hotaks444
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तबजबकि वे टीवी हाँल में पहुंचे !
कई अधिकारियों के कण्ठों से तो चीखें निकल गई । सांगपोक और सिंगसी के माथे ठनक गये !
आंखों में खून उतर आया ।
दृश्य देखने वाले चीनी अधिकारियो के शरीर-कांप रहै थे !!
एक डरावनी सिहरन उनकी आखों में आबैठी थी ।।
दृश्य ही ऐसा था कि बडे-से-बडे दिलके इन्सान भी कांप उठे ।
सारे हॉल में अनेक चीनी सैनिकों के "जिस्म उल्टे लटके हुये थे । रेशम की डोरियों के सिरे हाँल की छत पेर वंदे थे ! उन्हीं डीरियों में बंधे उल्टे लटक रहे थे चीनी सैनिक !
उनके सिर हॉलके फर्श से ठीक सात फीट की ऊंचाई पर पे । सभी बेहोश सभी के माथों पर से खून की बूंदें फर्श पर टप-टप करके गिर रही थीं ब्लेड द्वारा सभी के माथों से गोश्त
नोचकर लिखा गया था --- विकास--
विकास--विकास--विकास--विकास--
सांगपोक के दिमाग में हथोड़े की भाति यह नाम बजने लंगा ।
हॉल का सारा फर्श खुन की बूदों से अंटा पडा था ! एक -दृष्टि में वे सब लटके हुए शरीर लाश-से ही प्रतीत हो रहे थे ! सर्वाधिक्क गम्भीर हालात हबानची की थी !
उसके मस्तष्क पर भी विकास लिखा था ।
आभास होता था कि कोई रहस्य उसके मुँह से उगलबाने के लिये उसे भयानक रूप से यातनाएँ दी गई है ।
विकास--विकास--विकास--
सागपोक के आदेश पर हबानची और सभी सैनिकों को उतारा जाने लगा ।।
किन्तु लाशों के उतरने से पहले ही कई पत्रकारों ने वहां पहुंचकर वह भयानक दृश्य अपने कैमरे के अंदर, कैद कर लिया ।।
सांगपोक गम्बीर था बेहद गम्भीर ।
उसकी नसों में दौड़ता खून उबल रहा था !!
सिंगसी को वंही छोडा उसने, दो अधिकारियों कों अपने साथ लिया ।
जलपोत की सबसे निचली मंजिल के कमरा नंम्बर दस तक पहुंच गया वह । कमरे के बन्द दरबाजे पर उसे एक कागज चिपका नजर आया ! उस कागज को पड़ा उसने।।
उसमें लिखा था---
बेटे सागंपोक !
इस कमरे के अंदर तुम्हारे पिट्ठु मौजूद है ! तुम्हारी सहायता के लिये छोड़े जा रहा हूं !!! यह बात जानकर कर बेहद खुशी हुई कि तुम फिल्में ले गये हो !
फिल्में हमें इसी जलपोत पर मिल जाती तो बेहद दुख होता ।। जानता हूँ कि यह जलपोत चीन पहुचेगा और मेरे इन शब्दों को तुम पडोगे भी अवश्य । अच्छी तरह समझ लो कि जिस समय तुम ये शब्द पढ़ रहे होंगे उस समय मैं तुम्हारे ही देश में कहीं हूं । सम्हलकर रहना !! रोक सको तो रोक लेना !! तुम्हारे देश में तुफान मचाने आया हूं । तुम्हें चैलेंज देता हूं---------चीन से अपनी फिल्में निकालकर ले जाऊगाँ !! तुम तो क्या पूरी चीन सरकार मुझे नहीं रोक सकेगी !!
तुम जैसे दरिन्दे,, अहिंसा के उपासक को हिंसा अपनाने पर विवश करते है !
uttarakhandi
07-10-2016, 10:33 PM
हे भगवान ,
इतनी ऊर्जा लाती कहाँ से हैं आप , आज ३१ पेज पढ़ डाले । मैं तो पढ़ कर ही थक गया और आप पोस्ट करते नहीं थकीं ।
हे भगवान ,
इतनी ऊर्जा लाती कहाँ से हैं आप , आज ३१ पेज पढ़ डाले । मैं तो पढ़ कर ही थक गया और आप पोस्ट करते नहीं थकीं ।
हा हा हा
पता नहीं जी
बस अभी ये उपन्यास पूरा हो जायेगा
३७ पन्ने ही बचे बस
वतन !
----- वतन ----- -----वतन ----- वतन
----- -----वतन ----- -----वतन
----- वतन----- -----वतन ----- वतन
सांपपोक ने उस कागज को पढा ! पढ़ कर रोंगटे खड़े हो उसके ।
उसके आदेश परे दरवाजा खोला गया ।
सांगपोक ने उस कागज को पढ़ा ।
पढ़कर रोगंटे खड़े हो गये उसके ।
उसके आदेश पर दरबाजा खोला गया ।
" नुसरत !" उसे देखते ही तुगलक बोला उठा था --" हमारे आका आगये !"
" आका !" कहता हुआ आगे बढ़ा नुसरत ! वह अभी----अभी सांगपोक के पैरों में झुकने हो बाला था कि साँगपोक ने कठोर स्वर में चेतावनी देकर उन्हें रोक दिया ।
जेम्स बाण्ड चुपचाप सांगपोक की तरफ देख रहा था !
पोक ने कहा-“आश्चर्य की बात है कि बाण्ड जैसा महान जासूस इस चूहेदानी में कैद है !"
जल उठा जैम्म-बाण्ड, बोला…"जिन्होंने हमें यहाँ कैद किया है जब तुम उनके चंगुल में र्फसोंगे तो पता लगेगा ।"
हल्की सी मुस्कान दौड गई गांगपोक के होंठों पर, बोला----"खैर जो हो गया ठीक है, ।किन्तु फिलहाल मैं तुम्हारी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाता हूं !"
"जब तक फार्मूले की फिल्में हमारे बीच है तब तक शायद हमारे नीच दोस्ती नहीं हो सकेगी !"
"फिल्में हमारे पास सुरक्षित है मिस्टर बाण्ड !" पोक के दिमाग में एक योजना आ गई थी और वह उस योजना के आधार पर बातें कर रहा था-----"विजय और वतन यहां से विकास और बागारोफ को निकालकर ले गये और तुम्हें यहीं छोड़ दिया । इसका सीधासा तात्पर्य है कि बे बागारोफ को अपना दोस्त समझते हैं और तुम्हें दुश्मन शायद अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति के हिसाब से उन्होंने यह निर्णय लिया है !"
"क्या कहना चाहते हो ?"
"अगर उनकी दृष्टि. से सौचें तो हम दोस्त है ।"' सांगपोक ने कहा …"अगर वे सब हमारे विरुध्द एक हो सकते हैं तो हमें चाृहिये कि एक जुट होकर हम भी उनके खिलाफ खड़े हो जायें । दोस्त बनकर दुश्मनों का मुकाबला करें ।"
एक पल वाण्ड ने कुछ सोचा है शायद यह कि इस समय पोक अपनी दोस्ती का हाथ बढ़ा रहा है । उसे स्वीकार कर लेना ही हितकर है । सम्भव है कि पोक के साथ चीन में रहकर वह फिल्मों का पता निकाल सके !
एक ही पल में इन सच बातों पर विचार कर गया वह, बोला----मुझे आशा नहीं थी कि तुम इतनी समझदारी की बात करोगे !”
पोक की आंखें' चमक उठी ।
सांगपोक मुस्कराया, बोला---" इसका मतलब दोस्ती मन्जूर है तुम्हें ?"
" अगर यह सच्चे दिल से की जा रही है !" बाण्ड मुस्कराया !
फिर --दोस्त बन गये वे । नुसरत और तुगलक भी उनके साथ थे ! "
उसी शाम सांगपोक चीनी सीक्रेट सर्विस के साऊण्ड प्रूफ कमरे में अपने चीफ के सामने बैठा था । चीफ़ उससे कह रहा था ----" सुना है जेम्स बाण्ड, नुसरत और तुगलक को तुमने 'हाऊस' में ठहरा दिया है ?"
--""जी हां ।"
"ऐसा क्यों किया तुमने ?" चीफ ने पूछा----" वहाँ तों अतिथियों को ठहराया जाता है । वहां से तो कोई भी आसानी के साथ निकलकर भाग सकता हैं । इन्हें तो किसी सुरक्षित और गोपनीय स्थान पर कैद करके रखना चाहिये था ।"
"इस समय बे हमारे अर्तिथि हैं चीफ ! वे कहीं नहीं भागेॉगें !"
" क्या मतलब ?"
" मतलब ये चीफ कि विजय, वतन और विकास चीन में आ चुके हैं । रूसी बागरोफ को भी अपनी सहायता के लिए उन्होंने साथ ले लिया है । यूं तो विजय और विकास से ही हमारा देश परेशान है !---अब इनमें एक शैतान और बढ गया हैं--------वतन । उसका कहना है कि चीन में तबाही मचाने आया है वह ! इन सबका मुकाबला करने के लिए बाण्ड, नुसरत तौर तुगलक की सहायता लेने में क्या बुराई है ?"
" मगर वे तुम्हारी मदद करेंगे क्यों ?"
" कियुकि उन्हें उन फिल्मों की अावश्यकता है !" -सांगपोक ने कहा-" ऐसी बात नहीं है चीफ कि मैं कुछ समझता नहीं हूं । मुझे सब पता है कि जेम्स बाण्ड ने मेरी दोस्ती क्यों क्यों स्वीकार कर ली है ।"
-"'क्यों ?"
" अगर वह हमारी दोस्ती स्वीकार न करता तो क्या होता ? यही न कि हम उसे कैद कर लेते ? मैं जानता हूं कि इस हकीकत को बाण्ड अच्छी तरह समझता है । उसने सोचा कि कैद में पड़कर क्या होगा ? दोस्ती स्वीकार करके यह मेरे साथ रहेगा तो शायद किसी तिकड़म से उन फिल्मों का पता क्या सके ।"
" निश्चित रुप से बाण्ड जैसे व्यक्ति कें दिमाग में यह विचार आना -------स्वाभाविक सी बात है।"
-"और यही लालच उसे यहां से फरार नहीं होने मैं देगा !"
"क्रिन्तु अगर वह किसी दिन वास्तव में फिल्मों तक पहुंच गया तो ?" चीफ ने संभावना व्यक्त की ।
"जब स्वयं मैं ही नहीं जानता कि फिल्में कहाँ हैं तो उनके पहुंचने का प्रश्न ही कहां उठता है ?" कुटिलता के साथ मुस्कराते हुए पोक ने कहा----"फिल्में सुरक्षित लाकर मैंने
आपको दे दी । यह मैं स्वयं नहीं जानता कि आपने ये कहाँ पहुंचाई हैं ?"
" अब तुम्हारी योजना क्या है?"
" मैं उनसे कह आया हूँ कि सात बजे उनसे मिलने आऊंगा,, साढे छ: वजाती हुई रिस्टवाच को देखता हुआ सांगपोक बोला- मै उनसे कहूगा कि वे हमारे मित्र राष्ट्र के जासूस हैं : अगर वे विजय इत्यादि के खिलाफ हमारी सहायता करेंगे तो हम उनके राष्ट्र को वेवज एम और अणुनाशक किरणों का फार्मूला अवश्य देंगे ।। इस झांसे में फसाकर मैं उन्हें अपनी मदद के लिए तैयार कर लूंगा । अन्त में उन्हें किस तरह का फार्मूला मिलेगा आप समझ सकते हैं !"
''हमें तुम पर पूरा भरोसा है ।" चीफ ने कहा ।।
"न जाने हैरी कहा गायब हो गया ?" पोक ने कहा---" वह होता तो उसे भी इसी झांसेमें लेकर अपना दोस्त वनाया जा सकता था । वह वतन और विकास की टक्कर का लडका है ।"
" खैर--हां, हवानची का क्या हाल है ?"
" अब तो ठीक है वह है सात वजे वह और सिंगसी भी बाण्ड के पास हाउस में पहुंच रहे है ।"
इस प्रकांर कुछ देर और आवश्यक बातें करने के बाद सांगपोफ खड़ा होगया।
चीफ ने उसे जाने की इजाजत दे दी !
वहाँ से निकलकर वह ठीक सात बजे हाउस पहुँचा !
कमरे में बाण्ड, नुसरत और तुगलक के साथ उसने हबानची और सिंगसी कौ भी अपनी प्रतीक्षा में पाया !
हबानची के सिर पर एक हैट था । काफी हद तक उसने हैट का अग्रिम भाग अपने मस्तिष्क पर झुका रखा था । सम्भवत: इसलिए कि उसके माथे पर लिखा 'विकास' नजर न आए ।
उनके सामने मेज पर शाम को पीकिंग से निकलने वाले करीब करीब सारे अखबार पड़े थे !
सभी में जलपोत के टी वी हाँलं का दृश्य छपा था । चीन में विकास के आगमन की खबर को प्रत्येक अखबार ने अपने ढंग से नमक -मिर्च लगाकर छापा था !
एक अखवार में' तो विशेष रूप से हवानची का फोटों छपा था । उसके माथे पर लिखा था 'विकास' !
"चीन के अन्दर विकास का आधा आतंक तो तुम्हारे देश के ये अखबार फैला देते है ।" जेम्स वाण्ड ने कहा…......."विकास का सिद्धांत है कि वह जहाँ जाता है, पहले वह अपने’ नाम का टेरर फैला देता है ! उसी उदेश्य से उसने टी बी हाँल में सैनिकों को उल्टा लटकाया था उनके माथे पर अपना नाम लिखा था । इन अखबोरों में तो वतन का वह पत्र भी छपा है जो उसने तुम्हारे नाम लिखकर क्रमरे के दरवाजे पर चिपका दिया था !"
"तुम ठीक कहते हों । विकास उतना है नहीं जितना ये अखबार चीनी जनता के सामने उसका हब्बा बना देते है !"
"तुम्हारी सरकार को अखबारों पर सैसर लगाना चाहिए है" बाण्ड ने राय दी…"आदेश हो कि विकास से सम्बन्धित कोई भी अखबार किसी तरह का समाचार न छापे इन समाचारों से होता ये है कि चीनी जनता विकास के आगहन को ही अपने दश के विनाश का द्योतक समझ लेती ।"
" अखबारों पर सैसंर लगाना हमारा काम तो नहीं !" सांगपोक ने कहा--"सरकार का काम है। विषय मे जब वह ही कुछ नहीं सोचती तो हम क्या करें ?"
कई अधिकारियों के कण्ठों से तो चीखें निकल गई । सांगपोक और सिंगसी के माथे ठनक गये !
आंखों में खून उतर आया ।
दृश्य देखने वाले चीनी अधिकारियो के शरीर-कांप रहै थे !!
एक डरावनी सिहरन उनकी आखों में आबैठी थी ।।
दृश्य ही ऐसा था कि बडे-से-बडे दिलके इन्सान भी कांप उठे ।
सारे हॉल में अनेक चीनी सैनिकों के "जिस्म उल्टे लटके हुये थे । रेशम की डोरियों के सिरे हाँल की छत पेर वंदे थे ! उन्हीं डीरियों में बंधे उल्टे लटक रहे थे चीनी सैनिक !
उनके सिर हॉलके फर्श से ठीक सात फीट की ऊंचाई पर पे । सभी बेहोश सभी के माथों पर से खून की बूंदें फर्श पर टप-टप करके गिर रही थीं ब्लेड द्वारा सभी के माथों से गोश्त
नोचकर लिखा गया था --- विकास--
विकास--विकास--विकास--विकास--
सांगपोक के दिमाग में हथोड़े की भाति यह नाम बजने लंगा ।
हॉल का सारा फर्श खुन की बूदों से अंटा पडा था ! एक -दृष्टि में वे सब लटके हुए शरीर लाश-से ही प्रतीत हो रहे थे ! सर्वाधिक्क गम्भीर हालात हबानची की थी !
उसके मस्तष्क पर भी विकास लिखा था ।
आभास होता था कि कोई रहस्य उसके मुँह से उगलबाने के लिये उसे भयानक रूप से यातनाएँ दी गई है ।
विकास--विकास--विकास--
सागपोक के आदेश पर हबानची और सभी सैनिकों को उतारा जाने लगा ।।
किन्तु लाशों के उतरने से पहले ही कई पत्रकारों ने वहां पहुंचकर वह भयानक दृश्य अपने कैमरे के अंदर, कैद कर लिया ।।
सांगपोक गम्बीर था बेहद गम्भीर ।
उसकी नसों में दौड़ता खून उबल रहा था !!
सिंगसी को वंही छोडा उसने, दो अधिकारियों कों अपने साथ लिया ।
जलपोत की सबसे निचली मंजिल के कमरा नंम्बर दस तक पहुंच गया वह । कमरे के बन्द दरबाजे पर उसे एक कागज चिपका नजर आया ! उस कागज को पड़ा उसने।।
उसमें लिखा था---
बेटे सागंपोक !
इस कमरे के अंदर तुम्हारे पिट्ठु मौजूद है ! तुम्हारी सहायता के लिये छोड़े जा रहा हूं !!! यह बात जानकर कर बेहद खुशी हुई कि तुम फिल्में ले गये हो !
फिल्में हमें इसी जलपोत पर मिल जाती तो बेहद दुख होता ।। जानता हूँ कि यह जलपोत चीन पहुचेगा और मेरे इन शब्दों को तुम पडोगे भी अवश्य । अच्छी तरह समझ लो कि जिस समय तुम ये शब्द पढ़ रहे होंगे उस समय मैं तुम्हारे ही देश में कहीं हूं । सम्हलकर रहना !! रोक सको तो रोक लेना !! तुम्हारे देश में तुफान मचाने आया हूं । तुम्हें चैलेंज देता हूं---------चीन से अपनी फिल्में निकालकर ले जाऊगाँ !! तुम तो क्या पूरी चीन सरकार मुझे नहीं रोक सकेगी !!
तुम जैसे दरिन्दे,, अहिंसा के उपासक को हिंसा अपनाने पर विवश करते है !
uttarakhandi
07-10-2016, 10:33 PM
हे भगवान ,
इतनी ऊर्जा लाती कहाँ से हैं आप , आज ३१ पेज पढ़ डाले । मैं तो पढ़ कर ही थक गया और आप पोस्ट करते नहीं थकीं ।
हे भगवान ,
इतनी ऊर्जा लाती कहाँ से हैं आप , आज ३१ पेज पढ़ डाले । मैं तो पढ़ कर ही थक गया और आप पोस्ट करते नहीं थकीं ।
हा हा हा
पता नहीं जी
बस अभी ये उपन्यास पूरा हो जायेगा
३७ पन्ने ही बचे बस
वतन !
----- वतन ----- -----वतन ----- वतन
----- -----वतन ----- -----वतन
----- वतन----- -----वतन ----- वतन
सांपपोक ने उस कागज को पढा ! पढ़ कर रोंगटे खड़े हो उसके ।
उसके आदेश परे दरवाजा खोला गया ।
सांगपोक ने उस कागज को पढ़ा ।
पढ़कर रोगंटे खड़े हो गये उसके ।
उसके आदेश पर दरबाजा खोला गया ।
" नुसरत !" उसे देखते ही तुगलक बोला उठा था --" हमारे आका आगये !"
" आका !" कहता हुआ आगे बढ़ा नुसरत ! वह अभी----अभी सांगपोक के पैरों में झुकने हो बाला था कि साँगपोक ने कठोर स्वर में चेतावनी देकर उन्हें रोक दिया ।
जेम्स बाण्ड चुपचाप सांगपोक की तरफ देख रहा था !
पोक ने कहा-“आश्चर्य की बात है कि बाण्ड जैसा महान जासूस इस चूहेदानी में कैद है !"
जल उठा जैम्म-बाण्ड, बोला…"जिन्होंने हमें यहाँ कैद किया है जब तुम उनके चंगुल में र्फसोंगे तो पता लगेगा ।"
हल्की सी मुस्कान दौड गई गांगपोक के होंठों पर, बोला----"खैर जो हो गया ठीक है, ।किन्तु फिलहाल मैं तुम्हारी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाता हूं !"
"जब तक फार्मूले की फिल्में हमारे बीच है तब तक शायद हमारे नीच दोस्ती नहीं हो सकेगी !"
"फिल्में हमारे पास सुरक्षित है मिस्टर बाण्ड !" पोक के दिमाग में एक योजना आ गई थी और वह उस योजना के आधार पर बातें कर रहा था-----"विजय और वतन यहां से विकास और बागारोफ को निकालकर ले गये और तुम्हें यहीं छोड़ दिया । इसका सीधासा तात्पर्य है कि बे बागारोफ को अपना दोस्त समझते हैं और तुम्हें दुश्मन शायद अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति के हिसाब से उन्होंने यह निर्णय लिया है !"
"क्या कहना चाहते हो ?"
"अगर उनकी दृष्टि. से सौचें तो हम दोस्त है ।"' सांगपोक ने कहा …"अगर वे सब हमारे विरुध्द एक हो सकते हैं तो हमें चाृहिये कि एक जुट होकर हम भी उनके खिलाफ खड़े हो जायें । दोस्त बनकर दुश्मनों का मुकाबला करें ।"
एक पल वाण्ड ने कुछ सोचा है शायद यह कि इस समय पोक अपनी दोस्ती का हाथ बढ़ा रहा है । उसे स्वीकार कर लेना ही हितकर है । सम्भव है कि पोक के साथ चीन में रहकर वह फिल्मों का पता निकाल सके !
एक ही पल में इन सच बातों पर विचार कर गया वह, बोला----मुझे आशा नहीं थी कि तुम इतनी समझदारी की बात करोगे !”
पोक की आंखें' चमक उठी ।
सांगपोक मुस्कराया, बोला---" इसका मतलब दोस्ती मन्जूर है तुम्हें ?"
" अगर यह सच्चे दिल से की जा रही है !" बाण्ड मुस्कराया !
फिर --दोस्त बन गये वे । नुसरत और तुगलक भी उनके साथ थे ! "
उसी शाम सांगपोक चीनी सीक्रेट सर्विस के साऊण्ड प्रूफ कमरे में अपने चीफ के सामने बैठा था । चीफ़ उससे कह रहा था ----" सुना है जेम्स बाण्ड, नुसरत और तुगलक को तुमने 'हाऊस' में ठहरा दिया है ?"
--""जी हां ।"
"ऐसा क्यों किया तुमने ?" चीफ ने पूछा----" वहाँ तों अतिथियों को ठहराया जाता है । वहां से तो कोई भी आसानी के साथ निकलकर भाग सकता हैं । इन्हें तो किसी सुरक्षित और गोपनीय स्थान पर कैद करके रखना चाहिये था ।"
"इस समय बे हमारे अर्तिथि हैं चीफ ! वे कहीं नहीं भागेॉगें !"
" क्या मतलब ?"
" मतलब ये चीफ कि विजय, वतन और विकास चीन में आ चुके हैं । रूसी बागरोफ को भी अपनी सहायता के लिए उन्होंने साथ ले लिया है । यूं तो विजय और विकास से ही हमारा देश परेशान है !---अब इनमें एक शैतान और बढ गया हैं--------वतन । उसका कहना है कि चीन में तबाही मचाने आया है वह ! इन सबका मुकाबला करने के लिए बाण्ड, नुसरत तौर तुगलक की सहायता लेने में क्या बुराई है ?"
" मगर वे तुम्हारी मदद करेंगे क्यों ?"
" कियुकि उन्हें उन फिल्मों की अावश्यकता है !" -सांगपोक ने कहा-" ऐसी बात नहीं है चीफ कि मैं कुछ समझता नहीं हूं । मुझे सब पता है कि जेम्स बाण्ड ने मेरी दोस्ती क्यों क्यों स्वीकार कर ली है ।"
-"'क्यों ?"
" अगर वह हमारी दोस्ती स्वीकार न करता तो क्या होता ? यही न कि हम उसे कैद कर लेते ? मैं जानता हूं कि इस हकीकत को बाण्ड अच्छी तरह समझता है । उसने सोचा कि कैद में पड़कर क्या होगा ? दोस्ती स्वीकार करके यह मेरे साथ रहेगा तो शायद किसी तिकड़म से उन फिल्मों का पता क्या सके ।"
" निश्चित रुप से बाण्ड जैसे व्यक्ति कें दिमाग में यह विचार आना -------स्वाभाविक सी बात है।"
-"और यही लालच उसे यहां से फरार नहीं होने मैं देगा !"
"क्रिन्तु अगर वह किसी दिन वास्तव में फिल्मों तक पहुंच गया तो ?" चीफ ने संभावना व्यक्त की ।
"जब स्वयं मैं ही नहीं जानता कि फिल्में कहाँ हैं तो उनके पहुंचने का प्रश्न ही कहां उठता है ?" कुटिलता के साथ मुस्कराते हुए पोक ने कहा----"फिल्में सुरक्षित लाकर मैंने
आपको दे दी । यह मैं स्वयं नहीं जानता कि आपने ये कहाँ पहुंचाई हैं ?"
" अब तुम्हारी योजना क्या है?"
" मैं उनसे कह आया हूँ कि सात बजे उनसे मिलने आऊंगा,, साढे छ: वजाती हुई रिस्टवाच को देखता हुआ सांगपोक बोला- मै उनसे कहूगा कि वे हमारे मित्र राष्ट्र के जासूस हैं : अगर वे विजय इत्यादि के खिलाफ हमारी सहायता करेंगे तो हम उनके राष्ट्र को वेवज एम और अणुनाशक किरणों का फार्मूला अवश्य देंगे ।। इस झांसे में फसाकर मैं उन्हें अपनी मदद के लिए तैयार कर लूंगा । अन्त में उन्हें किस तरह का फार्मूला मिलेगा आप समझ सकते हैं !"
''हमें तुम पर पूरा भरोसा है ।" चीफ ने कहा ।।
"न जाने हैरी कहा गायब हो गया ?" पोक ने कहा---" वह होता तो उसे भी इसी झांसेमें लेकर अपना दोस्त वनाया जा सकता था । वह वतन और विकास की टक्कर का लडका है ।"
" खैर--हां, हवानची का क्या हाल है ?"
" अब तो ठीक है वह है सात वजे वह और सिंगसी भी बाण्ड के पास हाउस में पहुंच रहे है ।"
इस प्रकांर कुछ देर और आवश्यक बातें करने के बाद सांगपोफ खड़ा होगया।
चीफ ने उसे जाने की इजाजत दे दी !
वहाँ से निकलकर वह ठीक सात बजे हाउस पहुँचा !
कमरे में बाण्ड, नुसरत और तुगलक के साथ उसने हबानची और सिंगसी कौ भी अपनी प्रतीक्षा में पाया !
हबानची के सिर पर एक हैट था । काफी हद तक उसने हैट का अग्रिम भाग अपने मस्तिष्क पर झुका रखा था । सम्भवत: इसलिए कि उसके माथे पर लिखा 'विकास' नजर न आए ।
उनके सामने मेज पर शाम को पीकिंग से निकलने वाले करीब करीब सारे अखबार पड़े थे !
सभी में जलपोत के टी वी हाँलं का दृश्य छपा था । चीन में विकास के आगमन की खबर को प्रत्येक अखबार ने अपने ढंग से नमक -मिर्च लगाकर छापा था !
एक अखवार में' तो विशेष रूप से हवानची का फोटों छपा था । उसके माथे पर लिखा था 'विकास' !
"चीन के अन्दर विकास का आधा आतंक तो तुम्हारे देश के ये अखबार फैला देते है ।" जेम्स वाण्ड ने कहा…......."विकास का सिद्धांत है कि वह जहाँ जाता है, पहले वह अपने’ नाम का टेरर फैला देता है ! उसी उदेश्य से उसने टी बी हाँल में सैनिकों को उल्टा लटकाया था उनके माथे पर अपना नाम लिखा था । इन अखबोरों में तो वतन का वह पत्र भी छपा है जो उसने तुम्हारे नाम लिखकर क्रमरे के दरवाजे पर चिपका दिया था !"
"तुम ठीक कहते हों । विकास उतना है नहीं जितना ये अखबार चीनी जनता के सामने उसका हब्बा बना देते है !"
"तुम्हारी सरकार को अखबारों पर सैसर लगाना चाहिए है" बाण्ड ने राय दी…"आदेश हो कि विकास से सम्बन्धित कोई भी अखबार किसी तरह का समाचार न छापे इन समाचारों से होता ये है कि चीनी जनता विकास के आगहन को ही अपने दश के विनाश का द्योतक समझ लेती ।"
" अखबारों पर सैसंर लगाना हमारा काम तो नहीं !" सांगपोक ने कहा--"सरकार का काम है। विषय मे जब वह ही कुछ नहीं सोचती तो हम क्या करें ?"