hotaks444
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जैसे ही में कंपनी के हॉल की तरफ गया तो देखा शैली आई हुई थी, में शैली को देख कर चोंक गया और शैली भी मुझे देखकर चोंक गई, शैली मेरे पास आई ।
शैली-"अरे सूरज तूम यहां क्या कर रहे हो, इसी कंपनी में नोकारी करते हो क्या तुम" शैली ने जैसे ही मुझे सूरज बोला तो में डर गया की तान्या या कोई और न सुन ले, क्योंकि में इन सबके लिए तो सूर्या था।
सूरज-" हाँ शैली दीदी,में यहीं नोकारी करता हूँ,लेकिन आप यहाँ क्या कर रही हो"
शैली-" मेरे डेड भी बड़े बिजनेस मैन हैं, टेंडर किस कंपनी को मिलेगा यह मेरे डेड ही तय करेंगे" जैसे ही मैंने यह सूना,मेरी आधी परेसानी तो दूर हो गई।
सूरज-" अरे वाह्ह शैली दीदी यह तो बहुत अच्छी बात है, दीदी दो मिनट मेरी बात सुनो" सूरज शैली को अलग जगह लेकर जाता है ।
शैली-"क्या बात है सूरज, क्या यहीं पर गेम सुरु करेगा,वैसे भी काफी दिन से तू आया नहीं है मेरे पास,और हाँ तेरी तनु दीदी को पता नहीं क्या हो गया,वो भी काफी दिन से नहीं आई है"
सूरज-"अरे दीदी पहले मेरी जरुरी बात सुनो,यह टेंडर सूर्या कंपनी को ही मिलना चाहिए, शैली दीदी प्लीज़ आप अपने डेडी से कह कर यह टेण्डर दिलाओ" सूरज ने हाथ जोड़कर यह बात बोली, जब सूरज शैली के हाँथ जोड़ कर टेंडर की बात कर रहा था उसी दौरान कंपनी की मेनेजर गीता यह बात सुन लेती है और देख भी लेती है।
शैली-"तुम सूर्या कंपनी के लिए इतनी विनती क्यूँ कर रहे हो,सूर्या कंपनी की हेड तान्या तो बहुत अकड़ू टायप की लड़की है डेडी कभी उसके लिए राजी नहीं होंगे,तुम कैसे नोकारी कर लेते हो इस कंपनी में"
सूरज-"प्लीज़ शैली दीदी आप कोसिस करो, बाकी की बात बाद में बताऊंगा आपके लिए,मीटिंग सुरु होने बाली है" सूरज बहुत मिन्नत करता है ।
शैली-"okk सूरज में डेडी से बोलती हूँ,लेकिन मुझे क्या मिलेगा इसमें"
सूरज-"दीदी आप जो बोलो"
शैली-" मुझे सिर्फ तेरा साथ चाहिए सूरज,समझ ले टेंडर मिल गया" शैली हँसते हुए वादा करती है, टेंडर की मीटिंग सुरु हो चुकी थी ।
सभी कंपनी के मालिक अपना अपना पक्ष मजबूती के साथ रखते हैं, शैली अपने डेडी के कान में कुछ बोलती है,सूरज समझ जाता है, शैली के डेडी टेण्डर सूर्या कंपनी को दे देते हैं ।
तान्या यह सुनकर बहुत खुश हो जाती है,सूरज भी तान्या को खुश देखकर आज बहुत खुश था,लेकिन अन्दर ही अंदर दुखी भी था। मीटिंग ख़त्म होते ही सब लोग चले जाते हैं ।शैली सूरज को मिलने के लिए कह कर जाती है ।
सूरज गुमसुम सा अपने केबिन में बैठा था तभी गीता मेनेजर आती है ।
गीता मेनेजर-'सूर्या सर आपको ख़ुशी नहीं हुई की टेंडर आपकी कंपनी को मिला है"
सूरज-"में तो बहुत खुश हूँ गीता जी और तान्या दीदी भी आज बहुत खुश हैं"
गीता-" यह ख़ुशी सिर्फ आपकी बजह से मिली है तान्या जी को,मैंने सब देख लिया था और सुन भी लिया था की आप शैली जी से टेंडर के लिए विनती कर रहे थे,यह ख़ुशी सिर्फ आपके कारण मिली है तान्या जी को,यह बात उनको पता नहीं है"
सूरज-" ओह्ह गीता जी आपको सब पता चल गया,आप यह बात किसी को बताना नहीं प्लीज़"
गीता-"नहीं सर आप बेफिक्र रहिए,में किसी को नहीं बताउंगी" यह कह कर गीता चली जाती है।तभी सूरज का फोन बजता है,पूनम दीदी की कॉल आ रही ।
सूरज-" हेलो हाँ दीदी बोलो"
पूनम-"सूरज कहाँ पर है तू"
सूरज-"दीदी कंपनी में ही हूँ बोलो क्या हुआ"
पूनम-"सूरज में डेल्टा मॉल में हूँ,फ्री हो तो आजा,
सूरज-"दीदी अब बिलकुल फ्री ही हूँ, रुको आ रहा हूँ" सूरज गाडी लेकर डेल्टा मोल में पहुचता है । जैसे ही केन्टीन के पास पहुँचा पूनम दीदी मेरे पास आई भागती हुई ।
पूनम-"आ गया मेरा भाई,पहली बार इस मॉल में आई हूँ सोचा तुझे बुला लू,तनु कॉलेज चली गई है किसी काम से"
सूरज-"कोई नहीं दीदी,क्या खरीदना है आपको खरीद लो"
पूनम-"भाई मुझे तो सिर्फ यह मॉल देखना था इसलिए स्कूल से यहीँ आ गई,चलो घूमते हैं" पूनम और सूरज जैसे ही मॉल की तरफ जाते हैं तभी शिवानी की नज़र सूरज पर पड़ती है, शिवानी को यकीन नहीं हो रहा था की सूर्या अभी तक जिन्दा है।शिवानी गुस्से आग बबूला होकर सूर्या के पास आती है,पूनम और सूरज से सामने गुस्से से देखती हुई बोलती है ।
शिवानी-" मैंने तो सोचा था की तू मर गया होगा, लेकिन तू अभी भी जिन्दा है, मेरे भाई शंकर को यदि में अभी बता दू की तू जिन्दा है तो तेरे टुकड़े टुकड़े कर देंगे" सूरज बड़ी गौर से देखता है की यह कौन बला आ गई है,कहीं देखा तो है लेकिन कहाँ देखा यह बात भूल गया सूरज,लेकिन जैसे ही शिवानी ने शंकर भाई का नाम लिया सूरज तुरंत पहचान गया की यह शिवानी है जिसे सूर्या ने प्यार का झूठा नाटक कर इसके साथ सम्भोग किया था ।
इधर पूनम भी हैरान थी की यह लड़की सूरज के बारे में क्या बोल रही है ।
शिवानी-"क्या हुआ मुह बंद हो गया तेरा,मेरी ज़िन्दगी तो तूने बरबाद कर दी अब क्या इस लड़की के साथ भी तू खिलबाड़ करेगा,जो तूने मेरे साथ किया था सूर्या" जैसे ही पूनम यह बात सुनती है तो हैरत में पड जाती है,और सोचती है की शायद यह लड़की गलत फहमी में है,
पूनम-'कौन हो आप और क्या बक बक किए जा रही हो"
सूरज-"शांत हो जाओ दीदी इन्हें बोल लेने दीजिए"
पूनम-"क्या भाई यह लड़की कितनी देर से आपके लिए अनाप सनाप बोल रही है और आप चुप हो" शिवानी हैरत में थी की यह कौनसी बहन है सूर्या की और सूर्या इतना खामोस क्यूँ है।
शिवानी-"ओ मेडम यह अच्छा लड़का नहीं है,तुम्हे नहीं पता इसने मेरे साथ क्या किया"
सूरज-"प्लीज़ आप लोग शांत हो जाओ, दीदी आप चलो यहां से" सूरज को डर था की पूनम को और शिवानी को सूरज और सूर्या की हक़ीक़त न पता चल जाए इसलिए पूनम को वहां से ले जाता है ।
पूनम का मूड ऑफ हो जाता है,सूरज का मूड तो पहले से ही ऑफ था ।
पूनम सोच रही रही सूरज ने उस लड़की को कोई जवाब क्यूँ नहीं दिया,क्या सूरज कुछ मुझसे छुपा रहा है ।गाँव से शहर आने के बाद सूरज के पास पैसा गाडी और घर मिलना,सूरज जरूर कोई राज छिपा रहा है मुझसे ।
पूनम-'सूरज एक बात पूछु,सच सच बताएगा?" सूरज समझ जाता है की दीदी के दिमाग में वाही लड़की घूम रही है ।
सूरज-"हाँ दीदी बोलो"
पूनम-"तू इस लड़की को जानता है क्या"
सूरज बहुत सोचते हुए हाँ बोलता है ।
पूनम-"इसका मतलब वो लड़की ठीक कह रही थी की तूने उसकी ज़िन्दगी खराब की है"
सूरज-"नहीं दीदी मैंने उसकी ज़िन्दगी खराब नहीं की है"
पूनम-"ओह्ह्ह फिर वो कौन थी और तुझे सूर्या कह कर क्यूं बुला रही थी,सूरज तू मुझसे कुछ तो छुपा रहा है, क्या बात है सूरज" अब सूरज फस चुका था, झूठ के साहरे चल रही ज़िन्दगी में एक तूफ़ान सा आ गया था ।
सूरज-"दीदी समय आने पर आपको सब बता दूंगा"
पूनम-"नहीं सूरज आखिर क्या बात है,में तेरी बहन हूँ,मुझे बताने में तुझे क्या परेसानी है,कहीं तू कुछ गलत काम तो नहीं कर रहा है" पूनम को डर था की कहीं सूरज शहर में आकर गलत कार्य तो नहीं करने लगा।
सूरज-"दीदी आपका भाई कभी कोई गलत काम नहीं कर सकता है,मेरा विस्वास करो"
पूनम-"फिर ऐसी क्या बात है की तू मुझे अपनी हर बात बताने में जिझक रहा है, बोल सूरज क्या बात है?" पूनम की आँखों में हलके आंसू छलक आए ।सूरज पर यह देखा नहीं गया ।
सूरज-"दीदी प्लीज़ आप परेसान मत हो,में आपको सब बता दूंगा"
पूनम-'मुझे अभी जानना है सूरज"
सूरज-"दीदी आप वादा करो की किसी को बताओगी नहीं,माँ और तनु को भी नहीं"
पूनम-"वादा करती हूँ मेरे भाई,किसी को नहीं बताउंगी"
सूरज-"दीदी जब हम लोग गाँव से इस शहर में आए,तब इसी मंदिर में एक औरत को कुछ गुंडे मारने आए,मैंने उस संध्या नाम की औरत को बचा लिया,उस औरत का लड़का सूर्या जो मेरी तरह हमसकल था उसको शंकर डॉन ने मार दिया,क्योंकि अभी जो लड़की मिली थी उसको सूर्या ने धोका दिया"सूरज सारी बात बता देता है,की कैसे वो सूरज की जगह सूर्या बना,संध्या माँ और तान्या दीदी के बारे में बताता है और शिवानी को धोका दिया सूरज ने,चुदाई और आज मधु को लेकर संध्या का गुस्सा होना यह नहीं बताता है,बाकी हर सामान्य बात बता देता है ।
पूनम-" ओह्ह सूरज,अब ये शिवानी कहीं तुम्हे सूर्या समझ कर फिर से हमला न करबा दे तुम पर"
सूरज-"दीदी में शिवानी और उसके भाई शंकर से बात करूँगा,मुझे सूर्या के परिवार की रक्षा करनी है दीदी,संध्या माँ मुझे बहुत प्यार करती है"
पूनम-" सूरज अगर उनको पता लग गया की तू सूर्या नहीं सूरज है फिर क्या होगा"
सूरज-"दीदी जो होगा वो देखा जाएगा"
पूनम को सारी सच्चाई सुनकर सूरज पर गर्व होता है ।
पूनम-"सूरज तू बाकई में सबका रखबाला है,मुझे तुझ पर गर्व है"
पुनम सूरज को गले लगा लेती है ।
सूरज-"दीदी किसी को बताना नहीं प्लीज़,यह राज हम दोनों के बीच में ही रहना चाहिए"
पूनम-"फ़िक्र मत कर सूरज,लेकिन तू मुझसे एक वादा कर अबसे तू हर बात मुझे बताएगा"
सूरज-"ठीक है दीदी,अब चलो दीदी,घर चलते हैं,भूक लगी है आज सुबह से कुछ खाया नहीं है"
पूनम-" चलो भाई,तनु भी घर पहुँच गई होगी"दोनों भाई बहन गाडी में बैठते हैं तभी सूरज के फोन पर शिवानी की कॉल आती है,सूरज नहीं पता था की कल जिनकी जान बचाई वह शिवानी के भाई शंकर की पत्नी और बच्चे थे और शिवानी भी नहीं जानती थी जिसको फोन मिलाया वो सूरज उर्फ़ सूर्या ही था ।
शिवानी-"हेलो सर कैसे हो आप"
सूरज-"में ठीक हूँ मेडम आप कैसी हो, आपकी भावी और बच्चे कैसे हैं"
शिवानी-"सर क्या आप आज हमारे घर आ सकते हो खाने पर, मेरे भाई आपसे मिलना चाहते हैं"
सूरज-"मेडम जी में जरूर आऊंगा मिलने,इ अभी डेल्टा मॉल पर हूँ,यहां से कितनी दूर है आपका घर"
शिवानी-"ओह्ह्ह आप डेल्टा मॉल पर हैं में भी वहीँ पर हूँ,किधर हैं आप,केन्टीन की तरफ आइए,में वही आपसे मिलूंगी प्लीज़"शिवानी बहुत उत्सुक थी सूरज से मिलने के लिए ।
सूरज पूनम को कल कार के एक्सिडेंट के बारे में बता देता है,की कैसे उसने एक औरत और दो बच्चों की जान बचाई,अब वो लड़की सूरज से मिलना चाहती है,
शैली-"अरे सूरज तूम यहां क्या कर रहे हो, इसी कंपनी में नोकारी करते हो क्या तुम" शैली ने जैसे ही मुझे सूरज बोला तो में डर गया की तान्या या कोई और न सुन ले, क्योंकि में इन सबके लिए तो सूर्या था।
सूरज-" हाँ शैली दीदी,में यहीं नोकारी करता हूँ,लेकिन आप यहाँ क्या कर रही हो"
शैली-" मेरे डेड भी बड़े बिजनेस मैन हैं, टेंडर किस कंपनी को मिलेगा यह मेरे डेड ही तय करेंगे" जैसे ही मैंने यह सूना,मेरी आधी परेसानी तो दूर हो गई।
सूरज-" अरे वाह्ह शैली दीदी यह तो बहुत अच्छी बात है, दीदी दो मिनट मेरी बात सुनो" सूरज शैली को अलग जगह लेकर जाता है ।
शैली-"क्या बात है सूरज, क्या यहीं पर गेम सुरु करेगा,वैसे भी काफी दिन से तू आया नहीं है मेरे पास,और हाँ तेरी तनु दीदी को पता नहीं क्या हो गया,वो भी काफी दिन से नहीं आई है"
सूरज-"अरे दीदी पहले मेरी जरुरी बात सुनो,यह टेंडर सूर्या कंपनी को ही मिलना चाहिए, शैली दीदी प्लीज़ आप अपने डेडी से कह कर यह टेण्डर दिलाओ" सूरज ने हाथ जोड़कर यह बात बोली, जब सूरज शैली के हाँथ जोड़ कर टेंडर की बात कर रहा था उसी दौरान कंपनी की मेनेजर गीता यह बात सुन लेती है और देख भी लेती है।
शैली-"तुम सूर्या कंपनी के लिए इतनी विनती क्यूँ कर रहे हो,सूर्या कंपनी की हेड तान्या तो बहुत अकड़ू टायप की लड़की है डेडी कभी उसके लिए राजी नहीं होंगे,तुम कैसे नोकारी कर लेते हो इस कंपनी में"
सूरज-"प्लीज़ शैली दीदी आप कोसिस करो, बाकी की बात बाद में बताऊंगा आपके लिए,मीटिंग सुरु होने बाली है" सूरज बहुत मिन्नत करता है ।
शैली-"okk सूरज में डेडी से बोलती हूँ,लेकिन मुझे क्या मिलेगा इसमें"
सूरज-"दीदी आप जो बोलो"
शैली-" मुझे सिर्फ तेरा साथ चाहिए सूरज,समझ ले टेंडर मिल गया" शैली हँसते हुए वादा करती है, टेंडर की मीटिंग सुरु हो चुकी थी ।
सभी कंपनी के मालिक अपना अपना पक्ष मजबूती के साथ रखते हैं, शैली अपने डेडी के कान में कुछ बोलती है,सूरज समझ जाता है, शैली के डेडी टेण्डर सूर्या कंपनी को दे देते हैं ।
तान्या यह सुनकर बहुत खुश हो जाती है,सूरज भी तान्या को खुश देखकर आज बहुत खुश था,लेकिन अन्दर ही अंदर दुखी भी था। मीटिंग ख़त्म होते ही सब लोग चले जाते हैं ।शैली सूरज को मिलने के लिए कह कर जाती है ।
सूरज गुमसुम सा अपने केबिन में बैठा था तभी गीता मेनेजर आती है ।
गीता मेनेजर-'सूर्या सर आपको ख़ुशी नहीं हुई की टेंडर आपकी कंपनी को मिला है"
सूरज-"में तो बहुत खुश हूँ गीता जी और तान्या दीदी भी आज बहुत खुश हैं"
गीता-" यह ख़ुशी सिर्फ आपकी बजह से मिली है तान्या जी को,मैंने सब देख लिया था और सुन भी लिया था की आप शैली जी से टेंडर के लिए विनती कर रहे थे,यह ख़ुशी सिर्फ आपके कारण मिली है तान्या जी को,यह बात उनको पता नहीं है"
सूरज-" ओह्ह गीता जी आपको सब पता चल गया,आप यह बात किसी को बताना नहीं प्लीज़"
गीता-"नहीं सर आप बेफिक्र रहिए,में किसी को नहीं बताउंगी" यह कह कर गीता चली जाती है।तभी सूरज का फोन बजता है,पूनम दीदी की कॉल आ रही ।
सूरज-" हेलो हाँ दीदी बोलो"
पूनम-"सूरज कहाँ पर है तू"
सूरज-"दीदी कंपनी में ही हूँ बोलो क्या हुआ"
पूनम-"सूरज में डेल्टा मॉल में हूँ,फ्री हो तो आजा,
सूरज-"दीदी अब बिलकुल फ्री ही हूँ, रुको आ रहा हूँ" सूरज गाडी लेकर डेल्टा मोल में पहुचता है । जैसे ही केन्टीन के पास पहुँचा पूनम दीदी मेरे पास आई भागती हुई ।
पूनम-"आ गया मेरा भाई,पहली बार इस मॉल में आई हूँ सोचा तुझे बुला लू,तनु कॉलेज चली गई है किसी काम से"
सूरज-"कोई नहीं दीदी,क्या खरीदना है आपको खरीद लो"
पूनम-"भाई मुझे तो सिर्फ यह मॉल देखना था इसलिए स्कूल से यहीँ आ गई,चलो घूमते हैं" पूनम और सूरज जैसे ही मॉल की तरफ जाते हैं तभी शिवानी की नज़र सूरज पर पड़ती है, शिवानी को यकीन नहीं हो रहा था की सूर्या अभी तक जिन्दा है।शिवानी गुस्से आग बबूला होकर सूर्या के पास आती है,पूनम और सूरज से सामने गुस्से से देखती हुई बोलती है ।
शिवानी-" मैंने तो सोचा था की तू मर गया होगा, लेकिन तू अभी भी जिन्दा है, मेरे भाई शंकर को यदि में अभी बता दू की तू जिन्दा है तो तेरे टुकड़े टुकड़े कर देंगे" सूरज बड़ी गौर से देखता है की यह कौन बला आ गई है,कहीं देखा तो है लेकिन कहाँ देखा यह बात भूल गया सूरज,लेकिन जैसे ही शिवानी ने शंकर भाई का नाम लिया सूरज तुरंत पहचान गया की यह शिवानी है जिसे सूर्या ने प्यार का झूठा नाटक कर इसके साथ सम्भोग किया था ।
इधर पूनम भी हैरान थी की यह लड़की सूरज के बारे में क्या बोल रही है ।
शिवानी-"क्या हुआ मुह बंद हो गया तेरा,मेरी ज़िन्दगी तो तूने बरबाद कर दी अब क्या इस लड़की के साथ भी तू खिलबाड़ करेगा,जो तूने मेरे साथ किया था सूर्या" जैसे ही पूनम यह बात सुनती है तो हैरत में पड जाती है,और सोचती है की शायद यह लड़की गलत फहमी में है,
पूनम-'कौन हो आप और क्या बक बक किए जा रही हो"
सूरज-"शांत हो जाओ दीदी इन्हें बोल लेने दीजिए"
पूनम-"क्या भाई यह लड़की कितनी देर से आपके लिए अनाप सनाप बोल रही है और आप चुप हो" शिवानी हैरत में थी की यह कौनसी बहन है सूर्या की और सूर्या इतना खामोस क्यूँ है।
शिवानी-"ओ मेडम यह अच्छा लड़का नहीं है,तुम्हे नहीं पता इसने मेरे साथ क्या किया"
सूरज-"प्लीज़ आप लोग शांत हो जाओ, दीदी आप चलो यहां से" सूरज को डर था की पूनम को और शिवानी को सूरज और सूर्या की हक़ीक़त न पता चल जाए इसलिए पूनम को वहां से ले जाता है ।
पूनम का मूड ऑफ हो जाता है,सूरज का मूड तो पहले से ही ऑफ था ।
पूनम सोच रही रही सूरज ने उस लड़की को कोई जवाब क्यूँ नहीं दिया,क्या सूरज कुछ मुझसे छुपा रहा है ।गाँव से शहर आने के बाद सूरज के पास पैसा गाडी और घर मिलना,सूरज जरूर कोई राज छिपा रहा है मुझसे ।
पूनम-'सूरज एक बात पूछु,सच सच बताएगा?" सूरज समझ जाता है की दीदी के दिमाग में वाही लड़की घूम रही है ।
सूरज-"हाँ दीदी बोलो"
पूनम-"तू इस लड़की को जानता है क्या"
सूरज बहुत सोचते हुए हाँ बोलता है ।
पूनम-"इसका मतलब वो लड़की ठीक कह रही थी की तूने उसकी ज़िन्दगी खराब की है"
सूरज-"नहीं दीदी मैंने उसकी ज़िन्दगी खराब नहीं की है"
पूनम-"ओह्ह्ह फिर वो कौन थी और तुझे सूर्या कह कर क्यूं बुला रही थी,सूरज तू मुझसे कुछ तो छुपा रहा है, क्या बात है सूरज" अब सूरज फस चुका था, झूठ के साहरे चल रही ज़िन्दगी में एक तूफ़ान सा आ गया था ।
सूरज-"दीदी समय आने पर आपको सब बता दूंगा"
पूनम-"नहीं सूरज आखिर क्या बात है,में तेरी बहन हूँ,मुझे बताने में तुझे क्या परेसानी है,कहीं तू कुछ गलत काम तो नहीं कर रहा है" पूनम को डर था की कहीं सूरज शहर में आकर गलत कार्य तो नहीं करने लगा।
सूरज-"दीदी आपका भाई कभी कोई गलत काम नहीं कर सकता है,मेरा विस्वास करो"
पूनम-"फिर ऐसी क्या बात है की तू मुझे अपनी हर बात बताने में जिझक रहा है, बोल सूरज क्या बात है?" पूनम की आँखों में हलके आंसू छलक आए ।सूरज पर यह देखा नहीं गया ।
सूरज-"दीदी प्लीज़ आप परेसान मत हो,में आपको सब बता दूंगा"
पूनम-'मुझे अभी जानना है सूरज"
सूरज-"दीदी आप वादा करो की किसी को बताओगी नहीं,माँ और तनु को भी नहीं"
पूनम-"वादा करती हूँ मेरे भाई,किसी को नहीं बताउंगी"
सूरज-"दीदी जब हम लोग गाँव से इस शहर में आए,तब इसी मंदिर में एक औरत को कुछ गुंडे मारने आए,मैंने उस संध्या नाम की औरत को बचा लिया,उस औरत का लड़का सूर्या जो मेरी तरह हमसकल था उसको शंकर डॉन ने मार दिया,क्योंकि अभी जो लड़की मिली थी उसको सूर्या ने धोका दिया"सूरज सारी बात बता देता है,की कैसे वो सूरज की जगह सूर्या बना,संध्या माँ और तान्या दीदी के बारे में बताता है और शिवानी को धोका दिया सूरज ने,चुदाई और आज मधु को लेकर संध्या का गुस्सा होना यह नहीं बताता है,बाकी हर सामान्य बात बता देता है ।
पूनम-" ओह्ह सूरज,अब ये शिवानी कहीं तुम्हे सूर्या समझ कर फिर से हमला न करबा दे तुम पर"
सूरज-"दीदी में शिवानी और उसके भाई शंकर से बात करूँगा,मुझे सूर्या के परिवार की रक्षा करनी है दीदी,संध्या माँ मुझे बहुत प्यार करती है"
पूनम-" सूरज अगर उनको पता लग गया की तू सूर्या नहीं सूरज है फिर क्या होगा"
सूरज-"दीदी जो होगा वो देखा जाएगा"
पूनम को सारी सच्चाई सुनकर सूरज पर गर्व होता है ।
पूनम-"सूरज तू बाकई में सबका रखबाला है,मुझे तुझ पर गर्व है"
पुनम सूरज को गले लगा लेती है ।
सूरज-"दीदी किसी को बताना नहीं प्लीज़,यह राज हम दोनों के बीच में ही रहना चाहिए"
पूनम-"फ़िक्र मत कर सूरज,लेकिन तू मुझसे एक वादा कर अबसे तू हर बात मुझे बताएगा"
सूरज-"ठीक है दीदी,अब चलो दीदी,घर चलते हैं,भूक लगी है आज सुबह से कुछ खाया नहीं है"
पूनम-" चलो भाई,तनु भी घर पहुँच गई होगी"दोनों भाई बहन गाडी में बैठते हैं तभी सूरज के फोन पर शिवानी की कॉल आती है,सूरज नहीं पता था की कल जिनकी जान बचाई वह शिवानी के भाई शंकर की पत्नी और बच्चे थे और शिवानी भी नहीं जानती थी जिसको फोन मिलाया वो सूरज उर्फ़ सूर्या ही था ।
शिवानी-"हेलो सर कैसे हो आप"
सूरज-"में ठीक हूँ मेडम आप कैसी हो, आपकी भावी और बच्चे कैसे हैं"
शिवानी-"सर क्या आप आज हमारे घर आ सकते हो खाने पर, मेरे भाई आपसे मिलना चाहते हैं"
सूरज-"मेडम जी में जरूर आऊंगा मिलने,इ अभी डेल्टा मॉल पर हूँ,यहां से कितनी दूर है आपका घर"
शिवानी-"ओह्ह्ह आप डेल्टा मॉल पर हैं में भी वहीँ पर हूँ,किधर हैं आप,केन्टीन की तरफ आइए,में वही आपसे मिलूंगी प्लीज़"शिवानी बहुत उत्सुक थी सूरज से मिलने के लिए ।
सूरज पूनम को कल कार के एक्सिडेंट के बारे में बता देता है,की कैसे उसने एक औरत और दो बच्चों की जान बचाई,अब वो लड़की सूरज से मिलना चाहती है,