... तुम मज़ाक नहीं कर रहे राइट.." आदि ने सेल्स फिगर देख कहा



"आदि.. मेरी टीम ने मुझे यह दिया है.. पर्सनली मुझे चेक करने में थोड़ा टाइम लगेगा, बट यस यह रिलाइयबल हैं.."




"भारत.. कीप इट अप.. आज की रात सक्सेस्फुल रही, तो यू विल बी रोक्क्स्टार हियर."




"हाहाहा.. आदि, वी विल बी रोक्क्स्टार्स राइट..."




"ओह यस यंग मॅन... चलो मिलते हैं शाम को"




आदि के साथ हुई बात , भारत ने शालिनी को बतानी चाही.. उसने तुरंत शालिनी को कॉल किया..



"हाई बीवी... अब तक तुमने कोई एसएमएस नही किया. सब ठीक है"



"हां हब्बी.. सब सही है.. शाम को प्रेज़ेंटेशन मैं दूँगी" शालिनी ने खुशी भरी आवाज़ में कहा





"तुम.. यह कब हुआ.. और शाम की अरेंज्मेंट्स कौन देख रहा है तुम्हारी टीम में से.. जो भी देखे उसे कहना कोई भी मिस्टेक नहीं चाहिए मुझे"




"हां बाबा.. डोंट वरी... और क्यूँ फोन किया, बताओ" शालिनी की इस बात पे भारत ने उसे सब बताया जो उसकी बात हुई आदि के साथ..



"ओओह माइ गोद्द्द्द्दद्ड... तुम मज़ाक नहीं कर रहे राइट.." शालिनी ने चिल्ला के खुशी में कहा, जिससे उसके आस पास के सब लोग उसी को देखने लगे



"धीरे बेटे.. हां, सही है.. और..." भारत ने आगे के प्लान के बारे में शालिनी को समझाया और फिर अपने काम में लग गया.. दिन में तीन बार भारत अपने आरएम'स से मिला और उनकी सेल्स पिच चेक की. जहाँ ज़रूरत थी, वहाँ सुधार किए, और ऑफीस से निकल गया घर की तरफ



"बेबी... घर निकल रहा हूँ, तैयार होके सीधा वेन्यू पे ही मिलते हैं... मैं समीर को पिक करने जाउन्गा... सी यू.. " भारत ने शालिनी से कहा और घर पहुँचा.. सीमी और राकेश पुणे गये थे शालिनी के माँ बाप से मिलने, तो भारत जल्दी से तैयार होके, ताज की तरफ निकल पड़ा.. 




"समीर... आरयू रेडी राइट... मैं 10 मिनट में आ रहा हम तुम्हे पिक करने"



"यस भारत.. ऑल रेडी.."



भारत की आज एनर्जी डबल थी.. वो बहुत जल्दी से जल्दी इस चीज़ को निपटाना चाहता था... "मेहुल.. तू तो लंबा जाएगा..." यह सोच के भारत ने जल्दी से गाड़ी समीर के ऑफीस की तरफ मोडी, और 10 मिनट में वो नीचे आ गया.. नीचे समीर उसका वेट कर ही रहा था...



"हाई समीर. कम इन प्लीज़.." कहके भारत ने अपना फ्रंट डोर ओपन किया और दोनो वेन्यू की तरफ निकल पड़े...



"भारत.. एक प्राब्लम है, यह लॅपटॉप कहाँ रखूँगा मैं.. जल्दी जल्दी मैं मैने इसे बंद भी नहीं किया.." समीर ने कहा



"ठीक है यार.. पीछे रख दो... बाद में देख लेना...." कहके भारत ने उसका लॅपटॉप बॅग पीछे रखा और आनेवाली पार्टी की बातें करने लगे


7 बजने में 10 मिनिट ही थे, के भारत वहाँ पहुँचा और वॅले पार्किंग में गाड़ी दे दी.... समीर और भारत बॅंक्वेट की तरफ बढ़े और जाके सब अरेंज्मेंट्स चेक की.. हाला की कस्टमर सर्विस वाले भी थे, बट भारत ने हर एक चीज़ को खुद चेक किया और जहाँ उसे लगा कुछ ग़लत है, उसने वहीं बदलवा दी... जैसे ही समीर भारत से अलग हुआ, भारत ने तुरंत एक फोन किया
 
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