hotaks444
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बिहारी तभी राधिका के करीब आता हैं - वाह मेरी जान.......वाह... कसम से वाकई तू क्या चीज़ हैं. मुझे नहीं पता था कि तू नंगी हालत में और खूबसूरत लगेगी. और फिर बिहारी उसके पीछे जाकर उससे सट कर खड़ा हो जाता हैं और धीरे धीरे अपने हाथों को बढ़ाते हुए उसके दोनो बूब्स को अपनी मुट्ठी में पूरी ताक़त से भीच लेता हैं. राधिका के मूह से एक तेज़्ज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं. मगर इस बार वो अपने हाथों को रोकता नहीं बल्कि उसी तरह उसके दोनो बूब्स को मसलता रहता हैं. फिर एक हाथ नीचे लेजा कर उसकी चूत पर रखकर उसको अपनी मुट्ठी में भीच लेता हैं. और अपना लंड का प्रेशर राधिका के गान्ड पर डालने लगता हैं. राधिका इस वक़्त अपनी आँख बंद किए हुए बिहारी को पूरी मनमानी करने दे रही थी. तभी विजय और जग्गा भी उसके पास आ जाते हैं और जग्गा नीचे झूल कर राधिका की चूत पर अपने होंठ रख कर बड़े हौले से अपना जीभ फिराने लगता हैं और विजय उसके दोनो निपल्स को बारी बारी अपने मूह में लेकर चूस्ता हैं.
राधिका के मूह से सिसकारी लगातार निकल रही थी आ.............एयेए...हह..............अया.हह. वो आब धीरे धीरे झड़ने के करीब पहुँच रही थी और उसकी आँखें बंद थी. पीछे से बिहारी उसकी पीठ और गर्देन पर अपना जीभ फिरा रहा था और उसके गान्ड को दोनो हाथों से मसल भी रहा था उधेर विजय उसके दोनो दूध को बारी बारी चूस रहा था और नीचे बैठा जग्गा उसकी चूत पर हल्के होंटो से उसकी चूत को छेड़ रहा था. राधिका इस वक़्त जन्नत में थी. उसे तो ये भी होश नहीं था कि जो लोग उसके बदन से खेल रहे हैं वो उसके दुश्मन हैं.
राधिका अब झरड़ने के बिल्कुल करीब आ चुकी थी अभी भी वो डिल्डो उसकी चूत में था और बहुत धीमी गति से घूम रहा था तभी बिहारी उन सब को तुरंत पीछे हटने को बोल देता हैं और खुद भी हट जाता हैं. और फिर राधिका के बदले हुए चेहरे को वो तीनों बड़े गौर से देखने लगते हैं.
राधिका फिर से तड़प उठती हैं. अगर थोड़ी देर तक वे लोग उसके जिस्म के साथ और खेलते तो वो अब तक झढ़ चुकी होती मगर इस तरह आधी अधूरी प्यास से वो और बौखला जाती हैं..
राधिका तुरंत बिहारी के कदमों में गिरकर रोने लगती हैं- आख़िर मेरी किश खता की तुम मुझे इतनी बड़ी सज़ा दे रहे हो. आख़िर मेरा क्या कसूर हैं. क्यों तुम मुझे ऐसे तडपा रहे हो. प्लीज़............ अब तो मेरी प्यास बुझा दो. अब ये प्यास मेरी बर्दास्त के बाहर हो चुकी हैं. तुम्हें जो जी में आए वो तुम मुझसे करवा लो मगर ऐसा सितम मुझपर मत करो ..................प्लीज़ मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ.
बिहारी राधिका को बड़े प्यार से उठाता हैं- अरे मेरी जान मैं तुझे किसी बात की सज़ा थोड़ी ही ना दे रहा हूँ. जिसे तू सज़ा समझ रही हैं देखना कुछ देर बाद तुझे कितना उससे सुख मिलेगा. मैं तो तुझे ये दिखा रहा हूँ कि जब चूत में आग लगती हैं तो औरत इस आग को बुझाने के लिए किस हद्द तक जा सकती हैं. और मुझे तेरी वो हद्द देखनी हैं. तू चिंता मत कर बस थोड़ी देर की बात हैं तेरी आग हम ऐसे बुझायेँगे कि तू हमे जन्मों जन्मों तक नहीं भूल पाएगी.. मगर उससे पहले तुझे हम तीनों के लंड से पानी निकालना होगा बोल पूरा अच्छे से चूसेगी ना हम सब का लंड.
राधिका- हां बिहारी तुम जैसा चाहते हो जो चाहते हो वो मैं सब कुछ करूँगी फिर राधिका झट से उठती हैं और घुटनों के बल बैठ कर बिहारी के लंड को अपने मूह से चाटना शुरू करती हैं.
बिहारी- एक दिन मैने कहा था ना कि तुझे मैं अपना लॉडा चुसवाउन्गा. देख आज तू खुद अपनी मर्ज़ी से मेरा लंड चूस रही हैं. बोल तुझे अब मैं क्या कहूँ ...............................एक रंडी. या कुछ और..
विजय- बिहारी रंडियों का भी कोई वजूद होता हैं. वो कितना भी नीचे गिर जायें मगर अपने भाई और बाप से कभी नहीं चुदवाती. मगर इसे देख ये तो इन सब से आगे हैं. बोल हैं ना तू एक रंडी.....
राधिका सिर नीचे झुका लेती हैं- हां मैं रंडी हूँ. तुम सब की रखैल हूँ तुम सब का जो जी में आए मेरे साथ करो जैसा कहोगे तुम सब मैं वैसा करूँगी.
बिहारी- वो तो तू वैसे भी करेगी मेरी रानी आख़िर तेरी चूत की आग को इस वक़्त हम ही बुझा सकते हैं. अगर हम ने ऐसा नहीं किया तो तू बाहर किसी से भी इस वक़्त चुदवा सकती हैं. क्यों कि मैं अच्छे से जानता हूँ इस वक़्त तेरी चूत की आग तुझे अच्छे बुरे के बारे में कुछ सोचने नहीं देगी और अगर इस वक़्त तेरा बाप भी यहाँ पर होता तो तू उसके सामने अपनी चूत खोलकर तू उससे भी चुदवा लेती. बिहारी की ऐसी बातो को सुनकर राधिका शरम से अपनी नज़रें नीचे झुका लेती हैं.
राधिका के मूह से सिसकारी लगातार निकल रही थी आ.............एयेए...हह..............अया.हह. वो आब धीरे धीरे झड़ने के करीब पहुँच रही थी और उसकी आँखें बंद थी. पीछे से बिहारी उसकी पीठ और गर्देन पर अपना जीभ फिरा रहा था और उसके गान्ड को दोनो हाथों से मसल भी रहा था उधेर विजय उसके दोनो दूध को बारी बारी चूस रहा था और नीचे बैठा जग्गा उसकी चूत पर हल्के होंटो से उसकी चूत को छेड़ रहा था. राधिका इस वक़्त जन्नत में थी. उसे तो ये भी होश नहीं था कि जो लोग उसके बदन से खेल रहे हैं वो उसके दुश्मन हैं.
राधिका अब झरड़ने के बिल्कुल करीब आ चुकी थी अभी भी वो डिल्डो उसकी चूत में था और बहुत धीमी गति से घूम रहा था तभी बिहारी उन सब को तुरंत पीछे हटने को बोल देता हैं और खुद भी हट जाता हैं. और फिर राधिका के बदले हुए चेहरे को वो तीनों बड़े गौर से देखने लगते हैं.
राधिका फिर से तड़प उठती हैं. अगर थोड़ी देर तक वे लोग उसके जिस्म के साथ और खेलते तो वो अब तक झढ़ चुकी होती मगर इस तरह आधी अधूरी प्यास से वो और बौखला जाती हैं..
राधिका तुरंत बिहारी के कदमों में गिरकर रोने लगती हैं- आख़िर मेरी किश खता की तुम मुझे इतनी बड़ी सज़ा दे रहे हो. आख़िर मेरा क्या कसूर हैं. क्यों तुम मुझे ऐसे तडपा रहे हो. प्लीज़............ अब तो मेरी प्यास बुझा दो. अब ये प्यास मेरी बर्दास्त के बाहर हो चुकी हैं. तुम्हें जो जी में आए वो तुम मुझसे करवा लो मगर ऐसा सितम मुझपर मत करो ..................प्लीज़ मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ.
बिहारी राधिका को बड़े प्यार से उठाता हैं- अरे मेरी जान मैं तुझे किसी बात की सज़ा थोड़ी ही ना दे रहा हूँ. जिसे तू सज़ा समझ रही हैं देखना कुछ देर बाद तुझे कितना उससे सुख मिलेगा. मैं तो तुझे ये दिखा रहा हूँ कि जब चूत में आग लगती हैं तो औरत इस आग को बुझाने के लिए किस हद्द तक जा सकती हैं. और मुझे तेरी वो हद्द देखनी हैं. तू चिंता मत कर बस थोड़ी देर की बात हैं तेरी आग हम ऐसे बुझायेँगे कि तू हमे जन्मों जन्मों तक नहीं भूल पाएगी.. मगर उससे पहले तुझे हम तीनों के लंड से पानी निकालना होगा बोल पूरा अच्छे से चूसेगी ना हम सब का लंड.
राधिका- हां बिहारी तुम जैसा चाहते हो जो चाहते हो वो मैं सब कुछ करूँगी फिर राधिका झट से उठती हैं और घुटनों के बल बैठ कर बिहारी के लंड को अपने मूह से चाटना शुरू करती हैं.
बिहारी- एक दिन मैने कहा था ना कि तुझे मैं अपना लॉडा चुसवाउन्गा. देख आज तू खुद अपनी मर्ज़ी से मेरा लंड चूस रही हैं. बोल तुझे अब मैं क्या कहूँ ...............................एक रंडी. या कुछ और..
विजय- बिहारी रंडियों का भी कोई वजूद होता हैं. वो कितना भी नीचे गिर जायें मगर अपने भाई और बाप से कभी नहीं चुदवाती. मगर इसे देख ये तो इन सब से आगे हैं. बोल हैं ना तू एक रंडी.....
राधिका सिर नीचे झुका लेती हैं- हां मैं रंडी हूँ. तुम सब की रखैल हूँ तुम सब का जो जी में आए मेरे साथ करो जैसा कहोगे तुम सब मैं वैसा करूँगी.
बिहारी- वो तो तू वैसे भी करेगी मेरी रानी आख़िर तेरी चूत की आग को इस वक़्त हम ही बुझा सकते हैं. अगर हम ने ऐसा नहीं किया तो तू बाहर किसी से भी इस वक़्त चुदवा सकती हैं. क्यों कि मैं अच्छे से जानता हूँ इस वक़्त तेरी चूत की आग तुझे अच्छे बुरे के बारे में कुछ सोचने नहीं देगी और अगर इस वक़्त तेरा बाप भी यहाँ पर होता तो तू उसके सामने अपनी चूत खोलकर तू उससे भी चुदवा लेती. बिहारी की ऐसी बातो को सुनकर राधिका शरम से अपनी नज़रें नीचे झुका लेती हैं.