hotaks444
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प्रीती अब फ्रेश होने के लिए अपने रूम की तरफ चली गयी, और स्मृति दोबारा किचन में घुस गयी, प्रीती के जाते ही कुशल बड़ी फुर्ती से खड़ा हुआ और सीधा जाकर किचन के अंदर घुस गया, स्मृति को भी इस बात की भनक थी कि जरुर कुशल प्रीती की जाते ही किचन में आ जायेगा और उससे छेड़ छाड़ करेगा, इसलिए उसने भी आज अपनी अदाओ से कुशल और उसके लंड पर कहर ढाने की तैयारी कर रखी थी, जैसे ही कुशल किचन के अंदर दरवाजे तक पहुंचा, स्मृति जानबुझकर अपनी गांड को मटकाते हुए वाश बेसिन में बर्तन धोने लगी
कुशल ने बड़ी गोर से स्मृति की ओर देखा, स्मृति आज वाकई बहुत ही हसीन और सेक्सी लग रही थी, उसने पिंक कलर की झीनी सी सलवार और कुर्ती पहन रखी थी, जिसमे से उसकी गदराई मोटी गांड साफ नज़र आ रही थी, जो उसकी कमर से कम से कम छह इंच उठी हुई थी, और उसकी तनि हुई चुचियो को देखकर तो ऐसा लग रहा था मानो वो उसे चुदाई का खुला निमंत्रण दे रही हों,
जब स्मृति बर्तन धोने के बहाने अपनी गांड को मस्ती से इधर उधर मटकाती तो ऐसा जान पड़ता था कि स्मृति की गांड में कोई छोटी सी बेअरिंग फिट है जो उसकी गांड को मस्त गोल गोल घुमाती है, भले ही स्मृति की उमर ज्यादा हो पर आज भी वो अपनी अदा से अच्छे अच्छे लंडो का पानी निकलवाने की काबिलियत रखती थी, और कुशल तो उसका बहुत बड़ा दीवाना था, वो अच्छी तरह जानती थी कि बिना छुए भी कैसे अपने जलवो से कुशल के खड़े लंड का पानी निकाल सके,
कुशल तो उस वक्त खुद को जन्नत की किसी परी के पास बैठे किसी राजा महाराजा की तरह महसूस कर रहा था क्यूंकि इस वक्त उसके सामने जो मस्त ख़ूबसूरती थी, उसका रसपान वो पिछले 24 घंटे में कई मर्तबा कर चूका था, पर अब भी उसकी प्यास बुझी नही थी,
कुशल तो बेचारा किचन के दरवाजे पर खड़ा उस मस्त गदराई जवानी को देखकर अपने लंड को पेंट के उपर से ही सहलाये जा रहा था, उसकी आँखे बर्तन धोते वक्त उपर निचे होती उसकी मोम की भारी भारी चुचियो पर भी गडी हुई थी,
इधर जब स्मृति जोर लगाकर किसी बर्तन को धोने के लिए निचे की ओर झुकती तो उसकी नारंगी जैसे दूधिया मम्मे उसकी कुर्ती के गहरे गले से से आधे से भी ज्यादा नुमाया हो जाते , यहाँ तक कि उसकी ब्लैक ब्रा के कप्स भी कुशल को साफ़ साफ़ नज़र आ रहे थे
इधर स्मृति ने वाशबेसिन में बर्तन धोने से पहले अपनी कुर्ती को चुपके से साइड में कर लिया था, जिससे उसकी सुंदर सी गांड उभरकर और भी ज्यादा सामने आ रही थी, कुशल की धोकेबाज़ नज़रे तुरंत उसकी ठुमकती गांड की तरफ उठ गई, उस पर जैसे बिजली सी गिर पड़ी, स्मृति भी जान बूझकर बर्तन धोते समय अपनी कमर और गांड को होले होले हिला रही थी,
कुशल ने तुरंत अपनी नज़रे दूसरी तरफ फेरकर देखने की कोशिश की कि कहीं प्रीती तो नही आ रही पर जब उसने मैदान साफ पाया तो वापस अपनी नज़रे अंदर की तरफ घुमानी चाही,पर इससे पहले कि वो अपना चेहरा घुमा पाता, उस पर एक और गाज गिर पड़ी, स्मृति ने जानबुझकर एक बर्तन नीचे गिरा दिया था और अब वो उसे हटाने के लिए झुकी हुई थी
उसकी पतली सी सलवार उसकी मांसल जांघो से बिल्कुल चिपक गयी थी, और स्ट्रेच होने की वजह से सलवार हल्की सी पारदर्शी हो गयी थी, जिसमे से उसकी ब्लू कलर की छोटी सी खूबसूरत पैंटी कुशल की आंखों के सामने आ गयी, उसकी मोटी सी मांसल गदरायी गांड पर उस छोटी सी पैंटी को देखकर कुशल की सांसे ऊपर की ऊपर और नीचे की नीचे रह गयी, उसका चेहरा गरम होने लगा, उसे अपने लंड में तनाव महसूस होने लगा,और जल्द ही उसने विकराल रूप ले लिया जिससे उसके पेंट में उभार बन गया था , स्मृति जानबुझकर बर्तन उठाने में ज्यादा वक्त लग रही थी, उसने कनखियों से कुशल की ओर देखा तो पेंट में उसके लन्ड का उभार उसकी आँखों से छुप नहीं पाया, उसके चेहरे पर एक शातिर हंसी आ गयी
इधर अब कुशल से बर्दास्त करना बिलकुल नामुमकिन हो गया था, भले ही उसे प्रीती के आने का डर था, परन्तु स्मृति इस समय जो नज़ारे उसे दिखा रही थी उसे देखकर उसका सारा डर गायब हो गया और अब उसके दिलो दिमाग पर सिर्फ और सिर्फ स्मृति ही छाई हुई थी,
कुशल अब धीरे धीरे आकर सीधा स्मृति की ठीक पीछे आ गया और फिर उसने बड़े ही प्यार से अपने हाथो को स्मृति के पेट के इर्द गिर्द लपेट दिया,
स्मृति अपने शरीर पर कुशल के हाथ का स्पर्श होते ही सिहर उठी, और हद तो तब हो गई जब कुशल ने अपनी एक उंगली कुर्ती को उठाकर स्मृति की नाभि में ले जाकर उसे गोल गोल घुमाना शुरू कर दिया, मानो वो नाभि में से कोई बहुमूल्य वस्तु निकलना चाह रहा हो
कुशल की इस हरकत से स्मृति तो मज़े से पागल हो गई, उसकी वासना अब चरमोत्कर्ष पर पहुंचने लगी, जब उससे बर्दास्त करना मुश्किल हो गया तो उसने अपने एक हाथ को पीछे ले जाकर कुशल के बालों में लगा दिया जिससे कुशल का चेहरा स्मृति के सिर से खिसककर उसकी गर्दन पर आ पहुंचा,
कुशल ने भी मौके का फायदा उठाते हुए तुरन्त अपने लबों को स्मृति की गोरी गर्दन से चिपका दिया, और कहते है कि लड़की की गर्दन पर अगर कोई किस करे तो उसकी उत्तेजना कई गुना बढ़ जाती है, और यही स्मृति के साथ भी हुआ
कुशल के होठों के स्पर्श अपनी गर्दन पर पाते ही स्मृति अपने काबू से बाहर होने लगी और उसके मुंह से हल्की हल्की आहें भरनी शुरू हो गई
"उन्ह्ह्ह्ह…ह्म्प्फ़्फ़्फ़्फ़… ओहहहहहह यस ओहहहहहहह यस
ओह्हहहहहह आआआ...आआआ...... ओह्ह"
स्मृति की आहों की आवाज़ अब धीरे धीरे बढ़ती ही जा रही थी
इधर कुशल समझ गया था कि अब स्मृति गरम होने लगी है, कुशल ने भी मौके का फायदा उठाते हुए स्मृति की नाभि में फंसी अपनी उंगली निकाली और होले होले नीचे की तरह ले जाने लगा, स्मृति को जैसे कोई होश ही नही था,
कुशल का हाथ स्मृति के गोरे पेट से होते हुए अब उसके सलवार की पट्टी पर आ पहुंचा था, कुशल अभी भी लगातार स्मृति की गर्दन पर किस किये जा रहा था, अब कुशल ने धीरे से अपने हाथ की उंगलियों के इस्तेमाल कर सलवार के नाड़े को ढीला किया और स्लो मोशन में अपना हाथ स्मृति की सुलगती चुत की ओर बढाने लगा, कुशल के हाथ और स्मृति की चुत में अब बेहद ही महीन सी पेंटी का कपड़ा था, कुशल अब अपनी उंगलियों को स्मृति की चुत पर पैंटी के ऊपर से ही फेरने लगा,
इधर स्मृति को अब बर्दास्त करना नामुमकिन हुए जा रहा था,उसने कुशल के बालों से अपना हाथ हटाया और धीरे धीरे कुशल की पेंट की ओर बढ़ने लगी, स्मृति ने अब तुरन्त ही कुशल का लंड उसकी पेंट के ऊपर से ही पकड़ लिया, लंड के अहसास से ही स्मृति बुरी तरह गनगना गई, उसकी सांसे भारी होती जा रही थी, अब उसने एक झटके में ही कुशल के पेंट की ज़िप खोली , उसने महसूस किया कि कुशल ने आज चड्डी नही पहनी थी अंदर, ये जानकर स्मृति की आँखों में एक अजीब सी चमक आ गयी, उसने तुरंत ज़िप के अंदर हाथ डाल लिया और उसके तने हुए लंड को अपनी मुट्ठी में कैद कर लिया
अपने हाथों मे अपने बेटे के लंड की अकड़न महसूस करते ही स्मृति का दिल तेज़ी से धड़कने लगा, उसकी चूत की फाँकें बुरी तरह कुलबुलाने लगी, स्मृति ने थोड़ी देर तक कुशल के लंड को अपनी मुट्ठी में भर कर दबाया और फिर अचानक से उसने कुशल के लंड पर मुठ मारनी शुरू कर दी
अपने लंड पर अपनी मोम की गर्म हथेलियों का स्पर्श पाकर कुशल को लगा जैसे उसका लंड इस गर्मी के अहसास से पिघल ही जायेगा, वासना का तूफान दोनों माँ बेटे के दिलो में आ चुका था,
इधर अब कुशल ने भी तुरंत अब स्मृति की पैंटी के इलास्टिक को ऊपर उठाकर अपनी उंगलिया सीधे उसके चुत से सटा दी, और उसकी चुत के दाने को मसलने लगा,
स्मृति तो इस चौतरफा हमले से बुरी तरह आहें भरने लगी
"उन्ह्ह्ह्ह…ह्म्प्फ़्फ़्फ़्फ़… ओहहहहहह यस ओहहहहहहह यस"
ओह्हहहहहह, उम्ह्ह्ह्ह्ह लायन ऽऽऽऽऽऽऽ…..ऽऽऽऽऽऽऽ…योर बिग डिक माय लायन …स्स्स्स्स्स्साऽऽऽऽ सो बिग…...ओहहहहहह आआआ
मसल डालो मेरी चुत को....ओह यस..."
सससससहहहहहहह...." इतना कहने के साथ ही जल बिन मछली की तरह स्मृति अपनी भरावदार गांड को कुशल की तरफ ऊचकाते हुए तड़प ऊठी, कुशल की सांसे तेज हो चली, उससे अब रुक पाना बड़ा मुशकिल हुए जा रहा था, वो अब तुरंत अपनी मोम की सलवार को पकड़कर निचे की तरफ सरकाने लगा, स्मृति की भी सांसे तीव्र गति से चलने लगी, धीरे धीरे करके कुशल ने अपनी मोम की सलवार को घुटनों तक सरका दिया, कुशल बहुत ही उतावला हुआ जा रहा था, सलवार के घुटनों तक आते ही स्मृति ने खुद अपने दोनों हाथों से अपनी कुर्ती को थाम लिया और कुशल अपनी मोम की पेंटि को दोनों हाथों की उंगलियों में फंसा कर धड़कते दिल से धीरे धीरे नीचे सरकाने लगा,
जैसे-जैसे पेंटी नीचे सरक रही थी, स्मृति की गोरी गोरी भरावदार गांड दिन के उजाले में चमकने लगी , कुशल की तो हालत ही खराब होने लगी थी , अपनी मोम की गोरी गोरी गांड को देखकर उसका गला सूखने लगा था, उसका पूरा बदन उत्तेजना में सराबोर हो चुका था, कुशल ने धीरे धीरे पेंटी को भी घुटनों तक पहुंचा दिया
ये नजारा देखकर कुशल से रुक पाना नामुमकिन सा हो गया था, और वो तुरन्त अपनी पेंट भी उतारने लगा , कुशल को पेंट उतारता देख स्मृति के बदन में गुदगुदी सी होने लगी और वो कुशल से बोली,
"बेटाआआआ पेंट रहने दे, ज़िप से बाहर निकाल कर ही कर ले, प्रीती कभी भी आ सकती है जल्दी कर”
कुशल तो ये सुनकर आसमान पर ही पहुंच गया कि उसकी मोम खुद उसे चुदवाने के लिए बोल रही है जबकि उसकी बेटी भी अभी घर पर है, कुशल के लिए तो इस बात ने आग में घी का काम किया और उसका लंड और भी विकराल हो गया
"कोई नही आएगा मोम आह"
इतना कहने के साथ ही कुशल ने एक हाथ से उसकी टांग को पकड़ कर उठाते हुए थोडा चौड़ा किया और स्मृति की पीठ पर दबाव बनाते हुए उसे आगे की तरफ झुका दिया, स्मृति आश्चर्यचकित होते हुए कुशल के निर्देश का पालन कर रही थी,
कुशल ने अब बिना वक्त गंवाए अपने लंड के सुपाड़े को उसकी चुत के गुलाबी छेद पर टीकाया और पूरी ताकत से एक करारा धक्का उसकी चुत में लगा दिया, इस धक्के की ताकत इतनी थी कि पूरा का पूरा लंड एक ही बार मे चुत के अंदर समा गया, स्मृति के मुहं से हल्की सी आह निकल गई
दोनों माँ बेटो के शरीर में आनंद की एक तेज़ लहर दोड गयी, उन्हें इस बात से और भी ज्यादा मजा आ रहा था कि वो लोग छुप छुप कर सेक्स कर रहे है,
कुशल ने अब अपने लंड को थोडा पीछे खीचा और फिर से एक दनदनाता हुआ शॉट सीधा स्मृति की चुत में पेल दिया, स्मृति इस करारे धक्के को सम्भाल नही पाई और गिरना से बचने के लिए उसने अपने दोनों हाथो को किचन की पट्टी पर जोर से पकड लिया
कुशल अभी तीसरा धक्का लगाने ही वाला था कि उन दोनों के कान में एक जोरदार आवाज़ गूंजी
“मोम.........आपने नाश्ता लगा दिया क्या, मैं निचे आ रही हूँ खाने” ये प्रीती की आवाज़ थी जो अभी अपने कमरे से बाहर ही निकली थी और वो जोर जोर से चिल्ला कर नाश्ते के बारे में पूछ रही थी, प्रीती अब सीढियों से निचे आने लगी
इधर प्रीती की आवाज़ सुनते ही जैसे स्मृति और कुशल सपने से जागे, स्मृति ने बड़ी ही फुर्ती से अपनी पेंटी और सलवार को उपर चढ़ाया और पलक झपकते ही सलवार का नाडा बांध लिया,
पर यहाँ कुशल को थोड़ी परेशानी हो रही थी,क्यूंकि उसका विकराल रूप लेकर खड़ा हुआ लंड उसकी ज़िप के अंदर जा ही नही रहा था, और वो पेंट खोलकर लंड अंदर करने का रिस्क नही ले सकता था, स्मृति भी उसकी और बड़ी ही डरी हुई नजरो से देख रही थी मानो वो कह रही हो कि जल्दी कर कुशल अपने लंड को अंदर डाल फटाफट
पर कुशल का लंड था कि आज बगावत पर उतर आया था, कुशल जोर लगाकर अपने लंड को अंदर ठूंसने की कोशिश कर रहा था पर इसका कोई फायदा उसे नही हो पा रहा था,
इधर प्रीती के कदमो की एक एक आहट किचन में स्मृति और कुशल की धडकनों को बढाये जा रही थी क्यूंकि कुशल का लंड उसकी पेंट के अंदर जा ही नही रहा था,
और तभी अचानक प्रीती किचन के अंदर आ गयी,
कुशल ने बड़ी गोर से स्मृति की ओर देखा, स्मृति आज वाकई बहुत ही हसीन और सेक्सी लग रही थी, उसने पिंक कलर की झीनी सी सलवार और कुर्ती पहन रखी थी, जिसमे से उसकी गदराई मोटी गांड साफ नज़र आ रही थी, जो उसकी कमर से कम से कम छह इंच उठी हुई थी, और उसकी तनि हुई चुचियो को देखकर तो ऐसा लग रहा था मानो वो उसे चुदाई का खुला निमंत्रण दे रही हों,
जब स्मृति बर्तन धोने के बहाने अपनी गांड को मस्ती से इधर उधर मटकाती तो ऐसा जान पड़ता था कि स्मृति की गांड में कोई छोटी सी बेअरिंग फिट है जो उसकी गांड को मस्त गोल गोल घुमाती है, भले ही स्मृति की उमर ज्यादा हो पर आज भी वो अपनी अदा से अच्छे अच्छे लंडो का पानी निकलवाने की काबिलियत रखती थी, और कुशल तो उसका बहुत बड़ा दीवाना था, वो अच्छी तरह जानती थी कि बिना छुए भी कैसे अपने जलवो से कुशल के खड़े लंड का पानी निकाल सके,
कुशल तो उस वक्त खुद को जन्नत की किसी परी के पास बैठे किसी राजा महाराजा की तरह महसूस कर रहा था क्यूंकि इस वक्त उसके सामने जो मस्त ख़ूबसूरती थी, उसका रसपान वो पिछले 24 घंटे में कई मर्तबा कर चूका था, पर अब भी उसकी प्यास बुझी नही थी,
कुशल तो बेचारा किचन के दरवाजे पर खड़ा उस मस्त गदराई जवानी को देखकर अपने लंड को पेंट के उपर से ही सहलाये जा रहा था, उसकी आँखे बर्तन धोते वक्त उपर निचे होती उसकी मोम की भारी भारी चुचियो पर भी गडी हुई थी,
इधर जब स्मृति जोर लगाकर किसी बर्तन को धोने के लिए निचे की ओर झुकती तो उसकी नारंगी जैसे दूधिया मम्मे उसकी कुर्ती के गहरे गले से से आधे से भी ज्यादा नुमाया हो जाते , यहाँ तक कि उसकी ब्लैक ब्रा के कप्स भी कुशल को साफ़ साफ़ नज़र आ रहे थे
इधर स्मृति ने वाशबेसिन में बर्तन धोने से पहले अपनी कुर्ती को चुपके से साइड में कर लिया था, जिससे उसकी सुंदर सी गांड उभरकर और भी ज्यादा सामने आ रही थी, कुशल की धोकेबाज़ नज़रे तुरंत उसकी ठुमकती गांड की तरफ उठ गई, उस पर जैसे बिजली सी गिर पड़ी, स्मृति भी जान बूझकर बर्तन धोते समय अपनी कमर और गांड को होले होले हिला रही थी,
कुशल ने तुरंत अपनी नज़रे दूसरी तरफ फेरकर देखने की कोशिश की कि कहीं प्रीती तो नही आ रही पर जब उसने मैदान साफ पाया तो वापस अपनी नज़रे अंदर की तरफ घुमानी चाही,पर इससे पहले कि वो अपना चेहरा घुमा पाता, उस पर एक और गाज गिर पड़ी, स्मृति ने जानबुझकर एक बर्तन नीचे गिरा दिया था और अब वो उसे हटाने के लिए झुकी हुई थी
उसकी पतली सी सलवार उसकी मांसल जांघो से बिल्कुल चिपक गयी थी, और स्ट्रेच होने की वजह से सलवार हल्की सी पारदर्शी हो गयी थी, जिसमे से उसकी ब्लू कलर की छोटी सी खूबसूरत पैंटी कुशल की आंखों के सामने आ गयी, उसकी मोटी सी मांसल गदरायी गांड पर उस छोटी सी पैंटी को देखकर कुशल की सांसे ऊपर की ऊपर और नीचे की नीचे रह गयी, उसका चेहरा गरम होने लगा, उसे अपने लंड में तनाव महसूस होने लगा,और जल्द ही उसने विकराल रूप ले लिया जिससे उसके पेंट में उभार बन गया था , स्मृति जानबुझकर बर्तन उठाने में ज्यादा वक्त लग रही थी, उसने कनखियों से कुशल की ओर देखा तो पेंट में उसके लन्ड का उभार उसकी आँखों से छुप नहीं पाया, उसके चेहरे पर एक शातिर हंसी आ गयी
इधर अब कुशल से बर्दास्त करना बिलकुल नामुमकिन हो गया था, भले ही उसे प्रीती के आने का डर था, परन्तु स्मृति इस समय जो नज़ारे उसे दिखा रही थी उसे देखकर उसका सारा डर गायब हो गया और अब उसके दिलो दिमाग पर सिर्फ और सिर्फ स्मृति ही छाई हुई थी,
कुशल अब धीरे धीरे आकर सीधा स्मृति की ठीक पीछे आ गया और फिर उसने बड़े ही प्यार से अपने हाथो को स्मृति के पेट के इर्द गिर्द लपेट दिया,
स्मृति अपने शरीर पर कुशल के हाथ का स्पर्श होते ही सिहर उठी, और हद तो तब हो गई जब कुशल ने अपनी एक उंगली कुर्ती को उठाकर स्मृति की नाभि में ले जाकर उसे गोल गोल घुमाना शुरू कर दिया, मानो वो नाभि में से कोई बहुमूल्य वस्तु निकलना चाह रहा हो
कुशल की इस हरकत से स्मृति तो मज़े से पागल हो गई, उसकी वासना अब चरमोत्कर्ष पर पहुंचने लगी, जब उससे बर्दास्त करना मुश्किल हो गया तो उसने अपने एक हाथ को पीछे ले जाकर कुशल के बालों में लगा दिया जिससे कुशल का चेहरा स्मृति के सिर से खिसककर उसकी गर्दन पर आ पहुंचा,
कुशल ने भी मौके का फायदा उठाते हुए तुरन्त अपने लबों को स्मृति की गोरी गर्दन से चिपका दिया, और कहते है कि लड़की की गर्दन पर अगर कोई किस करे तो उसकी उत्तेजना कई गुना बढ़ जाती है, और यही स्मृति के साथ भी हुआ
कुशल के होठों के स्पर्श अपनी गर्दन पर पाते ही स्मृति अपने काबू से बाहर होने लगी और उसके मुंह से हल्की हल्की आहें भरनी शुरू हो गई
"उन्ह्ह्ह्ह…ह्म्प्फ़्फ़्फ़्फ़… ओहहहहहह यस ओहहहहहहह यस
ओह्हहहहहह आआआ...आआआ...... ओह्ह"
स्मृति की आहों की आवाज़ अब धीरे धीरे बढ़ती ही जा रही थी
इधर कुशल समझ गया था कि अब स्मृति गरम होने लगी है, कुशल ने भी मौके का फायदा उठाते हुए स्मृति की नाभि में फंसी अपनी उंगली निकाली और होले होले नीचे की तरह ले जाने लगा, स्मृति को जैसे कोई होश ही नही था,
कुशल का हाथ स्मृति के गोरे पेट से होते हुए अब उसके सलवार की पट्टी पर आ पहुंचा था, कुशल अभी भी लगातार स्मृति की गर्दन पर किस किये जा रहा था, अब कुशल ने धीरे से अपने हाथ की उंगलियों के इस्तेमाल कर सलवार के नाड़े को ढीला किया और स्लो मोशन में अपना हाथ स्मृति की सुलगती चुत की ओर बढाने लगा, कुशल के हाथ और स्मृति की चुत में अब बेहद ही महीन सी पेंटी का कपड़ा था, कुशल अब अपनी उंगलियों को स्मृति की चुत पर पैंटी के ऊपर से ही फेरने लगा,
इधर स्मृति को अब बर्दास्त करना नामुमकिन हुए जा रहा था,उसने कुशल के बालों से अपना हाथ हटाया और धीरे धीरे कुशल की पेंट की ओर बढ़ने लगी, स्मृति ने अब तुरन्त ही कुशल का लंड उसकी पेंट के ऊपर से ही पकड़ लिया, लंड के अहसास से ही स्मृति बुरी तरह गनगना गई, उसकी सांसे भारी होती जा रही थी, अब उसने एक झटके में ही कुशल के पेंट की ज़िप खोली , उसने महसूस किया कि कुशल ने आज चड्डी नही पहनी थी अंदर, ये जानकर स्मृति की आँखों में एक अजीब सी चमक आ गयी, उसने तुरंत ज़िप के अंदर हाथ डाल लिया और उसके तने हुए लंड को अपनी मुट्ठी में कैद कर लिया
अपने हाथों मे अपने बेटे के लंड की अकड़न महसूस करते ही स्मृति का दिल तेज़ी से धड़कने लगा, उसकी चूत की फाँकें बुरी तरह कुलबुलाने लगी, स्मृति ने थोड़ी देर तक कुशल के लंड को अपनी मुट्ठी में भर कर दबाया और फिर अचानक से उसने कुशल के लंड पर मुठ मारनी शुरू कर दी
अपने लंड पर अपनी मोम की गर्म हथेलियों का स्पर्श पाकर कुशल को लगा जैसे उसका लंड इस गर्मी के अहसास से पिघल ही जायेगा, वासना का तूफान दोनों माँ बेटे के दिलो में आ चुका था,
इधर अब कुशल ने भी तुरंत अब स्मृति की पैंटी के इलास्टिक को ऊपर उठाकर अपनी उंगलिया सीधे उसके चुत से सटा दी, और उसकी चुत के दाने को मसलने लगा,
स्मृति तो इस चौतरफा हमले से बुरी तरह आहें भरने लगी
"उन्ह्ह्ह्ह…ह्म्प्फ़्फ़्फ़्फ़… ओहहहहहह यस ओहहहहहहह यस"
ओह्हहहहहह, उम्ह्ह्ह्ह्ह लायन ऽऽऽऽऽऽऽ…..ऽऽऽऽऽऽऽ…योर बिग डिक माय लायन …स्स्स्स्स्स्साऽऽऽऽ सो बिग…...ओहहहहहह आआआ
मसल डालो मेरी चुत को....ओह यस..."
सससससहहहहहहह...." इतना कहने के साथ ही जल बिन मछली की तरह स्मृति अपनी भरावदार गांड को कुशल की तरफ ऊचकाते हुए तड़प ऊठी, कुशल की सांसे तेज हो चली, उससे अब रुक पाना बड़ा मुशकिल हुए जा रहा था, वो अब तुरंत अपनी मोम की सलवार को पकड़कर निचे की तरफ सरकाने लगा, स्मृति की भी सांसे तीव्र गति से चलने लगी, धीरे धीरे करके कुशल ने अपनी मोम की सलवार को घुटनों तक सरका दिया, कुशल बहुत ही उतावला हुआ जा रहा था, सलवार के घुटनों तक आते ही स्मृति ने खुद अपने दोनों हाथों से अपनी कुर्ती को थाम लिया और कुशल अपनी मोम की पेंटि को दोनों हाथों की उंगलियों में फंसा कर धड़कते दिल से धीरे धीरे नीचे सरकाने लगा,
जैसे-जैसे पेंटी नीचे सरक रही थी, स्मृति की गोरी गोरी भरावदार गांड दिन के उजाले में चमकने लगी , कुशल की तो हालत ही खराब होने लगी थी , अपनी मोम की गोरी गोरी गांड को देखकर उसका गला सूखने लगा था, उसका पूरा बदन उत्तेजना में सराबोर हो चुका था, कुशल ने धीरे धीरे पेंटी को भी घुटनों तक पहुंचा दिया
ये नजारा देखकर कुशल से रुक पाना नामुमकिन सा हो गया था, और वो तुरन्त अपनी पेंट भी उतारने लगा , कुशल को पेंट उतारता देख स्मृति के बदन में गुदगुदी सी होने लगी और वो कुशल से बोली,
"बेटाआआआ पेंट रहने दे, ज़िप से बाहर निकाल कर ही कर ले, प्रीती कभी भी आ सकती है जल्दी कर”
कुशल तो ये सुनकर आसमान पर ही पहुंच गया कि उसकी मोम खुद उसे चुदवाने के लिए बोल रही है जबकि उसकी बेटी भी अभी घर पर है, कुशल के लिए तो इस बात ने आग में घी का काम किया और उसका लंड और भी विकराल हो गया
"कोई नही आएगा मोम आह"
इतना कहने के साथ ही कुशल ने एक हाथ से उसकी टांग को पकड़ कर उठाते हुए थोडा चौड़ा किया और स्मृति की पीठ पर दबाव बनाते हुए उसे आगे की तरफ झुका दिया, स्मृति आश्चर्यचकित होते हुए कुशल के निर्देश का पालन कर रही थी,
कुशल ने अब बिना वक्त गंवाए अपने लंड के सुपाड़े को उसकी चुत के गुलाबी छेद पर टीकाया और पूरी ताकत से एक करारा धक्का उसकी चुत में लगा दिया, इस धक्के की ताकत इतनी थी कि पूरा का पूरा लंड एक ही बार मे चुत के अंदर समा गया, स्मृति के मुहं से हल्की सी आह निकल गई
दोनों माँ बेटो के शरीर में आनंद की एक तेज़ लहर दोड गयी, उन्हें इस बात से और भी ज्यादा मजा आ रहा था कि वो लोग छुप छुप कर सेक्स कर रहे है,
कुशल ने अब अपने लंड को थोडा पीछे खीचा और फिर से एक दनदनाता हुआ शॉट सीधा स्मृति की चुत में पेल दिया, स्मृति इस करारे धक्के को सम्भाल नही पाई और गिरना से बचने के लिए उसने अपने दोनों हाथो को किचन की पट्टी पर जोर से पकड लिया
कुशल अभी तीसरा धक्का लगाने ही वाला था कि उन दोनों के कान में एक जोरदार आवाज़ गूंजी
“मोम.........आपने नाश्ता लगा दिया क्या, मैं निचे आ रही हूँ खाने” ये प्रीती की आवाज़ थी जो अभी अपने कमरे से बाहर ही निकली थी और वो जोर जोर से चिल्ला कर नाश्ते के बारे में पूछ रही थी, प्रीती अब सीढियों से निचे आने लगी
इधर प्रीती की आवाज़ सुनते ही जैसे स्मृति और कुशल सपने से जागे, स्मृति ने बड़ी ही फुर्ती से अपनी पेंटी और सलवार को उपर चढ़ाया और पलक झपकते ही सलवार का नाडा बांध लिया,
पर यहाँ कुशल को थोड़ी परेशानी हो रही थी,क्यूंकि उसका विकराल रूप लेकर खड़ा हुआ लंड उसकी ज़िप के अंदर जा ही नही रहा था, और वो पेंट खोलकर लंड अंदर करने का रिस्क नही ले सकता था, स्मृति भी उसकी और बड़ी ही डरी हुई नजरो से देख रही थी मानो वो कह रही हो कि जल्दी कर कुशल अपने लंड को अंदर डाल फटाफट
पर कुशल का लंड था कि आज बगावत पर उतर आया था, कुशल जोर लगाकर अपने लंड को अंदर ठूंसने की कोशिश कर रहा था पर इसका कोई फायदा उसे नही हो पा रहा था,
इधर प्रीती के कदमो की एक एक आहट किचन में स्मृति और कुशल की धडकनों को बढाये जा रही थी क्यूंकि कुशल का लंड उसकी पेंट के अंदर जा ही नही रहा था,
और तभी अचानक प्रीती किचन के अंदर आ गयी,