desiaks
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'क्यों?' मैंने पूछा।
तो बोला- जानेमन, तुम सबसे सेक्सी हो, किसी का भी फिगर तुम्हारे सामने फीका है और मैं चाहता हूँ कि तुम्हारी जैसी सेक्सी के जिस्म का एक-एक चीज का स्वाद लूँ।
मैंने कहा- ओ॰के॰ जानेमन, मूतासी तो मैं भी बहुत हूँ।
कहते हुए मैंने अश्वनी को अपने ऊपर से हटाया और उसके ऊपर चढ़ गई और मुंह के ऊपर बैठ गई। सभी की नजर मेरे ऊपर थी, इसलिये मैंने अपनी जांघों को इस तरह से सटाया कि चूत किसी को भी न दिखाई दे, खास कर उसकी बीवी सुहाना को! फिर मैं अपने जिस्म को इस तरह से हिलाने लगी कि ऐसा लग रहा था कि मैं अश्वनी के मुंह में बैठ कर अपनी चूत चटवा रही थी जबकि मेरी मूत की धार उसके मुंह के अन्दर जा रही थी। अश्वनी के मुंह में मूतने के बाद मैं खिसक कर नीचे उसके लौड़े के पास आ गई और उसके लौड़े को अपनी चूत से रगड़ने लगी, इस समय अश्वनी मुझे नहीं, मैं अश्वनी को चोद रही थी। चूत से लंड को रगड़ने के बाद मैंने उसके लंड को अपने मुंह में लिया, लॉली पॉप की तरह चूसने लगी, मेरा दूसरा हाथ अश्वनी की छाती पर था, मैं उसके निप्पल को अपनी दो उंगलियों में बीच लेकर मसल रही थी।
जिस तरह से अश्वनी का जिस्म अकड़ रहा था उससे लग रहा था कि अश्वनी को बड़ा मजा आ रहा था। मेरी जीभ कभी उसकी नाभि पर चलती तो कभी उसके लंड के सुपारे पर! मैं उसके लंड को अपनी थूक से काफी गीला कर चुकी थी। मैं अपना काम कर रही थी और,
अश्वनी के मुंह से निकल रहा था- हां जानेमन, बस ऐसे ही करो, बहुत मजा आ रहा है।
जब मेरे नाखून उसके सुपारे के कटे हुए हिस्से से रगड़ खाते तो,
बस उसके मुंह से यही निकलता- मार डाला रे... बहुत मजा आ रहा है।
मैं उसके टट्टों के साथ भी खेल रही थी। फिर मैंने अश्वनी को पलट दिया और अपने एक हाथ को उसके नीचे डालकर उसके लंड की मुठ मारने लगी और दूसरा हाथ अश्वनी के गांड की दरार में अपना करतब दिखा रहा था, मेरी उंगली उसके गांड के अन्दर जा रही थी और अश्वनी अपनी गांड उठा उठा कर मेरी उंगली को अपने अन्दर लेने का प्रयास कर रहा था। अश्वनी ने मुझसे कहा था कि मैं उसकी गांड भी चांटू तो मैंने उसके कूल्हों को फैलाया और उसके अन्दर थूक उड़ेल कर उसे चाटने लगी। लोग हमारे ऊपर क्या कमेन्ट कर रहे थे, वो मुझे नहीं सुनाई पड़ रहा था, मैं तो केवल चाहती थी कि जब अश्वनी मुझसे खेल चुके और मुझे चोद चुके तो वो बोले कि आज चुदाई के खेल में उसे बहुत मजा आया। तभी अश्वनी हल्का सा हिला, मैं उसके ऊपर से हट गई और वो खड़ा हो गया। अश्वनी काफी हेल्दी और लम्बा था, उसका लंड भी रितेश से थोड़ा ही छोटा रहा होगा, उसने मुझे गोद में उठाया और फिर हवा में ही उसने मुझे पलट दिया, इससे मेरा मुंह उसके लंड की तरफ आ गया और मेरी चूत उसकी मुंह के पास थी, मतलब हम दोनों खड़े ही खड़े 69 की अवस्था में आ गये।
वो मेरी चूत को अपने मुंह में भरे हुए था और मेरे मुंह में उसका लंड था। अपनी दाड़ी को वो मेरी चूत से रगड़ रहा था, मैं एक बार फिर झड़ने को तैयार थी कि अश्वनी ने मुझे हवा में ही सीधा किया और अपनी गोदी में ले लिया। एक हाथ से उसने मुझे पकड़ रखा था और अपने दूसरे हाथ से अपने लंड को मेरी चूत के अन्दर डालने का प्रयास कर रहा था। मैंने भी अपनी बांहो से उसको जकड़ लिया था और उसका साथ दे रही थी ताकि उसका लंड आसानी से मेरी चूत के अन्दर चला जाये। थोड़े प्रयास के बाद अश्वनी का लंड मेरी चूत के अन्दर था। अश्वनी ने मुझे दीवार के सहारे सटा दिया और चोदने लगा, एक दो मिनट तक वो ऐसे ही मेरी चूत को चोदता रहा फिर उसने मुझे नीचे उतारा और खुद नीचे बैठकर मेरी एक टांग को अपने कंधे से क्रास करा दिया, इससे मेरी चूत उसके मुंह के और करीब आ गई।
एक बार फिर अश्वनी मेरी चूत को चाट रहा था और मेरे चूतड़ों को भींच रहा था, मैं भी मस्ती में खोई हुई थी। फिर अश्वनी खड़ा होकर मेरे पीछे आ गया और अपनी उंगली मेरी चूत के अन्दर डालकर चलाने लगा और फिर मेरा रस निकाल कर अपनी उंगली को चाटता फिर मेरी चूचियों को कस कस कर मसलता। मेरे दोनों हाथ उसके लंड को पकड़ कर खेल रहे थे, बीच-बीच में वो मेरी गांड को भी सहलता जाता। कुछ देर ऐसा करने के बाद अश्वनी एक बार फिर मेरे पीछे नीचे बैठ गया मेरे कूल्हे को जोर-जोर से चपत लगाता और उसे कस कर दबाता, मेरे मुंह से दर्द सी आवाज निकलती लेकिन उसे किसी बात का असर नहीं होता। उसके बाद उसने मेरी गांड को थोड़ा सा चौड़ा किया और फिर अपनी जीभ मेरे छेदों के बीच डाल दी और चलाने लगा।
उसके इस तरह जीभ चलाने से मुझे मेरे अन्दर कुछ कीड़ा सा रेंगता सा लग रहा था, लग रहा था कि मेरे जिस छेद में यह कीड़ा रेंग रहा है उस छेद में अश्वनी अपने लंड को तुरन्त डाल कर उस रेंगते हुए कीड़े को मसल दे और मुझे उससे निजात दिला दे। मैं सोच ही रही थी कि अश्वनी ने मेरी पीठ पर अपने हाथ का दवाब डाला जिससे मैं आगे की तरफ झुक गई और एक कुतिया की पोजिशन में आ गई। अश्वनी ने अपने आप को सेट किया, अपने लंड को मेरी गांड की छेद में डाल दिया और फिर मुझे सीधा खड़ा कर दिया, मुझे कसकर पकड़ लिया ताकि मैं कहीं इधर उधर न हो जाऊँ और उसका लंड मेरी गांड से बाहर ना आ जाये! मुझे बहुत दर्द हो रहा था, मैं उसकी पकड़ से छुटना चाह रही थी पर मैं छूट नहीं पा रही थी। ऊपर से यह सितम कि वो मेरी चूचियों को भी बहुत ही जोर से मसल रहा था।
मुझे ऐसा लगा कि किसी ने मेरी गांड में मोटा सा राड डाल दिया है और उस राड के सहारे मुझे हवा में लटकाना चाह रहा हो। अगर एक-दो मिनट तक यही हालात मेरे साथ बने रहते तो पक्का मेरी आँख से आँसू निकलने वाले थे पर अश्वनी ने एक ही मिनट ऐसा किया होगा और मुझे फिर वापस झुका दिया। फिर वो उसकी हथेली मेरी चूत को सहलाते हुए लग रही थी, बीच-बीच में वो छेदों में उंगलियाँ डालकर अन्दर घुमाता। इस बार मुझे फिर से उसका मेरी गांड में महसूस हुआ, दो-चार धक्के वो मेरी गांड को लगाता और फिर चूत में लंड डाल देता। बहुत देर से वो इसी तरह मेरा बाजा बजा रहा था, कुतिया की पोजिशन में मैं खड़े-खड़े थक गई थी। मुझे चोदते-चोदते आखिर,
अश्वनीके मुंह से निकल गया- आकांक्षा तुमने आज जितना मजा दिया है, आज से पहले इस मजे के लिये मैं तरसता था।
तो बोला- जानेमन, तुम सबसे सेक्सी हो, किसी का भी फिगर तुम्हारे सामने फीका है और मैं चाहता हूँ कि तुम्हारी जैसी सेक्सी के जिस्म का एक-एक चीज का स्वाद लूँ।
मैंने कहा- ओ॰के॰ जानेमन, मूतासी तो मैं भी बहुत हूँ।
कहते हुए मैंने अश्वनी को अपने ऊपर से हटाया और उसके ऊपर चढ़ गई और मुंह के ऊपर बैठ गई। सभी की नजर मेरे ऊपर थी, इसलिये मैंने अपनी जांघों को इस तरह से सटाया कि चूत किसी को भी न दिखाई दे, खास कर उसकी बीवी सुहाना को! फिर मैं अपने जिस्म को इस तरह से हिलाने लगी कि ऐसा लग रहा था कि मैं अश्वनी के मुंह में बैठ कर अपनी चूत चटवा रही थी जबकि मेरी मूत की धार उसके मुंह के अन्दर जा रही थी। अश्वनी के मुंह में मूतने के बाद मैं खिसक कर नीचे उसके लौड़े के पास आ गई और उसके लौड़े को अपनी चूत से रगड़ने लगी, इस समय अश्वनी मुझे नहीं, मैं अश्वनी को चोद रही थी। चूत से लंड को रगड़ने के बाद मैंने उसके लंड को अपने मुंह में लिया, लॉली पॉप की तरह चूसने लगी, मेरा दूसरा हाथ अश्वनी की छाती पर था, मैं उसके निप्पल को अपनी दो उंगलियों में बीच लेकर मसल रही थी।
जिस तरह से अश्वनी का जिस्म अकड़ रहा था उससे लग रहा था कि अश्वनी को बड़ा मजा आ रहा था। मेरी जीभ कभी उसकी नाभि पर चलती तो कभी उसके लंड के सुपारे पर! मैं उसके लंड को अपनी थूक से काफी गीला कर चुकी थी। मैं अपना काम कर रही थी और,
अश्वनी के मुंह से निकल रहा था- हां जानेमन, बस ऐसे ही करो, बहुत मजा आ रहा है।
जब मेरे नाखून उसके सुपारे के कटे हुए हिस्से से रगड़ खाते तो,
बस उसके मुंह से यही निकलता- मार डाला रे... बहुत मजा आ रहा है।
मैं उसके टट्टों के साथ भी खेल रही थी। फिर मैंने अश्वनी को पलट दिया और अपने एक हाथ को उसके नीचे डालकर उसके लंड की मुठ मारने लगी और दूसरा हाथ अश्वनी के गांड की दरार में अपना करतब दिखा रहा था, मेरी उंगली उसके गांड के अन्दर जा रही थी और अश्वनी अपनी गांड उठा उठा कर मेरी उंगली को अपने अन्दर लेने का प्रयास कर रहा था। अश्वनी ने मुझसे कहा था कि मैं उसकी गांड भी चांटू तो मैंने उसके कूल्हों को फैलाया और उसके अन्दर थूक उड़ेल कर उसे चाटने लगी। लोग हमारे ऊपर क्या कमेन्ट कर रहे थे, वो मुझे नहीं सुनाई पड़ रहा था, मैं तो केवल चाहती थी कि जब अश्वनी मुझसे खेल चुके और मुझे चोद चुके तो वो बोले कि आज चुदाई के खेल में उसे बहुत मजा आया। तभी अश्वनी हल्का सा हिला, मैं उसके ऊपर से हट गई और वो खड़ा हो गया। अश्वनी काफी हेल्दी और लम्बा था, उसका लंड भी रितेश से थोड़ा ही छोटा रहा होगा, उसने मुझे गोद में उठाया और फिर हवा में ही उसने मुझे पलट दिया, इससे मेरा मुंह उसके लंड की तरफ आ गया और मेरी चूत उसकी मुंह के पास थी, मतलब हम दोनों खड़े ही खड़े 69 की अवस्था में आ गये।
वो मेरी चूत को अपने मुंह में भरे हुए था और मेरे मुंह में उसका लंड था। अपनी दाड़ी को वो मेरी चूत से रगड़ रहा था, मैं एक बार फिर झड़ने को तैयार थी कि अश्वनी ने मुझे हवा में ही सीधा किया और अपनी गोदी में ले लिया। एक हाथ से उसने मुझे पकड़ रखा था और अपने दूसरे हाथ से अपने लंड को मेरी चूत के अन्दर डालने का प्रयास कर रहा था। मैंने भी अपनी बांहो से उसको जकड़ लिया था और उसका साथ दे रही थी ताकि उसका लंड आसानी से मेरी चूत के अन्दर चला जाये। थोड़े प्रयास के बाद अश्वनी का लंड मेरी चूत के अन्दर था। अश्वनी ने मुझे दीवार के सहारे सटा दिया और चोदने लगा, एक दो मिनट तक वो ऐसे ही मेरी चूत को चोदता रहा फिर उसने मुझे नीचे उतारा और खुद नीचे बैठकर मेरी एक टांग को अपने कंधे से क्रास करा दिया, इससे मेरी चूत उसके मुंह के और करीब आ गई।
एक बार फिर अश्वनी मेरी चूत को चाट रहा था और मेरे चूतड़ों को भींच रहा था, मैं भी मस्ती में खोई हुई थी। फिर अश्वनी खड़ा होकर मेरे पीछे आ गया और अपनी उंगली मेरी चूत के अन्दर डालकर चलाने लगा और फिर मेरा रस निकाल कर अपनी उंगली को चाटता फिर मेरी चूचियों को कस कस कर मसलता। मेरे दोनों हाथ उसके लंड को पकड़ कर खेल रहे थे, बीच-बीच में वो मेरी गांड को भी सहलता जाता। कुछ देर ऐसा करने के बाद अश्वनी एक बार फिर मेरे पीछे नीचे बैठ गया मेरे कूल्हे को जोर-जोर से चपत लगाता और उसे कस कर दबाता, मेरे मुंह से दर्द सी आवाज निकलती लेकिन उसे किसी बात का असर नहीं होता। उसके बाद उसने मेरी गांड को थोड़ा सा चौड़ा किया और फिर अपनी जीभ मेरे छेदों के बीच डाल दी और चलाने लगा।
उसके इस तरह जीभ चलाने से मुझे मेरे अन्दर कुछ कीड़ा सा रेंगता सा लग रहा था, लग रहा था कि मेरे जिस छेद में यह कीड़ा रेंग रहा है उस छेद में अश्वनी अपने लंड को तुरन्त डाल कर उस रेंगते हुए कीड़े को मसल दे और मुझे उससे निजात दिला दे। मैं सोच ही रही थी कि अश्वनी ने मेरी पीठ पर अपने हाथ का दवाब डाला जिससे मैं आगे की तरफ झुक गई और एक कुतिया की पोजिशन में आ गई। अश्वनी ने अपने आप को सेट किया, अपने लंड को मेरी गांड की छेद में डाल दिया और फिर मुझे सीधा खड़ा कर दिया, मुझे कसकर पकड़ लिया ताकि मैं कहीं इधर उधर न हो जाऊँ और उसका लंड मेरी गांड से बाहर ना आ जाये! मुझे बहुत दर्द हो रहा था, मैं उसकी पकड़ से छुटना चाह रही थी पर मैं छूट नहीं पा रही थी। ऊपर से यह सितम कि वो मेरी चूचियों को भी बहुत ही जोर से मसल रहा था।
मुझे ऐसा लगा कि किसी ने मेरी गांड में मोटा सा राड डाल दिया है और उस राड के सहारे मुझे हवा में लटकाना चाह रहा हो। अगर एक-दो मिनट तक यही हालात मेरे साथ बने रहते तो पक्का मेरी आँख से आँसू निकलने वाले थे पर अश्वनी ने एक ही मिनट ऐसा किया होगा और मुझे फिर वापस झुका दिया। फिर वो उसकी हथेली मेरी चूत को सहलाते हुए लग रही थी, बीच-बीच में वो छेदों में उंगलियाँ डालकर अन्दर घुमाता। इस बार मुझे फिर से उसका मेरी गांड में महसूस हुआ, दो-चार धक्के वो मेरी गांड को लगाता और फिर चूत में लंड डाल देता। बहुत देर से वो इसी तरह मेरा बाजा बजा रहा था, कुतिया की पोजिशन में मैं खड़े-खड़े थक गई थी। मुझे चोदते-चोदते आखिर,
अश्वनीके मुंह से निकल गया- आकांक्षा तुमने आज जितना मजा दिया है, आज से पहले इस मजे के लिये मैं तरसता था।