Antarvasnasex रीटा की तडपती जवानी - Page 3 - SexBaba
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Antarvasnasex रीटा की तडपती जवानी

हरामी रीटा मासूमीयत से बोली "बहादुर मुझे अकेले जाते तो बहुत डर लगता है, तुम साथ आ जाओ नाऽऽऽ"

यह सुन कर ठरकी बहादुर के लन्ड की बांछे खिल गई और वह रीटा के पीछे कुते सा दुम हिलाता चल पडा। राजू से गाँड मरवा मरवा कर रीटा की चाल अब और भी मस्तानी हो गई थी। उपर से रीटा बहादुर को उकसाने के लिये अपनी स्कूल सकर्ट उपर उठा कर अपने चूतड जानबूझ कर दाये बाये उछालती बहादुर के आगे आगे चलने लगी।

रीटा टायलट के आगे ठिठकी, तो बहादुर का लन्ड़ रीटा की हाहाकार करती गाँड मे भिड़ गया "आऊचऽऽऽ सारी बहादुर, लाईट कहां है "?

बहादुर ठिठकी हुई रीटा के पीछे से हाथ बडा कर टायलट की लाईट का बटन टटौलते टटौलते रीटा की गाँड पे अपना लन्ड़ घिस कर उचक कर एक घस्सा मार दिया "यही तो थी कहं गई ये है लाईट"।

रीटा को बहादुर का सूखा घस्सा बहुत ही प्यारा लगा और जवाब मे रीटा ने भी अपनी शानदार गाँड को थौडा सा पीछे उचका कर बहादुर के खडे लन्ड को गुदगुदा दिया।

अचानक रीटा मुडी और अपनी मम्मे बहादुर के चौडे चकले सीने से भिडा दिये और अपनी सकर्ट हलका सा उपर उठा कर बोली "जरा मेरी कच्छी तो उतार दो"।

रीटा जैसी सुन्दर लौंडीया की चूत देखने के चकर मे बहादुर बैठ कर कांपते हाथो से रीटा की कच्छी को कमर से नीचे खिसका कर घुटनौ तक सरका दी। शरारती रीटा ने बहादुर के कन्घे का सहारा लेते हुऐ अपनी सुडौल चिकनी टांग को सुकोड कर कच्छी से पाव बाहर खींच कर बहादुर को अपने गुलाबी गदराये यौवन को झलकी दिखा दी। तीर निशाने पर लगा और बहादुर का लन्ड़ कच्छे मे फडफडा कर घायल हो गया।

फिर रीटा बहादुर के हाथ मे अपनी कच्छी पकडा कर बहादुर को टायलट के दरवाजे पर ही रोकती बोली "बहादुर तुम यही ठहरो नही तो मैरी शैम शैम हो जायेगी। मै अंदर अकेली ही मूत के आती हूं "

अब रीटा की पीठ बहादुर की तरफ थी। रीटा ने अपना स्कर्ट उपर उठा कर अपने चाँद से गोल गोल चूतडो की नुमायश लगा दी। काले हाई हीलज़ वाले सेन्डील और लम्बी मरमरी टांगें और मलाई सी गाँड देख बहादुर के मुह से लार टपकाता सोचने लगा "कया गज़ब की गाँड है, शहर की गाँड आगर पटाका है, तो चूत तो धमाका होगी"।

बैठते ही रीटा की फुद्दी ने फीच्च शीऽऽऽऽऽऽ से पिशाब का शिशकारे की मस्त आवाज सुन बहादुर के लन्ड़ ने "चोद डालो, चोद डालो " के नारे लगाने शुरू कर दिये। फिर रीटा ने खडे हो कर स्कर्ट नीचे कर दी तो बहादुर के लन्ड़ ठन्डी सास भर कर रह गया।

फिर रीटा बहादुर के हाथ से अपनी कच्छी ले कर अपने चूतडौ को सहलाती बोली "उफ तुम्हारे डन्डे ने तो मेरा बुरा हाल कर दिया है। हाय बहादुर मुझ से तो अब चला भी नही जा रहा उई मांऽऽऽ"। रीटा अपनी स्कर्ट पीछे से उपर उठा कर अपने गोरी गोरी गाँड पीछे उचका कर साईकल के डन्डे के निशान बहादुर को दिखाती बोली। रीटा की गौरी चिट्टी जाघौं के पीछे साईकल के डन्डे के लाल लाल निशान पडे हुऐ थे।

"बहादुर थोडा सहला दो नाऽऽऽ" रीटा बहादुर को आंखो ही आंखो मे पी जाने वाली नजरो से देखा तो बहादुर का लन्ड़ मे झुरझुरी सी दौड गई।

बहादुर ने रीटा को सामने पडी चारपाई पर उलटा लिटा कर रीटा की जांघो को डरते डरते सहलाते बोला "बेबी, कुछ आराम आया"?

रीटा बोली "नहीं, थौड उपर करीये तो बताती हूँ "।

बहादुर ने हाथ थोड उपर सरका दिया "बेबी, अब कुछ आराम आया"?

रीटा सरसराते सवर मे बोली " नहीं, थौड सा और उपर करीये तो बताती हूँ "।

बहादुर ने हाथ ओर उपर सरका दिया "अब"?

मस्ती मे रीटा स्कर्ट उलटती बोली " नहीं, जरा सा ओर उपर करीये तो बताती हूँ "
 
बहादुर एक हाथ से अपना लौडा रगडने लगा और दुसरे हाथ से हाथ रीटा की मख्खन सी गुदगुदी गाँड को मसलने लगा "अब कुछ आराम आया"?

बेहया रीटा टांगो को चौडाती बुदबुदाती सी बोली " नहीं, जरा बीच मे करीये तो बताती हूँ "

बहादुर अपनी अगुलीयो से रीटा की बुंड टटोलता बोला "अब कुछ आराम आया कया"?

मस्ती मे रीटा सिर को हाँ मे हिलाती बोली "हूमऽऽऽ जरा थोडा ओर अन्दर और जोर से करीये तो बताती हूँ, सीऽऽऽ" रीटा को मुह से अनजाने मे बहुत जोर से आनंद भरी सिसकारी फूट पडी - जैसे किसी ने गर्म गर्म तवे पर ठन्डा पानी छिडक दिया हो।

धूर्त बहादुर अपना खडे लौडे की टोटनी को अगूठे और अुंगली मे रगडता हाथ को रीटा की नमकीन व चांदी सी चपडगंजी चूत को मुट्ठी मे जोर से भींचता बोला "बेबी अब कुछ आराम आया"?

रीटा अब बोलने वाली हालत मे नही थी "ओर जोर से बहादुर सीऽऽऽ ऊईऽऽऽ सीऽऽऽऽ"।

बहादुर ने एक मोटी और खुरदरी अुंगली रीटा की गीली चूत मे पिरो दी तो रीटा की छोटी छोटी मुट्ठीयां चादर पर कस गई "सीऽऽऽऽ आहऽऽऽ ये कया कर रहे हो बहादुर सीऽऽऽऽ आहऽऽऽ"?

बहादुर रीटा की चूत मे अुंगली धुमाता और छोकरी की चूत का ज्यजा लेता बोला "बेबी लगता है तुम काफी खेली खाई हो "।

रीटा पलटी और मुस्कूरा के बोली "ईस मे शक ही कया है, तुम बतलाओ, खेलो गे मुझ से"? बेहया रीटा ने बहादुर के खेलने के लिये अपनी शर्ट के सारे को सारे बटन झटके से चटाक चटाक कर के खोल कर अपने उरोज़ो को बेशर्मी से आगे उचका कर हिला दिया, तो बहादुर रीटा का पारे सी थरथरती व टाईट गौलाईयौं को देखा ठरक से पागल हो गया। फिर रीटा ने बडी अदा से अपने गुलाबी निप्पलौ को अपनी छोटी छोटी अुंगलियों की चुटकीयो मे मसला तो दोनो निप्पल तैश मे आ कर बुलटस के माफीक अकड कर बहादुर की तरफ तनते चले गये।

बहादुर आँखों से रीटा की जवानी का रसपान करता घबरा कर हकलाता सा बोला "वो वो मैं बेबी"।

पर रीटा अब रूकने वाली नही थी रीटा ने चारपाई पर बैठे बैठे अपने कपडे उतार नंगी होती चली गई। हील वाले सेन्डील के ईलावा रीटा अब बिलकुल नंगधडग थी और ईन्तीहा ही सैक्सी लग रही थी। अब रीटा अपने घुटने मोडे चारपाई पर ईन्डीयन टायलट सटायल से बैठ गई। सर से पाँव तक नन्गी रीटा बहादुर के पैंट के तम्बू को हसरत भरी निगाहो से देखते हुऐ होले होले अपनी सुडौल मरमरी टांगे को दाये बाये चौडाती चली गई और शानदार अंगड़ाई तोडती बोली "बहादुर आओ नाऽऽऽ ज़रा देखे तो तुम कितने बहादुर हो"? ईस पौज मे रीटा का संगमरमर से तराशा जिस्म तडक सा उठा।

टांगे चौडाते ही रीटा की फूल सी खिली हुई चूत का झिलमील करता दो ईंच लम्बा चीरा और बिन्दी सी गाँड का रेशमी सुराख का रोम रोम नुमाया हो उठा। टांगौं को दाये बाये चौडाने से डबडबाई चूत का सुर्ख दान भी कसमसा कर चूत की फाको से सरसरा कर बाहर आ कर लिश्कारे मारते लगा, तो बहादुर का बेहाल लन्ड पिधलता चला गया।
 
फिर तो बहादुर के हथौडे से लन ने रीटा को कसमसाने की भी जगहा नही दी और चूत की चूले हिला दीं। बहादुर के मौटे घीये जैसे लन्ड ने रीटा की चूत के बखीये उधेड के रख दिये हिचकोले खाती नन्ही रीटा किसी छिपकीली सी बहादुर से चिपकी और बहादुर के कन्धे मे दात गडाये अपनी चीखो को दबा के बहादुर के लन्ड की पिटाई की पीडा पी गई। रीटा के लम्बे लम्बे नाखून बहादुर की पीठ मे धन्से हुऐ थे और बहादुर रीटा को उछल उछल सरकारी साडे़ की तरहा चौदा मार कर रौंद रहा था। बहादुर पूरा का पूरा लन्ड़ बाहर खीचं कर पूरे वेग से वापिस अंदर ठौकता तो रीटा की चुदकड चूत को थोडा सा चैन पडता।

कुछ ही देर मे बेचारी चारपाई दोनो की लडाई को संभाल न पाई और चरमराती हुई टूट गई। चारपाई टूटते हुऐ रीटा बहादुर के नीचे थी और ज़मीन पर गिरने से बहादुर का लन्ड का सुपाड़ा रीटा की बच्चेदानी मे घुस गया तो रीटा चिहुंक कर दौहरी हो गई। एक बार तो रीटा को लगा जैसे बहादुर का लन्ड़ रीटा के मँह से बाहर आ जायेगा। दर्द के मारे रीटा की चीख भी रीटा के गले मे ही घुट कर रह गई। रीटा को लगा के जैसे किसी पेड का तना उस की चूत मे घुस गया हो बेचारी अधमुई सी रीटा करहा भी नही पा रही थी। चारपाई से ज़मीन पर गिरने पर भी बहादुर की स्पीड जरा भी कम नही हुई। एक बार तो रीटा को लगा की वह बेहोशी ही हो जायेगी। वासना को उन्माद मे रीटा को सब कुछ धुंधला सा दिखाई देने लगा।

पर रीटा ने जल्दी ही होश सम्हाल लिया और मस्तीमें आ कर अपनी गौरी गौरी चिकनी टांगो को हवा मे उपर उठा दिया तो बहादुर का लोडा चूत की कुंवारी गहराईयों मे विचरण करने लगा इस पोज़ मे रीटा का दाना बहादुर के लन्ड के साथ अंदर बाहर होने लगा तो रीटा की चूत तितली सी फडफडा उठी और रीटा फट से झडती चली गई बूममममम बूममममम बूममममम!

मिनमीनाती रीटा ने बहादुर के चुतडो मे अपने नाखून घौंप दिये। बहादुर ने रीटा को जन्नत मे पहुचा दिया तो रीटा ने बहादुर पर ताबा तौड चुम्मौ की बरसात कर दी। परन्तु बहादुर की स्पीड जरा भी कम नही हुई और वह जंगली जानवर की तरह रीटा की मारता रहा हर ठप्पे पे बहादुर के अन्डे रीटा गाड का दरवाज़ा खटखटा देते थे और अंदर घुसने की नाकाम कोशीश करते। रीटा के चुच्चे बहादुर की छाती के दबाव से पिचक कर गुबारो की तरह उपर आ चुके थे। बहादुर की भयंकर चुदाई ने कमरे की दिवारो की फचाफच फचाफच कर के मां चौद के रख दी थी।

थोडी देर में रीटा अब फर्श पर दो बार झड चुकी थी। और बहादुर अब भी रीटा को बकरी के मेमने की तरह अन्धाधुन्द हो कर चौदे जा रहा था, चौदे जा रहा था। अन्तीम समय में बहादुर ने सांस रौक कर गाडी फुल स्पीड पर छौड दी - छका छक छका छक फिर चरम सीमा पर पहुंच कर बहादुर का लन्ड और भी फूल गया और भचाक भचाक से गर्म पानी के रेले छौडने लगा। बहादुर ने रीटा को कस कर आपने आगोश में ले लिया और अपना तीर सा लन्ड अब रीटा की चूत मे आखिर तक घुसेड दिया तो रीटा का बदन तले पापड सा अकड कर तडक गया।
 
दुनिया का सारा हुसन जैसे अलबेली रीटा मे समाया हुआ था। मस्ती मे आ रीटा अपनी चिकनी चूत और गाँड को भींचने और खौलने लगी, तो बहादुर ठगा सा टकटकी बांधे शहर की लौंडीया के कयामत सी खूबसूरत, तन्दरूसत, पानीयाई हुई और गुलाबी सुकडती फैलती चूत और गाँड देखता रह गया। बहादुर का लौडा रीटा की रसभरी दशहरी आम सी पकी हुई चूत को देख डन्डे सा खडा हो गया।



"हायऽऽऽ बहादुर कितना सताओ गे मुझे कुछ करो नाऽऽऽ" नशीली अधखुली आखो से देखती और अंगडाई लेती रीटा की छोटी छोटी मुठीया अब भी हवा में ही थी। बहादुर रीटा का खुला अमन्त्रण पे डरते डरते रीटा के सन्तरों को पौं पौं कर दबाने लगा और दूसरे हाथ से रीटा की दहकती और रिसती चूत मे अुंगली करने लगा रीटा की बलखाई नागिन सी पतली कमर के नीचे रीटा के सरसराता यौवन का रस रीटा की गाँड को गीला कर के टिप टिप कर टपकने लगा और फर्श को गीला करने लगा। सुन्दर रीटा मस्ती मे आ कर सीऽऽ सीऽऽ सिस्कारे मारती और उसी अंगड़ाती पोज़ मे अपनी कमर को आगे पीछे करने लगी, तो बहादुर का लन्ड के मँह से लारे टपक पड़ी।

तब रीटा ने चीते की तेजी से, झटके से, बहादुर को अपने आगोश मे खींच लिया और बहादुर की पैंट खोल कर उस के तडपते लन्ड को आजाद कर दिया। रीटा अपने मँह पे हाथ रखे हक्की बक्की सी बहादुर का दस ईचं लन्बे और चार ईंचं मोटे लन्ड़ को देखती रह गई। बहादुर का गौरा चिट्टा तन्दरूसत गौरखा लन्ड़ का सुपाड़ हद से ज्यदा मोटा और लन्ड केले की शेप का था।

"वाआवऽऽ वाहट ए लवली लौडाऽऽ " चूत के हमदम का साईज़ देख कर रीटा का चूत की धडकन तेज हो गई। चुदने को राज़ी रीटा ने बहादुर के लिये अपने आठो द्वार खोल दिये। दौ ईंच की चूत पूरी तरहा चुदरी हुई और अब चुद कर फटने को तैयार थी और चौदू लौडा नन्ही चूत को चौद कर भौंसडी बनाने को तैयार था।

हफ्तो से लन्ड के लिये तरसी रीटा ने बहादुर को अपनी गौरी गुदाज़ बाहो मे ले कर बहादुर के कन्धे पर अपने दात गडा कर खून निकाल दिया तो पीडा से बिलबिला कर और तैश मे आ कर बहादुर ने अपने एक हाथ से रीटा के फूल से दोनो हाथो को जबरदस्ती पकड लिया और अपने डन्डे से अकडे लन्ड से रीटा के चेहरे को फटाक फटाक से पीट कर, रीटा का चेहरा गुलाबी कर दिया। रीटा को लन्ड़ की पीटाई से रीटा कर ठरक सातवे आसमान पर पहुच गया कभी कभी रीटा बहादुर के लन्ड को लपक कर मुह मे ले कर चुमलाने मे सफल को जाती। कभी हिसंक हुई रीटा बहादुर के लन्ड मे दात गडा देती तो बहादुर रीटा को बालो से पकड कर उस के चुच्चे को मरोड देता, तो रीटा चीख के उस का लन्ड छोडने पर मज़बूर हो जाती।

इस खेल मे समझदार रीटा ने बहादुर के लन्ड़ पे ढेर सा थूक थूका और लन्ड़ को खूब गीला पिच्च कर दिया। एकसपीरीयंस बहादुर ने नन्ही रीटा की चूत की टाईटनेस को देख कर उस की चूत पर मुरगी का अण्डा फोड़ कर चूत को अच्छी तरहा से चिकनी कर दिया।

निर्ल्लज नंगी रीटा ने बहादुर की गदर्न मे बाहों का हार डाल कर बहादुर को जबर्दस्ती अपने उपर खींच कर बहादुर की कमर अपनी सुडौल व गुदाज़ टांगो का ताला लगा दिया। बहादुर को लगा की वह जैसे वह रेशम का ठेर मे धसं गया हो। रीटा के हाथ नीचे सरक कर बहादुर के तपते लन्ड को फडफडाती चूत के सूराख पर धिस्सने लगी। बहादुर के हाथ रीटा की मखमली और कठोर नारन्गीयों को नोचता बोला "हाय बेबी तुम तो बिलकुल बंगाली रसगुला हो "।

रीटा की तो खुशी को मारे किलकारीयां सी निकल पडी "उईईईईईई आहऽऽऽ आहऽऽऽ आज से पहले किसी ने मेरे कबुतारों को ईतनी बुरी तरहा नही रगडा आहऽऽऽ शाबाश मेरे राजाऽऽऽ"

दस ईंच्च का लम्बा लन्ड़ देख कर लौंडीया की चुदास ठरक अब काबू से बाहर हो चुकी थी। हवस से रीटा का सारा बदन बुरी तरहा से सुलग कर जल उठा। अब तो बहादुर के लन्ड़ की फायरबरीगेड ही प्यासी रीटा की काम पिपासा बुझा सकती थी। बहादुर समझ गया आज पाला शहर की महा-चुदकड छौकरी से पड गया है। बहादुर ने सोचा कि कया किसम्त है, मेरे लन्ड़ को रीटा जैसी शहर की येंक्की चूते चखने को मिली और वो भी स्कूल की टनाटन लौंन्डीयाँ।

जंगली बिल्ली सी रीटा ने बहादुर की खोपडी के पीछे से हाथ से दबा और दूसरे हाथ से अपना चुच्चे की टोटनी पकड कर बहादुर के मँह में घुसाती बोली "ये ले चूस और चुप कर जा मां के लौडे सीईईईईई, यू बहन चौद, चूत के कीडे, जल्दी जल्दी चौद अपनी मां को, स्कुल भी जाना है मुझे, देखू तो तेरे लन्ड मे कितना ज़ोर है हायऽऽ रेएएएएए" जैसे ही बहादुर ने रीटा का पूरा का पूरा चुच्चा मँह में लिया तो रीटा ने अपनी जीभ बहादुर के कान मे धुमा कर बहादुर को बावला कर दिया। बहादुर को दाँत रीटा की चूच्चे मे धंसे तो मदहोश रीटा को लगा जैसे वह बिना चुदे ही झड जायेगी।

तब बहादुर ने रीटा की फडकती फुदकती और उछलती चूत मे एक झटके से अपना लन्ड ठोक दिया तो बेचारी रीटा की अपनी सुधबुध खो बैठी। अण्डे के कारण चूत मे फिसलन बहुत ज्यदा थी और रीटा बहादुर का लन्ड जैसै तैसै सहार ही गई। बहादुर का लन्ड भी शहर की लौंडीयां की चूत पाते बुरी तरहा से मस्ता के अकड़ गया था। और रीटा गाव का तन्दरूसत ताकतवार और फौलादी लौन्डे को पा कर निहाल हो उठी और उस की चूत झनझना उठी।

दोस्तों कहानी अभी बाकी है कहानी कैसी लगी मुझे जरूर बताना
Rita Raut
क्रमशः...................
 
रीटा ने भी बहादुर को कस के बांहो मे भींच कर अपनी सैन्डलस की हीलस बहादुर के चूतडो मे गाड दीं और अपनी बुंड को हवा मे बुलंद कर दी ताकी बहादुर का घीया जड तक अंदर ले सके। शुरू से आखीर तक बहादुर ने रीटा को पूरी स्पीड से चौदने से रीटा बहादुर के बहादुरीयत पर बलिहारी हो तीसरी बार लगातार झडती चली गई। रीटा की आँखे धुन्धला और चूत सुन्न हो गई थी। रीटा पूरे जौर लगा कर बहादुर के लन्ड को अपनी नन्ही चूत में दबा रखा था। फिर रीटा और बहादुर के बदन अकडने के बाद एकदम ढीले पडते चले गये। दोनो कुत्तो माफीक हाँफ रहे थे और फर्श पर दूर दूर तक सफेद पानी फैल चुका था।

कुछ देर बाद जब रीटा ने होशो हवास सम्भाला तो स्कूल लगने मे अभी दस मिनट बाकी थे। चुदी हुई रीटा अपने चकराते हुऐ सिर को पकड जमीन पर बैठ अपनी बेतरतीब सांसौ को समभालने लगी। खतरनाक तरह से चुदने के बाद जब रीटा खडी हुई तो लडखडा कर धडाम से वापिस जमीन पर गिर पडी। अब रीटा की टांगे जैसे खोखली हो कर जवाब सा दे गइ थी।

बहादुर ने रीटा की जवानी का पोर पोर चटका दिया था। बहादुर के जांबाज लन्ड़ ने उस की बच्ची चूत का पतीला बना दिया था। रीटा को ऐसा लग रहा था जैसे पाच छः जवानो ने रीटा को इकठे ही चोद डाला हो। रीटा ने झुक कर जब अपनी चूत को देखा तो रीटा के मुह से दबी दबी चीख निकल गई। रीटा की चूत फट चुकी थी और चूत से पानी के साथ खुन भी रिस रहा था बहादुर ने रीटा की चूत का नकशा बिगाड दिया था। रीटा को अपनी हि चूत पहचान मे नही आ रही थी। रीटा को लग रहा था जैसे बहादुर का धांसू लौड अब भी उस की चूत मे फंसा हो।

थोडी देर बाद बहादुर ने चुदी हुई रीटा को वापिस साईकल पर बिठा स्कूल छोडने चल पडा "बहादुर तुम्हारा लन्ड़ तो बडा शैतान निकला। कितने कस के ठोका है तुम ने मुझे मुझे लगा जैसे तुम्हारा छूटेगा ही नही। ऊफऽऽ अभी तक मेरा बदन टूट रहा है, हाय मेरी फुद्दी, यू रास्कल आई लव यू" रीटा की आवाज अब भी काँप रही थी।

बहादुर एक महान चौदू
रास्ते मे बहादुर ने रीटा को बताया कि छोटी उमर मे ही उस ने गाव में भैसौं और बकरीयों को खुब चौदा मारा करता था। इसी लिये बहादुर के लन्ड मे बला की तपिश और ताकत आ गई थी। रोज सुबह बहादुर अपने निराले लन्ड पे पानी से भरी बालटी उठा कर लन्ड़ को और भी बलवान बना लिया था। बहादुर की आंखो मे हर वकत चूत का खुमार रहता था।

बहादुर गाँव की ठरकी लडकीयों की सन्गत मे पड कर महान चौदू बन गया था। बहादुर की चौदी हुई लडकी को बहादुर से चुदवाये बिना चैन नही पडता था। बदमाश बिल्लौ, गुन्डी गुलाबौ, जालिम जुबेदा, चिकनी चमेली, लरजाती लाजो, रन्डी रानी, सुडौल सबीना, छुईमुई छमीया, शानदार शिल्पा,निगोडी निम्मौ, अनाडी अनारौ और शरारती शब्बो आदी कई लडकीयाँ अब भी बहादुर के लन्ड़ के गुनगान गाते नही थकती थी। गाव की सारी टाप कलास चूतो के पटे बहादुर के आलीशान लन्ड के नाम थे।

खेत मे मूतती लडकीयां बहादुर की खास कमजोरी थी। सुबह सैर करते करते बहादुर खेतो मे एक आधी को चौद ही आता था। कई लडकीयों को बहादुर ने गन्ने के खेतो मे गन्ने चुसाने के बहाने ले जा कर अपना लन्ड चुसा डलवाता था। और तो और बहादुर ने गाव के छोटे छोटे चिकने लडकौं को भी नही बकशा।

बहादुर का बडा भाई गाव मे बदमाश दरोगा था। दरोगा नम्बर एक का खतरनाक गाँडू था। हर एक अपराधी की गाँड मार कर ही हटता था, ईसी लिये कोई बहादुर की हरकतो के बारे मे कुसकता भी नही था।
 
करीना कपूर और अधनंगी कैटरीना कैफ का शीला वाला ठरकी डाँस देख बहादुर मस्त लन्ड़ को शहर की येंक्की और नशीली चूते भी चखने के लिये बेताब हो गया। शहर जा कर बहादुर ने सबसे पहले आपनी मकान मालिक की नठखट नैपालन नौकरानी पारो को रगडा। फिर सैक्सी मकान मालकीन अलका और पडोसन तमन्ना को भी नही छोडा।

फलेशबेक की तरहा पारो की जवानी बहादुर की आँखों के समने घूम गई। पारो का अंग अंग अलग अलग उस के जिस्म पर कसा था और हर चीज़ कुछ ज्यदा ही बडी थी। जवान पारो की मोटी मोटी कजरारी आखे और चितोडगढ़ से चूतड तो देखते ही बनते थे। चूच्चे ऐसे थे जैसे प्रकार से खींचे गोले हर वकत पारो गहनो से लदी और सज़ी संवरी रहती थी।

दूसरे ही दिन दुपेहर को बहादुर जब पिशाब करने बाहर निकला तो उस ने पारो को अलका के कमरे के अंदर चुपके चुपके झांकते हुऐ देखा। पारो किसी कुत्तिया सी हांफती हुई अपना हाथ से जोर जोर से अपनी चूत को घाघरे के उपर से ही रगड रही थी। थौडा सा और झुकती तो शायद पारो के थरथराते चुच्चे उस की अंगीया से बाहर ही आ जाते।

मौके का फायदा उठा कर बहादुर ने जब झुकी हुई पारो के उचके हुऐ चूतड पे हाथ फेरा तो पारो चिहुंक कर खडी हो गई और अपनी चुच्चे पे हाथ रखती फुसफुसाती बोली "दय्या रे दय्या, तूने ने तो मुझे डरा ही दिया था"।

बहादुर हाँफती पारो के फूलते पिचकते चूच्चौ को घूरता बोला "ये कया कर रही थी तुम"?

"शऽऽऽऽ चुप" चुलबुली पारो बहादुर को चुप रहने का ईशारा कर खींचं कर कोने मे ले गई और पंजौ के बल उचक कर अपनी छातीयाँ बहादुर के सीने से गाडती बहादुर के कान मे बोली "अंदर अलका आंटी और तम्मना दीदी उलटी सीधी बाते कर रही हैं"

बहादुर ने चंचल पारो के चूतडो को सहला कर मसल कर पूछा "उलटी सीधी बातों से कया मतलब"?

पारो अपने पाईनैपलौ से चुच्चे को बहादुर के सीने मे जोर से गाडती आँखो मे आँखो डाल कर अर्थपूर्ण स्वर मे बोली "मर्द औरत के बारे मे तो सुना था, पर एक औरत औरत की कैसे ले सकती है"?

बहादुर समझ गया की कमरे मे कया हो रहा है। बहादुर आँखो के तरबूज से रसभरे चूतडो को हाथो से चोड़ाता बोला "मेरी रानी मेरे कमरे मे चल तो बताता हूँ कि एक औरत दूसरी औरत की कैसे ले सकती है "

खेली खाई पारो अपने गालो पर हाथ रख खुशी से बच्चौ की तरहा उछलती और दबी आवाज में बोली "हाय मांऽऽऽ कया तुम्हे ये सब पता है "?

बहादुर आँखो के बिना बरेज्री के स्तनो को ज़ोर ज़ोर से खीचंता बोला "तू मुझे मर्द औरत के बारे मे बताना और में तुझे औरत औरत के बारे बता दुंगा। तू मेरे कमरे मे पहुच मे पिशाब कर के आया"?

चिकनी पारो चुच्चे पटवाती हुई अपनी जाघो में बहादुर के खडे लन्ड़ को रगडती और बहादुर के खम्बे से लम्बे लन्ड़ को हसरत भरी निगाहो से देख बोली "सीऽऽऽ तुम्हारा बादशाह तो बहुत शरारती है, जरा जल्दी आना मेरे राजाऽऽऽ। तुम्हारे बादशाह ने तो मेरी बेगम का दिल मोह लिया है"। पारो शहर के खस्सी और निकम्मे नामर्द लोगो से चुदवा चुदवा कर बुरी तरह से बोर हो चुकी थी।

चुलबुली पारो मुडी और बल खाती नागिन सी अपने फुटबाल से चूतडो को ठुमक ठुमक मटकाती बहादुर के कमरे की तरफ चल दी। तसमो वाली चुस्त चोली से पारो की नंगी मरमरी पीठ और कमर चमक रही थी। नीचे घुटनो तक घाघरे से झांकती खूब सुडौल पिंडलीया और पैरौं मे चांदी की पाजेब छन छन कर रही थी। उपर से पारो की लम्बी चौटी थिरकते चूतडो के बीच घड़ी के पैण्डूलम सी दाये बाये उछलते देख बहादुर को लन्ड़ की रीड की हड्डी मे सिरहन सी दौड गई।

बहादुर ने जाते जाते कमरे मे झाँक कर देखा तो तम्मना और अलका आपस चिपटी हुई सीऽऽ सीऽऽ कर एक दुसरे को बुरी तरह से चूम चाट रहीं थी। खूबसूरत अलका की गुलाबी साडी कमर तक उठी हुई थी और बलाउज चौड चपाट दरवाजे सा खुला हुआ था। अलका के गुलाबी तोतापुरी आम ठरक से खुब अकडे हुऐ और हज़ार वाट के बल्बौ की भान्ती जगमगा रहे थे। तमन्ना ने हल्के हरे रंग का सलवार और कमीज़ पहन रखी थी। तमन्ना ने टांगो को चौडा रखा था और अलका सलवार के उपर से ही तमन्ना की चूत को अपने मुह मे चुमहला रही थी। फिर अचानक ही अलका ने तमन्ना की सलवार का नाडा खींच डाला और तमन्ना की चिडीया को नंगा कर दिया तमन्ना की कंवारी दूधीया चूत ने कमरा ओर भी रौशन कर दिया।

बहादुर ने सोचा के अभी तो पारो का तन्दूर परौंठे सेकने को तैयार है। बहादुर का लन्ड़ पारो की मस्त जवानी को चखने के लिये बेताब था। बहादुर की आँखों के सामने पारो की मोटी कजरारी आँखों और शानदार चूतड घूम गये।
 
बहादुर कमरे मे घुसा तो पारो ने लपक के दरवाजा बंद कर दिया दरवाजे से पीठ चिपका कर खडी पारो ठरक से हाँफतीं सी बहादुर के पायजामे के उभार को ललचाई नजरो से देख रही थी। पारो का पल्लू सीने से सरक गया और पारो की दिलकश चालीस डी छातीयो ने पारो की चुस्त अंगीयाँ को चौद के रखा हुआ था। चुदास मस्ती मे पारो की आँखो मे वासना के शरारे बरस रही थी और रह रह कर पारो अदा से अपने नीचे के रसीले होंटों को काट रही थी।

पारो अपनी जाघ से जांघ रगड कर अपनी चुलबुली चूत को शांत करने की नाकाम कोशिश करती अपनी चूत को साडी के उपर से सहला कर और मस्त अंगडाई मारी तो बहादुर का लन्ड़ पायजामे के अन्नदर ही 45 के एन्गल पर अकड गया। पारो जैसे आँखो ही आँखो मे घोल कर पी जाने वाली नजरो से देखती बोली "तो फिर हो जाये प्यार मुहब्बत का सिलसीला"।

बहादुर ने पारो के ईकहरे बदन को बाहो मे दबोच लिया और पारो की अंगीया के धागे खोलने लगा। धागे खुलते ही पारो की अंगीया सप्रीन्ग को समान उछल कर अलग हो गई और पारो के दोनो मदमस्त कबूतर ऊछल कर बहादुर के हाथो मे आ गये। पारो का कमरबन्द ठीला हो गया और पेटीकोट ने पारो के पैरो मे मरी चिडीया की तरह दम तोड दिया। बहादुर ने पारो की लवारीस बदन को बांहो मे उठा कर बैड पर पटका तो पारो की आँखें उन्माद मे उपर की ओर लुडक गई।

पारो के जिस्म पर ज़ेवर के ईलावा एक धज्जी भी नही थी पारो का हुसन टपके आम के समान भरपूर जवान और रसीला था। अब बिस्तर पर पारो का अवारा शबाब लाहपरवाही से बिखरा और फलौरौसैन्ट लाईट मे जगमगा रहा था। चांदी के गहनो झूमर, झुमके, नथनीया, हार, चुडीयां, मुंदरीया, बिच्छू से लदी फदी पारो अप्सरा सी लग रही थी।

बहादुर ने भी अपने कपडे उतारे तो पारो ने बहादुर के अजूबा लन्ड़ को देख खुशी से चिल्ला सी पडी "आईऽऽऽऽ बाप रे बाप हायऽऽऽ राजा लगता है कि आज मेरी छोटी पारो के चिथडे होंगें"। पारो भी खूब गीली और बैड कबडी खेलने को बथेरी उतावली थी। बहादुर ने पारो की गाँड को थोडा बाहर खींच कर चूतडो के नीचे सिरहाना रखा तो पारो की रानी पूरी तरहा से उभर कर बाहर आ गई पारो की भौंसडी खुब ज्यदा मोटी और रसभरी थी और चूत के अंदर के पत्त्ते दो दो ईन्च बाहर लटके हुऐ फूल की पखुडीयों के समान कंपकपा रहे थे।

पारो ने एक हाथ से अपनी दो अुंगलीयां चूत पे रख कर अंगुलीयो का उलटा "वी" बना कर गुलाबी भौंसडी को चौडा दिया और दुसरे हाथ से बहादुर के हटेकटे लफन्डर लन्ड़ को पकड कर खींच कर अपनी चूत के चीरे से सटा दिया। दहकते लन्ड की गरमी पा कर पारो की धधकती चूत ताज़ा खुले सोडे़ की बोतल समान बिफर कर झाग छोडने लगी।

बहादुर ने एक झटके से ही अपना लोकी सा लन्ड पारो की फूलगोभी सी चूत मे घसोड दिया तो पारो करहा कर बोली "आहऽऽऽ अरे मेरे यार तेरा लन्ड़ है या कुतबमीनार हायऽऽऽ चोद मेरे माईया चोद उफ रेए, आज किसी मादरचोद से पाला पडा है, सीईईई ले राजा पाड के रख दे अपनी पारो को" यह कह कर पारो अदा से अपने पाव के अंगुठे पकड लिये।

फिर बहादुर ने पारो की चुच्चो की टोटनी को चुटकी मे ले करे अपने लन्ड से प्यासी पारो की पिनपिनाती चूत के पसीने छूटा दिये। कमरे मे चुदती पारो की घुटी घुटी चीखो चुडीयों और पाजेबौ की खनखनाहट सिसकारीयो और किल्लकारीयों की कामुक आवाजे आने लगी। पारो पारो न रही और बहादुर बहादुर न रहा।

कई हफतो से चूत का सतया हुआ बहादुर पूरी दौपेहर जबरदस्ती पारो की आगे पीछे से बार बार लगातार मारता रहा तो पारो की बस हो गई। अधमुई सी पारो जैसे तैसे बहादुर को झेलती चली गई। बहादुर ने पारो की भौंसडी और गाँड के परखच्चे उडा दिये थे। बहादुर ने पारो की चूत को चौद कर चित्त्तौड़गड बना डाला था लुटी पिटी चुदी और ठुकी पारो लंगडाती और लडखडाती अपने कमरे मे पहुच कर ढेर हो गई।

स्कूल पास आ गया तो रीटा बोली "अच्छा बहादुर कल सुबहा जरा जल्दी आ जाना सुबहा मेरी चोदम चुदाई की एक एकस्टरा कलास है"।

बहादुर फुसफुसाता सा बोला "परंतु बेबी तुम्हारी तो फट चुकी है"?

"ओह, कम आन बहादुर, अभी मेरी पिछली पडोसन तो अभी एकदम तन्दरूसत और तरोताजा है" शरारती रीटा ने मुस्कूरा कर आंख मार कर अपने रसीले होंट को हलका सा उचका कर सायलन्ट किस्स मार कर पलटी और चूतड मटकाती हल्के से लंगडाती सी स्कूल के गेट की तरफ चल दी।
दोस्तों ये कहानी यही ख़तम होती है फिर मिलूंगी आपसे एक और नई कहानी के साथ दोस्तों अपनी प्रतिक्रिया मेरी आई डी पर जरूर दे आपकी ...........

समाप्त
 
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