hotaks444
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अगली सुबह रिकी और ज्योति दोनो काफ़ी टेन्स्ड थे, दोनो के एग्ज़ॅम्स आज से थे, कॉलेज से दोनो को पर्मिशन मिल चुकी थी ऑनलाइन एग्ज़ॅम देने की.. जहाँ रिकी के कॉलेज में यह फ्लेक्सिबिलिटी थी विज़िटिंग स्टूडेंट्स के लिए, वहीं ज्योति को भी ज़्यादा दिक्कत नहीं हुई, कॉलेज के ट्रस्टी राजवीर के दोस्त थे, तो ज्योति की यह रिक्वेस्ट सामने आते ही उसे एक मिनिट में अप्रूवल मिल गया..
"गुड मॉर्निंग स्वीटहार्ट..." रिकी ने शीना के कमरे में जाके कहा
"मॉर्निंग भाई, ऑल दा बेस्ट फॉर युवर एग्ज़ॅम्स.." शीना ने हँस के जवाब दिया और जैसे देखा कि कमरे में कोई नहीं आ रहा, रिकी ने झुक के उसके होंठों को हल्के से चूमा
"तो एग्ज़ॅम सेंटर जाके मेसेज करना ओके, आंड जैसे ही वहाँ से निकलो उस वक़्त भी ओके.." शीना ने माँ के जैसे इन्स्ट्रक्षन देते हुए कहा
"हां बाबा, यू डॉन'ट वरी, आंड कल से इन्ही कपड़ो में हो, कैसे फ्रेश होगी तुम.." रिकी ने चिंता जताते हुए कहा
"कोई दिक्कत नहीं है, देअर विल बी आ नर्स हियर, वो यहीं रहेगी मेरे ध्यान के लिए, शी विल हेल्प मी इन ऑल थिंग्स.. आंड बिसाइड्स माँ है ना, वो भी यहीं है.. आप चिंता ना करो, बस एग्ज़ॅम अच्छे से करना ओके.. आंड कल का क्या करोगे, कल तो महाबालेश्वर जाओगे ना.. फिर एग्ज़ॅम कैसे दोगे" शीना ने फिर उससे सवाल पूछा
"अब आज तो जाने दो, कल का बाद में बताता हूँ.." रिकी ने शीना से कहा और फिर दोनो बातें ही कर रहे थे तभी ज्योति भी वहाँ आ गयी
"उः, गुड मॉर्निंग शीना... भैया, चलें एग्ज़ॅम के लिए" ज्योति ने रिकी से पूछा, शीना से आँख नहीं मिला पा रही थी वो
"हां चलो, चलो बाइ शीना, सी यू सून"
"ओके भाई, बाइ, आंड ज्योति... ऑल दा बेस्ट, डू वेल..." शीना ने हँस के ज्योति से कहा, जिससे ज्योति को भी अच्छा लगा और दोनो वहाँ से एग्ज़ॅम देने चले गये
"ज्योति तो गयी तेरे हाथ से..अब तू क्या करेगा, हाहहहहा." सुहसनी ने सामने बैठे राजवीर से कहा....अमर के होते हुए एक दूसरे से कमरे में तो मिल नहीं सकते थे, अमर को दिखाने के लिए देवर और भाभी घर के ही गार्डेन में बैठे थे... वैसे तो तीनो सुबह सुबह एक साथ ही नाश्ता करके उठे थे, क्यूँ कि ज्योति और रिकी थे नहीं, और शीना ऐसी हालत में नीचे नहीं आती, स्नेहा सुबह से गायब थी पर उसके बारे में शायद किसी को चिंता ही नहीं थी...
"और तू हँस रही है भाभी, कैसी माशूका है, तेरे साथ भी कुछ किए हुए काफ़ी वक़्त हो गया, उपर से ज्योति बस आने ही वाली थी बिस्तर पे, पर अचानक पता नहीं क्या हो गया, अब नज़र उठा के देख ही नहीं रही.. और उपर से अब रिज़ॉर्ट के प्रॉजेक्ट में जा रही है, तो आधा दिन तो महाबालेश्वर में रहेगी, और मैं वहाँ भी नहीं जा पाउन्गा, तो क्या बैठ के अपने हाथ से ही हिलाऊ...." राजवीर ने झल्ला के सुहसनी को जवाब दिया
"हाहहाहा, हां अहाहहाअ... अपने हाथ से ही हिला ले खेखेखी.." सुहसनी राजवीर के मज़े लेने पे आ गयी थी आज और राजवीर बस उसकी बातें सुन के लाल होता जा रहा था
"अब मुझ पे क्यूँ लाल हो रहा है राज्ज्जाआ... किस्मत की बात है, एक तरफ रिकी है जो ज्योति और शीना दोनो से घिरा हुआ है, और तू है, सब पे चान्स मार रहा है लेकिन कोई फ़ायदा नहीं... अब तो तू उस रात वाली ज्योति को ही बुला ले और क्या... बाद की बाद में सोचना, और रही हमारी बात, अमर घर पे है तो कैसे आउ..." सुहसनी भी खामोश हो गयी थी उसकी हँसी उड़ा के
"भाभी... नहीं वो लड़की नहीं, मतलब , अब किसी रांड़ के साथ नहीं.. अब तो...." राजवीर सुहसनी से कह ही रहा था कि उसकी नज़र सामने से आती हुई स्नेहा पे पड़ी... स्नेहा को सामने से आते देख राजवीर एक मिनट के लिए खामोश हो गया..
"अरे स्नेहा, किधर से भाई सुबह सुबह..." राजवीर ने सामने से आती हुई स्नेहा को इशारा कर के कहा
"नमस्ते... बस यूँ ही थोड़ा फ्रेश हवा खाने गयी थी बाहर..." स्नेहा ने राजवीर के पास आके कहा
स्नेहा के पास आते ही, राजवीर की सबसे पहली नज़र उसके होंठों पे और फिर अगले ही पल नीचे उसके ब्लाउस से दिख रहे चुचों पे गयी, जैसे ही राजवीर की नज़र उसकी क्लीवेज पे गयी उसके मूह में पानी आ गया और एक अजीब ही तरीके से अपनी जीभ अपने होंठों पे फेर दी.. उसकी यह हरकत स्नेहा और सुहसनी दोनो ने ही देखी, सुहसनी का तो पता नहीं पर स्नेहा ने रिक्षन में बस एक स्माइल दी और अपनी क्लीवेज को यूँ खुला छोड़ राजवीर के मंसूबों को हवा दे दी...
"गुड मॉर्निंग स्वीटहार्ट..." रिकी ने शीना के कमरे में जाके कहा
"मॉर्निंग भाई, ऑल दा बेस्ट फॉर युवर एग्ज़ॅम्स.." शीना ने हँस के जवाब दिया और जैसे देखा कि कमरे में कोई नहीं आ रहा, रिकी ने झुक के उसके होंठों को हल्के से चूमा
"तो एग्ज़ॅम सेंटर जाके मेसेज करना ओके, आंड जैसे ही वहाँ से निकलो उस वक़्त भी ओके.." शीना ने माँ के जैसे इन्स्ट्रक्षन देते हुए कहा
"हां बाबा, यू डॉन'ट वरी, आंड कल से इन्ही कपड़ो में हो, कैसे फ्रेश होगी तुम.." रिकी ने चिंता जताते हुए कहा
"कोई दिक्कत नहीं है, देअर विल बी आ नर्स हियर, वो यहीं रहेगी मेरे ध्यान के लिए, शी विल हेल्प मी इन ऑल थिंग्स.. आंड बिसाइड्स माँ है ना, वो भी यहीं है.. आप चिंता ना करो, बस एग्ज़ॅम अच्छे से करना ओके.. आंड कल का क्या करोगे, कल तो महाबालेश्वर जाओगे ना.. फिर एग्ज़ॅम कैसे दोगे" शीना ने फिर उससे सवाल पूछा
"अब आज तो जाने दो, कल का बाद में बताता हूँ.." रिकी ने शीना से कहा और फिर दोनो बातें ही कर रहे थे तभी ज्योति भी वहाँ आ गयी
"उः, गुड मॉर्निंग शीना... भैया, चलें एग्ज़ॅम के लिए" ज्योति ने रिकी से पूछा, शीना से आँख नहीं मिला पा रही थी वो
"हां चलो, चलो बाइ शीना, सी यू सून"
"ओके भाई, बाइ, आंड ज्योति... ऑल दा बेस्ट, डू वेल..." शीना ने हँस के ज्योति से कहा, जिससे ज्योति को भी अच्छा लगा और दोनो वहाँ से एग्ज़ॅम देने चले गये
"ज्योति तो गयी तेरे हाथ से..अब तू क्या करेगा, हाहहहहा." सुहसनी ने सामने बैठे राजवीर से कहा....अमर के होते हुए एक दूसरे से कमरे में तो मिल नहीं सकते थे, अमर को दिखाने के लिए देवर और भाभी घर के ही गार्डेन में बैठे थे... वैसे तो तीनो सुबह सुबह एक साथ ही नाश्ता करके उठे थे, क्यूँ कि ज्योति और रिकी थे नहीं, और शीना ऐसी हालत में नीचे नहीं आती, स्नेहा सुबह से गायब थी पर उसके बारे में शायद किसी को चिंता ही नहीं थी...
"और तू हँस रही है भाभी, कैसी माशूका है, तेरे साथ भी कुछ किए हुए काफ़ी वक़्त हो गया, उपर से ज्योति बस आने ही वाली थी बिस्तर पे, पर अचानक पता नहीं क्या हो गया, अब नज़र उठा के देख ही नहीं रही.. और उपर से अब रिज़ॉर्ट के प्रॉजेक्ट में जा रही है, तो आधा दिन तो महाबालेश्वर में रहेगी, और मैं वहाँ भी नहीं जा पाउन्गा, तो क्या बैठ के अपने हाथ से ही हिलाऊ...." राजवीर ने झल्ला के सुहसनी को जवाब दिया
"हाहहाहा, हां अहाहहाअ... अपने हाथ से ही हिला ले खेखेखी.." सुहसनी राजवीर के मज़े लेने पे आ गयी थी आज और राजवीर बस उसकी बातें सुन के लाल होता जा रहा था
"अब मुझ पे क्यूँ लाल हो रहा है राज्ज्जाआ... किस्मत की बात है, एक तरफ रिकी है जो ज्योति और शीना दोनो से घिरा हुआ है, और तू है, सब पे चान्स मार रहा है लेकिन कोई फ़ायदा नहीं... अब तो तू उस रात वाली ज्योति को ही बुला ले और क्या... बाद की बाद में सोचना, और रही हमारी बात, अमर घर पे है तो कैसे आउ..." सुहसनी भी खामोश हो गयी थी उसकी हँसी उड़ा के
"भाभी... नहीं वो लड़की नहीं, मतलब , अब किसी रांड़ के साथ नहीं.. अब तो...." राजवीर सुहसनी से कह ही रहा था कि उसकी नज़र सामने से आती हुई स्नेहा पे पड़ी... स्नेहा को सामने से आते देख राजवीर एक मिनट के लिए खामोश हो गया..
"अरे स्नेहा, किधर से भाई सुबह सुबह..." राजवीर ने सामने से आती हुई स्नेहा को इशारा कर के कहा
"नमस्ते... बस यूँ ही थोड़ा फ्रेश हवा खाने गयी थी बाहर..." स्नेहा ने राजवीर के पास आके कहा
स्नेहा के पास आते ही, राजवीर की सबसे पहली नज़र उसके होंठों पे और फिर अगले ही पल नीचे उसके ब्लाउस से दिख रहे चुचों पे गयी, जैसे ही राजवीर की नज़र उसकी क्लीवेज पे गयी उसके मूह में पानी आ गया और एक अजीब ही तरीके से अपनी जीभ अपने होंठों पे फेर दी.. उसकी यह हरकत स्नेहा और सुहसनी दोनो ने ही देखी, सुहसनी का तो पता नहीं पर स्नेहा ने रिक्षन में बस एक स्माइल दी और अपनी क्लीवेज को यूँ खुला छोड़ राजवीर के मंसूबों को हवा दे दी...