Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर - Page 17 - SexBaba
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Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर

राधिका की आँखों में अब भी आँसू थे..तभी कमरे में जग्गा और विजय आते हैं.



विजय- क्या हुआ मेरी जान आज तेरी आँखों में आँसू. विजय की बातो को सुनकर राधिका नफ़रत से अपना मूह दूसरी तरफ फेर लेती हैं. तभी बिहारी भी कमरे में आता हैं.



बिहारी- आज तुम सब इसे जैसा चाहो वैसा रगाडो और इसकी बदन की सारी गर्मी निकालो.. साली पर कोई रहम मत करना. तब तक इसे चोदना जब तक तुम सब के लंड का आखरी कतरा ना निकल जायें. आज इसे भी तो पता चलना चाहिए कि ये एक पेशावॉर रंडी से कम बिल्कुल नहीं हैं. बिहारी की बातो को सुनकर विजय और जग्गा हैरत से बिहारी की ओर देखने लगते हैं.



जग्गा- क्या बात हैं बिहारी. कल तक तो तुझे इससे बड़ा प्यार था. आज क्या हुवा ऐसा लगता हैं अब तेरा मन इससे भर गया हैं. खैर इस लौंडिया से तो हमारा दिल कभी नहीं भर सकता..फिर जग्गा राधिका के पास जाता हैं और उसके दोनो बूब्स को कसकर अपनी मुट्ठी में ज़ोर से भीच देता हैं. राधिका के मूह से फिर से सिसकारी निकल पड़ती हैं..



विजय वहीं ड्रॉयर के पास जाता हैं और फिर से एक ड्रग्स का इंजेक्षन री-फिल करता हैं. आज ड्रग्स की क्वांटिटी कल से ज़्यादा थी. वो तुरंत राधिका के पास आता हैं और वो इंजेक्षन राधिका के हाथों में लगाता हैं. राधिका बिना किसी सवाल जवाब के अपने हाथ आगे बढ़ा देती हैं. थोड़ी देर के बाद राधिका वहीं फर्श पर बैठ जाती हैं धीरे धीरे वो ज़हर उसकी रगों में घुलना शुरू हो जाता हैं और उसपर फिर से नशा छाने लगता हैं.



बिहारी जग्गा और विजय फिर से अपने सारे कपड़े एक एक कर निकाल देते हैं और कुछ देर में वो तीनों पूरी तरह नंगे हो जाते हैं और फिर से राधिका की दर्दनाक चुदाई का सिलसिला शुरू हो जाता हैं. सबसे पहले विजय अपना लंड धीरे धीरे राधिका के मूह में पेलता हैं और तब तक नहीं रुकता जब तक उसका लंड राधिका के हलक में नहीं पहुँच जाता. विजय तो पहले से ही वाइल्ड सेक्स करता था. आज उसे पूरा छूट मिल गयी थी इसलिए वो आज अपने वहशीपने पर उतर जाता हैं..इधेर जग्गा भी उसके बूब्स और निपल्स को बुरी तरह से मसल रहा था और उधेर बिहारी बड़े गौर से उन दोनो के एक एक हरकतों को देख रहा था. राधिका भी अब धीरे धीरे गरम होने लगी थी और फिर जग्गा नीचे झुक कर उसकी चूत को चाटना शुरू कर देता हैं. और आज फिर उस कंडीशन पर रुक जाता हैं जहाँ राधिका ऑर्गॅनिसम के बहुत करीब थी. जग्गा के तुरंत हटने से एक बार फिर राधिका तड़प उठती हैं. तभी बिहारी उसके पास आता हैं और फिर से उसके सिर के बाल को कसकर अपनी मुट्ठी में ज़ोर से भीच लेता है..राधिका के मूह से फिर से दर्द भरी सिसकारी निकलती हैं मगर विजय का लंड उसके मूह में होने की वजह से उसकी आवाज़ अंदर ही घुट जाती हैं..



थोड़ी देर के बाद विजय अपना पूरा लंड उसके हलक से बाहर निकलता हैं..और राधिका ज़ोर ज़ोर से अपनी साँसें लेती हैं. आज उसे पता था कि ये सब रात भर उसपर रहम नहीं करेंगे..खास तौर से बिहारी...



राधिका- बिहारी मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ प्लीज़ मुझे कहीं से ज़हर लाकर दे दो. सच में अब मैं जीना नहीं चाहती ...



बिहारी- अरे मेरी जान सुना हैं कि तू बड़ी हिम्मत वाली लड़की हैं और आज इतनी जल्दी हिम्मत हार गयी. अभी तो पूरे 6 दिन बचे हैं यहाँ गुजारने के लिए .. अभी से तू ऐसे हिम्मत हारेगी तो कैसे काम चलेगा...राधिका कुछ नहीं कहती और बस अपनी नज़रें नीची कर लेती हैं वो अब समझ चुकी थी की इन दरिंदों के बीच उसकी फरियाद सुनने वाला आज कोई नहीं हैं. वो भी चुप चाप अपने आप को उन सब के आगे पूरा समर्पण कर देती हैं. फिर से राधिका का जिस्म उन तीनों बरी बारी नोचते हैं और एक के बाद ...एक एक कर उसकी चूत गान्ड की छुदाई करते हैं. फिर बाद में तीनों एक साथ एक ही समय पर राधिका की तीनों मिलकर चुदाई करते हैं. अब राधिका भी धीरे धीरे इन सब की आदि होती जा रही थी. उपर से ड्रग्स का नशा उसकी रही सही सोचने और समझने की शक्ति को ख़तम कर रही थी. इसी तरह फिर से राधिका के साथ वाइल्ड सेक्स होता हैं ...मगर अब राधिका किसी भी चीज़ का विरोध नहीं करती थी..



रात रात भर जग्गा ,विजय और बिहारी तीनों वियाग्रा की गोली खा खा कर राधिका की चूत और गान्ड की ठुकाइ करते और उसके साथ नन्गपन का खेल खेलते. राधिका के अंदर की अब शरम लगभग ख़तम हो चुकी थी. वक़्त बीतता जा रहा था और दिन गुज़रते जा रहे थे. इधेर राधिका की हालत दिन ब-दिन बुरी और बुरी होती जा रही थी. हर पल वो मर रही थी. ना जाने कितनी तकलीफ़ वो चुप चाप सहती मगर वो किसी से कुछ नहीं कहती. ज़हर का हर घुट वो बस अपने चाहने वालों के लिए हर पल पी रही थी.. हर शाम को राहुल का फोन आता और राधिका राहुल को इस बात का बिल्कुल एहसास नहीं होने देती कि वो आज किस हालत में हैं. बस चुप चाप दो चार बातें करके वो फोन रख देती.. कभी कभी निशा का भी फोन आता निशा भी कई दिनों से उसके घर नहीं आ पा रही थी. वजह थी उसकी मम्मी की कुछ दिनों से तबीयत खराब और दूसरी बात निशा का एग्ज़ॅम्स भी नज़दीक आने वाला था.
 
दो दिन तक बिहारी राधिका के साथ कड़ा रुख़ अपनाता रहा मगर जब राधिका उसकी किसी भी बात का विरोध नहीं करती तो वो अब धीरे धीरे उसके साथ नर्मी से पेश आने लगा था..कहते हैं ना अगर किसी के साथ जिस्मानी तालुकात बन जाए तो इंसान की उसके प्रति चाहत बढ़ जाती हैं चाहे वो रंडी ही क्यों ना हो.आज ठीक वही स्थिति बिहारी की भी थी..वो अब राधिका को धीरे धीरे चाहने लगा था ..अब वो राधिका का ख्याल भी रखने लगा था मगर इधेर विजय कमीनपन का एक जीती जागती मिसाल था. उसके अंदर कोई प्रेम भावना किसी के प्रति नहीं थी...



उधेर हर सुबेह शंकर काका राधिका के पास आते और उसके दर्द पर मलहम का काम करते. मगर अब राधिका पूरी तरह से टूट गयी थी. ना उसके अंदर किसी चीज़ की अब चाहत रह गयी थी और ना कुछ पाने की इच्छा ... बस वो हर घड़ी हर पल अपने राहुल के आने का इंतेज़ार करती ये जानते हुए भी कि अब राहुल उसे किसी भी हाल में नहीं अपनाएगा..शायद उसके पीछे उसका निस्वार्थ प्रेम था...



ऐसे ही दिन गुज़रते गये और आज पूरे 5 दिन बीत चुके थे.. हर रात जग्गा, विजय और बिहारी तरह तरह के एक्सपेरिमेंट उसके साथ करते मगर राधिका कभी कुछ नहीं कहती. शायद आब उसके अंदर का इंसान पूरी तरह से मर चुका था. अब वो सिर्फ़ एक ज़िंदा लाश बनकर रह गयी थी. और उन तीनों के लिए बस एक चुदाई की मशीन...राधिका का शरीर के साथ साथ उसकी हिम्मत और हौसला भी पूरी तरह से टूट गया था. हँसना तो वो पूरी तरह से भूल चुकी थी. बस शंकर काका हर सुबेह उसके जिस्म की सिकाई करते और उसका पूरा ख्याल रखते. आज शायद शंकर काका के बस में अगर कुछ होता तो वो राधिका के लिए ज़रूर कुछ करते. मगर वो भी मज़बूर थे..इन 5 दिनों में राधिका की इतनी बार चुदाई हुई थी कि उसकी कोई गिनती नहीं थी. हर रात शंकर काका उसकी चीखे सुनते मगर वो भी ज़हर का घुट पीकर रह जाते...



आज 6वा दिन था और राधिका की हालत बहुत नाज़ुक हो चुकी थी. उसकी आँखो के नीचे कालापन सॉफ नज़र आ रहा था जिससे ये सॉफ ज़ाहिर हो रहा था कि उसके साथ कितना ग़लत हुआ हैं...मगर दिन ब दिन राधिका की खामोशी बढ़ती ही जा रही थी. अब वो किसी से एक शब्द कुछ नहीं कहती. ना किसी से किसी बात के लिए मना करती.. वो हर रोज़ मर रही थी..और यही बात अब बिहारी को पल पल सता रही थी. राधिका की ये खामोशी अब उसे देखी नहीं जा रही थी. शायद उसको ऐसा पहली बार महसूस हुआ था. आज बिहारी को ऐसा लगने लगा था कि वो आज जीत कर भी हार गया हैं.



उसी शाम को जब राधिका पूरी नंगी हालत में बिहारी , विजय और जग्गा के सामने थी तभी उसके घर की बेल बजती हैं. बिहारी झट से एक टवल लपेट कर दरवाज़ा खोलता हैं. सामने उसका नौकर खड़ा था..



नौकर- साहेब आपसे मिलने काजीरी मेम्साब आई हैं. काजीरी का नाम सुनकर बिहारी के चेहरे पर गुस्से के भाव आ जाते हैं..



बिहारी फिर उस नौकर को कहता हैं कि उसे अंदर भेज दो. थोड़ी देर के बाद जग्गा, विजय , और बिहारी शॉर्ट्स कपड़े पहन लेते हैं और राधिका को वहीं शॉल दे देते हैं. वो बिना कुछ कहें वो शॉल अपने जिस्म पर डाल लेती हैं. तभी काजीरी की कमरे में एंट्री होती हैं.



काजीरी की उमर करीब 45 साल , मोटी और रंग उसका काला था. चेहरे पर गाढ़ा लिपस्टिक लगाए, और बालों में फूलों का गजरा. माथे पर बड़ी गोल लाल रंग की बिंदी. और कानों में बड़े बड़े झुमके... मूह में पान चबाते हुए ओए नीले रंग की साड़ी में वो कमरे में प्रवेश करती हैं..



बिहारी- आओ आओ काजीरी इतने दिनों के बाद तुम यहाँ पर कैसे आई...कहो कैसे आना हुआ.



काजीरी- बिहारी मर्द तो सच में बड़े हरामी होते हैं. और तू तो सच में बड़ा हरामी चीज़ हैं. पहले मुझसे ज़रूरत पड़ता था तब तू मेरे पास कुत्ते जैसे दुम हिलाते हुए आता था. जब से तेरी कुर्सी उँची हो गयी हैं तब से तू तो काजीरी को भूल ही गया. चल कोई बात नहीं तू भले ही भूल गया हो मगर मैं तुझे कभी नहीं भूलूंगी. आख़िर तू हमारा ख़ास कस्टमर हैं.. तभी काजीरी की नज़र राधिका पर पड़ती हैं और काजीरी के चेहरे पर मुस्कान तैर जाती हैं. वो फिर राधिका के पास जाती हैं..
 
काजीरी- अरे ये कौन हैं. और इस नगीना को तुमने हम से इतने दिनों तक छुपा कर रखा हुआ है. तभी मैं कहूँ कि तू मेरे दरवाज़े पर क्यों नहीं आ रहा आज कल.. कहाँ से लाया ये नगीना. अगर ये मार्केट में आ जाए तो ये हमारे धंधे की शोभा बढ़ा देगी.. सच में ये नगीना हैं नगीना....



बिहारी- तू मुझे ग़लत समझ रही हैं काजीरी. जो तू समझ रही हैं ये वो नहीं हैं. ये एक शरीफ लड़की है ना कि रंडी...



काजीरी- शरीफ लड़की..........तो ये यहाँ क्या कर रही हैं तेरे पास. क्या तुझसे अपनी गान्ड मरवाने आई हैं ..अरे तेरे संपर्क में कोई लड़की आ जाए तो वो तो पूरी रंडी ही बनकर निकलेगी यहाँ से.. खैर अगर ये मार्केट में आ जाए तो हमारे धंधे में चार चाँद लग जायें. बोल इस लड़की की तू एक रात की कितनी कीमत मुझसे लेगा. एक बहुत मालदार पार्टी आई हुई हैं और उन्हें ऐसी ही लड़की चाहिए.



बिहारी- मैने कहा ना काजीरी ये ऐसी लड़की नहीं हैं. अगर कोई नयी माल आती हैं तो मैं तेरे पास भेज दूँगा. मगर इसे नहीं..



काजीरी- क्या बात हैं बिहारी... लगता हैं तेरा इस लड़की पर दिल आ गया हैं. मगर पैसे के आगे आदमी की क्या बिसात.. बोल ना एक रात की कितनी कीमत लेगा.. एक लाख.. दो लाख या पूरे 5 लाख...इसी ज़्यादा मैं नहीं दे सकती..



बिहारी- मैने कहा ना काजीरी कि ये लड़की रंडी नहीं हैं. अगर मेरे पास नयी कोई माल आएगी तो मैं तेरे पास भिजवा दूँगा. तभी विजय बीच में बोल पड़ता हैं. काजीरी अगर तू इस लड़की के पूरे 5 लाख देने को तैयार हैं तो मुझे ये सौदा मंज़ूर हैं.



बिहारी- विजय ...ये क्या मज़ाक हैं. मैने कहा ना ये लड़की धंधे में नहीं उतरेगी.. मुझे इस लड़की का कोई सौदा नहीं करना हैं.. तू यहाँ से जा सकती हो काजीरी..अब मुझे इस बारे में कोई बात नहीं करनी..



विजय- एक तो तेरी वजह से मेरा धंधा बंद हैं उपर से 5 लाख हाथ में आ रहें है तो तू अब मना कर रहा हैं. बोल तू देगा क्या..मुझे 5 लाख ...



बिहारी- ज़ुबान संभाल कर बात कर विजय. भले ही मैने इसके साथ ग़लत किया हैं मगर मैं इसको प्रॉस्टियुयेशन के धंधे में नहीं धकेल सकता. और राधिका कोई रंडी नहीं हैं. और मैं तुझे नहीं देने वाला कोई रुपये..



काजीरी- बिहारी... ठंडे दिमाग़ से सोच..जो आज पार्टी आ रही हैं वो अरब की हैं और तू आच्छे से जानता हैं कि वो लोग लड़की देखकर मूह माँगी पैसे लूटाते हैं. बस एक रात की तो बात हैं. मैं वादा करती हूँ कि सुबेह ये लड़की तेरे पास पहुँच जाएगी..



बिहारी- काजीरी तो तू ये भी जानती होगी कि जिन लोगों के बीच तू इसी भेजने को कह रही हैं वो इसके साथ क्या सुलूख करेंगे. उनके आगे तो अच्छी से अच्छी रंडिया भी टिक नहीं पाती तो इस लड़की की क्या औकात हैं. मुझे ये सौदा मंज़ूर नहीं..



विजय- तो फिर मुझे 5 लाख चाहिए इस वक़्त. अगर तू इस लड़की के बदले दे देगा तो मैं कुछ नहीं बोलूँगा. बोल देगा मुझे ...



बिहारी को विजय पर आज बहुत गुस्सा आ रहा था मगर वो आज सब उसकी की वजह से हुआ था इस वजह से वो कुछ नहीं बोल पा रहा था. बिहारी के चेहरे पर चिंता की लकीरे सॉफ छलक रही थी.. वो किसी भी हाल में राधिका को उन सब के बीच भेजना नहीं चाहता था..वो अच्छे से जानता था कि राधिका किसी भी कीमत पर उनके सामने टिक नहीं पाएगी...बिहारी को ऐसे चिंता में डूबा देखकर राधिका बोल पड़ती हैं..



राधिका- मैं जाउन्गि बिहारी ... कह दो इन्हें मुझे ये सौदा मंज़ूर हैं..



बिहारी हैरत से राधिका को देखने लगता हैं- राधिका ये बात तुम कह रही हो.. तुम कोई रंडी नहीं हो और तुम्हें मालूम भी हैं वो लोग तुम्हारे साथ कैसे पेश आएँगे... तुम उन सब का सामना नहीं कर पाओगी..



राधिका- रंडी.......तुम भूल रहे हो बिहारी कि अब मुझ में और रंडी में कोई फ़र्क नहीं हैं. मैं तो पहले से ही एक ज़िंदा लाश बन चुकी हूँ मुझे अब क्या वो लोग मारेंगे.. मार तो तुमने मुझे दिया हैं..



बिहारी ना चाहते हुए भी कुछ नहीं कह पाता और अपना अपनी गर्देन नीचे झुका लेता हैं.. आज राधिका की कही हुई बातो का उसके पास कोई जवाब नहीं था. आज बिहारी सारी बाज़ी जीत कर भी हार गया था आज राधिका की वजह से उसे ज़िंदगी में सबसे बड़ी शिकस्त मिली थी
 
बिहारी तो ये बात नहीं जानता था कि राधिका ने ऐसा क्यों किया मगर इतना वो ज़रूर समझ चुका था कि वो अब अपने आप को बर्बाद करने पर तुली हुई हैं चाहे उसके पीछे कोई और वजह क्यों ना हो.. मगर आज वो चाह कर भी कुछ नहीं कर सकता था...थोड़ी देर के बाद विजय राधिका की ब्लॅक साड़ी लाकर उसे पहनने को देता हैं और राधिका के मोबाइल को वो अपने पास ही रख लेता हैं और उसे स्विच ऑफ कर देता हैं...विजय ने अंजाने में या जान बूझकर राधिका का मोबाइल स्विच ऑफ किया था शायद अब यही उसने सबसे बड़ी ग़लती कर दी थी. क्यों कि राहुल अच्छे से जानता था कि राधिका अपना मोबाइल कभी स्विच ऑफ नहीं करती और जाने अंजाने में राहुल को ज़रूर इस बात पर शक होना ही था..राधिका अपने कपड़े पहन कर कजरी के साथ निकल पड़ती हैं तभी बिहारी काजीरी को चेतावनी की तौर पर कहता हैं..



बिहारी- ठीक हैं काजीरी तू राधिका को ले कर जा रही हैं मैं तुझे रोकुंगा नहीं..मगर इतना याद रखना अगर इस लड़की को कुछ हुआ तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा. मैं भूल जाउन्गा की तेरे से मेरा कोई रिश्ता भी हैं..



कजरी कुछ नहीं कहती और वो राधिका को लेकर अपने साथ चली जाती हैं..राधिका के दिल में अब किसी तरह का डर और घबराहट नहीं थी. और वो अच्छे से जानती थी कि जहाँ वो जा रही हैं वे लोग उसके साथ बहुत बुरा सुलूक करेंगे मगर उसे सब मंज़ूर था. इन सब के पीछे वजह ये थी कि वो बिहारी के मूह पर एक करकरा जवाब देना चाहती थी और आज उसके इस फ़ैसले से बिहारी उसके सामने अपने आप को शर्मिंदा महसूस कर रहा था..



थोड़ी देर के बाद वो कार एक सुनसान घर के सामने रुकती हैं और फिर काजीरी राधिका को अपने साथ लेकर उस घर में जाती हैं. अंदर एक बड़ा सा हॉल था. और कमरे में कोई नहीं था. काजीरी फिर एक फोन कॉल करती हैं और बस इतनी ही कहती हैं कि इंतज़ाम हो गया हैं और कुछ पैसों का बात भी करती हैं. उधेर से जवाब आता हैं कि वी लोग 1/2 घने में आ रहें हैं. करीब 1/2 घंटे में दो कार वहाँ तेज़ी से आकर रुकती हैं. उस कार में से 6 व्यक्ति निकलते हैं और सीधा कमरे में एंटर होते सब की हाइट करीब 6 फीट के आस पास थी.सभी का उमर लगभग 40 से 50 साल के आस पास था.. कमरे में वो लोग एंटर होते हैं जब उनकी नज़र राधिका पर पड़ती हैं तो उन सब के चेहरे पर मुस्कान तैर जाती हैं..



तभी पहला राधिका की ओर देखकर बोलता हैं- ओपन युवर क्लॉत बेबी... यू डो'न्ट नो दा रूल्स. इन दिस रूम व्हेन यू एंटर फर्स्ट.... यू हॅव टू रिमूव ऑल दा क्लोद्स...देन एंटर इनसाइड.. आइ थिंक यू अंडरस्टॅंड बेबी...



राधिका बिना किसी बहस के अपने कपड़े उन सब के सामने उतारने लगती हैं..



तभी दूसरा बोलता हैं- हे...काजीरी यू गो आउट साइड... वी हॅव पे 10 लख्स रुपीज़ फॉर वन नाइट फॉर दिस बेबी.. सो यू कम ....ऑन टुमॉरो मॉर्निंग... कजरी कुछ नहीं बोलती और चुप चाप बाहर निकल जाती हैं..



तभी तीसरा बोलता हैं- वॉट'स युवर नेम बेबी...



राधिका..... मेरा नाम राधिका हैं...



तभी चौथा बोलता हैं- वॉट ईज़ युवर फिगर साइज़ बेबी..



राधिका- 36,24,32.. इसी तरह के भद्दे सवालों का सिलसिला शुरू हो जाता हैं..और राधिका हर एक सवालों का जवाब बिना शरमाये देती हैं.



थोड़ी देर के बाद वो उन सब के सामने एक एक कर पूरे कपड़े उतार कर पूरी नंगी हो जाती हैं.. तभी एक और आदमी जाकर दरवाज़ा बाहर से लॉक कर देता हैं और एक बड़ा सा रस्सी लेकर आता हैं.. फिर वो राधिका के पीछे जाकर उसके दोनो हाथों को पीछे से कसकर बाँध देता हैं...
 
फिफ्थ वन- यू नो बेबी दिस ईज़ गंगबॅंग सूयीट... आंड इन तीस सूयीट देर ईज़ नो रेस्टिक्षन्स आंड नो मर्सी...सो वी गिव ऑर्डर्स आंड यू मस्ट हॅव टू फॉलो इट... अदरवाइज़ इट ईज़ नोट गुड फॉर यू.... आइ थिंक यू गॉट इट. व्हाट आइ वॉंट टू से... राधिका बस हां में अपना सिर हिला देती हैं...



फिर एक एक कर सभी अपने कपड़े उतारना शुरू करते हैं और कुछ देर में उन सब के लंड राधिका के सामने होते हैं. सभी के लंड करीब 10 इंच के आस पास थे... फिर शुरू होता हैं राधिका की चुदाई का सिलसिला. जैसे राधिका ने सोचा था उससे कहीं ज़्यादा वो लोग दरिंदे थे. सबसे पहले तो उसका लंड चुसाइ का सिलसिला शुरू होता हैं. हाथ पीछे बँधे होने की वजह से जैसे वे लोग चाहते राधिका के मूह में अपना लंड डालकर उससे चुस्वाते और हर पोज़ीशन में उसके मूह में अपना पूरा लंड डालते और अपना कम उसे पिलाते.. अगर एक बूद भी नीचे गिरता तो वे सब उससे फर्श चाट कर सॉफ करने को कहते... करीब 1 घंटे तक लंड चूसने का खेल चलता रहता हैं. फिर कभी दो लंड एक साथ उससे एक ही समय पर चुस्वाते. ऐसे ही बीच बीच में उसको छड़ी से भी उसके गान्ड पर मारते हैं जैसे कि ब्लू फ़िल्मो में होता हैं. राधिका चुप चाप उनसब के ज़ुल्म सहती रहती...



फिर धीरे धीरे एक एक कर राधिका की गान्ड और चूत की चुदाई का सिलसिला चालू हो जाता हैं वैसे तो राधिका इन सब की आदि हो चुकी थी मगर ये लोग एक्सपर्ट थे भला इन सब के आगे राधिका की क्या बिसात... एक एक आदमी एक एक घंटे तक उसकी चूत गान्ड मारता हैं और फिर बारी बारी से उसके तीनों छेदों में एक साथ लंड डाला जाता हैं और करीब रात 12 बजे तक तो राधिका बड़ी आसानी से उन सब को हॅंडल कर लेती हैं मगर इसके बाद जो दौर चालू होता हैं वो राधिका कभी सपने में भी नहीं सोचती थी.. जिन्हें वो इंसान समझ रही थी वो तो पूरे दरिंदे थे...दरिंदे..



अब जो दौर चालू हुआ उसमें राधिका की हालत बहुत बिगड़ने वाली थी. एक ही समय पर दो दो लंड उसकी चूत में डाला गया जिससे एक बार तो राधिका दर्द की वजह से बेहोश हो गयी थी मगर फिर उसके मूह पर पानी मार मार कर उसे होश में लाया जाता. ऐसे ही सभी बदल बदल कर एक समय पर उसकी चूत में दो दो लंड एक साथ डालते. फिर वैसे ही उसकी गान्ड में डबल लंड का दौरा चला. हर बार दो आदमी एक साथ उसकी चूत तो कभी उसके गान्ड में दो दो लंड डालते.. इस बीच राधिका तीन बार बेहोश हो चुकी थी..



पूरी रात भर उसकी इसी तरह से चुदाई का दौरा चलता रहा और राधिका दर्द से रात भर चीखती और चिल्लाति रही...उसे आज मालूम चल गया था कि गंगबॅंग सूयीट क्या होता हैं..सच में उन सभी के अंदर दया नाम की कोई चीज़ नहीं थी..जहाँ राधिका उन सब के अगेन्स्ट जाती या उनका कहा मानने में थोड़ी भी देर करती उसको छड़ी की मार सहनी पड़ती..ऐसे ही करीब सुबेह तक ये दौरा चलता रहा और सुबेह के करीब 4 बजे तक राधिका की हालत बहुत नाज़ुक हो चुकी थी..फिर भी करीब 5 बजे तक उसकी चुदाई का दौर चलता रहा और सुबेह के 5:30 बजे वे सब अपने कपड़े पहन कर निकल जाते हैं और वहीं राधिका फर्श पर अभी भी बेहोसी की हालत में पड़ी हुई थी... और राधिका की चूत और गान्ड से धीरे धीरे ब्लीडिंग भी अब हो रही थी...



इसी बीच शाम को निशा बार बार राधिका के मोबाइल पर अपना फोन ट्राइ कर रही थी मगर हर बार यही जवाब आता .....स्वित ऑफ... जब निशा को नहीं रहा गया तो वो फ़ौरन राधिका के घर के लिए निकल पड़ती हैं. उसके दिल में भी एक डर बैठ गया था कि आख़िर क्या वजह हैं जो राधिका इतने दिनों से उससे मिलने भी नहीं आई और आज उसका फोन भी बंद हैं.. दिल में हज़ारों सवाल लिए जब वो राधिका के घर के पास पहुँचती हैं तो घर पर ताला लगा देखकर उसका डर और बढ़ जाता हैं..



थोड़ी देर तक वो वहीं आस पास घूमती हैं और साथ ही साथ वो राधिका का फोन भी ट्राइ करती हैं मगर हर बार एक ही जवाब आता हैं . निशा को इस वक़्त राधिका पर बहुत गुस्सा भी आ रहा था..और और बार बार बड़बड़ा रही थी..... समझती क्या हैं अपने आप को आज घर पर भी ताला लगा हुआ हैं और अपना मोबाइल भी बंद कर रखी हैं. आने दे आज उसे बताउन्गि....मुझे इतने दिनों तक मिलने भी नहीं आई... लेकिन वो गयी तो गयी कहाँ???



तभी वहीं पड़ोस में एक आंटी निशा को परेशान घूमते हुए इधेर उधेर देखती हैं तो वो उसके पास आती हैं.. निशा की जब नज़र उस आंटी पर पड़ती हैं तो वो उसे नमस्ते कहती हैं और राधिका के बारे में उससे पूछती हैं...



निशा- आंटी क्या आपको मालूम हैं कि राधिका कहाँ गयी हुई हैं..



तभी वो आंटी जो बात उससे कहती हैं वो निशा के होश उड़ जाते हैं-- कमाल हैं बेटी मैं तो समझ रही थी कि वो अपने किसी रिस्तेदार के यह्न गयी होगी ..आज उसको गये हुए करीब 6 दिन बीत गये हैं मुझे लगा कि वो तेरी अच्छी दोस्त हैं तो तुझे बता कर गयी होगी...



निशा- आंटी प्लीज़ जो कहना हैं सॉफ सॉफ कहिए...मेरा दिल बैठा जा रहा हैं.. कहीं उसे कुछ हो तो नहीं गया ...



फिर वो आंटी कहती हैं- बेटी अभी 6 दिन पहले एक स्कॉर्पियो गाड़ी यहाँ पर आई थी. और मैने राधिका को उस गाड़ी में जाते हुए देखा मुझे लगा कि वो अपने किसी रिस्तेदार के यहाँ गयी होगी शायद वो सब हादसा उसके घर जो हुआ था... तब से वो अब तक घर नहीं लौटी....



निशा- क्या घर नहीं लौटी.. मगर दो दिन पहले ही तो मेरी उससे बात हुई थी. कहाँ जा सकती हैं वो... तभी वो तुरंत राहुल के पास फोन करती हैं और राधिका की सारी बातें उसे बताती हैं... राहुल के भी होश उड़ जाते हैं और वो तुरंत मुंबई से उसी शाम फ्लाइट पकड़ कर मनाली आ जाता हैं और करीब रात 9 बजे वो ख़ान और अपने आदमियों को लेकर राधिका की तलाशी शुरू कर देता हैं... राधिका के लिए तो राहुल आकाश पाताल एक कर देगा और कहीं भी राधिका होगी वो उसे ढूँढ निकालेगा..
 
वक़्त के हाथों मजबूर--43




इन सब से बेख़बर इधर बिहारी के अड्डे पर.....



राधिका के शरीर पर जगह जगह घाव के निशान थे. होंठो से हल्का खून भी बह रहा था और उसके निपल्स का रंग नीला पड़ गया था..करीब 6 बजे काजीरी वहाँ पर आती हैं और राधिका के जिस्म को शॉल से ढक देती हैं और फिर उसे गाड़ी में लेकर बिहारी के पास आती हैं. राधिका अभी भी बेहोशी की हालत में थी.. राधिका की ऐसी हालत देखकर बिहारी गुस्से से बौखला जाता हैं..



बिहारी- मैने तुझे कहा था ना कि इसे कुछ नहीं होना चाहिए फिर भी तेरे रहते इसकी ऐसी हालत हुई. अगर इसे कुछ हो गया तो मैं तेरी मा चोद दूँगा... तू मुझे अभी लगता हैं अच्छे से जानती नहीं हैं..



काजीरी- मैं क्या करती वे लोग कहने लगे कि हम ने 10 लाख रुपए दिए हैं एक रात के इसलिए मुझे बाहर निकाल दिया और अपनी मनमानी करते रहें...काजीरी के मूह से ग़लती से 10 लाख वाली बात निकल जाती हैं और इतना सुनते ही बिहारी गुस्से से भड़क जाता हैं...



बिहारी- क्या............10 लाख...मदर्चोद.... कामिनी कहीं की ..हम को 5 लाख दी और उन सब से 10 लाख....सच में तू बड़ी मदर्चोद हैं... मैने तेरे जैसी पैसों की लालची औरत नहीं देखी.. तू तो पैसों के लिए अपनी बेटी को भी बेच दे... निकल जा अभी इसी वक़्त मेरे सामने से और तेरे लिए यही बहतार होगा कि तू अपनी ये मनहूस शकल मुझे दुबारा मत दिखाना....और हां मेरे सामने अब दुबारा आने की कोई ज़रूरत नहीं हैं अगर ऐसा हुआ तो कहीं ऐसा ना हो कि मेरे हाथों को तेरा खून करना पड़े.. दफ़ा हो जा इसी वक़्त ....कजरी चुप चाप वहाँ से बाहर निकल जाती हैं. तभी शंकर काका कमरे में आते हैं और राधिका की हालत देखकर वो चीख पड़ते हैं...



शंकर- ये सब क्या किया मालिक.. इस फूल जैसी बच्ची का क्या हाल किया हैं आप सब ने... सच में आप सब इंसान नहीं हैवान हैं..अगर आप सब के अंदर ज़रा सी भी इंसानियत होती तो इस फूल जैसी बच्ची के साथ ऐसा सुलूख कभी ना करते... इससे अच्छा होता कि इसका अपने हाथों से इसका गला घोंट देते मालिक. कम से कम इसको इतनी ज़ल्लत तो नहीं सहनी पड़ती...देखिए गौर से इसे मालिक जब ये पहले दिन यहाँ आई थी तब ये कैसी लग रही थी और आज इसकी कैसी हालत हैं. अब भी मैं आपके हाथ जोड़ता हूँ मालिक भगवान के लिए इसे अब छोड़ दो नहीं तो ये अब मर जाएगी...



शंकर की बाते से बिहारी भी काँप उठता हैं और अपना सिर नीचे झुका लेता हैं.. तभी विजय शंकर के पास जाता हैं और एक जोरदार थप्पड़ उसके गाल पर जड़ देता हैं.



विजय- कमीना ... नमक हराम कहीं का. जिस थाली में ख़ाता हैं उसी में छेद करता हैं. हमारा ही नौकर हैं और आज हमे ही आँख दिखा रहा हैं..अरे ये क्या बोलेगा जो कुछ पूछना हैं मुझसे पूछ ये तो खुद ही इस लौंडिया के प्यार में पड़ गया हैं.. अभी आज आखरी दिन हैं. और कल सुबेह ये लड़की आज़ाद हो जाएगी तब तक तो ये हम सब की रखैल हैं...



बिहारी ज़ोर से चिल्लाते हुए.... तेरी हिम्मत कैसे हुई कि तूने शंकर काका पर अपना हाथ उठाया...अगर तू मेरा दोस्त नहीं होता तो तुझे मैं यहीं ज़िंदा ज़मीन में गाढ देता..



विजय- बहुत खूब बिहारी आख़िर तूने एक नौकर के बदले अपने दोस्त पर उंगली उठा ही दी.. मगर ये मत भूल कि तू मेरा बिज्निस पार्ट्नर भी हैं. और मैं तेरा कोई गुलाम नहीं हूँ कि तू जो बोलेगा वो मैं करूँगा....



बिहारी-विजय आख़िर तूने अपनी औकात दिखा ही दी.. आज के बाद मैं तेरे साथ सारे रिलेशन्स तोड़ता हूँ...



विजय- ठीक हैं बिहारी तोड़ लेना पर मैं भी इतना बेवकूफ़ नहीं हूँ पहले मेरे सारे हिसाब क्लियर कर और कल तक मैं यहीं रहूँगा फिर तू मेरा हिसाब क्लियर कर देना मैं अलग हो जाउन्गा और नये सिरे से अपना धंधा शुरू करूँगा... बिहारी गुस्से से विजय को देखता हैं मगर कुछ नहीं बोलता.... ये सब देख कर जग्गा भी अपना पासा पलट देता हैं और वो भी विजय का पक्ष लेता हैं...
 
इधेर राधिका की हालत बिगड़ने लगती हैं. और शंकर काका उसे अपने रूम में ले जाते हैं और उसकी मलहम पट्टी करना शुरू कर देते हैं. राधिका के गुप्तांगों से हल्की हल्की ब्लीडिंग अभी भी हो रही थी. शंकर काका एक गीले कपड़े से उसके जिस्म को अच्छे से पूछते हैं और उसके चेहरे पर पानी की छींटे मरते हैं...राधिका को होश आता हैं और तुरंत उसकी ओमोटिंग शुरू हो जाती हैं. रात भर जो कुछ उसके साथ हुआ था वो सब ओमिटिंग के रास्ते उसके मूह से बाहर आता हैं. राधिका के मूह से कुछ खून भी बाहर निकलता हैं.. और थोड़ी देर के बाद वो अपने आप को काफ़ी हल्का महसूस करती हैं...



शंकर काका उसके जिस्म की सिकाई करते हैं और फिर उसके सिर पर तेल लगाते हैं और उसे बाथरूम में लेजा कर उसे अच्छे से नहलाते हैं. फिर वहीं शॉल उसे पहना देते हैं. राधिका थोड़ा सा खाना खाती हैं फिर वो वहीं बिस्तेर पर जाकर सो जाती हैं... आज राधिका का चेहरे पूरा पीला पड़ गया था और उसके निपल्स पर और उसके बदन के कई हिस्सों पर नीले और काले रंग के निशान पड़ गये थे.. वो थोड़ी देर के बाद गहरी नींद में सो जाती हैं. करीब शाम को 5 बजे उसकी नींद खुलती हैं और वो तुरंत उठ कर बैठ जाती हैं.. अब वो पहले से काफ़ी अच्छा महसूस कर रही थी...



तभी शंकर काका उसके पास आते हैं और और उसके सिर पर बड़े प्यार से अपना हाथ फिराते हैं. आज शंकर काका बिहारी से बात करके राधिका को आराम करने के लिए मना चुके थे. और बिहारी ने उसकी पर्मिशन भी दे दी थी..अब सिर्फ़ 12 घंटों का फासला था राधिका की आज़ादी के लिए मगर इन बारह घंटों में ऐसा कुछ होने वाला था जो राधिका ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था..




उधेर राहुल राधिका के लिए बहुत परेशान था. उसे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि राधिका बिन बताए अचानक कहाँ जा सकती हैं..और वही हाल उधेर निशा का भी था..राहुल फिर निशा को उसके घर तक छोड़ आता हैं और तुरंत राधिका के घर की ओर निकल पड़ता हैं. फिर वो आस पास के लोगों से उसके बारे में पूछ-ताछ करता हैं. सबकी बातो से उसे ये तो पता चलता हैं कि राधिका इस वक़्त बिहारी के पास हैं और उसी ने राधिका को कहीं छुपा कर रखा हुआ हैं... कहीं वो राधिका के साथ कुछ ग़लत तो नहीं .............नहीं.. नहीं ऐसा नहीं हो सकता .ये सारी बाते सोचकर राहुल का चेहरा गुस्से से लाल पड़ जाता हैं.



थोड़ी देर के बाद वो सीधा पोलीस स्टेशन जाता हैं और जाकर कृष्णा से जैल में मिलता हैं... राहुल को ऐसे इतनी रात गये उसके पास आता देखकर कृष्णा भी चौंक जाता हैं और सवाल भरी नज़रो से कृष्णा को देखने लगता हैं..



कृष्णा- साहेब..इतनी रात गये... क्या कोई ज़रूरी बात थी जो मुझसे मिलने तुम्हें अभी इस वक़्त आना पड़ा...



राहुल- देखो कृष्णा बात बहुत ही सीरीयस हैं.. और इस वक्त मुझे तुमसे कुछ जानकारी चाहिए.. जो मैं पूच्छू तुम अगर मुझे सारी बातें सॉफ सॉफ मुझे बताओगे तो ये हम सब के लिए अच्छा होगा... कृष्णा को राहुल की बातें कुछ भी समझ में नही आती... की राहुल उससे क्या कहना चाहता हैं..



कृष्णा- मैं कुछ समझा नहीं साहेब आख़िर तुम किस बारे में मुझसे जानकारी चाहते हो??



राहुल- बिहारी के बारे में.... मुझे बिहारी के बारे में जो कुछ भी तुम जानते हो वो मुझे सारी इन्फर्मेशन चाहिए..



कृष्णा- मगर अभी इस वक़्त....



राहुल- हां .... इस वक़्त....और तुम्हारे बापू नहीं दिख रहें.. कहाँ हैं वो...क्या किसी ने उनकी ज़मानत दी हैं???



कृष्णा- आज शाम को ही बिहारी के आदमी आए थे और उनकी जमानत करवा कर उन्हें अपने साथ ले गये हैं.. कह रहे थे कि एक दो दिन में मेरा भी ज़मानत वे लोग करवाएँगे...



राहुल- कहाँ गये होंगे वो इस वक़्त.. तुम्हें कुछ मालूम हैं.. मैं इसी वक़्त तुम्हारे घर से ही आ रहा हूँ. तुम्हारे घर पर ताला लगा हुआ हैं. वो तो अपने घर पर भी नहीं गये... तो फिर कहाँ जा सकते हैं वो...राहुल की बातो से कृष्णा चौंक जाता हैं...



कृष्णा- क्या??? ताला लगा हुआ हैं... मगर राधिका तो होगी ना अपने घर पर इस वक़्त.. वो इतनी रात को कहाँ जा सकती हैं??? कहीं वो निशा के घर तो नहीं गयी होगी..हो ना हो..वो ज़रूर निशा के घर पर ही गयी होगी...



राहुल- नहीं.... वो निशा के घर पर भी नहीं हैं.. निशा ने मुझे खुद फोन करके मुझे मुंबई से आज ही यहाँ बुलाया हैं... वो तो उससे 6 दिनों से मिली भी नही ... और तुम्हारी जानकारी के लिए बता दूँ कि राधिका पूरे 6 दिनों से अपने घर से गायब हैं... मैं अगल बगल के लोगों से उसके बारे में पूछ चुका हूँ..और सब ने यही कहा हैं कि वो 6 दिनों से अपने घर नहीं आई. हां 6 दिन पहले कोई गाड़ी आई थी उसे लेने के लिए.. तब से वो अब तक अपने घर नहीं लौटी.. मुझे तो पूरा यकीन हैं कि इन सब के पीछे बिहारी का ही हाथ हैं...इस लिए मुझे इतनी रात गये तुम्हारे पास आना पड़ा क्यों कि बिहारी के ठिकाने के बारे में तुम जानते हो...
 
राहुल की बातो को सुनकर कृष्णा के होश उड़ जाते हैं और वो वहीं धाम्म से ज़मीन पर बैठ जाता हैं... नहीं साहेब........ऐसा नहीं हो सकता... मेरी बेहन के साथ ऐसा नहीं हो सकता...वो ज़रूर किसी मुसीबत में हैं... मैं आपके आगे हाथ जोड़ता हूँ साहेब उसे कहीं से भी ढूंड कर ले आओ... अगर उसे कुछ हो गया तो मैं उसके बगैर जी नहीं पाउन्गा.... और कृष्णा वहीं रोने लगता हैं... राहुल के आँखों से भी आँसू छलक पड़ते हैं और वो भी कुछ देर तक यू ही खामोश रहता हैं........



राहुल- देखो कृष्णा मेरी बात ध्यान से सुनो..मैं जानता हूँ की राधिका जहाँ कहीं भी है वो ज़रूर किसी मुसीबत में हैं. और उसका मोबाइल भी स्विच ऑफ आ रहा हैं. बेहतर यही होगा कि तुम बिहारी के सारे ठिकाने मुझे बताओ और जिन लोगों से उसके कॉंटॅक्ट्स हैं उन सभी आदमियों के बारे में मुझे सारी जानकारी दो.. हो सकता हैं कि राधिका का पता हमे जल्दी ही मिल जाए... फिर कृष्णा एक एक कर सारी बाते राहुल को बताता चला जाता हैं और जब राहुल वो सारी बातें सुनता हैं तो उसके होश उड़ जाते हैं....



कृष्णा ने अपने और राधिका के बीच रिस्ते को और निशा वाला बात छोड़ कर सारी बातें बता देता हैं...



राहुल- बिहारी ने इतना कुछ तुम लोगों के साथ किया और तुम ने मुझे कोई भी बात बताना ज़रूरी नहीं समझा.. इसका मतलब अब तो सॉफ हैं की इन सब के पीछे बिहारी का ही हाथ हैं... बताओ मुझे वो इस वक़्त कहाँ मिलेगा और नहीं तो उसके खास खास आदमियों के बारे में मुझे जानकारी दो... कृष्णा को जो याद आता हैं वो सारी जानकारी राहुल को दे देता हैं..



कृष्णा- अगर बापू होते तो वो तुम्हें उसके सारे पते बता देते. क्यों कि वो उसकी हर बात जानते हैं. और वो सभी आदमियों को भी अच्छे से पहचानते हैं... पर इस वक़्त वो भी यहाँ पर मौजूद नहीं हैं....



राहुल- ठीक हैं कृष्णा.. जो हुआ सो हुआ.. अब मैं एक एक उसके सभी ठिकानों पर छापा मारता हूँ. हो सकता हैं राधिका का पता चल जाए.. मैं आसमान ज़मीन एक कर दूँगा मगर राधिका को कहीं से भी ढूँढ निकालूँगा... फिर राहुल अपने मिशन पर अपनी पूरी पोलीस फोर्स के साथ राधिका की तलाशी में निकल पड़ता हैं.. पहले वो बिहारी के कॉंटॅक्ट्स में दो तीन होटेल्स में छापा मरवाता हैं और कई सारे लड़कियों को प्रॉस्टियुयेशन के धंधे से आज़ाद करवाता हैं. फिर वो काजीरी के आशियाना पर धावा बोलता हैं और उसे अपने रेमंड पर लेता हैं....



थोड़ी देर के बाद काजीरी भी लॉक अप में होती हैं-- तू तो बिहारी के लिए ही काम करती हैं ना.. उसके लिए लड़कियों तू ही कस्टमर्स तक पहुँचाती हैं ना... तेरी भलाई इसी में हैं कि तू चुप चाप सब कुछ सच सच बक दे.. नहीं तो मुझे सच उगलावलने के और भी तरीके आते हैं.. और हां ये मत समझा कि तू एक औरत हैं तो मैं तुझपर तरस खाउन्गा... अगर तू अपनी भलाई चाहती हैं तो जो कुछ भी जानती हैं चल फटा फट बकती जा..



काजीरी- मुझे कुछ नहीं मालूम साहेब... सच में मैं बिहारी के बारे में कुछ नहीं जानती... वो कहाँ रहता हैं मुझे नहीं मालूम.. उसको जब ज़रूरत पड़ती हैं तो वो कभी कभी मेरे यहाँ पर आता हैं मगर जब से वो एमएलए बन गया तब से वो अपने घर पर ही लड़कियों को बुलवा लेता हैं. इसी ज़्यादा मैं कुछ नहीं जानती...



राहुल फिर राधिका के फोटो को उसके सामने रखता हैं और तुरंत काजीरी के चेहरे का रंग बदल जाता हैं और राहुल उसके बदले हुए भाव को अच्छे से पढ़ लेता हैं.- तू इसे जानती हैं.. गौर से देख इसे..इसका नाम राधिका हैं...ये पूरे 6 दिनों से अपने घर से गायब हैं और बिहारी इसके पीछे हाथ धो कर पड़ा हुआ हैं. अगर तूने इसे वहाँ देखा हैं तो सब कुछ सच सच बता दे वरना मैं तेरा वो हाल करूँगा कि अपनी आप परछाई से भी डरेगी...



काजीरी- मैं ...नहीं.. जानती इसे.. मुझे कुछ नहीं मालूम..



राहुल- ले जाओ इसी और इसकी थोड़ी अच्छे से खातिर दारी करो और तब तक करो जब तक ये सब कुछ बक ना दे... फिर दो हवलदार काजीरी को ले जाते हैं और फिर उसके दोनो हाथ और पैर एक रस्सी से बाँध देते हैं और फिर डंडे बरसाना शुरू कर देते हैं. पोलीस स्टेशन में काजीरी की दर्द भरी चीखें सुनाई देती हैं... कजरी ने तो सोच रखा था चाहे कुछ हो जाए वो पोलीस को कुछ नहीं बताएगी मगर यहाँ तो राहुल के सिर पर खून सवार था. उसने भी तय कर लिया था चाहे काजीरी मार खाते खाते अपनी दम क्यों ना तोड़ दे वो आज इसी सब कुछ उगलवा कर ही दम लेगा... काफ़ी मार खाने के बावज़ूद काजीरी अपना मूह नहीं खोलती और कई दफ़ा वो बेहोश हो जाती हैं... इधेर राहुल अपने आदमियों के साथ फिर से राधिका की तलाशी शुरू कर देता हैं...
 
उधेर निशा का भी रो रो कर बुरा हाल था.. वो पल पल राधिका के लिए बेचैन थी.. वो घर जाकर अपनी मम्मी सीता से लिपटकर बहुत रोती हैं... रोने की वजह भी थी.. आज उसकी जान से बढ़कर उसकी सहेली राधिका पूरे 6 दिनों से ला-पता थी और उसे तो अपने आप पर भी गुस्सा आ रहा था कि वो इतने दिनों तक उससे मिलने क्यों नहीं आई.. अगर इस बीच वो उसके घर आई होती तो ये बात उसे बहुत पहले पता चल गयी होती.. मगर आब उसके हाथ में क्या था...बस उसको अपनी राधिका के लिए इंतेज़ार ही तो करना था उसे तो ये भी नहीं मालूम था कि आज राधिका ज़िंदगी और मौत के बीच में झूल रही हैं..




उधेर बिहारी बस चुप चाप खामोश बैठा हुआ था..तभी विजय की आवाज़ सुनकर बिहारी अपनी सोच से बाहर आता हैं...



विजय- अगर तुझे लगता हैं कि हम अलग रहकर अपना धंधा कर सकते हैं तो इतना समझ ले कि ये हमारे दुश्मनों के लिए ये खुशी की बात होगी...बहतार यही होगा कि हम एक साथ रहकर कोई भी काम करें... इसी में हम सब की भलाई हैं और दोस्ती यारी में तो ये सब होता ही रहता हैं.. बोल तू क्या बोलता हैं...चल यार मैने तेरा दिल दुखाया इसके लिए मैं तुझसे माफी माँगता हूँ.. बिहारी भी कुछ नहीं कहता और विजय तुरंत उसके गले लग जाता हैं...



विजय- बिहारी मुझे तुझसे कुछ अकेले में बात करनी हैं अगर तू थोड़ा मुझे टाइम दे तो.... तभी बिहारी विजय के साथ दूसरे कमरे में चला जाता हैं...



विजय- देख बिहारी मैं जो बात अब तुझसे कहना चाहता हूँ तू मेरी बातो का बुरा मत मानना. अभी राधिका की रिहाई में 12 घंटे बचे हैं..और सोच इन 12 घंटों के बाद राधिका कहीं ऐसा ना हो कि वो सीधा अपने आशिक़ के पास जाकर वो हमारे बारे में सब कुछ सच सच बक दे.. अगर ऐसा हुआ तो राहुल हमे किसी भी हाल में ज़िंदा नहीं छोड़ेगा... बाकी तू खुद समझदार हैं..



बिहारी विजय की बातो से गुस्से से भड़क पड़ता हैं- तेरा दिमाग़ खराब हो गया हैं विजय.. तो तू ये कहना चाहता हैं कि हम राधिका को अब जान से मार दे.. ताकि वो अब राहुल को कुछ ना बता पायें...तेरा कहने का यही मतलब हैं ना...अगर तू ऐसा कुछ सोच रहा हैं तो मैं इसमें तेरा कोई साथ नहीं देने वाला.. पहले ही हम पार्वती को मार कर अपने आप को शक के दायरे में ला चुके हैं..अब अगर राधिका के साथ ऐसा कुछ हम ने किया तो हमारा बचना नामुमकिन हैं..............



विजय- यार तू तो उस लड़की के प्यार में पड़ चुका हैं और नहीं तो तेरी मति मारी गयी हैं... ज़रा ध्यान से सोच मेरी बातो को ..मैने ये कब कहा कि हम राधिका को जान से मारेंगे...पर हमे कुछ तो ऐसा करना होगा कि साँप ही मर जाए और लाठी भी ना टूटे... यानी राधिका भी ज़िंदा रहें और हम सब पूरी तरह सेफ रहें...



बिहारी- तो बोल क्या सोचा हैं.....अगर तेरे पास कोई आइडिया हैं तो बता मुझे...



विजय- मैने सोच तो बहुत कुछ रखा हैं मगर मुझे बस तेरी रज़ामंदी चाहिए... अगर तेरी इज़ाज़त हो तो...



बिहारी- कैसी रज़ामंदी....



विजय- मैं बस यही चाहता हूँ कि जैसे तू इन 6 दिनों तक जैसे अपनी मनमानी करता रहा और अपने हिसाब से हम सब को जैसे चाहा वैसा नचाता रहा.. बस मैं यही चाहता हूँ कि तू अब मुझे ये 12 घंटा मुझे दे दे.. और चुप चाप तमाशा देखता जा. यकीन मान मेरा बिहारी देख लेना हम जैसा चाहते हैं वैसा ही होगा...ये तो मुझे भी नहीं मालूम कि मुझे क्या करना हैं मगर कोई ना कोई सल्यूशन ज़रूर निकल जाएगा....
 
बिहारी कुछ देर सोचता हैं फिर बोलता हैं- तू इतने यकीन से कैसे कह सकता हैं.. अगर हम जैसा चाह रहें हैं वैसे नहीं हुआ तो.......



विजय- तो अब बता मुझे.... हैं कोई दूसरा रास्ता हमारे पास... एक आखरी बाज़ी खेल कर देख लेते हैं... शायद कोई सल्यूशन निकल जाए... अगर कोई सल्यूशन नहीं निकेलगा तो तू राधिका से सीधा बात करना इसके बारे में शायद वो मान जाए....



बिहारी हंसते हुए- तुझे क्या लगता हैं कि उसके साथ इतना कुछ हम ने किया हैं और वो आसानी से मान जाएगी... खैर तू घबरा मत अगर वो राहुल को जाकर सब बक भी देगी तो भी राहुल हम सब का कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा.. हां मगर हमे कुछ दिनों के लिए अंडरग्राउंड होना ज़रूर पड़ेगा...ऐसे ही काफ़ी देर तक वो दोनो प्लॅनिंग बनाते हैं और विजय फिर कमरे से बाहर झट से निकल जाता हैं. और करीब 1/2 घंटा में वो फिर वापस आता हैं... मगर इस बार वो अकेले नहीं आता साथ में उसके कोई और भी आई थी... और जब वो उसे लेकर राधिका के सामने जाता हैं तो राधिका बड़े गौर से उस औरत को देखने लगती हैं..



ये औरत और कोई नहीं बल्कि मोनिका ही थी... राधिका के दिल में फिर से मोनिका के प्रति नफ़रत उमड़ पड़ती हैं और वो अपना मूह दूसरी तरफ फेर लेती हैं... मोनिका भी चुप चाप वहीं खड़ी रहती हैं... बिहारी तो चुप चाप एक मूर्ति की तरह खड़ा तमाशा देख रहा था और वहीं जग्गा भी विजय के बगल में खड़ा था... तभी विजय बोलना शुरू करता हैं...



विजय- देख राधिका अब तेरी रिहाई में केवल 11 घंटे ही बचे हैं... यानी सुबेह के 7 बजे तक तू अपने घर जा सकती हैं मगर इस वक़्त तुझे इन 11 घंटों में जो भी बोला जाएगा तू वो सब कुछ करेगी.. इस वक़्त तू हम सब की रंडी हैं... और इसे तो तू अच्छे से जानती होगी.. ये तेरी नयी दोस्त...मोनिका..उर्फ तन्या...



राधिका एक बार फिर से विजय की ओर नफ़रत से देखती हैं मगर कुछ नहीं कहती...



विजय- तेरे लिए ये खुशी की बात हैं कि हम ने तेरी सारी शर्तें पूरी कर दी हैं.. अब हम ना तेरे आशिक़ को कुछ करेंगे और ना ही तेरी सहेली निशा को... और अब तो तेरा भाई कृष्णा भी एक दो दिन में जैल से रिहा हो जाएगा.. और तेरा बापू तो जैल से अब आज़ाद हो ही चुका हैं.. चिंता मत कर तेरे अपने चाहने वालों से तेरी जल्दी ही मुलाकात होगी... बस थोडा सा और इंतेज़ार....



राधिका- अब क्या बच गया हैं मुझे और नीचा गिराने में...तुम लोगों ने तो कोई कसर नहीं छोड़ी.... बोलो अब जो कुछ बच गया हो वो भी मैं इन 11 घंटों में तुम्हारी हर ख्वाहिश पूरा कर देती हूँ... बोलो क्या चाहते हो तुम..



राधिका के ऐसे वयहहार से विजय की मानो बोलती बंद हो जाती हैं मगर फिर उसके चेहरे पर हँसी आ जाती हैं और वो फिर से कहता हैं..



विजय- नाराज़ क्यों होती हैं मेरी जान ऐसा तो हैं नहीं कि चुदाई के इस खेल में केवल हमे ही मज़ा आता हैं. मज़ा तो तू भी बहुत लेती हैं... अगर तुझे मज़ा नहीं आता तो हम सब के पैरों में गिरकर हम से अपनी चूत चुदवाने के लिए भीख नहीं मांगती... खैर मुझे तो अब तेरे साथ एक नया गेम खेलना हैं और मैं जानता हूँ कि तू इस बार भी हमे निराश नहीं करेगी... बोल करेगी ना हम जो कहेंगे..



राधिका एक नज़र बिहारी पर डालती हैं वो अब भी खामोश था.. फिर वो झट से अपने जिस्म पर ओढ़ा हुआ शॉल निकाल कर अपने बदन से अलग कर देती हैं... राधिका का नंगा जिस्म उन सब की आँखों से सामने हो जाता हैं... अब तो राधिका के अंदर शरम लगभग ख़तम हो चुकी थी..इसलिए अब उसके मन में कोई झीजक नही थी.. मोनिका बड़े गौर से उसे देख रही थी...



विजय- चल मेरी रंडी अब तुझे भी कहना पड़ेगा क्या अपने कपड़े उतारने के लिए... चल तू भी फटफाट अपने सारे कपड़े उतार.. मोनिका कुछ नहीं कहती और अपना हाथ धीरे से अपनी साड़ी की ओर ले जाती हैं और एक एक कर अपने सारे कपड़े उतारना शुरू करती हैं. कुछ देर में वो भी पूरी नंगी हो जाती हैं...
 
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